New Drugs and Clinical Trials Rules 2019 PDF

Summary

This document is a notification about new drug and clinical trial rules from 2019. It outlines definitions and regulations related to clinical trials, including definitions of clinical trials, types of clinical trials, and the approval process for new pharmaceutical products.

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jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99 vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3—mi&[k.M (i)...

jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99 vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3—mi&[k.M (i) PART II—Section 3—Sub-section (i) izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY la- 200] ubZ fnYyh] eaxyokj] ekpZ 19] 2019@iQkYxqu 28] 1940 No. 200] NEW DELHI, TUESDAY, MARCH 19, 2019/ PHALGUNA 28, 1940 वा वाय और प रवार क याण याण मंालय (वा वाय और प रवार क या ण िवभाग) अिधसूचना नई दली, 19 माच, 2019 सा.का.िन. 227( 227(अ).— औषिध और साधन सामी अिधिनयम, 1940 (1940 का 23) क धारा 12 क उप-धारा (1) और धारा 33 क उप-धारा (1) "ारा द# शि%य& का योग करते +ए, भारत के राजप/, असाधारण, भाग II, खंड 3, उप-खंड (i), म0 अिधसूचना सं3या सा.का.िन. 104 (अ), तारीख 1 फरवरी, 2018 "ारा, औषिध तकनीक सलाहकार बोड के परामश के प:ात क0 ;ीय सरकार, नई औषिध और नैदािनक परी=ण िनयम, 2018 के ा?प को कािशत कया गया था, भािवत होने वाले सभी Bि%य& से पCतालीस दन& क अविध समाD होने से पहले आपि#यां और सुझाव आमंि/त कए गए है, जब उ% अिधसूचना वाले उ% राजप/ क ितयां जनता को उपलHध कराई गई थी; और, और, उ% अिधसूचना वाली राजप/ क , 2018 को जनता के िलए उपलHध करा दी गई थI; ितयां 7 फरवरी और,, उ% ा?प अिधसूचना के उ#र म0 ाD सभी आपि#य& और सुझाव& पर क0 ;ीय सरकार "ारा समयक ?प से और िवचार कया गया है; और,, माननीय उJतम Kयायालय ने Lरट यािचका सं. और डHयू) के साथ Lरट यािचका (एस) 79/2012 (पीआईएल- (िसिवल) नं. 33/2012NवाNOय , इं दौर और अKय बनाम भारत संघ और अKय अिधकार मंच साथ पाया क नई के साथ- नैदािनक परी=ण िनयम& को तSकाल अंितम ?प दया जाएगा अब , क0 ;ीय सरकार, साधन सामी अिधिनयम, 1940 (1940 का 23) क धारा 12 और धारा 33 औषिध और "ारा द# शि%य& का योग करते +ए, ने औषिध तकनीक सलाहकार बोड के साथ परामश करने के प:ात िनTिलिखत िनयम बनाती है, अथात:― 1800 GI/2019 (1) 2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] अया य-I ारं िभक 1. संित नाम, नाम, ारं भ और लागू होना- (1) इन िनयम& का संि=D नाम नई औषिध और नैदािनक परी=ण िनयम, 2019 है। (2) अWयाय-IV को छोड़कर, जो 180 दन& के बाद वृ# ह&गे, ये िनयम राजप/ म0 उनके काशन क तारीख से वृ# ह&गे। (3) ये सभी नई औषिधय&, मानवीय उपयोग के िलए अनुसंधानाSमक नई औषिधय&, नैदािनक परी=ण, जैव- समतुयता अWययन, जैव-उपलHधता अWययन और आचार सिमित पर लागू ह&गे। 2. प रभाषाएं- (1) इन िनयम& म0, जब तक क संदभ से अKयथा अपेि=त न हो,― (क) “शै=िणक नैदािनक परी=ण” से अिभ ेत है, कसी औषिध का नैदािनक परी=ण जो कसी िवशेष दावे के िलए पहले ही अनुमो दत है और िजसे कसी नई संकेत या औषिध देने के नई तरीके या नई खुराक या नई खुराक मा/ा के Zप के िलए कसी अKवेषक, शै=िणक या अनुसंधान संNथान "ारा शुZ कया गया है, जहां ऐसे परी=ण के पLरणाम& को के वल शै=िणक या अनुसंधान योजन& के िलए ही उपयोग कया जाता है और िवपणन या वािणि\यक योजन के िलए कसी देश के िविनयामक ािधकरण या क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण का अनुमोदन ा^त करने के िलए उपयोग नहI कया जाता है; (ख) “अिधिनयम” से औषिध और साधन सामी अिधिनयम, 1940 (1940 का 23) अिभ ेत है; (ग) “स_य औषधीय घटक” से ऐसा पदाथ अिभ त े है िजसे औषधीय गितिविध उपलHध कराने या अKयथा िजसका रोग के िनदान, इलाज, शमन, उपचार या िनवारण म0 सीधा भाव पड़ता है या मनुaय या पशुb म0 शारीLरक कायc को पुन:Nथािपत करने, सुधार करने या संशोधन करने म0 सीधा भाव होने के उdेeय से औषधीय सू/ीकरण म0 उपयोग कया जा सकता है; (घ) “ ितकू ल घटना” से अिभ ेत है कसी रोगी या कसी परी=ण fयि% म0 अनुसंधानाSमक औषिध या कसी औषधीय उSपाद से उपचार के दौरान कोई अि य िचकSसी घटना (कोई ल=ण या रोग या कोई असामाKय योगशाला खोज सिहत), िजसका आवeयक नहI क दए जा रहे उपचार से कोई संबंध हो; (ङ) “जैव-उपलHधता अWययन” से वह अWययन अिभ ेत है जो उस दर और सीमा का मूयांकन करता है िजस तक औषिध कसी औषधीय सू/ीकरण से अवशोिषत होती है और औषिध के सुचाZ पLरचालन म0 उपलHध होती है या कारवाई के Nथान पर औषिध उपलHध होती है; (च) “जैव-सतुयता अWययन” से अिभ ेत है, जब समान पLरिNथितय& के अधीन समान मोलर खुराक िखलाई जाती है समान स_य घटक वाले संदभ सू/ीकरण क तुलना म0 कसी औषधीय सू/ीकरण से कसी स_य घटक के अवशोषण क दर और मा/ा म0 सांि3यकय महSवपूण पLरवतन क गैर-मौजूदगी Nथािपत करने के िलए अWययन; (छ) “जैव-उपलHधता और जैव-सतुयता अWययन के K;” से वह के K; अिभ ेत है जो ऐसे अWययन के नैदािनक भाग हो या नैदािनक और िवeलेषणाSमक दोन& भाग& के िलए कसी औषिध का जैव-उपलHधता अWययन या जैव- समतुयता अWययन करने के िलए Nथािपत या सृिजत कया गया है; (ज) “जैविचकSसा और NवाNOय अनुसंधान” से अिभ ेत है वह अनुसंधान िजसम0 आधारभूत, ायोिगक और चलानाSमक अनुसंधान या नैदािनक अनुसंधान शािमल है िजसे ाथिमक Zप से रोग& और िNथितय& (शारीLरक या समािजक-fयवहाLरक) के बारे म0 वै]ािनक जानकारी बढ़ाने के िलए;उनक पहचान और कारण;तथा NवाNOय वृिh, रोग के िनवारण या सुधार और पुनवास हेतु कायनीितयां बनाने के िलए िडजाइन कया गया है परंतु इसम0 नैदािनक परी=ण शािमल नहI है जैसा धारा (ञ) म0 पLरभािषत है; (झ) “के K;ीय अनु]ापन ािधकरण” से िनयम 3 म0 यथा िनjदk भारतीय औषिध महािनयं/क अिभ ेत है; [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 3 (ञ) “नैदािनक