Immunization Handbook for Health Workers (2018) PDF
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Summary
This document is a handbook for health workers on immunization practices. It covers topics like vaccination procedures, community engagement, record-keeping, and the management of adverse events. The handbook provides a comprehensive guide that is useful to health workers.
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विषय-सूची x | एक्रोनिम 1 | इकाई 1 : टीकाकरण में स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं का परिचय और उनकी भूमिका 11 | इकाई 2 : टीकारोधक बीमारियों का परिचय 19 | इकाई 3 : राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी और प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.) 29 | इकाई 4 : टीकाकरण के लि...
विषय-सूची x | एक्रोनिम 1 | इकाई 1 : टीकाकरण में स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं का परिचय और उनकी भूमिका 11 | इकाई 2 : टीकारोधक बीमारियों का परिचय 19 | इकाई 3 : राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी और प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.) 29 | इकाई 4 : टीकाकरण के लिए माइक्रोप्लानिगं 69 | इकाई 5 : शीत श्रृंखला (कोल्ड-चेन) प्रबंधन और वैक्सीन-कै रियर का प्रबंधन 81 | इकाई 6 : सरु क्षित इंजेक्शन और वेस्टेज (कचरा) निस्तारण 89 | इकाई 7 : टीकाकरण सत्र का प्रबंधन 109 | इकाई 8 : टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (ए.ई.एफ.आई.) 129 | इकाई 9 : सधु ारात्मक कार्यवाही के लिए रिकॉर्ड, रिपोर्ट और डेटा का उपयोग 137 | इकाई 10 : माँ और शिशु ट्रैकिंग सिस्टम (एम.सी.टी.एस.)/प्रजनन (रिप्रोडक्टीव) और शिशु स्वास्थ्य(आर.सी.एच.) पोर्टल और अनमोल एप्लीके शन 145 | इकाई 11 : टीकाकरण स्तर (कवरेज) बढ़ाने के लिए समदु ाय की भागीदारी 153 | इकाई 12 : टीकारोधक बीमारियों की निगरानी ix Immunization Handbook for Health Workers (2018) एक्रोनिम्स ए.डी.एस. ऑटो डिसएबल सिरिंज ए.ई.एफ.आई. एडवर्स इवेंट्स आफ्टर इम्यूनाइजेशन - टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं ए.ई.एस. एक्यूट एनसेफलाइटिस सिंड्रोम ए.एफ.पी. एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस ए.आई.डी.एस. (एड् स) अक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम - एड् स रोग ए.एन.सी. एंटी-नेटल के यर - प्रसव पूर्व देखभाल ए.एन.एम. औक्सिलिअरी नर्स मिडवाइफ ए.एस.एच.ए.(आशा) एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (आशा) ए.वी.डी. अल्टरनेट वैक्सीन डिलीवरी- वैकल्पिक टीका वितरण ए.डब्ल्यू.सी. आंगनवाड़ी सेंटर - आंगनवाड़ी कें द्र ए.डब्ल्यू.डब्ल्यू. आंगनवाड़ी वर्क र - आंगनवाड़ी कार्य कर्ता बी.सी.जी. बैसिलस कै ल्मेट-गरु िन सी.बी.ओ. समदु ाय आधारित संगठन सी.बी.डब्ल्यू.टी.एफ. कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फै सिलिटी सी.एच.सी. कम्युनिटी हेल्थ सेंटर - सामदु ायिक स्वास्थ्य कें द्र सी.आर.एस. कं जेनिटल रूबेला सिंड्रोम - जन्मजात रूबेला सिंड्रोम सी.पी.सी.बी. सेंट्रल पोल्यूशन कं ट्रोल बोर्ड - कें द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डी.एफ. डीप फ्रीजर डी.आई.ओ. डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन ऑफिसर - जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डी.पी.टी. डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खाँसी), टेटनस डी.टी.एफ.-आई जिला टास्क फोर्स - प्रतिरक्षण ई.डी.डी. एक्सपेक्टेड डेट ऑफ़ डिलीवरी- (प्रसव की संभावित तिथि) ई.ई.एफ.ओ. अर्ली एक्सपीरी फर्स्ट आउट एफ.ए.क्यू. प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न एफ.एल.डब्ल्यू. फ्रं ट लाइन वर्क र जी.एम.पी. गडु मैन्युफै क्चरिंग प्रैक्टिसेज एच.एच.ई. हाइपोटोनिक, हाइपो रेस्पॉन्सिव एपिसोड हिब हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी एच.