Indian Polity Past Papers PDF

Summary

These notes cover Indian Polity, specifically focusing on various Acts from 1773 to 1935. Key topics include the Regulating Act, Pitt's India Act, and the development of governance in India. The document likely serves as study material for students.

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Indian Political Notes – SLC Classes SLC Classes – 9672948287 Chapter (1) भारतीय शासन अधिधनयम 1919/1935 सध िंिान धनमााण, मुख्य ध शेषताएँ 1773 का रैग्यूलैधटिंग एक्ट ✓ कम्पनी के शासन (ईस्ट इधिं िया कम्पनी 31 धिसम्बर 1600 को महारनी एधिलाबेथ ने व्यापा...

Indian Political Notes – SLC Classes SLC Classes – 9672948287 Chapter (1) भारतीय शासन अधिधनयम 1919/1935 सध िंिान धनमााण, मुख्य ध शेषताएँ 1773 का रैग्यूलैधटिंग एक्ट ✓ कम्पनी के शासन (ईस्ट इधिं िया कम्पनी 31 धिसम्बर 1600 को महारनी एधिलाबेथ ने व्यापाररयों के एक िल को 15 षों के धलए भारत सधहत िधिण िेशों में व्यापार की स् तिंत्रता एकाधिकार धिया) को धनयिंधत्रत करने के प्रयास के तहत तत्कालीन धिधटश प्रिानमिंत्री लॉिा नॉथा द्वारा स् ीकृत इस एक्ट को 21 िून 1773 को लागु धकया। ✓ इसके द्वारा भारत में के न्द्रीय प्रशासन की नीं रखी गई। ✓ यह भारतीय सधिं िान के ध कास का प्रथम किम माना गया। ✓ इसके द्वारा बिंगाल के ग नार को 'बिंगाल का ग नार िनरल' का नाम धिया गया तथा इसकी सहायता हेतु एक चार सिस्यों की कायाकारी पररषि का गठन धकया पहले ग नार ारेन हेधस्टिंग्स ✓ इसके तहत बम्बई मरास प्रेधसिेंधसयों के ग नार बगिं ाल के अिीन हो ✓ गए। कम्पनी कमाचाररयों को धनिी व्यापार भारतीयों से उपहार ररश्वत लेने पर रोक लगा िी गई। ✓ + इसके तहत कलकत्ता में एक उच्चतम न्द्यायलय (1774) की स्थापना की गई। इसमें एक मुख्य न्द्यायिीश तीन अन्द्य न्द्यायिीश थे। ✓ + प्रथम मुख्य न्द्यायिीश सर एधलिा एम्पी थे। ✓ + इस स ोच्च न्द्यायलय का नाम Apex Court रखा गया। ✓ + तीन अन्द्य न्द्यायिीश चेम्बिा, धलमैस्टर, हाइि। 1784 का धपट्ट इधिं िया एक्ट ✓ + इस एक्ट के तहत कम्पनी के रािनीधतक व्यापाररक कायो को िो भागों में बािंट धिया गया। (इसी को द्वैत शासन कहा) ✓ रािनीधतक कायों के धलए धनयिंत्रक मिंिल (बोिा ऑफ किंट्रोल)। 18 सिस्य का गठन धकया। ✓ व्यापाररक कायों के धलए सच िं ालन मििं ल (बोिा ऑफ िायरेक्टसा) 6 सिस्य का गठन धकया गया। ✓ इस एक्ट का नाम तत्कालीन धिधटश प्रिानमिंत्री ध धलयम धपट के नाम पर पडा। ✓ धपट्स इधिं िया एक्ट ध ाि एकमात्र ऐसा भारतीय मामला था धिसके ध ाि को लेकर धिटे न की सरकार धगरी। (लॉिा नॉथा फॉक्स की धमली-िुली सरकार) - ग नार िनरल की पररषि की सख् िं या 4 से 3 कर िी गई। 1786 का अधिधनयम । चाटार एक्ट SLC Classes – 9672948287 ✓ + 20 षा के अन्द्तराल पर पाररत धकए गए एक्ट को ही चाटार एक्ट कहा गया। (1786 से 1857 के िौरान) 1. 1793 का चाटार एक्ट- ✓ + इसके द्वारा कम्पनी के अधिकारों को 20 षा के धलए बढा धिया गया। ✓ + धनयत्रिं क मििं ल के सिस्यों को ेतन भारतीय रािस् से िेने की व्य स्था की गई। 2. 1813 का चाटार एक्ट ✓ + इसके तहत कम्पनी के व्यापाररक एकाधिकार को समाप्त कर धिया गया तथा अन्द्य धिधटश यूरोधपयन नागररकों को भी व्यापार का अधिकार धिया गया। ✓ + ग नार प्रिान सेनापधत की धनयुधि का अधिकार सम्राट को सौंप धिया गया। ✓ + कम्पनी सालाना भारत में धशिा पर 1 लाख रूपये खचा करेगी। (पहली बार धशिा पर खचा) ✓ + 20 हिार अिंग्रेिी सैधनक अपने खचे पर कम्पनी भारत में रखेगी। ✓ + ईसाई िमा प्रचारकों को भारत में िमा प्रचार की छूट िी गई। ✓ + कम्पनी का चाय का एकाधिकार बना रहा िो चीन के साथ था। ✓ + स्थानीय स् ायतशासी सिंस्थाओ िं के करारोपण का अधिकार धिया गया। 3. 1833 का चाटार एक्ट ✓ + इसके द्वारा सशि शासन व्य स्था बनतो हुए बिंगाल के ग नार का सम्पूणा भारत का ग नार िनरल बनाया गया। ✓ प्रथम लािा ध धलयम बैंधटग (बिंगाल के अिंधतम) ✓ + कानून बनाने का अधिकार ग नार िनरल उसकी 4 सिस्यों की पररषि को धिया गया। ✓ + इसके तहत पहले बनाए गए काननू ों को धनयामक काननू कहा गया बाि में बने काननू ों को अधिधनयम/एक्ट कहा गया। ✓ + पररषि का चौथा सिस्य ध धि अधिकारी के रूप में िोडा गया। (लािा मैकाले प्रथम ध धि अधिकारी) ✓ + मैकाले के आिेश पर ही भारत में अिंग्रेिी धशिा को लागू धकया गया। ✓ कम्पनी के व्यापार के अधिकार को समाप्त कर धिया गया। ✓ कम्पनी को के ल रािनीधतक काया का अधिकार धिया। ✓ + + इसके तहत कानूनों को धलधपबद्ध करने के धलए ध धि आयोग के गठन का प्रा िान धकया गया। ✓ + लािा माले ने कहा धक 1909 तक पाररत सभी एक्ट में के ल इसी अधिधनयम में मूल अधिकारों का बीि धमलता है। SLC Classes – 9672948287 4. 1853 का चाटार एक्ट ✓ + इसके तहत स ाप्रथम सम्पण ू ा भारत के धलए एक ध िानमण्िल की स्थापना की गई। ✓ + इसके तहत ग नार िनरल की पररषि कायों को िो भागों में बािंट धिया गया। (1) प्रशासधनक ग नार िनरल की कायाकाररणी (ii) ध िायी भारतीय के न्द्रीय ध िान पररषि ✓ + ध िायी कायों हेतु पहली बार भारतीय के न्द्रीय ध िान पररषि का गठन धकया गया (कुल सिस्य-12) ✓ + इसके तहत पहली बार खुली प्रधतयोधगता परीिा आयोिन की बात की गई। धिसमें भारतीयों को बैठने का मौका धिया गया। नोट- प्रथम भारतीय ICS सत्येन्द्रनाथ टैगोर ✓ + खुली प्रधतयोधगता के धलए मैकाले सधमधत का गठन ताधक भारतीयों को शाधमल (द्वार खोले िाए) धकया िा सके । (1854) 1858 का भारत शासन अधिधनयम ✓ + इसके तहत कम्पनी का शासन सीिे धिधटश सरकार को सौंप धिया गया। ✓ + ग नार िनरल को ायसराय कहा िाने लगा। ✓ प्रथम ायसराय लािा के धनिंग ✓ भारत सधच नामक पि सृधित धकया गया तथा इसका मुख्यालय लिंिन रखा गया। ✓ प्रथम सधच चार्लसा िु ✓ + भारत सधच धिटे न सिंसि का सिस्य था उसके प्रधत उतरिायी (िनता भारतीय के धलए नहीं) ✓ सधच के धलए 15 सिस्यों की भारत पररषि का गठन धकया गया। ✓ पररषि के आिे सिस्य ो होगें धिन्द्होंने 10 साल भारत में से ा िी हो। ✓ 1784 के एक्ट की द्वैत शासन व्य स्था