परी=ण” कसी नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध के संबंध म0 अिभ त े है, जो ऐसी, नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध का, उसम0 िनlनिलिखत खोज या सSयापन हेतु आंकड़े जुटाने के िलए, मानव म0 कोई fयविNOत अWययन,- (i) नैदािनक या; (ii) फामाकोडाइनेिमnस, फामाकोकाइनेLटnस सिहत फामाकोलॉजी या; (iii) ितकू ल भाव, िजसका उdेeय ऐसी नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध क सुर=ा, भावोSपादकता या सहनशीलता का पता लगाना है; (ट) “नैदािनक परी=ण संलेख” से अिभ ेत ऐसा दNतावेज िजसम0 नैदािनक परी=ण से संबंिधत िनaपादन, बंधन, संचालन, िवeलेषण, ितकू ल घटना, वापसी, सांि3यक िवचार और Lरकॉड रखना जैसे मामल& सिहत पृaठभूिम, उdेeय, औिचSय, िडजाइन, काय णाली शािमल है; (ठ) “नैदािनक परी=ण Nथान” से अिभ ेत कोई अNपताल या संNथान या कोई अKय नैदािनक Nथापना िजसम0 नैदािनक परी=ण करने क अपेि=त सुिवधाएं उपलHध हC; (ड) “ भावकाLरता” से अिभ ेत है ऐसी औषिधय& के संबंध म0 िनयंि/त नैदािनक पLरिNथितय& म0 अपेि=त भाव ा^त करने क उसक =मता; (ढ) “ भावशीलता” से कसी औषिध के संबंध म0 अिभ ेत है औषिध के अनुमोदन के पeचात कसी वाNतिवक नैदािनक पLरिNथित म0 अपेि=त भाव ा^त करने क उसक =मता; (ण) “आचार सिमित” अथात- (i) िनयम 7 के अधीन गLठत और िनयम 8 के अधीन रिजNrीकृ त नैदािनक परी=ण, आचार सिमित; (ii) िनयम 16 के अधीन गLठत िनयम 17 के अधीन रिजNrीकृ त जैव-िचकSसा या NवाNOय अनुसंधान, आचार सिमित के योजन के िलए; (त) “अsछे नैदािनक अuयास के मागदशन” से अिभ ेत भारत म0 नैदािनक अWययन के संचालन के िलए माग-दशन है, िजसे क0 ;ीय औषिध मानक िनयं/ण संगठन "ारा तैयार कया गया है और औषिध सलाहकार बोड "ारा अपनाया गया है; (थ) “वैिeवक नैदािनक परी=ण” से अिभ ेत कसी नैदािनक परी=ण से है जो एक से अिधक देश& म0 कसी औषिध के नैदािनक िवकास के भाग के ?प म0 कया जाता है; (द) “अनुसुधानाSमक नई औषिध ” से अिभ ेत कसी नया रसायिनक या जैिवक पदाथ या वNतु से है जो कसी देश म0 औषिध के Zप म0 िवपणन हेतु अनुमोदत नहI है; (ध) “अनुसंधानाSमक उSपाद” से अिभ ेत कसी स_यघटक या कू टभेषज का औषधीय सू/ीकरण है जो कसी नैदािनक परी=ण म0 जांच या उपयोग कया जा रहा है; (न) “अKवेषक” से अिभ ेत उस fयि% से है जो नैदािनक परी=ण Nथान पर नैदािनक परी=ण करने के िलए उSतरदायी है; (प) “िचकSसा से अिभ ेत उपचार को पूरक करने के िलए िचकSसा देखभाल दान करने हेतु उपचार और बंधन” अKय आवeयक गितिविधयां हC; (फ) “नया रसायिनक पदाथ” से अिभ ेत ऐसे पदाथ से है जो िवपणन हेतु कसी देश के िनयम& के अधीन िविनjदk ािधकाLरय& सिहत औषिध िविनयामक ािधकरण "ारा औषिध के Zप म0 अनुमोदत नहI है और िजसे उसक 4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] सुर=ा और भावोSपदकता Nथािपत करते +ए पहली बार कसी नई औषिध के Zप म0 िवकिसत करने का Nताव है; (ब ) “नई औषिध ” अथात,- (i) स_य औषधीय घटक या फाइटोफामाNयूLटकल औषिध सिहत कोई औषिध िजसे उसक लेबvलग म0 िविनjदaट पLरिNथितय& के अनुसार, अिधिनयम के उपबंध& के अनुसरण म0 और इसके अधीन बनाए गए िनयम& से अKयथा कसी महSवपूण मा/ा तक देश म0 उपयोग नहI कया गया है और जो उसके दाव& के संबंध म0 के K;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा सुरि=त और भावशाली अनुमोदत नहI कया गया है; या (ii) के K;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा कितपय दाव& के िलए अनुमोदत कोई औषिध और िजसे ल=ण, िखलाने के तरीके, खुराक और खुराक Zप आद सिहत संशोिधत या नई दाव& सिहत िवपणन करने का Nताव है; या (iii) दो या अिधक औषिधb का कोई िनयत खुराक सिlमwण, िजसे कितपय दाव& के िलए अलग से Nवीकृित दी गई है और पहली बार कसी िNथर अनुपात म0 िमwण करने का Nताव है, या जहां कसी अनुमोदत सिlमलन म0 घटक& के अनुपात को संकेत, िखलाने के तरीके, खुराक और खुराक ?प आद सिहत कितपय दाव& सिहत पLरवxतत करने का Nताव है; या (iv) के K;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा अनुमोदत कोई औषिध क नयी औषिध दानगी णाली या कसी औषिध का कोई उपांतरण या िनरं तर ?प; या (v) ऐसी वेnसीन, पुन: संयोजक डीऑnसीराइबोKयूिnलक एिसड (r-DNA)से उSपKन, जीिवत संशोिधत जीव, मोनोnलोनल एंटी बॉडी, Nटेम सेल, जीन िचकSसीय उSपाद आजzजेनोा{|स िजसका उपयोग औषिध के Zप म0 करनेका इरादा है; Nपaटीकरण- ऐसी औषिधएं, उपधारा (iv) और (v)म0 िनjदaट औषिधb के अलावा, के K;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा दान क गई उनक अनु]ा क तारीख से चार वष क अविध के िलए नई औषिध के Zप म0 जारी रह0गी और उपधारा (iv) और (v) म0 िनjदaट औषिध b को सदैव नई औषिध माना जाएगा; (भ) ‘आफन औषिध’ से अिभ ेत है, ऐसी पLरिNथित िजससे भारत म0 पांच लाख से अनिधक Bि% भािवत होते हC। (म) “औषधीय सू/ीकरण” से अिभ ेत मानवीय या पशुिचकSसीय उपयोग के िलए कोई सामी िजसम0 एक या अिधक स_य औषधीय सामियां शािमल हC, औषधीय एnसीिपएंटया योगाSमक सिहत या रिहत, िजसका सू/ीकरण िवशेष भौितक Zप तैयार करने के िलए कया गया है जैसे क टेबलेट, कै ^सूल या िमwण को मानव या पशुb के देने के िलए उिचत है; (य) फामाकोिविजल0स” से अिभ ेत िव]ान और _याकलाप से है जो ितकू ल भाव& क पहचान, मूयांकन, “ समझ और िनवारण से और अKय कसी औषिध संबंिधत समNया से संबंिधत है; (कक) “फाइटोफामाNयूLटकल औषिध ” से अिभ ेत िवशुh और मानककृ त क कोई औषिध िजसका कसी रोग या िवकार के िनदान, उपचार, कम करने या िनकरण हेतु मनुaय या पशुb पर आंतLरक या बा} उपयोग के िलए कसी औषधीय पौधे या उसके भाग के रस के पLरभािषत Kयूनतम चार जैव-स_य या फोटोके िमकल योिगक& सिहत पLरमाणाSमक Zप म0 और गुणाSमक Zप म0 आंकलन कया गया है परं तु इसम0 आं/ेतर माग के माWयम से औषिध देना शािमल नहI है; (खख) “कूटभेषज” से अिभ त अस_य पदाथ जो देखने म0 कसी नैदािनक परी=ण म0 जांच क जा रही औषिध के समान दखता है; (गग) “परी=ण पeचात सुलभता” से अिभ ेत नैदािनक परी=ण पूरा होने के पeचात कसी परी=ण अधीन fयि% को कोई नई औषिध या अनुसध ं ानाSमक नई औषिध उपलHध कराना, िजसके माWयम से उnत औषिध को, [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 5 ऐसी अविध के िलए जैसा अKवेषक और आचार सिमित "ारा आवeयक माना जाए, नैदािनक परी=ण के दौरान परी=ण अधीन fयि% के िलए लाभाकारी पाया गया है; (घघ) “रिजNrीकृ त फामािसNट” से अिभ ेत वह fयि% जो फामzसी अिधिनयम, 1948 (1948 का 8) क धारा 2 के खंड (i) म0 समनुदेिशती के ?