आई.वी. ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस एच.एम.आई.एस. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली एच.आर.ए. हाई रिस्क एरिया - उच्च जोखिम क्षेत्र एच-टी-एच हाउस टू हाउस - घर-घर (सर्वे) एच.डब्ल्यू. हेल्थ वर्क र- स्वास्थ्य कार्य कर्ता आई.सी.डी.एस. इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेस - एकीकृत बाल विकास सेवाएं x आई.ई.सी. इनफार्मेशन, एजक ु े शन, कम्युनिके शन - सूचना, शिक्षा, संचार आई.एल.आर. आइस लाइन रेफ्रिजरेटर आई.एम. इंट्रा मस्कु लर - मांशपेशियों में आई.पी.सी. इंटर पर्सनल कम्युनिके शन- आपसी संवाद आई.पी.वी. इनएक्टिवेटेड पोलियो वायरस वैक्सीन - (इंजैक्शन से दिया जाने वाला पोलियो टीका) जे.ई. जापानी एन्सेफलाइटिस एल.एच.वी. लेडी हेल्थ विजिटर एल.एम.पी. लास्ट मेंस्ट्रुअल पीरियड - अंतिम मासिक धर्म अवधि एल.एस. लेडी सपु रवाइजर - महिला सपु रवाइजर एल.डब्ल्यू. लिंक वर्क र एम.सी.एच. मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ - मातृ और बाल स्वास्थ्य एम.सी.पी. मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन - मां और बाल संरक्षण एम.सी.टी.एस. मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम एम.ओ. मेडिकल ऑफिसर - चिकित्सा अधिकारी एम.ओ.आई.सी. मेडिकल ऑफिसर इन-चार्ज - प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एम.आर. मीजल्स रूबेला एन.जी.ओ. नॉन-गवर्नमेंटल आर्गेनाईजेशन (गैर सरकारी संगठन) एन.आई.एस. नेशनल इम्यूनाइज़ेशन शेड्यूल - राष्ट्रीय टीकाकरण सूची ओ.पी.वी. ओरल पोलियो वैक्सीन - महु ँ से दिये जाने वाला पोलियो टीका ओ.वी.पी. ओपन वॉयल पालिसी (खल ु ी वॉयल के प्रयोग की नीति) पी.सी.वी. न्युमोकोकल कं जगु ेट वैक्सीन पेंटा पेंटावैलेंट पी.एच.सी. प्राइमरी हेल्थ सेंटर - प्राथमिक स्वास्थ्य कें द्र पी.आई.पी. प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन प्लान पी.आर.आई. पंचायत राज संस्थान पी.डब्ल्यू. गर्भवती महिलाएं आर.सी.एच. रिप्रोडक्टीव और बाल स्वास्थ्य आर.आई. रूटीन इम्यूनाइज़ेशन - नियमित टीकाकरण आर.वी.वी. रोटावायरस टीका एस.सी. सब-सेंटर - उप-कें द्र एस.एच.जी. सेल्फ हेल्प ग्रुप - स्वयं सहायता समूह एस.ओ.पी. स्टैण्डर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर टी.डी. टेटनस डिप्थीरिया टी.टी. टेटनस टाक्साइड यू.एच.सी. अर्बन हेल्थ सेंटर - शहरी स्वास्थ्य कें द्र यू.आई.पी. यूनिवर्स ल इम्यूनाइज़ेशन प्रोग्राम वी.एच.एस.सी. विलेज हेल्थ एंड सैनिटेशन कमेटी - गांव स्वास्थ्य और स्वच्छता समिति वी.एच.एन.डी. विलेज हेल्थ एंड न्यूट्रिशन डे - गांव स्वास्थ्य और पोषण दिवस वी.पी.डी. वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिज़ीज - टीकारोधक बीमारी वी.वी.एम. वैक्सीन वायल मॉनिटर डब्ल्यू.एम.एफ. वेस्टेज मल्टीप्लीके शन फै क्टर डब्ल्यू.पी.वी. वाइल्ड पोलियो वायरस xi Immunization Handbook for Health Workers (2018) प्रभावी टीकाकरण हेतू मार्गदर्शिका में आपका स्वागत है!!! यह पसु ्तक टीकाकरण की गतिविधियों और तकनीकी पहलओ ु ं को बेहतर ढंग से समझने के लिए एवं आवश्यक सभी जानकारियाँ प्रदान करने के लिए बनाई गई है। यह पस्ति ु का आपको आपकी भूमिकाओं और गतिविधियों को समझने में मदद करेगी जिससे सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाना सनिश् ु चित हो सके गा। यह पस्ति ु का न के वल टीकाकरण सत्रों की योजना बनाने में मदद करेगी, बल्कि टीकाकरण से सम्बंधित आपके ज्ञान और आपके कौशल में सधु ार करेगी। यह पस्ति ु का आपकी साथी है और एक संदर्भ पसु ्तक भी है। इकाईयों को रंगीन कोड से सजाया गया है जिससे कि किसी विशेष इकाई पर सीधे जाना आसान हो जाता है। टीकाकरण ट्रेनिंग कार्य क्रम में इस पसु ्तक में दी गयी जानकारी का उपयोग किया जाएगा एवं सभी आवश्यक अभ्यास और संदर्भ सामग्री की जानकारी इसी पस्ति ु का में उपलब्ध है। इस पस्ति ु का के कई विषयों और अध्यायों को मेडिकल ऑफिसर (एम.