Quick Revision Notes on General Knowledge 64 PDF

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Quick Revision Notes on General Knowledge 64, is a comprehensive study guide covering essential topics for various competitive exams including State PSC, SSSC, SSC, SI, Constable, Railway. It provides summaries on Indian Constitution, History, Economy, Geography, Science, and diverse topics.

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सामा ज्ञान 64 भारतीय सं वधान | इ तहास | अथर् व ा | भारत का भूगोल | सा॰ वज्ञान | व वध Quick Revision Notes सभी ितयोगी परीक्षा क िलए State PSC, SSSC (UP, MP, Rajasthan & Bihar), SSC, SI, Constable, Railway, etc. KHAN GLOBAL STUDIES Most...

सामा ज्ञान 64 भारतीय सं वधान | इ तहास | अथर् व ा | भारत का भूगोल | सा॰ वज्ञान | व वध Quick Revision Notes सभी ितयोगी परीक्षा क िलए State PSC, SSSC (UP, MP, Rajasthan & Bihar), SSC, SI, Constable, Railway, etc. KHAN GLOBAL STUDIES Most Trusted Learning Platform वि षय-सूूचीी वि षय-सूूचीी 1. भाारतीीय संंवि धाान 1-16 5. अर्थथव्यवस्थाा 39-43 l संंवि धाान सभाा l संंवि धाान केे भााग l संंवि धाान कीी अनुुसूचिू यांं l l रााष्ट्रीीय आय एवंं आर्थि िक वि काास l कृृषि क्षेेत्र l उद्योोग क्षेेत्र l संंवि धाान केे स्रोोत l संंवि धाान कीी उद्देेशि काा/प्रस्ताावनाा l संंघ एवंं इसकाा रााजकोोषीीय नीीति एवंं रााजस्व l आयोोजनाा l मुुद्राा एवंं बैंंकिं ंग l क्षेेत्र l नाागरि कताा l मौौलि क अधि काार l रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व माानव वि काास l रोोजगाार एवंं कल्यााण योोजनााएंं l आयाात-नि र्याा त l l मौौलि क कर्ततव्य l संंघीीय काार्ययपाालि काा–r रााष्ट्रपति rउप-रााष्ट्रपति भुुगताान संंतुुलन l अंंतर्राा ष्ट्रीीय संंगठन l जनगणनाा l वि वि ध l संंघीीय मंंत्रि परि षद एवंं प्रधाानमंंत्रीी l महाान्याायवाादीी l नि यंंत्रक 6. भाारत काा भूूगोोल 44-53 एवंं महाालेेखाा परीीक्षक l संंघीीय वि धाायि काा–r रााज्यसभाा r लोोकसभाा l साामाान्य जाानकाारीी l भाारत काा भौौति क वि भााजन l नदि योंं काा l संंघीीय न्याायपाालि काा– r उच्च न्याायाालय l रााज्य काार्ययपाालि काा– समाागम स्थल l भाारत कीी कृृषि l भाारत कीी मि ट्टि याँँ l भाारत केे r रााज्यपााल l रााज्य कीी मंंत्रि परि षद एवंं मुुख्यमंंत्रीी l महााधि वक्ताा l उद्योोग l देेश केे प्रमुुख अन्तर्राा ष्ट्रीीय हवााई अड्डेे l साामुुद्रि क जलमाार्गग रााज्य वि धाायि काा l वि धाानसभाा l वि धाानपरि षद् l रााज्य l प्रमुुख वन्य जीीव अभयाारण्य-रााष्ट्रीीय उद्याान न्याायपाालि काा– r उच्च न्याायाालय l स्थाानीीय स्वशाासन– r पंंचाायत r नगरपाालि काा r सहकाारीी समि ति यांं l केंंद्र-रााज्य संंबंंध l संंवैैधाानि क 7. वि ज्ञाान 54-62 नि कााय–वि त्त आयोोग r संंघ लोोक सेेवाा आयोोग r रााज्य लोोक सेेवाा आयोोग I. भौौति क वि ज्ञाान r केेन्द्रीीय नि र्वाा चन आयोोग r रााष्ट्रीीय अनुुसूूचि त जााति आयोोग r रााष्ट्रीीय l माात्रक इकााई l माापक यंंत्र एवंं पैैमाानेे– r यांं त्रि कीी l गुुरुत्वााकर्षषण अनुुसूूचि त जनजााति आयोोग r रााष्ट्रीीय पि छड़ाा वर्गग आयोोग l रााजभााषाा l l स्थूूल पदाार्थोंं केे गुुण– r प्रकााश l ऊष्माा एवंं ऊष्माागति कीी l आपाातकाालीीन उपबंंध l संंवि धाान संंशोोधन प्रक्रि याा तरंंग गति – r ध्वनि l वि द्युुत धााराा l नााभि कीीय भौौति कीी 2. प्रााचीीन भाारत काा इति हाास 17-24 II. रसाायन l भाारतीीय इति हाास कोो जााननेे केे स्रोोत– r अभि लेेख l प्राागैैति हाासि क l परमााणुु संंरचनाा l राासाायनि क एवंं भौौति क परि वर्ततन l काार्बबनि क कााल– r पााषााण कााल l हड़प्पाा सभ्यताा l वैैदि क कााल l महााजनपद रसाायन l धाातुुएँँ l अधाातुुएँँ l मि श्रधाातुुएंं l खााद्य संंरक्षण l कााल— r गणतंंत्रीीय रााज्य l जैैन धर्मम और बौौद्ध धर्मम– r जैैन धर्मम r उर्ववरक l वि वि ध बौौद्ध धर्मम l मौौर्यय सााम्रााज्य l गुुप्त एवंं गुुप्तोोत्तर कााल– r कलाा सााहि त्य l पूूर्वव मध्यकाालीीन रााजवंंश l पूूर्वव मध्यकााल मेंं दक्षि ण भाारत III. जीीव वि ज्ञाान 3. मध्यकाालीीन इति हाास 25-29 l जैैव वि काास l वर्गि िकीी l पाादप l आनुुवंंशि कताा l जैैव उर्ववरक l कोोशि काा l माानव शरीीरि कीी l रुधि र परि वहन तंंत्र l पााचन तथाा l भाारत पर अरबोंं काा आक्रमण l भाारत पर तुुर्कक आक्रमण l दि ल्लीी उत्सर्जजन तंंत्र l प्रकााश- संंश्लेेषण l वि टाामि न एवंं पोोषण l अन्तःः सल्तनत– r गुुलााम वंंश r खि लजीी वंंश r तुुगलक वंंश r सैैयद वंंश स्राावीी ग्रंंथि यांं l रोोग एवंं उपचाार l वि वि ध r लोोदीी