प म0 है; (ड.ड.) “अनुसूची” से अिभ ेत इन िनयम& के साथ संल~न अनुसूची से है; (चच) “गंभीर ितकू ल घटना” से अिभ ेत नैदािनक परी=ण के दौरान अि य िचकSसीय घटना से है िजसके पLरणामNव?प परी=ण के अधीन fयि% क मृSयु हो गई या Nथायी िवकलांगता या उसे अNपताल म0 भत करना पड़ा, जहां परी=ण अधीन fयि% कोई बा} रोगी है या अNपताल म0 भत क अविध बढ़ जाना जहां परी=ण अधीन fयि% अंतरं ग रोगी है, लगातार या काफ िवकलांगता या अ=मता, जKमजात िवसंगित, जKमजात िवकार या जीवन घातक घटना; (छछ) “समान जैिवक” से अिभ ेत जैिवक उSपाद जो गुणवSता, सुर=ा और उSपादकता क शतc म0 भारत म0 अनु]िD ा^त या अनुमोदत िनjदaट जैिवक उSपाद या अंतराarीय समानीकरण पLरषद (आईसीएच) सदNय& देश& म0 अनुमोदत कसी अKवेषक उSपाद के समान है; (जज) “ ायोजक” म0 नैदािनक परी=ण क शुZआत और बंधन हेतु उSतरदायी कोई fयि%, कोई कंपनी या कोई संNथान या कोई संगठन शािमल है; (झझ) “रा\य अनु]ापन ािधकरण” से अिभ ेत औषिध और साधन सामी िनयम, 1945 के िनयम 49 क म0 िविनjदk अहताएं रखने वाला कसी रा\य सरकार "ारा िनयुnत, रा\य औषिध िनयं/क से है, चाहे कसी भी नाम से जाना जाए; (ञञ ) “परी=ण अधीन fयि%” से अिभ ेत वह fयि% जो या तो कोई रोगी है कोई NवNथ fयि% है िजस पर कसी नैदािनक परी=ण के योजन& के िलए अनुसंधानाSमक उSपाद आजमाया जाता है; (2) उन शHद& और पद& के , जो इसम0 युnत हC €कतु औषिध और साधन सामी अिधिनयम, 1940 (1940 का 23) म0 पLरभािषत नहI हC वही अथ ह&गे जो उनके अिधिनयम म0 ह&गे। य-II अया ािधकारी और अिधकारी 'ीय अनु)ापन ािधकरण- के K;ीय सरकार "ारा NवाNOय और पLरवार कयाण मं/ालय म0 िनयुnत 3. के &'ीय भारतीय औषिध िनयं/क इन िनयम& के योजन के िलए के K;ीय अनु]ापन ािधकरण होगा। 4. के &'ीय .यायोजन- 'ीय अनु)ापन ािधकरण क* शि,य- का . योजन- (1) भारतीय औषिध िनयं/क, क0 ;ीय सरकार के पूव अनुमोदन से,िलिखत आदेश "ारा, के K;ीय अनु]ापन ािधकरण क समNत या कKहI भी शि%य& को के K;ीय औषिध मानक िनयं/ण संगठन के कसी अKय अिधकारी, जो सहायक औषिध िनयं/क के पद से नीचे न हो, सप सकता है। (2) अिधकारी िजसे उपिनयम (1) के अधीन शि%यां सपी गई हC अपने नाम और मुहर के अधीन के K;ीय अनु]ापन ािधकरण क समNत या कKहI शि%य& का योग कर सकता है। 5. िनयंण अिधकारी- (1) भारतीय औषिध िनयं/क कसी अिधकारी, जो सहायक औषिध िनयं/क के पद से नीचे न हो, को िनयं/ण अिधकारी के ?प म0 नािमत कर सकता है। (2) भारतीय औषिध िनयं/क आदेश "ारा िनयं/ण अिधकारी के =े/& और शि%य& को िविनjदaट कर सकता है। 6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] िनयं/ण अिधकारी, उपिनयम (1) के अधीन नािमत, अधीनNथ अिधकाLरय& के काय का पयवे=ण करेगा और उन (3) शि%य& का योग करेगा तथा वह काय करे गा जो उस अिधकारी को सपे जाएंगे। अयाय-III , नैदािनक परीण जैवउपल3ध ता और जैवसमतु यताअययन के िलए आचार सिमित 6. आचार सिमित क* आव6यकता- कता- (1) जो कोई नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता अWययन समतुयताअWययन या जैव करने का इsछु क है उसे िनयम 8 के अधीन रिजNrीकृ त नैदािनक परी=ण के िलए आचार सिमित के अनुमोदन क आवeयकता होगी। (2) आचार सिमित के K;ीय अनु]ापन ािधकरण को िनयम 8 के अधीन दए अनुसार रिजNrीकरण के िलए आवेदन करे गा। 7. नैदािनक परीण के िलए आचार सिमित का गठन- (1) आचार सिमित म0 िचकSसा, गैर-िचकSसा, वै]ािनक और गैर- वै]ािनक =े/& से कम से कम सात सदNय ह&गे - (i) एक आम Bि%; (ii) एक मिहला सदNय; (iii) एक कानूनी िवशेष]; (iv) कसी अKय =े/ से संबंिधत एक Nवतं/ सदNय जैसे सामािजक वै]ािनक या गैर-सरकारी Nवैिsछक एज0सी या दाशिनक या नीित] या धमशा‚ी का ितिनिध। (2) उप-िनयम (i) म0 िनjदk आचार सिमित म0 कम-से-कम पचास ितशत सदNय सिlमिलत ह&गे, जो संNथान या संगठन से संबh नहI है िजसके साथ ऐसी सिमित गLठत क जाती है। (3) आचार सिमित का एक सदNय अWय= होगा, िजसका कसी संNथान या संगठन से कसी कार संबh नहI होगा। (4) आचार सिमित के एक सदNय जो संNथान या संगठन से संबh है को संNथान& या संगठन "ारा आचार सिमित का सदNय सिचव िनयुnत कया जाएगा। (5) सिमित म0 कम से कम एक सदNय ऐसा शािमल होना चािहए िजसका िहत या िवशेष]ता का ाथिमक =े/ गैर- वै]ािनक हो और कम से कम एक ऐसा सदNय जो संNथान से Nवतं/ हो। (6) आचार सिमित से सदNय& को परी=ण अधीन fयि%य& के अिधकार&, सुर=ा और कु शल=े/ के िलए इन िनयम& के ावधान&, उSतम नैदािनक पhितय& के दशा-िनदzश& और अKय िविनयामक अपे=ाb का अनुपालन करना होगा। (7) आचार सिमित के Sयेक सदNय को ऐसे िश=ण और िवकास काय_म& म0 शािमल होना होगा जैसा के K;ीय अनु]ापन ािधकरण समय-समय पर िविनjदaट करे : परं तु ऐसा सदNय, िजसने ऐसा िश=ण और िवकास काय_म सफलतापूवक पूण नहI कया है, आचार सिमित के सदNय के पद को धारण करने से अयो~य घोिषत कर दया जाएगा और ऐसी सिमित का सदNय नहI रह सकता। (8) िचकSसा वै]ािनक& और िचकSसक& का ितिनिधSव कर रहे सदNय को अपने-अपने िवशेष]ता =े/ म0 कम से कम NनातकोSतर यो~यता धारक और संबंिधत =े/& म0 पया^त अनुभव तथा सिमित सदNय& के Zप म0 उनक भूिमका और उSतरदाियSव के बारे म0 अपेि=त जानकारी और Nपaटता होनी चािहए। (9) जहां तक संभव हो, मानव इlयुनोडेफिशएंसी vसƒोम (एचआईवी) या आनुवांिशक िवकार&, आद जैसे अनुसंधान =े/ क आवeयकता के आधार पर िविशaट रोगी समूह को भी आचार सिमित म0 ितिनिधSव दया जा सकता है। (10) िहत& के टकराव वाला कोई fयि% कसी आचार सिमित का सदNय नहI हो सकता इसके और सभी सदNय "ारा इस संबंध म0 एक घोषणाप/ पर हNता=र कर0गे क सिमित "ारा समी=ा कए जा रहे नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता या जैवसमतुयताअध्ययन नवाचार म0 कोई िहत& का टकराव नहI है। [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 7 (11) कसी आवेदन पर िवचार करते +ए िजसम0 आचार सिमित के कसी सदNय के िहत& का टकराव शािमल है, ऐसा सदNय Nवेsछा से अWय= को िलिखत प/ "ारा आचार सिमित क समी=ा बैठक से अपना नाम वािपस ले सकता है। (12)सदNय के िहत& के टकराव के संबंध म0 िवसृत िववरण को आचार सिमित क बैठक& के कायवृSत म0 िविधवत ?