ओ.) हैंडबक ु के विषयों और अध्यायों के साथ सिन्क्रोनाइज़ किया गया है जिससे आपको एम.ओ. के साथ या मासिक बैठकों में होने वाले चर्चाओं में मदद मिलेगी। xii स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) इकाई 1: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ ं का परिचय और टीकाकरण में उनकी भूमिका शिक्षण के उद्देश्य इस इकाई के अंत में, आप इस योग्य हो जाने चाहिए: z आप टीकाकरण के महत्व और टीकाकरण के स्तर में कमी के कारणों को बता पाएंगे। z आप नियमित टीकाकरण में स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं की जिम्मेदारियों सम्बंधी सूची बनाने में सक्षम हो पाएंगे । विषय वस्तु ¾ टीकाकरण का महत्व और टीकाकरण स्तर में कमी के कारण। ¾ नियमित टीकाकरण में स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं की जिम्मेदारियाँ। 1.1 टीकाकरण और इसका महत्व टीकाकरण वह प्रक्रिया है जिससे किसी व्यक्ति को आमतौर पर टीका (वैक्सीन) दिए जाने के पश्चात उस संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षित या प्रतिरोधी बना दिया जाता है। टीका उस संक्रमण या बीमारी के खिलाफ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करती है एवं व्यक्ति को सरु क्षा प्रदान करती हैI टीकाकरण खतरनाक संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण और उन्मूलन करने के लिए एक उपयक्त ु तरीका है और अनमु ान है कि यह प्रति वर्ष इन बीमारियों से होने वाले 20 से 30 लाख मौतों को रोकता है। यह सबसे अधिक किफ़ायती स्वास्थ्य निवेशों में से एक है एवं अब तक उपयोग में लाई गई रणनीति के द्वारा इसकी पहुचँ अब दर्गु म एवं अतिसंवेदनशील आबादी में भी हैI इसका स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्षित समूह है; इसे आउटरीच सत्रों के माध्यम से प्रभावी ढंग से सभी लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जा सकता है; और टीकाकरण के लिए किसी के भी जीवन शैली में खास बदलाव की आवश्यकता नहीं होती है। दर्गु म और अतिसंवेदनशील आबादी सहित अन्य समदु ाय/क्षेत्र में इससे लाभार्थियों को टीका उपलब्ध कराने के कारण विगत वर्षों में अनगिनत जीवन को बचाया जा सका है। इससे न के वल रोग और विकलांगता की रोकथाम संभव हो सकी है वरन लोग एक स्वस्थ और अधिक उत्पादक जीवन जीने में सक्षम हुए हैं। प्रत्येक टीका एक खास बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करता हैI इसलिए, बच्चों और महिलाओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। भारत का यूनिवर्स ल टीकाकरण कार्य क्रम (यू.आई.पी.) दनिय ु ा का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्य क्रम है। इस कार्य क्रम के द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 2.7 करोड़ नवजात शिशओ ु ं को सभी प्रारंभिक खरु ाक और 10 करोड़ 1 - 5 वर्ष के बच्चों को बूस्टर खरु ाक देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष करीब 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टी.टी. टीकाकरण के लिए लक्ष्य रखा गया है। लाभार्थियों को टीका लगाने के लिए प्रत्येक वर्ष 90 लाख टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश गांव के स्तर पर होते हैं। लाभार्थी कौन है? आपके क्षेत्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लाभ प्राप्त होने चाहिए। इसमें अस्थायी रूप से आपके उप-कें द्र क्षेत्र में रहने वाली सभी अप्रवासी आबादी भी शामिल होने चाहिए, भले ही वे आपकी सूची या रिकॉर्ड में न हों। 2 इकाई 1 1.2 भारत में टीकाकरण कार्यक्रम की प्रमख ु उपलब्धियाँ पिछले कुछ वर्षों में भारत में टीकाकरण कार्य क्रम और विकसित हुआ है, कई नए टीकों को टीकाकरण सारणी में सम्मिलित किया गया है और कई उपलब्धियाँ हासिल की गई हैंं । स्वास्थ्य कार्य कर्ता , ए.एन.