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These are notes for a first-year law student on the Indian Penal Code.

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िसटी अकादमी लॉ कॉलेज एल. एल. बी. (ि वष य) थम सेमे टर भारतीय याय संिहता-I इकाई-I पा म- मूल आपरािधक िविध का प रचय उससे स बंिध...

िसटी अकादमी लॉ कॉलेज एल. एल. बी. (ि वष य) थम सेमे टर भारतीय याय संिहता-I इकाई-I पा म- मूल आपरािधक िविध का प रचय उससे स बंिधत ावधान और दंड 1) भारत म आपरािधक िविध का संि इितहास, 2) दुराशय - अथ, अवधारणा, यो यता, गैर- यो यता, 3) अपराध- अथ, अवधारणा, त व, मह व, 4) चरण- अपराध के पूण होने के चरण और अपराध के पूण होने के िस ांत, 5) संग ठत अपराध (धारा -111), 6) छोटे संग ठत अपराध (धारा 112), 7) आतंकवादी कृ य (धारा -113), 8) दंड- प रभाषा, कार और िस ांत 1. भारत म आपरािधक िविध के संि इितहास पर चचा कर और भारतीय याय संिहता, 2023 के संचालन क सीमा पर भी चचा कर? (2018, 2022) उ र- भारत म आपरािधक िविध का संि इितहास- 1. वष 1834 म, लॉड थॉमस बे ब टन मैकॉले क अ य ता म िव मान यायालय क अिधका रता, शि और िनयम के साथ, पुिलस थापन और भारत म वृ िविधय क जांच करने के िलए भारतीय िविध आयोग का गठन कया गया था। 2. आयोग ने सरकार को िविभ अिधिनयिमितय का सुझाव दया। आयोग ारा क गई मह वपूण िसफा रश म से एक भारतीय द ड संिहता के िलए थी, िजसे वष 1860 म अिधिनयिमत कया गया था और उ संिहता, समय-समय पर उसम कए गए कु छ संशोधन के साथ देश म अभी भी बनी ई है। 3. भारत सरकार ने िविध और व था को सुदढ़ृ करने के उ े य से और िविधक या को सरल करने पर यान क त करते ए, िव मान दाि डक िविधय का पुन वलोकन करना समीचीन और आव यक समझा है, िजससे जन साधारण क जीवनयापन क सुगमता सुिनि त क जा सके । सरकार ने िव मान िविधय को समकालीन ि थित के अनुसार सुसंगत बनाने और जन साधारण को व रत याय दान करने के िलए भी िवचार कया। तदनुसार, समकालीन आव यकता और लोग क आकां ा को यान म रखते ए एक ऐसा िविधक ढांचा सृिजत करने क दृि से, जो नाग रक के ि त हो और नाग रक के जीवन और वतं ता को सुरि त करने के िलए िविभ पणधा रय से परामश कया गया। 4. भारतीय द ड संिहता का िनरसन करके , एक नई िविध, को अिधिनयिमत करने का ताव कया गया है, िजससे अपराध और शाि तय से संबंिधत उपबंध को सु वाही कया जा सके । समुदाय सेवा को पहली बार छोटे अपराध के िलए एक द ड के प म उपबंिधत करना तािवत है। मिहला और बालक के िव 1 अपराध, ह या और रा य के िव अपराध को अ ता म दया गया है। िविभ अपराध को लिगक प से तट थ बनाया गया है। संग ठत अपराध और आतंकवादी कायकलाप क सम या से भावी प से िनपटने के िलए, आतंकवादी कायकलाप और संग ठत अपराध के नये अपराध को िवधेयक म कठोर द ड के साथ जोड़ा गया है। अलगाववाद, सश िव ोह, िव वंसक कायकलाप, अलगाववादी कायकलाप या भारत क सं भुता या एकता और अख डता पर खतर को नये अपराध के प म जोड़ा गया है। िविभ अपराध के िलए जुमाने और द ड म भी समुिचत प से वृि क गई है। 5. तदनुसार, तारीख 11 अग त, 2023 को एक िवधेयक अथात् भारतीय याय संिहता, 2023, लोक सभा म पुरः थािपत कया गया था। िवधेयक, िवभाग-संबंिधत गृह काय संबंधी संसदीय थायी सिमित को उसके िवचार और रपोट हेतु िन द कया गया था। सिमित ने िवचार-िवमश करने के प ात्, तारीख 10 नव बर, 2023 को तुत अपनी रपोट म अपनी िसफा रश क थी। सिमित ारा क गई िसफा रश पर सरकार ारा िवचार कया गया और लोक सभा म लंिबत िवधेयक को वापस लेने तथा सिमित ारा क गई उन िसफा रश को सि मिलत करते ए, िज ह सरकार ारा वीकार कया गया है, एक नया िवधेयक पुरः थािपत करने का िविन य कया गया है। भारतीय याय