समाप्त। ✓ 1858 के सन्द्िभा में महारानी ध क्टोररया की घोषणा को 1 न म्बर 1858 को इलाहबाि िरबार में लािा के धनिंग द्वारा पढकर सुनायी गई। ✓ इस एक्ट को 1858 एक्ट फार िी ेटर ग नामेंट ऑफ इधिं िया कहा िाता 14 ✓ भारत सधच धिधटश मिंधत्रमण्िल में कै धबनेट मिंत्री होता था िो सस िं ि के प्रधत उतरिायी होता था। ✓ इसके तहत बम्बई, मरास कलकता ध श्वध द्यालयों की स्थापना की गई। SLC Classes – 9672948287 1909 का भारत शासन अधिधनयम + यह एक्ट'सर-ए-एरूलैण्ि' सधमधत की धसफाररश पर लागू धकया गया। + इसे माले-धमण्टो अधिधनयम भी कहा िाता है। इस समय ायसराय लॉिा धमिंटो सधच लॉिा माले थे। + इसके तहत प्रथम बार भारतीयों को ध िायी प्रशासधनक कायों में भागीिार बनाया गया। नोट- ायसराय की कायाकाररणी में शाधमल होने ाले प्रथम भारतीय 'सत्येन्द्र प्रसाि धसन्द्हा' थे िो ध धि अधिकारी बने। + के न्द्रीय ध िान पररषि का नाम 'औपधन ेधशक ध िान पररषि' कर धिया सिस्य सख् िं या - 60 + साम्प्रिाधयक धन ााचन प्रणाली शरू ु की गई मस ू लमानों को पथ ृ क धन ााचन मण्िल की व्य स्था की गई। + लॉिा धमण्टो ने लॉिा माले को धलखे पत्र में कहा धक आि हमने घातक ध ष के बीि बो धिए है। धिसकी फसल बहुत कड ी होगी। + K.M. मश ुिं ी ने कहा धक इन्द्होंने उभरते हुए प्रिातत्रिं को मार धिया। इसके तहत मताधिकार का अधिकार भारधतयों को धिया गया िो सामान्द्य ना होकर सम्पधत्त, कर उपाधि तक सीधमत था। + लॉिा धमन्द्टो को साम्प्रिाधयक धन ााचन का िनक कहा िाता है। + 1909 का अधिधनयम अिंग्रेिों की कहा त 'फूट िालो और राि करो' *1919 का भारत शासन अधिधनयम नोट- इसके िारी करने का कारण होमरूल आन्द्िोलन 1916 के मेसोपोटाधमया कमीशन की ररपोटा धिसमें धिधटश सरकार को भारत में पूणा रूप से ध फल बताया गया था। ✓ एक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत में उतरिायी शासन की स्थापना करना था। ✓ धिधटश सरकार ने पहली बार 20 अगस्त 1917 को भारत में उतरिायी शासन स्थाधपत करने की घोषणा की। ✓ इस एक्ट के तहत भारत में पहली बार के न्द्र में िो सिनीय ध िानमण्िल की स्थापना की। ✓ ध िानसभा 145 सिस्य (104- धन ााचन + 41 मनोधनत) ✓ तामान लोकसभा - 3 षा कायाकाल ✓ ध िानपररषि - 60 सिस्य (34 - धन ााचन + 26 मनोधनत) ✓ सिस्य का कायाकाल 5 षा ✓ तामान राज्यसभा स्थायी सिन (सिस्य का कायाकाल 5 षा) ✓ प्रान्द्तों में एकसिनीय ध िानमण्िल बनाया गया। ✓ बडे प्रान्द्तों के धलए 140 सिस्य छोटे प्रान्द्तों के धलए - 60 - शधियों का ध भािन 2 सधू चयों में - (i) सिंघीय सूची (ii) प्रान्द्तीय सूची SLC Classes – 9672948287 ✓ इस एक्ट के तहत प्रान्द्तों में द्वैि शासन लागु धकया गया। प्रान्द्तों के समस्त ध षय को (रधित हस्तािंतररत) िो भागों में बािंट धिया गया। रधित ध षय (29) ग नार उसकी कायाकाररणी को तथा हस्तािंतररत ग नार उसकी पररषि को सौंपे गए। ✓ द्वैत शासन का प्रारम्भ 1 अप्रैल 1921 को प्रारम्भ धकया गया। िो 1 अप्रैल 1937 तक रहा। ✓ 8 प्रन्द्तों में शरू ु (बगिं ाल, बम्बई, मरास, पि िं ाब, धबहार, असम, सयिं ि ु प्रान्द्त, मध्य प्रान्द्त) ✓ इसमें के न्द्रीय प्रान्द्तीय बिट अलग-अलग कर धिया। ✓ पृथक धन ााचन को बढाकर धसक्ख, इसाई, यूरोपीय आिंग्ल भारतीयों पर भी लागु कर धिया। ✓ इस एक्ट में सघिं लोक से ा आयोग के गठन का प्रा िान धकया गया। ✓ उिार ाधियों ने इस एक्ट को भारत का मैग्नाकाटाा कहा। ✓ ग नार की कायाकाररणी में भारतीयों की सिंख्या 1 से 3 की गई (कुल 8 सिस्य, 3 भारतीय) ✓ 8 फर री 1921 को धिर्लली में नरेश मण्िल की स्थापना ायसराय की अध्यिता में। कुल 121 रािा उपधस्थत । कथन ✓ 1919 के एक्ट को कािंग्रेस ने धनराशािनक असिंतोषप्रि कहा। ✓ धतलक ने असिंतोषप्रि, धनराशािनक एक धबना सूरि का स ेरा कहा। ✓ इसे मािंग्टे ग्य-ू चेम्सफोिा अधिधनयम कहा िाता है। ✓ ायसराय - लॉिा चेम्सफोिा सधच मािंटेग्यू । ✓ इसमें प्रत्यि धन ााचन प्रणाली शुरू की धिसमें िनता का मताधिकार 3% से बढाकर 10% कर धिया। * साइमन कमीशन ✓ 1919 में पाररत अधिधनयम की िािंच के धलए 'सर िॉन साइमन' के नेतृत् में 6 अिंग्रेि (कुल 7) सिस्यों ाला िल 8 न म्बर 1927 को गधठत धकया गया। ✓ 3 फर री 1928 को साइमन कमीशन भारत पहुिंचा। ✓ इस समय ायसराय लॉिा इरध न सधच लॉिा ध क्रैन हैि थे। ✓ साइमन कमीशन में एक भी सिस्य भारतीय ना होने के कारण इसका ध रोि धकया गया। ✓ 17 न म्बर 1928 को ध रोि में लाठीचािा में घायल होने पर लाला लािपतराय की मृत्यु हो गयी। ✓ साइमन कमीशन पर ध चार करने के धलए 1930, 1931, 1932 को लििं न में तीन गोलमेि सम्मेलनों का आयोिन धकया गया। ✓ कािंग्रेस ने 5 माचा 1931 को गािंिी-इरध न समझौते के आिार पर गािंिी के नेतृत् में 1931 के िुसरे गोलमेि में भाग धलया। SLC Classes – 9672948287 *नेहरू ररपोटा ✓ भारत सधच लॉिा ध के न हैि ने कहा धक भारतीय लोग सिंध िान बनाने सिम नहीं है। ✓ -इसे चुनौती लेकर सभी भारतीय िलों ने मोतीलाल नेहरू की अध्यिता में मई 1928 में एक सधमधत बम्बई में गधठत की धिसका नाम स ािधलय कमेटी रखा गया। ✓ इसमें कुल 11 सिस्य (3) काग्रेस 2 मुधस्लम + 1 उिार ािी + 1 अकाली िल + 1 िधलत + 1 श्रम + 2 धहन्द्िु महासभा) ✓ इस सधमधत ने िो ररपोटा बनाई उसे नेहरू ररपोटा / सिंध िान का ब्लू धप्रिंट कहा गया। इसे 10 अगस्त 1928 को लखनऊ अधि ेशन में प्रस्तुत धकया लेधकन मिंिूर नहीं धकया। नोट- नेहरू ररपोटा को श्यामा प्रसाि मुखिी ने प्रथम भारतीय सिंध िान का स् रूप/ब्लू धप्रिंट कहा। *1935 का भारत शासन अधिधनयम 1 अप्रैल 1935 को लागु ✓ यह एक बडा िस्ता ेि था धिसमें 448 अनच्ु छे ि, 16 अनस ु च ू ी। ✓ इनमें से 321 अनुच्छे ि 10 अनुसूची 14 भाग भारत पर लागु थे अन्द्य माा (म्यामािंर) पर लागु। - इसके तहत पहली बार के न्द्र प्रान्द्तों में तीन सूधचयों के माध्यम से शधियों का ध भािन धकया गया। (i) सिंघ सूची - सिंघ सरकार द्वारा कानून धनमााण 59 ध षय (ii) प्रान्द्तीय सूची - प्रान्द्तीय सरकार कानून धनमााण - 54 ध षय (iii) सम ती सूची - सिंघ सरकार कानून धनमााण - 36 ध षय अन्द्य ध षय अ धशष्ट ध षयों के नाम से ायसराय के