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Questions and Answers
नरर्सम्हा राव के नेतृत्व में अवर्ध योजना की अवधि क्या थी?
नौवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य क्या था?
दसवीं पंचवर्षीय योजना का विकास लक्ष्य क्या था?
नौवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का नेतृत्व किसने किया?
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आर्थि क योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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अच्छी आर्थि क योजना के लिए आवश्यक तत्वों में से कौन सा तत्व शामिल नहीं है?
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आर्थि क योजना किस आधार पर बनाई जाती है?
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आर्थि क योजना के निर्माण में किस प्रकार का अध्ययन आवश्यक है?
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आर्थि क योजना में 'चुनाव का तत्व' किसे संदर्भित करता है?
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एच डी नडनकिंसन के अनुसार आर्थि क योजना का क्या मुख्य निहितार्थ है?
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आर्थि क योजना में जोखिमों का निर्धारण क्यों आवश्यक है?
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अच्छी आर्थि क योजना की अनिवार्यता का क्या आशय है?
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योजना का गठन किस प्रक्रिया का पहला चरण है?
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योजना परिवर्तनों के प्रभावी मानिटरिंग के लिए किसकी आवश्यकता होती है?
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योजना आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
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केंद्रीय योजना आयोग किसके साथ मिलकर योजना का कार्यान्वयन करता है?
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नीतिगत आयोग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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योजना की निगरानी किस प्रकार से की जाती है?
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किस एजेंसी द्वारा योजनाओं की निगरानी की जाती है?
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योजनाओं को तैयार करने में कौन सी बात महत्वपूर्ण है?
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केंद्रीय योजना आयोग के मूल कार्यों में एक क्या है?
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योजना आयोग द्वारा पेश की गई अंतिम रिपोर्ट किसके सामने पेश की जाती है?
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राजीव कुमार की पूर्थकाललक समिति में कितने सदस्य हैं?
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किस मंत्री का नाम पदेन सदस्य की सूची में नहीं है?
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डॉ.वी.के.पॉर् किस श्रेणी में आते हैं?
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री कौन हैं?
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भारत में प्रभावी शासन के लिए कौन-सा तत्व आवश्यक है?
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सुशासन के कौन-से स्तंभ का जोर समाज की आवश्यकताओं की आशंका और प्रमदिया पर है?
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किस मंत्री का पद 'ग्रामीण विकास मंत्री' है?
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सुशासन के स्तंभों का लक्ष्य क्या है?
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किस मंत्री को केंद्रीय मवत्त और कॉपोरेट मामर्ों की मंत्री का पद सौंपा गया है?
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सरकार की भूमिका को सुशासन में कैसे वर्णित किया जा सकता है?
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सामार्जक न्याय एवं अर्धकारिता मंत्री कौन हैं?
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कितने मंत्री 'धिशेष आमंधितगर्' की श्रेणी में हैं?
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भारत में सुशासन के लिए कौन-सा दृष्टिकोण अनिवार्य है?
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किस सदस्य का नाम इस सूची में नहीं है?
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सुविधाजनक सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को किस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
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किस मंत्री का पद 'रक्षा मंत्री' है?
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सुशासन का प्रमुख फ़ोकस क्या होना चाहिए?
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भारत में प्रभावी शासन के लिए सरकार को किस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए?
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सुशासन के स्तंभों के अनुसार, सरकार की भूमिका कैसी होती है?
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सुशासन में महत्वपूर्ण पहलू कौन-सा है?
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नौवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विकास का लक्ष्य क्या था?
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दसवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
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नरसंहमा राव के नेतृत्व में योजना की किस अवधि को 5.6% की क्षेत्रीय विकास दर मिली?
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दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विकास की वास्तविक दर क्या थी?
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अच्छी आर्थि क योजना में कौन सा तत्व विशेष रूप से विकास लक्ष्यों की ओर इशारा करता है?
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आर्थि क योजना का 'चुनाव का तत्व' किसका चुनाव करने का कार्य करता है?
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अच्छी आर्थि क योजना की अनिवार्यता में निम्नलिखित में से कौन सा घटक शामिल है?
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आर्थि क योजना की परिभाषा के अनुसार, यह किस आधार पर कार्य करती है?
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एच डी नडनकिंसन के अनुसार आर्थि क योजना के लिए आवश्यक अध्ययन किस प्रकार का होता है?
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आर्थि क योजना का लक्ष्य क्या है?
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अर्थशास्त्र में आर्थि क योजना में कौन सी स्थिति प्राथमिक होती है?
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अच्छी आर्थि क योजना के लिए आवश्यकता के प्रति ध्यान केंद्रित करने का क्या अर्थ है?
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राजीव कुमार की पूर्थकाललक समिति में शामिल सदस्यों की कुल संख्या कितनी है?
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किस मंत्री का नाम पदेन सदस्य की सूची में नहीं है?
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डॉ. वी.के.पॉर् किस श्रेणी में आते हैं?
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री कौन हैं?
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केंद्रीय मवत्त और कॉपोरेट मामर्ों की मंत्री कौन हैं?
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कितने मंत्री 'धिशेष आमंधितगर्' की श्रेणी में हैं?
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किस मंत्री का पद 'ग्रामीण विकास मंत्री' है?
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सामार्जक न्याय एवं अर्धकारिता मंत्री कौन हैं?
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श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पास कौन-सा मंत्रालय है?
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किस सदस्य का नाम इस सूची में नहीं है?
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तीसरी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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चौथी पंचवर्षीय योजना के दौरान किस क्षेत्र में प्रमुखता दी गई थी?
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पांचवीं पंचवर्षीय योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य क्या था?
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रोलिंग प्लान के अंतर्गत किस प्रकार की योजनाएं शामिल थीं?
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छठी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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सातवीं पंचवर्षीय योजना के तहत किन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई?
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तीसरी पंचवर्षीय योजना असफल क्यों रही?
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पांचवीं पंचवर्षीय योजना का क्रियान्वयन किसने किया था?
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योजना के गठन का पहला चरण क्या है?
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किस चरण में योजना आयोग एक छोटा ज्ञापन तैयार करता है?
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किस पंचवर्षीय योजना के दौरान भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ?
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आठवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य क्या था?
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योजना का पयथीक्षण किसके द्वारा किया जाता है?
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राष्ट्रीय मवकास आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
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किस तत्व को अच्छी आर्थि क योजना में अनिवार्य माना जाता है?
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नीति आयोग की स्थापना किस उद्देश्य से की गई थी?
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जन्मजात न्याय को ध्यान में रखते हुए योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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आर्थि क विकास में आत्मनिर्भरता बनाए रखने के लिए क्या आवश्यक है?
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योजना आयोग की योजना का अंतिम परिणाम क्या होता है?
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योजना में आर्थिक असंतुलन को कम करने के लिए क्या किया जाता है?
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नौवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य केंद्र बिंदु क्या था?
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दसवीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य क्या था?
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान किस अवधि के लिए यह योजना लागू की गई थी?
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नरसंहमा राव के नेतृत्व में योजना के दौरान किस वृत्ति दर को हासिल किया गया था?
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नौवीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत किस खास अवसर पर की गई थी?
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आर्थि क योजना में 'चुनाव का तत्व' किसका चुनाव करता है?
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अच्छी आर्थि क योजना के लिए निम्नलिखित में से कौन सा तत्व अनिवार्य नहीं है?
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एच डी नडनकिंसन के अनुसार आर्थि क योजना का मुख्य निहितार्थ क्या है?
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अच्छी आर्थि क योजना में उपलब्ध संसाधनों का क्या महत्व है?
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आर्र्ि क योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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अच्छी आर्थि क योजना की योजना बनाने हेतु किस प्रकार के अध्ययन की आवश्यकता होती है?
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आर्थि क योजना के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन सा है?
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अच्छी आर्थि क योजना की अनिवार्यता का क्या आशय है?
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पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य फोकस किस पर था?
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कौन सी योजना जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 1951 से 1956 तक थी?
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किस योजना के अंतर्गत भारत में पाँच प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए थे?
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किस मॉडल पर पहली पंचवर्षीय योजना आधारित थी?
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दूसरी पंचवर्षीय योजना के कार्यान्वयन की अवधि क्या थी?
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दूसरी पंचवर्षीय योजना को किसकी परिकल्पना के तहत लागू किया गया था?
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पहली पंचवर्षीय योजना की विकास दर कितनी प्रतिशत थी?
