धातु एवं अधातु PDF

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metals chemistry reactivity series chemical reactions

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This document details the reactivity series of metals and their chemical reactions with oxygen, water, and acids. It also covers the concept of extraction of metals from ores, and uses chemical equations to illustrate the processes. The document appears to be chapter 3 of a larger document focused on metallurgy.

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# धातु एवं अधातु **Date:** 9/11/20 **Page:** 21 सक्रिय क्षारकीय धातुओं में धनारायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। धातुएं एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन का त्याग करके धनारायन बनाती हैं। - $M \to M^{n+} + ne^-$ घनारायन बनाने की प्रवृत्ति धातुओं में होती है। सक्रियता के आधार पर धातुओं को व्यवस्थित करन...

# धातु एवं अधातु **Date:** 9/11/20 **Page:** 21 सक्रिय क्षारकीय धातुओं में धनारायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। धातुएं एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन का त्याग करके धनारायन बनाती हैं। - $M \to M^{n+} + ne^-$ घनारायन बनाने की प्रवृत्ति धातुओं में होती है। सक्रियता के आधार पर धातुओं को व्यवस्थित करने पर एक श्रेणी प्राप्त होती है जिसे सक्रियता श्रेणी कहते हैं। | | | | -------- | -------- | | K | | | Na | | | Ca | **सक्रिय धातुएँ** | | Mg | | | Al | | | Zn | | | Fe | | | Pb | | | H | | | Cu | **अक्रिय धातुएँ** | | Ag | | | Pt | | ## सक्रियता श्रेणी के अनुयोग 1. सक्रियता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित धातुएँ अम्ल से हाइड्रोजन गैस उत्पादित करती हैं। 2. सक्रियता श्रेणी में ऊपर स्थित धातुएँ नीचे स्थित धातुओं को उनके लवण से विस्थापित कर देती हैं। # तत्वों का वर्गीकरण **Date:** 2/11/20 **Page:** 22 तत्वों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है। 1. **धातु (Metal):** वे तत्व जो ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं तथा एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन त्याग करके धनारायन बनाने की प्रवृत्ति होती हैं, धातुएँ कहलाती हैं। ## धातुओं के गुण - **चालकता**: धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण ये ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं। - **तन्यता**: धातुओं को खींचकर तार के रूप में परिवर्तित करने के गुण को तन्य‌ता कहलाता है। एक ग्राम सोने से 2km लम्बी तार बनाई जा सकती है। - **आघातवर्धनीयता**: धातुओं को पीटकर उन्हें चादर के रूप में परिवर्तित करने के गुण को आघातवर्धनीयता कहते हैं। - **गलनांक**: धातुओं के गलनांक उच्च होते हैं। ये सामान्य ताप पर ठोस अवस्था में होते हैं। किंतु मरकरी (Hg) 25℃ या पारा द्रव अवस्था में होते हैं। गैलियम 30℃ पर पिघलने लगता है। - **ध्वनिक**: धातुओं को पीटने पर एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसी कारण धातुओं का उपयोग वाद्य यंत्रों में किया जाता है। - **चमकदार**: धातुओं की सतह या ताजे कटे सतह चमकदार होते हैं। नेफाइट तथा आयोडीन भी चमकदार होती है। किंतु ये अधातु होते हैं। 