Daily Class Notes on Indian Polity (PDF)

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These notes provide an overview of topics within Indian Polity, encompassing presidential powers, vice-presidential roles, and the Council of Ministers. The notes delve into constitutional provisions and related historical contexts.

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1 दै निक क्लास िोट् स Lecture - 9 राजव्यवस्था राष्ट्रपति की शक्तियााँ पार्ट -3 2 राष्ट्रप...

1 दै निक क्लास िोट् स Lecture - 9 राजव्यवस्था राष्ट्रपति की शक्तियााँ पार्ट -3 2 राष्ट्रपति की शक्तियााँ पार्ट -3 राष्ट्रपति की तििेकाधीन शक्तियाां: अनुच्छेद 74(1) के अधीन राष्ट्रपति तकसी तिषय को मंतिपररषद के पास पुनतििचार के तिए भेज सकिा है । अनुच्छेद 78(b) के अनुसार राष्ट्रपति,प्रधानमंिी से कायिपातिका की कायििाही ि तिधातयका की कायििाही के तिषय में सूचना मां ग सकिा है । अनुच्छेद 78(c) के अनुसार राष्ट्रपति उस तिषय को मंतिपररषद के पुनतििचार के तिए प्रस्तुि करने के तिए प्रधानमंिी से अपेक्षा कर सकिा है तजस पर तकसी मंिी ने तनर्िय तिया है ,तकंिु संपूर्ि मंतिपररषद ने तिचार नहीं तकया है । अनुच्छेद 86 के िहि राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संदेश भेज सकिा है । राष्ट्रपति यह सुतनतिि करिा है तक अनुच्छेद 352 के अंिगिि औपचाररकिाएं पूरी कर िी गई है या नहीं। प्रधानमंिी की तनयुक्ति करना तिशेष रुप से जब तिशंकु िोकसभा अक्तस्तत्व में हो। पॉकेट िीटो का प्रयोग करने की शक्ति। जब मंतिपररषद ने िोकसभा में तिश्वास खो तदया हो और िोकसभा भंग करने की तसफाररश की हो, िब तनर्िय करना राष्ट्रपति की तििेकी शक्ति है । 3 सांतिधान के प्रािधान: भारिीय संतिधान के अनुच्छेद 52, अनुच्छेद53(1),अनुच्छेद 74(1) और संतिधान के 42 िें िथा 44 िें संतिधान संशोधन से यह तनष्कषि तनकििा है तक राष्ट्रपति राष्ट्र का अध्यक्ष होिा है सरकार का नहीं,सरकार का अध्यक्ष प्रधानमंिी होिा है ।इस प्रकार राष्ट्रपति कायिपातिका का नाममाि का प्रधान है िथा प्रधानमंिी कायिपातिका का िास्ततिक प्रधान होिा है । सांतिधान सभा का दृतष्ट्कोण: डॉ भीमराि अंबेडकर ने संतिधान सभा में राष्ट्रपति की पद क्तिति को स्पष्ट् करिे हुए कहा तक "हम भारि के राष्ट्रपति को तिर्े न के िाज के समिुल्य बनाना चाहिे हैं "। तिटे न में िाज नाममाि का प्रधान होिा है । उच्चिम न्यायालय का तनणटय: उच्चिम न्यायािय ने रामजिाया कपूर बनाम पंजाब राज्य के मामिे में यह स्पष्ट् तकया तक “राष्ट्रपति कायटपातलका का औपचाररक प्रधान होिा है ”। इस प्रकार उच्चिम न्यायािय ने भी स्पष्ट् तकया तक राष्ट्रपति को सदै ि मंतिपररषद के परामशि से कायि करना चातहए तकंिु इसका अथि यह नहीं िगाया जाना चातहए तक राष्ट्रपति रबर स्टैं प है ।राष्ट्रपति को रबर स्टैं प मानना भूि होगी, भारि का राष्ट्रपति सरकार का अतभभािक और मागिदशिक होिा है और इस रूप में िह सतिय भूतमका का तनिाि ह करिा रहा है ,जैसे डाकघर संशोधन तिधेयक पर पॉकेट िीटो का प्रयोग आतद। राष्ट्रपति पद का महत्व: सरकार के अतभभािक ि संरक्षक के रूप में राष्ट्रपति अपनी भूतमका का तनिाि ह करिा है । संतिधान के संरक्षक की भूतमका तनभािा है । 4 िोगों के तहिों को सुतनतिि करने में सतिय भूतमका तनभािा है । अच्छे शासन की िापना में मागिदशिन प्रदान करिा है । साझा सरकारों के दौरान सतिय भूतमका तनभािा है क्ोंतक इस समय सरकारें ज्यादा अक्तिर होिी हैं । राष्ट्रपति की िुलना,अमेररका और तिर्े न से:- तनिाटचन सांबांधी- अमेररका के राष्ट्रपति का तनिाि चन जेरी मेंन्डरी ांग पद्धति से होिा है ।इसके अनुसार हाउस ऑफ ररप्रेजेंटेतटि की संख्या के बराबर प्रत्येक राज्य से िोगों का तनिाि चन तकया जािा है यही िोग राष्ट्रपति के चुनाि में िोट दे िे हैं अथाि ि यह राष्ट्रपति का तनिाि चक मंडि होिा है जो राष्ट्रपति को चुनिा है । तनिाि चन की यह प्रर्ािी अतधक तििंबकारी और खचीिी होिी है । तिटे न में िाज िंशानुगि पद धारर् करिा है ,अिः यहााँ तनिाि चन का प्रािधान नहीं तकया गया है । फ्ां स में राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाि होिा है , तनिाि चन में तजसे 50% से अतधक िोट तमििे हैं िह तिजयी घोतषि तकया जािा है ।यतद तकसी प्रत्याशी को 50% से अतधक मि नहीं तमिा है िो पुनः चुनाि होिा है यह चुनाि सिाि तधक मि पाने िािे अंतिम दो प्रत्यातशयों के बीच होिा है ।यह प्रतिया अत्यतधक जतटि और तििंबकारी होिी है । पदमुक्ति सांबांधी:- भारि के राष्ट्रपति को महातभयोग द्वारा पद से हटाने की संकल्पना अमेररका से ग्रहर् की गई है ।तकंिु दोनों दे शों की प्रतिया में अंिर है । अमेररका में राष्ट्रपति पर महातभयोग भ्रष्ट्ाचार, दे शद्रोह या अपराध इत्यातद के आधार पर िगाया जािा है ।तकंिु संतिधान के उल्लंघन के आधार पर महातभयोग नहीं िगाया जािा है । अमेररका में राष्ट्रपति को पद से हटाने की शुरुआि केिि तनचिे सदन हाउस ऑफ ररप्रेजेंटेतटि में होिा है । अमेररका में राष्ट्रपति पर िगे अपराधों की जां च के बाद उच्च सदन (सीनेट) में प्रस्ताि पाररि तकया जािा है और ऐसे अिसर पर सीनेट की अध्यक्षिा अमेररका के उच्चिम न्यायािय का मुख्य न्यायाधीश करिा है । शक्तियोां सांबांधी:- 5 अमेररकी राष्ट्रपति कायिपातिका का िास्ततिक प्रधान होिा है ,इसतिए सरकार की िास्ततिक शक्तियों का प्रयोग करिा है ।