VisionIAS Daily Current Affairs 12 July 2024 PDF
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2024
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This VisionIAS document presents a summary of daily current affairs, including the IMF's report on India's structural transformation, scientific drilling in Maharashtra, and other major news.
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12 जुलाई, 2024 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के संरचनात्मक रूपांतरण पर अपना ‘वर्किंग पेपर’ जारी किया IMF ने “एडवांसिगं इंडियास स्ट्र...
12 जुलाई, 2024 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के संरचनात्मक रूपांतरण पर अपना ‘वर्किंग पेपर’ जारी किया IMF ने “एडवांसिगं इंडियास स्ट्रक्चरल ट्रांसफॉर्मेशन एं ड कै च-अप टू द टेक्नोलॉजी फ्रं टियर” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर जारी किया है। इसमें भारत की सं वृद्धि का जायजा लेते हुए सं रचनात्मक सुधारों के लिए सुझाव दिए गए हैं। ये सुधार भारत में सं वृद्धि को गति प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। IMF के वर्किंग पेपर के मुख्य बिदं ओ ु ं पर एक नजर क्षेत्रक आधारित असं तुलन: भारत में समग्र उत्पादन मूल्य में कृ षि क्षेत्रक की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। 1980 में समग्र उत्पादन में कृ षि क्षेत्रक की 40% हिस्सेदारी थी। यह हिस्सेदारी 2019 में घटकर मात्र 15% रह गई थी। इसके बावजूद देश में अभी भी कृ षि क्षेत्रक में कु ल श्रमिक का 42 प्रतिशत श्रमिक कार्यरत हैं। इसकी वजह श्रम बाजारों में सख्त कानून का मौजूद होना है। उद्योगों द्वारा तकनीक अपनाने में असमानता: उन्नत और नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सेवा क्षेत्रक ने विनिर्माण क्षेत्रक से बेहतर प्रदर्शन किया है। सेवा क्षेत्रक में कं प्यूटर प्रोग्रामिगं एवं अन्य IT सेवाओं ने तथा विनिर्माण क्षेत्रक में आभूषण विनिर्माण ने बेहतर प्रदर्शन किया है। भविष्य के लिए अनुमान: भारत को अपनी बढ़ती आबादी के लिए 2050 तक कम-से-कम 143-324 मिलियन नौकरियां सृजित करने की आवश्यकता है। ♦ महज कु छ प्रतिशत श्रमिकों के कृ षि क्षेत्रक से निर्माण, सेवा या विनिर्माण क्षेत्रक में जाने पर GDP में 0.2-0.5% तक की अतिरिक्त वृद्धि हासिल की जा सकती है। वर्किंग पेपर में की गई मुख्य सिफारिशें श्रम बाजार सुधारों को और बेहतर करना: कें द्र सरकार को श्रमिकों के लिए पर्याप्त रोजगार सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राज्यों के साथ मिलकर श्रम बाजार में श्रम कानूनों को आसान बनाने हेतु काम करना चाहिए। व्यापार एकीकरण को बढ़ावा देना: भारतीय उत्पादकों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के तहत लाने तथा सं साधनों के बेहतर आवं टन के लिए आयात एवं निर्यात से सं बं धित टैरिफ और गैर-टैरिफ प्रतिबं धों को हटाना चाहिए। सामाजिक सुरक्षा तं त्र को मजबूत करना: ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों के प्रवास को सुगम बनाना चाहिए। साथ ही, अर्थव्यवस्था के सं रचनात्मक रूपांतरण हेतु सहायता प्रदान करनी चाहिए। महाराष्ट्र के कोयना-वारना क्षेत्र में काफी गहराई तक साइं टिफिक ड्रिलिंग की गई बोरहोल जियोफिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (BGRL) एकमात्र सं स्थान है, जिसे भारत में साइं टिफिक डीप ड्रिलिगं (SDD) प्रोग्राम का कार्यान्वयन करने का कार्य सौंपा गया है। बोरहोल जियोफिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (BGRL), पृथ्वी विज्ञान मं त्रालय के अधीन एक विशेषीकृ त सं स्थान है। साइं टिफिक डीप ड्रिलिगं (SDD) प्रोग्राम के तहत पृथ्वी की भूपर्पटी में गहराई पर