वंंश l वि जयनगर तथाा बहमनीी सााम्रााज्य l सूूफीी एवंं भक्ति ि आंंदोोलन– r भक्ति ि आंंदोोलन l मुुग़ल सााम्रााज्य– r मुुग़ल प्रशाासन 8. वि वि ध 63-75 l मरााठाा सााम्रााज्य l भाारत रत्न l ज्ञाानपीीठ पुुरस्काार l नोोबेेल पुुरस्काार पाानेे वाालेे l 4. आधुुनि क भाारत काा इति हाास 30-38 भाारतीीय/भाारतीीय मूूल केे व्यक्ति ि l प्रमुुख पुुरस्काार: क्षेेत्र एवंं रााशि l प्रमुुख शोोध-संंस्थाान l प्रमुुख वााद्ययंंत्र एवंं वाादक l शाास्त्रीीय नृृत्य एवंं l भाारत मेंं यूूरोोपीीय कम्पनि योंं काा आगमन l 1857 काा वि द्रोोह l कलााकाार l लोोकनृृत्य l भाारत मेंं प्रथम (महि लाा) l भाारत मेंं प्रथम जन आंंदोोलन एवंं आदि वाासीी वि द्रोोह l भाारत मेंं शि क्षाा काा वि काास l (पुुरुष) l भाारत मेंं सर्वाा धि क बड़ाा, लम्बाा एवंं ऊँँचाा l वि श्व मेंं भाारतीीय समााचाार पत्रोंं काा इति हाास l 19वींं शतााब्दीी मेंं साामााजि क, सर्वाा धि क बड़ाा, लम्बाा एवंं ऊँँचाा l यूूनेेस्कोंं सूूचीी मेंं शाामि ल भाारत केे धाार्मि िक एवंं सांं स्कृृति क पुुनर्जााग रण l ब्रि टि श कााल मेंं प्रमुुख समााज वि श्व वि राासत स्थल l समकाालीीन संंयुुक्त रााष्ट्र अन्तर्राा ष्ट्रीीय वर्षष l सुुधाार काानूून l भाारतीीय रााष्ट्रीीय आंंदोोलन– r भाारतीीय रााष्ट्रीीय महत्वपूूर्णण रााष्ट्रीीय एवंं अन्तर्राा ष्ट्रीीय दि वस l वि श्व केे प्रमुुख संंगठन और कॉंं ग्रेेस l क्रांं ति काारीी गति वि धि योंं काा प्रथम चरण (1907 -1917 उनकेे मुुख्याालय l समकाालीीन संंयुुक्त रााष्ट्र अन्तर्राा ष्ट्रीीय दशक l ई.) l गांं धीीजीी केे आगमन केे बााद काा रााष्ट्रीीय आंंदोोलन (1919- दाादाा सााहेेब फााल्केे पुुरस्काार l प्रमुुख देेशोंं कीी समााचाार एजेंंसि याँँ l 1947 ई.) l क्रांं ति काारीी गति वि धि योंं काा द्वि तीीय चरण (1924- प्रमुुख चि ह्न तथाा प्रतीीक l अन्तर्राा ष्ट्रीीय सीीमााएँँ l प्रमुुख देेशोंं केे 1934 ई.) l प्रमुुख रााष्ट्रीीय व रााजनैैति क संंगठन l प्रमुुख क्रांं ति काारीी सरकाारीी दस्ताावेेज l वि श्व कीी प्रमुुख गुुप्तचर संंस्थााएँँ l संंयुुक्त रााष्ट्र संंगठन l रााष्ट्रीीय आंंदोोलन (1927-1947 ई.) केे महाासचि व l संंयुुक्त रााष्ट्र वि शि ष्ट अभि करण एवंं अन्य संंगठन I भाारतीीय संंवि धाान भाारतीीय संंवि धाान 1. संंवि धाान सभाा प्राारूप समि ति केे सदस्य y भाारत मेंं सर्ववप्रथम मौौखि क रूप सेे संंवि धाान सभाा कीी मांं ग 1895 मेंं 1. डॉॉ. भीीम रााव अम्बेेडकर (अध्यक्ष) बााल गंंगााधर ति लक जीी नेे कि याा थाा। 2. अल्लाादि कृृष्णाा स्वाामीी अय्यर y वर्षष 1934 मेंं लि खि त रूप सेे संंवि धाान सभाा काा वि चाार माानवेेन्द्र नााथ 3. डॉॉ. केे.एम. मुंं शीी रााय नेे दि याा थाा। y जुुलााई 1946 मेंं कैैबि नेेट मि शन कीी संंस्तुुति पर भाारतीीय संंवि धाान सभाा 4. मोोहम्मद साादुुल्लाा काा गठन कि याा गयाा। 5. गोोपाालाास्वाामीी आयंंगर y संंवि धाान सभाा कीी कुुल सदस्य संंख्याा 389 नि र्धाा रि त थीी, जि नमेंं 292 6. एन. मााधव रााव (बीी.एल. मि त्र कीी जगह) ब्रि टि श प्राान्तोंं केे प्रति नि धि , 4 चीीफ कमि श्नरीी प्राान्तोंं केे प्रति नि धि और 7. टीी.टीी. कृृष्णाामााचाारीी ( डीी.पीी. खेेताान कीी मृृत्युु केे पश्चाात्) 93 देेशीी रि याासतोंं केे प्रति नि धि थेे। y संंवि धाान सभाा कीी प्रथम बैैठक 9 दि सम्बर 1946 कोो संंपन्न हुुई। इसकीी संंवि धाान सभाा कीी प्रमुुख समि ति यांं एवंं अध्यक्ष अध्यक्षताा (अस्थाायीी) डॉॉ. सच्चि दाानंंद सि न्हाा नेे कीी थीी। समि ति अध्यक्ष y 11 दि सम्बर, 1946 कीी बैैठक मेंं डॉॉ. रााजेंंद्र प्रसााद कोो संंवि धाान सभाा काा स्थाायीी अध्यक्ष चुुनाा गयाा। संंघ संंवि धाान समि ति पंं जवााहर लााल नेेहरु y 22 जुु ला ाई 1947 कोो संं वि धाान सभाा नेे रााष्ट्रध्वज कोो अपनाायाा संंघ शक्ति ि समि ति पंं जवााहर लााल नेेहरु थाा। संंचाालन समि ति डॉॉ. रााजेंंद्र प्रसााद y डॉॉ. भीीम रााव अम्बेेडकर कीी अध्यक्षताा मेंं 29 अगस्त 1947 कोो प्राारूप झंंडाा समि ति डॉॉ. रााजेंंद्र प्रसााद समि ति काा गठन कि याा गयाा। इस समि ति मेंं कुुल सदस्योंं कीी संंख्याा 7 प्राारूप समि ति डॉॉ. भीीम रााव अम्बेेडकर थीी। y बीी.एन. रााव संंवि धाान सभाा केे संंवैैधाानि क सलााहकाार थेे। प्रांं तीीय संंवि धाान समि ति सरदाार वल्लभ भााई पटेेल y देेश केे वि भााजन केे पश्चाात 31 अक्टूूबर 1947 कोो संंवि धाान सभाा काा मौौलि क अधि काार एवंं अल्पसंंख्यक सरदाार वल्लभ भााई पटेेल पुुनर्गगठन कि याा गयाा, जि सकेे पश्चाात सभाा मेंं कुुल सदस्योंं कीी संंख्याा पराामर्शश समि ति 299 नि र्धाा रि त हुुई। मौौलि क अधि काार उपसमि ति जेे.