प से दज कया जाएगा। 8. , नैदािनक परीण जैवउपल3ध ता और जैवसमतु यताअययन ययन से संबंिधत आचार सिमित का रिज9ीकरण- (1) िनयम 7 के अधीन गLठत आचार सिमित, रिजNrीकरण दान करने के िलए के K;ीय अनु]ापन ािधकरण को ?प सीटी-01 म0 आवेदन करेगी। (2) आचार सिमित ?प सीटी-01 म0 कए गए आवेदन के साथ तीसरी अनुसूची क Nतंभ 1 म0 िविनjदaट ऐसी सूचना और दNतावेज Nतुत करे गी। (3) के K;ीय अनु]ापन ािधकरण,- (i) उप-िनयम (2) के अधीन आवदेन के साथ Nतुत क गई सूचना और दNतावेज& क जांच करे गा;और (ii) आगे ऐसी जांच करे गा, यद कोई आवeयक समझी जाए और संतुaट होने के पeचात, क इन िनयम& क अपे=ाb का अनुपालन कया गया है, आचार सिमित को ?प सीटी-02 म0 रिजNrीकरण दान कर सकता है और यद के K;ीय अनु]ापन ािधकरण आवेदक आचार सिमित "ारा इन िनयम& के अनुपालन से संतुaट नहI है, उप-िनयम (1) के अधीन दए गए आवेदन क ािD क तारीख से 45 दन क अविध के भीतर, िजसके कारण, िलिखत म0 दज कए जाएं आवेदन रd कर सकता है। (4) आवेदन क अNवीकृ ित के िव?h आवेदक, आचार सिमित को के K;ीय अनु]ापन ािधकारी "ारा उप-िनयम (3) के खंड (ii) के अधीन, के K;ीय सरकार, NवाNOय और पLरवार कयाण मं/ालय के सम= अNवीकृ ित के आदेश ा^त होने क तारीख से 60 काय दवस& के भीतर अपील कर सकता है। (5) क0 ;ीय सरकार, जैसा भी आवeयक समझे, ऐसी जांच के उपरांत, और उप-िनयम (4) के आलोक म0 आवेदक को आवेदक क सुनवाई का अवसर देकर, उप-िनयम (4) के अधीन क गई अपील को, अपील ािD क तारीख से 60 काय दवस& के भीतर िनपटान करे गी। 9. आचार सिमित के रिज9ीकरण क* वैधता क* अविध – ?प सीटी 02 म0 कया गया रिजNrीकरण इसके जारी होने क - , तारीख से पांच वष क अविध तक वैध रहेगा जब तक क के K;ीय अनु]ापन अिधकारी "ारा इसे िनलिlबत या रd न कया जाए। 10.आचार सिमित के रिज9ीकरण का नवीकरण – ) के अधीन कए गए रिजNrीकरण क वैधता अविध समा^त (1) िनयम (9 होने के पeचात्, आचार सिमित ?प सीटी-01 म0, तीसरी अनुसूची के Nतंभ-1 म0 िविनjदaट ालेख& के साथ रिजNrीकरण समािD क तारीख से नHबे दन पूव रिजNrीकरण के नवीकरण के िलए आवेदन करेगी। बशतz क रिजNrीकरण का नवीकरण के िलए आवेदन क0 ;ीय अनु]िD ािधकरण "ारा अवसान क तारीख से नHबे दन पहले ाD कया जाता है, रिजNrीकरण तब तक लागू रहेगा जब तक क इस तरह के आवेदन पर उ% ािधकरण "ारा एक आदेश पाLरत नहI कया जाता है: परं तु लेख& का नया सैट Nतुत करना अपेि=त नहI होगा यद रिजNrीकरण दान करने के समय ऐसे लेख& म0 कोई पLरवतन नहI है। और आवेदक एक माण प/ देगा क Nतुत कए गए लेख& म0 कोई पLरवतन नहI है। (2 ) के K;ीय अनु]ापन अिधकारी आवेदन के साथ Nतुत क गई सूचना क संवी=ा के उपरांत और िनरी=ण Lरपोट पर िवचार करते +ए, यद कोई हो, और ऐसी और जांच के उपरांत जैसा भी आवeयक समझे और इन िनयम& क अपे=ाb से संतुaट होने के उपरांत क – (i) ?प सीटी-02 ने आचार सिमित का रिजNrीकरण नवीकृ त करे गा, अनुपालन कया गया है या 8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] (ii) अनुपालन नहI कया गया है, उप-िनयम (1) के अधीन नवीकरण आवेदन क तारीख से 45 काय दवस& के भीतर, कारण िलिखत म0 Lरकॉड करते +ए आवेदन अNवीकृत करे गा। 11. आचार सिमित के कृ.य – आचार सिमित, fयि%, संNथान या संगठन के िलए िनlनिलिखत कृ Sय& को िनaपादत करेगी: (i) तृतीय अनुसूची के Nतंभ-1 के खंड (ख) म0 िविनjदaट ?प ने नैदािनक परी=ण ोrोकोल और अKय नैदािनक परी=ण और संबh लेख& तथा नैदािनक परी=ण करने म0 परी=ण गत fयि% के अिधकार&, संर=ा और NवाNOय के िहत& को देखते +ए इन िनयम& के अनुसरण म0 अsछा नैदािनक fयवहार दशा-िनदzश& और अKय लागू िविनयम& के अधीन समी=ा करते +ए अनुमोदन दान करे गी। (ii) उिचत अंतराल पर, नैदािनक परी=ण& क एक सतत समी=ा करनी चािहए, िजसके िलए उKह&ने अनुमोदन ाD कया है और समी=ा जांचकताb "ारा Nतुत क गई आविधक अWययन गित Lरपोट या ायोजक "ारा तैयार कए गए िनगरानी और आंतLरक ऑिडट Lरपोट या Nतुत या अWययन Nथल& पर छौरा करके Nतुत Lरपोट पर आधाLरत हो सकती है। (iii) इसे अNवीकृ त करते +ए या पLरवतन करने या ोrोकोल क अिधसूचना के संबंध म0 िजन कारण& पर गौर कया गया, िलिखत म0 उलेख करेगी और ऐसे कारण& क एक ित के K;ीय अनु]ापन ािधकारी को भी उपलHध करवाई जाएगी। (iv) जहां परी=णगत fयि% पर कोई गंभीर ितकू ल पLरिNथित जिनत होती है या नैदािनक परी=ण के दौरान fयि% का अWययन या जैवउपलHधता या जैवसंतुलन अWययन घLटत होता है तो ऐसी पLरिNथित म0 संबh लेख& का िवeलेषण करे गी और के K;ीय अनु]ापन अिधकारी को अपनी िसफाLरश अेिषत करे गी और अWयाय VI के उपबंध& के अनुसरण म0 अKय कारवाइय† सुझाएगी। (v) नैदािनक परी=ण के कसी Nतर पर जहां कहI यह िनaकष सामने आता है क परी=णगत fयि% के अिधकार, संर=ा या NवाNOय पर समझौता कया जा रहा है, सिमित नैदािनक परी=ण को रोकने या िनलिlबत करने के आदेश देगी और नैदािनक परी=ण कर रहे संNथान के मुख को सूिचत करे गी और के K;ीय अनु]ापन ािधकारी को भी। (vi) के K;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा अिधकृ त कसी अिधकारी को पूव नोLटस के साथ या िबना नोLटस, पLरसर म0 वेश करने, इसका िनरी=ण करने, कसी Lरकॉड या नैदािनक परी=ण से संबंिधत अKय कसी लेख का िनरी=ण करने, और ऐसे अिधकृ त fयि% "ारा नैदािनक परी=ण से संबंिधत पूछे गए कसी eन के संबंध म0 सूचना देन,े और इन िनयम&, अsछे नैदािनक fयवहार के दशा-िनदzश& और परी=णगत fयि% के अिधकार&, संर=ा और NवाNOयता क सुर=ा से संबंिधत लागू िविनयम& क अपे=ाb का अनुपालन सSयािपत करने के िलए अंदर आने देना होगा। (vii) अिधिनयम और इन िनयम& के अधीन िविनjदaट अपे=ाb के अलावा के K;ीय अनु]ापन ािधकारी "ारा िविनjदaट अपे=ाb और शतc का अनुपालन करना होगा जो के K;ीय सरकार के अनुमोदन से नैदािनक परी=ण fयि% के अिधकार& क सुर=ा या जैव उपलHधता या जैव संतल ु न अWययन क सुर=ा म0 आवeयक है। 