मौजूद क्षेत्रों का निरीक्षण और विश्लेषण करने के लिए निर्धारित स्थानों पर बोरहोल ड्रिल किया जाता है। कोयना में BGRL साइंटिफिक ड्रिलिगं के बारे में उद्देश्य: पृथ्वी की भू-पर्पटी में 6 किलोमीटर की गहराई तक ड्रिलिगं करना तथा वैज्ञानिक विश्लेषण करना। साइंटिफिक ड्रिलिगं के लिए कोयना क्षेत्र को ही क्यों चुना गया? ♦ यहां 1962 में कोयना बांध बनाने से बनी शिवाजी सागर झील के कारण लगातार भूकंप के झटके आते रहे हैं। ♦ यह भारत के पश्चिमी तट के निकट स्थित जलाशय द्वारा उत्पन्न भूकंपीयता (Reservoir Triggered Seismicity) का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। कोयना में ड्रिलिगं हेतु उपयोग की गई तकनीक: हाइब्रिड ऑफ मड रोटरी ड्रिलिगं और पर्क्यूशन ड्रिलिगं (एयर हैमरिंग)। कोयना में साइंटिफिक ड्रिलिगं का महत्त्व ♦ रोटरी ड्रिलिगं : इसमें चट्टानों में ड्रिल करने के लिए स्टील की छड़ का इस्तेमाल किया जाता है और इस भूकंपों का अध्ययन करने के अवसर का लाभ उठाना। दौरान घर्षण के चलते काफी ऊष्मा भी पैदा होती है। कू लिगं लिक्विड या ड्रिलिगं मड की मदद से ड्रिल पृथ्वी के इतिहास, सक्रिय भ्रं श क्षेत्रों, चट्टान के प्रकार, ऊर्जा स्रोतों, जीवन स्वरूपों बिट को ठं डा रखा जाता है और बोरहोल से मलबे को बाहर निकाला जाता है। आदि के बारे में समझ को बढ़ाना। दक्कन की ज्वालामुखी गतिविधियों और सामूहिक विलुप्ति (Mass Extinction) ♦ एयर हैमरिंग: इसमें चट्टानों को काटने के लिए ड्रिलिगं रॉड में अत्यधिक सं पीडित हवा को भेजा जाता है, के बारे में जानकारी प्रदान करना। जो अपने साथ मलबे को बाहर ले आती है। पश्चिमी तट पट्टी की भूतापीय ऊर्जा क्षमता का पता लगाना। साइंटिफिक डीप ड्रिलिगं से सं बं धित चुनौतियां जलाशय द्वारा उत्पन्न भूकंपीयता को समझने के लिए एक मॉडल का विकास इसके लिए काफी श्रम और पूंजी की आवश्यकता होती है। इस कार्य को करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना करना। बनाना और ड्रिलिगं कौशल का होना जरूरी है। जैसे-जैसे बोरहोल गहरा होता जाता है, वैसे-वैसे ड्रिल करने वाली मशीन पर भार भी बढ़ता जाता है। पृथ्वी के आंतरिक भाग में अत्यधिक तापमान और उच्च दबाव के चलते लं बे समय तक एवं लगातार ड्रिल करना काफी कठिन हो जाता है। 1/4 भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने चीन से पाकिस्तान भेजे जा रहे प्रतिबंधित रसायन जब्त किए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने तमिलनाडु के एक बं दरगाह पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबं धित रसायन “ऑर्थो-क्लोरो बेंज़िलिडीन मैलोनोनिट्राइल” की खेप जब्त की है। इस रसायन का इस्तेमाल आंसू गैस में और दंगों को नियं त्रित करने वाले एक रासायनिक अभिकारक के रूप में किया जाता है। इस खेप की जब्ती सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 तथा सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैर-कानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत की गई है। यह रसायन भारत की निर्यात नियं त्रण सूची ‘स्कोमेट/ SCOMET’ में भी एक नियं त्रित पदार्थ के रूप में सूचीबद्ध है। इसके निर्यात की अनुमति के वल निर्यात प्राधिकरण द्वारा ही दी जाती है। SCOMET सूची के बारे में SCOMET (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी) सूची राष्ट्रीय निर्यात नियं त्रण सूची है। इस सूची के तहत सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी सहित दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं, युद्ध सामग्री एवं परमाणु से सं बं धित मदें शामिल हैं। ♦ दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं और प्रौद्योगिकियां ऐसी वस्तुएं एवं प्रौद्योगिकियां हैं, जिनका असैन्य व सैन्य, दोनों क्षेत्रकों में उपयोग हो