बीी. कृृपलाानीी y संंवि धाान काा वााचन 3 चरणोंं मेंं 114 दि नोंं तक हुुआ थाा। अल्पसंंख्यक पराामर्शश उपसमि ति एच.सीी. मुुखर्जीी y संंवि धाान सभाा मेंं कुुल महि लाा सदस्योंं कीी संंख्याा 15 थीी। y 26 नवम्बर 1949 कोो भाारत काा संंवि धाान अंंगीीकाार कि याा गयाा तथाा 2. संंवि धाान केे भााग 26 जनवरीी 1950 कोो पूूर्णण रूप सेे लाागूू होो गयाा। संंवि धाान केे भााग, संंबंंधि त वि षय एवंं अनुुच्छेेद वि शेेष : वर्षष 2015 सेे 26 नवम्बर कोो संविं धाान दि वस केे रूप मेंं मनाायाा भााग वि षय अनुुच्छेेद जााताा हैै । भााग I संंघ और उसकाा रााज्य क्षेेत्र अनुुच्छेेद 1-4 y संंवि धाान नि र्माा ण कीी प्रक्रि याा मेंं कुुल 2 वर्षष, 11 मााह और 18 दि न काा समय लगाा थाा। भााग II नाागरि कताा अनुुच्छेेद 5-11 y मूूल संंवि धाान मेंं 22 भााग, 395 अनुुच्छेेद और 8 अनुुसूूचि यांं थींं। भााग III मूूल अधि काार अनुुच्छेेद 12-35 y वर्ततमाान मेंं अनुुसूूचि योंं कीी संंख्याा बढ़कर 12 होो गई हैै। भााग IV रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व अनुुच्छेेद 36-51 1 G. K. 64 भाारतीीय संंवि धाान भााग IVA मूूल कर्ततव्य अनुुच्छेेद 51A 11वींं अनुुसूूचीी कोो 73वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1992 द्वााराा और 12वींं अनुुसूूचीी कोो 74वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1992 भााग V संंघ सरकाार अनुुच्छेेद 52-151 द्वााराा जोोड़ीी गई थीी। भााग VI रााज्य सरकाार अनुुच्छेेद 152-237 अनुुसूूचीी संंबंंधि त वि षय भााग VII नि रसन अनुुच्छेेद 238 (नि रसन) प्रथम अनुुसूूचीी भाारत संंघ केे रााज्य एवंं संंघशाासि त क्षेेत्र भााग VIII केंंद्र शाासि त प्रदेेश अनुुच्छेेद 239-242 द्वि तीीय अनुुसूूचीी वि भि न्न पदााधि काारि योंं केे वेेतन, भत्तेे, पेंंशन आदि सेे भााग IX पंंचाायत अनुुच्छेेद 243- 243O जुुड़ेे प्राावधाान भााग IXA नगरपाालि कााएंं अनुुच्छेेद 243P-243ZG तृृतीीय अनुुसूूचीी वि भि न्न पदााधि काारि योंं केे शपथ/प्रति ज्ञाान भााग IXB सहकाारीी संंस्थााएंं अनुुच्छेेद 243ZH- चौौथीी अनुुसूूचीी वि भि न्न रााज्योंं एवंं संंघशाासि त क्षेेत्रोंं काा रााज्यसभाा मेंं 243ZT प्रति नि धि त्व काा वि वरण भााग X अनुुसूूचि त और जनजााति क्षेेत्र अनुुच्छेेद 244-244A पांं चवीी अनुुसूूचीी वि भि न्न अनुुसूूचि त क्षेेत्रोंं और अनुुसूूचि त जनजााति योंं भााग XI संंघ और रााज्योंं केे बीीच संंबंंध अनुुच्छेेद 245-263 काा प्रशाासन भााग XII वि त्त, संंपत्ति , संंवि दााएंं और वााद अनुुच्छेेद 264-300A छठीी अनुुसूूचीी असम, मेेघाालय, त्रि पुुराा और मि जोोरम रााज्योंं केे भााग XIII वााणि ज्य और व्याापाार अनुुच्छेेद 301-307 अनुुसूूचि त क्षेेत्रोंं काा प्रशाासन भााग XIV संंघ और रााज्योंं केे अधीीन सेेवााएंं अनुुच्छेेद 308-323 साातवींं अनुुसूूचीी केंंद्र और रााज्योंं केे मध्य शक्ति ियोंं काा बंंटवााराा भााग XIVA अधि करण अनुुच्छेेद 323A-323B आठवींं अनुुसूूचीी संंवैैधाानि क भााषााएंं भााग XV नि र्वाा चन अनुुच्छेेद 324-329A नौौवींं अनुुसूूचीी भूूमि सुुधाार काानूून भााग XVI कुुछ वर्गोंं केे लि ए वि शेेष उपबंंध अनुुच्छेेद 330-342 दसवींं अनुुसूूचीी दल-बदल काानूून भााग XVII रााजभााषाा अनुुच्छेेद 343-351 ग्याारहवींं अनुुसूूचीी पंंचाायतीी रााज संंस्थााओं केे काार्यय, शक्ति ियांं तथाा कर्ततव्य भााग XVIII आपाातकाालीीन प्राावधाान अनुुच्छेेद 352-360 बाारहवींं अनुुसूूचीी शहरीी रााज संंस्थााओं केे काार्यय, शक्ति ियांं तथाा कर्ततव्य भााग XIX प्रकीीर्णण अनुुच्छेेद 361-367 भााग XX संंवि धाान संंशोोधन अनुुच्छेेद 368 4. संंवि धाान केे स्रोोत भााग XXI अस्थााई संंक्रमणकाालीीन और अनुुच्छेेद 369-392 y भाारतीीय संंवि धाान काा सबसेे बड़ाा स्रोोत भाारत शाासन अधि नि यम, 1935 वि शेेष उपबंंध हैै। भााग XXII संंक्षि प्त नााम, प्राारंंभ, हि न्दीी मेंं अनुुच्छेेद 393-395 ब्रि टेेन एकल नाागरि कताा, वि धि काा शाासन, वि धि केे समक्ष प्रााधि कृृत पााठ और नि रसन समताा, संंसदाात्मक शाासन व्यवस्थाा, द्वि सदनीीय व्यवस्थाा, रि ट शक्ति ियाँँ , महाान्याायवाादीी काा पद, बजट 3. संंवि धाान कीी अनुुसूूचि यांं अमेेरि काा मौौलि क अधि काार, प्रस्ताावनाा, वि धि काा समाान संंरक्षण, y मूूल संंवि धाान मेंं कुुल 8 अनुुसूूचि यांं थीी। न्याायपाालि काा कीी स्वतंंत्रताा, न्याायि क पुुनराावलोोकन, रााष्ट्रपति पर महााभि योोग प्रक्रि याा, सुुप्रीीम कोोर्टट एवंं हााई y संंवि धाान संंशोोधनोंं केे पश्चाात् वर्ततमाान मेंं अनुुसूूचि योंं कीी संंख्याा बढ़कर कोोर्टट केे न्याायााधीीशोंं कोो हटाानेे कीी प्रक्रि याा 12 होो गई हैै; जि समेंं– 9वींं अनुुसूूचीी कोो प्रथम संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1951 