एम., आशा और आंगनवाड़ी कार्य कर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में इन उपलब्धियों को हासिल करने और उन्हें बनाए रखने में लगातार योगदान देते हैं। यह प्रणाली कै से विकसित हुई तथा टीकाकरण की कुछ महत्वपूर्ण कार्य क्रमों और घटनाओं को जानने के लिए नीचे तालिका 1.1 देखें। तालिका 1.1 यू.आई.पी. के तहत प्रमख ु उपलब्धियाँ 1978 टीकाकरण का विस्तारित कार्य क्रम (एक्स्पैंडेड प्रोग्राम ऑन इम्युनाइजेशन) बी.सी.जी., डी.पी.टी., ओ.पी.वी., टाइफाइड (शहरी क्षेत्र) 1983 गर्भवती महिलाओं के लिए टी.टी. वैक्सीन 1985 यूनिवर्स ल टीकाकरण कार्य क्रम (यू. आइ.पी.) - खसरे को शामिल किया गया, टाइफाइड को हटा दिया गया, 1 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर ध्यान कें द्रित किया गया 1990 विटामिन-ए की पूरक खरु ाक 1995 राष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण दिवस 1997 यू.आई.पी. में टीकों पर वी.वी.एम. की शरुु आत की गई 2005 z राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का शभु ारम्भ हुआ z (ऑटो डिसएबल - ए.डी. सिरिंज को यू.आई.पी. में उपयक्त ु किया गया 2006 जे.ई. प्रभावित जिलों में, अभियान के पश्चात जे.ई. के टीका को नियमित टीकाकरण में लागू किया गया 2007-08 हेपेटाइटिस बी (टीका) को 10 राज्यों के सभी जिलों में आरम्भ किया गया और इसकी सारणी को 3 खरु ाक से 4 खरु ाक में संशोधित किया गया 2010 खसरे की दूसरी खरु ाक को नियमित टीकाकरण एवं 14 राज्यों में खसरा/खसरा रुबैला टीकाकरण अभियान के द्वारा आरम्भ किया गया 2011 z हेपेटाइटिस बी टीके को पूरे देश में और हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी टीके को 2 राज्यों में पेंटवालेन्ट के रूप में आरम्भ किया गया z यू.आई.पी. में टीकों के लिए ओपन वॉयल पॉलिसी लागू की गयी 2013 z पेंटावेलेन्ट टीके का 9 राज्यों में विस्तार किया गया z जे.ई. टीके की दूसरी खरु ाक का आरम्भ किया गया 2014 भारत सहित दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों को पोलियो-मक्त ु प्रमाणित किया गया 2015 z भारत को मातृ और नवजात टेटनस उन्मूलन के लिए प्रमाणित किया गया z पेंटावैलेन्ट के टीके को सभी राज्यों में विस्तारित किया गया z आई.पी.वी. को आरम्भ किया गया 2016 z 4 राज्यों में रोटावायरस टीके को प्रारम्भ किया गया z टी.ओ.पी.वी. से बी.ओ.पी.वी. का स्विच किया गया z आंशिक आई.पी.वी. को चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया z रोटावायरस टीका को अन्य राज्यों में आरम्भ किया गया (चरणबद्ध प्रारंभ) 2017 z एम.आर. टीका का प्रारंभ (चरणबद्ध प्रारंभ) z पी.सी.वी. (चरणबद्ध प्रारंभ) z ए.एन.एम. द्वारा एनाफिलैक्सिस के लिए एड्रीनालिन की आई.एम. खरु ाक दिए जाने की शरुु आत 3 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) 1.3 नियमित टीकाकरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ ं की जिम्मेदारियां स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं के रूप में आप माताओं और बच्चों को टीकाकरण सेवाएं प्रदान करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्य क्रम के अनस ु ार, आपसे सभी योग्य शिशओ ु ं और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने की उम्मीद की जाती है। आपकी जिम्मेदारियों को निम्नलिखित शीर्षकों के तहत वर्णन किया जा सकता है: क) टीकाकरण के लिए कार्य योजना बनाना ख) शीत श्रृंखला का प्रबंधन करना ग) वैक्सीन कै रियर और अन्य टीकाकरण सामग्रियों को सत्र स्थल पर प्राप्त करना घ) टीकाकरण सत्र की तैयारी और आयोजन करना ड़) लाभार्थियों के अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित करना च) रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिं ग और ड्रॉप आउट के मामलों का पता लगाना छ) आशा और आंगनवाड़ी की कार्य कर्ता ओ ं को प्रशिक्षित कर उनकी कार्य क्षमता का विस्तार करना ज) आई.सी.डी.