सकता है। विदेश व्यापार नीति, 2023 के तहत दोहरे उपयोग वाली वस्तुओ ं या प्रौद्योगिकियों को SCOMET नाम दिया गया है। ♦ दोहरे उपयोग वाली वस्तुओ ं और प्रौद्योगिकियों का निर्यात या तो प्रतिबं धित है या लाइसेंस के तहत निर्यात की अनुमति दी जाती है। SCOMET सूची को हार्मोनाइज्ड सिस्टम [ITC (HS)] वर्गीकरण के आधार पर भारतीय व्यापार वर्गीकरण के तहत अधिसूचित किया गया है। ♦ ITC (HS) को आयात-निर्यात गतिविधियों के लिए अपनाया गया है। SCOMET नियं त्रण सूची सभी बहुपक्षीय निर्यात नियं त्रण व्यवस्थाओं और अभिसमयों की नियं त्रण सूचियों के अनुरूप है। बहुपक्षीय निर्यात नियं त्रण व्यवस्थाएं वासेनार अरेंजमेंट (1996): यह पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाले उपकरणों व प्रौद्योगिकियों के निर्यात को नियं त्रित करने के लिए मानक स्थापित करता है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) (1974): यह असैन्य परमाणु सामग्री और परमाणु-सं बं धित उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियं त्रित करता है। मिसाइल प्रौद्योगिकी नियं त्रण व्यवस्था (MTCR) (1987): यह बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य मानवरहित वितरण प्रणालियों के प्रसार को नियं त्रित करता है। ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (1985): यह सुनिश्चित करता है कि निर्यात के माध्यम से रासायनिक या जैविक हथियारों के विकास में योगदान न दिया जा सके । नोट: NSG को छोड़कर, भारत उपर्युक्त सभी नियं त्रण व्यवस्थाओं का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग (UNDESA) ने ‘वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2024’ रिपोर्ट जारी की यह रिपोर्ट दुनिया भर के देशों के लिए जनसं ख्या रुझान प्रदान करती है। रिपोर्ट के मुख्य बिदं ओ ु ं पर एक नजर विश्व के बारे में ♦ पॉपुलेशन पीक: विश्व की जनसं ख्या 2080 के दशक के मध्य में लगभग 10.3 बिलियन तक के अपने सर्वोच्च स्तर पर होगी। 2024 में विश्व की जनसं ख्या 8.2 बिलियन से अधिक है। ♦ प्रजनन दर: वर्तमान में, प्रजनन दर प्रति महिला 2.25 जीवित जन्म है। 1990 में यह दर 3.31 जीवित जन्म थी। सं युक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग (UNDESA) के बारे में ♦ जीवन प्रत्याशा: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 2024 में 73.3 वर्ष है। 1995 की तुलना में यह 8.4 वर्ष अधिक है। उत्पत्ति: इसकी स्थापना सं युक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार हुई थी। ♦ कम उम्र में गर्भधारण: 2024 में 4.7 मिलियन बच्चों (यानी दुनिया भर में कु ल जन्मे बच्चों का मुख्यालय: न्यूयॉर्क (सं युक्त राज्य अमेरिका)। लगभग 3.5 प्रतिशत) का जन्म 18 वर्ष से कम उम्र की माताओं से हुआ है। यह सं स्था देशों को उनके आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण सं बं धी लक्ष्यों को पूरा करने भारत के बारे में में मदद करने के लिए सरकारों एवं हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करती है। ♦ भारत की जनसं ख्या 2060 के दशक की शुरुआत में अपने सर्वोच्च स्तर (पीक) पर पहुंच यह सं युक्त राष्ट्र सचिवालय का “विकास सं बं धी स्तंभ” है। जाएगी। इस सदी के अंत तक भारत, विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बना रहेगा। UNDESA द्वारा प्रकाशित प्रमुख रिपोर्ट्स: जनसं ख्या वृद्धि के लिए उत्तरदायी मुख्य कारण वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन प्रॉस्पेक्ट्स; जनसं ख्या गति (Population momentum): प्रति महिला जीवित जन्मों की सं ख्या गिरकर फाइनेंसिगं फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट आदि। प्रतिस्थापन स्तर (2.1) पर होने या उस स्तर से भी कम होने के बावजूद प्रजनन आयु वाली महिलाओं की सं ख्या में वृद्धि जारी रहती है। अन्य कारण: कु छ देशों/ क्षेत्रों में उच्च प्रजनन दर का बना रहना; जीवन-प्रत्याशा में वृद्धि, आदि। 