द्वााराा, आयरलैंंड रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व, रााष्ट्रपति कीी नि र्वाा चन प्रक्रि याा, रााज्यसभाा मेंं सदस्योंं काा मनोोनयन 10वींं अनुुसूूचीी कोो 52वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1985 द्वााराा, G. K. 64 2 भाारतीीय संंवि धाान ऑस्ट्रेेलि याा समवर्तीी सूूचीी, प्रस्ताावनाा कीी भााषाा, केंंद्र व रााज्य केे बीीच 6. संंघ एवंं इसकाा क्षेेत्र संंबंंध, संंयुुक्त बैैठक y संंवि धाान केे भााग I केे अन्तर्गगत अनुुच्छेेद 1 सेे 4 तक मेंं संंघ एवंं इसकेे कनााडाा संंघाात्मक शाासन व्यवस्थाा, अवशि ष्ट शक्ति ियाँँ केंंद्र मेंं क्षेेत्रोंं कीी चर्चाा कीी गई हैै। नि हि त, रााज्यपााल कीी नि युुक्ति ि y अनुुच्छेेद 1 मेंं कहाा गयाा हैै कि इंंडि याा अर्थाा त भाारत ‘रााज्योंं काा संंघ फ्रांं स गणतंंत्राात्मक शाासन व्यवस्थाा, प्रस्ताावनाा मेंं वर्णि ित होोगाा’। स्वतंंत्रताा, समताा और बंंधुुत्व काा वि चाार y अनुुच्छेेद 2 तथाा 3 संंसद कोो यह अधि काार देेताा हैै कि वह वि धि बनााकर दक्षि ण अफ्रीीकाा संंवि धाान संंशोोधन प्रक्रि याा, रााज्यसभाा केे सदस्योंं काा संंघ मेंं नए रााज्योंं काा प्रवेेश व स्थाापनाा, रााज्योंं काा नााम परि वर्ततन, नि र्वाा चन सीीमााओं काा परि वर्ततन याा रााज्योंं काा पुुनर्गगठन कर सकतीी हैै। y भााषाा केे आधाार पर रााज्योंं केे गठन हेेतुु वर्षष 1948 मेंं धर आयोोग एवंं जर्ममनीी मौौलि क अधि काारोंं केे नि लंंबन सेे संंबंंधि त आपाातकाालीीन जेेवीीपीी समि ति काा गठन कि याा गयाा थाा, परंंतुु इन समि ति योंं नेे भााषाा केे प्राावधाान, मूूलभूूत ढांं चाा आधाार पर रााज्योंं केे गठन कीी मांं ग कोो अस्वीीकाार कर दि याा थाा। रूस मौौलि क कर्ततव्य, प्रस्ताावनाा मेंं वर्णि ित न्यााय y वर्षष 1953 मेंं पोोट्टीी श्रीी राामुुलुु केे आन्दोोलन केे पश्चाात् तेेलुुगुु भााषाा केे जाापाान वि धि द्वााराा स्थाापि त प्रक्रि याा आधाार पर आंंध्र प्रदेेश भााषाा केे आधाार पर गठि त होोनेे वाालाा प्रथम रााज्य बनाा। 5. संंवि धाान कीी उद्देेशि काा/प्रस्ताावनाा y वर्षष 1953 मेंं फजल अलीी कीी अध्यक्षताा मेंं गठि त तीीन सदस्यीीय रााज्य पुुनर्गगठन आयोोग कीी सि फाारि श पर 1 नवम्बर 1956 कोो 14 रााज्योंं तथाा y संंवि धाान कीी उद्देेशि काा/प्रस्ताावनाा कोो संंवि धाान कीी कुंं जीी कहाा जााताा हैै। 6 केेन्द्रशाासि त प्रदेेशोंं काा गठन कि याा गयाा। y पंं. जवााहर लााल नेेहरु द्वााराा 13 दि सम्बर 1946 कोो प्रस्तुुत कि ए गए y 14 रााज्य : उत्तर प्रदेेश, बि हाार, बम्बई, जम्मूू कश्मीीर, पंंजााब, उद्देेशि काा प्रस्तााव मेंं जोो संंकल्प प्रस्तुुत कि ए गए थेे, उन्हेंं हीी संंवि धाान रााजस्थाान, मध्य प्रदेेश, पश्चि म बंंगााल, ओडि शाा, मद्राास, केेरल, सभाा द्वााराा 22 जनवरीी 1947 कोो संंवि धाान कीी उद्देेशि काा मेंं शाामि ल कर मैैसूूर, असम तथाा आंंध्र प्रदेेश। लि याा गयाा। y 6 केे न् द्रशाासि त प्रदेे श : दि ल्लीी, अंं डमा ान-नि कोोबाार द्वीीप समूू ह , हम, भाारत केे लोोग, भाारत कोो एक संंपूूर्णण प्रभुुत्त्व-संंपन्न, समााजवाादीी, लकाादीीव-मि नीीकााय-अमीीनोोदीीव द्वीीप समूू ह , मणि पुु र , त्रि पुु रा ा पंंथनि रपेेक्ष, लोोकतंंत्राात्मक गणरााज्य बनाानेे केे लि येे तथाा इसकेे तथाा हि मााचल प्रदेे श । समस्त नाागरि कोंं कोो: वि शेेष : वर्षष 1973 मेंं लकाादीीव-मि नीीकााय-अमीीनोोदीीव द्वीीप समूूह साामााजि क, आर्थि िक और रााजनैैति क न्यााय, काा नााम बदलकर लक्षद्वीीप कर दि याा गयाा। वि चाार, अभि व्यक्ति ि, वि श्वाास, धर्मम और उपाासनाा कीी स्वतंंत्रताा, 1956 केे पश्चाात् गठि त नवीीन रााज्य प्रति ष्ठाा और अवसर कीी समताा प्रााप्त कराानेे केे लि येे, तथाा उन सब मेंं वर्षष नवीीन रााज्य सेे पुुनर्गगठि त रााज्य/ व्यक्ति ि कीी गरि माा और रााष्ट्र कीी एकताा तथाा केेन्द्रशाासि त प्रदेेश अखण्डताा सुुनि श्चि त करनेे वाालीी 1 मई 1960 गुुजराात महाारााष्ट्र बंंधुुताा बढ़ाानेे केे लि येे 1 दि संंबर 1963 नाागाालैंंड असम दृृढ़ संंकल्प होोकर अपनीी इस संंवि धाान सभाा मेंं आज दि नांं क 26 1 नवंंबर 1966 हरि यााणाा पंंजााब नवंंबर, 1949 ई. (मि ति माार्गगशीीर्षष शुुक्लाा सप्तमीी, संंवत दोो हजाार छ: 25 जनवरीी 1971 हि मााचल प्रदेेश हि मााचल प्रदेेश वि क्रमीी) कोो एतद् द्वााराा इस संंवि धाान कोो अंंगीीकृृत, अधि नि यमि त और (18वांं ) (संंघ रााज्य क्षेेत्र) आत्माार्पि ित करतेे हैंं। 21 जनवरीी 1972 मणि पुुर मणि पुुर (संंघ रााज्य क्षेेत्र) y 42वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1976 द्वााराा प्रस्ताावनाा मेंं 21 जनवरीी 1972 त्रि पुुराा त्रि पुुराा (संंघ रााज्य क्षेेत्र) समााजवाादीी, पंंथनि रपेेक्ष और अखण्डताा शब्द जोोड़ेे गए। y ठााकुुर दाास भाार्गगव नेे प्रस्ताावनाा कोो संंवि धाान कीी आत्माा कहाा थाा। 