संिहता, 2023 का प रचय:- वतमान संिहता क धारा 1(1) से पता चलता है क इस अिधिनयम को भारतीय याय संिहता, 2023 कहा जायेगाI यह 20 अ याय और 358 खंड म िवभािजत है। भारतीय याय संिहता, 2023 को 2023 के अिधिनयम सं या 45 के प म अिधिनयिमत कया गया था। इसे 25 दसंबर, 2023 को भारत के रा पित क सहमित ा ई। संिहता का लागू होना:- भारतीय याय संिहता, 2023 क धारा 1(2) म यह ावधान है क, “यह उस तारीख को लागू होगी िजसे क सरकार आिधका रक राजप म अिधसूचना ारा िनयत करे गी, और इस संिहता के िविभ ावधान के िलए अलग-अलग तारीख िनयत क जा सकती ह।” उपरो दािय व के अनुपालन म, गृह मं ालय ने भारत के राजप म दनांक 23 फरवरी, 2024 को एक सावजिनक सूचना जारी क , िजसके अनुसार 1 जुलाई, 2024 को भारतीय याय संिहता, 2023 के ारं भ क तारीख तय क गई है। इस अिधिनयम को भारतीय याय संिहता कहा जाएगा और यह पूरे भारत पर लागू होगा। संिवधान के अनु छेद 370 के िनर त होने के साथ ही, भारतीय याय संिहता, 2023, ज मू-क मीर और ल ाख के क शािसत देश म आपरािधक मामल से िनपटने के िलए रणबीर दंड संिहता, 1932 क जगह लागू होगाI 2 भारतीय याय संिहता, 2023 का अनु योग: 1. आंत रक- े ीय े ािधकार:- आंत रक- े ीय े ािधकार वह है जहाँ कसी ि ारा भारत के े म कोई अपराध कया गया हो । धारा 1 (3) आंत रक - े ीय े ािधकार से संबिं धत है। ले कन िन िलिखत ि य को इससे छू ट दी गई है 1. िवदेशी सं भु 2. रा पित और रा यपाल 3. राजदूत और राजनियक एजट 4. िवदेशी दु मन 5. िवदेशी सेना 6. यु पोत 2. बाहरी- े ीय े ािधकार : - जब कोई अपराध भारत के े के बाहर कसी भारतीय नाग रक ारा कया जाता है, तो ऐसे ि पर भारतीय यायालय ारा मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे दंिडत कया जा सकता है और ऐसे अिधकार े को बाहरी- े ीय े ािधकार कहा जाता है। भारतीय याय संिहता क धारा 1 (4) और (5) बाहरी- े ीय े ािधकार के बार म है। धारा-1(5) के अनुसार इस संिहता का ावधान कसी भी अपराध पर लागू होगा 1- भारत के कसी भी नाग रक ारा भारत के बाहर और बाहर कसी भी थान पर कया गया अपराध। 2- भारत म पंजीकृ त कसी भी जहाज या िवमान पर कोई भी ि , चाहे वह कह भी हो 3- भारत के बाहर और बाहर कसी भी थान पर कोई भी ि भारत म ि थत कं यूटर संसाधन को लि त करके अपराध करता है। भारतीय यायालय को भारत के बाहर कए गए अपराध क सुनवाई करने का अिधकार है (क) भूिम (ख) िवमान (ग) खुला समु खुले समु पर कए गए अपराध क सुनवाई करने के अिधकार को एडिमर टी अिधकार े के प म जाना जाता है, यह इस िस ांत पर आधा रत है क खुले समु पर एक जहाज को उस देश से संबिं धत एक तैरता आ ीप माना जाता है िजसका रा ीय वज उस पर फहराया जाता है। 2. अपराध या है? अपराध के मूलभूत त व क िववेचना क िजए तथा बी.एन.एस. म दुराशय क यो यता क भी िववेचना क िजएI (2012, 2013, 2014, 2016, 2017, 2018, 2021, 2023) उ र– अपराध क प रभाषा - सामा य श द म अपराध पूरे समाज को भािवत करने वाला एक गलत काय है िजसे िविध ारा िनिष और दंडनीय घोिषत कया गया है। 3 लैक टोन के अनुसार: - अपराध एक ऐसा काय है जो कसी सावजिनक िविध का उ लंघन करके कया जाता है जो क आदेश ारा ितबंिधत हI टीफन के अनुसार: - अपराध िविध ारा िनिष एक ऐसा काय है जो समाज क नैितक भावना के िव है। के नी के अनुसार: - अपराध वे गलत काय ह िजनक मंजरू ी दंडा मक है और कसी भी िनजी ि ारा कसी भी तरह से मा यो य नह है, ले कन य द मा यो य है तो के वल सं भु ारा मा यो य है। भारतीय याय संिहता क धारा 2(24) म दी गई प रभाषा के अनुसार- अपराध से ता पय ऐसी चीज से है िजसे इस संिहता या कसी िवशेष या थानीय िविध ारा दंडनीय बनाया गया हो। इस प रभाषा के िव ेषण से अपराध के िन िलिखत त व सामने आते ह- 1. मानव - आपरािधक कृ य कसी मानव ारा कया गया होगा। 