2. **अधातु**: वे तत्व जो ऊष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते हैं। इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं। अधातु कहलाते हैं। ## अधातुओं के गुण - **चालकता**: अधातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होने के कारण ये ऊष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते हैं। # धातुओं के रासायनिक गुण **Date:** 10/11/20 **Page:** 23 ## आक्सीजन से अभिक्रिया: धातुएं आक्सीजन से अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड बनाते हैं, जिनकी प्रकृति क्षारीय होती है। लिशियम, सोडियम तथा पोटैशियम वायु के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करते हैं जिसके कारण आग लग जाती है। अतः इन्हें Kerosine में रखा जाता है। - $4Li + O_2 \to 2Li_2O$ - $4Na + O_2 \to 2Na_2O$ - $2Ca + O_2 \to 2CaO$ - $4Al + 3O_2 \to 2Al_2O_3$ ## जल से अभिक्रिया: धातुएं जल से अभिक्रिया करके घात हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। - $Na + H_2O \to 2NaOH + H_2 ↑$ - $Ca + 2H_2O \to Ca(OH)_2 + H_2 ↑$ - $2Al + 6H_2O \to 2Al(OH)_3 + 3H_2 ↑$ ## तनु अम्लो से अभिक्रिया: ### a. तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (dil HCl) से अभिक्रिया: तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अभिक्रिया करके धातुएँ लवण तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती हैं। - $2Na+ 2dil. HCl \to 2NaCl + H_2$ - $Ca + 2 dil. HCl \to CaCl_2 + H_2$ ### b. तनु सलफ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया: तनु सवफ्युरिक अम्ल से अभिक्रिया करके धातुएँ लवण बनाती हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त होती हैं। - $2Na + dil. H_2SO_4 \to Na_2SO_4 + H_2 ↑$ - $4Al + 6dil. H_2SO_4 \to 2Al_2(SO_4)_3 + 3H_2 ↑$ ## नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया: ### C. टनु नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया: टनु नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया करके धातुएं नाइट्रेट $(HNO_3)$ तथा हाइड्रोजन गैस बनाती हैं। रो हाइड्रोजन नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करके नाइन नाइट्रोजन के आक्साइड तथा जल बनाते है। अता तनु नाइट्रिक अम्ल से क्रिया कराने पर धातुएँ हाइड्रोजन गैस मुक्त नहीं करती हैं। - $2Na + 2dil. HNO3 \to 2NaNO_3 + H_2$ - $2HNO_3 + H_2 \to N_2O + 2NO_2 + 2H_2O$ मैग्नीशियम तथा मैगनीज टनु नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया करके नाइट्रेट बनाते हैं। और हाइड्रोजन गैस मुक्त होती हैं। - $Mg + dil. HNO_3 \to Mg(NO_3)_2 + H_2$ ## धातु का लवणों से अभिक्रिया: धातुओं की अभिक्रिया धातु लवण से कराने पर विस्थापन अभिक्रिया होती है। यदि धातु लवण वाले धातु से अधिक सक्रिय हैं, तो वह उसे उसके लवण से विस्थापित कर देता है। अतः इस अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया भी कहते हैं। क्या कारण है कि CuSO<sub>4</sub> के विलयन में लोहे का टुकड़ा डालने पर उसका नीला रंग गायब हो जाता है? CuSO<sub>4</sub> के विलयन में लोहे का टुकड़ा डालने पर लोहा CuSO<sub>4 </sub> विलयन से Cu को विस्थापित कर देता है। क्योंकि CuSO<sub>4 </sub> सक्रियता श्रेणी में लोहा से ऊपर आता है। अतः अधिक सक्रिय धात, Cu से अभिक्रिया करता है और Cu आयन धातु के रूप में परिवर्तित होकर FeSO<sub>4</sub> में परिवर्तित हो जाता है। - $Fe + CuSO_4 \to FeSO_4 + Cu$ नीला रंग भूरा रंग # धातु कर्म: **Date:** 11/11/20 **Page:** 25 धातुओं के अयस्कों से विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा धातुओं का निष्कर्षण धातु कर्म