एस. पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय स्थापित करना प्रत्येक शीर्षक के अंतर्गत दी गयी सूची आपको लाभार्थियों को सही ढंग से और समय पर टीकाकरण करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं और गतिविधियों को समझने में सहायता करेंगी। शीत-श्रृंखला प्रबंधन जैसे कुछ शीर्षक आपको टीकों को देते समय बरतने वाले महत्वपूर्ण सरु क्षा और गणु वत्ता सम्बन्धी गतिविधियों को याद दिलाने में सहायक होंगे। क) टीकाकरण के लिए योजना बनाना वर्ष में एक बार: घर-घर सर्वे और हेड काउंट सहित नए नियमित टीकाकरण सूक्ष्म कार्य योजना को बनाने में सक्रिय रूप से भाग लें: सनिश् ु करें; फॉर्म 1; ु चित करें कि सभी क्षेत्रों को सूची में शामिल किया गया है, गाँवों और एच.आर.ए. की मास्टर सूची की पष्टि उपके न्द्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गाँवों, शहरी क्षेत्र के टोला, फलिया, मंजरा, परु ा, टपरा मोहल्ला, दर्गु म इलाकों आदि के नाम सहित मानचित्र तैयार करें जो कि आशा और आंगनवाड़ी के सीमा और क्षेत्र को दिखाते हैं; फॉर्म 2; सनिश् ु चित करें कि प्रवासी आबादी, अस्थायी बस्तियों को भी सूचीबद्ध किया गया है और मानचित्र में शामिल किया गया है; घर-घर सर्वे और हेड काउंट के द्वारा वास्तविक आबादी और लाभार्थी की गणना प्रदान करें; फॉर्म 3, 4 और 5; सत्र योजना, टीका और अन्य सामग्री गणना के लिए आवश्यक जानकारी जटु ाएं। फॉर्म 6 और 7. प्रत्येक छ: महीने में: घर-घर सर्वे और हेड काउंट का संचालन करें। आई.सी.डी.एस. और अन्य विभागों के समन्वय में से की गयी गतिविधि निम्न तरीके से मदद करेगी: नई टीकाकरण सत्र स्थल की पहचान करना या मोविलाइजेशन पर ध्यान के न्द्रित करने पर (फॉर्म 1 में जोड़ें) और; प्रभावी मोविलाइजेशन के लिए लाभार्थियों की सूचि को अपडेट करें (फॉर्म 3, 4 और 5 में जोड़ें)। हर तीन महीने में-- आर.आई. माइक्रोप्लान की समीक्षा में भाग लेकर-- उन उप-कें द्रों की कार्य योजनाओं को अपडेट करें जहां ए.एन.एम. छुट्टी पर हैं या रिक्त हैं, और; 4 इकाई 1 वैक्सीन डिलीवरी में किये गए परिवर्त न और नए क्षेत्रों – घमु न्तु परिवारों/एच.आर.ए. को शामिल करने तथा माँनिटरिंग में पाए गए मद्ु दों पर प्रतिक्रिया देना। हर महीने: उप-कें द्र पर: आशा/आंगनवाड़ी कार्य कर्ता के साथ पिछले महीने आयोजित सभी सत्रों की ड् यू-लिस्ट की समीक्षा करें; आवश्यकता अनस ु ार ट्रैकिंग बैग का उपयोग और काउंटरफॉइल्स को नियत खाने में रखें (पष्ठृ 126 देखें) लेफ्टआउट और ड्रॉपआउट की गणना के लिए कवरेज निगरानी चार्ट को अपडेट करें; पी.एच.सी. में सेक्टर मेडिकल ऑफिसर (एम.ओ.) के साथ महत्वपूर्ण समस्याओं को साझा करें, ताकि एम.ओ. आपके उप-कें द्र में जाने और आपको सहायता देने की योजना बना सके । प्रत्येक आर.आई. सत्र के बाद आशा/आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की निम्न गतिविधियों में मदद लें: आयोजित सत्र की ड् यू-लिस्ट की समीक्षा करें और; ड्रॉपआउट/लेफ्टआउट वाले लाभार्थियों की पहचान करें और मोबिलाइजेशन के लिए अगले सत्र की ड् यू-लिस्ट में उनके नाम दर्ज करें; टीकाकरण पश्चात होने वाले मामूली प्रतिक्रियाओं या ए.ई.एफ.आई. की पहचान करने के लिए लाभार्थियों के घर का विज़िट सनिश् ु चित करें; नवजात शिश/ु गर्भवती महिलाओं की पहचान कर अगली ड् यू-लिस्ट में शामिल करने के लिए आशा को निर्देशित करें; क्षेत्र विज़िट के दौरान इन घरों पर जाने और टीकाकरण के लाभार्थियों को याद दिलाने के लिए आशा मोबिलाइज़र को निर्देशित करें। ख) शीत-शख ्रृं ला का प्रबंधन करना (यदि लागू हो) शीत-श्रृंखला स्थल पर वैक्सीन और शीत-श्रृंखला संचालक के रूप में आप निम्नांकित के लिए ज़िम्मेदार हैं: शीत-श्रृंखला उपकरणों का दैनिक रखरखाव और सफाई; दिन में दो बार आइ एल आर. एवं डीप फ्रीज़र का तापमान रिकॉर्डिंग; मासिक वैक्सीन और अन्य सामग्री की माँग, प्राप्ति और भंडारण; माइक्रोप्लान के अनस ु ार अन्य शीत श्रृंखला स्थल/सत्र स्थल को वैक्सीन का वितरण; वैक्सीन और अन्य सामग्री के लिए स्टॉक और इश्यू रजिस्टरों का समयानस ु ार अपडेट ; ख़राब हुए शीत-श्रृंखला उपकरणों की त्वरित रिपोर्टिं ग; मासिक वैक्सीन उपयोग एवं अपव्यय की गणना; ई.वी.आई.