2/4 प्रधान मंत्री ने ऑस्ट्रिया का राजकीय दौरा संपन्न किया केरल के विझिंजम (विड़िणम) अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह पर पहला मालवाहक जहाज पहुंचा भारत और ऑस्ट्यरि ा के बीच राजनयिक सं बं धों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह राजकीय ं म (विड़िणम) बं दरगाह के रल के तिरुवनं तपुरम में स्थित है। यह भारत का पहला विझिज दौरा किया गया था। डीपवाटर कं टेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है। यह के रल सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना गौरतलब है कि पिछले 41 वर्षों में किसी भारतीय प्रधान मं त्री की यह पहली ऑस्ट्रिया यात्रा है। थी। इससे पहले 1983 में भारत की प्रधान मं त्री इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्यरि ा का राजकीय दौरा किया था। इस बं दरगाह को वर्तमान में “लैंडलॉर्ड मॉडल” के आधार पर विकसित किया जा रहा है। साथ ही, इसे “डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर (DBFOT)” के आधार पर मौजूदा यात्रा के दौरान दोनों देशों ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय सं धारणीय सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) घटक के तहत विकसित किया जा रहा है। आर्थिक और प्रौद्योगिकी साझेदारी पर जोर दिया। “लैंडलॉर्ड मॉडल” के अंतर्गत पोर्ट अथॉरिटी, विनियामक सं स्था और लैंडलॉर्ड के रूप में ♦ इस साझेदारी में अनेक नई पहलों और सं युक्त परियोजनाओं तथा कई क्षेत्रकों में कार्य करती है, जबकि बं दरगाह के सं चालन (विशेष रूप से कार्गो हैंडलिगं ) का दायित्व व्यवसाय-से-व्यवसाय भागीदारी को शामिल किया जाएगा। निजी कं पनियों के पास होता है। » इन क्षेत्रकों में ग्रीन एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी, अवसं रचना, नवीकरणीय ऊर्जा, ♦ विझिज ं म (विड़िणम) बं दरगाह के मामले में यह दायित्व अडाणी विझिज ं म जल प्रबं धन, लाइफ साइंसेज, स्मार्ट सिटी, मोबिलिटी और परिवहन जैसे क्षेत्रक (विड़िणम) पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के पास है। शामिल हैं। ट्रांसशिपमेंट हब के बारे में भारत-ऑस्ट्रिया सं बं ध ट्रांसशिपमेंट हब ऐसे बं दरगाह होते हैं, जिनका मालवाहक जहाज के स्रोत और उसके ऐतिहासिक सं बं ध: दोनों देशों के बीच राजनयिक सं बं ध 1949 में स्थापित हुए थे। गं तव्य बं दरगाहों से कनेक्शन होता है। वास्तव में ये कार्गो ट्रांसफर के लिए मध्यवर्ती ♦ तत्कालीन प्रधान मं त्री जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में ऑस्ट्रिया के एक तटस्थ और बं दरगाह के रूप में कार्य करते हैं। ऐसे बं दरगाहों पर शिपमेंट को एक जहाज से दू सरे स्वतं त्र देश के रूप में उभरने का समर्थन किया था। जहाज पर लादा जाता है। राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों ने स्वतं त्र और खुले हिदं -प्रशांत क्षेत्र तथा यूक्रे न भारत के लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो को भारत के बाहर के बं दरगाहों पर हैंडल सं घर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की । किया जाता है। आर्थिक सं बं ध: ♦ कोलं बो, सिग ं ापुर और क्लैंग (मलेशिया) बं दरगाह इनमें से 85% ट्रांसशिपमेंट कार्गो को हैंडल करते हैं। ♦ 2023 में दोनों देशों के बीच 2.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कु ल द्विपक्षीय ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में भारत का महत्त्व व्यापार हुआ था। इसमें ऑस्ट्यरि ा को भारतीय निर्यात का मूल्य 1.