Pinnacle GS Theory 2nd Edition (Hindi Medium) PDF
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This document appears to be a book on general studies (GS) theory, likely for competitive exams such as SSC. It contains trend analysis data, likely for the last three years, of questions asked in various SSC exams (CGL, CHSL, MTS, CPO, Delhi Police, JE). It also describes different classical and folk dance styles, including the Tanjore style, and provides information on the artists.
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Last Three Years Trend Analysis ( Weightage ) S.N. Subject CGL (T1) CGL (T2) CHSL (T1) CHSL (T2) MTS CPO Delhi Police JE (T1)...
Last Three Years Trend Analysis ( Weightage ) S.N. Subject CGL (T1) CGL (T2) CHSL (T1) CHSL (T2) MTS CPO Delhi Police JE (T1) Selection Post otal No. T (No. of Ques) (No. of Ques) (No. of Ques) (No. of Ques) ( No. of Ques ) (No. of Ques) ( No. of Ques ) ( No. of Ques ) ( No. of Ques ) of Ques. 2023 227 (23.3%) - 216 (21.6%) 1 (1.4%) 274 (40.6%) 117 (26.0%) 694 (25.7%) 117 (26.0%) 88 (29.3%) 1734 (26%) 1302 2022 243 (24.3%) 5 (2.8%) 226 (25.1%) 1 (2.9%) 438 (30.7%) 118 (26.2%) 96 (13.3%) 110 (24.4 %) 65 (26%) 1. Static Gk (24.07%) 2406 2021 79 (15.0%) - 497 (47.3%) - 714 (29.8%) 108 (36%) 294 (15.9%) 29 (9.7%) 325 (27.1%) (26.8%) 2023 155 (15.9%) 3 (6.7%) 93 (9.3%) 4 (5.7%) 65 (9.6%) 62 (13.8%) 350 (13.0%) 36 (8.0%) 50 (16.7%) 818 (12.3%) 667 2. History 2022 157 (15.7%) 10 (5.6%) 78 (8.7%) 2 (5.7%) 255 (17.9%) 60 (13.3%) 32 (4.4%) 33 (7.3%) 40 (16%) (12.33%) 2021 68 (13%) - 20 (1.9%) - 446 (18.6%) 31 (10.3%) 221 (11.9%) 30 (10%) 140 (11.7%) 956 (12.5%) 2023 120 (12.3%) 4 (8.9%) 130 (13%) 6 (8.6%) 76 (11.3%) 75 (16.7%) 315 (11.7%) 72 (16.0%) 43 (14.3%) 841 (12.6%) 740 3. Geography 2022 119 (11.9%) 14 (7.8%) 132 (14.7%) 3 (8.6%) 237 (16.6%) 76 (16.9%) 62 (8.6%) 67 (14.9%) 30 (12 %) (13.68%) 2021 61 (11.16) - 70 (6.7%) - 260 (10.8%) 31 (10.3%) 164 (8.9%) 42 (14%) 127 (10.6%) 755 (9.9%) 2023 77 (7.9%) 3 (6.7%) 91 (9.1%) 3 (4.3%) 56 (8.3%) 56 (12.4%) 288 (10.7%) 36 (8.0%) 28 (9.3%) 638 (9.6%) 4. Polity 2022 81 (8.1%) 16 (8.9%) 58 (6.4%) 2 (5.7%) 125 (8.8%) 56 (12.4%) 48 (6.7%) 32 (7.1%) 20 (8%) 438 (8.10%) 2021 58 (11%) - 42 (4%) - 184 (7.7%) 27 (9%) 258 (13.9%) 29 (9.7%) 123 (10.3%) 721 (9.5%) 2023 71 (7.3%) 3 (6.7%) 197 (19.7%) 6 (8.6%) 53 (7.9%) 49 (10.9%) 216 (8.0%) 36 (8.0%) 7 (2.3%) 638 (9.6%) 5. Economics 2022 75 (7.5%) 8 (4.4%) 65 (7.2%) 2 (5.7%) 74 (5.2%) 49 (10.9%) 52 (7.2%) 34 (7.6%) - 359 (6.64%) 2021 26 (5%) - 40 (3.8%) - 140 (5.8%) 17 (5.7%) 148 (8%) 12 (4%) 82 (6.8%) 465 (6.1%) 2023 24 (2.5%) 2 (4.4%) 31 (3.1%) 2 (2.9%) 14 (2.1%) 12 (2.7%) 27 (1.0%) 2 (0.4%) 8 (2.7%) 122 (1.8%) 6. Physics 2022 28 (2.8%) 12 (6.7%) 22 (2.4%) 2 (5.7%) 27 (1.9%) 12 (2.7%) - 2 (0.4%) 5 (2%) 110 (2.03%) 2021 16 (3%) - 24 (2.3%) - 34 (1.4%) 18 (6%) 34 (1.8%) 23 (7.7%) 25 (2.1%) 174 (2.3%) 2023 63 (6.5%) 3 (6.7%) 59 (5.9%) 6 (8.6%) 13 (1.9%) 35 (7.8%) 45 (1.7%) 34 (7.6%) 8 (2.7%) 266 (4%) 7. Chemistry 2022 70 (7%) 4 (2.2%) 28 (3.1%) 2 (5.7%) 49 (3.4%) 35 (7.8%) 22 (3.1%) 34 (7.6%) 15 (6%) 259 (4.79%) 2021 34 (6.5%) - 78 (7.4%) - 104 (4.3%) 18 (6%) 24 (1.3%) 16 (5.3%) 32 (2.7%) 306 (4%) 2023 56 (5.7%) 2 (4.4%) 31(3.1%) 3 (4.3%) 23 (3.4%) 28 (6.2%) 99 (3.7%) 45 (10.0%) 16 (5.3%) 303 (4.5%) 8. Biology 2022 61 (6.1%) 9 (5%) 40 (4.4%) 3 (8.6%) 75 (5.3%) 26 (5.8%) 18 (2.5%) 52 (11.6%) 10 (4%) 294 (5.43%) 2021 32 (6.1%) - 83 (7.9%) - 135 (5.6%) 18 (6%) 116 (6.3%) 43 (14.3%) 53 (4.4%) 480 (6.3%) 2023 12 (1.2%) 1 (2.2%) 8 (0.8%) 2 (2.9%) 7 (1.0%) 1 (0.2%) 18 (0.7%) 9 (2.0%) 1 (0.3%) 59 (0.9%) 9. Environment 2022 8 (0.8%) 5 (2.8%) 3 (0.3%) 1 (2.9%) 11 (0.8%) 4 (0.9%) 10 (1.4%) 14 (3.1%) 5 (2%) 61 (1.13%) 2021 9 (1.7%) - 5 (0.5%) - 17 (0.7%) 4 (1.3%) 25 (1.4%) 7 (2.3%) 14 (1.2%) 81 (1.1%) 2023 - 20 (44.4%) - 30 (42.9%) - 1 (0.2%) 450 (16.7%) 18 (4.0%) - 519 (7.8%) 10. Computer 2022 - 80 (44.4%) 70 (7.8%) 15 (42.9%) - - 240 (33.3%) 22 (4.9%) - 427 (7.89%) 2021 0 - - - - - 12 (4%) - 12 (0.2%) 2023 170 (17.4%) 4 (8.9%) 144 (14.4%) 7 (10%) 94 (13.9%) 14 (3.1%) 198 (7.3%) 45 (10.0%) 51 (17%) 727 (10.9%) urrent C 753 11. 