पास। नोट- ायसराय को यह अधिकार भी प्राप्त था धकस ध षय को धकस सूची में शाधमल करें। (i) ध िानसभा 375 सिस्य - प्रान्द्तो से 250 - िेशी ररयासतों से 125 - कायाकाल - 5 षा (ii) ध िानपररषि 260 सिस्य - प्रान्द्तों से 156 - िेशी ररयासतों से 104 - स्थायी सिनिं/सिस्यों का कायाकाल 6 षा (2 साल से न ीन) ✓ िोनों सिनों द्वारा पाररत होने ायसराय के हस्तािर से ही कोई ध िेयक काननू बन सकता था। ✓ िन ध त्त ध िेयक पहले ध िानसभा में ही प्रस्तुत धकए िाते थे। ✓ िोनों सिनों में मतभेि होने पर सिंयुि अधि ेशन का प्रा िान था। SLC Classes – 9672948287 ✓ इस एक्ट से 6 प्रान्द्तों से धद्व-सिनीय ध िानमण्िल बनाया गया। (i) बगिं ाल (ii) धबहार (iii) बम्बई (iv) सयिं ि ु प्रान्द्त (iv) असम (v) मरास ✓ -1935 में आरधित ध षय ायसराय उसकी कायाकाररणी । हस्तािंतररत ध षय - ायसराय उसकी पररषि को। ✓ -इस एक्ट से द्वैि शासन को प्रान्द्तों से हटाकार के न्द्र में लागु कर धिया प्रान्द्तों में पण ू ा उतरिायी शासन लागु कर धिया। के न्द्र में आधिं शक उतरिायी। ✓ -इसके द्वारा सिंघ लोक से ा आयोग के साथ राज्य लोक से ा आयोग के गठन का भी प्रा िान धकया। ✓ -RBI सिंघीय रेल े प्राधिकरण की स्थापना की। ✓ -सघिं ीय न्द्यायलय की स्थापना ✓ कुल न्द्यायिीश सात (1+6) ✓ प्रथम - मौररन ग् ेयर ✓ -बमाा को भारत से अलग कर धिया। ✓ -ि ाहरलाल नेहरू ने इसे 'िासता का घोषणा पत्र' कहा तथा इसे 'अनेक िेको ाली इधिं िन रधहत गाडी के समान बताया।' ✓ -भारत सधच की भारत पररषि समाप्त। ✓ -सिंघात्मक शासन की शुरूआत ✓ -सिंध िान पर सबसे बडा प्रभा 1935 का पडा (250 अनुच्छे ि धलए गए।) | ✓ -एटली ने इसे अध श्वास का प्रधतक कहा। ✓ -रािगोपालचाया ने कहा- 'नया द्वैि शासन पुराने द्वैि शासन से भी बुरा है।' ✓ -मोहम्मि अली धिन्द्ना ने कहा '1935 की योिना पूणा रूप से सडी हुई है।' ✓ -मिन मोहन माल ीय ने कहा 'यह अधिधनयम हम पर थोपा गया है। िो बाहर से कुछ िनतत्रिं ीय शासन से धमलता है। पर भीतर से खोखला है * धक्रप्स प्रस्ता ✓ भारत में रािनीधतक ैिाधनक गधतरोि िूर करने हेतु 22 माचा 1942 को सर स्टे र्लिा धक्रप्श के नेतृत् में एक धमशन भारत आया। ✓ महात्मा गािंिी ने इसे उत्तर धतथीय चैक कहा। ✓ ि ाहरलाल नेहरू ने इसे धि ाधलया बैंक के नाम का चैक कहा। बे ेल योिना ✓ 22 िून 1945 को ायसराय लािा बे ेल द्वारा धशमला में स ािलीय सम्मेलन SLC Classes – 9672948287 ✓ बल ु ाया। (परन्द्तु असफल रहा) ✓ सिंध िान शब्ि का सधिं िान सभा शब्ि का प्रयोग स ाप्रथम धिटे न के हेनरी मेन ने धकया। ✓ सिंध िान सभा शब्ि का ध चार मािंग करने ाला पहला रािनीधतक िल स् राज्य िल था। (मािंग 1924 1934) SLC Classes – 9672948287 Chapter – 2 सिंध िान सभा सिंध िान धनमााण ✓ सिंध िान सभा के गठन की मािंग स ाप्रथम धतलक ने 1895 के स् राज्य ध िेयक में उठाई। ✓ 5 िन री 1922 को गािंिी िी ने कहा धक सिंध िान का धनमााण भारतीयों द्वारा भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा। ✓ औपचाररक रूप से सधिं िान सभा के गठन की मािंग स ाप्रथम M.N राय (मान ेन्द्र नाथ राय) ने 1934 में उठाई ✓ 1928 में मोतीलाल नेहरू ने नेहरू ररपोटा के माध्यम से सधिं िान की मािंग की। ✓ 1938 में ि ाहरलाल नेहरू ने 'व्यस्क मताधिकार' के आिार पर सिंध िान सभा की मािंग की। ✓ 1942 में 'धक्रप्श धमशन' में धिधटश सरकार ने सधिं िान सभा के माध्यम से सधिं िान धनमााण की मािंग को स् ीकृधत िी। ✓ धिधटश सरकार ने 'कै धबनेट धमशन योिना' में सधिं िान सभा के प्रस्ता को स् ीकार धकया। *कै धबनेट धमशन -भारत की आिािी के मसले को हल करने के स ाल पर धिटे न के तत्कालीन प्रिानमिंत्री 'क्लीमेंट एटली' (लेबर पाटी) ने अपने तीन कै धबनेट मिंत्री भारत भेिे यह 24 माचा 1946 को भारत पहुिंचा। सिस्य (1) लॉिा पेधथक लॉरेन्द्स - अध्यि (भारत सधच ) (ii) स्टेफिा धक्रप्श (व्यापार मिंत्री) (iii) A.V. अलेक्िेंिर (नौसेना मिंत्री) नोट- कै धबनेट धमशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय नेतृत् को सत्ता सौंपने पर ध चार करना था। गोण उद्देश्य िेश का ध भािन करना *सिंध िान सभा का गठन 1. कै धबनेट धमशन (16 मई 1946) सिस्य - 389 292- धिधटश प्रान्द्तों से, 4 के न्द्र शाधसत प्रिेशों से - धन ााधचत , 93 िेशी ररयासतो से मनोधनत 2. माउिंट बेटन योिना (3 िून 1947) सिस्य 324 (235 89) SLC Classes – 9672948287 3. सिंध िान सभा पुनगाठन (31 अक्टूबर 1947) सिस्य 299 (229 70) नोट चीफ कमीशनरी िेत्र - (i) धिर्लली (ii) अिमेर-मेर ाडा (iii) ब्लधु चस्तान-पाधकस्तान (iv) कुगा -भारत 11 धिधटश प्रान्द्तों में ध भि था। -हैिराबाि एक ऐसी ररयासत थी धिसके सिस्यों ने सभा में भाग नहीं धलया। -सधिं िान सभा के सिस्यों का चुना अप्रत्यि रूप से प्रान्द्तों की ध िानसभाओ िं द्वारा आनपु ाधतक प्रधतधनधित् की एकल सक्र िं मणीय मत प्रणाली द्वारा हुआ । नोट- सधिं िान सभा का एक सिस्य 10 लाख लोगों का प्रधतधनधित् करता था। -िल ु ाई 1946 में चुना हुए धिसमें 208 सीट कािंग्रेस, 73 सीट मधु स्लम लीग, 7 अन्द्य पाटी, 8 धनिालीय। -सधिं िान सभा के सिस्यों को 3 गो में ध भाधित धकया गया। (i) सामान्द्य गा-213 (ii) मुधस्लम गा -79 (iii) धसक्ख गा -4 कुल - 296 सीट -सिंध िान सभा में मधहलाओ िं की कुल सिंख्या 15 थी। इसमें 9 धन ााधचत 6 मनोधनत थी। िबधक 8 मधहलाओ िं ने सिंध िान पर हस्तािर धकए। नोट - मुधस्लम लीग ने अपनी कमिोर धस्थधत के कारण सिंध िान सभा का बधहष्कार कर धिया तथा 16 अगस्त 1946 को प्रत्यि काया ाही धि स मनाया। इसमें महत् पूणा योगिान 'हसन सुराह िी' ने धिया। ये कलकत्ता के मुख्यमिंत्री थे। SLC Classes – 9672948287 -सिंध िान के सत्र बैठकें 11 सत्र 166 बैठक ✓ प्रथम बैठक 9 धिसम्बर 1946 ✓ सिंसि के के न्द्रीय कि में प्रातः 11 बिे ✓ कािंग्रेस के 207 सिस्यों ने भाग धलया। ✓ अस्थाई अध्यि सधच्चािानन्द्ि धसन्द्हा नोट- फ्ािंस की ररष्ठता परम्परा के आिार पर J.B कृपलानी (तत्कालीन कािंग्रेस अध्यि) ने धसन्द्हा को अध्यि पर हेतु आमिंधत्रत धकया धिसका अनुमोिन सरिार र्ललभ पटे ल