21 जनवरीी 1972 मेेघाालय असम 3 G. K. 64 भाारतीीय संंवि धाान 16 मई 1975 सि क्कि म (22वांं ) सि क्कि म (सहरााज्य) y संंवि धाान केे भााग-III कोो मैैग्नााकाार्टाा कहाा जााताा हैै। y मौौलि क अधि काार रााज्योंं केे वि रुद्ध होोतेे हैंं। 20 फरवरीी 1987 मि जोोरम मि जोोरम (संंघ रााज्य क्षेेत्र) y मौौलि क अधि काार न्याायाालय मेंं प्रवर्ततनीीय होोतेे हैंं। 20 फरवरीी 1987 अरुणााचल प्रदेेश अरुणााचल प्रदेेश y मूूल संंवि धाान मेंं कुुल मौौलि क अधि काारोंं कीी संंख्याा 7 थीी। (संंघ रााज्य क्षेेत्र) y 44वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1978 द्वााराा सम्पति केे अधि काार 30 मई 1987 गोोवाा (25वांं ) गोोवाा (संंघ रााज्य क्षेेत्र) (अनुुच्छेेद 31) कोो मौौलि क अधि काार कीी श्रेेणीी सेे समााप्त कर संंवि धाान 1 नवंंबर 2000 छत्तीीसगढ़ मध्य प्रदेेश केे भााग-XII केे अनुुच्छेेद 300(A) मेंं काानूूनीी अधि काार बनाा दि याा 9 नवंंबर 2000 उत्तरााखण्ड उत्तर प्रदेेश गयाा। y इस प्रकाार वर्ततमाान मेंं कुुल मौौलि क अधि काारोंं कीी संंख्याा 6 हैै, जोो इस 15 नवंंबर 2000 झाारखण्ड बि हाार प्रकाार हैै– 2 जूून 2014 तेेलंंगाानाा (29वांं ) आंंध्र प्रदेेश 1. समाानताा काा अधि काार (अनुुच्छेेद 14-18) केेन्द्रशाासि त प्रदेेशोंं काा गठन y अनुुच्छेेद 14 : रााज्य कि सीी भीी व्यक्ति ि कोो वि धि केे समक्ष समताा याा वि धि केे समाान संंरक्षण सेे वंंचि त नहींं कर सकताा हैै। गठन वर्षष केेन्द्रशाासि त प्रदेेश y अनुुच्छेेद 15 : रााज्य कोो धर्मम, जााति , नस्ल, रंंग, लिं ंग याा जन्मस्थाान केे 1 नवंंबर 1956 दि ल्लीी आधाार पर भेेदभााव करनेे काा नि षेेध करताा हैै। 1 नवंंबर 1956 लक्षद्वीीप y अनुुच्छेेद 16 : सरकाारीी नि योोजन मेंं समाानताा काा प्राावधाान। 1 नवंंबर 1956 अंंडमाान-नि कोोबाार द्वीीप समूूह y अनुुच्छेेद 17 : अस्पृृश्यताा केे उन्मूूलन काा प्राावधाान। y अनुुच्छेेद 18 : उपााधि योंं केे उन्मूूलन काा प्राावधाान। 16 अगस्त 1962 पुुडुुचेेरीी 2. स्वतंंत्रताा काा अधि काार (अनुुच्छेेद 19-22) 1 नवंंबर 1966 चंंडीीगढ़ y अनुुच्छेेद 19 केे अन्तर्गगत 6 प्रकाार कीी व्यक्ति िगत स्वतंंत्रताा काा प्राावधाान 31 अक्टूूबर 2019 जम्मूू व कश्मीीर कि याा गयाा हैै, जि समेंं मुुख्य रूप सेे वााक् एवंं अभि व्यक्ति ि कीी स्वतंंत्रताा 31 अक्टूूबर 2019 लद्दााख [अनुुच्छेेद 19 (1)(a)] शाामि ल हैै। 26 जनवरीी 2020 दाादराा व नगर हवेेलीी और दमन व दीीव y अभि व्यक्ति ि कीी स्वतंंत्रताा केे अन्तर्गगत हीी प्रेेस कीी स्वतंंत्रताा नि हि त माानीी जाातीी हैै। 7. नाागरि कताा y अनुुच्छेेद 20 : अपरााधोंं केे लि ए दोोषसि द्धि केे संंबंंध मेंं संंरक्षण काा y संंवि धाान केे भााग-2 केे अन्तर्गगत अनुुच्छेेद 5 सेे 11 तक मेंं नाागरि कताा प्राावधाान। कीी चर्चाा कीी गई हैै। y अनुुच्छेेद 21 : प्रााण एवंं दैैहि क स्वतंंत्रताा केे संंरक्षण काा प्राावधाान। y भाारतीीय संंवि धाान मेंं एकल नाागरि कताा काा प्राावधाान कि याा गयाा हैै, y अनुुच्छेेद 21 केे अन्तर्गगत हीी नि जताा काा अधि काार, जीीवन सााथीी चुुननेे जि सकाा स्रोोत ब्रि टेेन हैै। काा अधि काार, सूूचनाा पाानेे काा अधि काार, पर्याा वरण प्रदूूषण केे वि रुद्ध y अनुुच्छेेद 11 केे तहत संंसद कोो नाागरि कताा केे सन्दर्भभ मेंं वि धि बनाानेे अधि काार सम्मि लि त हैै। काा अधि काार प्रदाान कि याा गयाा हैै। नोोट : अनुुच्छेेद 20 तथाा 21 केे तहत प्रााप्त मौौलि क अधि काारोंं कोो y संंसद नेे वर्षष 1955 मेंं नाागरि कताा केे सन्दर्भभ मेंं एक व्याापक काानूून काा कि सीी भीी परि स्थि ति मेंं नि लंंबि त नहींं कि याा जाा सकताा हैै। नि र्माा ण कि याा, जि सेे भाारतीीय नाागरि कताा अधि नि यम कहाा गयाा। y अनुुच्छेेद 21(A) : 6 सेे 14 वर्षष केे बच्चोंं कोो निः ःशुुल्क तथाा अनि वाार्यय y इस अधि नि यम केे तहत नाागरि कताा प्रााप्ति केे पांं च और नाागरि कताा प्रााथमि क शि क्षाा काा अधि काार। इसेे 86वेंं संंवि धाान अधि नि यम 2002 समााप्ति केे तीीन तरीीकोंं काा उल्लेेख कि याा गयाा। द्वााराा जोोड़ाा गयाा थाा। y अनुुच्छेेद 22 : कुुछ दशााओं मेंं गि रफ़्ताारीी और नि रोोध सेे संंरक्षण काा 8. मौौलि क अधि काार प्राावधाान। y संंवि धाान केे भााग-III केे अन्तर्गगत अनुुच्छेेद 12 सेे 35 तक मेंं मौौलि क y कि सीी व्यक्ति ि कीी गि रफ़्ताारीी केे 24 घंंटेे केे भीीतर (याात्राा केे समय कोो अधि काारोंं कीी चर्चाा कीी गई हैै, जि सकाा स्रोोत अमेेरि काा काा संंवि धाान हैै। छोोड़कर) नि कटतम मजि स्ट्रेेट केे समक्ष प्रस्तुुत