2022 158 (15.8%) 17 (9.4%) 178 (19.8%) 2 (5.7%) 134 (9.4%) 14 (3.1%) 140 (19.4%) 50 (11.1%) 60 (24%) Affairs (13.92%) 1629 2021 142 (27%) - 191 (18.2%) - 366 (15.3%) 28 (9.3%) 566 (30.6% 57 (19%) 279 (23.3%) (21.4%) 2023 975 45 1000 70 675 450 2700 450 300 6665 Total No. of Questions 2022 1000 180 900 35 1425 450 720 450 250 5410 2021 525 - 1050 - 2400 300 1850 300 1200 7625 Bar Graph Trend Analysis of Last Three Years SSC Exams Papers Pie Chart Trend Analysis of Last Three Years SSC Exams Papers Pinnacle े िटक जी.के. पोनैयाह, वािडवेलु, िशवानंदम और िच ैया नाम के मु ाएँ ह ल ण दीिपका नामक पु क पर े िटक जी.के. चार नट् टुवनार, जो तंजौर बंधु के नाम से िस ह, आधा रत ह। इसम कुल 24 मु ाएँ ह। कुछ मु ाएँ ने आधुिनक भरतना म को नया प िदया। इस कार ह: पटाका, कटकम, मु ी, करथरी, शा ीय एवं लोक नृ आिद। भरतना म की िविभ शैिलयाँ , िज बािणयाँ िस नतक: सुनंदा नायर, ता राजन, संगीत नाटक अकादमी ने भारत के 8 शा ीय कहा जाता है - गोिपका वमा, जय भा मेनन, प वी कृ न और नृ ों को मा ता दी, िजनके नाम भरतना म िविनता नेदंु गडी, आिद। तंजावुर शैली: कंद ा िप ई इस शैली के िस (तिमलनाडु ), कथक (उ र दे श), कथकली नट् टुवनार (गु /िश क) म से एक और तंजौर (केरल), कुिचपुड़ी (आं दे श), मिणपुरी चौकड़ी के वंशज थे, उ क ु ामी कुिचपुड़ी (मिणपुर), मोिहनीअ म (केरल), ओिडसी िप ई ारा िशि त िकया गया था। (ओिडशा), स या (असम) ह। कुिचपुड़ी ('कुचेलापुरम' या 'कुिचलापुरी' का संि प है ) भारत का शा ीय नृ है िजसकी पां डन ूर शैली का ेय िस िमना ीसुंदरम सं ृ ित मं ालय ने छऊ नृ को भारत के 9व उ ि आं दे श के कुचेलापुरी नामक गाँ व म िप ई को िदया जाता है जो तंजौर चौकड़ी के शा ीय नृ के प म मा ता दी है । "र " नृ ई थी। वंशज थे। के िलए यु म कालीन श है । शा ीय नृ की तकनीक को लगभग 5वीं शता ी ईसा पूव म कुिचपुड़ी म कनाटक संगीत शैली शािमल है । वज़ुवूर शैली का िनमाण तिमलनाडु के वज़ुवूर भरत ारा संिहताब िकया गया था। शा ीय इसम तीनों शा ीय नृ त शािमल ह: नृ शहर के रामैया िप ई ारा िकया गया था। नृ के िलए रा ीय पुर ार को अिभनंदन सरोजा (गैर-कथा और अमूत नृ ), नृ , और ना । पुर ार कहा जाता है । कला े शैली का ेय िमना ीसुंदरम िप ई की दा , कुिचपुड़ी म संगीत का मु भाग है ; यह िश ा और िस भरतना म ितपादक भरतना म णी दे वी अ ं डे ल को िदया जाता है । णी म म और रत गित म गायन की जा शैली को अपनाता है । दे वी ने चे ई म कला े सं ान की ापना की भरतना म दि ण भारतीय धािमक िवषयों और और इसे एक कला के प म भरतना म को शैव धम के आ ा क िवचारों को करता यह िबना िकसी अचानक झटके या अचानक बढ़ावा दे ने के िलए एक मंच बनाया। है । इसे पहले सािदर अ म के नाम से जाना जाता छलां ग के सुंदर, लहराते ए शरीर की गितिविधयों था। कृ ा अ र ने सबसे पहले सािदर नृ के की िवशेषता है । यह ला शैली ('मृदु और ी मेल ूर शैली का ेय मंगुडी दोईराराजा अ र को िलए भरतना म श का योग िकया था। इसे ुित के िलए उपयु ' ) से संबंिधत है िदया जाता है । यह शैली अपने मृदु पद-चाप और 1910 म औपिनवेिशक ि िटश सरकार ारा ंगार रस पर जोर दे ने के िलए जानी जाती है । िस नतक: गु ीमती िवजया साद, डॉ. ितबंिधत कर िदया गया था। यह भारत का पहला वे ित िच ा स म, क लािथका, राजा और राधा पारं प रक नृ है िजसे िथएटर कला के प म िस नतक: कमला नारायण, बाला सर ती, रे ी, कौश ा रे ी, यािमनी रे ी, भावना रे ी, नया प िदया गया और दे श-िवदे श दोनों म सी. वी. च शेखर, लीला सैमसन, मृणािलनी अितशा ताप िसंह, ील ी गोवधनन, ीमती ापक प से दिशत िकया गया। साराभाई, प ा सु म म, णी दे वी, सोनल वैजयंती काशी, हलीम खान, ती ा काशी, यािमनी मानिसंह, यािमनी कृ मूित, ल ण ामी, यह एकहाय से िवकिसत आ, जहाँ एक नतक कृ मूित, अ िणमा कुमार, अ ुता मनसा, शोभा अलामल व ी, ृित कृ मूित, हे मा मािलनी, एक ही दशन म कई भूिमकाएँ िनभाता है । यह नायडू, उमा रमा राव, वेदां तम स नारायण सरमा म का साराभाई, वसुंधरा दोरा ामी, आिद। दि ण भारत के मंिदरों म दे वदािसयों ारा ुत आिद। िकया गया, इसिलए इसे दािसया म के नाम से भी मोिहनीअ म जाना जाता है । भरतना म पारं प रक प से मिणपुरी कनाटक संगीत शैली पर िकया जाता है । मोिहनीअ म (मलयालम) एक भारतीय शा ीय नृ है िजसकी उ ि केरल रा से ई थी। मिणपुरी अपने िहं दू वै व िवषयों और राधा-कृ इसम छह भाग शािमल ह: अला र ु (आ ान), मोिहनीअ म का शा क अथ 'मोिहनी का नृ ' के ेम- े रत नृ नाटक रासलीला के िलए जाना जिथ रम (नृ भाग), श म (श ों के साथ लघु है । यह नृ िहं दू भगवान