जबतक भारि का राष्ट्रपति कायिपातिका का नाममाि का प्रधान होिा है , िह सरकार की िास्ततिक शक्तियों का प्रयोग नहीं करिा है । भारि का राष्ट्रपति तिटे न की िाज की भां ति नाममाि का प्रधान होिा है ।तकंिु भारि के राष्ट्रपति को कुछ तििेकाधीन शक्तियों के प्रयोग का अतधकार होिा है ,जबतक तिटे न के िाज के पास तििेकाधीन शक्तियों के प्रयोग का अिसर नहीं होिा है । ◼ ◼ ◼ ◼ PW Mobile APP: https://physicswala.page.link/?type=contact-us&data=open For PW Website: https://www.physicswallah.live/contact-us 1 दै िनक ास नोट् स Lecture - 10 भारतीय राज व था 2 उपरा पित:  अनु े द 63 के अनुसार भारत का एक उपरा पित होगा।उपरा पित का पद अमे रका से हण िकया गया है ,इस पद का सृजन रा पित के पद म िनरं तरता के िलए िकया गया है । िनवाचन:-  अनु े द 66(1) के अनुसार उपरा पित का िनवाचन संसद के दोनों सदनों के सद ों के ारा िकया जाएगा। इसम िनवािचत एवं मनोनीत सभी सद भाग लगे।  उपरा पित का िनवाचन अ ,आनुपाितक ितिनिध णाली एवं एकल सं मणीय मत प ित से गु मतदान ारा िकया जाता है ।  मूल संिवधान म उपरा पित के िनवाचन के िलए दोनों सदनों के सं यु अिधवे शन का ावधान था। िकंतु यह एक जिटल ि या थी अतः इसे 11व संिवधान संशोधन के ारा समा कर िदया गया। यो ता:  अनु े द 66(3) के अनुसार रा पित पद के िलए िन िल खत यो ताएं होनी चािहए-  भारत का नाग रक हो।  ूनतम 35 वष की आयु पूण कर िलया हो।  रा सभा का सद बनने के िलए यो हो।  भारत या रा सरकार के अधीन लाभ का पद धारणा न करता हो। शपथ:  अनु े द 69 के तहत उपरा पित,रा पित के सम या उसके ारा िनयु िकए गए ािधकारी के सम िन शपथ हण करे गा- (i) संिवधान के ित स ी ा व िन ा रखने का। (ii) पद एवं कत ों का उिचत तरीके से िनवाह करने का। 3  कायकाल: अनु े द 67 के तहत उपरा पित का कायकाल पद हण की ितिथ से 5 वष तक होता है ।  पद र : ागप ारा-उपरा पित, रा पित को संबोिधत कर ागप दे सकता है । पद से हटाया जाना:  उपरा पित को पद से हटाने का ाव केवल रा सभा म ुत िकया जा सकता है । ूनतम 14 िदनों की पूव नोिटस पर यह ाव रा सभा म लाया जाता है ।  जब इस ाव को रा सभा के त ालीन सद ों के ब मत अथात भावी ब मत से पा रत कर िदया जाए तब इसे लोकसभा को भेजा जाता है तथा लोकसभा इस ाव से सहमत हो तब उपरा पित पद से हटाया आ मान िलया जाएगा। लोकसभा के सहमत होने का आशय है िक लोकसभा के ारा इसे साधारण ब मत से पा रत िकया गया है ।  पद से हटाए जाने के प ात वह तब तक पद धारण करता रहे गा जब तक उसका उ रािधकारी पद हण नहीं कर लेता है । र थानों की पूित के संबंध म ावधान:  नए उपरा पित के िलए िनवाचन वतमान उपरा पित के कायकाल संप होने के पहले करा िलया जाएगा।  यिद उपरा पित के पद म आक क र होती है तो यथाशी िनवाचन कराया जाएगा। (यहाँ 6 माह की अविध का वणन नहीं िकया गया है )।  उपरा पित का पद र होने पर नए उपरा पित के पद हण करने तक उपरा पित के पम कौन काय करे गा संिवधान म इसका वणन नहीं है। काय:  अनु े द 64 के अनुसार उपरा पित रा सभा की बैठकों का पदे न अ होता है ।  अनु े द 65 के अनुसार वह रा पित के आक क कृ ों का िनवाह करता है । नोट: 4  संिवधान म उपरा पित के पुन: िनवाचन का ावधान विणत नहीं है ,य िप परं परा के अनुसार वह पुनः िनवािचत हो सकता है ।  उपरा पित के िनवाचन के संबंध म िववादों का समाधान उ तम ायालय करता है ।  उपरा पित के चुनाव के िलए ाशी को 20 ावक, 20 समथक और 15000 की जमानत रािश की आव कता होती है ।  उपरा पित को वे तन और भ े रा सभा के पदे न सभापित के प म िदए जाते ह, उपरा पित के प म नहीं। मं ी प रषद (Council of Minister):  अनु े द 75(1) के अनुसार रा पित धानमं ी की िनयु करता है और धानमं ी के परामश पर अ मंि यों की िनयु करता है ।  धानमं ी सिहत मंि यों की कुल सं ा लोकसभा के कुल सद सं ा के 15% से अिधक नहीं हो सकती है ।यह ावधान 91व संिवधान संशोधन अिधिनयम 2003 ारा जोड़ा गया। मंि यों के िलए यो ता:  संसद के दोनों सदनों का कोई भी सद मं ी बन सकता है । अनु े द 75(5) के अनुसार वह जो संसद के िकसी भी सदन का सद नहीं है 6 माह के िलए मं ी पद धारण कर सकता है , िकंतु 6 माह के भीतर उसे संसद के िकसी भी सदन की सद ता लेना अिनवाय है अ था त: ही उसका पद र हो जाएगा। शपथ:  अनु े द 75(4) के अनुसार ेक मं ी रा पित के सम तीसरी अनुसूची के अंतगत पद और गोपनीयता की शपथ लेता है । इसके तहत वह िन िल खत शपथ हण करता है - (i) संिवधान के ित स ी ा और िन ा रखने का (ii) भारत की भुता व अखं डता को अ ु रखने का। 5 (iii) कत ों का ा पूवक और शु अंतःकरण से िनवाह करने का। (iv) सभी कार के लोगों के ित संिवधान और िविध के अनुसार ाय करने का। (v) मं ी के प म िकसी िवषय को अपे ा के िवपरीत िकसी को या अ प से संसूिचत या कट नहीं करने का।  मंि यों के वेतन भ े: अनु े द 75(6) के अनुसार मंि यों के वे तन भ े संसद ारा समय-समय पर िनि त िकए जाएं गे। कायकाल:  धानमं ी या मंि प रषद या सरकार का कायकाल संिवधान म विणत नहीं है ,इसका कायकाल लोकसभा के िव ास पर िनभर है ।लोकसभा का कायकाल अिधकतम 5 वष है,अतः सरकार का कायकाल अिधकतम 5 वष तक हो सकता है ।िकंतु यह आव क नहीं है । मंि यों का उ रदािय :  गत उ रदािय - अनु े द 75(2) के अनुसार ेक मं ी रा पित के सादपयत पद धारण करता है ।इस कार वह रा पित के ित गत प से उ रदायी होता है । वहार म इस उ रदािय का िनवाह धानमं ी के मा म से िकया जाता है ।  सामूिहक उ रदािय : यह संसदीय णाली की आधारिशला है ,भारत म ि टे न से इस िस ां त को हण िकया गया है ।