कहलाता है। ## खनिज: वे सभी पदार्थ जो भू-पर्पटी से निकाले जाते हैं, खनिज कहलाते हैं। ## अयस्क : अयस्क वे खनिज है, जिनसे धातुओं का निष्कर्षण सुगमता पूर्वक व अधिक मात्रा में होता हैं। बाँबसाइड (Al<sub>2</sub>O<sub>3</sub>.2H<sub>2</sub>O) व कोरण्डम (Al<sub>2</sub>O<sub>3</sub>) एल्यूमीनियम के अयस्क विभिन्न प्रकार की यौगिकों के रूप में पाये जाते हैं। ## आक्साइड अयस्क: जब किसी धातु का अयस्क ऑक्साइड के रूप में पाया जाता है। तो उसे ऑक्साइड अयस्क कहते हैं। | | अयस्क | | ---- | ---------------- | | 1 | बॉक्साइड | $Al_2O_3:2H_2O$ | | | कोरण्डम | $Al_2O_3$ | | | हेमेटाइट | $Fe_2O_3$ | | | मैग्नेटाइट | $Fe_3O_4$ | ## कार्बोनेट अयस्क: जब किसी धातु का अयस्क कार्बोनेट के रूप में पाया जाता है, उसे कार्बोनेट अयस्क कहते हैं। | | अयस्क | | ----- | ---------------- | | 1 | मैलेकाइट | $CuCO_3.Cu(OH)_2$ | | | कैलामिन | $ZnCO_3$ | ## सल्फाइड अयस्क: जब किसी धातु का अयस्क सल्फाइड के रूप में पाया जाता है, उसे सल्फाइड अयस्क कहते हैं। | | अयस्क | | ----- | --------------------- | | 1. | PbS | गैलेना | | | CuFeS<sub>2</sub> | पाइराइट | ## क्लोराइड अयस्क: जब किसी धातु का अयस्क क्लोराइड के रूप में पाया जाता है, उसे क्लोराइड अयस्क कहते हैं। | | अयस्क | | ------ | ---------------------------- | | 1. | कार्नेलाइट | $KCl.MgCl_2.6H_2O$ | | | हॉर्न सिल्वर | $AgCl$ | # धातु का निष्कर्षण: **Date:** 16/ 11/20 **Page:** 26 ## अयस्क | | अयस्क | संद्रण | | --------------------- | ------------------------ | ---------------- | | अधिक क्रियाशील धातु | (K, Na, Ca, Mg, Al) | कार्बोनेट | | मध्यम क्रियाशील धातु | (Zn, Fe, Pb,Ni) | | | कम क्रियाशील धातु | (Mg, Ag, Cu, Au) | सल्फाइड | | | | | | | | मर्जन | | | | | | | | आक्साइड | | | | | | गलित अवस्था में विद्युत अपघटन | | अपचयन | | | | | | | | $CaCl$ | | | | $CaCl$ | | | | धातु | | | | धातु | ## अधिक क्रियाशील धातुओं का निष्कर्षण: अधिक क्रियाशील धातु जैसे K, Na, Ca, Mg, Al इत्यादि को उनके अयस्क से निष्कर्षण करने के लिए उनके गलित अवस्था में विद्युत अपघटन करते हैं। जिसके कारण धातु कैयोड पर त्या क्लोरीन गैस या आवसीजन एनोड पर प्राप्त होते हैं। Na<sup>+ </sup> के अयस्क का विद्युद्ध अपघटन करने पर एनोड पर क्लोरीन गैस तथा कैशोड पर Na धातु प्राप्त होता है। - एनोड: NaCl - कैयोड: Na<sup>+</sup> + e<sup>- </sup> → Na ## मध्यम क्रियाशील धातुओं का उनके अयस्कों से निष्कर्षण: **Date:** 16/11/20 **Page:** 27 मध्यम क्रियाशील धातुएं जैसे Zn, Pb, इत्यादि के अयस्क कार्बोनेट तथा सल्फाइड दोनों में पाए जाते हैं। कार्बोनेट अयस्क निस्तापन करने पर धातु ऑक्साइड प्राप्त होता है। निस्तापन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कार्बोनेट अयस्क को आवसीजन की अनुपस्थिति में उच्च ताप किन्तु गलनांक से कम ताप पर गर्म करने पर जिसके फलस्वरूप धातु का कार्बोनेट धातु ऑक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है। कैलामाइन (ZnCO<sub>3</sub>) को आवसीजन की अनुपस्थिती में गर्म करते है , तो जिंक ऑक्साइड (ZnO) में परिवर्तित हो जाता है तथा CO<sub>2</sub> गैस निकल जाती है। - $ZnCO_3 \Delta \to ZnO + CO_2 ↑$ मध्यम क्रियाशील धातुएँ जब सल्फाइड अयस्क के रूप में पायी जाती है। तो उन्हें आवसीजन की उपस्थिती में उच्च ताप किन्तु गलनांक से कम ताप पर गर्म करते हैं। जिसके फलस्वरूप सल्फाइड अयस्क ऑक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है