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Questions and Answers
समाजशास्त्र में 'सहज बोध' को 'भूलने' या 'मिटा देने' की आवश्यकता क्यों है?
समाजशास्त्र में 'सहज बोध' को 'भूलने' या 'मिटा देने' की आवश्यकता क्यों है?
- क्योंकि यह समाज के बारे में हमारी जानकारी को बढ़ाता है।
- क्योंकि यह विषय को अधिक जटिल बनाता है।
- क्योंकि यह समाज के व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन में बाधा डालता है। (correct)
- क्योंकि यह छात्रों को समाजशास्त्र से डरने से बचाता है।
समाजशास्त्र आपको किस प्रकार 'स्ववाचक' बनने में मदद करता है?
समाजशास्त्र आपको किस प्रकार 'स्ववाचक' बनने में मदद करता है?
- आपको दूसरे लोगों के विचारों को अपनाने के लिए प्रेरित करके।
- आपको समाज के बारे में आलोचनात्मक होने के लिए प्रोत्साहित करके।
- आपको सामाजिक मुद्दों से दूर रहने के लिए कहकर।
- आपको दिखाते हुए कि दूसरे आपको कैसे देखते हैं। (correct)
सी. राईट मिल्स के अनुसार समाजशास्त्र व्यक्तिगत परेशानियों और किस के बीच की कड़ियों को उजागर करने में मदद कर सकता है?
सी. राईट मिल्स के अनुसार समाजशास्त्र व्यक्तिगत परेशानियों और किस के बीच की कड़ियों को उजागर करने में मदद कर सकता है?
- राजनीतिक षडयंत्रों
- धार्मिक मान्यताओं
- सामाजिक मुद्दों (correct)
- आर्थिक नीतियों
निम्नलिखित में से कौन सा कथन 'सामाजिक मुद्दा' को सबसे अच्छी तरह से परिभाषित करता है?
निम्नलिखित में से कौन सा कथन 'सामाजिक मुद्दा' को सबसे अच्छी तरह से परिभाषित करता है?
भारतीय समाज के संदर्भ में 'विषमता एवं अपवर्जन' से संबंधित प्रमुख चिंता क्या है?
भारतीय समाज के संदर्भ में 'विषमता एवं अपवर्जन' से संबंधित प्रमुख चिंता क्या है?
अध्याय 5 में विषमता एवं बहिष्कार को किन समुदायों के संदर्भ में देखता है?
अध्याय 5 में विषमता एवं बहिष्कार को किन समुदायों के संदर्भ में देखता है?
जनजातीय आंदोलन आज किस संदर्भ में स्वयं की पहचान को पुनःस्थापित करना चाहते हैं?
जनजातीय आंदोलन आज किस संदर्भ में स्वयं की पहचान को पुनःस्थापित करना चाहते हैं?
भारत में जनसंख्या का अध्ययन करते समय समाजशास्त्रियों और जनसांख्यिकीविदों के लिए मुख्य प्रश्न क्या है?
भारत में जनसंख्या का अध्ययन करते समय समाजशास्त्रियों और जनसांख्यिकीविदों के लिए मुख्य प्रश्न क्या है?
भारतीय समाज के संदर्भ में 'विविधता में एकता' के नारे का एक जटिल पहलू क्या है?
भारतीय समाज के संदर्भ में 'विविधता में एकता' के नारे का एक जटिल पहलू क्या है?
निम्नलिखित में से कौन सा विषय 'भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास' पर केंद्रित होगा?
निम्नलिखित में से कौन सा विषय 'भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास' पर केंद्रित होगा?
Flashcards
सहज ज्ञान
सहज ज्ञान
वह ज्ञान जो हम समाज के बारे में बिना किसी विशेष अध्ययन के प्राप्त करते हैं।
सामान्य बोध
सामान्य बोध
अपने सामाजिक समूह के दृष्टिकोण से प्राप्त ज्ञान।
स्ववाचक (आत्मवाचक)
स्ववाचक (आत्मवाचक)
दूसरों के दृष्टिकोण से स्वयं को देखने की क्षमता।
समाजशास्त्रीय कल्पना
समाजशास्त्रीय कल्पना
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समाजशास्त्र
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सामाजिक नक्शा
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पाठ्यपुस्तक का उद्देश्य
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भारतीय समाज की चिंताएँ
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भारतीय समाज के आधारभूत रचना खंड
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Study Notes
अध्याय 1: भारतीय समाज - एक परिचय
- समाजशास्त्र अन्य विषयों से अलग है; इसमें पहले से ही समाज के बारे में जानकारी होती है, क्योंकि यह अनुभव से सीखा जाता है।
- समाज के बारे में ज्ञान स्वाभाविक रूप से प्राप्त होता है, जो बड़े होने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
- सहज ज्ञान समाजशास्त्र के लिए सहायक और बाधक दोनों हो सकता है।
- यह विषय आसान लगता है, पर समाज का व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए सहज बोध को 'भूलना' ज़रूरी है।