इसके अनुसार संपूण मंि प रषद लोकसभा के ित सामूिहक प से उ रदायी होती है अथात िकसी एक मं ी के िनणय के िलए लोकसभा म पूरे मंि प रषद को उ रदायी ठहराया जाता है । मंि यों का सामूिहक अ होता है और लोकसभा म सामूिहक प से उनका अ समा भी हो सकता है ।इसे ही साथ-साथ तैरने और साथ-साथ डूबने का िस ां त भी कहते ह।  संसदीय णाली की सफलता सामूिहक उ रदािय की भावशीलता पर िनभर मानी जाती है यिद सरकार अिधक उ रदािय का िनवाह करती है तो यह संसदीय णाली को उतना ही सफल 6 बनाती है , लेिकन यिद िवप मजबूत ना हो तो सामूिहक उ रदािय का पालन किठन हो जाता है , ोंिक लोकसभा म ब मत वाला दल ही सरकार बनाता है । सामूिहक उ रदािय की समी ा:-  ि टे न म सामूिहक उ रदािय के िस ां त का पालन इस िस ां त की भावना के अनु प िकया जाता रहा है िक वहां सं सदीय परं पराएं अिधक सु ढ़ ह।अतः सामूिहक उ रदािय का िस ां त अिधक उपयोगी िस आ है ।  भारत म लोकसभा की भू िमका म िवगत वष म िगरावट अनुभव की जाती रही है ।राजनीितक ाथ और संकीणताएं लोकसभा की कायवाही के क म रहे ह।अतः ि िटश परं परा की भाँ ित सामूिहक उ रदािय का सफल ि या यन नहीं हो सका है सामूिहक उ रदािय के अधीन न तो लोकसभा सरकार पर िनयं ण का साधन बन सकी है और न ही मंि प रषद लोकसभा के ित वा िवक और भावी उ रदािय का िनवाह कर सका है , इसने सामूिहक उ रदािय के ि या यन को िशिथल बनाया है । मंि प रषद और मंि मंडल म अंतर: 1. मंि प रषद एक औपचा रक सं था है ,जबिक मंि मं डल एक अनौपचा रक सं था है । 2. मंि प रषद का गठन संिवधान के ावधानों के अनु प िकया जाता है ।जबिक मंि मंडल का गठन ि िटश परं परा के आधार पर िकया जाता है । 3. मंि प रषद एक बड़ा िनकाय है और सभी कार के मं ी इसम स िलत होते ह जबिक मं ि मंडल एक छोटा िनकाय है िजसमे केवल कैिबनेट र के मं ी से शािमल होते है । 4. मंि प रषद की कभी बै ठक नहीं बु लाई जाती है सदै व मंि मंडल की बैठक ही बु लाई जाती है ,यही वा िवक नीित िनमा ी िनकाय होती है । 5. सामूिहक उ रदािय का िस ां त सै ां ितक प से मंि प रषद म िनिहत है ।जबिक सामूिहक उ रदािय के िस ां त का वहा रक योग मंि मंडल के मा म से िकया जाता है । 7 6. संिवधान म सदै व मंि प रषद की भूिमका का उ े ख िमलता है । मंि मंडल श का योग संिवधान म मा एक बार िकया गया है ,44व संिवधान संशोधन ारा इस श को अनु े द 352 के संदभ म शािमल िकया गया है । मंि मंडलीय सिमितयां :  मंि मंडलीय सिमित एक िवशेष कार की सिमित है िजसे कुछ खास कार के कामों को करने के िलए बनाया जाता है । ये सिमितयां मंि मं डल (cabinet) के काय की अिधकता को तो कम करती ही है साथ ही साथ भावकारी सम य थािपत करने के िलए ये नीितगत मु ों का गहन अ यन भी करती है । वै से इसका उ ेख कहीं संिवधान म नहीं िकया गया है इसीिलए ये एक गैर-संवैधािनक या संिवधाने र सिमित है ।  ये सिमित म और ितिनिधमंडल के िवभाजन के िस ां तों पर आधा रत होता है जो िक ज री मु ों का हल तलाशती है एवं मंि मंडल के िवचार के िलए ाव बनाती है और उसपर िनणय भी लेती है । हालां िक मंि मं डल इनके िलए गए िनणयों की समी ा कर सकता है और उसम ज री बदलाव भी कर सकता है ।  इन सिमितयों को धानमं ी ारा समय की ज रत तथा प र थित की मां ग के अनुसार गिठत िकया जाता है एवं इसके सद ों की सं ा िनि त नहीं होती है । आमतौर पर इसके सद ों की सं ा 3 से 8 तक होती है जो िक समा तः कैिबनेट मं ी होते ह हालां िक गैर-कैिबनेट मं ी भी इसके सद हो सकते ह। ादातर सिमितयों के मुख धानमं ी होते है कुछे क के मु ख गृह मं ी, िव मं ी, र ा मं ी आिद भी होते ह। यिद िकसी सिमित म धानमं ी सद हो, तो उसकी अ ता वही करते ह।  ये सिमितयां दो कार की होती ह- थायी (Permanent) तथा तदथ (Ad hoc)। थायी सिमितयां थायी कृित की होती है जबिक तदथ सिमितयां अ थायी कृित की। तदथ सिमितयों का गठन समय-समय पर िवशेष सम ाओं को सुलझाने के िलए िकया जाता है । योजन पूरा होते ही इ े िवघिटत कर िदया जाता है । 8 धानमं ी:  भारत म धानमं ी का पद ि िटश परं परा से हण िकया गया है ,िकंतु भारतीय धानमं ी की थित ि िटश धानमं ी की तु लना म अिधक श शाली है ।ि टे न ने धानमं ी जहां समानों म थम अथात वह मंि प रषद म थम थान रखता है जबिक भारत म धानमं ी मंि प रषद का धान होता है ।  ि िटश धानमं ी मंि प रषद का सम यक होता है जबिक भारत म धानमं ी मंि प रषद का िनयं क होता है ।  भारत का धानमं ी संसद के िकसी भी सदन का सद हो सकता है ।जबिक ि टे न म धानमं ी हाउस आफ कॉम का ही सद हो सकता है ।  धानमं ी मंि प रषद के जीवन और मृ ु का क िबंदु है ।िकसी मं ी के पद ाग से मंि प रषद म केवल एक पद र होता है ,जबिक धानमं ी के पद ाग से स ूण मंि प रषद का िवघटन हो जाता है । मंि प रषद की भूिमका म धानमं ी की इ ा का सवािधक मह है धानमं ी की इ ा ही नीितयों का प धारण करती ह,मंि प रषद का आकार एवं प धानमं ी पर िनभर करता है ।   