एन. (इवीन) के दिशा-निर्देशों का संज्ञान लेना और उनका पालन करना (यदि आपके राज्य में प्रारंभ किया गया है)। ग) वैक्सीन कै रियर और अन्य सामग्री प्राप्त करने पर या टीकाकरण सत्र स्थल पर, आपको निम्न कार्य करने हैं-- सनिश् ु चित करें कि वैक्सीन को चार कं डीशन्ड आइस पैक के साथ वैक्सीन कै रियर में लायी गयी है; सनिश् ु चित करें कि वैक्सीन कै रियर को छाँव में रखा जाए और बार-बार खोला नहीं जाए; उपयोग से पहले वैक्सीन वॉयल के लेबल पर छपी एक्सपायरी की तारीख और वी.वी.एम की जाँच करें; सनिश् ु चित करें कि ओपन वॉयल पॉलिसी लागू होने वाली वॉयल पर लेबल खोलने की तारीख और समय पठनीय हैं; जांचें कि टी-सिरीज़ वैक्सीन और हेपेटाइटिस बी के टीके जमे हुए तो नहीं हैं; ओपेन वॉयल पॉलिसी के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें; जांचें कि आवश्यक डाइल्युऐन्ट अलग बैग और शीत-श्रृंखला में रखा गया है; 5 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) सनिश् ु चित करें कि सिरिंज की आवश्यक संख्या उपलब्ध है; ए.ई.एफ.आई./एनाफिलैक्सिस किट में चेकलिस्ट के अनस ु ार सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध हैं। घ) टीकाकरण सत्र की तैयारी और संचालन सत्र के लिए उचित स्थान का चयन करें; आवश्यक उपकरण और आपूर्ति की व्यवस्था करें; लाभार्थियों की ड् यू-लिस्ट की समीक्षा करें और इसे लाभार्थियों को सत्र में लाने के लिए आशा एवं आंगनबाड़ी कार्य कर्ता से साझा करें और टीकाकरण सत्र स्थल की व्यवस्था में आपकी सहायता करने के लिए आंगनवाड़ी और आशा कार्य कर्ता को प्रेरित करें; समदु ाय के प्रभावी व्यक्तियों और नेताओं को उनका सहयोग पाने के लिए शामिल करें; टीका लगाने से पहले पूर्व में दिए गए टीके और संभावित प्रतिकूल प्रभाव के लिए शिशु का आकलन करें; टीकों को तैयार करने और पनु र्गठन के लिए कीटाणहु ीन तकनीक का उपयोग करें; पनु र्गठन के बाद वैक्सीन वायल के लेबल पर पनु र्गठन की तिथि और समय लिखें; प्रत्येक टीके के दौरान ए.डी. सिरिंजो का उपयोग करें; शिशओ ु ं के अभिभावकों को टीकाकरण के दौरान शिशु को स्थिर और आरामदायक रखने के लिए सही स्थिति का वर्णन करें; टीका लगाने हेतु सही तकनीक का उपयोग करें; सत्र की समाप्ति के बाद खल ु ी वायल को ओपन वॉयल पॉलिसी के दिशा-निर्देशों के आधार पर स्टोर करें; सत्र स्थल का नाम और दिनांक के साथ खल ु े वायलों की अलग पैकिंग सनिश् ु चित करें; वैक्सीन कै रियर को पैक करें और टीकों को आइ.एल.आर. में वापस करें; टीकाकरण कचरे के निस्तारण हेतु दिशा-निर्देशों के पालन करें। ड़) लाभािर्थयों के अभिभावकों के साथ संवाद स्थािपत करना प्रारंभ में लाभार्थियों के अभिभावकों का मित्रवत अभिवादन करें। टीकाकरण सत्र पर आने के लिए और यदि उन्हें इंतजार करना पड़ा है तो उनके धैर्य के लिए धन्यवाद दें; देखभाल करने वालों से पूछें कि उनके पास कोई प्रश्न है, यदि है तो और उन्हें विनम्रतापूर्वक जवाब दें। मलू ्यांकन के दौरान - मखु ्य संदेश समझाएं कि कौन सा टीका दिया जाएगा और यह किस बीमारी से बचाता है; टीकाकरण के बाद संभावित प्रतिकूल घटनाओं (मामूली ए.ई.एफ.आई.) से बचने और इनसे निपटने के बारे में समझाएं; टीकाकरण सारणी के अनस ु ार शिशु को सभी टीके समयानस ु ार लगे ताकि शिशु पूरी तरह से सरु क्षित रहें, इसकी आवश्यकता को समझाएं। टीकाकरण कार्ड पर अगली टीकाकरण की तारीख लिखें और लाभार्थी के अभिभावक को बताएँ; अभिभावक को याद दिलाएं कि जब वे अगले टीकाकरण के लिए शिशु को वापस लाएंगे तो टीकाकरण कार्ड भी अवश्य लायें; टीकाकरण के पश्चात् सत्र स्थल पर 30 मिनट तक इंतजार करने के महत्व का वर्णन करें; टीके का नाम जांचें और सनिश् ु चित करें कि सही टीका दिया जा रहा है। टीकाकरण के पश्चात किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के निरीक्षण के लिए लाभार्थियों को टीकाकरण के बाद आधे घंटे तक सत्र स्थल पर ही इंतजार करने के लिए कहें; समझाएं कि हल्के बख ु ार और मामूली प्रतिक्रियाओं का इलाज कै से करें और यदि