ने धकया। ✓ सिंध िान सभा के प्रथम अधि िा स ा. रािाकृष्णन थे। ✓ 11 धिसम्बर 1946 को आयोधित बैठक में रािेन्द्र प्रसाि को स्थाई अध्यि बनाया गया। तथा बेनेगल नरधसम्हा रा (B.N. रा ) को इसी बैठक में सिं ैिाधनक सलाहकार बनाया गया। नोट- B.N. रा को सधिं िान का धशर्लपकार कहा िाता है। ✓ 13 धिसम्बर 1946 को आयोधित बैठक में ि ाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ता प्रस्तुत धकया था इसी से सिंध िान का धनमााण काया शुरू। ✓ उद्देश्य प्रस्ता के अिंश (कुल 8 अनुच्छे ि थे) (i) सिंध िान सभा भारत को स् तिंत्र प्रभुसता सिंपन्द्न राज्य घोधषत करे। (ii) सभी के धहतों का ध्यान रखा िाएगा। (iii) सामाधिक, रािनैधतक आधथाक स् तिंत्रता की गारिंटी रहेगी। ✓ इस प्रस्ता को सध िान सभा ने कुछ सिंशोिन के बाि 22 िन री 1947 को पाररत कर धिया। ✓ इसी प्रस्ता के आिार पर B.N. रा ने सिंध िान का प्रथम प्रारूप तैयार धकया धिसे प्रस्ता ना (उद्दधशका) कहा गया। ✓ इस प्रारूप की िािंच करने हेतु 29 अगस्त 1947 को अम्बेिकर की अध्यिता में सात सिस्यों की प्रारूप सधमधत का गठन धकया गया। (i) अम्बेिकर - अध्यि (धन ााचन बगिं ाल से) (ii) K.M. मश ुिं ी (iii) सैयि मोहम्मि सािुर्लला (iv) B.L. धमतर (v) अर्ललािी कृष्ण स् ामी अय्यर (vi) N. गोपालस् ामी (vii) D.P. खेतान SLC Classes – 9672948287 प्रारूप सधमधत की पहली बैठक 30 अगस्त 1947 को हुई इसने अपनी ररपोटा 21 फर री 1948 को सौंपी। नोट- 24 िन री 1947 को प्रथम उपाध्यि H.C. मुखिी (हरेन्द्र कुमार मुखिी) ि की िूसरे उपाध्यि - VT. कृष्णामचारी। *सिंध िान सभा की सधमधतयािं - 1. प्रारूप सधमधत/मसौिा सधमधत/ड्राध्टिंग कमेटी- अम्बेिकर 2. सिंघ शधि सधमधत - ि ाहरलाल नेहरू 3. सघिं सधिं िान सधमधत - ि ाहरलाल नेहरू 4. सच िं ालन सधमधत- रािेन्द्र प्रसाि 5. प्रान्द्तीय सधमत - सरिार र्ललभ भाई पटेल 6. मौधलक अधिकार- सरिार र्ललभ भाई पटेल 7. परामशा सधमधत- सरिार र्ललभ भाई पटे ल (इसमें मल ू अधिकार, अर्लपसख् िं यकों, िनिाधतयों की चचाा, बधहष्कृत िेत्र) 8. राज्यों के धलए सधमधत - ि ाहरलाल नेहरू (राज्यों से समझौता) 9. प्रधक्रया धनयम सधमधत- रािेन्द्र प्रसाि 10. ध त्त कमाचारी सधमधत - रािेन्द्र प्रसाि 11. काया सच िं ालन सधमधत - K.M. मश ुिं ी 12. राष्ट्र ध् ि तिथा सधमधत -रािेन्द्र प्रसाि 13. सधिं िान सभा के कायों के धलए सधमधत -िी. ी. मा लक िं र 14. झण्िा सधमधत -िे.बी. कृपलानी 15. मौधलक अधिकार उप सधमधत- िे.बी. कृपलानी 16. अर्लपसिंख्यक उप सधमधत - H.C. मुखिी 17. तिथा सधमधत - एस. िाा 18. SC. सधमधत - S. बारिाचाररयार कुल 11 सत्र 1.9 - 23 धिसम्बर, 1946 पहला उद्देश्य प्रस्ता SLC Classes – 9672948287 2. 20-25 िन री, 1947 िुसरा नया पि उपाध्यि बनाया गया 3.28 अप्रैल 2 मई, 1947 - तीसरा 4. 14-31 िुलाई, 1947 चौथा 22 िुलाई को राष्ट्रध् ि स् ीकार 5. 14-30 अगस्त 1947 पािंच ा माउिंट बेटन का सिन में प्रथम भाषण 6. 27 िन री, 1948- छठा के ल एक धिन (पधिम बिंगाल 1921 सिंख्या, पिंिाब 12-16) 7. 4 न म्बर, 1948-8 िन री, 1949 सात ािं सधिं िान का प्रथम िुसरा ाचन 8. 16 मई 16 िनू , 1949 - आठ ािं 9. 30 िुलाई-18 धसतम्बर, 1949 - न ािं 10. 6-17 अक्टुबर 1949 िस ािं प्रस्ता ना स् ीकार 11. 14-26 न म्बर 1949 ग्यारह ािं - तीसरा ाचन *सधिं िान सभा द्वारा स् ीकृत -22 िल ु ाई 1947 - राष्ट्रीय ध् ि -24 िन री 1950 - राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रीय गान -16 मई, 1949 - भारत को राष्ट्रमण्िल की सिस्यता -14 धसतम्बर, 1949 - धहन्द्िी को रािभाषा के रूप में स् ीकृत -26 िन री, 1950 - राष्ट्रीय धचह्न *सिंध िान का लागु होना - -सिंध िान सभा द्वारा सिंध िान को लागू करने से पहले 3 बार ाचन धकया गया। (1) प्रथम ाचन 4 न म्बर 9 न म्बर 1948, िा रािाकृष्णन (ii) िुसरा ाचन 15 न म्बर 1948 से 17 अक्टूबर 1949, इस िौरान 7635 सिंशोिन प्रस्ता आए धिनमें 2437 पर ही सभा में चचाा हुई। (iii) तीसरा ाचन 14 से 26 न म्बर, 1949 SLC Classes – 9672948287 ✓ अिंधतम ाचन के अिंधतम धिन (26 न म्बर) सधिं िान सभा के कुल 299 में से उपधस्थत 284 सिस्यों ने सधिं िान पर हस्तािर धकए सधिं िान को अधिधनयधमत, आत्माधपात, ग्रहण, स् ीकार, अिंगीकार, अिंगीकृत आधिं शक रूप से लागु धकया (धमधत मागाशीषा शुक्ल सप्तमी सिं त िो हिार छः ध क्रमी) ✓ इस धिन के ल 16 अनुच्छे ि (5,6,7,8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392, 393, 394), अनुच्छे ि 394 के अनुसार लागू धकए गए। ✓ 26 न म्बर को ध धि धि स के रूप में मनाया िाता है। ✓ 26 िन री 1950 को पूणा रूप से सिंध िान लागु धकया गया तब इसमें 22 भाग, 395 अनुच्छे ि, 8 अनुसूची ( तामान 12 अनुसूची) ✓ कुल समय 2 षा 11 माह, 18 धिन ✓ कुल खचाा 63 लाख 96 हिार 729 रुपये (64 लाख) ✓ 24 िन री 1950 को सिंध िान सभा की अिंधतम बैठक हुई इसमें रािेन्द्र प्रसाि को राष्ट्रपधत मनोधनत धकया गया। ✓ 24 िन री को सिंध िान सभा को भिंग कर धिया लेधकन इसे प्रथम लोकसभा के गठन तक अस्थाई सिंसि में बिल धिया तथा GV. मा लिंकर को अध्यि बनाया गया। ✓ स् तत्रिं ता के समय धिधटश प्रिानमत्रिं ी क्लीमेंट एटली कािंग्रेस अध्यि- िे.