भक्तिकाल: उदय, विशेषताएँ और कवि

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Questions and Answers

निम्नलिखित में से कौन सी भक्ति काल की मुख्य विशेषता है?

  • भक्ति भावना की प्रधानता (correct)
  • हास्य रस की प्रधानता
  • शृंगार रस की प्रधानता
  • वीर रस की प्रधानता

कबीरदास किस भक्ति धारा के कवि थे?

  • निर्गुण भक्ति धारा (correct)
  • राम भक्ति धारा
  • कृष्ण भक्ति धारा
  • सगुण भक्ति धारा

रामचरितमानस' किसकी रचना है?

  • मीराबाई
  • सूरदास
  • कबीरदास
  • तुलसीदास (correct)

'सूरसागर' के रचयिता कौन हैं?

<p>सूरदास (B)</p> Signup and view all the answers

निम्नलिखित में से कौन सा संप्रदाय रामानुजाचार्य द्वारा स्थापित किया गया था?

<p>श्री संप्रदाय (C)</p> Signup and view all the answers

गुरु नानक देव जी की रचनाएँ किस ग्रंथ में संकलित हैं?

<p>गुरु ग्रंथ साहिब (B)</p> Signup and view all the answers

भक्ति काल में कवियों ने किस भाषा का प्रयोग किया?

<p>लोकभाषा (B)</p> Signup and view all the answers

निम्नलिखित में से कौन अष्टछाप के कवि हैं?

<p>नंददास (C)</p> Signup and view all the answers

भक्ति आंदोलन का उदय किस क्षेत्र में हुआ?

<p>दक्षिण भारत (C)</p> Signup and view all the answers

मीराबाई किसकी भक्त थीं?

<p>कृष्ण (A)</p> Signup and view all the answers

Flashcards

भक्ति काल क्या है?

हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण युग, लगभग 1375 वि. सं. से 1700 वि. सं. तक माना जाता है, जिसमें भक्ति भावना की प्रधानता है। इसे हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग भी कहा जाता है।

भक्ति आन्दोलन का उदय कहाँ हुआ?

दक्षिण भारत में भक्ति आन्दोलन का उदय हुआ। उत्तर भारत में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक कुरीतियों के कारण यह आन्दोलन फैला।

भक्ति काल की विशेषताएँ क्या हैं?

ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण, गुरु का महत्व, लोकभाषा का प्रयोग, आडंबरों का विरोध, और सामाजिक समानता इस काल की मुख्य विशेषताएँ हैं।

निर्गुण भक्ति धारा क्या है?

निर्गुण भक्ति धारा में ईश्वर को निराकार माना जाता है, और इसके कवि मूर्ति पूजा और अवतारवाद का विरोध करते हैं।

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कबीरदास कौन थे?

कबीरदास निर्गुण भक्ति धारा के सबसे प्रमुख कवि हैं। उनकी रचनाएँ 'कबीर ग्रंथावली' और 'बीजक' में संकलित हैं।

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तुलसीदास किस धारा के कवि थे?

तुलसीदास सगुण भक्ति धारा के सबसे प्रमुख कवि हैं। उन्होंने 'रामचरितमानस' की रचना की।

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सूरदास की मुख्य रचनाएँ क्या हैं?

सूरदास कृष्ण भक्ति धारा के प्रमुख कवि हैं। उन्होंने 'सूरसागर', 'सूरसारावली' और 'साहित्यलहरी' जैसी रचनाएँ लिखीं।

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मीराबाई किसकी भक्त थीं?

मीराबाई कृष्ण की भक्त थीं, और उनकी कविताएँ विरह और प्रेम की अभिव्यक्ति हैं। उनकी रचनाएँ 'मीरा पदावली' में संकलित हैं।

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भक्ति आन्दोलन का प्रभाव क्या हुआ?

भक्ति आन्दोलन ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर किया, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया।

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वारकरी संप्रदाय क्या है?

वारकरी संप्रदाय महाराष्ट्र में विकसित हुआ और विट्ठल (विष्णु) की भक्ति पर जोर देता है।

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Study Notes

  • भक्तिकाल हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण युग है।
  • यह काल लगभग 1375 वि. सं. से 1700 वि. सं. तक माना जाता है।
  • इस युग की मुख्य विशेषता भक्ति भावना की प्रधानता है।
  • भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग भी कहा जाता है।

भक्ति काल का उदय

  • भक्ति आन्दोलन का उदय दक्षिण भारत में हुआ।
  • उत्तर भारत में राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक कुरीतियों के कारण भक्ति आन्दोलन को फैलने का अवसर मिला।
  • इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के कारण हिन्दू धर्म को एक नई दिशा देने की आवश्यकता थी।
  • निर्गुण और सगुण दोनों प्रकार की भक्ति धाराएँ इस काल में विकसित हुईं।