आवश्यक हो तो आशा/आंगनवाड़ी कार्य कर्ता 6 इकाई 1 से संपर्क करें; अभिभावक को याद दिलाएं कि शिशु के साथ सत्र स्थल पर अगले टीके के लिए कब वापस आना है; सत्र के समय वैक्सीन के उपलब्ध ना होने की स्थिति में अभिभावक को सचित ू करें कि अगली खरु ाक के लिए कहां और कब आना है; अभिभावक से पूछें कि उनके पास कोई प्रश्न है, यदि है तो उन्हें विनम्रतापूर्वक जवाब दें। च) रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिं ग और ड्रॉप आउट मामलों का पता लगाना सभी टीकाकरण को ड् यू-लिस्ट-सह-टैली-शीट, टीकाकरण कार्ड और टीकाकरण रजिस्टर में रिकॉर्ड करें; कार्ड पर टीकाकरण की तारीख लिखें, यदि शिशु को अगली खरु ाक की आवश्यकता है तो कार्ड पर अगली ड् यू-डेट को चिह्नित करेंI यह सनिश् ु चित करें कि अभिभावक यह समझता है कि टीका(ओं) के अगले खरु ाक(कों) के लिए कब और कहाँ आना है; टीकाकरण कार्ड के काउंटर फॉइल को सही से भरकर ट्रैकिंग बैग में रखें; आंगनवाड़ी और आशा कार्य कर्ता के साथ ड्रॉपआउट की सूची साझा करें और सनिश् ु चित करें कि वे उन्हें टीके दिलवाना सनिश् ु चित करें; उप-कें द्र में टीकाकरण कवरेज निगरानी चार्ट तैयार कर उचित रखरखाव करें; टीबी, डिप्थीरिया, काली खाँसी, नवजात टेटनस, खसरा/खसरा रुबैला, ए.ई.एस. (दिमागी बख ु ार) और ए.एफ.पी. (अचानक लंज- पूज ं लकवाग्रस्त) सम्बंधी सभी संदिग्ध मामलों के बारे में चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें; ब्लॉक ए.ई.एफ.आई. रजिस्टर में सभी ए.ई.एफ.आई. की रिकॉर्डिंग सनिश् ु चित करें। छ) आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ ं को प्रशिक्षित कर उनकी कार्य क्षमता का विस्तार करना टीकाकरण योजना के लिए - उन्हें निम्नांकित में प्रशिक्षित करें: राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी का वर्णन करने और प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफ.ए.क्यू.) का जवाब देने में; हेड काउंट करने और लाभार्थी सूची बनाने के लिए घर-घर सर्वेक्षण करने में; एच.आर.ए. और अति संवेदनशील आबादी सहित सभी गाँवों/क्षेत्रों की मास्टर सूची को अंतिम रूप देने में योगदान देने में; आशा, आंगनवाड़ी/एल.डब्लू./ सर्वेयर के बीच क्षेत्र सीमांकन की पष्टि ु करने में; प्रत्येक क्षेत्र के लिए मानचित्र बनाने में सहायता करने में; लाभार्थी ड् यू-लिस्ट तैयार करने में; गांव में सत्र स्थल के चयन, उसक दिन और समय की योजना बनाने में सहायता करने में; हर महीने ए.एन.एम. के साथ क्षेत्र के नवजात बच्चों की सूची साझा करने में; प्रत्येक सत्र स्थल और उप-कें द्र क्षेत्र के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों का सझ ु ाव देने में; टीकाकरण तिथि और स्थल की सूचना लाभार्थियों को देने के लिए घरों का विज़िट करने में; सभी संदिग्ध वैक्सीन-रोधी बिमारियों (वी.पी.डी.) की रिपोर्ट करने में। टीकाकरण सत्र के प्रबंधन के लिए - उन्हें निम्नांकित में प्रशिक्षित करें: टीकाकरण सत्र स्थल की स्थापना में सहायता करने में; सभी लाभार्थियों को लाभार्थी ड् यू-लिस्ट के अनस ु ार सत्र स्थल पर लाया गया है, यह सनिश् ु चित करने में; टीकाकरण सत्र आयोजित करने में सहायता करने में (जैसे कि भीड़ को नियंत्रित करना, रिकॉर्डिंग आदि में सहायता करना); अभिभावक को टीकाकरण के बारे में 4 महत्वपूर्ण संदशे ों को याद दिलाने में; टीकाकरण पश्चात् सत्र-स्थल पर लाभार्थियों को 30 मिनट तक इंतजार करना सनिश् ु चित करने में; अगले सत्र के लिए ड् यू-लिस्ट की तैयारी में सहायता करने में। 7 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) टीकाकरण पश्चात् फॉलो-अप के लिए - उन्हें निम्नांकित में प्रशिक्षित करें: किसी भी ए.ई.एफ.आई. की रिपोर्ट करने, जैसे कि टीकाकरण के बाद तेज बख ु ार, किसी भी एलर्जी या मिर्गी के दौरों के मामले की ए.एन.एम. को सूचना और उसके उपचार को सनिश् ु चित करने में; ड्रॉपआउट और लेफ्टआउट के घरों पर जाकर माताओं को उनके बच्चों को टीकाकरण करवाने के लिए परामर्श देने में; किसी भी सलाह या प्रश्न के लिए आपसे संपर्क करने के लिए प्रेरित करने में। ज) आई.