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This document contains questions related to a Hindi reading comprehension passage. The questions delve into understanding and analyzing provided texts.

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. ‘कुछ खास तो नहीं’- हे लेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सन ु कर हे लेन को आश्चर्य क्यों हुआ? उत्तर:- एक बार हे लेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घम ू ने गई थी।जब...

. ‘कुछ खास तो नहीं’- हे लेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सन ु कर हे लेन को आश्चर्य क्यों हुआ? उत्तर:- एक बार हे लेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घम ू ने गई थी।जब वह वापस लौटी तो हे लेन केलर ने उससे जंगल के बारे में जानना चाहा तब उसकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ खास नहीं। यह सनु कर हे लेन केलर को बड़ा आश्चर्य हुआ कि लोग कैसे आँखें होकर भी नहीं दे खते हैं क्योंकि वे तो आँखें न होने के बावजद ू भी प्रकृति की बहुत सारी चीज़ों को केवल स्पर्श से ही महसस ू कर लेती हैं। हे लेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सन ु कर पहचान लेती थीं? पाठ पढ़कर इसका उत्तर लिखो। उत्तर:- हे लन केलर भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड की खरु दरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती थी। वसंत के दौरान वे टहनियों में नयी कलियाँ, फूलों की पंखडि ु यों की मखमली सतह और उनकी घम ु ावदार बनावट को भी वे छूकर पहचान लेती थीं। चिडिया के मधरु स्वर को वे सन ु कर जान लेती थीं। लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है ? उत्तर:- लेखक ने प्रकृति के अक्षर चट्टानों के टुकड़े, वक्ष ृ ों, पहाड़ों, नदियों, समद्र ु , जानवरों की हड्डियाँ आदि को कहा है । 2. लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी? उत्तर:- लाखों करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती बहुत गर्म थी और उस पर कोई जानदार चीज नहीं रह सकती थी। इसी कारण उस समय धरती पर मनष्ु यों का अस्तित्व नहीं था। धीरे -धीरे उसमें परिवर्तन होते गए और धरती में जानवरों और पौधे का जन्म हुआ। 3. दनि ु या का परु ाना हाल किन चीज़ों से जाना जाता है ? उनके कुछ नाम लिखो। उत्तर:- दनि ु या का परु ाना हाल चट्टानों के टुकड़े, वक्ष ृ ों, पहाड़ों, सितारे , नदियों, समद्र ु , जानवरों की हड्डियों आदि चीज़ों से जाना जाता है । 4. गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है ? उत्तर:- गोल चमकीला रोड़ा अपनी कहानी बताते हुए कहता है कि वह कभी एक चट्टान का हिस्सा था। एक दिन पहाड़ों से बहते हुए पानी ने उसे बहाकर घाटी में भेज दिया। वहाँ से आगे एक पहाड़ी नाले ने उसे आगे धकेलकर दरिया में पहुँचा दिया। इसी प्रकार अपनी इस यात्रा में घिसते-घिसते वह चमकदार रोड़ा बन गया। 5. गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो। उत्तर:- गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अंत में बालू का एक जर्रा हो जाता और समद्रु के किनारे अपने भाइयों से जा मिलता, जहाँ एक संद ु र बालू का किनारा बन जाता, जिसपर छोटे -छोटे बच्चे खेलते और बालू के घरौंदे बनाते। मैं सबसे छोटी होऊँ तेरी गोदी में सोऊँ तेरा आँचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ तेरे साथ कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के प्रथम पद में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी मां की सबसे छोटी संतान बनंू ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकँू । प्यार से उनका आंचल पकड़कर, हमेशा उनके साथ घम ू ती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ू।ं बड़ा बनाकर पहले हमको तू पीछे छलती है मात हाथ पकड़ फिर सदा हमारे साथ नहीं फिरती दिन-रात सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के इस पद में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, मां हमारा साथ छोड़ दे ती है । फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घम ू ती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए। अपने कर से खिला, धल ु ा मख ु धल ू पोंछ, सज्जित कर गात थमा खिलौने, नहीं सन ु ाती हमें सख ु द परियों की बात सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं ) कविता में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और संवारती है । फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठा कर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सन ु ाती। ऐसी बड़ी न होऊँ मैं तेरा स्नेनह न खोऊँ मैं तेरे अंचल की छाया में छिपी रहूँ निस्पाृ ह, निर्भय कहूँ दिखा दे चंद्रोदय सारांश- मैं सबसे छोटी होऊं (main sabse chhoti hun) कविता के अन्तिम पद में बच्ची कह रही है कि मझ ु े बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आंचल का साया खो दं ग ू ी, जिसमें मैं निर्भय और सरु क्षित होकर आराम से सो जाती हूं। अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे मां का प्यार और दल ु ार नहीं मिल पाएगा।

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