और इस प्रक्रिया में सल्फर डाई- आवसाइड गैस निकलती है। इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं। जिंक ब्लैण्ड जिंक का सल्फाइड अयस्क है। जिसका भार्जन करने पर जिंक ऑक्साइड तथा सल्फरडाइ‌आवसाइड गैस बनती हैं। भिर्जन तथा निस्तापन प्रक्रम के पस्चात कार्बोनेट तथा सल्फाइड अयस्क धातु ऑक्साइडा में परिवर्तित हो जाता है। धातु आक्साइड की अभिक्रिया कोक (कार्बन) से कराने पर धातु आवसाइड धातु में अपचरित हो जाता है। - $2ZnO \to 2Zn + CO_2 ↑$ जिंक ऑक्साइड या बाद ऑक्साइड को धातु के रूप में परिवर्तित करने के लिए कभी-कभी अधिक क्रियाशील तत्तो से अभिक्रिया कराते है। जिसके फलस्वरूप विस्थापन अभिक्रिया होती है। और धातु ऑक्साइड धातु के रूप में अपारित हो जाता है। उदाहरण - मैग्नीज आवसाइड के अभिक्रिया एल्यूमीनियम चूर्ण से कराने पर मैग्नीज प्राप्त होता है। इस प्रक्रम को गोल्ड स्मिथ एलुमिनो राष्टि अभिक्रिया कहते हैं। - $3MnO_2 + 4Al \to Mn + 2Al_2O_3$ यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। जिसमें अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती हैं। जिसके कारण धातु गलित अवस्था में पाया जाता है। ## कम सक्रिय धातुओं का निष्कर्षण: कम सक्रिय धातुए जैसे Ag, Au इत्यादि कम सक्रियर होने के कारण सल्फाइड के रूप में पाये जाते हैं। इनका भर्जन करने के पश्चात धातु आवसाइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जिसे और अधिक गर्म करने पर धातु प्राप्त होता है। - सिनेकर (Hg) के भिर्जन के पश्चात मरक्यूरिक ऑक्साइड प्राप्त होता हैं। जिसे और गर्म करने पर आवसीजन गैस निकल जाती है और मरकरी धातु प्राप्त हो जाती है। - $2HgS + 3O_2 \to 2HgO + 2SO_2$ - कॉपर ग्लांस (Cu<sub>2</sub>S) का भर्जन करने पर कॉपर ऑक्साइड प्राप्त होता है। यह कॉपर ऑक्साइड ग्लांस से कॉपर को अपचारित कर लेता है। जिसके कारण कॉपर धातु प्राप्त हो जाता है। - $2Cu_2S + 3O_2 \to 2Cu_2O + 2SO_2$ - $Cu_2S + 2Cu_2O \to 6Cu + SO_2$ ## धातुओं का परिष्करण (Refining of Metal): अयस्कों के निष्कर्षण के पश्चात् प्राप्ट धातुओं में अशुद्धियाँ होती हैं। इन अशुद्धियों को दूर करके शुद्ध धाद प्राप्त करने की प्रक्रिया को परिष्करण कहते हैं। धातुओं के परिष्करण के सबसे अच्छी विधि विद्युत अपघटनीय विधि है। जिसमें शुद्ध घात, की छड़ को कैयोड तथा निष्कर्षण द्वारा प्राप्त घालु को एनोड बनाते हैं। विद्युत अपदाद‌ा के रूप में धाद लवण का उपयोग करते है। विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विद्युत अपघट्य का धातु कैयोड पर जाकर अपचयित हो जाता है। जबकि एनोड का घाल आवसीकृत होकर विलयन में चला आता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। जिसके कारण कैयोड की मोटाई बढ़ने लगती है। और एनोड की मोटाई घटने लगती हैं। इस प्रकार में अशुद्धियाँ एनोड के नीचे जमा होने लगती है। जिन्हें एनोड मड कहते हैं। उदाहरण - कॉपर धातु का परिष्करण करने के लिए शुद्ध घाट का कैयोड बनाते है तथा अशुद्ध धातु का एनोड बनाते हैं। विद्युत अपघदरा विलयन के रूप में CuSO<sub>4 </sub> का विलयन का उपयोग करते हैं। विद्यु५००५ धारा प्रवाहित करने पर विलयन का कॉपर Cu<sup>+ </sup> आयन के रूप में निकलता है और कैथोड पर अपचयित हो जाता है। - कैथो: Cu<sup>++ </sup> + 2e<sup>- </sup> → Cu - एनोड से धातु का आवसीकरण होता है। और Cu<sup>++ </sup> आया बनता है जो विलयन में चला जाता है। - एनोड: Cu → Cu<sup>++</sup> + 2e<sup>-</sup>

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