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। ट्रांसशिपमेंट हैंडलिगं सुविधा नहीं होने की वजह से देश के बड़े बं दरगाहों को लगभग 200-220 मिलियन डॉलर का राजस्व घाटा होता है। इस घाटे से बचा जा सकता है। ♦ दोनों देशों के बीच नवाचार और उद्यमशीलता में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, इसी साथ ही, ट्रांसशिपमेंट हब होने से बं दरगाहों पर आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी। वर्ष (2024) इंडिया-ऑस्ट्रिया स्टार्ट-अप ब्रिज लॉन्च किया गया है। विदेशी मुद्रा भं डार की बचत होगी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ेगा। बहुपक्षीय सहयोग: ट्रांसशिपमेंट हब से सं बं धित लॉजिस्टिक्स अवसं रचना का विकास होगा और रोजगार के ♦ ऑस्ट्यरि ा ने “भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे (IMEC) में शामिल होने के प्रति रुचि अवसर सृजित होंगे। व्यक्त की है। जहाज की मरम्मत, वेयरहाउसिगं , बं करिंग जैसे सं बद्ध व्यवसायों का भी विकास होगा। ♦ भारत ने 2027-28 के कार्यकाल के लिए सं युक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऑस्ट्रिया की अस्थाई सदस्यता की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन दोहराया है। ऑस्ट्यरि ा ने भारत में ट्रांसशिपमेंट हब विकसित करने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें भी 2028-29 के कार्यकाल के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन कोचीन पोर्ट अथॉरिटी (CoPA) ने कोचीन में अंतर्राष्ट्रीय कं टेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल व्यक्त किया है। विकसित किया है। ♦ भारत ने ऑस्ट्यरि ा को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबं धन (ISA) में शामिल होने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार द्वीप में गैलाथिया खाड़ी को अंतर्राष्ट्रीय आमं त्रित किया है। कं टेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के विकास के लिए चिन्हित किया गया है। अन्य सुर्खि़यां अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) टाइम क्रिस्टल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उदारीकृ त विप्रेषण योजना (LRS) के तहत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कें द्रों वैज्ञानिकों ने विशाल परमाणुओं से बना एक टाइम क्रिस्टल सफलतापूर्वक बनाया है। (IFSCs) को धन भेजने के दायरे का विस्तार किया है। टाइम क्रिस्टल के बारे में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कें द्र (IFSC) के बारे में 2012 में, फ्रैं क विल्जेक ने टाइम क्रिस्टल की अवधारणा प्रस्तुत की थी। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT)-IFSC भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा ♦ क्रिस्टल ठोस पिडं होता है, जिसके परमाणु “अधिक व्यवस्थित” रिपेटेटिवे पैटर्न में कें द्र है। इसे विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है। व्यवस्थित होते हैं। GIFT ने 2015 में कार्य करना शुरू किया था। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं की इनबाउं ड ♦ टाइम क्रिस्टल एक क्वांटम सिस्टम है, जहां कण गति के एक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं और और आउटबाउं ड आवश्यकताओं के लिए भारत का प्रवेश द्वार यानी गेटवे बनना है। जो टाइम में नियमित अंतराल पर स्वयं को दोहराते हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कें द्र प्राधिकरण (IFSCA) को IFSCA अधिनियम, 2019 के तहत एक शोधकर्ताओं ने स्वतः स्फूर्त दोलनों को प्रदर्शित करने के लिए लेजर प्रकाश और राइडबर्ग वैधानिक प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया गया है। परमाणुओ ं का उपयोग किया। इससे टाइम क्रिस्टल बनाने में सफलता प्राप्त हुई। ♦ IFSCA, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कें द्र में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय सं स्थानों यह सेंसर्स, वायरलेस सं चार और क्वांटम प्रौद्योगिकी में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और इन्हीं में के विकास एवं विनियमन के लिए एकीकृ त प्राधिकरण है। इसका उपयोग भी होगा। 