PW Mobile APP: https://physicswala.page.link/?type=contact-us&data=open For PW Website: https://www.physicswallah.live/contact-us 1 दै तनक क्लास नोट् स Lecture - 11 भारतीय राजव्यवस्था राष्ट्रपतत एवं प्रधानमंत्री के मध्य संबंध 2 राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के मध्य संबंध राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मध्य संबंध ं क हम द आधार ,ं संवैधातनक एवं व्यवहाररक आधार पर दे ख सकिे हैं । संवैधातनक आधार: ❖ अनुच्छेद 78 में प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति के प्रति कितव्य ं का उल्लेख तकया गया है । ❖ अनुच्छेद 78(a)- प्रधानमंत्री का यह कितव्य है तक वह भारि सरकार की कायतपातिका कायतवाही एवं तवधायी कायतवाही के तवषय में राष्ट्रपति क समय-समय पर सूचना दे गा। ❖ अनुच्छेद 78(b)- प्रधानमंत्री का यह कितव्य है तक वह भारि सरकार की कायतपातिका कायतवाही एवं तवधातयका की कायतवाही के तवषय में राष्ट्रपति ज सूचना मां गे वह उपिब्ध कराए। ❖ अनुच्छेद 78(c)- यतद तकसी मंत्री ने क ई तनर्तय तिया है और उस पर मंतत्रपररषद ने तवचार नहीं तकया है ि राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा तकए जाने पर प्रधानमंत्री उसे मंतत्रपररषद के समक्ष तवचार के तिए प्रस्तुि करे । ❖ व्यापाररक संबंध: तितिश परं परा के अनुरूप राष्ट्रपति मात्र औपचाररक प्रधान ह िा है और प्रधानमंत्री वास्ततवक प्रधान ह िा है । राष्ट्रपति सरकार के संरक्षक के रूप में भूतमका का तनवात ह करिा है । जब राष्ट्रपतिय ं ने सतिय रूप से इस भूतमका का तनवात ह तकया िब यदा-कदा प्रधानमंत्री के साथ मिभेद के अवसर उत्पन्न हुए हैं , इन्हें तनम्नतिखखि उदाहरर् से समझा जा सकिा है - भारि के प्रथम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के मध्य तहं दू क ड तबि के संदभत मे मिभेद उत्पन्न ह गया था। सवात तधक गहरे मिभेद राष्ट्रपति ज्ञानी जैि तसंह और प्रधानमंत्री राजीव गां धी के मध्य उत्पन्न हुए, प्रधानमंत्री की तवदे श यात्रा के संबंध में सूचना न दे ने पर डाकघर संश धन तवधेयक पर राष्ट्रपति द्वारा पॉकेि वीि का प्रय ग तकया गया। डॉ. ए.पी.जे अब्दु ि किाम के राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान प्रधानमंत्री क िाभ के पद के दु रुपय ग, राजनीति में भ्रष्ट्ाचार, राजनीति में अपराधीकरर् इत्यातद तवषय ं पर पत्र तिखने के कारर् मिभेद की खिति उत्पन्न हुई थी। स्पष्ट् है तक, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मध्य संबंध उिार-चढाव से युक्त रहे हैं । द न ं के मध्य संबंध ं में िनाव संतवधान की मूि भावना के प्रतिकूि है । अिः राष्ट्रपति के द्वारा तदए जाने वािे सुझाव का सम्मान तकया जाना चातहए और राष्ट्रपति क अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चातहए। तकंिु ि कतहि के तिए उसे मुखर और सतिय भूतमका अवश्य तनभानी चातहए, यतद सरकार 3 ि क तहि ं की उपेक्षा करिी है ि राष्ट्रपति मूकदशतक बनकर नहीं रह सकिा है । अिः सरकार ं में सुधार द न ं के मध्य िनाव में कमी िाने में सहायक ह गा। महान्यायवादी (Attorney General): ❖ भारिीय संतवधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी पद की व्यविा की गई है । ❖ तनयुक्ति- महान्यायवादी की तनयुखक्त राष्ट्रपति द्वारा की जािी है । ❖ योग्यता- उस व्यखक्त क महान्यायवादी तनयुक्त तकया जािा है ज उच्चिम न्यायािय का न्यायाधीश बनने की य ग्यिा रखिा ह । ❖ काययकाल- महान्यायवादी का कायत काि राष्ट्रपति के प्रसादपयंि रहिा है । ❖ पाररश्रतमक- महान्यायवादी का पाररश्रतमक राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर तनधात ररि तकया जािा है । महान्यायवादी की भूतमका: ❖ महान्यायवादी भारि सरकार का सवोच्च तवतध अतधकारी ह िा है । ❖ महान्यायवादी भारि सरकार का सबसे प्रमुख तवतधक परामशतदािा ह िा है । ❖ महान्यायवादी उच्चिम न्यायािय, उच्च न्यायािय के समक्ष भारि सरकार का पक्ष प्रस्तुि करने के तिए उत्तरदायी ह िा है । ❖ जब राष्ट्रपति अनुच्छेद 143 के अंिगति उच्चिम न्यायािय से परामशत मां गिा है िब महान्यायवादी राष्ट्रपति की ओर से उच्चिम न्यायािय में उपखिि ह िा है । ❖ महान्यायवादी क आवश्यकिा अनुसार संसद की बैठक ं में भाग िेने के तिए आमंतत्रि तकया जा सकिा है । वह संसद में अपने तवचार प्रकि कर सकिा है , तकंिु मिदान नहीं कर सकिा है । ❖ महान्यायवादी प्राइवेि केस क िड़ सकिा है तकंिु ऐसे मामि ं में वह उपखिि नहीं रह सकिा है ज भारि सरकार के खखिाफ िड़े जा रहे ह । अन्य दे शों के साथ तुलना: ❖ अमेररका, तििे न आतद दे श ं में महान्यायवादी क राजनैतिक पद् खिि प्रदान की गई है , तकंिु भारि में नहीं। तििे न में महान्यायवादी तितिश मंतत्रमंडि का सदस्य ह िा है इस प्रकार वह सरकार के तनयंत्रर् में कायत करिा है । तकंिु भारि में महान्यायवादी मंतत्रमंडि का सदस्य नहीं ह िा है और वह सरकार से स्विंत्र एवं तनष्पक्ष रहकर भूतमका का तनवात ह करिा है अथात ि भारि में महान्यायवादी की तनष्पक्षिा क महत्व तदया गया है । 4 मंत्रालय एवं तवभाग: ❖ केंद्रीय सतिवालय: संघ सरकार ं के तवभाग ं के समूह क केंद्रीय सतचवािय की संज्ञा दी जािी है । इसका प्रशासतनक अध्यक्ष संबंतधि तवभाग का सतचव ह िा है । यह एक स्टाफ एजेंसी की भां ति कायत करिा है । भूतमका: ❖ नीति तनमात र् और तनर्तय तनमात र् हे िु मंत्री क परामशत दे ना। ❖ तवधेयक ं के प्रारूप, तनयम, तवतनयम बनाना। ❖ तवभाग ं के तिए बजि बनाना। ❖ तवभाग के अधीन क्षेत्रीय कायात िय ं पर तनयंत्रर् एवं पयतवेक्षर् करना। ❖ तवभाग के कमतचाररय ं पर तनयंत्रर् करना। ❖ तवभाग द्वारा तिए गए तनर्तय ं का बाधारतहि कायात न्वयन सुतनतिि करना। आलोिना: ❖ सतचवािय की कायतप्रर्ािी, संरचना, तितिश कािीन है । अिः अतभजात्य वगीय कायत संस्कृति तवद्यमान रही है । ❖ नौकरशाही के द ष जैसे िािफीिाशाही, तविंबकाररिा तवद्यमान रहे हैं । ❖ केंद्रीय सतचवािय के कायतभार में वृखि हुई है जबतक उस अनुपाि में दक्षिा में वृखि नहीं ह सकी है । ❖ यदा-कदा भ्रष्ट्ाचार के आर प िगिे रहे हैं । ❖ ि क सेवक ं की तनष्पक्षिा सदै व अच्छी नहीं रही है इस संदभत में एन. व हरा की ररप ित इसका वर्तन करिी है । उपाय: ❖ तितिश कािीन कानून ं क समाप्त तकया जाए और वितमान आवश्यकिाओं के अनुरूप नए अतधतनयम तनतमति तकए जाएं । ❖ भ्रष्ट्ाचार के प्रति जीर िॉिरें स की नीति अपनाई जाए। ❖ सतचवािय में तवशेष अतधकाररय ं की तनयुखक्त में वृखि की जाए। ❖ अतधकाररय ं क सृजनात्मक भूतमका के तिए प्रतशतक्षि तकया जाए। ❖ प्रत्येक कमतचारी/अतधकारी का कठ र एवं तनष्पक्ष तनष्पादन मूल्ां कन तकया जाए। 