सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय (PDF)
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यह दस्तावेज़ हिंदी लेखक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की जीवनी और उनकी कृतियों पर आधारित जानकारी प्रदान करता है। उनके जीवन, शिक्षा, और साहित्यिक कार्यों का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है। यह साहित्यिक जीवनी है, और इसमें विभिन्न प्रकार के विषयों पर संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
Full Transcript
# सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय - जन्म: 7 मार्च 1911 - निधन: 4 अप्रैल 1987 - जन्म-स्थान: कसेया, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश - मूल निवास: कर्तारपुर, पंजाब - माता-पिता: व्यंती देवी एवं डॉ० हीरानंद शास्त्री (प्रख्यात पुरातत्त्ववेत्ता) - शिक्षा: - प्रारंभिक चार साल लखनऊ में घर पर। मैट्रिक 1925 म...
# सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय - जन्म: 7 मार्च 1911 - निधन: 4 अप्रैल 1987 - जन्म-स्थान: कसेया, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश - मूल निवास: कर्तारपुर, पंजाब - माता-पिता: व्यंती देवी एवं डॉ० हीरानंद शास्त्री (प्रख्यात पुरातत्त्ववेत्ता) - शिक्षा: - प्रारंभिक चार साल लखनऊ में घर पर। मैट्रिक 1925 में, पंजाब विश्वविद्यालय से। - इंटर 1927 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से । - बी० एससी० 1929 फोरमन कॉलेज, लाहौर, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) - एम० ए० (अंग्रेजी, पूर्वार्ध), लाहौर से । - क्रांतिकारी आंदोलन में गिरफ्तार हो जाने से आगे पढ़ाई रुक गई । - भाषा-ज्ञान: संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी के अतिरिक्त फारसी, तमिल आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था । - व्यक्तित्व एवं स्वभाव: सुंदर, लंबा, गठीला शरीर । सुरुचि, सुव्यवस्था एवं अनुशासनप्रियता । एकांतप्रिय अंतर्मुखी स्वभाव । गंभीर एवं चिंतनशील, मितभाषी । अपने मौन एवं मितभाषण के लिए प्रसिद्ध । पिताजी का तबादला होते रहने के कारण लखनऊ, कश्मीर, लाहौर, पटना, मद्रास आदि स्थानों पर उनके साथ रहने और परिभ्रमण का संस्कार बचपन में ही मिला । - अभिरुचि: बागवानी, पर्यटन, अध्ययन आदि के अलावा दर्जनों प्रकार के पेशेवर कार्यों में दक्षता । फोटोग्राफी, हस्तकला, शिल्प आदि में प्रवीणता । यूरोप, एशिया, अमेरिका सहित कई देशों की साहित्यिक यात्राएँ । - सम्मान एवं पुरस्कार: साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ, सुगा (युगोस्लाविया) का अंतरराष्ट्रीय स्वर्णमाल आदि पुरस्कार । देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में 'विजिटिंग प्रोफेसर' के रूप में आमंत्रित । - पत्रकारिता: - सैनिक (आगरा), विशाल भारत (कोलकाता), प्रतीक (प्रयाग), दिनमान (दिल्ली), नया प्रतीक (दिल्ली), नवभारत टाइम्स (नई दिल्ली) - थॉट, वाक्, एवरीमैंस (अंग्रेजी में संपादन) । - कृतियाँ: - दस वर्ष की अवस्था में कविता लिखनी शुरू की। लेखन हिंदी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं में । बचपन में खखेलने के लिए 'इंद्रसभा' नामक नाटक लिखा । घर में एक हस्तलिखित पत्रिका 'आनंदबंधु' निकालते थे । 1924-25 में अंग्रेजी में एक उपन्यास लिखा था । 1924 में पहली कहानी इलाहाबाद की स्काउट पत्रिका 'सेवा' में प्रकाशित, 1930 के बाद नियमित लेखन । - विपथगा, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप, छोड़ा हुआ रास्ता, लौटती पगडंडियाँ आदि (कहानी संकलन) । शेखर : एक जीवनी (प्रथम भाग 1941, द्वितीय भाग 1944), नदी के द्वीप (1952), अपने-अपने अजनबी (1961) - सभी उपन्यास । - उत्तर प्रियदर्शी (1967) - नाटक । - भग्नदूत, चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, सदानीरा, ऐसा कोई घर आपने देखा है आदि (कविता संकलन) । - अरे यायावर रहेगा याद (1953), एक बूँद सहसा उछली (1961) - यात्रा साहित्य । - त्रिशंकु, आत्मनेपद, आलवाल, अद्यतन, भवंती, अंतरा, शाश्वती, संवत्सर आदि (सभी निबंध). - तार सप्तक (1943), दूसरा सप्तक (1951). तीसरा सप्तक (1959), चौथा सप्तक (1978), पुष्करिणी, रूपांबरा, नेहरू अभिनंदन ग्रंथ आदि (सभी संपादित ग्रंथ) । - शरतचंद्र के श्रीकांत, जैनेंद्र कुमार के त्यागपत्र तथा अपने उपन्यास अपने-अपने अजनबी सहित अनेक कृतियों का अंग्रेजी अनुवाद । रवींद्रनाथ ठाकुर के गोरा का हिंदी अनुवाद ।