12. नैदािनक परीण के िलए आचार सिमित क* काय?वाही – ) नैदािनक परी=ण या जैव उपलHध (1 ता या जैव संतुलन ोrोकॉल और इससे संबंिधत लेख& का आचार सिमित पुनरी=ण नहI कर सके गी जब तक क िनlन उिलिखत म0 से इसके कम से कम 5 सदNय उपिNथत ना हो, अथात:- (i) िचकSसा िव]ानी (अिधमानता फामाकॉलोिजNट); (ii) िनदानकता; (iii) िविध िवशेष]; (iv) सामाज िव]ानी या गैर-सरकारी Nवैिsछक एज0सी का ितिनिधSव या दाशिनक या नीितशाN/ी या धमशाN/ी या ऐसा ही कोई fयि%; (v) सामाKय जन। [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 9 (2) आचार सिमित अपने कायc के िनaपादन के िलए सहायताथ अपने सदNय& क एक या अिधक उप-सिमितयां गLठत कर सकती है। (3) आचार सिमित अपने िवचार- िवमश म0 जो इसके सदNय नहI है िवशेष]& क सेवाएं ले सकती लेकन ऐसे िवशेष]& को मतािधकार नहI होगा। (4) रिजNrीकृ त आचार सिमित क सदNयता या इसके गठन के कसी भी पLरवतन को िलिखत म0, 30 कायदवस& के अंदर, के K;ीय अनु]ापन ािधकारी को सूिचत कया जाएगा। 13. नैदािनक परीण के िलए आचार सिमित @ारा रकॉड? का अनुरण- (1)आचार सिमित इसके काय से संबंिधत नैदािनक परी=ण और जैव उपलHधता अWययन या जैवसंतल ु न अWययन क समी=ा और ऐसे नैदािनक परी=ण के पूरा होने के उपरांत डाटा, Lरकॉड, रिजNटर तथा अKय लेख& का अनुर=ण करे गी तथा यथािNथित 5 वष क अविध के िलए रखेगी। (2) उप-िनयम (1) क fयापकता पर ितकू ल भाव के और िवशेषतर आचार सिमित Sयेक नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता अWययन या जैवसंतुलन अWययन के पूरा होने के उपरांत 5 वष क अविध के िलए िनlनिलिखत Lरकॉड अनुरि=त करेगी, अथात्: - (i) आचार सिमित क संरचना और गठन; (ii) आचार सिमित के सभी सद Nय& का शैि=क अिभलेख और काय अनुभव; (iii) सिमित "ारा अंगीकृ त मानक चालन _या; (iv) सिमित "ारा अपनाए जा रहे राarीय और अतंरराarीय दशा-िनदzश; (v) Nतुत ोrोकोल, डाटा एक/णआ?प, करण Lरपोट ?प, अणवे=क& बोशर इSयाद क ितिलिपयां रखना; (vi) आवेदन, िनणय और फोलोअप से संबंिधत सिमित के सदNय& और अˆवे=क& के साथ सभी प/ाचार; (vii) अWय= के हNता=र के साथ आचार सिमित क सभी बैठक& क कायसूची तथा कायवृSत; (viii) आवेदक को सं ेिषत िनणय& क ितयां; (ix) अWययन के समयपूव अवसान से संबंिधत आदेश का Lरकॉड िजसम0 इसके कारण& का सार भी दया गया हो; (x) माइ_ोफम, कं पेnट िडNक या वीिडयो Lरकॉ‰डग सिहत अंितम Lरपोट; (xi) ितपूxत के अवधारण हेतु आचार सिमित क िसफाLरश; (xii) गंभीर ितकू ल पLरिNथित, परीि=त fयि% का NवाNOय बंधन और भुगतान क गई ितपूxत रािश से संबंिधत Lरकॉड। (3) के K;ीय अनु]ापन ािधकारी या इसक ओर से ािधकृ त कए गए कसी अKय अिधकारी "ारा जब कभी आचार सिमित, अपेि=त हो, उप-िनयम (1) और उप-िनयम (2) के अधीन अनुरि=त सूचना देगी। 14. नैदािनक परीण के िलए आचार सिमित के रिज9ीकरण का िनलCबबनन या रDीकरण –(1) जब के K;ीय अनु]ापन ािधकारी क राय म0 कोई आचार सिमित अिधिनयम के उपबंध& और इन िनयम& का पालन करने िवफल रहती है, ऐसी आचार सिमितय& को कारण बताb नोLटस जारी कर सकती है और इसम0 ऐसे अनुपालन न कए गए पहलुb और कतनी अविध के ऐसी आचार सिमित अपना उSतर दे सकेगी, का उलेख कया जाएगा। (2) कारण बताओ नोLटस म0 िविनjदaट अविध म0 उSतर क ािD पर के K;ीय अनु]ापन ािधकारी ऐसी आचार सिमित को fयि%गत सुनवाई का अवसर दया जाएगा। (3) उप-िनयम (2) के अधीन आचार सिमित "ारा दए गए उSतर तथा तOय& पर िवचार करने के उपरांत, के K;ीय अनु]ापन ािधकारी एक या अिधक िनTिलिखत कायवाही कर सकते है, अथात:– 10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] (i) उप-िनयम (1) के अधीन जा री कारण बताओ नोLटस वापस ले सकते है। (ii) िनरी=ण या अKयथा पाई गई किमय& या दोष& का वणन करते +ए आचार सिमित को चेतावनी जारी कर सकते है, िजससे परी=ाधीन fयि% के अिधकार& या NवNथता पर या नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता या जैव संतुलन अWययन क वैधता ितकू ल भाव पड सकता है; (iii) नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता या जैव संतल ु न अWययन के पLरणाम& को अNवीकार कर सकते है। (iv) िनयम 8 के अधीन जैसा भी उपयुnत समझा जाए उस अविध के िलए िनलlबन या जारी रिजNrीकरण रd कर सकते है। (v) के K;ीय अनु]ापन ािधकारी "ारा जैसा भी उपयुnत समझा जाए उस अविध के िलए इसके सदNय& को भिवaय म0 नैदािनक परी=ण क देख-रे ख से वाLरत कया जा सकता है। (4 ) जहां आचार सिमित या आचार सिमित का कोई सदNय उप-िनयम (3) के अधीन के K;ीय अनु]ापन ािधकारी के आदेश से fयिथत हो, ऐसी आचार सिमित या सदNय आदेश ािD के 60 काय दवस& के अंदर के K;ीय सरकार को अपील कर सकता है। िनयम (4) के अधीन अपील दायर क गई है, के K;ीय सरकार, जांच के उपरांत, जैसा भी आवeयक समझे, और (5) जहां उप- वैयितnत सुनवाई का अवसर देने के उपरांत, इसके संबंध म0 तOय& और मामले क पLरिNथितय& को दृिkगत करते +ए, अपील फाइल करने क तारीख से 60 कायदवस& के भीतर आदेश पाLरत करेगी। अयाय IV जैव िचEक.सा और वा वाय अनुसधं ान क* आचार सिमित 15. जैव िचEक.सा तथा वा वाय अनुसध ं ान के िलए आचार सिमित कोई भी संNथा या संगठन जो जैव िचकSसा - और NवाNOय अनुसंधान करना चाहता है, उसे मानव ितभािगय& सिहत जैविचकSसा और NवाNOय अनुसंधान के िलए राarीय आचार दशािनदzश& म0 िवNतृत ?प से इस तरह के शोध क समी=ा और िनगरानी के िलए एक आचार सिमित क आवeयकता होगी। 16. जैव-िचEक.