5 प्रधानमंत्री कायायलय (PMO): ❖ प्रधानमंत्री कायात िय का प्रधान, प्रधान सतचव ह िा है इसकी तनयुखक्त राष्ट्रपति के द्वारा की जािी है । यह प्रधानमंत्री का तनकि एवं तवश्वासपात्र ह िा है अथात ि प्रधानमंत्री के तकचन कैतबनेि का सदस्य ह िा है । इसका दजात भारि सरकार के संयुक्त सतचव के बराबर ह िा है । 1977 से पहिे इसे प्रधानमंत्री सतचवािय के नाम से जाना जािा था। भूतमका: ❖ यह प्रधानमंत्री के स्टाफ एजेंसी की भां ति कायत करिा है , अथात ि यह प्रधानमंत्री क तनर्तय िेने में परामशत एवं सहायिा प्रदान करिा है । तजसे संक्षेप में तनम्नतिखखि रुप ं में समझा जा सकिा है : सरकार के अध्यक्ष अथात ि प्रधानमंत्री के रूप में कायत करने में। नीति आय ग, अंिर राज्य पररषद आतद संिाओं की बैठक ं की अध्यक्षिा करने में। प्रेस, मीतडया एवं ि ग ं से संपकत करने में। प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाि एवं अन्य से संपकत करने में। प्रधानमंत्री की तवदे श यात्राओं का प्रबंधन करने में। ज तवषय तकसी अन्य मंत्रािय क नहीं सौपें गए हैं उनका प्रबंधन करने में। ❖ इनकी प्रभावी भूतमका के कारर् इसे सुपर कैतबनेि सु पर सतचवािय या भारि सरकार के पयात यवाची के रूप में जाना जािा रहा है । मंतत्रमंडल सतिवालय: ❖ इस दे श का सवोच्च प्रशासतनक कायात िय है , प्रधानमंत्री इसका राजनैतिक अध्यक्ष ह िा है जबतक कैतबनेि सतचव प्रशासतनक अध्यक्ष ह िा है । यह मंतत्रमंडि के अध्यक्ष के रूप में भूतमकाओं का तनवात ह करने में प्रधानमंत्री क सहायिा व सहय ग प्रदान करिा है । यह एक स्टाफ एजेंसी की भां ति कायत करिा है और तनम्नतिखखि भूतमकाओं का तनवात ह करिा है - कैतबनेि और कैतबनेि सतमतिय ं क प्रशासतनक सहायिा उपिब्ध कराना। मंतत्रय ं के बीच तवभाग ं के बंिवारे , शपथ ग्रहर्, पद ग्रहर् इत्यातद मामि ं का प्रबंध करना। भारि सरकार के सुतवधाजनक संचािन के तिए तनयम बनाना अनुच्छेद 73(3) के दातयत्व ं का तनवात ह करना। मंतत्रमंडि द्वारा तिए गए तनर्तय ं का कायात न्वयन बाधारतहि िरीके से ह सके यह सुतनतिि करना। एक समन्वय की भां ति कायत करना अथात ि भारि सरकार के तवतभन्न तवभाग ं के मध्य िथा भारि और राज्य सरकार के मध्य सहय ग और सामंजस्य सुतनतिि करना। 6 कैतबनेट सतिव: ❖ यह दे श का वररष्ठिमं एवं य ग्यिम ि कसेवक ह िा है । यह प्रधानमंत्री का प्रमुख परामशतदािा ह िा है उसकी तनयुखक्त प्रधानमंत्री के परामशत पर राष्ट्रपति द्वारा की जािी है । यह भारि सरकार के सतचव ं की सतमति का अध्यक्ष ह िा है और समन्वयक की भां ति प्रभावी भूतमका का तनवात ह करिा है । समीक्षा: ❖ तनम्नतिखखि प्रवृतत्तय ं ने कैतबनेि सतचव के महत्व पर आघाि तकया है : उसका क ई तनतिि कायतकाि नहीं ह िा है । प्रधानमंतत्रय ं ने कैतबनेि सतचव की बजाय प्रधानमंत्री कायात िय के प्रधान सतचव पर अत्यतधक तनभतरिा प्रकि की है । ❖ उपयुतक्त प्रवृतत्तयां कैतबनेि सतचव की भूतमका क कमज र बनािी है । अिः समुतचि तनयम ं का तवकास कर कैतबनेि सतचव ं की भूतमका में तगरावि क र का जा सकिा है । प्रधानमंत्री कायायलय (PMO) व मंतत्रमंडल सतिवालय के मध्य तुलना: ❖ मंतत्रमंडि सतचवािय सवोच्च प्रशासतनक कायात िय है । इस प्रकार पद, खिति एवं महत्व के संदभत में सैिां तिक रूप से प्रधानमंत्री कायात िय से श्रेष्ठ ह िा है , तकंिु व्यवहार में इसके तवपरीि प्रधानमंत्री कायात िय का महत्व अतधक रहा है । इसके तिए तनम्नतिखखि कारर् उत्तरदायी है : मंतत्रमंडि सतचवािय की पररखिति औपचाररक है जबतक प्रधानमंत्री कायात िय की पररखिति समय के साथ पररवतिति ह िी रही है और कभी-कभी यह भारि सरकार के पयात यवाची या समानां िर भारि सरकार के रूप में तवकतसि ह िा रहा है । जैसे प्रधान सतचव पी.एन.हक्सर का कायतकाि। प्रधानमंत्री कायात िय का वास्ततवक महत्व प्रधानमंत्री के व्यखक्तत्व के अनुरूप तनधात ररि ह िा रहा है । इसका महत्व वही रहा है ज प्रधानमंत्री इसे बनाना चाहिा है । तवगि कुछ वषों में प्रधानमंतत्रय ं ने मंतत्रमंडि सतचवािय के बजाय प्रधानमंत्री कायात िय पर अतधक तनभतरिा प्रकि की है । ज तवषय तकसी मंत्रािय क नहीं सौंपे गए हैं वह इनके अतधकार क्षेत्र में आ जािे हैं । अिः इनका क्षेत्र एवं प्रभाव बढ जािा है । प्रधानमंत्री कायात िय का अध्यक्ष प्रधान सतचव प्रधानमंत्री का तनकि एवं तवश्वासपात्र ह िा है , जबतक कैतबनेि सतचव तनष्पक्ष ि कसेवक ह िा है । 7 अभ्यास प्रश्न प्रश्न: भारि के राष्ट्रपति की संवैधातनक खिति का परीक्षर् कीतजए और यह स्पष्ट् कीतजए तक क्या वह एक रबर स्टैं प है । प्रश्न: भारि का राष्ट्रपति भारि सरकार के अतभभावक या मागतदशतक के रूप में कायत करिा है ।तिप्पर्ी करें , प्रश्न: सामूतहक उत्तरदातयत्व का तसिां ि संसदीय प्रर्ािी की आधारतशिा है ,तकंिु यतद तवपक्ष सकारात्मक भूतमका न तनभा सके ि यह अवधारर्ा कमज र ह जािी है ।