िव ु के जादु ई मोिहनी जाता है । मिणपुरी नृ का मुख िवषय भ भाव रचनाएँ ), वणम (एक कहानी, िजसम नृ और नृ अवतार के स ान म मिहलाओं ारा िकया जाता है । दोनों शािमल ह), पदम (धािमक ाथना, भजन, है । क ाणीकु ी अ ा को 'मोिहनीअ म की मिणपुरी नृ की दो ेिणयां ह - जागोई (भारत के कीतनम) और ितल ा (िहं दु ानी संगीत के तराना जननी’ के प म जाना जाता है । ना शा म विणत ला भाव को दशाता है ) म उ ि )। यह ना शा पर आधा रत ला -शैली है । इसम और चोलम (शा ीय तां डव नृ का प)। िचद रम मंिदर (तिमलनाडु ) के गोपुरम पर 'ना शा ' म विणत 'नृ ' और 'नृ ' शािमल ह। मिणपुरी शा ीय नृ के पु षाथ प को चोलम भरतना म मु ाएँ िचि त ह। भरतना म इसम चेहरे के भाव और हाथ के इशारे शािमल ह। के नाम से जाना जाता है । कलाकार िवचारों को करने और दशकों के मोिहनीअ म नृ के दशन म यु मु मैतेई समुदाय के ब सं क लोग मिणपुरी नृ बीच भावनाओं को जगाने के िलए अिभनय तालवा इद ा है । को 'जागोई' कहते ह। (सं ृ त श और इसका अथ है 'की ओर ले जाना') का उपयोग एक उपकरण के प म भारत के अिधकां श नृ ों की तुलना म मिणपुरी करता है । अिभनय को चार कारों म वग कृत इसम सात भाग शािमल ह: नृ अंतमुखी और संयिमत है , इस नृ म िकया जा सकता है : कलाकार कभी भी दशकों से नज़र नहीं िमलाता। चोलकेट् टू, जाित रम, वणम, पदम (गीत), ित ाना, ोकम ( शंसा म एक भजन), और मिणपुरी शा ीय गायन शैली को 'नट' कहा जाता सा क अिभनय (पा की मनः ित को स म (अिभ याँ (या अिभनय) है । उद् घािटत करके अिभ करना), अंिगका अिभनय (हाथों, पैरों और अंगों की गित जैसी मोिहनीअ म की तकनीकों म एडवस (कदम) मिणपुरी नृ की िविवधताएँ : शारी रक गितिविधयों का उपयोग करके और मु ा (हाथ के इशारे ) शािमल ह। करना) वािचका अिभनय (गीत, संगीत और संवाद मिणपुरी नृ की दो परं पराएं ह: एक संकीतन है जैसे भाषण के मा म का उपयोग करके एडवस को चार भागों म वग कृत िकया गया है : (जो भ का पहलू है ) और दू सरा रास है । करना), और आहाय अिभनय (पोशाक, आभूषण थगनम, जगनम, धगनम और सिम ाम। 20वीं और ृंगार जैसी सजावट का उपयोग करके शता ी ई. म कलामंडलम क ािणकु ी अ ा मिणपुरी संकीतन को 2013 म UNESCO की करना)। ारा इन अडवस को संिहताब िकया गया था। मानवता की अमूत सां ृ ितक िवरासत की www.ssccglpinnacle.com Download Pinnacle Exam Preparation App 1 Pinnacle े िटक जी.के. ितिनिध सूची म भी शािमल िकया गया था। यह के वैिदक श कथा से आया है िजसका अथ है । यह नल और दमयंती के बीच असीिमत ेम की मु प से मिणपुर (ि पुरा और असम के कुछ "कहानी" होता है और "कथाकार" का अथ कथा है । इस नृ म 24 मूल मु ाएं (हाथ के भाव) िह ों म भी) म वै व समुदाय ारा चिलत है । "कहानी कहने वाला" या "कहािनयों से संबंिधत" और कुल 470 िविभ तीकों का उपयोग िकया यह भगवान कृ के जीवन और काय का वणन होता है । राधा और कृ की कहानी कथक का जाता है । करने के िलए िकया जाता है । उपयोग िकये जाने मुख िवषय है । िहं दु ानी शा ीय संगीत इस वाले वा यं झां झ (करताल) और डम (चोलोम) नृ से जुड़ा है । कथक के मुख घराने लखनऊ, इस नृ के पा ों को मोटे तौर पर सा क (कृ ह। जयपुर, बनारस तथा छ ीसगढ़ म त ह। और राम जैसे महान च र ), राजिसका (बुरे च र ) और तमिसका (दाढ़ी वाले च र ) म िवभािजत पुंग चोलम (िजसका अथ है "डम की गजना") इसे मुगलों के शासनकाल म लोकि य बनाया गया िकया गया है । यह केरल के पारं प रक सोपना मिणपुरी संकीतन संगीत और शा ीय मिणपुरी था। इस नृ का ण युग वािजद अली शाह संगीत का अनुसरण करता है । नृ की आ ा है । (अवध के आ खरी नवाब) के संर ण म आया। त ालीन अवध रयासत मु तः कथक से जुड़ी कथकली म "अहाय अिभनय", वेशभूषा, आभूषण ढोल चोलम (डम नृ या ढोलक चोलोम) वसंत और चेहरे के िच ण पर ब त अिधक मह िदया थी। कथक नृ का रा ीय सं ान नई िद ी म ऋतु म िकया जाता है िजसे 'याओसां ग' के नाम से जाता है । त है । जाना जाता है िजसका अथ है होली का वसंत ोहार। नटवारी नृ और ठु मरी संगीत, कथक नृ से कथकली का दशन "केिलकोट् टु" से शु होता जुड़ा है । है , जो दशकों का ान आकिषत करता है और करताल चोलम झां झ का तां डव नृ है । इसे केवल उसके बाद "थोडयम" होता है । "केिलकोट् टु" शाम पु ष नतकों ारा ुत िकया जाता है । कथक नृ के तीन मु भाग मंगलाचरण, नृ को िकए जाने वाले कथकली नृ की औपचा रक 'रास लीला' का ता य 'िद ेम के नृ ' से है जो और नृ ह िजनका उ ेख 'ना शा ' म िकया घोषणा है जब आं गन म थोड़ी दे र के िलए ढोल भगवान िव ु के आठव अवतार कृ और उनकी गया है । और झां झ बजाए जाते ह। ि या राधा के बीच ेम को खूबसूरती से िचि त नृ : कलाकार ारा िचि त शु नृ । िफर संगीतकार और ढोल वादक "मेल दम" म करता है । इसके तीन कार ह ताल रासक (एक अपने कौशल की दशनी के साथ मंच संभालते ताली के बाद), दं ड रासक (डम को