करनाा अनि वाार्यय होोताा हैै। G. K. 64 4 भाारतीीय संंवि धाान 3. शोोषण केे वि रुद्ध अधि काार (अनुुच्छेेद 23-24) y अनुुच्छेेद 39(A) : रााज्य, समाान न्यााय और निः ःशुुल्क काानूूनीी सहाायताा कीी y अनुुच्छेेद 23 : माानव केे दुुर्व्या ा पाार, बाालाात श्रम, बंंधुुवाा मजदूूरीी, बेेगाारीी व्यवस्थाा करेेगाा। (42वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1976 द्वााराा) आदि पर प्रति बन्ध। y अनुुच्छेेद 40 : रााज्य, ग्रााम पंंचाायतोंं काा गठन काा प्रयाास करेेगाा। y अनुुच्छेेद 24 : चौौदह वर्षष सेे कम आयुु केे बच्चोंं केे नि योोजन पर y अनुुच्छेेद 41 : रााज्य, कुुछ दशााओं मेंं कााम, शि क्षाा तथाा लोोक सहाायताा प्रति बन्ध। पाानेे केे अधि काार कोो प्रााप्त कराानेे केे लि ए उचि त प्रबंंध करेेगाा। 4. धाार्मि िक स्वतंंत्रताा काा अधि काार (अनुुच्छेेद 25-28) y अनुुच्छेेद 42 : रााज्य, कााम कीी न्याायसंंगत और माानवोोचि त दशााओं तथाा महि लाा प्रसूूति सहाायताा काा प्रबंंध करेेगाा। y अनुुच्छेेद 25 : अंंतःःकरण कीी स्वतंंत्रताा और अपनेे धर्मम कोो मााननेे, y अनुुच्छेेद 43 : रााज्य, काार्मि िकोो कोो न्यूूनतम मजदूूरीी और कुुटीीर उद्योोगोंं आचरण करनेे और उसकाा प्रचाार करनेे कीी स्वतंंत्रताा। मेंं संंवर्धधन करनेे काा प्रयाास करेेगाा। y अनुुच्छेेद 25(2) : सि क्खोंं कोो कृृपााण धाारण करनेे कीी स्वतंंत्रताा। y अनुुच्छेेद 44 : रााज्य, सम्पूूर्णण रााज्य क्षेेत्र मेंं समाान नाागरि क संंहि ताा कोो 5. सांं स्कृृति क एवंं शि क्षाा काा अधि काार (अनुुच्छेेद 29-30) लाागूू करनेे काा प्रयाास करेेगाा। y यह अधि काार केेवल भाारतीीय अल्पसंंख्यकोंं कोो प्रााप्त हैै। y अनुुच्छेेद 45 : रााज्य, छह वर्षष सेे कम आयुु केे बच्चोंं कीी बााल्याावस्थाा y अनुुच्छेेद 29 : अल्पसंंख्यक वर्गग कोो अपनीी लि पि , भााषाा व संंस्कृृति केे कीी देेख-रेेख और उनकेे लि ए उचि त शि क्षाा काा प्रबंंध करेेगाा। संंरक्षण काा अधि काार। y अनुुच्छेेद 46 : रााज्य, अनुुसूूचि त जााति योंं, जनजााति योंं तथाा अन्य दुुर्बबल y अनुुच्छेेद 30 : अल्पसंंख्यक वर्गग कोो अल्पसंंख्यक शि क्षण संंस्थाानोंं कीी वर्गोंं कीी शि क्षाा तथाा आर्थि िक हि तोंं मेंं वृृद्धि काा प्रयाास करेेगाा। स्थाापनाा एवंं संंचाालन काा अधि काार। y अनुुच्छेेद 47 : रााज्य, लोोगोंं केे पोोषााहाार स्तर, जीीवन स्तर और लोोक 6. संंवैैधाानि क उपचाारोंं काा अधि काार (अनुुच्छेेद 32) स्वाास्थ्य कोो बनााए रखनेे केे लि ए उचि त प्रबंंध करेेगाा। y अनुुच्छेेद 32 केे तहत सर्वोोच्च न्याायाालय मौौलि क अधि काारोंं कोो न्याायि क y अनुु च् छेे द 48 : रााज्य, वैै ज्ञा ानि क दृृ ष्टि िको ोण सेे कृृ षि और पशुु पा ालन संंरक्षण प्रदाान करताा हैै। कोो बढ़ाावाा देे गा ा तथाा दुु धा ारू जाानवरोंं कीी बलि पर प्रति बन्ध काा y डॉॉ. अम्बेेडकर नेे अनुुच्छेेद 32 कोो संंवि धाान कीी ह्रदय एवंं आत्माा कहाा प्रयाास करेे गा ा। थाा। y अनुुच्छेेद 48(A) : रााज्य, पर्याा वरण केे संंरक्षण और संंवर्धधन काा तथाा y अनुुच्छेेद 226 केे तहत उच्च न्याायाालय भीी मौौलि क अधि काारोंं कोो वन्य-जीीवोंं कीी रक्षाा काा प्रयाास करेेगाा (42वेंं संंवि धाान संंशोोधन न्याायि क संंरक्षण प्रदाान करताा हैै। अधि नि यम, 1976 द्वााराा।) y मौौलि क अधि काारोंं केे न्याायि क संंरक्षण मेंं जाारीी कि ए गए वि शेेष आदेेश y अनुुच्छेेद 49 : रााज्य, रााष्ट्रीीय महत्त्व केे स्माारकोंं, स्थाानोंं तथाा वस्तुुओं कोो रि ट याा प्राादेेश कहाा जााताा हैै। येे मुुख्यतःः 5 प्रकाार केे होोतेे हैै : बंंदीी केे संंरक्षण काा प्रयाास करेेगाा। प्रत्यक्षीीकरण, परमाादेेश, प्रति षेेध, उत्प्रेेषण और अधि काार पृृच्छाा। y अनुुच्छेेद 50 : रााज्य, लोोक सेेवााओं मेंं न्याायपाालि काा कोो काार्ययपाालि काा सेे पृृथक करनेे काा प्रयाास करेेगाा। 9. रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व y अनुुच्छेेद 51 : रााज्य, अंंतर्राा ष्ट्रीीय शांं ति और सुुरक्षाा कीी अभि वृृद्धि काा y संंवि धाान केे भााग-IV केे अन्तर्गगत अनुुच्छेेद 36 सेे 51 तक मेंं रााज्य प्रयाास करेेगाा। केे नीीति नि देेशक तत्व कीी चर्चाा कीी गई हैै, जि सकाा स्रोोत आयरलैंंड काा 10. मौौलि क कर्ततव्य संंवि धाान हैै। y रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व काा उद्देेश्य कल्यााणकाारीी रााज्य कीी स्थाापनाा y संंवि धाान केे भााग-IV(A) केे अन्तर्गगत अनुुच्छेेद 51(A) मेंं मौौलि क करनाा हैै। कर्ततव्योंं कीी चर्चाा कीी गई हैै, जि सकाा स्रोोत रूस काा संंवि धाान हैै। y रााज्य केे नीीति नि देेशक तत्व रााज्योंं केे वि रुद्ध नहींं होोतेे हैै, अपि तुु इनकेे y सरदाार स्वर्णण सिं ंह समि ति