2. दुराशय- 'दुराशय’ श द का योग अपराध को ग ठत करने के िलए आव यक मानिसक त व का वणन करने के िलए कया जाता है। 3. अपरािधक कृ त- गलत काय या चूक िजसम अपराध के भौितक घटक शािमल होते ह। 4. ित- ित कसी ि के शरीर, मन, ित ा या संपि को अवैध प से प च ं ाई जानी चािहए। दुराशय और वैधािनक अपराध - दुराशय का िस ांत वैधािनक अपराध म लागू होता है। शेरस बनाम डी रटजेन म यह माना गया क “ येक िविध म दुराशय लागू कया जाना चािहए जब तक क इसके िवपरीत न दखाया जाए। आर.बनाम. स 1875 का वाद दुराशय पर एक मह वपूण वाद है। इस वाद म स पर 16 वष से कम उ क लड़क का अपहरण करने का आरोप लगाया गया था, उसने दलील दी क उसे लगा क वह 16 वष से अिधक उ क है, ले कन यह बचाव वीकार नह कया गया य क उसका काय अपने आप म गलत था। ले कन आर.बनाम. टॉ सन 1889 म जूरी ने उिचत िव ास के बचाव को वीकार कर िलया। इस मामले म ीमती टॉ सन पर आरोप लगाया गया था क उ ह ने ी टॉ सन के साथ अपनी पहली शादी के अि त व म रहते ए शादी क थी। ीमती टॉ सन ने दलील दी क उसने यह जानकारी िमलने के बाद क उसका पित अब जीिवत नह ह तब ही उसने कसी अ य ि से िववाह कयाI भारतीय याय संिहता म दुराशय क यो यता - भारतीय याय संिहता म दुराशय श द का योग कह नह कया गया है, ले कन इसे दो तरीक से शािमल कया गया है। 1- सामा य अपवाद के अ याय म ऐसी प रि थितय को शािमल कया गया है, जहां दुराशय के अभाव म कोई आपरािधक दािय व उ प नह होता है। 4 2- भारतीय याय संिहता म अपराध को प रभािषत करते समय दुराशय को दशाने वाले श द को अपराध के अिनवाय भाग के प म शािमल कया गया है, जैसे वे छा से, जानबूझकर, बेईमानी से, धोखाधड़ी से, आ द। अपवाद - कु छ अपराध ऐसे ह, जहां दुराशय क आव यकता नह होती है। क). कठोर दािय व ख). लोक यूसे स ग). पहरण घ). यायालय क अवमानना इ). ऐसे काय जो दंड के प म िनिष ह, ले कन वा तिवक अथ म वे आपरािधक नह ह च). ि िववाह 3. अपराध करने के िविभ चरण पर चचा कर और तैयारी और यास के बीच अंतर प कर? (2014, 2016, 2018, 2021, 2023) उ र– अपराध के चरण - अपराध को का रत करने म कई कार के कृ त शािमल होते ह िज ह कसी ि क िज मेदारी का मू यांकन करने म उनके मह व के आधार पर अलग-अलग चरण म वग कृ त कया जा सकता है। अपराध के संचालन म शािमल कई चरण के साथ-साथ इन चरण से जुड़े िविधक दािय व , य द कोई हो, को समझना मह वपूण है। तो, सं ेप म, मूल प से अपराध के चार चरण ह िजनका कालानु िमक प से उ लेख इस कार है: 1. आशय 2. तैयारी 3. यास 4. का रत करना(पूण होना ) १. आशय - सामंड के अनुसार "िजस उ े य को यान म रखकर कोई काय कया जाता है उसे आशय कहते ह। यह अपराध करने का पहला चरण है, ले कन के वल अपराध करने का आशय दंडनीय नह है य क कसी ि के दोषपूण आशय को सािबत करना ब त मुि कल है।" २. तैयारी - तैयारी कसी अपराध के घ टत होने का दूसरा चरण है। इसका अथ है इि छत आपरािधक कृ य के घ टत होने के िलए आव यक साधन या उपाय क व था करना। सामा यतः तैयारी का चरण दंडनीय नह होता, य क यह आव यक नह है क जो कोई भी तैयारी करता है, वह वा तव म अपराध भी करे गा। भारतीय याय संिहता के अंतगत िन िलिखत अपराध को करने क मा तैयारी दंडनीय है, य क इ ह गंभीर अपराध माना जाता है। क. सरकार के िव यु छेड़ने क तैयारी ख. भारत सरकार के साथ शांितपूवक स ा के े पर लूटपाट करने क तैयारी 5 ग. डकै ती करने क तैयारी घ. िस या सरकारी टकट क जालसाजी क तैयारी ३. यास - यह अपराध का तीसरा चरण है, भारतीय याय संिहता म यास को प रभािषत नह कया गया है। हालाँ क, इस श द का अथ है आव यक तैयारी करने के बाद अपराध करने क दशा म सीधा