3/4 ई-ऑफिस सियांग नदी कें द्र सरकार ने सभी सं बद्ध व अधीनस्थ कार्यालयों और स्वायत्त निकायों में ई-ऑफिस लागू करने का अरुणाचल प्रदेश में ऊपरी सियांग जिले के स्थानीय लोग ऊपरी सियांग जलविद्तयु परियोजना का विरोध निर्णय लिया है। कर रहे हैं। ई-ऑफिस के बारे में ऊपरी सियांग जलविद्तयु परियोजना NHPC द्वारा सियांग नदी पर विकसित की जा रही है। यह नेशनल ई-गवर्नेंस कार्यक्रम के तहत एक मिशन मोड परियोजना है। इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान कें द्र सियांग नदी के बारे में (NIC) द्वारा विकसित किया गया है। उद्गम: यह नदी मानसरोवर झील (तिब्बत) के पास कै लाश पर्वतमाला में अंगसी ग्लेशियर से निकलती यह ओपन आर्किटेक्चर पर निर्मित एक डिजिटल वर्क प्लेस समाधान है। इस तरह यह पुनः उपयोग है। वाला मानक उत्पाद है। इसकी प्रतिकृ ति सरकार के सभी कार्यालयों में अपनाई जा सकती है। प्रमुख सहायक नदियां: लोहित और दिबांग। मुख्य घटक: ई-फाइल (फाइल प्रबं धन प्रणाली), KMS (ज्ञान प्रबं धन प्रणाली), WAW (वर्क फ्रॉम यह पासीघाट शहर के दक्षिण में असम के मैदानी भागों में दिहांग और लोहित में मिलती है। इनसे एनीवेयर) पोर्टल, SPARROW (स्मार्ट परफॉरमेंस अप्रैज़ल रिपोर्ट रिकॉर्डिंग ऑनलाइन विडं ो)। मिलकर यह ब्रह्मपुत्र बन जाती है। अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) और जनजातीय क्वांटम क्रिप्टोग्राफी उपयोजना (TSP) रमन अनुसंधान सं स्थान (RRI) के वैज्ञानिकों ने वास्तविक अप्रत्याशित यादृच्छिक (Random) सं ख्याएं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने SCSP और जनजातीय उप योजना के फं ड्स को कथित तौर पर किसी सृजित करने के लिए एक नया, यूजर-फ्रें डली तरीका विकसित किया है। यह नया तरीका क्वांटम सं चार में अन्य कार्य में खर्च करने के मामले में कर्नाटक सरकार से रिपोर्ट मांगी है। मजबूत एन्क्रिप्शन के लिए महत्वपूर्ण है। SCSP और TSP के बारे में रमन अनुसंधान सं स्थान ने लेगेट गर्ग इनइक्वलिटीज (LGI) के उल्लं घन को प्रदर्शित करने के लिए एक फोटोनिक प्रयोग किया है। जनजातीय उप योजना (TSP) की रणनीति 1974 से लागू है। इसका उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों ♦ LGI गणितीय अभिव्यक्तियों का एक सेट है, जो क्वांटम मैकेनिक्स के अनुमानों की तुलना के विकास के लिए योजनागत सं साधनों का पर्याप्त आवं टन सुनिश्चित करना है। क्लासिकल फिजिक्स के अनुमानों से करता है। अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) की रणनीति 1979-80 से लागू है। इसे पहले “अनुसूचित क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के बारे में जातियों के लिए विशेष घटक योजना” के रूप में जाना जाता था। यह एन्क्रिप्शन की एक विधि है। यह डेटा को सुरक्षित और सं चारित करने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स के ♦ इसका उद्देश्य जनसं ख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों के विकास के लिए योजना सं साधनों स्वाभाविक गुणों का उपयोग करती है। का आवं टन सुनिश्चित करना है। यह ऑप्टिक फाइबर पर डेटा सं चारित करने के लिए फोटोन्स (प्रकाश के कण) का इस्तेमाल करती है। SCSP और TSP के तहत बजटीय आवं टन को न तो किसी अन्य उद्देश्य में खर्च किया जा सकता है, न ही यह वापस होता है अर्थात खर्च नहीं की गई राशि को अगले वर्ष में भी खर्च किया जा सकता है। इसका स्पष्ट उद्देश्य SCs और STs के सामाजिक-आर्थिक विकास में कमियों को दू र