सा और वाय अनुसधं ान के िलए आचार सिमित का गठन -(1) जैव िचकSसा और NवाNOय अनुसंधान से संबंिधत िनयम 15 म0 उिलिखत आचार सिमित का गठन मानव ितभािगता संिल^त जैव िचकSसा और अनुसंधान के िलए राarीय आचार दशा-िनदzश& के अनुसार करना होगा जैसा क भारतीय आयुxव]ान अनुसध ं ान पLरषद "ारा समय-समय पर िविनjदaट कया जाए और इन दशा-िनदzश& के अनुसार काय करे गी। (2) उप-िनयम (1 ) म0 उिलिखत आचार-सिमित जैविचकतसा और Nवास्Oय अनुसंधान के K; का काय शुZ करने से पूव और बायोिचकSसा व NवाNOय अनुसंधान के दौरान मानव ितभािगय& के संिल^त होने पर राarीय आचार दशा- िनदzश& का काय देखगे ी। (3) कोई भी fयि% या संNथान या संगठन िनयम 17 के अधीन रिजNrीकृ त जैव-िचकSसा और अनुसंधान के िलए आचार सिमित के अनुमोदन के िबना कोई जैविचकSसा और NवाNOय अनुसंधान नहI करेगा। (4) जैविचकSसा और NवाNOय अनुसंधान म0 मानव ितभािगय& क संिल^तता के िलए राarीय आचार दशा-िनदzश& के अनुसार समय-समय पर भारतीय आयुxव]ान अनुसधं ान पLरषद "ारा िविनjदaट के अनुसार ही कोई जैविचकSसा और NवाNOय अनुसंधान कया जा सके । (5) जैव-िचकSसा और NवाNOय अनुसंधान के साथ-साथ नैदािनक परी=ण या जैवउपलHधता या जैविविवधता अWययन करने के िलए इsछु क संNथान& को िनयम 8 और िनयम 17 म0 कए गए ावधान के अनुसार िनjदk अिधकाLरय& से रिजNrीकरण ाD करना होगा। [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 11 17. जैव िचEक.सा और वा वाय अनुसध ं ान से संबिं धत आचार सिमित का रिज9ीकरण - 1) िनयम 16 के अधीन गLठत आचार सिमित को क0 ;ीय सरकार, NवाNOय औ र पLरवार कयाण मं/ालय, "ारा पदनािमत ािधकरण म0 इन िनयम& के अधीन रिजNrीकरण करवाना होगा िजसके िलए ?प सीटी- 01 म0 उnत ािधकरण को आवेदन देना होगा। 2) उप-िनयम (1) म0 उिलिखत आवेदन के साथ तृतीय अनुसूची क Nतंभ 1 म0 िविनjदaट लेख और सूचना देनी होगी। 3) उप-िनयम (1) के अधीन फॉम सीटी -01 म0 आवेदन ाD होने पर, उप-िनयम (1) के अधीन नािमत ािधकारी अनंितम रिजNrीकरण दान करे गा जो दो वष क अविध के िलए वैध रहेगा। 4) उप-िनयम (1) के अंतगत पदनािमत ािधकारी, आवेदन के साथ दी गई सूचना और लेख& क समी=ा के उपरांत, और संतुaट हो जाने पर क िनयम& क अपे=ा को पूरा कया गया है, ?प सीटी - 03 म0 आचार सिमित का रिजNrीकरण दान करेगी और यद संतुaट नहI हC तो आवेदन अNवीकृ त करते +ए इसके कारण िलिखत म0 रे काड करे गा। ?प सीटी-03 म0 अंितम रिजNrीकरण उप-िनयम (3) के अधीन दान कए गए अनंितम रिजNrीकरण को अित_िमत करेगा। 5) उप-िनयम (1) के अधीन पदनािमत ािधकारी के िनणय से fयिथत आवेदक ऐसी अNवीकृ ित क ािD क तारीख से 60 काय दवस&के अंदर के K;ीय सरकार, NवाNOय और पLरवार कयाण मं/ालय को अपील दायर करेगा और सरकार तOय& और पLरिNOाितय& के आधार पर आवeयक जांच करेगी तथा अपीलकता को fयि%गत सुनवाई का अवसर देने के उपरांत 60 काय दवस& के भीतर अपील का िनपटान करे गी। 6) आचार सिमित अपने अंितम रिजNrीकरण क समािD क तारीख से कम से कम नHबे दन पहले उप-िनयम (2) म0 िनjदk दNतावेज& के साथ फॉम सीटी -01 म0 रिजNrीकरण के नवीनीकरण के िलए एक आवेदन करेगी: परं तु रिजNrीकरण के नवीनीकरण के िलए आवेदन उप-िनयम (1) के अधीन नािमत ािधकारी "ारा ाD कया जाता है, समािD क तारीख से नHबे दन पहले, रिजNrीकरण तब तक लागू रहेगा जब तक क उ% ािधकरण "ारा आवेदन प/ पर एक आदेश पाLरत नहI कया जाता है: परKतु दNतावेज& का नया सेट तैयार क आवeयकता नहI होगी, यद तैयार ऐसे दNतावेज& म0 इससे पहले कोई बदलाव नहI +आ है। ऐसे मामल& म0, आवेदक "ारा एक माण प/ Nतुत कया जाएगा जो यह दशाता है क कोई बदलाव नहI +आ है। 7) उप-िनयम (1) के अंतगत पदनािमत ािधकारी आवेदन के साथ दी गई सूचना और लेख& क समी=ा के उपरांत, और संतुaट हो जाने पर क िनयम& क अपे=ा को पूरा कया गया है, ?प सीटी - 03 म0 आचार सिमित के रिजNrीकरण का नवीकरण करे गी या संतुaट न होने पर आवेदन अNवीकृ त करते +ए िलिखत म0 कारण Lरकाड करे गी। 8) ािधकारी, उप-िनयम (1) के अंतगत कए गए आवेदन क तारीख के पCतालीस काय दवस& क अविध के भीतर उप- िनयम (7) के अंतगत िनणय लेगा। 9) ?प सीटी- 03 दान कया गया रिजNrीकरण, इसके जारी होने क तारीख से पांच वष क अविध के िलए वैध होगा यद पदनािमत ािधकारी "ारा उप-िनयम (1) के अधीन इसे िनलंिबत या रd न कया गया हो। 10) आचार सिमित के काय, कायवाही और अिभलेख& का रख-रखाव, मानव ितभािगय& के साथ बायोमेिडकल और NवाNOय अनुसंधान के िलए रा‹ीय आचार दशािनदzश& के अनुसार होगा। 11) कसी संNथा म0 रिजNrीकृ त आचार सिमित क संरचना म0 पLरवतन होने पर उप-िनयम (1) के अधीन नािमत ाधकारी को सूिचत करेगा। 18. 18. जैव िचEक.सा और वाय अनुसधं ान के िलए आचार सिमित के रिज9ीकरण का िनलंबन या िनरतीकरण – (1) िनयम 17 के उपबंध& के अधीन, जहां आचार सिमित इन िनयम& के उपबंध& का पालन करने म0 िवफल रहती है, उप-िनयम (1) के अधीन पदनािमत ािधकारी कारण बताने का अवसर दान करते +ए तथा fयि%गत तौर पर सुनवाई का अवसर देते +ए, िलिखत म0 आदेश करते +ए िनlनिलिखत एक या अिधक कारवाईयां कर सकता है, अथात्:- (i) किमय& और दोष& का उलेख करते +ए जोक अWययन कए जा रहे व्यि% के अिधकार& और NवNOता पर ितकू ल भाव डाल सकते हC, आचार सिमित को चेतावनी जारी करेगा। 12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] (ii) िनयम 17 के अधीन उपयुnत अविध के िलए दए गए रिजNrीकरण को िनलंिबत करे गा या इसे रd करेगा। (iii) इसके सदNय& को जैविचकSसा NवाNOय अनुसंधान का काय देखने के िलए, भिवaय म0 ऐसी अविध के िलए वाLरत करे गा, जैसा भी उपयुnत समझा जाए। (2) जहां आचार सिमित या इसका सदNय, जैसी भी िNथित हो, उप-िनयम (1) के अधीन पदनािमत ािधकारी "ारा दये गए आदेश से fयिथत है, ऐेसे आदेश क ािD के पCतालीस काय दवस& के भीतर NवाNOय और पLरवार कयाण मं/ालय को अपील दायर कर सके गा और सरकार जैसा भी आवeयक समझे, ऐसी जांच के उपरांत और fयि%गत सुनवाई का अवसर देने के उपरांत, इस संबंध म0 आदेश पाLरत करे गा जो क तOय& और मामले क पLरिNथितय& पर िवचार करने के उपरांत उपयुnत समझे। अया य-V नई औषिधय- और अनुसध ं ाना.मक मक नई औषिधय- के नैदािनक परीण जैवउपल3धता, धता तथा जैव समानता अय यन भाग – क नैदािनक परीण 19. नई औषिध या अनुसधं ाना.