- समाजशास्त्र सीखने के प्रारंभिक चरण में, पहले से प्राप्त ज्ञान को त्यागना आवश्यक है।
- पहले से प्राप्त ज्ञान विशेष दृष्टिकोण से आता है, और यह सामाजिक समूह और वातावरण से प्रभावित होता है।
- यह ज्ञान अपूर्ण या पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकता है, और सामाजिक वास्तविकता का केवल एक हिस्सा दिखाता है।
- समाजशास्त्र सिखाता है कि दूसरे आपको कैसे देखते हैं, और स्वयं को 'बाहर से' कैसे देख सकते हैं।
- यह स्वनिरीक्षण आलोचनात्मक होना चाहिए, जिसमें समीक्षा अधिक और आत्म-मुग्धता कम हो।
समाज में आपका स्थान
- तुलनात्मक सामाजिक नक्शा आपको समाज में अपने स्थान के बारे में बताता है।
- उदाहरण के लिए, 17-18 वर्ष की आयु में आप युवा पीढ़ी के सदस्य हैं, जो भारत की लगभग 40% जनसंख्या है।
- माता-पिता के व्यवसाय और परिवार की आय के अनुसार, आप एक आर्थिक वर्ग के सदस्य हैं।
- आप एक विशेष धार्मिक समुदाय, जाति या जनजाति के सदस्य हो सकते हैं।
- ये पहचान सामाजिक संबंधों के ताने-बाने में आपका स्थान निर्धारित करती हैं।
- समाजशास्त्र विभिन्न प्रकार के समूहों, उनके आपसी संबंधों और आपके जीवन में उनके महत्व के बारे में बताता है।
- प्रसिद्ध अमेरिकी समाजशास्त्री सी. राईट मिल्स के अनुसार समाजशास्त्र व्यक्तिगत परेशानियों और सामाजिक मुद्दों के बीच की कड़ियों को उजागर करता है।
व्यक्तिगत परेशानियाँ और सामाजिक मुद्दे
- व्यक्तिगत परेशानियाँ व्यक्तिगत चिंताएँ या समस्याएँ हैं जो हर किसी को होती हैं।
- उदाहरण के लिए, परिवार के सदस्यों के व्यवहार से नाखुश होना, या भविष्य के बारे में चिंतित होना।
- सामाजिक मुद्दा बड़े समूहों से संबंधित होता है, न कि व्यक्तिगत सदस्यों से।
परिचय और पूर्वदर्शन
- इस पुस्तक का उद्देश्य भारतीय समाज से समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से परिचय कराना है।
पाठ्यपुस्तक का पूर्वदर्शन
- इस पहली पाठ्यपुस्तक में भारतीय समाज की आधारभूत संरचना से परिचय कराया जाएगा।
- दूसरी पाठ्यपुस्तक भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास की विशिष्टताओं पर केंद्रित होगी। भारतीय जनसंख्या की जनसांख्यिकीय संरचना (अध्याय 2) पर विचार किया जाता है।
- भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और जल्द ही पहला बन जाएगा।
- समाजशास्त्री और जनसांख्यिकीविद् जनसंख्या का अध्ययन कैसे करते हैं और इसके सामाजिक पहलू क्या हैं? अध्याय 3 में जाति, जनजाति और परिवार की संस्थाओं के रूप में भारतीय समाज के आधारभूत रचना खंडों का पुन:अध्ययन किया जाता है।
- जाति, जो भारतीय उपमहाद्वीप का एक विशिष्ट लक्षण है, हमेशा विद्वानों को आकर्षित करती रही है, यह संस्था किस तरह से परिवर्तनशील रही है और आज वास्तव में जाति क्या है।
- जनजातियाँ किस तरह के समुदाय हैं और इन्हें इस तरह से परिभाषित करने में हम दाँव पर क्या लगा रहे हैं।
- परिवार इस समय के त्वरित और गहन सामाजिक परिवर्तन के भारी दबाव का विषय रहा है।
अर्थव्यवस्था और समाज
- अध्याय 4 एक शक्तिशाली संस्था के रूप में बाज़ार के सामाजिक-सांस्कृतिक आयामों को खोजता है, जो कि संपूर्ण विश्व इतिहास में परिवर्तन का एक वाहक रहा है।
- अध्याय 5 विषमता एवं बहिष्कार को जाति, जनजाति, लिंग एवं 'अन्यथा सक्षम' लोगों के संदर्भ में देखता है
- विभाजन एवं अन्याय के एक साधन के रूप में कुख्यात जाति व्यवस्था को मिटाने या इसमें सुधार लाने के प्रयास किए जाते रहे हैं
- अध्याय 6 भारतीय समाज की असीम विविधता से उत्पन्न कठिन चुनौतियों के बारे में बात करता हैं
- यह अध्याय हमें हमारे सामान्य, सुविधाजनक चिंतन के तरीकों से बाहर आने को आमंत्रित करता है।
चुनौती
- भारत के विविधता में एकता के सुपरिचित नारों का एक जटिल पहलू भी है।
- युवा वयस्क सामुदायिक संघर्ष और क्षेत्रीय या भाषायी उग्रराष्ट्रीयता एवं जातिवाद को हटाये बगैर उनका सामना कैसे करेंगे?
- अंततः अध्याय 7 पाठ्यक्रम के प्रयोगात्मक घटकों के बारे में चिंतन के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।
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