करना है। सारस क्रे न ग्रीष्मकालीन गणना से उत्तर प्रदेश में सारस क्रे न की आबादी में वृद्धि का पता चला है। सारस क्रे न के बारे में पिच ब्लैक अभ्यास चोंच से पं जों तक की लं बाई के मामले में यह विश्व का सबसे लं बा उड़ने वाला पक्षी है। यह उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है। भारतीय वायु सेना (IAF) की एक टुकड़ी पिच ब्लैक अभ्यास, 2024 में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया विशेषताएं : पहुंची। ♦ सामाजिक प्राणी: यह जोड़ों या छोटे समूहों में पाया जाता है। ♦ यह पक्षी जीवन भर एकल साथी के साथ रहता है। पिच ब्लैक अभ्यास 2024 के बारे में वितरण: भारतीय उपमहाद्वीप (उत्तरी व मध्य भारत, नेपाल का तराई क्षेत्र एवं पाकिस्तान), दक्षिण- यह रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (RAAF) द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय अभ्यास है। यह प्रत्येक दो पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। वर्षों पर (द्विवार्षिक) आयोजित होता है। पर्यावास: छोटे मौसमी दलदल, बाढ़कृ त मैदान, उच्च ऊंचाई पर स्थित आर्द्रभूमियां, मानव द्वारा इसमें लगभग 20 देश भाग ले रहे हैं। परिवर्तित तालाब, परती और खेती योग्य भूमि तथा धान के खेत। सं रक्षण स्थिति: IAF ने इससे पहले 2018 और 2022 में आयोजित अभ्यासों में भाग लिया था। ♦ IUCN रेड लिस्ट: वल्नरेबल के रूप में वर्गीकृत। यह अभ्यास अधिक दू री पर तैनाती की क्षमता को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एकीकृ त ♦ CITIES: परिशिष्ट-II में सूचीबद्ध। ऑपरेशन्स का समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है। ♦ वन्यजीव (सं रक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-1 व अनुसूची-4 में सूचीबद्ध। प्रमुख खतरे: पर्यावास हानि व क्षरण; कृ षि के लिए भूमि का रूपांतरण; कीटनाशकों के सं पर्क में आना आदि। फंड फॉर रिस्पॉन्ड टू लॉस एंड डैमेज (FrLD) भूजल में क्रोमियम संदष ू ण हानि और क्षति कोष के बोर्ड ने इस कोष का नाम बदलकर “फं ड फॉर रिस्पॉन्ड टू लॉस एं ड डैमेज” (FrLD) कर दिया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की कोलकाता पीठ ने कें द्रीय भूजल बोर्ड को सुकिंदा घाटी (ओडिशा) में साथ ही, यह निर्णय भी लिया गया कि फिलीपींस इस फं ड के बोर्ड का होस्ट देश होगा। भूजल में क्रोमियम सं दू षण के खतरनाक स्तर की जांच करने का आदेश दिया है। क्रोमियम सं दू षण के बारे में FrLD के बारे में क्रोमियम जल में अत्यधिक घुलनशील होता है। इसके कारण यह भौतिक, रासायनिक व जैविक इसकी स्थापना 2022 में शर्म अल-शेख (मिस्र) में UNFCCC पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के परिवर्तनों से गुजरता है और स्रोत के बिदं ु से कई अलग-अलग जगह व्यापक सं दू षण का कारण बनता 27वें सत्र (COP-27) में की गई थी। है। उद्देश्य: यह फं ड विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली प्राकृ तिक आपदाओं से यह दो सं योजकता (Valence) अवस्थाओं में विद्यमान होता है होने वाले नुकसान एवं क्षति की भरपाई करने में मदद करेगा। ♦ ट्राईवेलेंट क्रोमियम [Cr(III)]: यह जैविक रूप से महत्वपूर्ण तत्व है और ग्लूकोज एवं लिपिड चयापचय के लिए आवश्यक है। लॉस एं ड डैमेज (हानि और क्षति) उन नकारात्मक परिणामों को व्यक्त करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन ♦ हेक्सावलेंट क्रोमियम [Cr (VI)]: उच्च कैं सरजन्यता के कारण विषाक्त माना जाता है। के अपरिहार्य जोखिमों से उत्पन्न होते हैं। इन जोखिमों में समुद्री जलस्तर में वृद्धि, लं बी अवधि तक हीट भारतीय मानक IS 10500 के अनुसार, पेयजल में Cr(VI) का अधिकतम अनुमेय सं दू षण (अनुमत वेव्स, मरुस्थलीकरण, समुद्र का अम्लीकरण आदि शामिल हैं। मात्रा) 50 µg/L है। 4/4