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पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान कितने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए थे?
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किस योजना को भारत की औद्योगिक नीति के लिए आधार माना जाता है?
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सुशासन के किस स्तंभ का उद्देश्य समाज के संग्रह की आकांक्षाओं को पूरा करना है?
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भारत में प्रभावी शासन के लिए सरकार को किस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
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सुशासन में सरकार की भूमिका को कैसे वर्णित किया जा सकता है?
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सुशासन के स्तंभों में से कौन-सा राजनीतिक और आर्थिक रूप से दुनिया के संपूर्ण एकीकरण को संदर्भित करता है?
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योजना की प्रक्रिया में पहले चरण का नाम क्या है?
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सुशासन में सहभागिता का क्या महत्व है?
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नैतिक आयोग के गठन का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
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सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं के तहत प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?
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सुशासन के संबंध में संवैधानिक नीति का क्या तथ्य है?
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एक योजना की प्रगति की निगरानी किसके द्वारा की जाती है?
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सुशासन की विशेषताएँ क्या होती हैं?
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योजना निर्माण में पयथवेक्षण की आवश्यकता क्यों होती है?
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किस पहलू को भारत में सुशासन के स्थायित्व के लिए आवश्यक माना जाता है?
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योजना आयोग द्वारा प्रस्तुत मसौदा योजना का अंतिम रूप किसके समक्ष पेश किया जाता है?
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विभिन्न बिंदुओं से जानकारी एकत्र करने के लिए योजना आयोग किसका अध्ययन करता है?
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योजना का संचालन किसके द्वारा किया जाता है?
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नीति आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
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राष्ट्रीय विकास योजना में कितने साल का समय अवधि निर्धारित की जाती है?
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जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए योजना में कौन सा तत्व शामिल किया जाता है?
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किस पंचवर्षीय योजना में 'न्याय और निष्पक्षता के समाचार विकास' पर ध्यान केंद्रित किया गया था?
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किस योजना के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय को अगले 10 वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था?
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
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किस योजना ने 7% के विकास लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता हासिल की?
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नरसंहमा राव के नेतृत्व में जब योजना की अवधि 1992 से 1997 तक थी, तब विकास दर क्या थी?
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आर्थि क योजना में चुनाव का तत्व किस विशेषता का प्रदर्शन करता है?
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अच्छी आर्थि क योजना की अनिवार्यता में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व शामिल नहीं है?
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आर्थि क योजना का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
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अच्छी आर्थि क योजना में शामिल आवश्यक तत्वों में से कौन सा तत्व अधिक महत्वपूर्ण है?
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आर्थि क योजना में संसाधनों की व्यवस्था को किस तरीके से समझा जा सकता है?
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एच डी नडनकिंसन के अनुसार आर्थि क योजना का मुख्य निहितार्थ क्या है?
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आर्थि क योजना का संदर्भ किस प्रकार के अध्ययन पर आधारित होता है?
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अच्छी आर्थि क योजना के लिए आवश्यक तत्वों में से कौन सा तत्व निहित है?
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तीसरी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कौन से विशेषताएँ लाई गईं?
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चार्तवीं पंचवर्षीय योजना का नेतृत्व किसने किया?
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सातवीं पंचवर्षीय योजना का विकास लक्ष्य क्या था?
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छठी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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रोलिंग योजना के अंतर्गत कितनी योजनाएँ पेश की गईं?
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चौथी पंचवर्षीय योजना की असफलता के कारण क्या थे?
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पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के तहत कौन सा कार्यक्रम शुरू किया गया था?
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तीसरी पंचवर्षीय योजना के समय भारत को किन दो युद्धों का सामना करना पड़ा?
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पाँचवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य ध्यान किन मुद्दों पर था?
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पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य फोकस किस क्षेत्र पर था?
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दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान क्या मुख्य उद्देश्य था?
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किस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत देश में पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए?
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किस मॉडल की आधार पर पहली पंचवर्षीय योजना बनाई गई थी?
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क्रद्वतीय पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
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पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान देश की विकास दर क्या थी?
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पंचवर्षीय योजनाओं में पारदर्शिता का उपयोग किस लिए किया जाता है?
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जरूरतमंदों के लिए आर्थिक नीति में समानता का क्या महत्व है?
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सरकार द्वारा विकसित 'सामाजिक सुरक्षा' का क्या उद्देश्य है?
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अवधि 1951 से 1956 तक कौन सी पंचवर्षीय योजना लागू की गई थी?
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योजना आयोग द्वारा स्थापत्य की गई योजना का कौन सा चरण सबसे पहले होता है?
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राष्ट्रीय मवकास पररर्द द्वारा पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा कब तैयार की जाती है?
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योजना आयोग का मुख्य उद्देश्य किससे संबंधित है?
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नीतिगत आयोग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है?
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योजना के पयथिेक्षर् का उद्देश्य क्या है?
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योजना का किन बातों पर ध्यान केंद्रीत करना आवश्यक होता है?
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योजना के निर्माण में वित्तीय संतुलन बनाए रखने के लिए किन तत्वों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है?
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पंचवर्षीय योजनाओं में सुधार लाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?
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योजना आयोग का प्रमुख कार्य किससे संबंधित है?
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Study Notes
आर्थिक योजना
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आर्थिक योजना का अर्थ है संसाधनों का इस तरह से प्रबंधन करना कि उनके वैकल्पिक उपयोगों की जरूरतों को पूरा करते हुए अधिकतम संतुष्टि मिले।
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आर्थिक योजना में संसाधनों के बीच चुनाव करना शामिल है - बीसी टंडन।
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आर्थिक योजना महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णयों का निर्धारण करती है - एक निश्चित प्राथमिकता क्रम के साथ, मौजूदा और संभावित संसाधनों के व्यापक अध्ययन और लोगों की आवश्यकताओं के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन पर आधारित है। - एचडी नडनकिंसन।
अच्छी आर्थिक योजना की आवश्यकताएँ
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आर्थिक योजना देश के प्रारंभिक संसाधनों पर आधारित होती है जिसमें मानव संसाधनों और घरेलू संसाधनों की वर्तमान और भविष्य में उपलब्धता की सावधानीपूर्वक सूची शामिल होती है।
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यह एक निश्चित समय सीमा के लिए संभावित उत्पादन का आकलन करता है।
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यह उन संभावित नीतियों का पता लगाती है जो एक निश्चित समय सीमा के लिए संभावित उत्पादन को प्रारंभिक संसाधनों से हासिल करने की अनुमति देती हैं, जिसमें अंतः-क्षेत्रीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए विदेशों से आयात (ऋण या उपहार के माध्यम से) और घरेलू निवेश के माध्यम से प्रारंभिक संसाधनों से उत्पादित किया जा सकता है।
योजना की प्रक्रिया
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योजना का गठन:
- योजना आयोग विभिन्न मंत्रालयों या आर्थिक विशेषज्ञों की सलाह से एक मसौदा योजना तैयार करता है।
- योजना आयोग दो एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्टों के माध्यम से तकनीकी संभावनाओं, सिफारिशों, सुझावों और आवश्यकताओं का आकलन करता है - एक प्रारंभिक और दूसरा अंतिम।
- अंतिम मसौदा एक व्यापक, सुसंगत और अच्छी तरह से तैयार दस्तावेज है।