बी. कृपलानी। ✓ 24 िन री को 284 सिस्यों ने पुनः हस्तािर धकए। नोट- सिंध िान धनमााण हेतु सिंध िान धनमााताओ िं ने 60 िेशों के सिंध िान का अ लोकन धकया। नोट- सिंध िान सभा द्वारा महु र के रूप में हाथी का प्रतीक अपनाया। नोट- प्रेम धबहारी नारायण रायिािा द्वारा इटै धलक शैली में सिंध िान हस्तधलधखत धकया गया। नोट- धहन्द्िी में सिंध िान लेखन सिंत कृष्ण ैि *296 सीट का ध भािन- -कािंग्रेस-203 -मुधस्लम लीग-73 -युधनयधनस्ट पाटी-1 -युधनयधनस्ट मुधस्लम-1 -कृषक प्रिा पाटी-1 -शेियूर्लि कास्ट-1 SLC Classes – 9672948287 -धसक्ख (नॉन कािंग्रेस)- -कम्यूधनस्ट पाटी-1 -स् तिंत्र-8 कुल-296 *1946 में समुिाय प्रधतधनधित् *धहन्द्िु-163 -मुधस्लम-80 -अनुसूधचत िाधत-31 -भारतीय ईसाई-6 -धपछडी िनिाधतयाँ-6 -धसक्ख-4 -एग्िं लो-इधिं ियन-3 -पारसी-3 कुल-296 -2 धसतम्बर 1946 को अन्द्तररम सरकार का गठन हुआ। उपाध्यि - ि ाहरलाल नेहरू -चधचाल ने सिंध िान सभा को के ल धहन्द्िुओ िं का सिंगठन कहा। -अन्द्तररम सरकार में 12 सिस्य थे। -माउिंट बेटन योिना के आिार पर उतरी-पधिम सीमा प्रान्द्त, धसन्द्ि, पू ी बिंगाल, ब्लुधचस्तान असम का धसलहट धिला पाधकस्तान में धमला धिए। गए। (धसलहट को िनमत सिंग्रह के आिार पर) -26 िुलाई 1947 को पाधकस्तान के धलए अलग सिंध िान सभा की स् ीकृधत । । -सिंध िान सभा में स ााधिक प्रधतधनधित् धकस सिंयुि प्रान्द्त 55, मरास 49 -ररयासतों में स ााधिक प्रधतधनधित् मैसूर 7, त्रा णकोर - 6 -रािस्थान के कुल 12 (11+1) एकमात्र धन ााधचत मुकुट धबहारी भागा (अिमेर मेर ाडा से) -उस समय के िो महत् पूणा व्यधि धिन्द्होंने सिंध िान सभा की सिस्यता लेने SLC Classes – 9672948287 से इनकार कर धिया था। (i) तेि बहािुर सप्रू (ii) िय प्रकाश नारायण -हैिराबाि ने सिंध िान सभा में भाग नहीं धलया। इसकी सिस्य सिंख्या 16 थी। िेशी ररयासतों में स ााधिक *सधिं िान की ध शेषता 1. धलधखत, धनधमात सबसे व्यापाक- भारत का सम्पण ू ा सिंध िान धलधपबद्ध धकया गया है। न ीनतम सिंध िान -थाइलैि 2017 शब्िों में सबसे छोटा -मोनाको 2. धलधखत रूप से ध श्व का सबसे बडा है। 3. लोकधप्रय सम्प्रभूता पर आिाररत सिंध िान। 4.प्रस्ता ना - भारतीय सिंध िान का प्रारम्भ प्रस्ता ना से होता है। 5. सम्पूणा प्रभूत् सम्पन्द्न लोकतिंत्रात्मक गणराज्य *भारत एक गणराज्य है। क्योंधक राष्ट्रपधत प्रत्यि रूप से धन ााधचत होता है। 6. समाि ािी पिंथ-धनरपेि राज्य 42 ें सिंध िान सिंशोिन 1976 के तहत भारत को समाि ािी ए िं पिंथधनरपेि राज्य घोधषत धकया गया। 7. सस िं िीय सम्प्रभतू ा न्द्याधयक न्द्याधयक सम्प्रभतू ा का धमश्रण 8. व्यस्क मताधिकार - 18 षा की आयु पर प्रत्येक स्त्री-परुु ष को नोट- मल ू सधिं िान में 21 षा थी परन्द्तु 61 ें सधिं िान सश िं ोिन 1989 द्वारा 18 षा की गई। (अनुच्छे ि 326 में मताधिकार का णान) 9. एक रािभाषा - भाग - 17 के अनच्ु छे ि 343 के तहत िे नागरी धलधप में धहन्द्िी को भारत की रािभाषा घोधषत धकया गया। नोट- मल ू सधिं िान में अिंग्रेिी को 15 षा के धलए धहन्द्िी की सहभाषा घोधषत धकया गया था। परन्द्तु 1963 के सहभाषा अधिधनयम के तहत अिंग्रेिी को अधनधित काल के धलए धहन्द्िी की सहभाषा घोधषत कर धिया गया। SLC Classes – 9672948287 Chapter 3. मूल अधिकार ✓ -मूल अधिकारों का िन्द्म 15 िून 1215 में धिटे न में हुआ। धिटे न के शासक धकिंग िॉन द्वारा सामन्द्तों के िबा में अधिकार धिए। ✓ फ्ािंस ध श्व का प्रथम िेश था धिसने 1789 में फ्ािंसीसी क्रािंधत के बाि लोगों को मल ू अधिकार प्रिान धकए गए। ✓ 1791 में अमेररकी सधिं िान में धकए गए 10 सश िं ोिनों के तहत अमेररकी | नागररकों को प्रिान धकए गए। नोट- इन्द्ही 10 सश िं ोिनों को सामधू हक रूप से मलू अधिकारों का अधिकार पत्र (Bill of Right) कहा िाता है। ✓ UNO की सामाधिक और आधथाक पररषि ने 1946 में एलोनोर रूि ेर्लट की अध्यिता में मान ाधिकार आयोग का गठन धकया। इसी की ररपोटा के आिार पर 10 धिसम्बर 1948 को UNO ने मान ाधिकार धि स मनाने की घोषणा की। *भारत में मूल अधिकार ✓ भाग - 3 ✓ अनुच्छे ि 12 से 35 ✓ पररभाषा - अनुच्छे ि 12 (राज्य की) ✓ कहािं से धलए - USA के सधिं िान से ✓ न्द्याधयक प्रकृधत ाि योग्य हैं। (अनुच्छे ि 13 के तहत) न्द्याधयक पुनरा लोकन ✓ प्र ृधत - नकारात्मक -नोट- प्रारम्भ में भारतीय नागररकों को 7 मूल अधिकार प्रिान धकए गए थे परन्द्तु 44 ें सिंध िान सिंशोिन 1978 के द्वारा सम्पधत्त के मूल अधिकार को अनुच्छे ि 31 से हटाकर 300.A (भाग-12) में रखकर एक कानूनी अधिकार बना धिया गया। 20.6.1979 से लागु । - पररभाषा- राज्य, सरकार अथ ा धकसी अन्द्य सिंगठन द्वारा प्रिान धकए गए व्यधि के ो अनुलिंघनीय अधिकार धिनके अभा में व्यधि का स ाागीण ध कास नहीं होता। * मल ू अधिकार 1.समानता का अधिकार (अनच्ु छे ि 14-18) - अनच्ु छे ि 14- ध धि के समि समानता - यह शब्िा ली धिटेन के िायसी द्वारा प्रधतपाधित ध धि के शासन से ली गई है िो धक नकारात्मक है। िबधक काननू का सम्मान सरिं िण शब्िा ली अमेररका से ली गई है िो सकारात्मक है। SLC Classes – 9672948287 -अनच्ु छे ि 15 - राज्य द्वारा भेिभा का धनषेि राज्य द्वारा िाधत, मल ू िंश, धलिंग, िमा, िन्द्म-स्थान के आिार पर भेिभा का धनषेि अनुच्छे ि – ✓ 15.1 िाधत मल ू श िं , िमा के आिार पर भेिभा धनषेि अनच्ु छे ि ✓ 15.2 - भोिनालय, धसनेमाघर, मधन्द्िर में िाने का हक अनुच्छे ि ✓ 15.3 - मधहला बालकों के ध शेष उपबन्द्ि अनुच्छे ि ✓ 15.4 - अनस ु धू चत िाधत, िनिाधत, शैधिक रूप से धपछड गों को आरिण। ✓ 15.5 - प्राइ ेट स्कूलों में प्र ेश के सिंिभा में। -अनच्ु छे ि 16 सरकारी नौकरी में समानता - लोक धनयोिन के ध षय में अ सर की समानता । ✓ 16.1 - राज्य के अिीन धकसी पि पर धनयोिन अथ ा धनयुधि के सबिं ि िं में सभी नागररकों को समान अधिकार। ✓ 16.2 - इस ध षय में िमा, मल ू िंश, िाधत, धलिंग के आिार पर कोई भेिभा नहीं (िन्द्मस्थान, धन ास) ✓ 16.3 - यह 16-2 का अप ाि हो अथाात धकसी व्यधि को इस आिार पर धनयोग्य नहीं माना िाएगा की ह उस का धन ासी नहीं है। नोट- अनुच्छे ि 16.3 सस िं ि को यह शधि िेता है धक ह राज्य की कुछ सरकारी से ाओ िं में धनयधु ि के धलए उस राज्य की धन ासी की योग्यता को समाप्त कर िे। ✓ 16.4 - धपछडे गो के धलए पिों में आरिण। नोट- अनुच्छे ि 16.4- यह 16.1 16.2 का अप ाि है। इसमें धपछडे गों को पि में आरिण धिया गया है। अथाात् इसके तहत राज्य िाधत के आिार पर भेिभा कर सकती है। ✓ 16.5 - िमा के आिार पर भेिभा की अनुमधत िेता है अथाात् राज्य द्वारा धनधमात ध धि के तहत धकसी िाधमाक सिंस्था में ध धशष्ट िमा या सम्प्रिाय के लोगों को धनयुधि का अधिकार िेता है। ✓ -अनच्ु छे ि 17 अस्पृश्यता/छुआछुत का अन्द्त नोट - अनच्ु छे ि 17 एक धनरपेि अधिकार है। िो व्यधि और राज्य िोनों के ध रुद्ध प्राप्त है। ✓ -अनुच्छे ि 18 उपाधियों का अन्द्त ✓ -अनुच्छे ि 18.1 सैधनक शैिधणक उपाधियों को छोडकर सभी का अन्द्त ✓ -अनुच्छे ि 18.2 के तहत भारत का कोई नागररक ध िेशों में भी उपाधि ग्रहण नहीं। ✓ -अनुच्छे ि 18.3 ध िेशी नागररक िो भारत में लाभ के पि पर है ह राष्ट्रपधत की अनुमधत धबना उपाधि नहीं लेगा। नोट- बालािी राघ न ाि स ोच्च न्द्यायालय ने यह धनणाय धिया धक भारत रत्न एक उपाधि न होकर एक अलिंकरण है। (1996) 2.