कदम उठाना। यास का चरण कसी ि ारा अपनी इ छा को आगे बढ़ाने और अपराध करने क अपनी त परता के आधार पर कए गए यास को दशाता है। यह ि ारा अपने चतन को पूरा करने के िलए कया गया खुला वहार है। इस बात पर ज़ोर दया जाना चािहए क कसी ि को यास के िलए तभी उ रदायी ठहराया जाता है जब उसके ारा कए गए अपराध को पूरा करने के यास िवफल हो जाते ह। जब वह सफल होता है, तो उसे अपराध के वा तिवक कृ त के िलए दंिडत कया जाता है। मुख वाद - a. अभयानंद िम ा बनाम िबहार रा य इस मामले म माननीय सव यायालय ने माना क जब अिभयु ने िव िव ालय को तुत करने के िलए आवेदन तैयार कया था, तब तैयारी का चरण पूरा हो चुका था और िजस ण इसे भेजा गया, यास का अपराध पूरा हो गया। b. महारा रा य बनाम मोह मद याकू ब इस मामले म माननीय सव यायालय ने माना क काय इि छत प रणाम के िनकट होना चािहए और िनकटता का माप समय और थान के संबंध म नह बि क आशय के संबंध म है। ४. अपराध का रत करना - अपराध का अंितम चरण उसका पूण होना है। य द ि अपराध करने के अपने यास म सफल हो जाता है तो वह अपराध का दोषी होगा। य द उसका यास असफल होता है तो वह यास के िलए दोषी होगा। यास और तैयारी के बीच अंतर- तैयारी यास 1. तैयारी का अथ है अपराध करने के िलए आव यक 1. यास अपराध करने क दशा म य यास है। साधन या उपाय क व था करना। 2. तैयारी करना आमतौर पर दंडनीय नह होता 2. यास सदैव द डनीय होता है। 3. तैयारी के चरण म दुराशय दखाई नह देता है 3. ले कन यास म दुराशय दखाई देता है 4. तैयारी सबसे पहला चरण है। यह यास से पहले 4. यास अगला चरण है, यास वह से शु होता है आता है। जहां तैयारी समा होती है। 5. तैयारी म अपराधी को हमेशा प ाताप करने का 5. ले कन यास म उसके पास प ाताप करने का अवसर िमलता है। िवक प नह है। 6 4. अपराध का रत करने से संबिं धत िविभ िस ांत पर चचा कर? उ र- अपराध को का रत करने के िस ांत- य के िस ा त - तैयारी तथा य के बीच के अ तर को प करने के िलये अनेक िस ा त ितपा दत कये गये ह- (क) सि कटता का िस ा त (Proximity Rule)- कोई काय या ेणीब अनेक काय य क संरचना करते ह य द अपराधी लगभग सभी अथवा सभी मह वपूण कायवािहयाँ जो अपराध क संरचना हेतु आव यक ह, पूरी कर चुका है क तु आकांि त प रणाम, जो अपराध का आव यक त व है, ा नह होता। इसके अ तगत वे मामले आते ह िजनम प रणाम पूणतया अिभयु के कौशल क कमी या अिभयु पर भावी दूसरे कारण या ऐसे कारण जो अिभयु से कसी भी तरह स बि धत नह है, के कारण पूण नह हो पाता है। उदाहरण के िलये- अ, ब पर गोली, उसे मार डालने के आशय से चलाता है क तु कौशल क कमी के कारण गोली ब को नह लगती है। यहाँ अ ह या के य का दोषी होगा। य द अ एक ब दूक को ब क ओर िनशाना लगाकर उसे मार डालने के उ े य से घोड़ा दबा देता है पर तु ऐसा पाया जाता है क ब दूक खाली थी, यहाँ अ य के िलये दायी होगा य क उसे उ े य क ाि म सफलता इसिलये नह िमली क ब दूक भरी नह थी य िप क अपराध को का रत करने म उसने सब कु छ कया जो उसके अपने हाथ म था। आर० बनाम टेलर के वाद म सि कटता के िस ा त का उदाहरण है। इस मामले म 'क' एक घास के ढेर के पीछे मािचस जलाते ये पकड़ा गया और उसे आगजनी के य का दोषी घोिषत कया गया। पर तु मािचस जलाने के बजाय य द 'क' के वल मािचस खरीद िलये होता अथवा मािचस उसके पास पायी जाती तब वह य का दोषी न होगा, य क ऐसी दशा म यह िस करना क ठन होगा क मािचस घास के ढेर म आग लगने हेतु िलये था। यहाँ तक क पहले मामले म भी क य द यह तक देता है क उसने मािचस िसगरे ट जलाने के िलये जलायी थी तो उसे दि डत करना क ठन होगा। (ख) असंभा ता का िस ा त(Theory of Impossibility) - एक समय िनयम यह था क य द कोई ि वह काय करने का य करता है िजसे करना अस