क्या आप इस राय से सहमि हैं िकत सतहि उत्तर दें । प्रश्न: मंतत्रमंडिीय सतमतियां मंतत्रमंडि के कायत क सुतवधाजनक बनािी हैं । यही संसदीय प्रर्ािी क सफि बनाने की पृष्ठभूतम तनतमति करिी है ।समझाइए। प्रश्न: प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के मध्य संबंध ं क स्पष्ट् कीतजए। ◼ ◼ ◼ ◼ 1 दै िनक ास नोट् स Lecture - 12 संसद राज व था 2 संसद राज व था  संसद: संिवधान के अनु े द 79 से अनु े द 122 तक संसद के संबंध म ावधान िकया गया है ।  अनु े द 79 के तहत सं सद के 3 अंग होते ह, रा पित, रा सभा और लोकसभा। रा सभा का औिच :  भारत म सं घीय णाली अपनाई गई है प रणाम प संघीय र पर रा ों का ितिनिध सुिनि त करने हे तु रा सभा का गठन िकया गया है ।यह दे श के संघीय ढां चे को मजबूत बनाती है ।  संसद िविध िनमाण की सं था है ।अतः यो ता एवं द ता आव क होती है ,लोकसभा ारा इस बात की गारं टी नहीं ली जा सकती है ।अतः रा सभा को एक िवशेष सदन के प म िनिमत िकया गया है , यही कारण है िक कुछ िनि त यो ताओं के आधार पर रा पित ारा कुछ सद ों को रा सभा म मनोनीत िकया जाता है ।  रा सभा की क ना ापक िचंतन के आधार पर की गई है जो रा ीय िहत की ा ा करती है और रा ीय िहत के संर ण के ि कोण से काय करती है ,यही कारण है िक संिवधान म रा ीय िहतों की ा ा करने का दािय रा सभा को सौंपा गया है ।  यिद एक सदन होता तो अित शी ता से कोई भी कानून िनिमत िकया जा सकता था, अतः िवधायी श यों का मनमाना योग होता और ब मत वाली सरकार के हाथ म ही िवधायी श यां िनिहत हो जाती।रा सभा के गठन से श पृ थ रण के िवपरीत होने वाली इस भावना पर िनयं ण िकया गया है । रा सभा की भूिमका म िगरावट:  िवगत वष म िन िल खत वृ ि यों ने ज िलया है ,प रणाम प रा सभा की भूिमका, मह , ग रमा, छिव म िगरावट उ ई है ।  रा सभा की कायवाही म समय के दु पयोग के मामले बढ़े ह ऐसे भी अवसर आए ह जब रा सभा ने एक िदन म मा 6 िमनट काय िकया है । 3  सद ों म अनुशासनहीनता की वृ ई है प रणाम प सदन म अमयािदत आचरण का यदा-कदा दशन आ है ।  िवगत वष म रा सभा सरकार का िवरोध करने वाली सं था के प म कट ई है भारत म िवप की भूिमका अिधक सकारा क नहीं रही है , अतः वह लोकसभा म सरकार का िवरोध करने की मता नहीं रखता।प र थितवश उसे रा सभा म अवसर ा होता रहा है ।िकंतु इस अवसर का योग सरकार के िनयं ण करने के बजाय सरकार का िवरोध करने हे तु िकया गया है ।  िवगत वष म रा सभा के गठन म नवीन प रवतन उ ए ह।रा सभा, लोकसभा के संप ए िनवाचनों म हारे ए ितिनिधयों की सभा बनकर कट ई है ।  रा सभा म भी आपरािधक छिव के लोगों का वे श संभव हो सका है ।वतमान म 22% सद अपराधी वृ ि के ह।  रा सभा म की जाने वाली चचाएं अपे ा के िवपरीत गुणव ा खोती जा रही ह। ायः रा सभा म होने वाली चचा म गुणव ा का अभाव प रलि त होता है और चचाएं सं कीण ाथ पर आधा रत रही ह। वतमान समय म रा सभा की ासंिगकता:-  रा सभा को अपनी ग रमा के अनु प भूिमका म सुधार करना होगा अ था इसके अ पर उठने लगे ह।21वीं शता ी चुनौतीयों और संभावनाओं की शता ी है इसके अनु प रा सभा को अपनी भूिमका म पुन ान करते ए एक ओर सरकार के भावी िनयं क के प म िवकिसत होना होगा और दू सरी ओर एक िचंतक सभा के प म िवकिसत होना होगा। िवशेषता रा सभा लोकसभा अिधकतम सीट 250 550 मूल संिवधान म 500 सीटों का ावधान था। िजसे 7व संिवधान संशोधन अिधिनयम, 31 व संिवधान संशोधन अिधिनयम और गोवा पुनगठन अिधिनयम के तहत बढ़ाया गया। 4 वतमान सीट 245 543 (इसम 233 सीटों पर िनवाचन होता है ( 2020 म एं ो इं िडयन के पद को समा और 12 सद ों को रा पित मनोनीत कर िदया गया) करते ह) िनवाचन अ प से( रा की िवधानसभा वय मतािधकार पर आधा रत िनवाचन के िनवािचत सद ों ारा चुना जाता े के नाग रकों ारा चुना जाता है , है ) िनवाचन ारा। सीटों का 4th अनुसूची के आधार पर संिवधान म विणत नहीं है । बंटवारा (जन ितिनिध अिधिनयम 1950 की धारा-3 और अनुसूची 1 के अनुसार) जनसं ा का 1971 की जनगणना के आधार 1971 की जनगणना के आधार पर।(86 व आधार पर।(86 व संिवधान संशोधन ारा इसे संिवधान संशोधन ारा इसे 2026 तक के 2026 तक के िलए बढ़ा िदया गया है ) िलए बढ़ा िदया गया है ) यो ता भारत का नाग रक हो। भारत का नाग रक हो। ूनतम आयु 30 वष हो। ूनतम आयु 25 वष हो। कायकाल रा सभा एक अ थाई सदन है इसका इसका कायकाल 5 वष होता है थम (अनु े द 83) कोई कायकाल नहीं होता है । अिधवे शन की ितिथ से, 5 वष पूव भी इसका रा सभा के सद का कायकाल 6 िवघटन िकया जा सकता है । वष होता है तथा ेक 2 वष पर आपातकाल म इसका कायकाल बढ़ाया जा इसके एक ितहाई सद सेवािनवृ सकता है । हो जाते ह। पीठासीन सभापित एवं उपसभापित ीकर और िड ी ीकर। अिधकारी िनयु रा सभा अपने सद ों म से िकसी लोकसभा अपने सद ों म से िकसी एक को एक सद को उपसभापित चुनती है । ीकर और एक अ को िड ी ीकर चुनती है । 5 ोटे म ीकर- नई लोकसभा का व र तम् सद होता है , िजसको अ थाई ीकर कहा जाता है ।इसके दो काय होते ह,लोकसभा के सद ों को शपथ िदलाना तथा नए ीकर को शपथ िदलाना। पद मु - जब उपसभापित रा सभा का सद जब ीकर और िड ी ीकर लोकसभा त:समा - न रह जाए तो उसका पद त: ही का सद न रह जाए तो उसका पद ता समा हो जाता है । समा हो जाता है । ागप ारा- उपसभापित, सभापित को संबोिधत ीकर, िड ी ीकर को तथा िड ी कर ागप दे सकता है । ीकर, ीकर को संबोिधत करके ागप दे सकता है । हटाया जाना- ूनतम 14 िदन पूव नोिटस जारी ूनतम 14 िदन के पूव नोिटस जारी करके करके त ालीन सद ों के ब मत त ालीन सद ों के ब मत से ाव ारा पद से हटाया जा सकता है । पा रत करके इसे पद से हटाया जा सकता है ।