- योजना आयोग तकनीकी संभावनाओं, अर्थव्यवस्था के मूलभूत सिद्धांतों, बुनियादी आवश्यकताओं और विकास के विभिन्न तरीकों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद लंबे समय के लिए, अर्थात पंद्रह या बीस वर्षों के लिए, कुछ समय के लिए सामान्य रूप से निश्चित रूप से लक्ष्य निर्धारित करता है।
- बाद में योजना आयोग मंत्रिमंडल और राष्ट्रीय विकास परिषद के समक्ष विचार के लिए एक छोटा ज्ञापन तैयार करता है।
- राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा किए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा तैयार की जाती है और यह योजना लागू होने से कई महीने पहले प्रकाशित की जाती है।
- इसे संसद के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है और बाद में इसे विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य निकायों और राज्य सरकारों को भेजा जाता है। संक्षेप में, इन प्रस्तावों पर पत्रकारों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में व्यापक रूप से चर्चा की जाती है।
- अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाती है और इसे मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय विकास परिषद और अंत में संसद के समक्ष मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
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योजना का निष्पादन या कार्यान्वयन:
- आंशिक रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाओं में, केन्द्रीय योजना आयोग एक समन्वयक निकाय है और योजना का निष्पादन केंद्रीय प्रशासन को सौंपा जाता है, जिसमें सरकार की विभिन्न एजेंसियां और विभाग शामिल होते हैं।
- प्रारंभिक चरणों में, केन्द्रीकरण की आंशिक संभावना होती है, इसके बाद के चरण में, विकेंद्रीकरण प्रभावी नियंत्रण और प्रशासन लाता है।
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योजना का पर्यवेक्षण:
- योजना का पर्यवेक्षण योजना की सफलताओं में से एक है। पर्यवेक्षण को उनके निष्पादन से अलग किया जाना चाहिए और कुछ विशेष निकाय द्वारा किया जाना चाहिए।
- इसलिए, योजनाओं के निष्पादन की लगातार निगरानी की आवश्यकता होती है क्योंकि यह समय-समय पर विफलताओं और कमियों का पता लगाने में मदद करता है।
- निरंतर पर्यवेक्षण योजना के समग्र कार्यान्वयन में सुधार करता है। भारत में, पर्यवेक्षण योजना एजेंसी या एक विशेष एजेंसी द्वारा किया जाता है। कार्यान्वयन मूल्यांकन संगठन, जो एक निष्पक्ष निकाय है, योजनाओं की निगरानी करता है।
भारत में योजना के मुख्य उद्देश्य
- आर्थिक विकास
- आर्थिक समानता और व्यापक न्याय बनाए रखना
- पूर्ण रोजगार की प्राप्ति
- आर्थिक आत्मनिर्भरता बनाए रखना
- विभिन्न क्षेत्रों का आधुनिकीकरण
- अर्थव्यवस्था में असंतुलन को कम करना
- व्यापक और संधारणीय विकास
- आर्थिक स्थिरता
- जीवन स्तर में वृद्धि
योजना आयोग
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योजना आयोग का गठन मार्च 1950 में एक अंतर-राज्यीय सांविधिक और कोई सांविधिक निकाय के रूप में नहीं किया गया था, जो भारत सरकार के एक निकाय द्वारा निम्नलिखित कार्यों के लिए है:
- देश के भौतिक पूंजी और मानव संसाधनों का आकलन करना और इस तरह के संसाधनों को बढ़ाने की संभावनाओं की जांच करना, देश की आवश्यकता के संबंध में कमी का पता लगाना।
- देश के संसाधनों के सबसे प्रभावी और संतुलित उपयोग के लिए एक योजना तैयार करना, जो जीवन स्तर को ऊपर उठाते हुए विकास की एक प्रक्रिया शुरू करेगा।
- उन कारकों पर विचार करना, जो आर्थिक विकास को धीमा कर रहे हैं और इस शर्त को पूरा करने की आवश्यकता है कि योजना के समग्र निष्पादन के लिए वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखा जाना चाहिए।
- पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए इसके सभी पहलुओं में योजना के प्रत्येक चरण के समग्र कार्यान्वयन को सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक होगा।
- समय-समय पर योजना के प्रत्येक चरण के निष्पादन में हासिल की गई प्रगति और नीति समायोजन की सिफारिश करना और ऐसे उपाय बताना आवश्यक हो सकता है।
- योजना आयोग का मुख्य कार्य एक राष्ट्रीय योजना तैयार करना था, जिसका अर्थ है पंचवर्षीय योजनाओं का वार्षिक योजनाओं में टूट जाना।
नीति आयोग
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राष्ट्रीय संस्थान परिवर्तनकारी भारत के लिए, जिसे नीति आयोग भी कहा जाता है, का गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था।
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नीति आयोग भारत सरकार की प्रमुख नीति 'विचार समूह' है, जो दिशानिर्देश और नीतिगत दोनों प्रकार प्रदान करता है। भारत सरकार के लिए रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करते हुए, नीति आयोग केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।
उद्देश्य और सुधार
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उद्देश्य:
- राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों की एक साझा दृष्टि विकसित करना।
- निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, यह पहचानना कि मजबूत राज्य एक मजबूत राष्ट्र बनाते हैं।
- गांव स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं बनाने के लिए तंत्र विकसित करना और सरकार के उच्च स्तरों पर इन्हें उत्तरोत्तर विकसित करना।
- यह सुनिश्चित करने के लिए, उन क्षेत्रों पर, जो विशेष रूप से इसके लिए संदिग्ध हैं, कि आर्थिक सुरक्षा और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है।
- हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं होने के जोखिम में हो सकते हैं।
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति और कार्यक्रम ढाँचे और पहलों को डिजाइन करने के लिए, और उनकी प्रगति और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करें। निगरानी और प्रक्रियाओं के माध्यम से सीखे गए पाठों का उपयोग नवीन सुधार करने के लिए किया जाएगा, जिसमें आवश्यक मध्य-पर् सुधार भी शामिल हैं।
- प्रमुख हितधारकों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समान विचारधारा वाले विचार समूह के साथ-साथ शैक्षणिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, चिकित्सकों और अन्य भागीदारों के एक सहयोगी समुदाय के माध्यम से एक ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली बनाने के लिए।
- विकास के एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना।
- एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाए रखने के लिए, सुशासन और संधारणीय और समावेशी विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ हितधारकों को उनके प्रसार में मदद करने के लिए अनुसंधान का एक भंडार हो।
- आवश्यक संसाधनों की पहचान सहित कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन की सक्रिय निगरानी और मूल्यांकन करना, ताकि सफलता की संभावना और प्रसार की गुंजाइश को मजबूत किया जा सके।
- कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
- राष्ट्रीय विकास एजेंडा के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए और उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अन्य गतिविधियाँ करना आवश्यक हो सकता है।
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विशेषताएं: _ नीति आयोग खुद को एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवश्यक संसाधन, ज्ञान और कौशल हैं जो इसे गति के साथ कार्य करने, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकार के लिए रणनीतिक नीति दृष्टि प्रदान करने और अभिनव मुद्दों से निपटने में सक्षम करेगा।
- नीति आयोग की संपूर्ण गतिविधियों को चार मुख्य स्तंभों में विभाजित किया जा सकता है:
नीति आयोग की वर्तमान संरचना
- अध्यक्ष: श्री नरेन्द्र मोदी, माननीय प्रधान मंत्री
- उपाध्यक्ष: डॉ. राजीव कुमार
- पूर्णकालिक सदस्य:
- श्री वी.के. सारस्वत
- प्रो. रमेश चंद
- डॉ. वी.के. पॉर्
- पदेन सदस्य:
- श्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
- श्री अमित शाह, गृह मंत्री
- श्रीमती निर्मला सीतारामन, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री
- श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री।
- विशेष आमंत्रितगण:
- श्री नितिन जयराम गडकरी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री; सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री
- श्री रविशंकर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री; संचार मंत्री
- श्री पीयूष गोयल, रेल मंत्री; और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
- श्री राव इंद्रजीत सिंह, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी: श्री अमिताभ कांत
सुशासन के सात स्तंभ
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'राष्ट्रीय उद्देश्यों' को प्राप्त करने में सरकार की भूमिका समय के साथ बदल सकती है, लेकिन यह हमेशा महत्वपूर्ण रहेगी।
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सरकार उन नीतियों को पूरा करती रहेगी जो देश की आवश्यकताओं की आशा और प्रतीक्षा करती हैं और नागरिकों के लाभ के लिए उन्हें उचित तरीके से कार्यान्वित करती हैं।
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राजनीतिक और आर्थिक रूप से दुनिया के साथ निरंतर एकीकरण को सरकार की कार्यप्रणाली के साथ-साथ नीति निर्माण में भी शामिल करना होगा।
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संक्षेप में, भारत में प्रभावी शासन निम्नलिखित 'स्तंभों' पर निर्भर करेगा:
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समाज के साथ-साथ व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला एक समर्थक-जन एजेंडा;
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अपनी आवश्यकताओं की आशंका और प्रतीक्षा में अग्रसक्रिय होना;
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सहभागी, नागरिकता की भागीदारी से
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नरसिम्हा राव के नेतृत्व में इसकी अवधि 1992 से 1997 तक रही।
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इस योजना में मानव संसाधनों के विकास यानी रोजगार, शिक्षा और सावर्जानिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
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इस योजना के दौरान, नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नई आर्थिक नीति शुरू की।
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यह योजना सफल रही और 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर मिली।
नौवीं पंचवर्षीय योजना
- इसकी अवधि 1997 से 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में रही।
- इस योजना का मुख्य केंद्र "न्याय और निष्पक्षता के साथ विकास" था।
- यह भारत की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में शुरू की गई थी।
- यह योजना 7% के विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रही और 5.6% की वृद्धि दर हासिल की।
दसवीं पंचवर्षीय योजना
- इसकी अवधि अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2002 से 2007 तक रही।
- इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना है।
- इसका लक्ष्य 2012 तक 15% गरीबी दर को कम करना है।
- इसका विकास लक्ष्य 8.0% था, लेकिन इसने केवल 7.2% हासिल किया।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना
- इसकी अवधि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2007 से 2012 तक रही।
- इसे सी.