स् तिंत्रता का अधिकार-(19-22) ✓ -अनच्ु छे ि 19- इसमें 6 प्रकार की स् तत्रिं ताएिं के ल नागररकों को प्रिान की गई है। िो आपातकाल में धनलधिं बत हो िाती है प्रारम्भ में 7 थी पर 44 ें सधिं िान सश िं ोिन द्वारा -19.1 (च) से सम्पधत्त की स् तत्रिं ता हटा िी। ✓ -अनुच्छे ि 19.1 (क) भाषण, ध चार, अधभव्यधि, प्रेस, झण्िा फहराना आधि। SLC Classes – 9672948287 ✓ -अनच्ु छे ि 19.1 (ख) शािंधतपणू ा तरीके से सभा, िलु स ू , िरना प्रिशान ✓ -अनुच्छे ि 19.1 (ग) सिंघ, सिंगठन, समुिाय बनाने (सहकाररता िोडा गया 97 ें सिंध िान सिंशोिन 2011 में) ✓ -अनुच्छे ि 19.1 (घ) भारत के धकसी भी िेत्र में भ्रमण ✓ -अनुच्छे ि 19.1 (ङ) भारत के धकसी भी भाग में स्थायी रूप से आ ास ✓ -अनुच्छे ि 19.1 (छ) व्य साय, आिीध का कारोबार की स् तिंत्रता । अनुच्छे ि 20- अपराि िोष धसधद्ध के सिंबिंि में ✓ के ल काननू के उर्ललघनिं पर सिा ✓ िोहरी सिा का धनषेि ✓ स् यिं के ध रुि ाि में ग ाही की बाध्यता नहीं नोट- अनुच्छे ि 20, 21 कभी भी (आपातकाल) समाप्त नहीं होते। -अनुच्छे ि 21 प्राण और िैधहक स् तिंत्रता 1. धनिता 2. ध िेश भ्रमण 3. एकान्द्तता 4. आहार पाना 5. िीध कोपािान 6. न्द्याय पाना 7. सा ािधनक फािंसी का ध रोि 8. सुन ाई का हक 9. अच्छी नींि का अधिकार नोट- 86 ें सिंध िान सिंशोिन 2002 के द्वारा अनुच्छे ि 21 (A) िोडकर 6-14 षा तक के बच्चों को प्राथधमक धशिा धनःशुर्लक अधन ाया रूप से प्राप्त करने का मूल अधिकार प्रिान धकया गया। -अनच्ु छे ि 22 धगर्तारी निरबििं ी से सरिं िण 1. धगर्तारी का कारण िानना। 2. कील या पररिनों को सूधचत करना। 3. 24 घिंटे में िि के समि प्रस्ततु करना। छुट्टी शाधमल नहीं -अनच्ु छे ि 22 (4 से 7 तक में) धन ारक धनरोि काननू ों का णान है। 1. धन ारक धनरोि काननू धकसी व्यधि को िधण्ित करने की नहीं बधर्लक अपराि करने से रोकने की एक प्रधक्रया है। 2. ध िेशी शत्रु धन ारक धनरोि के तहत बन्द्िी बनाए गए व्यधियों पर अनच्ु छे ि 22 की 3 व्य स्थाएिं लागू नहीं होती है। SLC Classes – 9672948287 3. शोषण के ध रुद्ध अधिकार (23-24) -अनच्ु छे ि 23 मान के क्रय-ध क्रय और बेगार पर धनषेि। -अनुच्छे ि 24- 14 षा से कम आयु के बालकों से श्रम का धनषेि। * नोट- 10 अक्टूम्बर 2006 से बाल श्रम सिंरिण आयोग बना। 4. िाधमाक स् तिंत्रता का अधिकार (25-28) 25 अपने अन्द्तःकरण के अनुसार धकसी भी िमा को मानने अपनाने की स् तिंत्रता प्रचार-प्रसार करना। नोट- धसक्खों को कृपाण िारण करने की स् तिंत्रता । ✓ 26 िाधमाक कायों के आयोिन िाधमाक सम्पधत्त ✓ 27 िाधमाक सम्पधत्त पर करों का धनषेि (ट्रस्ट, िनकर्लयाण, ✓ 28 रािकीय, अद्धा-रािकीय अन्द्य धशिण सिंरचनाओ िं में िाधमाक धशिा पर रोक। 5. धशिा सिंस्कृधत का अधिकार (29-30) ✓ 29- अर्लपसिंख्यक गा द्वारा अपनी भाषा, धलधप, सभ्यता, सिंस्कृधत आधि को सुरधित सिंरधित रखने का अधिकार । ✓ 30 अर्लपसख् िं यक गा द्वारा अपनी पसििं की धशिण सस्िं थाएिं स्थाधपत करने का अधिकार (भाषायी िाधमाक अर्लपसख्िं यक शाधमल) |.नोट- ये मल ू अधिकार के ल अर्लपसख् िं यक गा को ही प्राप्त है। तामान में 6.अर्लपसख्िं यक गा (मधु स्लम, धसक्ख, ईसाई, बौि, फारसी, न ीनतम- िैन) 6. सिं ैिाधनक उपचारों का अधिकार (32) ✓ -यधि मूल अधिकारों का हनन हो रहा हो तो व्यधि न्द्यायालय की शरण ले सकता है। ✓ -स ोच्च न्द्यायालय अनुच्छे ि 32 उच्च न्द्यायालय अनुच्छे ि 226 के तहत मूल अधिकारों की रिा हेतु ररट, आिेश िारी करता है। -िो 5 प्रकार से िारी होते है। 1.बन्द्िी प्रत्यिीकरण - बन्द्िी बनाए गए व्यधि को सशरीर 24 घिंटे में िि के समि प्रस्तुत करना ताधक बन्द्िी बनाए िाने के कारणों का पता चले। | इसका मुख्य उद्देश्य अ ैि धगर्तारी को रोकना है। 2. परमािेश - यधि कोई लोकसे क या सिंस्था काया नहीं कर रहीं हैं तो उसे काया करने का आिेश िेना (अपने अधिकार िेत्र में)। 3. प्रधतषेि धकसी न्द्यायालय या लोक से क द्वारा अपने अधिकार िेत्र से बाहर काया करने से रोकना। 4. उत्प्रेषण- धकसी ररष्ठ न्द्यायलय द्वारा कधनष्ठ न्द्यायलय से मुकिमें की सूचना प्राप्त करना। या शीघ्र न्द्याय हेतु मामले को ऊपर के न्द्यायलय में भेिना। 5. अधिकार पृच्छा - धनयुधि का आिार पूछना या अथाात् अनुधचत रूप से कोई सरकारी पि प्राप्त करने पर। ✓ -नोट- भीमरा अम्बेिकर ने अनुच्छे ि 32 को भारतीय सिंध िान की हृिय आत्मा कहा है। तथा कहा धक 'यधि इस अनुच्छे ि को सिंध िान से धनकाल धिया िाए तो सम्पूणा भारतीय सधिं िान शून्द्य घोधषत हो िाएगा।' SLC Classes – 9672948287 अन्द्य ✓ -अनच्ु छे ि 33- सशस्त्र बलों पर मल ू अधिकार ✓ -अनुच्छे ि 34 - आपातकाल (माशाल लॉ) में मूल अधिकार ✓ -अनुच्छे ि 35 - ध धि धनमााण में सिंसि को मूल अधिकार (कानून धनमााण) *मल ू अधिकारों में सशिं ोिन ✓ -मूल अधिकारों में परर तान या सिंशोिन का अधिकार सिंसि को है। ✓ -क्या भारतीय सस िं ि मूल अधिकारों में परर तान कर सकती है। ऐसा प्रश्न पहली बार 1951 के शकरी प्रसाि बनाम भारत सिंघ ाि में पूछा गया तथा न्द्यायलय ने कहा धक 'हाँ सिंसि परर तान कर सकती है।' ✓ -1965 के सज्िनधसहिं बनाम रािस्थान राज्य ाि हािं कर सकती है। ✓ -1967 के गोलकनाथ बनाम पिंिाब राज्य ाि नहीं कर सकती। ✓ -1973 के के श ानन्द्ि बनाम के रल राज्य ाि सिंसि मूल अधिकारों में तो क्या पुरा सधिं िान भी बिल सकती है। लेधकन इतना नहीं की सिंध िान का मूल ढाचा ही नष्ट हो िाए। -नोट- 27 अप्रैल 1973 को M- सीकरी की अध्यिता में 13 ििों की खण्िपीठ ने यह धनणाय धिया था। *मूल अधिकारों का धनलिंबन ✓ -मूल अधिकारों का धनलिंबन राष्ट्रपधत आपातकाल में कर सकता है। ✓ -यधि आपातकाल की घोषणा करने हेतु के ल अनुच्छे ि 359 को (सशस्त्र ध रोह, राज्यआपात, ध त्तीय आपात) प्रभा ी धकया िाए तो कोई भी मूल अधिकार स् तः ही धलिंधबत नहीं होता। ✓ -यधि अनच्ु छे ि 359 के साथ-साथ 358 को भी लागू कर धिया िाए तो अनच्ु छे ि 19 स् तः ही समाप्त हो िाता है। (यद्ध ु बाहरी आक्रमण) ✓ -राष्ट्रपधत चाहे तो आिेश िारी करके अन्द्य अधिकारों को भी धनलिंध त कर सकता है। परन्द्तु 20, 21 को कभी नहीं (यह 44 ािं सिंध िान सिंशोिन 1978 कहता है।) *ध शेष तथ्य- ✓ -मूल अधिकारों का िन्द्म 12157 में 12157 में धिटे न में हुआ िब िॉिा प्रथम ने मैग्नाकािो के धकसानों का कुछ अधिकार कायेन पर धलखकर धिए। इसे अधिकारों का मैग्नाकाटाा कहा गया। ✓ नोट- भारत में सिंध िान का भाग 3 मूल अधिकारों का मैग्नाकाटाा है। SLC Classes – 9672948287 ✓ -भाग 3 से बाहर मल ू कताव्य इनको काननू ी अधिकार, सिं ैिाधनक अधिकार या गैर मल ू अधिकार कहा िा सकता है। 