भव था तो यह अपराध नह होगा। यह िनयम न बनाम कािल स के वाद म ितपा दत कया गया था। इस मामले म यह िनणय दया गया क य द क चोरी करने के आशय से दूसरे ि क जेब म हाथ डालता है, पर तु उसके हाथ कु छ नह लगता तो वह चोरी के य का दोषी नह होगा। न बनाम कािल स और अ य वाद को आर० बनाम रग के वाद म उलट दया गया था। आर० बनाम रग के वाद म अिभयु को एक मिहला के झोले से सामान चोरी करने के य हेतु दोषिस कया गया था य िप 7 उस झोले म कु छ नह था। अतएव आर० बनाम रग के पहले के मामले इस धारणा पर िनण त कये गये थे क कसी भी ि को कसी अस भव य हेतु दि डत नह कया जा सकता है। इसे असंभा ता का िस ा त कहते ह। अस भव य को भी दि डत नह कया जाता पर तु अस भा ता पूण (absolute) होनी चािहये न क सापे । पूण अस भा ता क दशा म य नह कया जाता है। क तु सापे अस भा ता क दशा म काय ही य के तु य होता है। पूणतया अस भव कृ य ऐसे कृ य ह िजनम आपरािधक मनःि थित तथा आपरािधक काय दोन ही िव मान रहते ह। का रत काय से न तो समाज म सं ास उ प होता है और न ही असुर ा क भावना। (ग) व तु का िस ा त (Object Theory) - तीसरा िस ा त उन मामल म अ तर करने का य करता है िजनम व तु (object) के िवषय म म होता है तथा वे िजनम व तु का अभाव रहता है। थम ि थित म यह य क को ट म आयेगा क तु बाद वाली ि थित म नह । य द कोई पाके टमार या जेबकतरा कसी खाली पाके ट म हाथ डालता है तो उसे मा िमत कहा जायेगा क तु य द कोई ि कसी ितिब ब पर गोली चलाता है तो उ े य का अभाव माना जायेगा। एस० दा के अनुसार स पि से स बि धत अपराध के य तथा मानव शरीर से स बि धत अपराध के य म अ तर है। स पि के िव अपराध म आपरािधक मनःि थित (Mens rea) का मह वपूण योगदान रहता है जब क मानव शरीर के िव अपराध म का रत उपहित क मा ा मह वपूण भूिमका अदा करती है। (घ) काय क ओर अ सर होने का िस ा त (On the Job Theory) आर० बनाम आसवान के वाद म अिभयु ने कु छ गोिलयाँ यह िव ास दलाते ये भेजा था क उ ह खाने से गभपात हो जायेगा। एक ने गोिलयाँ खाया पर तु वे अहािनकर िस य । यह मत कया गया क अिभयु अपने काय (Job) क ओर अ सर नह था इसिलये वह य का दोषी नह हैI इस मामले को आर० बनाम पाइसर के वाद म उलट दया गया अतएव अब यह य कहा जायेगा। काय क ओर अ सर होने के िस ा त के कितपय अ य दृ ा त भी ह। ब क ह या करने के आशय से अ एक खाली गाड़ी पर यह िव ास करते ये गोली चलाता है क उसम ब बैठा आ है। इस मामले म अ, ब क ह या के य का दोषी होगा य क अ के काय से समाज म सं ास उ प होता है । इसके अित र अ ने अपने उ े य क पू त हेतु काय कया पर तु इि छत प रणाम इस कारण नह िनकला य क व तु (object) वहाँ उपि थत नह थी अथात् आशियत ि अनुपि थत था। एक अ य मामले म अ राि म ब के घर म वेश कया और ब को मार डालने के आशय से अंधेरे म उस िब तर पर गोली चलाया िजस पर ब सदैव आराम करता था। िनशाना िब कु ल ठीक था पर तु चूं क िब तर खाली था अतएव कोई ित नह यी। 'अ' यल का दोषी है। 8 5. िन िलिखत पर संि ट पणी िलिखए- क) संग ठत अपराध ब) छोटे संग ठत अपराध ग) आतंकवादी कृ य। उ र- क). संग ठत अपराध (1) कसी संग ठत अपराध सिडके ट के सद य के प म या ऐसे िसिडके ट क ओर से अके ले या संयु प से सामा य मित से काय करते ए कसी ि ारा या ि य के के सी समूह ारा कोई सतत िविधिव याकलाप कया जाता है. िजसम पहरण, डकै ती. यान चोरी. उपन भूिम हिथयाना, संिवदा पर ह या करना, आ थक अपराध, साइबर अपराध, ि य , औषिधय , िथयार या अवैध माल या सेवा का दु ापार, वे यावृि या फरौती के िलए मानव द ापार शािमल है, य या अ य प से ताि वक फायदा, िजसके अ तगत िव ीय फायदा भी है. ा करने के िलए हसा का योग हसा क धमक अिभ ास, पीडन या अ य िविधिव साधन ारा का रत करता है, वह