कीी अनुुशंंसाा पर प्रधाानमंंत्रीी इंंदि राा गांं धीी केे कर्ततव्य होोतेे हैै। शाासन कााल मेंं 42वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 1976 द्वााराा मौौलि क y अनुुच्छेेद 37 मेंं यह प्राावधाान कि याा गयाा हैै कि रााज्य केे नीीति नि देेशक कर्ततव्योो कोो सम्मि लि त कि याा गयाा थाा। तत्व न्याायाालय मेंं प्रवर्ततनीीय नहींं होोगेे। y प्राारम्भ मेंं कुुल 10 मौौलि क कर्ततव्योंं कोो जोोड़ाा गयाा थाा परन्तुु वर्ततमाान मेंं y अनुुच्छेेद 39 : रााज्य, सभीी नाागरि कोंं केे लि ए आजीीवि काा केे पर्याा प्त इनकीी संंख्याा बढ़कर 11 होो गई हैै। सााधन उपलब्ध करनेे तथाा स्त्रीी और पुुरुषोंं केे लि ए समाान काार्यय केे लि ए y 11वेंं मौौलि क कर्ततव्य कोो 86वेंं संंवि धाान संंशोोधन अधि नि यम, 2002 केे समाान वेेतन कोो सुुनि श्चि त करेेगाा। तहत जोोड़ाा गयाा थाा। 5 G. K. 64 भाारतीीय संंवि धाान 11. संंघीीय काार्ययपाालि काा y रााष्ट्रपति तीीनोंं सेेनााओं काा प्रमुुख/अध्यक्ष होोताा हैै। y अनुुच्छेेद 72 केे तहत रााष्ट्रपति कोो न्याायाालय द्वााराा दीी गई सजाा/दण्ड केे रााष्ट्रपति माामलेे मेंं क्षमाादाान कीी शक्ति ि प्रााप्त हैै। y रााष्ट्रपति देेश काा प्रथम नाागरि क होोताा हैै। y अनुुच्छेेद 80 केे तहत रााष्ट्रपति कोो रााज्यसभाा मेंं 12 सदस्योंं केे मनोोनयन y अनुुच्छेेद 53 केे तहत संंघीीय काार्ययपाालि काा काा प्रमुुख रााष्ट्रपति होोताा काा अधि काार प्रााप्त हैै जोो कलाा, वि ज्ञाान, सााहि त्य याा समााज सेेवाा केे क्षेेत्र हैै। सेे जुुड़ेे हुुए होोतेे हैै। y भाारत मेंं रााष्ट्रपति काा नि र्वाा चन अप्रत्यक्ष नि र्वाा चन प्रणाालीी केे तहत एक y अनुु च् छेे द 85 केे तहत रााष्ट्रपति कोो संं स द सत्र कोो आहूू त करनेे , नि र्वाा चक मंंडल द्वााराा होोताा हैै। सत्राावसाान करनेे और लोोकसभाा केे वि घटन काा अधि काार प्रााप्त y रााष्ट्रपति केे नि र्वाा चक मंंडल मेंं लोोकसभाा तथाा रााज्यसभाा केे नि र्वाा चि त हैै । सदस्य, सभीी रााज्योंं कीी वि धाानसभााओं केे नि र्वाा चि त सदस्य तथाा दि ल्लीी y अनुुच्छेेद 108 केे तहत रााष्ट्रपति कोो संंसद केे दोोनोंं सदनोंं काा संंयुुक्त और पुुडुुचेेरीी वि धाानसभााओं केे नि र्वाा चि त सदस्य शाामि ल होोतेे हैै। अधि वेेशन बुुलाानेे काा अधि काार प्रााप्त हैै, जि सकीी अध्यक्षताा लोोकसभाा y रााष्ट्रपति केे उम्मीीदवाार कोो लोोकसभाा काा सदस्य चुुनेे जाानेे कीी योोग्यताा अध्यक्ष करताा हैै। रखनाा अनि वाार्यय होोताा हैै। y अनुुच्छेेद 111 केे तहत रााष्ट्रपति कोो संंसद केे दोोनोंं सदनोंं द्वााराा पाारि त रााष्ट्रपति एक नज़र मेंं वि धेेयक पर वीीटोो (नि षेेधााधि काार) शक्ति ि काा अधि काार प्रााप्त हैै, जोो पद काा उल्लेेख अनुुच्छेेद 52 तीीन प्रकाार काा होोताा हैै : आत्याान्ति क, नि लम्बनकाारीी और जेेबीी शपथ भाारत केे मुुख्य न्याायााधीीश केे समक्ष वीीटोो। इस्तीीफाा उपरााष्ट्रपति कोो y अनुुच्छेेद 123 केे तहत रााष्ट्रपति , संंसद काा सत्र न चलनेे कीी स्थि ति मेंं काार्ययकााल 5 वर्षष (शपथ ग्रहण सेे प्राारंंभ) अध्याादेेश जाारीी कर सकताा हैै। y अनुुच्छेेद 143 केे तहत रााष्ट्रपति , कि सीी भीी वि धि क माामलेे मेंं सर्वोोच्च न्यूूनतम आयुु 35 वर्षष न्याायाालय सेे पराामर्शश लेे सकताा हैै। वेेतन 5 लााख प्रति मााह y अनुुच्छेेद 280 केे तहत रााष्ट्रपति , प्रत्येेक 5वेंं वर्षष मेंं वि त्त आयोोग काा y रााष्ट्रपति कोो पद सेे हटाानेे कीी प्रक्रि याा कोो महााभि योोग कहाा जााताा हैै, जि सेे गठन करताा हैै। अमेेरि काा केे संंवि धाान सेे लि याा गयाा हैै। y आपाातकााल कीी स्थि ति मेंं रााष्ट्रपति कोो वि शेेष शक्ति ियाँँ प्रदाान कीी गई हैै, y महााभि योोग प्रक्रि याा (अनुुच्छेेद 61) संंसद केे कि सीी भीी सदन सेे प्राारंंभ जोो नि म्नलि खि त हैै– कीी जाा सकतीी हैै। 1. अनुुच्छेेद 352 केे तहत युुद्ध, बााह्य आक्रमण और सशस्त्र वि द्रोोह केे y महााभि योोग प्रस्तााव लाानेे केे 14 दि न पूूर्वव रााष्ट्रपति कोो लि खि त सूूचनाा देेनाा दौौराान रााष्ट्रीीय आपाातकााल कीी घोोषणाा काा अधि काार। अनि वाार्यय होोताा हैै। 