( िजसे हटाने का ाव िवचाराधीन हो उसे बैठक म उप थत नहीं होने िदया जाता है ) अिधकार सदन की कायवाही के संचालन व सदन की कायवाही के संचालन व िनयं ण िनयं ण का अिधकार होता है । का अिधकार होता है । िनणायक मत का अिधकार होता है । िनणायक मत का अिधकार होता है । गणपूित सदन की कायवाही के संचालन के सदन की कायवाही के संचालन के िलए िलए ूनतम सद सं ा सदन की ूनतम सद सं ा सदन की कुल सं ा कुल सं ा का 1/10 होता है । अथात का 1/10 होता है । अथात 54 सद । 25 सद । दो िवप का नेता स ा प के अित र िजस दल को स ा प के अित र िजस दल को ूनतम 1/10 सीट ा हो उसे ूनतम 1/10 सीट ा हो उसे िवप ी दल िवप ी दल का दजा िदया जाएगा। का दजा िदया जाएगा। 6 अनु े द-101 "संसद सद ों के पदों म र "  यह अनु े द संसद सद ों के अयो ता सं बंधी ावधानों का वणन करता है ।इस अनु े द के अनुसार िन िल खत दशाओं म सदन के सद का पद र हो सकता है - (i) दोहरी सद ता के आधार पर-  एक एक ही समय म संसद के दोनों सदनों का सद नहीं होगा यिद कोई दोनों सदनों का सद चु न िलया जाता है तो संसद िविध बनाकर िनधा रत करे गी िक वह िकस सदन का सद रहे ।  संसद ने इस अनु े द के अनुसार जन ितिनिध अिधिनयम 1951 म ावधान िकया है िजसके अनुसार ऐसे सद को जो दोनों सदनों के िलए चुन िलया गया है 10 िदन के भीतर उस सदन को सू चना दे नी होगी िजसका वह सद रहना चाहता है अ था रा सभा म उसका थान र हो जाएगा। इस अिधिनयम म यह भी ावधान है िक-  यिद िकसी सदन का वतमान सद दू सरे सदन के िलए चुन िलया जाए तो पहले सदन म उसका थान र हो जाएगा।  यिद एक एक ही सदन की 2 सीटों से चुन िलया गया है तो उसे एक सीट का िवक चुनना होगा अ था दोनों थान र हो जाएं गे।  अनु े द 101 के अनुसार कोई संसद या रा िवधानमंडल का एक साथ सद नहीं हो सकता।यिद कोई दोनों के िलए चुना गया है तो रा पित ारा बनाए गए िनयम के अनुसार उसे एक िवक चुनना होगा।अ था संसद म उसका थान र हो जाएगा यिद उसने रा िवधान मंडल के सद ता पहले नहीं ागी है तो।  रा पित ारा prohibition on simultaneous membership rule 1950 िनिमत िकया गया है , िजसके अनुसार यिद संसद एवं रा िवधानमंडल दोनों के िलए चु ना गया 14 िदन के भीतर रा िवधानमंडल की सद ता नहीं छोड़ता है तो उसकी संसद सद ता समा हो जाएगी। 7 (ii) ागप ारा- लोकसभा सद , लोकसभा अ को एवं रा सभा सद , रा सभा के सभापित को ागप दे कर पद र कर सकते ह। (iii) अनुप थित की दशा म- यिद संसद के िकसी सदन का कोई सद उसके अिधवे शन म सदन की अनुमित के िबना िनरं तर 60 िदनों तक अनुप थत रहता है तो उसकी सद ता समा हो जाएगी।इस अविध की गणना म उस अविध को शािमल नहीं िकया जाएगा िजस दौरान सदन का स ावसान रहता है या सदन 4 से अिधक िदनों के िलए थिगत रहता है । अनु े द 102:संसद सद ों की अयो ता/िनरहता;  कोई संसद सद बनने के िलए अयो होगा यिद वह-  भारत सरकार या रा सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करता हो।  ायालय ारा उसे िवकृत च र का घोिषत िकया गया हो।  उसे िदवािलया घोिषत िकया गया हो।  भारत का नाग रक ना हो या िवदे शी रा की नाग रकता हण कर ले या िवदे शी रा के ित िन ा ीकार कर ले।  संसद ारा बनाई गई िविध के अधीन उसे अयो घोिषत कर िदया गया हो।  दसवीं अनुसूची(दल बदल) के अंतगत अयो घोिषत हो गया हो। अयो ता संबंधी िनणय(अनु े द 103):  दसवीं अनुसूची से संबंिधत िवषयों को छोड़कर अ आधारों पर िकसी सं सद सद के सं बंध म अयो ता संबंधी िनणय रा पित ारा िनवाचन आयोग की राय के आधार पर िकया जाता है । दसवीं अनुसूची के संबंध म िनणय ीकर ारा िलया जाता है ।   8 1 दै िनक ास नोट् स Lecture - 13 भारतीय राज व था संसद राज व था-02 2 संसद राज व था-02 संसद सद ों की अयो ता- दल बदल के आधार पर-  भारतीय संिवधान म 52 व संिवधान संशोधन अिधिनयम के तहत दसवीं अनुसूची का ावधान िकया गया है ,िजसम दल बदल के आधार पर सद ों की अयो ता संबंधी ावधान िकए गए ह। कोई सद दल बदल के आधार पर अयो होगा यिद-  एक िनवािचत सद े ा से िजस राजनीितक दल से िनवािचत आ है उस राजनीितक दल की सद ता छोड़ दे ।  यिद वह उस सदन म राजनीितक दल के िवपरीत मत दे ता है या मतदान म अनुप थत रहता है तथा उस राजनीितक दल से उसने 15 िदनों के भीतर मादान न पाया हो।  यिद कोई िनदलीय िनवािचत सद िकसी राजनीितक दल म शािमल हो जाता है ।  यिद कोई मनोनीत सद शपथ लेने के 6 माह बाद िकसी राजनीितक दल म शािमल हो जाता है ।  दल बदल के संबंध म िनणय पीठासीन अिधकारी लेता है । िकहोतो होलोहन बनाम जािच मामले म सव ायालय ने िनणय िदया था िक यिद ीकर दलबदल के संबंध म गलत िनणय दे ता है तो सव ायालय इसकी ाियक समी ा कर सकता है ।  अपवाद: िवलय की थित म दल बदल नहीं माना जाएगा,यिद िकसी दल के कम से कम दो ितहाई सद इसकी ीकृित दे दे ते है ।  ीकर अगर दल की सद ता को ाग दे ता है तो इसे दलबदल नहीं माना जाएगा।  यिद िकसी सद को पाट ारा िन ािसत कर िदया जाता है तो उसकी सदन की सद ता समा नहीं की जाएगी।  किमयां : दल बदल कानून पूणत: दल बदल को ितबंिधत नहीं करता है ,इसम दलबदल की संभावना बनी रहती है ।  ीकर िन नहीं रहता है ,अ र इसके िनणय को ायालय म चुनौती दी जाती रही है । 3 सुझाव:  दल बदल कानून म पूण ितबं ध लगाना चािहए।  