संग ठत अपराध ग ठत करे गा। (2) जो कोई, संग ठत अपराध का रत करे गा, - (क) य द ऐसे अपराध के प रणाम व प कसी ि क मृ यु हो जाती है, तो वह मृ यु या आजीवन कारावास से द डनीय होगा और ऐसे जुमाने का भी दायी होगा, जो दस लाख पए से कम का नह होगा; (ख) कसी अ य मामले म, वह ऐसी अविध के कारावास से द डनीय होगा, जो पांच वष से कम का नह होगा, क तु आजीवन कारावास तक हो सके गा और ऐसे जुमाने का भी दायी होगा, जो पांच लाख पए से कम का नह होगा। (3) जो कोई, संग ठत अपराध का दु ेरण, य , ष ं करता है या यह जानते ए का रत कया जाना सुकर बनाता है या संग ठत अपराध के कसी ारि भक काय म अ यथा िनयोिजत होता है, वह ऐसी अविध के कारावास से द डनीय होगा, जो पांच वष से कम का नह होगा, क तु जो आजीवन कारावास तक का हो सके गा और ऐसे जुमाने का भी दायी होगा, जो पांच लाख पए से कम का नह होगा। ख). छोटे संग ठत अपराध- (1) जो कोई, समूह या टोली का सद य होते ए, या तो अके ले या का िव य अिधकृ त प से िव य, अिधकृ त सातो अके ले या इतने लोक परी ा प का िव य या कोई अ य सम प आपरािधक कृ य का रत करता है, या आ इं दा संग ठत अपराध का रत करता प ीकरण-इस उपधारा के योजन के िलए, "चोरी" म चालाक से चोरी, वाहन, िनवास-घर या हावार प रसर से चोरी, काग से चोरी, पाके ट मारना, काड ि क मग, शॉपिल टग के मा यम से चोरी और वचािलत टेलर मशीन क चोरी शािमल है। 9 (2) जो कोई, छोटा संग ठत अपराध का रत करता है वह ऐसी अविध के कारावास से द डनीय होगा, हो एक वष से कम का नह होगा, क तु सात वष तक हो सके गा और जुमाने का भी दायी होगा। ग). आतंकवादी कृ य- (1) जो कोई, भारत क एकता, अखंडता, स भुता, सुर ा या आ थक सुर ा या भारत म या कसी िवदेश म जनता या जनता के कसी वग म आतंक फै लाने या आतंक फै लाने क संभावना के आशय से, (क) बम, डाइनामाइट या अ य िव फोटक पदाथ या वलनशील पदाथ या अ यायुध या अ य ाणहर आयुध या िवष या अपायकर गैस या अ य रसायन या प रसंकटमय कृ ित. के कसी अ य पदाथ का (चाहे वह जैिवक रे िडयोधम , नािभक य या अ यथा हो) या कसी भी कृ ित के क ह अ य साधन का उपयोग करके ऐसा कोई काय करता है, िजससे, - (i) कसी ि या ि य क मृ यु होती है या उ ह ित होती है या होने क संभावना है; या (ii) स पि क हािन या उसका नुकसान या िवनाश होता है या होने क संभावना है; या (iii) भारत म या कसी िवदेश म समुदाय के जीवन के िलए अिनवाय क ह दाय या सेवा म िव पैदा करता है या होने क संभावना है; या (iv) िस े या कसी अ य साम ी क कू टकृ त भारतीय कागज करसी के िनमाण या उसक त करी या प रचालन के मा यम से भारत क आ थक ि थरता को नुकसान होता है या होने क संभावना है; या (v) भारत क ितर ा या भारत सरकार, कसी रा य सरकार या उनके क ह अिभकरण के क ह अ य योजन के स ब ध म उपयोग क गई या उपयोग कए जाने के िलए आशियत भारत म या िवदेश म कसी स पि का नुकसान या िवनाश होता है या होने ख) कसी लोक कृ यकारी को आपरािधक बल के ारा या आपरािधक बल का दशन करके आतं कत करता है या ऐसा करने का य करता है या कसी लोक कृ यकारी क मृ यु है या कसी लोक कृ यकारी क मृ यु (ग) कसी ि को िवशद करता है, उसका यपहरण या अपहरण करता है या ऐसे ि को मारने या ित प च ँ ाने क धमक देता है या भारत सरकार, कसी रा य क ि को कसी िवदेश क सरकार या कसी अ तरा ीय या अंतर-सरकारी संगठन या क कार या ि को कोई काय करने या उसे न करने के िलए बा य करने हेतु कोई अ य काय करता है, तो वह आतंकवादी कृ य करता है। 