आर्थिक योजना का अर्थ
- आर्थिक योजना का मतलब है कि सीमित संसाधनों का आवंटन करना जो विभिन्न उपयोगों के लिए प्रतिस्पर्धी हैं, ताकि उत्पादित संतुष्टि अधिकतम स्तर पर बनी रहे।
- आर्थिक नियोजन में उपलब्ध सीमित साधनों के बीच चुनाव करने का तत्व भी शामिल है - बीसी टंडन
- आर्थिक नियोजन प्रमुख आर्थिक निर्णयों का समन्वय है - एक नियोजित प्राथमिकता के साथ एक सचेत निर्णय द्वारा, किसी देश के मौजूदा और संभावित संसाधनों के व्यापक सर्वेक्षण और लोगों की आवश्यकताओं के समग्र अध्ययन के आधार पर - एच डी नडनकिंसन
अच्छी आर्थिक योजना की आवश्यकताओं
- अच्छी आर्थिक योजना देश के प्रारंभिक संसाधनों पर आधारित होती है, जो मानव श्रम और घरेलू संसाधनों की वर्तमान और भावी उपलब्धता की सावधानीपूर्वक सूची प्रस्तुत करती है।
- यह समय सीमा के लिए संभव लक्ष्यों या लक्ष्यों को परिभाषित करता है।
- यह उन संभावित नीतियों को परिभाषित करता है जो समय सीमा के लिए लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुमति देती हैं, जो मध्यवर्ती आर्थिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए विदेशों से आयात किए जा सकते हैं (ऋण या उपहार के माध्यम से) और घर में प्रारंभिक संसाधनों से घरेलू निवेश के तंत्र द्वारा उत्पादित किए जा सकते हैं।
योजना की प्रक्रिया
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योजना का गठन: योजना का सूत्रीकरण योजना का पहला चरण है। योजना आयोग विभिन्न मंत्रालयों या आर्थिक विशेषज्ञों के परामर्श से एक मसौदा योजना तैयार करता है।
- अंतिम रूप से, पिछले अनुभवों और भावी जरूरतों के आधार पर व्यक्तिगत दृष्टिकोण योजनाएं तैयार की जाती हैं।
- योजना आयोग दोनों स्रोतों - शीर्ष और नीचे से - द्वारा दी गई रिपोर्टों के आधार पर संपूर्ण संभावनाएं, सिफारिशें, सुझावों और आवश्यकताओं का मूल्यांकन करता है।
- अंतिम मसौदा एक व्यापक, सुसंगत और अच्छी तरह से बनाया गया दस्तावेज है।
- सबसे पहले, योजना आयोग तकनीकी संभावनाओं, अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों और बुनियादी जरूरतों और विकास के विभिन्न तरीकों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने के बाद, एक लंबी अवधि के लिए, अर्थात पंद्रह या बीस वर्षों के लिए, सामान्य रूप से कुछ समय के लिए निश्चित लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं।
- दूसरे चरण में, आयोग एक छोटा ज्ञापन तैयार करता है जिसे मंत्रिमंडल और राष्ट्रीय विकास परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
- तीसरे चरण में, राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा किए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए, पंचवर्षीय योजना की एक रूपरेखा तैयार की जाती है और यह योजना लागू होने से कई महीने पहले प्रकाशित की जाती है।
- इसे विचार-विमर्श के लिए संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और बाद में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य निगमों और राज्य सरकारों को भेजा जाता है। संक्षेप में, इन प्रस्तावों पर पत्रकारों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में व्यापक रूप से चर्चा की जाती है।
- फिर, अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाती है और मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय विकास परिषद और अंत में संसद के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाती है
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योजना का निष्पादन या कार्यान्वयन: अर्ध-समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं में, केंद्रीय योजना आयोग एक सलाहकार निकाय है और योजना का कार्यान्वयन केंद्रीय प्रशासन को सौंपा जाता है, जिसमें सरकार की विभिन्न एजेंसियां और विभाग शामिल हैं।
- प्रारंभिक चरणों में, केंद्रीकरण की अर्ध-संभावना होती है, लेकिन बाद के चरण में, विकेंद्रीकरण प्रभावी नियंत्रण और प्रशासन प्रदान करता है।
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योजना का पर्यवेक्षण: योजना का पर्यवेक्षण सफल योजना की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। पर्यवेक्षण को उनके निष्पादन के साथ किया जाना चाहिए और कुछ विशेेष निकाय द्वारा किया जाना चाहिए।
- इसलिए, योजनाओं के निष्पादन के लिए निरंतर पर्यवेक्षण की आवश्यकता है क्योंकि यह समय-समय पर विफलताओं और कमियों का पता लगाने में मदद करता है।
- लगातार पर्यवेक्षण योजना के समग्र कार्यान्वयन में सुधार करता है। भारत में, पर्यवेक्षण योजना एजेंसी या एक विशिष्ट एजेंसी द्वारा किया जाता है। कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन जो एक स्वतंत्र निकाय है, योजनाओं की निगरानी करता है।
भारत में योजना के प्रमुख उद्देश्य
- आर्थिक विकास।
- आर्थिक समानता और व्यापक न्याय बनाए रखना।
- पूर्ण रोजगार प्रदान करना।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता बनाए रखना।
- विभिन्न क्षेत्रों का आधुनिकीकरण करना।
- अर्थव्यवस्था में असंतुलन को कम करना।
- व्यापक और टिकाऊ विकास।
- आर्थिक स्थिरता।
- आर्थिक विकास।
- जीवन स्तर में वृद्धि।
योजना आयोग
- मार्च 1950 में योजना आयोग एक अंतर-सांविधिक और कोई सांविधिक निकाय नहीं था, जो निम्न कार्यों के साथ भारत सरकार के एक संस्थान के रूप में है:
- तकनीकी कमितयों सहित देश की भौतिक पूंजी और मानव संसाधनों का मूल्यांकन करने और देश की आवश्यकता के संबंध में इस तरह के संसाधनों को बढ़ाने की संभावनाओं की जांच करने के लिए कमी पाई जाती है।
- देश के संसाधनों के सबसे प्रभावी और संतुलित उपयोग के लिए एक योजना तैयार करना, जो जीवन स्तर को ऊपर उठाते हुए विकास की एक प्रक्रिया शुरू करेगा।
- उन कारकों को ध्यान में रखने के लिए, जो आर्थिक विकास को मंद कर रहे हैं और इस शर्त को परिभाषित करते हैं कि वर्तमान समग्र और राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए योजना के समग्र कार्यान्वयन के लिए स्थापित किया जाना चाहिए।
- प्रकृति को शामिल करने के लिए इसके सभी पहलुओं में योजना के प्रत्येक चरण के कार्यान्वयन को सुरक्षित करने के लिए यह आवश्यक होगा।
- समय-समय पर योजना के प्रत्येक चरण के निष्पादन में हुई प्रगति और नीति के समायोजन की सिफारिश करना और ऐसे उपायों को बताना आवश्यक हो सकता है।
- योजना आयोग का मुख्य कार्य एक राष्ट्रीय योजना तैयार करना था, जिसका अर्थ है पंचवर्षीय योजनाओं का वार्षिक योजनाओं में विभाजन।
नीति आयोग
- राष्ट्रीय संस्थान परिवर्तनकारी भारत के लिए, जिसे नीति आयोग भी कहा जाता है, का गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था।
- नीति आयोग भारत सरकार की प्रमुख नीति "थिंक टैंक" है, जो दोनों दृष्टि और नीतिगत परामर्श प्रदान करता है। भारत सरकार के लिए रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करते हुए, नीति आयोग केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।
नीति आयोग के उद्देश्य और सुधार
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उद्देश्य
- राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतिक दृष्टिकोणों की एक साझा दृष्टि विकसित करना।
- निरंतर आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन पद्धतियों और तंत्र के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, यह पहचानना कि मजबूत राज्य एक मजबूत राष्ट्र बनाते हैं।
- ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएँ बनाने के लिए तंत्र विकसित करना और सरकार के उच्च स्तरों पर उन्हें उत्तरोत्तर विकसित करना।
- यह सुनिश्चित करने के लिए, उन क्षेत्रों पर जो विशेष रूप से इसके लिए संदर्भित हैं, कि आर्थिक सुरक्षा और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के आयामों को शामिल किया गया है।
- हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं होने के जोखिम में हो सकते हैं।
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति और कार्यक्रम ढाँचे और पद्धतियों को डिजाइन करने के लिए, और उनकी प्रगति और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करें। निगरानी और मूल्यांकन के माध्यम से सीखे गए पाठों का उपयोग नवीन सुधार करने के लिए किया जाएगा, जिसमें आवश्यक मध्य-पद सुधार भी शामिल हैं।
- प्रमुख हितधारकों और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समान विचारधारा वाले विचारक समूह के साथ-साथ शैक्षणिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को प्रोत्साहित और प्रोत्साहित करने के लिए।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, चिकित्सकों और अन्य भागीदारों के एक सहयोगी समुदाय के माध्यम से एक ज्ञान, नवाचार और उद्यमिता सहायता प्रणाली बनाने के लिए।
- विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन को तेज करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना।
- एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाने के लिए, सुशासन और टिकाऊ और समावेशी विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ हितधारकों को उनके प्रसार में मदद करने के लिए अनुसंधान का एक भंडार हो।
- आवश्यक संसाधनों की पहचान सहित कार्यक्रमों और पद्धतियों के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन करना, ताकि सफलता की संभावना और प्रसार की गुंजाइश को मजबूत किया जा सके।
- कार्यक्रमों और पद्धतियों के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
- राष्ट्रीय विकास एजेंडा के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए और उपरोक्त उल्लिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अन्य गतिविधियाँ करना आवश्यक हो सकता है
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विशेषताएं
- नीति आयोग खुद को एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवश्यक संसाधन, ज्ञान और कौशल हैं, जो इसे गति के साथ काम करने, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकार के लिए रणनीतिक नीतिगत दृष्टि प्रदान करने और आक्रामक मुद्दों से निपटने में सक्षम करेगा।
- नीति आयोग की समग्र गतिविधियों को चार मुख्य स्तंभों में विभाजित किया जा सकता है:
नीति आयोग की वर्तमान संरचना
- अध्यक्ष: श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधान मंत्री
- उपाध्यक्ष: डॉ. राजीव कुमार
- पूर्णकालिक सदस्य:
- श्री वी.के. सारस्वत
- प्रो. रमेश चंद
- डॉ. वी.के. पॉर्
- पद से सदस्य:
- श्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
- श्री अमित शाह, गृह मंत्री
- श्रीमती निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री
- श्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्री, पंचायती राज मंत्री
- विशेष आमंत्रितगर्:
- श्री नितिन जयराम गडकरी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री; सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री
- श्री रावरचंद गहलोत, समावेशी न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
- श्री पीयूष गोयल, रेल मंत्री; और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री
- महानुभाव मॉडल पर आधारित है
भारत में पंचवर्षीय योजनाएं
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पहली पंचवर्षीय योजना (1951-1956)
- इसका मुख्य फोकस देश के औद्योगिक विकास पर था।
- यह योजना अपने लक्ष्य की विकास दर 4.5% से पीछे है और विकास दर 4.27% हासिल की।
- हालांकि, इस योजना की कई विशेषज्ञों ने आलोचना की और परिणामस्वरूप, भारत को वर्ष 1957 में भुगतान संकट का सामना करना पड़ा।
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दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961)
- यह योजना अपने लक्ष्य की विकास दर 4.5% से पीछे है और विकास दर 4.27% हासिल की।
- हालांकि, इस योजना की कई विशेषज्ञों ने आलोचना की और परिणामस्वरूप, भारत को वर्ष 1957 में भुगतान संकट का सामना करना पड़ा।
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तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-1966)
- यह जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 1961 से 1966 की अवधि के लिए बनाया गया था।
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी.आर. गाडगिल के बाद इस योजना को 'गाडगिल योजना' भी कहा जाता है।
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र बनाना था। कृषि पर जोर दिया गया और गेहूं के उत्पादन में सुधार किया गया।
- इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान, भारत दो युद्धों में शामिल था: (1) 1962 का चीन-भारत युद्ध और (2) 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध। इन युद्धों ने हमारी अर्थव्यवस्था में कमजोरी को उजागर किया और केंद्रित ध्यान को स्थानांतरित कर दिया। रक्षा उद्योग, भारतीय सेना और मूल्य स्थिरीकरण (भारत में मुद्रास्फीति देखी गई)।
- युद्ध और सूखे के कारण यह योजना असफल रही। लक्ष्य वृद्धि 5.6% थी जबकि प्राप्त वृद्धि 2.4% थी।
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चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974)
- इसकी अवधि 1969 से 1974 तक इंदिरा गांधी के नेतृत्व में थी।
- इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे, अर्थात स्थिरता और आत्मनिर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि के साथ विकास।
- इस समय के दौरान, 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया और गरीबी हटाओ कार्यक्रम शुरू किया गया। 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ।
- यह योजना असफल रही और केवल 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 3.3% की वृद्धि दर प्राप्त कर सकी।
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पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-1978)
- इसकी अवधि 1974 से 1978 थी।
- यह योजना गरीबी हटाओ, रोजगार, न्याय, कृषि उत्पादन और रक्षा पर केंद्रित है।
- 1975 में विद्युत आपूर्ति आपातकाल में संशोधन किया गया, 1975 में बीस सूत्री कार्यक्रम शुरू किया गया, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (एमएनपी) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग की शुरुआत की गई।
- कुछ मामलों में, यह योजना सफल रही जिसने 4.4% के लक्ष्य के मुकाबले 4.8% की वृद्धि हासिल की।
- इस योजना को 1978 में नव-निर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार ने समाप्त कर दिया था।
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रोलिंग प्लान (1978-1990)
- पाँचवीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति के बाद, रोलिंग प्लान 1978 से 1990 तक लागू हुई।
- 1980 में, कांग्रेस ने रोलिंग योजना को अस्वीकार कर दिया और एक नई छठी पंचवर्षीय योजना शुरू की गई।
- रोलिंग प्लान के तहत तीन योजनाएँ पेश की गईं: (1) वर्तमान वर्ष के बजट के लिए (2) यह योजना निश्चित वर्षों के लिए थी—3, 4 या 5 (3) दीर्घकालिक दृष्टिकोण योजना—10, 15 या 20 साऱ
- योजना के कई फायदे हैं क्योंकि लक्ष्यों को संशोधित किया जा सकता है और परियोजनाएँ, आवंटन आदि देश की अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तनशील हैं। इसका मतलब है यदि लक्ष्यों को हर वर्ष संशोधित किया जा सकता है, तो लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल होगा और परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आएगी।
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छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985)
- इसकी अवधि 1980 से 1985 तक इंदिरा गांधी के नेतृत्व में थी।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करके आर्थिक उदारीकरण था।
- यह निवेश योजना, अवसंरचनात्मक परिवर्तन और विकास मॉडल की प्रवृत्ति पर आधारित थी।
- इसका विकास लक्ष्य 5.2% था लेकिन इसने 5.7% वृद्धि हासिल की।
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सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990)
- इसकी अवधि राजीव गांधी के नेतृत्व में 1985 से 1990 तक थी।
- इस योजना के उद्देश्यों में एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की स्थापना, लाभकारी रोजगार के अवसर और प्रौद्योगिकी का उन्नयन शामिल है।
- पहली बार, निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र पर प्राथमिकता मिली।
- इसका विकास लक्ष्य 5.0% था लेकिन इसने 6.01% हासिल किया।
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आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997)
- पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में इसकी अवधि 1992 से 1997 तक थी।
- इस योजना में मानव संसाधनों के विकास यानी रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
- इस योजना के दौरान, नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नई आर्थिक नीति शुरू की।
- यह योजना सफल रही और 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 6.8% की वास्तविक वृद्धि दर दर्ज की।
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नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)
- इसकी अवधि 1997 से 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में थी।
- इस योजना का मुख्य केंद्रित "न्याय और निष्पक्षता के साथ विकास" था।