1.अनुच्छे ि 265 ध धि के प्राधिकार के धबना धकसी कर को ना तो अधिरोधपत धकया िा सकता ना ही सग्रिं धहत धकया िा सकता। 2.अनुच्छे ि 300 (क) - सम्पधत्त का अधिकार - मूल अधिकारों में आच्छािन के धसद्धािंत का प्रधतपािन कब हुआ। ✓ भीखािी बनाम mp राज्य ाि आच्छािन धसद्धािंत को ग्रहण धसद्धािंत भी कहा िाता है। SLC Classes – 9672948287 Chapter 4. नीधत धनिेशक तत् (General Duties) ✓ -सिंध िान का भाग 4 ✓ -अनुच्छे ि 36 से 51 ✓ -प्रेरणा आयरलैंि के सधिं िान से ✓ -न्द्याधयक प्रकृधत ाि योग्य नहीं (अनुच्छे ि 37 के तहत) ✓ -उद्देश्य लोक कर्लयाणकारी राज्य की स्थापना ✓ -सधमधत तेग बहािुर सप्रू सधमधत ✓ -प्र ृधत्त सकारात्मक -पररभाषा- नागररकों के प्रधत राज्य के े िाधयत् धिससे िेश नागररकों का सम्पण ू ा ध कास हो सके । ✓ *अनुच्छे ि एक निर में - ✓ -अनुच्छे ि 36 पररभाषा ✓ -अनुच्छे ि 37 ाि योग्य नहीं अथाात् कर्लयाणकारी राज्य की स्थापना। ✓ -अनच्ु छे ि 38 - राज्य का िाधयत् सामाधिक, आधथाक रािनीधतक न्द्याय पर आिाररत समाि की स्थापना करना। ✓ -अनुच्छे ि 39 - समान काया हेतु समान ेतन ✓ -अनुच्छे ि 40 - राज्य ग्राम पिंचायतों के गठन हेतु उधचत किम उठाएगा। ✓ -अनच्ु छे ि 41 - कुछ िशाओ िं में काम का अधिकार ✓ -अनुच्छे ि 42 - मधहलाओ िं को प्रसूधत अ काश (6 माह) ✓ -अनुच्छे ि 43 लघु कुटीर उद्योगों को बढा ा (मनरेगा) ✓ -अनुच्छे ि 44 - समान नागररक आचार सिंधहता (कानून) ✓ -अनुच्छे ि 45 बचपन (0-6) की िेखभाल धशिा व्य स्था ✓ -अनुच्छे ि 46 - अनुसूधचत िाधत िनिाधत धपछडे गो के धलए सिंरिण प्रोत्साहन । ✓ -अनुच्छे ि 47 - शराब मािक पिाथों पर रोक पोषण स्तर सुिारना। ✓ -अनुच्छे ि 48 - कृधष, पशुपालन के धलए न ीन तकनीक गौ ि धनषेि । ✓ -अनच्ु छे ि 49 - ऐधतहाधसक स्मारक, स्थलों स्तओ ु िं का सरिं िण। ✓ -अनुच्छे ि 50 - न्द्यायपाधलका कायापाधलका का पथ ृ क्करण। -अनुच्छे ि 51 - अन्द्तरराष्ट्रीय शािंधत सहयोग में अधभ ृधद्ध (इसी के तहत भारत की ध िेश नीधत धनिााररत की िाती है।) नोट- भाग 4 के अला ा भाग 17 में भी 2 धनिेशक तत् ों का उर्ललेख है। SLC Classes – 9672948287 1. अनुच्छे ि 350 में प्रारधम्भक धशिा मातृभाषा में ही िेनी चाधहए। 2. अनच्ु छे ि 351 में धहन्द्िी को प्रोत्साहन िेना चाधहए। *धनिेशक तत् ों में सिंशोिन ✓ -42 ािं सिंध िान सिंशोिन 1976 ✓ -अनुच्छे ि 39 (A) िोडकर धनःशुर्लक ध धिक सहायता। ✓ -अनच्ु छे ि 43 (A) उद्योगों के प्रबन्द्ि में श्रधमकों की सहभाधगता ✓ -अनुच्छे ि 48 (A) न्द्य िी पयाा रण सिंरिण। ✓ -86 ािं सिंध िान सिंशोिन 2002 अनुच्छे ि 45 (A) 6-14 षा के बच्चों के धलए धनःशुर्लक प्राथधमक धशिा व्य स्था करना। *ध शेष तथ्य ✓ -के.टी. शाह के अनस ु ार यह एक ऐसा चैक है। धिसका भगु तान बैंक की सधु िा पर छोड धिया गया है। ✓ -रािेन्द्र प्रसाि ने कहा धक 'नीधत-धनिेशक तत् ों का उद्देश्य िनता के कर्लयाण को प्रोत्साधहत करने ाली सामाधिक व्य स्था का धनमााण करना है।' ✓ -आयरलैंि ने धनिेशक तत् स्पेन से धलए है। ✓ -श्री नाधसरूद्दीन ने कहा न षा के प्रथम धिन पास धकया शुभकामना प्रस्ता कहा है। ✓ -इन पर प्रधतबिंि नहीं लगाया िा सकता ना ही इन्द्हें स्थधगत धकया िा सकता। ✓ -अम्बेिकर ने कहा धक ये एक अनोखी व्य स्था है। ✓ -धकस ध ाि में स ाप्रथम मूल अधिकार धनिेशक तत् ों में सिंघषा िेखने को धमला। चम्पाकम िोराइ रािन बनाम मरास राज्य ाि 1951 ✓ -धकस सिंध िान सिंशोिन द्वारा अनुच्छे ि 39 ख, ग को अनुच्छे ि 14, 19, 31 पर रीयता िी गई। 25 ें सिंध िान सिंशोिन 1971 द्वारा। ✓ -धकस ध ाि में मल ू अधिकार तत् ों को एक-िूसरे के परू क माना गया धमन ाा धमर्लस ाि 1980 SLC Classes – 9672948287 Chapter 5. मूल कताव्य- (Fundamental duty) ✓ -सिंध िान में उर्ललेख भाग 4 क ✓ -अनुच्छे ि 51 (ए) (क से ट तक) ✓ -प्रेरणा - सोध यत रूस से सधिं िान से ✓ -न्द्याधयक प्रकृधत - ाि योग्य नहीं ✓ -सधमधत - सरिार स् णा धसिंह ✓ -प्र ृधत - सकारात्मक ✓ -42 ें सिंध िान सिंशोिन 1976 द्वारा ये िोडे गए तब इनकी सिंख्या 10 थी। नोट सरिार स् णा धसिंह सधमधत ने आठ मूल कताव्य िोडने की धसफाररश की थी ✓ -11 ािं मूल कत्ताव्य 86 ें सिंध िान सिंशोिन 2002 द्वारा अनुच्छे ि 51 ट में िोडा गया धक '6-14 षा के बच्चों के माता-धपता, ररश्तेिारों िानकारों का ये कताव्य है। की े बच्चों को स्कूल भेिें।' ✓ -ये ाि योग्य नहीं होते परन्द्तु यधि इनका उर्ललिंघन धकया िाए तो इन पर सिा का प्रा िान है। ✓ -इन्द्हें प्रभा ी बनाने हेतु C.R. ईरानी सधमधत का गठन धकया। *11 मूल कत्ताव्य धनम्न है- 1.सिंध िान का पालन, राष्ट्रगान ध् ि का सम्मान । 2.स् तिंत्रता के धलए राष्ट्रीय आन्द्िोलन को प्रेररत करना। 3.भारत की सम्प्रभूता, एकता, अखण्िता की रिा करना। 4.िेश की रिा बुलाने पर राष्ट्र की से ा करना। 5.भाषा, िमा आधि से परे समाि की स्थापना 6.सिंस्कृधत का महत् 7.प्राधणमात्र के प्रधत िया भा प्राकृधतक ाता रण (नधियािं, झीलें, न्द्यिी ) 8. ैज्ञाधनक दृधष्टकोण 9.धहिंसा से िूर सा ािधनक सम्पधत का सिंरिण 10. व्यधिगत सामूधहक गधतध धियों को बढा ा । 11. 