2) जो कोई, आतंकवादी कृ य का रत करता है, - (क) य द ऐसे अपराध के प रणाम व प कसी ि क मृ यु हो जाती है, तो वह मृ यु या आजीवन कारावास से दि डत कया जाएगा और जुमाने का भी दायी होगा; 10 (ख) कसी अ य मामले म, वह कारावास से, िजसक अविध, पाँच वष से कम क नह होगी, क तु आजीवन कारावास तक क हो सके गी और जुमाने का भी दायी होगा। (3) जो कोई, आतंकवादी कृ य करने या आतंकवादी कृ य करने क तैयारी करने का ष ं करता है या य करता है या दु ेरण करता है, प पोषण करता है, सलाह देता है या उ ेिजत करता है या ऐसे काय का कया जाना य तः या जानबूझकर सुकर बनाता है वह कारावास से, िजसक अविध पांच वष से कम क नह होगी, क तु आजीवन कारावास तक क हो सके गी, दि डत कया जाएगा और जुमाने का भी दायी होगा। 6. भारतीय याय संिहता, 2023 म दान कये जाने वाले िविभ कार के दंड या ह? ( 2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2019, 2021) उ र- द ड- कसी ि को कसी अपराध या दुराचार के िलए, या कसी िविधक यायालय के िनणय और आदेश ारा िविध ारा अपेि त काय के िन पादन म चूक के िलए, िविध ारा िनधा रत कोई पीड़ा या दंड। द ड के कार-इस संिहता के ावधान के अंतगत अपराधी िजन द ड के िलए उ रदायी ह, वे ह- (क) मृ यु; (ख) आजीवन कारावास; (ग) कारावास, जो दो कार का होता है, अथात्:- (1) कठोर, अथात् कठोर म; (2) साधारण; (घ) संपि क ज ती; (ङ) जुमाना; (च) सामुदाियक सेवा 1. मृ युदड ं - मृ युदड ं को ाणदंड भी कहा जाता है। इस सजा के तहत ि को तब तक फांसी पर लटकाया जाता है जब तक उसक मृ यु न हो जाए। कसी अपराध के िलए दंड के प म मृ युदड ं देना या अपराधी के जीवन को छीन लेना मृ युदड ं है। भारत म इसे दुलभतम मामल म ही दया जाता है। वाद - ब न सह बनाम पंजाब रा य ( 1980 एससी 898)- इसने मृ युदड ं क वैधता को बरकरार रखा, ले कन अदालत ने मृ युदड ं के ावधान को के वल दुलभतम मामल म ही सीिमत कर दया। अगर मामला इस िस ांत के अंतगत आता है, तो मृ युदड ं दया जा सकता है। 11 2. आजीवन कारावास- अपने सामा य अथ म आजीवन कारावास का अथ है दोषी ि के ाकृ ितक जीवन क शेष पूरी अविध के िलए कारावास। बी.एन.एस. क धारा-6 के अनुसार आजीवन कारावास को 20 वष के कारावास के बराबर माना जाएगा। वाद- भागीरथ और अ य बनाम द ली शासन (1985 एससी 1050)- भारत के सव यायालय ने आजीवन कारावास को दोषी के शेष ाकृ ितक जीवन के िलए कारावास के पम प रभािषत कया है। य द कसी ि को आजीवन कारावास दया जाता है, तो उसे कम से कम 14 वष और अिधकतम शेष जीवन तक जेल म रहना होगा। 3. कारावास- कारावास का अथ है कसी ि क वतं ता छीन लेना और उसे जेल म डाल देना। बी.एन.एस. क धारा-4 के अनुसार, दो कार क सज़ाएँ ह: (क) सरल: यह एक ऐसी सज़ा है िजसम अपराधी को के वल जेल तक ही सीिमत रखा जाता है और उसे कोई कठोर म नह दया जाता। (ख) कठोर: इस मामले म अपराधी को कठोर म कराया जाता है, जैस-े लकड़ी काटना 4. संपि क ज ती- ज ती से अिभ ाय अिभयु क संपि क हािन से है। इस सजा के तहत रा य अपराधी क संपि ज त करता है। यह ि ारा कए गए गलत या चूक का प रणाम है। ज त क गई संपि चल या अचल हो सकती है। दो ावधान म संपि क ज ती को समा कर दया गया है: धारा 154 के तहत भारत सरकार के साथ शांित म स ा के े पर लूटपाट करने के िलए। धारा 155 के तहत यु के दौरान ली गई संपि या बीएनएस क धारा 153 और 154 म व णत लूटपाट के िलए। 5. जुमाना-जुमाना को सरल श द म मौ क दंड के प म प रभािषत कया जा सकता है। दंड देने से संबंिधत लगभग सभी धारा म दंड के प म जुमाना शािमल है। हालाँ क धारा-8(1) म कहा गया है क जहाँ जुमाना रािश क जाती है, वहाँ अपराधी पर लगाया जाने वाला जुमाना असीिमत है, ले कन अ यिधक नह होना चािहए। 6. सामुदाियक सेवा- बी.एन.