- यह भारत की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में शुरू की गयी थी।
- यह योजना 7% के विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही और 5.6% की वृद्धि दर हासिल की।
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दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)
- इसकी अवधि अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2002 से 2007 तक थी।
- इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना है।
- इसका लक्ष्य 2012 तक 15% गरीबी दर को कम करना है।
- इसका विकास लक्ष्य 8.0% था लेकिन इसने केवल 7.2% हासिल किया।
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
- इसकी अवधि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2007 से 2012 तक थी।
- इसे सी. रंगराजन के नेतृत्व में गठित योजना आयोग द्वारा तैयार किया गया था।
- योजना का लक्ष्य 9% के विकास
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बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)
- इसकी अवधि 2012 से 2017 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में थी।
- इस योजना में एक बड़ा फ़क़स, र्क्ष्य देश के मवकास में शाममर् ककया गया था, जिसमे ‘समावेशी और टकाऊ मवकास’ शाममर् था। इसका लक्ष्य 9% की वामर्ि क वृलि दर था।
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तेहरवीं पंचवर्षीय योजना (2017-2022)
- यह योजना 2017 में शुरू हुई थी और 2022 में समाप्त हुई थी। इस योजना का लक्ष्य समावेशी और टकाऊ मवकास था। इसका लक्ष्य 9% की वामर्ि क वृलि दर था।
आर्थिक योजना का अर्थ
- आर्थिक योजना संसाधनों का नियोजन है जो उनके वैकल्पिक उपयोगों के संबंध में दुर्लभ हैं।
- इसका उद्देश्य संतुष्टि का एक इष्टतम स्तर बनाए रखना है।
- इसमें दुर्लभ साधनों के बीच चुनाव का तत्व शामिल है।
- यह आर्थिक संसाधनों का एक समन्वित व्यवस्था है
- यह प्रमुख आर्थिक निर्णयों का निर्धारण है जो मौजूदा और संभावित संसाधनों के व्यापक विश्लेषण और लोगों की आवश्यकताओं के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होता है।
अच्छी आर्थिक योजना की आवश्यकताएं
- यह देश के प्रारंभिक संसाधनों पर आधारित होती है, जिसमें मानव और भौतिक संसाधनों की वर्तमान और भविष्य की उपलब्धता का एक सावधानीपूर्वक विवरण शामिल होता है।
- यह लक्ष्यों के लिए संभव सीमाओं या सीमाबद्धताओं को मानती है।
- यह उन संभावित नीतियों को मानती है जो लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुमति देती हैं, जिसमें विदेशों से आयात (ऋण या उपहार के माध्यम से) और घरेलू निवेश के माध्यम से उत्पादित किया जा सकता है।
योजना की प्रक्रिया
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योजना का गठन:
- योजना आयोग विभिन्न मंत्रालयों या आर्थिक विशेषज्ञों के परामर्श से एक मसौदा योजना तैयार करता है।
- योजना आयोग विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्टों, तकनीकी संभावनाओं, सिफारिशों, सुझावों और आवश्यकताओं का आकलन करता है।
- अंतिम मसौदा एक व्यापक, सुसंगत और अच्छी तरह से संरचित दस्तावेज होता है।
- योजना आयोग तकनीकी संभावनाओं, अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों, बुनियादी आवश्यकताओं और विकास के विभिन्न तरीकों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करता है।
- योजना आयोग संसद के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत की जाती है और बाद में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य निकायों और राज्य सरकारों को भेजी जाती है।
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योजना का निष्पादन या कार्यान्वयन:
- केंद्रीय योजना आयोग एक समन्वयक निकाय है और योजना का निष्पादन केंद्रीय प्रशासन को सौंपा जाता है जिसमें सरकार की विभिन्न एजेंसियां और विभाग शामिल होते हैं।
- प्रारंभिक चरण में, केंद्रीकरण की एक निश्चित संभावना होती है जबकि बाद के चरण में, विकेंद्रीकरण प्रभावी नियंत्रण और प्रशासन लाता है।
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योजना का मूल्यांकन:
- योजना के निष्पादन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इसे कुछ विशिष्ट निकाय द्वारा किया जाना चाहिए।
- योजनाओ का निष्पादन निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता है क्योंकि यह समय-समय पर विचलन और कमियों का पता लगाने में मदद करता है।
- निरंतर मूल्यांकन योजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने की क्षमताओं में सुधार करता है।
भारत में पंचवर्षीय योजनाएं
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पहली पंचवर्षीय योजना:
- 1951 से 1956 की अवधि के लिए जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में बनाई गई।
- हैरोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
- इस योजना में देश के कृषि विकास पर ध्यान दिया गया था।
- इस योजना में 3.6% की वृद्धि दर हासिल की गई थी।
- इस योजना के अंत में, देश में पाँच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए।
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दूसरी पंचवर्षीय योजना:
- 1956 से 1961 की अवधि के लिए जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में बनाई गई।
- मानव संसाधनों के विकास यानी रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।
- इस योजना ने 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल की थी।
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नौवीं पंचवर्षीय योजना:
- 1997 से 2002 की अवधि के लिए अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनाई गई।
- इस योजना का मुख्य केंद्र "न्याय और निष्पक्षता के साथ विकास" था।
- यह भारत की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में शुरू की गई।
- इस योजना में 7% की विकास लक्ष्य हासिल करने में विफल रही, और केवल 5.6% वृद्धि दर हासिल की।
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दसवीं पंचवर्षीय योजना:
- 2002 से 2007 की अवधि के लिए अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनाई गई।
- इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना है।
- इसका लक्ष्य 2012 तक 15% गरीबी दर को कम करना है।
- इसका विकास लक्ष्य 8.0% था लेकिन 7.2% हासिल किया गया।
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ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना:
- 2007 से 2012 की अवधि के लिए मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनाई गई थी।
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना, गरीबी और असमानताओं को कम करना, रोजगार के अवसर पैदा करना, बुनियादी ढाँचे का विकास करना और शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में सुधार करना था।
नीति आयोग
- नीति आयोग (NITI Aayog) का गठन भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से 1 जनवरी, 2015 को किया गया था।
- यह भारत सरकार के लिए एक प्रमुख नीति 'थिंक टैंक' है।
- नीति आयोग केंद्र और राज्यों को तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।
नीति आयोग के उद्देश्य
- राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों के लिए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ एक संयुक्त दृष्टिकोण विकसित करना।
- सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, यह पहचानते हुए कि मजबूत राज्य एक मजबूत राष्ट्र बनाते हैं।
- गांव स्तर पर विश्वसनीय योजनाएँ बनाने के लिए तंत्र विकसित करना।
- यह सुनिश्चित करना कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को आर्थिक सुरक्षा और नीति में शामिल किया गया है।
- उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं हो सकते हैं।
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति और कार्यक्रमों की रूपरेखा और पहल का समन्वय करना।
- एक ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली बनाना।
- विकास के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए अंतःक्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करना।
- अनुसंधान का एक भंडार होना, जिसमें सुशासन और सतत और समावेशी विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं सहित आवश्यक संसाधन हैं।
- कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन करना।
- कार्यक्रमों और पहलों के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
सुशासन के सात स्तंभ
- सरकार उन नीतियों का समर्थन करती रहेगी जो देश की आवश्यकताओं की आशा और प्रतीक्षा को पूरा करती हैं।
