Bhagavad Gita: Karma Yoga, Chapter 1, Community Context
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Questions and Answers

कर्म योग का क्या महत्व है भागवत गीता में?

  • सुख की प्राप्ति
  • आत्मा का ध्यान
  • संतोष
  • कर्म को अर्पित करने और परमात्मा से जुड़ने का माध्यम (correct)
  • कर्म योग किसे विनिर्मित करता है?

  • लालची लोग
  • संतोषी लोग
  • परमात्मा के समर्पण के साथ-साथ कर्तृत्व (correct)
  • सुख चाहने वाले कर्म
  • कर्म योग के माध्यम से साधक किससे जुड़ता है?

  • पारिवारिक संबंधों से
  • परमात्मा से (correct)
  • संतों से
  • प्राकृतिक संसार से
  • किसका उद्देश्य है भागवत गीता में?

    <p>परमात्मा के समर्पण का अर्थ</p> Signup and view all the answers

    किसको समृद्धि चाहिए, भागवत गीता के अनुसार?

    <p>कर्म की समृद्धि</p> Signup and view all the answers

    कर्म योग के द्वारा सुख की प्राप्ति होने के लिए किस परमिश्री की आवश्यकता होती है?

    <p>प्रेमं</p> Signup and view all the answers

    इकाई 1 में क्या प्रारंभ होता है?

    <p>कर्म योग</p> Signup and view all the answers

    भागवत गीता के अनुसार, समस्त लोगों के लिए क्या किया जा सकता है?

    <p>संसारिक सुख और मुक्ति दोनों</p> Signup and view all the answers

    किस ग्रन्थ के पठन से भागवत गीता के पाठक को प्राकृतिक और विचारात्मक अभिनन्दन मिलता है?

    <p>वेद</p> Signup and view all the answers

    सामुदायिक संदर्भ के माध्यम से, किसमें भागवत गीता को शामिल किया गया है?

    <p>धर्मिक संगठन में</p> Signup and view all the answers

    किसकी प्राथमिकता को समझने के लिए बुद्धि बनाने के लिए, किसको पढ़ना चाहिए?

    <p>प्रमुख पुराण</p> Signup and view all the answers

    किस प्रकार के संस्कृति में सामुदायिक संदर्भ की प्रमुख भागियां हैं?

    <p><strong><em>संस्कृत</em></strong></p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    भागवत गीता के विषय: कर्म योग, इकाई 1, सामुदायिक संदर्भ

    भागवत गीता एक पूर्ण और बहुत प्रचलित पंचधामी श्रीमद् भागवत का एक महान श्लोकसमूह है। इसका आधुनिक नाम केवल गीता के रूप में प्रचलित हुआ है, लेकिन यह पुराणिक ग्रन्थ को कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे कर्म योग श्रिंहाला, सभ्य गीता आदि. भागवत गीता का प्रथम अध्याय (इकाई 1) के विषय पर यह पहल है।

    कर्म योग

    कर्म योग ने भागवत गीता का एक असाधारण तत्व बना दिया है। यह कर्म को अर्पित करने वाले से विनिर्मित कर्तृत्व के साथ-साथ परमात्मा के संयोग का माध्यम बनाता है। कर्म के द्वारा परमात्मा के समर्पण का अर्थ समृद्धि वा सुख चाहने वाले कर्मों का उद्देश्य विनिर्मूलन करता है.

    इकाई 1

    इकाई 1 का श्रवण करते हुए, वेद के साथ-साथ विष्णु पुराण, रामायण और महाभारत से बढ़ते हुए भागवत गीता का कथन प्रकट होता है. इस इकाई में कर्म योग का प्रारंभ होता है, परमात्मा के संस्कार से प्रभु को भक्ति के रूप में मानना वाला कर्ता का प्रयोग किया गया है.

    सामुदायिक संदर्भ

    भागवत गीता के मध्य से सामुदायिक संदर्भ के प्राथमिकता की प्रमुख भागियां हैं। इसके द्वारा भागवत गीता को विचारात्मक सामाजिक वा धर्मिक संगठन में शामिल किया गया है। भागवत गीता के अनुसरण के द्वारा समस्त लोगों का संसारिक सुख वा मुक्ति का उत्पादन किया जा सकता है.

    भागवत गीता को पढ़ने वाले किसी भी व्यक्ति को विष्णु पुराण वा वेद के श्रवण से अनुकूल प्राकृतिक और विचारात्मक अभिनन्दन देता है। यह ग्रन्थ का उद्देश्य नहीं कि कोई विषय के बारे में विशवास करना हो, किन्तु वेद की प्राथमिकता और परमात्मा के भक्ति के साथ परम सुख वा मुक्ति के साधन के लिए बुद्धि बनाना है. भागवत गीत

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    Description

    Explore the teachings of the Bhagavad Gita, focusing on Karma Yoga and the significance of Chapter 1 within the community context. Understand how the Gita integrates spiritual, social, and religious dimensions to guide individuals towards worldly happiness and liberation.

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