दो छिड़यों से नृ : यहां कलाकार र और वा संगीत के साथ ह। दशन के अंत को "धनसी" नामक शु नृ बजाया जाता है जबिक नतक की ित इशारों, भावों और धीमी शारी रक गितिविधयों के के एक टु कड़े ारा िचि त िकया जाता है । ािमतीय आकृितयाँ बनाती है ), मंडल रासक मा म से एक कहानी या िवषय को दिशत "ितरानो ू " "पाचा" या "िमनु ू " के अलावा अ (गोिपयों से िघरे क म भगवान कृ )। करता है । सभी पा ों की मंच पर पहली ुित होती है । िस नतक: हं जाबा गु िबिपन िसंहा, झावेरी 1900 म कािशत माकस बी. फुलर की पु क कलासम केवल नृ अनु म ह जहां अिभनेता बहन (नयना झावेरी, रं जना झावेरी, सुवणा झावेरी, 'द रों ऑफ इं िडयन वुमन ड' म कथक दशन को खुद को अिभ करने और अपने कौशल और दशना झावेरी), िनमला मेहता, सिवता मेहता, के दौरान चेहरे के भाव और भावमय हावभाव का को दिशत करने की अ िधक तं ता है । युमले म गंिभनी दे वी आिद। उ ेख िकया गया है । छलाँ ग, रत मोड़, उछलने और लयब सम य ओिडसी कलासम बनाते ह, िज दे खना आनंददायक होता िस नतक: पंिडत िबरजू महाराज, ल ू है । महाराज, शंभू महाराज, शोवना नारायण, कुमारी ओिडसी (ओिडशा) की मूल का पता ना शा कमला, सुन ा हजारीलाल अ वाल, पंिडत िस नतक: कलामंडलम गोपी, ह रि या से लगाया जा सकता है । इसकी दि ण-पूव शैली दु गालाल, ेरणा ीमाला, रानी कण, िसतारा दे वी, नंबूिदरी, कलामंडलम कृ साद, को ाकल को ओधरा मगध के नाम से जाना जाता है । पा रानी दास बोरा, रोशन कुमारी, माया राव, िशवरामन, कलामंडलम रमनकु ी नायर, पखावज अ रों का उपयोग मु प से ओिडसी कुमुिदनी ला खया, रोिहणी भाटे , पंिडत मु ालाल कलामंडलम वासु िपशारोडी, कवुंगल चाथु ी नृ को समा करने के िलए िकया जाता है । शु ा, उमा शमा, कृित सेनन आिद। पिण र। दशनों की सूची म मंगलाचरण, नृ (शु नृ ), कथकली स या नृ नृ (अिभ ंजक नृ ), ना (नृ नाटक) और मो (नृ चरमो ष आ ा की तं ता और कथकली (केरल) म कथकली श कथा स या नृ (असम) की उ ि 15वीं शता ी म आ ा क मु ) शािमल ह। (सं ृ त) से िलया गया है िजसका अथ है "कहानी असम म ीमंत शंकरदे व ारा शु िकए गए या बातचीत, या पारं प रक कहानी", और काली नव-वै व आं दोलन के एक भाग के प म स ा, नृ और अिभनय ओिडसी के दो सबसे रोचक (कला से) िजसका अथ है " दशन और कला"। नामक एक मठ म ई थी। शंकरदे व ारा रिचत आकषण ह। गीतों को 'बोरगीत' के नाम से जाना जाता है । महाभारत और रामायण पर आधा रत 'कृ ना म' नृ : नतक सुंदर आकृितयां बनाने के िलए सू और रामना म नामक नृ -नाटक कला स या नृ को दो शैिलयों म वग कृत िकया जा शारी रक गितिविधयों का दशन करते ह। 'कथकली' के पूववत ह। परं परागत प से इस सकता है , अथात् 'पौरािणक भंगी' यानी तां डव या अिभनय: नतक िकसी धािमक कहानी या नृ की मंचीय ुित से ठीक पहले सेवाकली पु ष शैली और ' ी भंगी' यानी ल ा या ी िकंवदं ती को समझाने के िलए चेहरे के भाव बनाते नामक एक अ ास स होता था और इसे मंिदर शैली। ह। के प रसर म िकया जाता था। यह नृ स हवीं शता ी म दि ण भारत म कनाटक के राजकुमार चाली, झुमुरा और नाडु भंगी स या नृ से जुड़े ह िस नतक: सोनल मानिसंह, संयु ा के संर ण म िवकिसत आ। और अंिकया नट स या के एक-अिभनय नाटकों पािण ही, झेलम परां जपे, मायाधर राउत, गंगाधर से बनी एक उपशैली है । धान, इिलयाना िसता र ी, लीना मोहं ती, िच ा यह लिलत कला के 5 पों - सािह (सािह म), कृ मूित, िबजियनी स थी, माधवी मु ल, संिचता संगीत (संगीतम), िच कला (िच ाम), अिभनय पैट िस साड़ी इस नृ म उपयोग की जाने भ ाचाय, सुतापा तालुकदार, दे बा साद दास, (ना म) और नृ (नृथम) का सामंज पूण वाली सबसे लोकि य साड़ी है , जो अपने िविभ पंकज चरण दास, रघुनाथ द ा, आिद। संयोजन है । नृ शैली अिभनय (अंिगका, आहार, रं गीन पां कनों और िडजाइनों के मा म से वािचका, सा क) और नृ , नृ और ना के ानीयता का ितिनिध करती है । कथक चार पहलुओं को जोड़ती है । स या की मूल नृ इकाई और अ ास को माटी कथक नृ (उ र दे श) म कथक श सं ृ त नलच रतम कहानी "उ ाई वे रयर" ारा िलखी गई अखाड़ा कहा जाता है । 64 माटी अखाड़े ह और www.ssccglpinnacle.com Download Pinnacle Exam Preparation App 2 Pinnacle े िटक जी.