भक्ति काल की विशेषताएँ

  • ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना इस काल की कविता का मुख्य विषय है।
  • गुरु का महत्व: गुरु को ईश्वर तक पहुँचने का मार्गदर्शक माना गया।
  • लोकभाषा का प्रयोग: कवियों ने संस्कृत की जगह जनसामान्य की भाषा में रचनाएँ कीं।
  • आडंबरों का विरोध: बाह्य आडंबरों और कर्मकांडों का विरोध किया गया।
  • सामाजिक समानता: भक्ति आन्दोलन ने जाति, वर्ण और लिंग के आधार पर भेदभाव का विरोध किया।

भक्ति काल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

निर्गुण भक्ति धारा

  • निर्गुण भक्ति धारा में ईश्वर को निराकार और सर्वव्यापी माना जाता है।
  • इस धारा के कवि मूर्ति पूजा और अवतारवाद का विरोध करते हैं।
कबीरदास
  • कबीरदास निर्गुण भक्ति धारा के सबसे प्रमुख कवि हैं।
  • उनकी रचनाएँ 'कबीर ग्रंथावली' और 'बीजक' में संकलित हैं।
  • कबीर की भाषा सरल और सहज है, जिसमें उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया है।
  • उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में साखी, सबद और रमैनी शामिल हैं।
गुरु नानक
  • गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक हैं और निर्गुण भक्ति धारा के महत्वपूर्ण कवि हैं।
  • उनकी रचनाएँ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में संकलित हैं।
  • उन्होंने एकेश्वरवाद का प्रचार किया और धार्मिक आडंबरों का विरोध किया।
रैदास
  • रैदास एक चर्मकार थे और उन्होंने अपनी कविताओं में सामाजिक समानता का संदेश दिया।
  • वे कबीर के समकालीन थे और उनकी रचनाएँ भक्ति और वैराग्य से भरी हैं।

सगुण भक्ति धारा

  • सगुण भक्ति धारा में ईश्वर को साकार रूप में माना जाता है।
  • इस धारा के कवि विष्णु और उनके अवतारों की भक्ति करते हैं।
तुलसीदास
  • तुलसीदास सगुण भक्ति धारा के सबसे प्रमुख कवि हैं।
  • उन्होंने 'रामचरितमानस' की रचना की, जो हिंदी साहित्य की सबसे लोकप्रिय कृतियों में से एक है।
  • तुलसीदास ने राम के चरित्र को आदर्श रूप में प्रस्तुत किया है।
सूरदास
  • सूरदास कृष्ण भक्ति धारा के प्रमुख कवि हैं।
  • उन्होंने 'सूरसागर', 'सूरसारावली' और 'साहित्यलहरी' जैसी रचनाएँ लिखीं।
  • सूरदास ने कृष्ण के बाल रूप और लीलाओं का वर्णन किया है।
मीराबाई
  • मीराबाई कृष्ण की भक्त थीं और उनकी कविताएँ विरह और प्रेम की अभिव्यक्ति हैं।
  • उनकी रचनाएँ 'मीरा पदावली' में संकलित हैं।
  • मीराबाई ने राजसी जीवन त्यागकर कृष्ण की भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
नंददास
  • नंददास अष्टछाप के कवियों में से एक हैं और उन्होंने कृष्ण भक्ति में कई रचनाएँ की हैं।
  • उनकी प्रमुख रचनाओं में 'रास पंचाध्यायी' और 'भँवर गीत' शामिल हैं।

भक्ति काल के संप्रदाय

  • वारकरी संप्रदाय: यह संप्रदाय महाराष्ट्र में विकसित हुआ और विट्ठल (विष्णु) की भक्ति पर जोर देता है।
  • श्री संप्रदाय: रामानुजाचार्य द्वारा स्थापित, यह संप्रदाय विष्णु और लक्ष्मी की उपासना करता है।
  • ब्रह्म संप्रदाय: मध्वाचार्य द्वारा स्थापित, यह संप्रदाय द्वैतवाद का समर्थन करता है।
  • रुद्र संप्रदाय: विष्णुस्वामी द्वारा स्थापित, यह संप्रदाय शुद्ध द्वैतवाद का समर्थन करता है।
  • कुमार संप्रदाय: निम्बार्काचार्य द्वारा स्थापित, यह संप्रदाय द्वैताद्वैतवाद का समर्थन करता है।

भक्ति काल का प्रभाव

  • भक्ति आन्दोलन ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में मदद की।
  • इसने धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया।
  • भक्ति काल की कविता ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
  • इस काल की रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें भक्ति और प्रेम का मार्ग दिखाती हैं।

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