मक मक नई औषिध का नैदािनक परीण – ) कोई भी fयि% या संNथा (1 न या संगठन नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण नहI करेगा- (i) िसवाय के K;ीय अनु]ापन ािधकारी "ारा दी गई अनु]ा के अनुसार; और (ii) िनयम 8 के उपबंध& के अनुसार रिजNrीकृ त नैदािनक परी=ण के िलए आचार सिमित "ारा अनुमोदत ोटोकॉल के िबना। (2) Sयेक fयि% जो नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण से संबh है, थम अनुसूची म0 िविनjदaट fयवहार और सामाKय िसhांत& का अनुसरण करे गा। (3) अिधिनयम और इन िनयम& के ावधान& म0 िविहत _या के अनुसरण म0 को छोड़कर कोई भी fयि% या संNथान या संगठन नई औषिध या अनुसध ं ानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण नहI करेगा 20. 20. नैदािनक परीण थल थल का िनरीण – िनयम 8 के अधीन रिजNrीकृ त नैदािनक परी=ण के िलए आचार सिमित "ारा ऐसे परी=ण के संचालन क शु?आत और दौरान Sयेक नैदािनक परी=ण Nथल का िनरी=ण करेगी। 21. नई औषिध या अनुसध ं ाना.मक मक नई औषिध क* नैदािनक परीण करने क* अनुमित हेतु आवेदन - (1 ) कोई भी fयि% या संNथान या संगठन जो नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण करना चाहता है, केK;ीय अनु]ापन ािधकारी को िविधवत भरकर ?प सीटी- 04 म0 आवेदन करे गा। (2) उप-िनयम (1) के अधीन कया जाने वाला आवेदन दूसरी अनूसूची म0 यथा िविनjदk सूचना व दNतावेज& के साथ और छठी अनुसूची म0 यथा िविनjदk शुक के "ारा कया जाना चािहए। तु के K;ीय सरकार या रा\य सरकार "ारा पूण ?प से या आंिशक ?प से िव# पोिषत या NवािमSय वाले संNथान परं या संगठन के Bि% "ारा नैदािनक परी=ण करने के िलए कोई शुक देय नहI होगा 22. नैदािनक परीण करने के िलए अनुमित दान करना- (1) फॉम सीटी-04 म0 आवेदन के साथ दी गई सूचना व दNतावेज& क संवी=ा और ऐसी कोई आगे क जांच, यद कोई हो, िजसे आवeयक समझा जाए के प:ात क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण; (i) यद संतुk है क इन िनयम& क अपे=ाb का पालन कया गया है तो वह ?प सीटी-06 म0 नई औषिध या अनुसध ं ानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण करने के िलए अनुमित दान करे गा; [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 13 (ii) उस मामले म0, जहां क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को लगता है क आवेदन म0 कु छ किमयां हC और उKह0 ठीक कया जा सकता है तो उपुय% ािधकारी आवेदक को किमय& के बारे म0 सूचना देगा; (iii) यद संतुk नहI है क इन िनयम& क अपे=ाb को अनुपालन संतोषजनक पाया जाता है तो आवेदन को रd कर दया जाएगा, िजसके कारण िलिखत ?प म0 दए जाएंग;0 (2) उप िनयम (1) के अधीन िनणय नHबे काय दवस& के भीतर लेगा। (3) आवेदक, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा उप-िनयम (1), के खंड (ii) के संदभानुसार सूिचत कए जाने के बाद- (i) क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा िविनjदk अविध के अंदर किमय& को ठीक कर सकता है; (ii) जहां आवेदक उप-िनयम (1) के संदभानुसार किमय& को ठीक कर देता है और अपेि=त सूचना व दNतावेज& को दान कर देता है, तो क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण आवेदन क पुन: संवी=ा करे गा और संतोषजनक पाए जाने पर नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध का नैदािनक परी=ण करने के िलए अनुमित दान करे गा या संतोषजनक न पाए जाने पर आवेदन को रd कर देगा: परं तु रd कए जाने के मामले म0, छठी अनुसूची म0 यथा िविनjदk शुक का भुगतान कए जाने व अपेि=त सूचना और दNतावेज क Nतुित कए जाने पर आवेदन को रd कए जाने क तारीख से साठ काय दवस& के भीतर आवेदन पर पुनxवचार करने के िलए आवेदक क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण से अनुरोध कर सकता है। (4) क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण के िनणय से असंतुk आवेदक उप-िनयम (1) उप-िनयम (3) के अधीन NवाNOय और पLरवार कयाण मं/ालय म0 क0 ;ीय सरकार के सम= ऐसे िनणय क ािD क तारीख से पCतालीस दन& के भीतर अपील कर सकता है और सरकार ऐसी जांच के बाद तथा अपीलक#ा को सुनवाई का अवसर देने के प:ात साठ काय दवस& के भीतर अपील का िनNतारण कर सकती है। 23. भारत मI खोज, अनुसध ं ान व िविनमा?ण के भाग के Kप मI नई औषिध या अनुसध ं ाना.मक नई औषिध को नैदािनक परीण करने के िलए अनु मित मित (1) इन िनयम& म0 सिlमिलत कसी भी िवषय वNतु के बावजूद जहां कोई Bि% या - - , संNथान या संगठन िनयम 21 के अधीन नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध के नैदािनक परी=ण करने के िलए आवेदन करता हो जो क िनTिलिखत शतc को पूरा करता हो, अथात:- (i) औषिध क खोज भारत म0 क गई हो; या (ii) औषिध का िवकास और अनुसंधान भारत म0 कया जा रहा हो तथा साथ ही औषिध िविनमाण या िविनमाण भारत म0 कया जाना Nतािवत हो, ऐसे आवेदन का िनNतारण िनयम 22 के िविनदzशानुसार अनुमित दान करने या रd करे न या आवेदन क कसी कमी को सुधारने के िलए सूचना देने के "ारा, जो भी मामला हो, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा आवेदन क ािD क तारीख से तीस काय दवस& के भीतर कया जाएगा; परं त,ु उ% अविध के भीतर आवेदक को क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण से सूचना ाD न होने पर, नैदािनक परी=ण करे न के िलए क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा अनुमित दान कर दी गई है, मान िलया जाएगा और ऐसी अनुमित को सभी उdेeय& हेतु वैध माना जाएगा और आवेदक इन िनयम& के अनुसरण म0 नैदािनक परी=ण शु? करने के िलए ािधकृ त होगा। (2) उप-िनय म (1) के उपबंध& के अधीन माने जाने वाले अनुमोदन लेने वाला आवेदक ?प सीटी-4क म0 क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को नैदािनक परी=ण आरं भ करने से पूव सूचना देगा। उपयु% सूचना के आधार पर क0 ;ीय अनु]ापन ािधकारी ?प सीटी-4क को Lरकाड मे रखेगा जो क कायालयी Lरकाड का िहNसा होगा और उसे क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण का Nवत: अनुमोदत कहा जाएगा। 