के. उ आठ मु कारों म उप-िवभािजत िकया जा एक साधारण ताल वा यं , डफली जैसा ढोल, है । सकता है : ओरा, सात, झलक, सीितका, पाक, जाप, िजसे 'ड ू' कहा जाता है , से उ िन के कारण लोन और खार। िमला है । बुइया अ णाचल दे श का लोक नृ है जो िदगा िमशमी जनजाित ारा ुत िकया जाता वष 2000 म संगीत नाटक अकादमी ारा स या भामाक म एक नृ और नाटक दोनों है । है । यह नृ तज़ ु, दु इया और तनुया जैसे कई को शा ीय नृ के प म मा ता दी गई थी। िस े योगी ने 17वीं शता ी म इस भ नृ ोहारों म िकया जाता है । शैली की रचना की। िस नतक - गुणकां ता द ा बारबायन, मािणक रखमपाड़ा अ णाचल दे श के िनचले बारबायन, जोगेन द ा बायन, अिनता सरमा, बु ा बो लु आं दे श म पि म गोदावरी िजले सुबनिसरी िजले की िनिश जनजाित का नृ है । सरोदी सैिकया, ह रचरण भुइयां बोरबायन, के तनुकु े म लोकि य है । रामकृ तालुकदार, रं जुमोनी सैिकया आिद। पोिपर नृ , मोपी उ व के दौरान अ णाचल ट ेटा गु ू एक नृ है िजसम जोश, लय और दे श की गैलो जनजाित ारा िकया जाता है । छऊ नृ गित है और यह वषा दे वता का आ ान करने के िलए िकया जाता है । शापावंग य ग मनौ पोई अ णाचल दे श की छऊ नृ माशल परं पराओं वाला पि म बंगाल, िसंगफो जनजाित का वािषक नृ उ व है । झारखंड और ओिडशा का लोक नृ है । यह तीन बोनालु एक िवशेष नृ है िजसम मिहला नतक लयब ताल पर कदम रखती ह और अपने िसर सांगफाओ जनजातीय नृ अ णाचल दे श शैिलयों म पाया जाता है : पु िलया छऊ (पि म पर बतनों को संतुिलत करती ह। और नागालड म िकया जाता है । बंगाल म सूय उ व के दौरान िकया जाता है ), सरायकेला छऊ (झारखंड), मयूरभंज छऊ िवलािसनी ना म तेलुगु की दे वदािसयों का नृ असम (ओिडशा)। सं ृ ित मं ालय ने इसे भारत के 9व प है इसिलए इसे दे वदासी नृ भी कहा जाता शा ीय नृ के प म मा ता दी है । बागु ा असम म बोडो समुदाय का एक लोक है । नृ है । इसे ''िततली नृ '' भी कहा जाता है । छऊ नृ की मूल श ावली म नकली यु लंबाडी नृ आं दे श म उ बंजारा समुदाय तकनीक, पि यों और जानवरों की शैलीगत चाल भाओना एक नाटक-कला का प है । भाओना का लोक नृ है । यह अ ी फसल के िलए और ामीण गृिहिणयों के कामकाज पर आधा रत के नाटकों को अंिकया नट के नाम से जाना जाता दे वताओं को भािवत करने के िलए िकया जाता गितिविधयाँ शािमल होती ह और ादातर पूव है और उनके मंचन को भाओना के नाम से जाना है । भारत म पु ष नतिकयों ारा िकया जाता है । जाता है । यह महापु ष ीमंत शंकरदे व की रचना कलापम दशकों के िलए नैितकता से भरपूर एक है , जो सोलहवीं शता ी की शु आत म िलखी गई नतिकयों ने िहं दू महाका ों रामायण और नृ -नािटका है । यह एक एकल अिभनय होता है थी। महाभारत, पुराणों और अ भारतीय सािह की िजसम एक मु पा होता है और दू सरा कहािनयों का अिभनय िकया। यह शैववाद, िब नृ भारतीय रा असम का एक दे शी तुलना क प से कम मह पूण पा होता है । श वाद और वै ववाद म पाए जाने वाले लोक नृ है जो िब ोहार से संबंिधत है और धािमक िवषयों के साथ िकया जाता है । असिमया सं ृ ित का एक मह पूण िह ा है । गो ी नृ आं दे श के तटीय े ों म लोकि य है । यह सं ां ित उ व के दौरान िकया जाता है िब नृ तीन कार के होते ह: रं गोली िब (वसंत इसे 2010 म UNESCO की मानवता की अमूत जब घरों को साफ िकया जाता है और आं गनों को ऋतु), कटी िब (शरद ऋतु), और माघ िब सां ृ ितक िवरासत की ितिनिध सूची म शािमल 'रं गव ी' से सजाया जाता है । (फसल)। िकया गया था। डं ड रया नृ एक छड़ी नृ है जो है दराबाद िजले दे वधनी नृ , बोडो-कछारी मूल का, असम का िस नतक- जग ाथ चौधरी, मौसमी चौधरी, के उ री े म गोंड जनजाित ारा िकया जाता लोक नृ है । यह एकल या समूह म ुत िकया बीरे न कािलंदी, िबनाधर कुमार, काितक िसंह मुरा, है । जाता है । यह नाग दे वी मानसा या मारे ई/मरोई की बाघंबर िसंह मुरा, उपे िब ाल, बनमाली दास, पूजा से जुड़ा आ है । राज प नायक, गोपाल साद दु बे आिद। अ णाचल दे श झुमुर असम के चाय आिदवासी समुदायों लोक नृ पोनुंग अ णाचल दे श के आिद जनजाित (कुिलस) और पि म बंगाल के कुछ िह ों का समुदाय ारा िकया जाने वाला फसल नृ है । पारं प रक नृ है । यह आमतौर पर फसल के आं दे श मौसम और ोहारों म िकया जाता है । अजी ामो अ णाचल दे श के तवां ग िजले की ढे मसा एक आिदवासी नृ है जो मु प से मोनपा जनजाित ारा चिलत एक लोक नृ है । भोरताल नृ छह या सात नतकों के समूह म आं दे श की अराकू घाटी म पोरजा जनजाित यह नृ शैली लोसर महो व के दौरान दिशत िकया जाता है । इसे ब त तेज़ ताल पर बजाया की मिहलाओं ारा िकया जाता है । की जाती है । जाता है , िजसे 'िज़या नोम' के नाम से जाना जाता है । वीरना म (वीरता का नृ ) आं दे श का एक पासी कोंगकी अ णाचल दे श की आिद लोक नृ है , जो भगवान िशव की आराधना म जनजाित का लोक नृ है जो पासी के सामािजक िबहार िकया जाता है । नृ की शु आत म, कलाकार काय को दशाता है । इसे ानीय लोगों ारा गाए मंच पर "वीरभ प म" नामक एक िवशेष थाली जाने वाले गीत आबां ग की धुन पर ुत िकया िबदे िसया िजसका भोजपुरी म अथ है 'िवदे शी लेकर आते ह, िजस पर कपूर की आग जल रही जाता है । भूिम से', पि मी िबहार का लोक ना दशन है । होती है । यह िभखारी ठाकुर ारा िल खत िबदे िसया नामक टापू (टपू) नृ अ णाचल दे श की आिद नाटक पर आधा रत है । कोल ालु (छड़ी नृ ) लोक नृ को जनजाित ारा िकया जाने वाला यु नृ है । यह कोलकोल ालु के नाम से भी जाना जाता है और उिनंग अरन उ व के दौरान िकया जाता है । यह चैती लोक नृ पु षों ारा अपने शरीर पर आं दे श के लोगों के बीच इसे आमतौर पर गां व से बुरी आ ाओं को दू र भगाने के िलए िकया ‘रामरस’ लगाकर िकया जाता है । तेलुगु (रा की आिधका रक भाषा) म कोला म जाता है । के प म जाना जाता है । जट-जिटन िबहार का लोक नृ है , जो िमिथला वांचो नृ अ णाचल दे श की वां चो जनजाित और कोशी े ों म सबसे िस है । यह मानसून ड ू नृ म आं दे श और तेलंगाना म लोकि य ारा िकया जाता है । वां चो जनजाित का सबसे के मौसम के दौरान चां दनी रातों म िकया जाता है । नृ पों म से एक है । इस नृ शैली का नाम मह पूण ोहार ओ रयाह के नाम से जाना जाता www.ssccglpinnacle.com Download Pinnacle Exam Preparation App 3 Pinnacle े िटक जी.