- सुशासन सात स्तंभों पर निर्भर करेगा।
- एक प्रो-पीपुल एजेंडा जो समाज के साथ-साथ व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।
- अपनी ज़रूरतों को समझने और उनका समाधान करने के लिए सक्रिय होना।
- सहभागी, नागरिकता की भागीदारी से।
- सभी समूहों को एकीकृत करना।
- हमारे देश के युवाओं के लिए अवसर की समानता।
- संसाधनों का संरक्षण करना।
- पारदर्शिता जो सरकार को दृश्यमान और जवाबदेह बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है।
आर्थिक योजना का अर्थ
- आर्थिक योजना का तात्पर्य है उन संसाधनों का प्रबंधन जो उनके वैकल्पिक उपयोगों की आवश्यकताओं के सापेक्ष दुर्लभ हैं ताकि उनके द्वारा उत्पन्न संतुष्टि एक इष्टतम स्तर पर बनी रहे।
- इसमें विरल संसाधनों के बीच चुनाव का तत्व शामिल है ताकि पूर्वनिर्धारित लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।
- आर्थिक योजना आर्थिक संसाधनों की एक समन्वित व्यवस्था है - बी सी टंडन।
आर्थिक योजना की आवश्यकताएँ
- आर्थिक योजना प्रमुख आर्थिक निर्णयों का समर्थन है।
- ये निर्णय देश के मौजूदा और संभावित संसाधनों के व्यापक विश्लेषण और जनसंख्या की आवश्यकताओं के सावधानीपूर्वक अध्ययन पर आधारित होते हैं।
- ये निर्णय एक निर्धारित प्राथमिकता के साथ किए जाते हैं। - एच डी नडनकिंसन।
अच्छी आर्थिक योजना की विशेषता
- आर्थिक योजना देश के प्रारंभिक संसाधनों पर आधारित होती है जिसमें मानव शक्ति और घरेलू संसाधनों की वर्तमान और भविष्य की उपलब्धता की सावधानीपूर्वक सूची शामिल होती है।
- यह व्यक्ति के लिए संभव लक्ष्य या लक्ष्यों की अवधि को निर्धारित करता है।
- यह उन संभावित नीतियों को निर्धारित करता है जो व्यक्ति के लिए लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुमति देती हैं।
योजना की प्रक्रिया
- योजना की मुख्य प्रक्रिया में योजना का गठन, योजना का निष्पादन और योजना का मूल्यांकन शामिल है।
योजना का गठन
- विकास योजना का सूत्रीकरण आर्थिक योजना का पहला चरण है।
- योजना आयोग विभिन्न मंत्रालयों या आर्थिक विशेषज्ञों के परामर्श के साथ एक मसौदा योजना तैयार करता है।
- योजना आयोग दो स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर तकनीकी संभावनाओं, सिफारिशों, सुझावों और आवश्यकताओं के संतुलन का आकलन करता है - एक शीर्ष-स्तरीय स्रोत और दूसरा नीचे से ऊपर स्रोत।
- अंतिम मसौदा एक व्यापक, समन्वित और अच्छी तरह से संरचित दस्तावेज है।
- योजना आयोग पहले तकनीकी संभावनाओं, अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे, बुनियादी आवश्यकताओं और विकास के विभिन्न तरीकों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण के बाद, लंबी अवधि के लिए, यानी पंद्रह या बीस साल के लिए, कुछ अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित करता है।
- दूसरे चरण में, आयोग एक छोटा ज्ञापन तैयार करता है जिसे मंत्रिमंडल और राष्ट्रीय विकास परिषद के सामने रखा जाता है।
- तीसरे चरण में, राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा किए गए संशोधनों को ध्यान में रखते हुए पंचवर्षीय योजना की एक रूपरेखा तैयार की जाती है और इसे लागू होने से कई महीने पहले प्रकाशित किया जाता है।
- इसे चर्चा के लिए संसद के सामने रखा जाता है और बाद में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य निकायों और राज्य सरकारों को भेजा जाता है।
- इन प्रस्तावों पर पत्रकारों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में व्यापक रूप से चर्चा की जाती है।
- अंत में, अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाती है और इसे मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय विकास परिषद और अंत में संसद के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाती है।
योजना का निष्पादन या कार्यान्वयन
- अर्ध-समायोजित अर्थव्यवस्थाओं में, केंद्रीय योजना आयोग एक सलाहकार निकाय है और योजना का कार्यान्वयन केंद्रीय प्रशासन को सौंपा जाता है जिसमें सरकार की विभिन्न एजेंसियां और विभाग शामिल हैं।
- प्रारंभिक चरणों में केंद्रीकरण की अर्ध-संभावना होती है जबकि बाद के चरणों में, विकेंद्रीकरण प्रभावी नियंत्रण और प्रशासन लाता है।
योजना का मूल्यांकन
- योजना का मूल्यांकन योजना की दक्षता में से एक है। मूल्यांकन को उनके कार्यान्वयन के साथ किया जाना चाहिए और कुछ विशिष्ट निकाय द्वारा किया जाना चाहिए।
- योजनाओं के कार्यान्वयन को निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता होती है क्योंकि यह समय-समय पर कमियों और दोषों का पता लगाने में मदद करता है।
- निरंतर निगरानी योजना के समग्र कार्यान्वयन में सुधार करती है। भारत में, मूल्यांकन योजना एजेंसी या एक विशिष्ट एजेंसी द्वारा किया जाता है। कार्यान्वयन मूल्यांकन संगठन, जो एक स्वतंत्र निकाय है, योजनाओं की निगरानी करता है।
भारत में योजना के प्रमुख उद्देश्य
- आर्थिक विकास।
- आर्थिक समानता और व्यापक न्याय का निर्माण।
- पूर्ण रोजगार की प्राप्ति।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता का निर्माण।
- विभिन्न क्षेत्रों का आधुनिकीकरण।
- अर्थव्यवस्था में असंतुलन को कम करना।
- व्यापक और टिकाऊ विकास।
- आर्थिक स्थिरता।
- आर्थिक विकास।
- जीवन स्तर में वृद्धि।
योजना आयोग
- मार्च 1950 में योजना आयोग की स्थापना एक गैर-संवैधानिक और गैर-वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी, जो भारत सरकार के एक संगठन के माध्यम से निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार है:
- देश की भौतिक पूंजी और मानव संसाधनों का आकलन करना, जिसमें तकनीकी दक्षता शामिल है, और देश की आवश्यकता के संबंध में ऐसी संसाधनों को बढ़ाने की संभावनाओं की जांच करना।
- देश के संसाधनों के सबसे प्रभावी और समन्वित उपयोग के लिए एक योजना विकसित करना, जो जीवन स्तर को ऊपर उठाते हुए विकास की एक प्रक्रिया शुरू करेगा।
- उन कारकों को मापने के लिए, जो आर्थिक विकास को धीमा कर रहे हैं, और इस शर्त को स्थापित करने के लिए कि वर्तमान समग्र और राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए योजना के समग्र कार्यान्वयन के लिए क्या स्थापित किया जाना चाहिए।
- इसके सभी पहलुओं में योजना के प्रत्येक चरण के कार्यान्वयन को सुरक्षित करने के लिए प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक होगा।
- समय-समय पर योजना के प्रत्येक चरण के कार्यान्वयन में हासिल की गई प्रगति और नीतियों के समायोजन की सिफारिश करना और ऐसे उपायों की पहचान करना आवश्यक हो सकता है।
- योजना आयोग का मुख्य कार्य एक राष्ट्रीय योजना तैयार करना है, जिसका अर्थ है पंचवर्षीय योजनाओं का वार्षिक योजनाओं में विभाजन।
नीति आयोग
- राष्ट्रीय संस्थान परिवर्तनकारी भारत के लिए, जिसे नीति आयोग भी कहा जाता है, की स्थापना 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से हुई थी।
- नीति आयोग भारत सरकार का प्रमुख नीति 'थिंक टैंक' है जो दिशानिर्देश और नीतिगत दोनों तरह के इनपुट प्रदान करता है। नीति आयोग केंद्र और राज्यों को प्रासंगिक तकनीकी सहायता प्रदान करता है, भारत सरकार के लिए रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को संरेखित करते हुए।
उद्देश्य और सुधार
- नीति आयोग का उद्देश्य राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतिक दृष्टिकोण की साझा समझ विकसित करना है।
- लगातार आधार पर राज्यों के साथ संरचित समर्थन और तंत्र के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, इस बात को पहचानना कि मजबूत राज्य एक मजबूत राष्ट्र बनाते हैं।
- ग्रामीण स्तर पर विश्वसनीय योजनाएँ बनाने के लिए तंत्र स्थापित करना और सरकार के उच्च स्तरों पर इन्हें उत्तरोत्तर विकसित करना।
- यह सुनिश्चित करने के लिए, उन क्षेत्रों पर जहां यह विशेष रूप से प्रासंगिक है, कि आर्थिक सुरक्षा और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के आयामों को शामिल किया गया है।
- हमारे समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं होने के जोखिम में हैं।
- रणनीतिक और दीर्घकालिक नीति और कार्यक्रम ढाँचे और तंत्र को संरेखित करने के लिए, और उनकी प्रगति और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करें। निगरानी और मूल्यांकन के माध्यम से प्राप्त पाठों का उपयोग नई सुधार शुरू करने के लिए किया जाएगा, जिसमें आवश्यक मध्य-पद सुधार भी शामिल हैं।
- प्रमुख हितधारकों और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समान विचारधारा वाले थिंक टैंक के साथ-साथ शैक्षणिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, चिकित्सकों और अन्य हितधारकों के एक सहयोगी समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली बनाने के लिए।