14 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] 24. भारत के बाहर अनुमोEदत नई औषिध का नैदािनक परीण करने के िलए अनुमित : इन िनयम& म0 सिlमिलत कसी भी िवषय-वNतु के बावजूद, जहां कोई Bि% या संNथान या संगठन िनयम 21 के िलए आवेदन करता है जो क िजसको िनयम 101 के अधीन िविनjदk पहले से ही अनुमोदत है और देश म0 उसका िवपणन कया जाता है तो आवेदन ऐसे आवेदन का िनNतारण िनयम 22 के िविनjदशानुसार अनुमित दान करने या रd करने या आवेदन क कसी कमी को सुधारने के िलए सूचना देने के "ारा, जो भी मामला हो, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा आवेदन क ािD क तारीख से नHबे काय दवस& के भीतर कया जाएगा; 25. नैदािनक परीण करने के िलए अनुमित क* शतM:- इस अWयाय के अधीन नैदािनक परी=ण करने के िलए क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा दान क जाने वाली अनुमित िनTिलिखत शतc के अधीन होगी, अथात्:- (i) Sयेक Nथल पर नैदािनक परी=ण, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण के पास िनयम 8 के अधीन रिजNrीकृ त उस Nथल क आचार सिमित "ारा नैदािनक परी=ण ोटोकॉल व अKय संबंिधत दNतावेज& के अनुमोदन के प:ात् शु? कया जाएगा; (ii) जहां नैदािनक परी=ण Nथल क अपनी कोई आचार सिमित न हो, वहां उस Nथल पर नैदािनक परी=ण क शु?आत अKय परी=ण Nथल क आचार सिमित या िनयम 7 म0 गLठत Nवतं/ आचार सिमित से ोटोकॉल का अनुमोदन ाD करके क जा सकती है: परं तु नैदािनक परी=ण के िलए अनुमोदन देने वाली आचार सिमित ऐसे मामल& म0 परी=ण Nथल या क0 ;, जैसा भी मामला हो, के अWययन हेतु उ#रदायी होगी, =ण Nथल या जैवउपलHधता या जैव तुयमता परं तु अनुमोदन देने वाली आचार सिमित और नैदािनक परी क0 ;, जैसा भी मामला हो, एक ही शहर के अंदर या नैदािनक परी=ण Nथल के 50 क.मी. क पLरिध के अंदर िNथत होने चािहए। (iii) यद कसी नैदािनक परी=ण Nथल क आचार सिमित ोटोकॉल क मंजरू ी को अNवीकार कर देती है, तो उसका िववरण, उसी Nथल पर नैदािनक परी=ण के संचालन के िलए ोटोकॉल के िलए िभŒ आचार सिमित क मंजूरी लेने से पहले क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को Nतुत कया जाएगा; (iv) आचार सिमित "ारा दान कए गए अनुमोदन के बारे म0 क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को ऐसे अनुमोदन दान कए जाने क सूचना पं;ह कायदवस& के भीतर दे दी जाएगी; (v) परी=ण हेतु पहले Bि% के नामांकन से पूव भारतीय िचकSसा अनुसंधान पLरषद् "ारा अनुरि=त भारतीय नैदािनक परी=ण रिजNrीकरण के पास नैदािनक परी=ण को रिजNrीकृ त कराया जाएगा; (vi) नैदािनक परी=ण अनुमोदत नैदािनक परी=ण ोटोकॉल और अKय संबंिधत दNतावेज& के अनुसार और अsछे नैदािनक अuयास दशािनदzश& और इन िनयम& के ावधान& के अनुसार कया जाएगा; (vii) परी=ण अधीन Bि%य& के नामांकन क िNथित, /ैमािसक आधार पर या अनुमोदत नैदािनक परी=ण ोटोकॉल के अनुसार उपचार क अविध के उपयु%ानुसार, जो भी पहले हो, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को Nतुत कया जाएगा। (viii) Sयेक नैदािनक परी=ण क छमाही िNथित Lरपोट यथा क वह जारी है, या पूरा हो चुका है या िनरNत कया जा चुका है, क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को इलेnrािनक ?प से सुगम पॉटल पर Nतुत क जाएगी; (ix) कसी नैदािनक परी=ण को िनरNत कए जाने के मामले म0 ऐसे िनरNतीरकण के िवNतृत कारण क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को िनरNतीकरण के तीस काय दवस के भीतर सूिचत कए जाएंग;े (x) नैदािनक परी=ण अधीन Bि% को नैदािनक परी=ण के दौरान कसी गंभीर ितकू ल घटना होने क कसी Lरपोट को यथा िवेषण के प:ात् तीसरी अनुसूची क सारणी 5 के अुनसार व अWयाय VI म0 यथा िविनjदk [Hkkx II—[k.M 3(i)] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 15 कायिविधय& का अनुपालन करते +ए उस घटना के चौदह दन& के अंदर क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण, आचार सिमित के अWय= और जहां नैदािनक परी=ण कया गया है उस संNथान को भेजी जाएगी; (xi) नैदािनक परी=ण के दौरान परी=ण अधीन Bि% को =ित प+ंचने के मामले म0 अWयाय VI के अनुसार संपण ू िचकSसा बंधन और मुआवजा दान कया जाएगा तथा ऐसे मामल& म0 दान कए गए मुआवजे के िववरण क सूचना क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को उ% अWयाय के उपबंध& के अनुसार अनु]ापन ािधकरण "ारा दये गए आदेश क ािD के तीस दन& के अंदर दी जाएगी; (xii) नैदािनक परी=ण के दौरान कसी परी=ण अधीन Bि% क मृSयु या Nथायी िवकलांगता होने के मामले म0, अWयाय VI के अनुसार मुआवजा दान कया जाएगा तथा ऐसे मामल& म0 दान कए गए मुआवजे के िववरण क सूचना क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को अWयाय VI के अनुसार क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा दये गए आदेश क ािD के तीस दन& के अंदर दी जाएगी; (xiii) ायोजक के पLरसर उसके ितिनिधय& और नैदािनक परी=ण Nथल& सिहत क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण के अिधकाLरय& "ारा िनरी=ण के िलए खुला रहेगा जो क क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण "ारा यथा ािधकृ त रा\य अनु]ापन ािधकरण के अिधकाLरय& या बाहरी िवशेष]& के साथ इन िनयम& क अपे=ाb और अsछे नैदािनक अuयास दशािनदzश& के अनुपालन का सSयापन करने, िनरी=ण करने, कसी भी Lरकॉड क खोज और जHत करने, पLरणाम दNतावेज, नैदािनक परी=ण से संबंिधत अनुसंधानाSमक उSपाद के िलए आ सकते हC तथा नैदािनक परी=ण के संबंध म0 उपयु% अिधकारी "ारा पूछे गए Ž का उ#र देना होगा; (xiv) जहां नई औषिध या अनुसंधानाSमक नई औषिध नैदािनक िवकास म0 उपयोगी पायी जाती है वहां ायोजक इन िनयम& के अWयाय X के अनुसार भारत म0 नई औषिध क िब_ या िवतरण हेतु आयात या िविनमाण क अनुमित हेतु क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण को आवेदन Nतुत करे गा, जब तक क अKयथा ?प से Kयायसंगत न पाया जाए; (xv) कसी Bि% या कसी कं पनी या अKय कसी िविधक संNथा के NवािमSव वाली योगशाला को ऐसे Bि% "ारा योग म0 लाया जा रहा है िजसे अनुसंधान तथा िवकास के िलए नैदािनक परी=ण क अनुमित दान क गई है, उसे क0 ;ीय अनु]ापन ािधकरण के साथ रिजNrीकृ

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