के. िझिझया िबहार के िमिथला और भोजपुरा े ों जाता है । यह छ ीसगढ़, झारखंड, म दे श, है । यह गणेश चतुथ , धालो उ व और दे वी और नेपाल के मधेश ां त का सां ृ ितक लोक ओिडशा और पि म बंगाल रा म िकया जाता महाल ी के त जैसे ोहारों के दौरान िकया नृ है । यह आमतौर पर युवा मिहला नतिकयों के है । यह लोक नृ भा के दे वता, िज करम जाता है । समूह ारा ुत िकया जाता है । अ े मानसून दे वता के नाम से जाना जाता है , की पूजा के दौरान और भरपूर फसल के िलए भगवान इं से ाथना िकया जाता है । कुनबी नृ गोवा के कुनबी समुदाय का जनजाित करते ए दशाया गया है । यह दशहरा उ व के लोक नृ है । िश ो उ व के दौरान मिहलाएं दौरान िहं दू माह अि न (िसतंबर/अ ू बर) म थापती नृ छ ीसगढ़, म दे श, महारा की अपने िसर पर दीपक रखकर दीपक नृ करती घट ापना के िदन से िबजय दशमी तक िकया कोरकू जनजाितयों ारा िकया जाने वाला ह। जाता है । पूरे नवराि नौ रातों का ोहार भगवान जनजाित नृ है । यह वैशाख माह म िकया जाता है । इस नृ के मु वा ढोलक और बां सुरी ह। दे खनी गोवा का एक अध-शा ीय नृ है । ल ी, पावती और सर ती के तीन पों की पूजा कोंकणी म इसका मतलब मनमोहक सुंदरता होता करने के िलए मनाया जाता है । मैिथली या भोजपुरी सैला नृ िहं दू माह अगहन (नवंबर-िदसंबर) म है । यह लड़िकयों के समूह (दे वदासी का भाषा म इसके अपने-अपने तरह के गाने ह। फसल के मौसम के बाद केवल लड़कों ारा िकया ितिनिध ) ारा हाथों म िम ी के तेल के दीपक मिहलाएं िम ी से बने लालटे न को अपने िसर पर जाता है । लेकर िकया जाता है । रखकर नृ करती ह। पंथी नृ छ ीसगढ़ के सतनामी समुदाय का रणमाले लोकि य भारतीय महाका ों, रामायण जदु र िबहार की ओरां व जनजाित का नृ है । यह मुख अनु ान है । यह मु प से लोगों को दु ग और महाभारत की पौरािणक कहािनयों पर मु प से सर ल ोहार के अवसर पर िकया िजले के मह को दशाने के िलए नृ िकया जाता आधा रत एक अनु ािनक और लोक ना शैली जाता है । है । जो माघी पूिणमा (गु बाबा घासीदास की है । यह होली उ व के दौरान िकया जाता है िजसे िबरहा नृ , िबहार का लोक नृ उन मिहलाओं जयंती) पर िकया जाता है । गोवा और कोंकण े म िश ो (वसंत उ व) के की पीड़ा को दशाता है िजनके साथी घर से चले प म मनाया जाता है । यह महारा और गौर मा रया नृ छ ीसगढ़ के ब र के पठार म कनाटक के कुछ िह ों म भी चिलत है । गए ह। यह नृ झारखंड और उ र दे श म भी िकया जाता है । यह एक समूह नृ है और इस िकया जाता है । िबदे िसया िबरहा नृ का ु नृ म पु ष और मिहलाएं दोनों उ ाहपूवक ज़ेमाडो गोवा का लोक नृ है , िजसम धनगर है । भाग लेते ह। यह िववाह के अवसर पर िकया जाता समुदाय की मिहलाएँ बक रयों की हरकतों की कजरी नृ मानसून के मौसम का ागत करता है । नकल करती ह। है और आमतौर पर ावण और भा पद के महीनों पांडवानी नृ गाथा पां डवों के वृ ां त को िचि त तारं गमेल गोवा रा म दशहरा और होली के म िकया जाता है । करती है । महाभारत की कहािनयों का वाचन दौरान िकया जाने वाला लोक नृ है । भोजपुरी झूमर नृ मगध े म लोकि य है । इसकी मुख िवशेषताओं म से एक है । कथन की दो मु शैिलयाँ वेदमती और कापािलक ह। को रिड ो गोवा म िकया जाने वाला पुतगाली यह वसंत ऋतु का ागत करने के िलए िकया नृ का एक प है । यह सदै व युगल नृ होता जाता है । िझरिलिट नृ है लोवीन जैसे अनु ान म िकया है । मगही झूमर नृ आमतौर पर युगल के पम जाता है । यह म भारत के ब र े म ब ों ारा िकया जाता है । लप नृ आमतौर पर िश ो महो व (गोवा) के ुत िकया जाता है । दौरान िकया जाता है । झरनी नृ मुहरम के दौरान जुलाहा समुदाय ारा गड़ी नृ म नतक दो लंबे बां स पर चढ़े होते ह। यह ब र की मु रया जनजाित का िवशेष नृ है । िश ो नृ - इस नृ को ुत करने का िकया जाने वाला एक अनु ािनक नृ है । यह पूणतः संतुलन का नृ है । उ े वसंत ऋतु म नई फसल का ज मनाना है । सोहर खेलवाना मिहलाओं ारा ब े के ज का रहस छ ीसगढ़ का आधुिनक लोक नृ है और रोमाट नृ गोवा लोकनृ और शोभाया ा है जो ज मनाने के िलए िकया जाने वाला नृ है । मु प से धमतरी िजले म िकया जाता है । थीम माच के महीने म (िसंगमा उ व म) िकया जाता िकशन