- विकास के एजेंडे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना।
- एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाने के लिए, सुशासन और टिकाऊ और समावेशी विकास में सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ हितधारकों को उनके प्रसार में मदद करने के लिए अनुसंधान का भंडार हो।
- कार्यक्रमों और तंत्रों के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन करना, जिसमें आवश्यक संसाधनों की पहचान शामिल है, ताकि success की संभावना और वितरण की गुंजाइश को मजबूत किया जा सके।
- कार्यक्रमों और तंत्रों के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
- राष्ट्रीय विकास एजेंडे के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए और ऊपर उल्लिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अन्य गतिविधियाँ करना आवश्यक हो सकता है।
नीति आयोग की प्रमुख विशेषताएँ
- नीति आयोग खुद को एक अत्याधुनिक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवश्यक संसाधन, ज्ञान और कौशल हैं, जो इसे बेहतर ढंग से काम करने, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने, सरकार के लिए रणनीतिक नीतिगत दृष्टिकोण प्रदान करने और जटिल मुद्दों से निपटने में सक्षम करेगा।
- नीति आयोग की समग्र गतिविधियों को चार मुख्य स्तंभों में विभाजित किया जा सकता है:
नीति आयोग की वर्तमान संरचना
- अध्यक्ष: श्री नरेंद्र मोदी, माननीय प्रधान मंत्री।
- उपाध्यक्ष: डॉ सवि समूहों का समर्थन करते हुए,
- सदस्य: नीति आयोग में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और विशेषज्ञों की विशिष्ट विशेषज्ञता वाले सदस्यों के साथ।
पंचवर्षीय योजनाएँ
- नीति आयोग की स्थापना के पहले, भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ प्रचलित थीं जिनकी शुरुआत 1951 में हुई थी।
- पंचवर्षीय योजनाएँ खास तरह की आर्थिक योजनाएँ थीं, जिनका लक्ष्य 5 वर्षों की अवधि में देश के विकास के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें प्राप्त करना होता था।
पहली पंचवर्षीय योजना (1951-1956):
- यह योजना जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- यह कुछ संशोधनों के साथ हारोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
- इसका मुख्य फोकस देश के कृषि विकास पर था।
- योजना सफल रही और उसने 3.6% की विकास दर हासिल की।
- इस योजना के अंत में, देश में पाँच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए थे।
दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961):
- यह योजना जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- यह 1953 में बने पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
- इसका मुख्य फोकस देश के औद्योगिक विकास पर था।
- यह योजना अपने लक्ष्य से कम रही और 4.5% की विकास दर के बजाय 4.27% की विकास दर हासिल कर सकी।
- हालांकि, इस योजना की कई विशेषज्ञों ने आलोचना की, और परिणामस्वरूप, भारत को 1957 में भुगतान संकट का सामना करना पड़ा।
तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-1966)
- यह योजना जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी.आर. गाडगिल के बाद इस योजना को ' गाडगिल योजना' भी कहा जाता है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र बनाना था।
- कृषि पर जोर दिया गया और गेहूँ के उत्पादन में सुधार हुआ।
- इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान, भारत दो युद्धों में शामिल हुआ: (1) 1962 का चीन-भारत युद्ध और (2) 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध।
- इन युद्धों ने हमारी अर्थव्यवस्था में कमजोरी को उजागर किया और केंद्रीय ध्यान को स्थानांतरित कर दिया।
- रक्षा उद्योग, भारतीय सेना और मूल्य स्थिरीकरण (भारत में मुद्रास्फीति बढ़ी)।
- युद्ध और सूखे के कारण, यह योजना असफल रही।
- लक्ष्यित 5.6% की वृद्धि दर के बजाय केवल हासिल हुई 2.4% की वृद्धि दर।
चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974)
- यह योजना इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे: स्थिरता और आत्मनिर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि के साथ विकास।
- इस समय के दौरान, 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया गया।
- 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ।
- यह योजना असफल रही और 5.6% लक्ष्य वृद्धि दर के बजाय केवल 3.3% की वृद्धि दर हासिल कर सकी।
पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-1978)
- यह योजना गरीबी उन्मूलन, रोजगार, न्याय, कृषि उत्पादन और रक्षा पर केंद्रित थी।
- 1975 में आपातकाल घोषित किया गया, 1975 में बीस सूत्री कार्यक्रम शुरू किया गया, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (एमएनपी) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग का शुभारंभ किया गया।
- कुछ मायनों में, यह योजना सफल रही। 4.4% के लक्ष्य के बजाय 4.8% की वृद्धि हासिल कर सकी।
- इस योजना को 1978 में नवनिर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया था।
रोलिंग प्लान (1978-1990)
- पाँचवीं पंचवर्षीय योजना की समाप्ति के बाद, रोलिंग प्लान 1978 से 1990 तक लागू हुई।
- 1980 में, कांग्रेस ने रोलिंग योजना को अस्वीकार कर दिया और एक नई छठी पंचवर्षीय योजना शुरू की गई।
- रोलिंग प्लान के तहत तीन योजनाएँ पेश की गईं: (1) वर्तमान वर्ष के बजट के लिए, (2) यह योजना निश्चित वर्षों के लिए थी (3, 4, या 5), (3) दीर्घकालिक के लिए परिप्रेक्ष्य योजना (10, 15, या 20 साल)।
- योजना के कई फायदे थे क्योंकि लक्ष्यों को संशोधित किया जा सकता था और परियोजनाएँ, आवंटन आदि देश की अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तनशील थे। इसका मतलब था कि अगर लक्ष्यों को प्रत्येक वर्ष संशोधित किया जा सकता है, तो लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल होगा और इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आएगी।
छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985)
- यह योजना इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करके आर्थिक उदारीकरण था।
- यह निवेश योजना, अवसंरचनात्मक परिवर्तन और विकास मॉडल की प्रवृत्ति पर आधारित थी।
- इसका विकास लक्ष्य 5.2% था, लेकिन इसने 5.7% की वृद्धि हासिल की।
सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990)
- यह योजना राजीव गांधी के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना के उद्देश्यों में एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था स्थापित करना, लाभकारी रोजगार के अवसर और प्रौद्योगिकी का उन्नयन शामिल है।
- पहली बार, निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र पर प्राथमिकता दी गई।
- इसका विकास लक्ष्य 5.0% था, लेकिन इसने 6.01% की वृद्धि हासिल की।
आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997)
- यह योजना पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना में मानव संसाधनों के विकास पर जोर दिया गया था, जैसे रोजगार, शिक्षा, और सार्वजनिक स्वास्थ्य।
- इस योजना के दौरान, नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नई आर्थिक नीति शुरू की।
- यह योजना सफल रही और 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल की।
नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)
- यह योजना अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना का मुख्य ध्यान "न्याय और निष्पक्षता के साथ विकास " था।
- यह भारत की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में शुरू की गई थी।
- यह योजना 7% के विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही और केवल 5.6% की वृद्धि दर हासिल कर सकी।
दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)
- यह योजना अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना था।
- इसका लक्ष्य 2012 तक 15% गरीबी दर को कम करना था।
- इसका विकास लक्ष्य 8.0% था, लेकिन इसने केवल 7.2% हासिल किया।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
- यह योजना मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू की गई थी।
- इसे सी.
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Description
यह प्रश्नोत्तरी आर्थिक योजना के सिद्धांतों और उनसे संबंधित आवश्यकताओं पर केंद्रित है। इसमें संसाधनों के प्रबंधन और विभिन्न आर्थिक नीतियों के मूल्यांकन की बात की गई है। प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थियों को आर्थिक योजना की जटिलताओं को समझने में मदद मिलेगी।