2. अनुुच्छेेद 356 केे तहत रााज्य काा संंवैैधाानि क तंंत्र वि फल होोनेे कीी y अनुुच्छेेद 62 मेंं यह उल्लेेखि त हैै कि कि सीी भीी काारणवश रााष्ट्रपति काा स्थि ति मेंं रााज्य आपाातकााल (रााष्ट्रपति शाासन) कीी घोोषणाा काा पद 6 मााह सेे अधि क समय तक रि क्त नहींं रह सकताा हैै। अधि काार। y अनुुच्छेेद 71 केे तहत रााष्ट्रपति तथाा उपरााष्ट्रपति चुुनााव संंबंंधीी वि वाादोंं 3. अनुुच्छेेद 360 केे तहत देेश कीी आर्थि िक स्थि ति खरााब होोनेे कीी दशाा मेंं हस्तक्षेेप काा अधि काार केेवल सर्वोोच्च न्याायाालय कोो हैै। मेंं वि त्तीीय आपाातकााल कीी घोोषणाा काा अधि काार। रााष्ट्रपति केे काार्यय एवंं शक्ति ियाँँ उपरााष्ट्रपति y संंघ कीी काार्ययपाालि काा कीी समस्त शक्ति ियाँँ रााष्ट्रपति मेंं नि हि त होोतीी y संंवि धाान केे अनुुच्छेेद 63 मेंं यह प्राावधाान कि याा गयाा हैै कि भाारत काा हैै। एक उपरााष्ट्रपति होोगाा। y रााष्ट्रपति संंघ सरकाार केे महत्वपूूर्णण अधि काारि योंं कीी नि युुक्ति ि करताा हैै; y उपरााष्ट्रपति काा नि र्वाा चन अप्रत्यक्ष नि र्वाा चन प्रणाालीी केे तहत एक जैैसेे- प्रधाानमंंत्रीी, संंघीीय मंंत्रि परि षद केे सभीी मंंत्रीी, सुुप्रीीम कोोर्टट एवंं हााई नि र्वाा चक मंंडल द्वााराा होोताा हैै, जि समेंं संंसद केे दोोनोंं सदनोंं केे सभीी कोोर्टट केे न्याायााधीीश, रााज्यपााल, केेन्द्रशाासि त प्रदेेशोंं केे प्रति नि धि , तीीनोंं सदस्य शाामि ल होोतेे हैै। सेेनााओं केे प्रमुुख, दि ल्लीी केे मुुख्यमंंत्रीी सहि त सभीी मंंत्रीी, महाान्याायवाादीी, y उपरााष्ट्रपति केे उम्मीीदवाार कोो रााज्यसभाा काा सदस्य चुुनेे जाानेे कीी नि यंंत्रक एवंं महाालेेखाा परीीक्षक आदि । योोग्यताा रखनाा अनि वाार्यय होोताा हैै। G. K. 64 6 भाारतीीय संंवि धाान उपरााष्ट्रपति एक नज़र मेंं प्रधाानमंंत्रीी केे काार्यय एवंं शक्ति ियाँँ पद काा उल्लेेख अनुुच्छेेद 63 y प्रधाानमंंत्रीी, संंघीीय काार्ययपाालि काा काा वाास्तवि क प्रमुुख होोताा हैै। पद काा स्रोोत अमेेरि काा y प्रधाानमंंत्रीी, नीीति आयोोग काा पदेेन अध्यक्ष होोताा हैै। शपथ रााष्ट्रपति केे समक्ष y प्रधाानमंंत्रीी, रााष्ट्रीीय वि काास परि षद् काा पदेेन अध्यक्ष होोताा हैै। इस्तीीफाा रााष्ट्रपति कोो y अनुुच्छेेद 85 केे तहत रााष्ट्रपति , प्रधाानमंंत्रीी कीी सलााह पर लोोकसभाा कोो काार्ययकााल 5 वर्षष (शपथ ग्रहण सेे प्राारंंभ) वि घटि त/भंंग कर सकताा हैै। न्यूूनतम आयुु 35 वर्षष 13. महाान्याायवाादीी y उपरााष्ट्रपति कोो उसकेे पद सेे काार्ययकााल सेे पूूर्वव भीी महााभि योोग प्रक्रि याा y संंवि धाान केे अनुुच्छेेद 76 केे तहत संंघीीय मंंत्रि परि षद कीी सलााह पर द्वााराा हटाायाा जाा सकताा हैै। रााष्ट्रपति महाान्याायवाादीी कीी नि युुक्ति ि करताा हैै। y उपरााष्ट्रपति कोो पद सेे हटाानेे संंबंंधीी महााभि योोग प्रस्तााव कोो सर्ववप्रथम y महाान्याायवाादीी, देेश काा सर्वोोच्च काानूूनीी सलााहकाार होोताा हैै। रााज्यसभाा मेंं पेेश कि याा जााताा हैै। y महाान्याायवाादीी कोो देेश केे कि सीी भीी न्याायाालय मेंं सुुनवााई काा अधि काार उपरााष्ट्रपति केे काार्यय एवंं शक्ति ियाँँ प्रााप्त हैै। y उपरााष्ट्रपति , रााज्यसभाा काा पदेेन सभाापति होोताा हैै। y महाान्याायवाादीी, संंसद काा सदस्य नहींं होोताा हैै, परन्तुु संंसद केे कि सीी भीी सदन y उपरााष्ट्रपति , रााज्यसभाा कीी काार्ययवााहीी कोो सुुचाारू ढंंग सेे चलवााताा हैै। कीी काार्ययवााहीी मेंं भााग लेे सकताा हैै और सदनोंं कोो संंबोोधि त भीी कर सकताा हैै। y रााष्ट्रपति काा पद रि क्त होोनेे कीी स्थि ति मेंं उपरााष्ट्रपति काार्ययवााहक y महाान्याायवाादीी, सदन मेंं मत काा प्रयोोग नहींं कर सकताा हैै। रााष्ट्रपति केे रूप मेंं काार्यय करताा हैै। y महाान्याायवाादीी केे पद कीी योोग्यतााएंं सर्वोोच्च न्याायाालय केे न्याायााधीीशोंं केे समाान होोतीी हैै। 12. संंघीीय मंंत्रि परि षद एवंं प्रधाानमंंत्रीी y भाारत काा प्रथम महाान्याायवाादीी : एमसीी सीीतलवााड़ y अनुुच्छेेद 74 केे तहत, रााष्ट्रपति कोो वि चाार-वि मर्शश व सहाायताा देेनेे हेेतुु y भाारत काा वर्ततमाान महाान्याायवाादीी : आर वेंंकटरमणि एक संंघीीय मंंत्रि परि षद होोतीी हैै, जि सकाा मुुखि याा प्रधाानमंंत्रीी होोताा हैै। y संंघीीय मंंत्रि परि षद केे सभीी मंंत्रीी संंसद केे सदस्य होोतेे हैंं। 14. नि यंंत्रक एवंं महाालेेखाा परीीक्षक y संंघीीय मंंत्रि परि षद केे सभीी मंंत्रि योंं कीी नि युुक्ति ि रााष्ट्रपति , प्रधाानमंंत्रीी कीी y भाारत शाासन अधि नि यम, 1858 केे तहत वर्षष 1860 मेंं महाालेेखाा सलााह पर करताा हैै। परीीक्षक पद काा प्राावधाान कि याा गयाा थाा। y संंघीीय मंंत्रि परि षद केे सभीी मंंत्रीी रााष्ट्रपति केे प्रसाादपर्यंंत काार्यय करतेे हैंं। y संंवि धाान केे अनुुच्छेेद 148-151 तक नि यंंत्रक एवंं महाालेेखाा परीीक्षक y संंघीीय मंंत्रि परि षद केे सभीी मंंत्रीी साामूूहि क रूप सेे लोोकसभाा केे प्रति (CAG) काा उल्लेेख कि याा गयाा हैै। उत्तरदाायीी होोतेे हैंं। y अनुुच्छेेद 148 केे तहत संंघीीय मंंत्रि परि षद कीी सि फाारि श पर रााष्ट्रपति y संंघीीय मंंत्रि परि षद मेंं 3 स्तर केे मंंत्रीी होोतेे हैंं : कैैबि नेेट मंंत्रीी, रााज्य

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