नृ िबहार के िकसानों के गौरव की भगवान कृ और राधा की अमर ेम कहानी पर है । अिभ है । कि त है । मूसल एक तेज़ छड़ी है और यह नृ गोवा की नटु आ नृ की शु आत नटु आ कचाल नामक चै उ व नृ ब र िजले के गोंडों का िस ाचीन राजधानी चंदोर के लोगों ारा फसल के िवषय से होती है । नृ है । यह फसल कटाई के बाद दे वी अ पूणा समय िकया जाता है । को कटी ई फसल के िलए ध वाद दे ने के िलए ढालो नृ पृ ी की उवरता से जुड़ा है और यह छ ीसगढ़ िकया जाता है । केवल मिहलाओं का नृ है । सुवा नृ (तोता नृ ) जनजाित नृ है , जो मु गोवा गोफ चुर फसल का उ व है । नृ के साथ गाने प से छ ीसगढ़ की गोंड जनजाित ारा िकया िहं दू भगवान भगवान कृ को समिपत ह। जाता है । यह गौरा के िववाह के अवसर पर िवशेष दशावतार कोंकण और गोवा े का सबसे प से मिहलाओं ारा िकया जाता है । नतक बां स िवकिसत रं गमंच है । कलाकार संर ण और रो टा मेल गोवावािसयों के िलए अपने दे वताओं के से बने पा म तोते को रखते ह और उसके चारों रचना कता के दे वता भगवान िव ु के दस ित आभार करने का तरीका है , िजसम ओर गोलाकार आकृित बनाते ह। अवतारों का िच ण करते ह। दस अवतारों के नाम लोगों का एक सप न जुलूस एक मंिदर की ओर - म (मछली), कूम (कछु आ), वराह (सूअर), माच करता है । राऊत नाचा मु प से छ ीसगढ़ के जनजाित नरिस ा (िसंह-मानव), वामन (बौना), परशुराम, समुदाय ारा िकया जाने वाला औपचा रक नृ राम, कृ (या बलराम), बु और क । गुजरात है । यह िदवाली ौहार के बाद "दे व उधनी एकादशी" के दौरान िकया जाता है । यह कृ के घोड़े मोदनी (नृ जैसी ि याकलाप) नृ गोवा गरबा (सं ृ त श ) नृ मिहलाओं ारा क मे वंशज यादवों ारा िकया जाने वाला नृ है । म स ारी तालुका के मराठा शासकों ारा जलाए गए दीपक या दे वी श की त ीर या पुतगािलयों पर जीत की याद िदलाता है , िज राणे मूित के चारोंओर िकया जाता है । यह नौ िदवसीय कमा नृ या कमा नाच म और पूव भारत के के नाम से जाना जाता है । उ व नवराि के दौरान िकया जाता है । यह होली गोंड जनजाितयों का पारं प रक नृ है जो हर साल फुगड़ी नृ मु तः कोंकण मिहलाओं का नृ वसंत उ व पर भी िकया जाता है । कमा उ व (शरद ऋतु उ व) के दौरान िकया www.ssccglpinnacle.com Download Pinnacle Exam Preparation App 4 Pinnacle े िटक जी.के. डांिडया रास गुजरात म नवराि मे शाम को मेवात े का जातीय समूह है िजसम ह रयाणा म लालड़ी िहमाचल दे श का लोकि य मिहला सामािजक-धािमक िवशेष नृ है । यह राज ान नूंह िजला और िनकटवत अलवर िजले और लोक नृ है । के मारवाड़ े म भी िकया जाता है । ऐसा माना राज ान म भरतपुर िजले के कुछ िह े शािमल जाता है िक यह मिहषासुर पर दे वी दु गा की जीत ह। ांगतेगी नृ िदवाली पर शेर और लकड़ी के की याद म िकया जाता है । मुखौटे पहनकर िकया जाता है । धमाल नृ गुड़गां व े म िस है , जहां अहीरों िस ी धमाल नृ शैली जाफराबाद और ज ूर म का िनवास है । इस नृ की उ ि महाभारत नमगेन नृ शरद ऋतु का ज मनाने के िलए िस ी समुदायों के पु षों ारा िकया जाता है । यह काल म ई थी। िसतंबर के महीने म िहमाचल दे श म िकया जाता नृ प उनके साथ पूव अ ीका से आया था। है । चौपाइयां, जो एक भ नृ है और पु षों और राठवा नी घेर नृ गुजरात की राठवा जनजाित मिहलाओं ारा 'मंजीरे ' लेकर िकया जाता है । झारखंड ारा होली उ व के अवसर पर िकया जाने वाला जनजाित नृ है , िजसे कावंत उ व के नाम से भी दीपक नृ , िम ी के दीपक लेकर पु ष और पाइका नृ आमतौर पर मुंडा जनजाित ारा जाना जाता है , िजसका नाम उस ान के नाम पर मिहलाएं नृ के मा म से अपनी भ िवशेष स ािनत अितिथयों के ागत के िलए या रखा गया है जहां होली कािनवल होता है । घेर करते ह, जो अ र पूरी रात चलती है । धािमक जुलूस (शोभा या ा) के दौरान िकया जाता दशन धुलडी से शु होता है । है । यह नृ शैली अं ेजों के खलाफ मुंडा बीन-बांसुरी नृ - इस नृ के दौरान, नतक समुदाय के महान यु का ितिनिध करती है । िव ुडो गुजरात का लोक नृ है । यह नृ संगीत उ करने के िलए बीन और बां सुरी का यह ओिडशा का लोक नृ भी है जो उिड़या सेना पूवसं ार म ढ़ िव ास को दशाता है । उपयोग करते ह। यह नृ रा के बां गर े म के पाइका ारा िकया जाता है । िस है । घे रया नृ 'माताजी' (दे वी अ ा) की पूजा करने जेनाना (जननी) झुमुर मिहलाओं का पारं प रक के िलए िदवाली उ व के दौरान िकया जाता है । घूरा नृ ब े के ज के अवसर पर िकया जाता नृ है जो मु प से बरसात के मौसम म खेती गुजरात के आिदवासी लोग चमकीले रं ग के कपड़े , है । के दौरान िकया जाता है । गदे के फूलों की माला और पारं प रक आभूषण छठी नृ पु के ज पर िकया जाता है । िझका-दसैन संथाल जनजाित ारा िकया जाने पहनकर 'घे रया' लोक नृ करते ह। मिहलाएं यह नृ ब े के ज के छठे िदन करती वाला पूजा नृ का एक प है , जो समुदायो के डो नृ शैली ादातर भरवाड या चरवाहा ह। युवाओं