6-14 षा तक के बच्चों के माता-धपता का िाधयत् (बच्चे की धशिा का) SLC Classes – 9672948287 Chapter 6. राष्ट्रपधत (President) 1. राष्ट्रपधत : -राष्ट्रपधत िेश का स ोच्च प्रथम व्यधि होता है। यह िेश की एकता, अखण्िता सशकिा का प्रतीक होता है) तथा िेश की तीनों सेनाओ िं का स ोच्च सेनापधत होता है) समस्त कानूनों का धनमााण इसके हस्तािर से होता है) ⇒भारत में राष्ट्रपधत का पि 26 िन० 1950 को अधस्तत् में आया इससे पहले यह पि ग नार िनरल के नाम से िाना िाता था। -अनु. 52 - भारत का एक राष्ट्रपधत होगा। ✓ 53- समस्त कायापाधलका शधि ✓ 54- धन ााचन ✓ 55- रीधत ✓ 56- पिा धि ✓ 57. बो पुनाधन ााचन ✓ 58. - योग्यता ✓ 59-शता ✓ 60-शपथ ✓ 61- महाधभयोग ✓ 62- अन्द्य आक्सधमकता मे बराष्ट्रपधत के कताव्यों का धन ाहन → राष्ट्रपधत का चुना - अनु.54 -प्रेरणा - आयरलैंि से -राष्ट्रपधत का चुनाच िनता द्वारा अप्रत्यि रूप से तथा धनम्न धन ााचक मण्िल द्वारा प्रत्यि रूप धकया िाता है) -धन ााचक मण्िल 1.सिंसि के के ल धन ााधचत सिस्य 2.राज्य ध िानसभाओ िं के के ल धन ााधचत सिस्य 3. धिर्लली पुिुचेरी की ध िानसभा के सिस्य । Note - धिर्लली पुिुचेरी को राष्ट्रपधत के धन ााचक मण्िल मे 70 ें स० स० 1992 द्वारा शाधमल धकया गया। -राष्ट्रपधत के धन ााचन की रीधत अन.ु 55 -राष्ट्रपधत का चुना थॉमस हेपर द्वारा प्रधतपाधित आनुपाधतक प्रधतधनधित् की एकल सिंक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है → इसमें प्रत्येक मतिाता उतने ही मत िेता है धितने उम्मीि ार होते हैं। SLC Classes – 9672948287 → इसमें चुना िीतने के धलए बहुमत की नहीं बधलक एक धनधित अनपु ात मे मत प्राप्त करने की आ श्यकता होती है। धिसे धन ााचन कोटा कहा िाता है) धन ााचन कोटा - कुल ैि मत की सरिं ख्या +1 धन ााधचत सिस्यों की सरिं ख्या +1 Note धन ााचन कोटे का तामान सत्रु "ड्रुप महोिय" ने प्रधतपाधित धकया। इसी पकृधत के अन्द्तगात सास िं ि ध िायकों का भी मत-मर्लू य धनकाला िाता है। ✓ M.L.A का मत मूर्लय राज्य की िनसिंख्या ध िानसभा के धन ााधचत सिस्य ✓ M.P का मत मूर्लय सभी ध िायकों का मत मूर्लय सिंसि के कुल धन ााधचत सिस्य सिंख्या ⇒ राष्ट्रपधत का कायाकाल 5 षा होता है। अन.ु 56 Note - राष्ट्रपधत अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपधत को िेता है। तथा उपराष्ट्रपधत इसकी सच ू ना लोकसभा अध्यि को िेता है। ⇒ भारत में एक व्यधि धकतनी भी बार राष्ट्रपधत बन सकता है अनु. 57 ⇒ राष्ट्रपधत पि की योग्यताएिं - अनु. 58 1. भारत का नागररक हो 2. 35 षा की आयु पूणा 3. लाभ के पि पर नहीं 4. लोकसभा में चुने िाने की योग्यता रखता हो 5. धकसी ाि में शाधमल न हो 6.50 प्रस्ता क 50 अनुमोिक ⇒ Note - राष्ट्रपधत के चुना की िमानत राधश 15,000 चुना प्रचार हेतु 14 धिन का समम । ⇒ राष्ट्रपधत पि की शता- 59. 1. ससिं ि के धकसी भी सिन का सिस्य नहीं हो 2. अन्द्य कोई लाभ का पि िारण नहीं करेगा 3. ेतन, भत्ते पिा धि मे कम नहीं धकए िाएगे 4. रािकीय भ न (राष्ट्रपधत भ न) मे धबना धकराया धिए रहेगा। Note- राष्ट्रपधत भ न अरा ली प ातमाला की रामसीना धहर्लस पर बना हुआ है। SLC Classes – 9672948287 ✓ -राष्ट्रपधत की शपथ- अन.ु 60 ✓ 25 िुलाई ✓ -स ोच्च न्द्यायलय के मुख्य न्द्यायिीश के समि ग्रहण करता है। उसकी अनुपधस्थधत में रीष्ठतम न्द्यायिीश के समि । *महाधभयोग : अन.ु 61 -पि का िुरुपयोग या सिं ैिाधनक किाचार पर लाया िाता है। -सस िं ि का कोई भी सिन यह प्रस्ता ला सकता है। परन्द्तु िो भी सिन प्रस्ता लाये उसके 1/4 सिस्यों द्वारा हस्तािर करना आ श्यक है तथा राष्ट्रपधत को 14 धिन पू ा सच ू ना िेना आ श्यक । -ससिं ि के िोनों सिनों के द्वारा िो – धतहाई बहुमत से यह प्रस्ता पाररत होने पर पि से हटा धिया िाता है ⇒ महाधभयोग एक अथा न्द्याधयक प्रधक्रया है। Note - राष्ट्रपधत उपराष्ट्रपधत के चुना सिंबिंिी ध ाि स ोच्च न्द्यायलय द्वारा सनु े िाते हैं अनु.71 - ेतनः पािंच लाख रूपये *भारत के राष्ट्रपधत 1. िॉ० रािेन्द्र प्रसाि (1952-1962) धबहार 26 िन०-1950 से 13-5-1962 * प्रथम राष्ट्रपधत, िो मनोधनत धन ााधचत होने ाले एकमात्र * स ााधिक कायाकाल ाले राष्ट्रपधत के - पि की तीन बार शपथ लेने ाले ⇒ 24 िन० 1950 को पहली बार सधिं िान सभा द्वारा चुना गया 2. िॉ० रािाकृष्णन :- (13 मई 1962- 13 मई-1967) ✓ गैर-रािनीधतक िाशाधनक राष्ट्रपधत ✓ इससे पहले 2 बार उपराष्ट्रपधत बने राष्ट्रपधत बनने से पहले भारत रत्न प्राप्त प्रथम राष्ट्रपधत ✓ प्रथम राष्ट्रीय आपातकाल 3. िाधकर हुसैन (13-5-1967 से 3-5-1969) ✓ पहले मुधस्लम राष्ट्रपधत ✓ पि पर रहते हुए मृत्यु ✓ सबसे कम कायाकाल ✓ राष्ट्रपधत, उपराष्ट्रपधत राज्यपाल तीनों पिों पर काया धकया। SLC Classes – 9672948287 ✓ इनकी मृत्यु पर -V.V. धगरर ने काया ाहक राष्ट्रपधत के रूप में 3 मई 1969 से 20-7-1969 तक प्रथम काया ाहक राष्ट्रपधत के रूप में काया धकया। ✓ -vv. धगरर के त्याग पत्र िेने पर स ोच्च न्द्यायलय के मख् ु य न्द्यायिीश मोहम्मि धहिायतुर्लला खान ने 20-िुला० 1969 से 24 अग० 1969 तक काया ाहक राष्ट्रपधत का काया धकया । Note - मो. धहिायतुर्लला खान एकमात्र ऐसे व्यधि हैं धिन्द्होंने भारत के राष्ट्रपधत, उपराष्ट्रपधत स ोच्च न्द्यायलय के मुख्य न्द्यायिीश सधहत तीनों पिों पर काया धकया। 4. VV. धगरर ( राह धगरर ेंकट धगरर) (24- अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974) ⇒ धितीय मतगणना से धन ााधचत एक मात्र (50% से कम पर एकमात्र)राष्ट्रपधत ⇒ प्रथम काया ाहक राष्ट्रपधत -धनिालीय समधथात राष्ट्रपधत 5. फकरुद्दीन अली अहमि 24 अगस्त 1974 से 11 फर री 1977) ⇒ पि पर रहते मृत्यु → इन्द्होंने आन्द्तररक अशािंधत के नाम पर 26 िून 1975 को राष्ट्रीय आपातकाल लगाया। *स ााधिक अध्यािेश िारी करने ाले राष्ट्रपधत -इनकी मृत्यु होने पर 11-फर-1977 से 25-िुला-1977 तक -भारत के िूसरे काया ाहक राष्ट्रपधत के रूप में B. D. ित्ती ने काया धकया। 6. नीलम सि िं ी न रेि्िी (25 िल ु ा⋅ 1977 से 25 िल ु ा: 1982) ⇒ एकमात्र धनध ारोि धन ााधचत राष्ट्रपधत (कम आयु सबसे) ⇒ लोकसभा अध्यि रहा हुआ एकमात्र राष्ट्रपधत 7. ज्ञानी िैल धसिंह (25 ि?

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