िनणय का अिधकार ीकर से छीनकर रा पित को सौंप दे ना चािहए िजसम वह िनवाचन आयोग के परामश से िनणय ले। लाभ का पद (Office of profit):-  लाभ के पद की अवधारणा ि टे न से इसिलए हण की गई िजससे कायपािलका और िवधाियका का पृथ रण िकया जा सके। लाभ के पद को संिवधान म प रभािषत नहीं िकया गया है ना ही संसद ने इसे प रभािषत िकया है । संसद म संसद सद ों की अयो ता कानून(संसद सद िनरहता कानून 1959) बनाकर कुछ पदों को लाभ के पद से बाहर कर िदया गया है तथा समय- समय पर संशोधन करके इन पदों की सं ा म वृ की गई है ।  िकंतु यह लोकतां ि क मा ता के िवपरीत है और एक ही को एक से अिधक पद धारण करने का अवसर दे ता है ,इसिलए लाभ के पद की अवधारणा को संिवधान म विणत ावधानों तक ही सीिमत रहना चािहए। उ तम ायालय ने अ ु ल सकूर मामले म लाभ के पद को पहचानने के िलए िन िल खत कसौिटयां बताई गई ह।  ा यह सरकारी पद है ?  ा सरकार िनयु करती है ?  ा सरकार पद से हटा सकती है ?  ा सरकार के िलए यह पद काय करता है ?  ा सरकार वे तन दे ती है ?  िकंतु उ तम ायालय ने जया ब न बनाम भारत संघ मामले म यह िनणय िदया िक िकसी पद को लाभ का पद मानने के िलए वे तन आव क घटक नहीं है ।इस कार ायालय के िनणय के बाद भी यह संक ना अ सी बनी ई है और यही इसके दु पयोग का कारण है । 4 संसदीय िवशेषािधकार:-  संसदीय िवशेषािधकार से आशय संसद सद ों को उपल कराए गए श यों,अिधकारों और उ ु यों से ह, िजससे वे संसद म भावी योगदान दे सक, यह िवशेषािधकार उन लोगों को भी उपल कराए जाते ह िज संसद की बैठकों म भाग लेने के िलए आमंि त िकया जाता है ,जैसे महा ायवादी।  संिवधान का अनु े द 105 संसदीय िवशेषािधकारों का वणन करता है ।य िप संसदीय िवशेषािधकारों का ोत संिवधान के अित र भी संसद ारा बनाई गई िविधयों, दोनों सदनों के िनयम, संसदीय परं पराएं , ाियक ा ाएं और वे उ ु यां जो 44व सं शोधन से पहले लागू थी।  संसदीय िवशेषािधकारों का संिवधान म कोई वग करण नहीं िकया गया है ,िकंतु अ यन के ि कोण से इ गत एवं सामूिहक िवशे षषािधकारों म वग कृत िकया जाता रहा है । गत िवशेषािधकार ऐसे िवशेषािधकार ह जो संसद सद ों ारा गत प से योग िकए जाते ह।जबिक सामूिहक िवशेषािधकार ऐसे ह अिधकार है िजनका योग पूरा सदन सामूिहक प से करता है । गत िवशेषािधकार:-  ेक सद को संिवधान संसदीय िनयमों व आदे शों के अधीन वा अिभ की तं ता दे ता है ,(अनु े द 105)  कोई सद संसद या उसकी सिमितयों म कही गई बात या मतदान के िलए िकसी ायालय के सम उ रदाई नहीं होगा।(अनु े द 105)  यिद संसद स म है तो ायालय ारा उ सा दे ने या गवाही दे ने के िलए बा नहीं िकया जा सकता है ।  यिद संसद स म है तो स के दौरान और स के ारं भ होने के 40 िदन पहले एवं समा होने के 40 िदन बाद तक िसिवल मामलों म िकसी सद को िगर ार नहीं िकया जा सकता है ।िकंतु दां िडक मामलों या िनवारक िनरोध के मामलों म यह छूट लागू नहीं होगी। 5 सामूिहक िवशेषािधकार:-  ेक सदन को अपनी रपोट,बहस, कायवािहयों को कािशत करने या काशन से रोकने का अिधकार होगा और इनके िव ायालय म कोई कायवाही नहीं की जाएगी,(अनु े द 105)  ेक सदन को अपनी कायवाही के िनयम िनि त करने का अिधकार होगा और उससे उ िवषयों पर िनणय करने की श होगी।  यह कायवािहयों म िकसी को उप थत होने के िलए अनुमित दे सकता है या उ उप थत होने से रोक सकता है ।  यह िकसी सद या अ को िवशेषािधकारों के उ ं घन या सदन की अवमानना के संदभ म दं ड दे सकता है ।  सदन की सीमा के भीतर सदन के पीठासीन अिधकारी की अनुमित के िबना िकसी सद या अ को न तो िगर ार िकया जा सकता है और ना ही कोई िसिवल या ि िमनल कायवाही ारं भ की जा सकती है । समी ा:-  िवगत वष म यदा-कदा संसदीय िवशेषािधकारों के उ ंघन एवं दु पयोग के मामले उ होते रह ह इ िन िल खत आधारों पर समझा जा सकता है -  सदन म सद ों ारा अमयािदत भाषा का योग िकया जाता रहा है ,जो ग रमा के िव है ।  सदन के सद ों ने िवशेषािधकारों का दु पयोग कर सदन की कायवाही म संकीणताओं के कारण अनेक बार वधान उ िकया है , प रणाम प सदन की कायवाही अनेक बार थिगत करनी पड़ी है ।  संसदीय िवशेषािधकारों के बढ़ते दु पयोग ने सदन म अनुशासन को भंग िकया है िजससे समय और धन दोनों का अप य िकया गया है ।  ऐसी वृ ितयां संसद की मयादा एवं ग रमा के िवपरीत ह,संसद रा की सव िवधायी सं था है उसकी भूिमका दे श की अ सं थाओं के िलए ेरणा ोत है ।अतः मयािदत आचरण का िवकास िकया जाना चािहए। 6 उपाय:-  संसद सद ों के िलए नैितक संिहता एवं आचरण संिहता िनिमत िकया जाए और उसका कठोर अनुपालन सुिनि त िकया जाए।  संसद सद ों को संसदीय काय के िलए भावी िश ण िदया जाए।  सदन म िवकिसत िकए गए अनुशासन के िनयमों म संशोधन कर उ अिधक कठोर बनाया जाए और उनका कठोर अनुपालन सुिनि त िकया जाए। संसद की कायवाही-  अनु े द 85 के अनुसार रा पित संसद के दोनों सदनों के स आ त करता है और स ावसान की घोषणा करता है ,वतमान अिधवे शन की अंितम ितिथ और आगामी अिधवे शन की थम ितिथ के म 6 माह से अिधक का अं तर नहीं होना चािहए इसका अथ है िक एक वष म 2 बैठक अव आयोिजत होनी चािहए।परं परा के अनुसार िन िल खत तीन बैठकों का आयोजन िकया जाता रहा है -  1- जनवरी म बजट स ।  2- जुलाई म मानसून स ।  3- नवं बर म शीतकालीन स ।  थगन : सदन की कायवाही को बीच म रोकना थगन कहलाता है ।यह पीठासीन अिधकारी का कत है ,यह दो कार का होता है -  थगन : पीठासीन अिधकारी सदन की कायवाही बीच म रोते ए समय एवं ितिथ की घोषणा करता है िक सदन की पु नः कायवाही कब ारं भ करे गा इसे थगन कहते ह।  अिनि तकालीन थगन : जब पीठासीन अिधकारी सदन की कायवाही को बीच म रोकते ए समय और ितिथ की घोषणा नहीं करता है िक सदन की कायवाही द?

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