एस. क धारा-4 ने छठे कार क सज़ा के प म "सामुदाियक सेवा" को शािमल करके एक ांितकारी बदलाव पेश कया है। इस समावेश का उ े य वतमान आपरािधक याय णाली म सुधार करना है जहाँ सज़ा का यान सुधार पर है न क के वल रोकथाम पर। सामुदाियक सेवा एक कार क सज़ा है जहाँ ि को सेवा के मा यम से समाज म योगदान देना होगा और वैकि पक प से छोटे अपराध के िलए सज़ा से जेल पर अ यिधक बोझ पड़ने से बचा जा सके गा। 12 7. 'दंड’ के िविभ िस ांत क िववेचना क िजए। (2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2019, 2021, 2023) उ र- दंड के िस ांत 1. ितरोधा मक िस ा त- दंड को मु य प से ितरोधा मक तब कहा जाता है जब इसका उ े य अपराध क िनरथकता को दशाना और अपराधी को सबक िसखाना हो। इस िस ांत के अनुसार, दंड का उ े य यह दखाना है क अपराध अपराधी के िलए कभी लाभदायक नह होता। इस दंड के पीछे का िवचार अपराधी को अनुकरणीय सजा देना है। यह अपराधी के मन म डर पैदा करने के िलए है ता क वे कोई भी गलत काम करने से पहले तीन बार सोच। यह के वल अपराधी को अपराध करने से रोकने के िलए भय मनोिव ान का खेल है। हालाँ क, सजा का यह िस ांत तब अपना ल य हािसल करने म िवफल हो जाता है जब यह कठोर अपरािधय क बात आती है य क उ ह सजा का कोई डर नह होता हैI 2. िनरोधा मक िस ांत:- अगर एक तरफ ितरोधा मक िस ा त का उ े य भय पैदा करना और अपराध को ख म करना है, तो दूसरी तरफ िनरोधा मक िस ा त है िजसका उ े य अपराधी को अ म करके अपराध को रोकना है, उदाहरण के िलए, अपराधी को मौत क सजा देकर या उसे जेल म बंद करके । सजा का िनरोधा मक िस ा त तीन तरह से काम करता है: क. सभी संभािवत गलत काम करने वाल को सजा के डर से े रत करके । ख. गलत काम करने वाले को कोई भी अपराध करने से अ म करके । ग. पुनवास के मा यम से या प रवतन और सुधार क या के मा यम से अपराधी को बदलना ता क अपराध दोबारा न हो। 3. सुधारा मक िस ांत- इस िस ांत के अनुसार, कोई अपराध आमतौर पर अपराधी के च र और उ े य के बीच संघष के प रणाम व प कया जाता है। यह यान म रखा जा सकता है क कोई ि अपराध इसिलए कर सकता है य क उ े य का लोभन अिधक मजबूत है या य क च र ारा लगाया गया संयम कमजोर है। सुधारा मक िस ांत दंड को िनवारक से अिधक उपचारा मक मानता है। इस िस ांत के अनुसार, अपराध एक बीमारी क तरह है िजसे मारने से ठीक नह कया जा सकता है, बि क इसे सुधार क या क मदद से दवा से ठीक कया जा सकता है। 4. ितशोधा मक िस ांत- ितशोध सज़ा के िलए सबसे पुराना औिच य है। यह िस ांत इस बात पर जोर देता है क एक ि सज़ा का हकदार है य क उसने गलत काम कया है। साथ ही, यह िस ांत यह भी दशाता है क कसी भी ि को तब तक िगर तार नह कया जाना चािहए जब तक क उस ि ने िविध का उ लंघन न कया हो। यहाँ वे ि थितयाँ दी गई ह जहाँ कसी ि को अपराधी माना जाता है: 13 दी जाने वाली सज़ा उस ि ारा कये गए नुकसान के बराबर होगी। कसी िनि त अपराध का दोषी होना। उस ि को समान अपराध के िलए सज़ा दी गई हो। कया गया काय उसके ारा कया गया था और वह इसके िलए के वल िज मेदार था। साथ ही, उसे दंड णाली और संभािवत प रणाम क पूरी जानकारी थी। मूल प से ितशोध का अथ है क अपराधी अपने गलत काम क क मत चुकाता है। हालाँ क, रा य ितशोध को रोकने के िलए अपराधी को पीड़ा प च ँ ाना आव यक समझता है। इस िस ांत के अनुसार, बुराई के बदले बुराई और आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत का बदला िलया जाना चािहए, िजसे ाकृ ितक याय का िनयम माना जाता है। ितशोधा मक िस ांत अपराध के कारण को अनदेखा करता है, और यह कारण को दूर करने पर जोर नह देता है। यह ब त संभव है क अपराधी प रि थितय का उतना ही िशकार हो िजतना क पीिड़त खुद हो सकता है। यह िस ांत इस बात को अनदेखा करता है क य द ितशोध सज़ा क भावना है, तो हसा जेल जीवन का एक तरीका होगी। 14

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