को बुरी आ ाओं के भाव को दू र करने समुदाय ारा गुजरात के सुर नगर म तरनेतर मेले के िलए आ ा क श यां ा करने की कला खो रया नृ झूमर नृ शैली और े प की म ुत की जाती है । म िशि त करने के िलए िकया जाता है । िविवधता का सामूिहक प है , जो िवशेष प से ह ीसाका, एक समूह नृ , ह ीसाका नृ की मिहलाओं ारा िकया जाता है । संथाल नृ झारखंड और पि म बंगाल म संथाल उ ि ह रवंश पुराण से मानी जाती है । जनजाितयों ारा िकया जाने वाला िस लोक गु ा नृ िवशेष प से पु षों ारा िकया जाता नृ है । यह समूहों म िकया जाता है । यह असम िट नी नृ शैली गुजरात के सौरा के चोरवाड है । यह संत गु ा की याद म िनकाले जाने वाले और िमजोरम के बां स लोक नृ के समान है । े म अ म आई। यह नृ उ वों और शोभाया ा म िकया जाता है । िववाहों म िकया जाता है । बोराओ नृ झारखंड रा म संप ओरां व िहमाचल दे श समुदाय का उ व है । यह हज़ारीबाग गूमला के पधार नृ , पधार समुदाय (भाल े म नल पहाड़ी े म रहने वाले सबसे बड़े समूहों म से सरोवर के िकनारे रहने वाले मछु आरे ) के लोगों नाटी नृ पारं प रक प से िहमाचल दे श और एक है । उराँ व समुदाय को कु ख के नाम से भी ारा शु िकया गया है । उ राखंड रा ों म िकया जाता है । ुत की जाना जाता है । जाने वाली नाटी की कई भाग ह: कु वी नाटी, डांगी नृ गुजरात के डां ग िजले के मूल िनवासी महासुवी नाटी, िसरमौरी नाटी, िक ौरी नाटी, मुंडारी नृ झारखंड और उड़ीसा के मुंडा का जनजातीय नृ है । जौनपुरी नाटी, सेराजी नाटी, करसोगी नाटी, चुहारी समुदाय का एक िस लोक नृ है । यह एक नाटी, बरदा नाटी, बंगानी नाटी। मिहला कि त नृ है । मटु कडी नृ शैली अिधकतर रबारी और भरवाड समुदायों ारा ुत की जाती है । धामन िहमाचल दे श का लोक नृ है । फगुआ नृ शैली है जो झारखंड और िनकटवत रा िबहार म रहने वाली जनजाितयों के बीच ह रयाणा ठोडा िहमाचल दे श म राजपूतों ारा िकया जाने लोकि य है । यह होली - वसंत उ व के दौरान वाला यो ा नृ है । यह चै और वैसाख िकया जाता है । फाग नृ िहं दू महीने फा ुन (फरवरी-माच) म (अ ैल-मई) के महीने म िवशु मेले के दौरान िकया फसल कटाई के मौसम म रं गीन होली ोहार को जाता है । िबरहोर नृ झारखंड का जनजाित लोक नृ है । मनाने के िलए िकया जाता है । िबरहोर जनजाित/आिदवासी वनवासी लोग ह, जो डांगी नृ या घुरेही नृ िवशेष प से च ा पारं प रक प से झारखंड, उड़ीसा, छ ीसगढ़ झूमर लोक नृ है जो िवशेष प से ह रयाणा की की मिहलाओं ारा िकया जाता है । दशन के और पि म बंगाल रा ों म खानाबदोश (घुमंतू) युवा िववािहत मिहलाओं ारा िकया जाता है । दौरान एक समूह पूछता है जबिक दू सरा उ र रहते ह। रा के कुछ िह ों म इसे 'ह रयाणवी िग ा' के दे ता है । नाम से भी जाना जाता है । झूमर के कार: सतलुज कड़सा नृ एक नृ शैली है जो 'कलश' (िम ी झूमर, ास झूमर, िचनाब झूमर, मु ानी झूमर चोला ा नृ रोपा घाटी म िकया जाता है । यह का बतन) लेकर िकया जाता है । यह ी धान और झूमर तारी। नृ सां प को लपेटकर िकया जाता है । नृ है । लूर नृ होली उ व के आसपास िकया जाता है धुरे नृ लाहौल म भी ब त लोकि य है , यहां मदानी झुमुर नागपुरी समुदाय के पु षों ारा और 'फा ुन' (फरवरी/माच) के महीने के दौरान रामायण और महाभारत जैसे महाका ों पर नृ िकया जाता है और दि णी सं ृ ितयाँ फसल के बां गर और बागड़ े के िह ों म ब त लोकि य िकया जाता है । बाद नृ करती ह। है । शान और शाबू लाहौल घाटी के लोकि य नृ िझटका और डांगा नृ िविभ सामंती परं पराओं रतवई नृ मेवात े की मेवाती जनजाितयों का ह। ये नृ बु की याद म गो ा म िकये जाते ह। का ज मनाने के िलए पु षों और मिहलाओं दोनों लोक नृ है । मेवाती (मेव) उ र-पि मी भारत के www.ssccglpinnacle.com Download Pinnacle Exam Preparation App 5 Pinnacle े िटक जी.के. ारा िकया जाता है । शोभाया ा के दौरान बुराइयों को दू र करने के िलए प है । िकया जाता है । लहसुआ झारखंड के छोटा नागपुर पठार े का कलारीपयट् टू (कलारी) भारतीय माशल आट है नागपुरी लोक नृ है । पाटा कुिनथा समूह म िकया जाने वाला नृ है जो िजसकी उ ि आधुिनक केरल म ई है , इसका 10 से 15 यों ारा एक साथ िकया जाता है । उ ेख वड न पट् टुकल म िकया गया है , जो घोड़ा नाच नृ केवल पु षों ारा िकया जाता है । केरल के मालाबार े के चेकावर के बारे म िलखे लकड़ी की कठपुतली योग िकया जाने वाला डो ू कुिनथा नृ मु प से कु बा नामक गए गाथागीतों का सं ह है । मु साधन है । चरवाहा समुदाय के पु षों ारा िकया जाता है । कु ि काली (कु ी) केरल और दि ण सर ल पारं प रक नृ है जो झारखंड, छ ीसगढ़ नागा मंडल नृ आमतौर पर पु ष नतकों ारा मालाबार के कुछ िह ों म चिलत रं गीन मुखौटा और पि म बंगाल म ओरां व जनजाित ारा िकया िकया जाता है , िज वै कहा जाता है । नृ के नृ है । यह ओणम उ व के दौरान िकया जाता जाता है । भीतर, व