सी.डी.एस. पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय स्थापित करना टीकाकरण कार्य योजना बनाने में जानकारी के निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग करें: गाँवों/शहरी क्षेत्रों/वार्ड सहित गाँवों की सूची और मानचित्र; 0-6 साल के बच्चों को रजिस्टर, योग्य दंपति रजिस्टर, आदि; वी.एच.एन.डी. माइक्रोप्लान; आंगनवाड़ी/हेल्पर सूची; पंचायत रिकॉर्ड या सूचियां। आई.सी.डी.एस. पर्यवेक्षकों को निम्नांकित के लिए शामिल करें: आंगनवाड़ी द्वारा किए गए घर-घर सर्वे की जाँच के लिए क्षेत्र विज़िट के लिए; फॉर्म 3, 4 और 5 के भरने का पर्यवेक्षण करने के लिए; उप-कें द्र में बैठक के दौरान सभी सर्वेक्षण प्रपत्रों और उप-कें द्र माइक्रोप्लान की समीक्षा में सहयोग देने के लिए; टीकाकरण कार्य क्रमों की संयक्त ु योजना, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए स्वास्थ्य और आई.सी.डी.एस. क्षेत्र की सीमाओं से अवगत कराने के लिए; प्रचार-प्रसार की कार्ययोजना बनाने में योगदान देने के लिए; आंगनवाड़ी कार्य कर्ता ओ ं के नियमित रूप से टीकाकरण मोबिलाइजेश में प्रशिक्षण को सनिश् ु चित करने के लिए। 1.4 टीकाकरण के निम्न स्तर में कमी के कारण टीकाकरण का कम कवरेज़ पूरे समदु ाय और क्षेत्र को बीमारी होने के खतरे में डाल देता है। टीकाकरण के स्तर में कमी का कारण ड्रॉप-आउट या लेफ्ट-आउट हो सकता है। ड्रॉप-आउट - वैसे लाभार्थी जो एक या एक से अधिक टीके लेकर अगले टीके के लिये नहीं आते हैं, जिससे उनका टीकाकरण अधूरा रह जाता है I लेफ्ट-आउट - वैसे लाभार्थी जिन्हें पहचान या सूचीबद्ध नहीं किया गया है और वे कोई टीका प्राप्त नहीं कर पाए हैं। टीकाकरण के स्तर को प्रभावित करने वाले कई कारण हैं। नीचे दी गई तालिका में कुछ राज्यों में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा पहचाने गए कुछ कारण सूचीबद्ध हैं। 8 इकाई 1 तालिका 1.2 टीकाकरण कवरेज़ को प्रभावित करने वाले कारण-- टीकाकरण सेवाएं z खाली उप-कें द्र (कुछ क्षेत्र टीकाकरण सेवाओं के बिना हैं) z बच्चों की कमजोर ट्रैकिंग (बड़ी संख्या में बच्चों का ड्रॉपआउट और लेफ्ट आउट) z सत्रों के निश्चित समय पर ही होना (कुछ समदु ायों के लिए उपयक्त ु नहीं) z टीकों, डाइल्युऐन्ट, ए.डी. सिरिंज, हब-कटर, टीकाकरण कार्ड आदि का अनपु लब्धता कर्मचारियों की स्थिति z ए.एन.एम. और डॉक्टरों की रिक्तियां z ए.एन.एम. के अनियोजित पोस्टिंग प्रशिक्षण z एम.ओ. द्वारा पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन की कमी z नियमित प्रशिक्षण और रिफ्रे शर प्रशिक्षण की कमी z प्रशिक्षकों की अनपु लब्धता और प्रशिक्षण की गणु वत्ता योजना z कमजोर आर.आई. माइक्रोप्लान या उसकी अनपु लब्धता क्षेत्रों का भौतिक सत्यापन नहीं किया जाना z आर.आई. माइक्रोप्लानिंग में एम.ओ. की भागीदारी की कमी z एकीकृ त बाल विकास सेवाओं (आई.सी.डी.एस.) और शहरी निकायों जैसे अन्य विभागों की भागीदारी की कमी z शहरी-क्षेत्र की योजना बनाने में कठिनाइयाँ सामदु ायिक भागीदारी एवं z समदु ाय में टीकाकरण के बारे में कम समझ और ग़लतफहमी (कमजोर पारस्परिक संवाद कौशल या समदु ाय प्रचार-प्रसार के सदस्यों से मिलने के प्रयासों में कमी) z चार महत्वपूर्ण संदशे ों का नहीं दिया जाना (मामूली प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं और ए.ई.एफ.आई. सम्बंधी मद्ु दों को हल नहीं करना) z प्रचार-प्रसार सम्बंधी सामग्रियों को सत्र-स्थल पर प्रदर्शित नहीं किया जाना उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त, भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारण भी समदु ाय की सोच पर प्रभाव डालते हैं और टीकाकरण के कवरेज़ को प्रभवित करते हैं। 9 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) इकाई 2: टीकारोधक बीमारियों का परिचय शिक्षण के उद्देश्य इस इकाई के अंत में आप इस योग्य हो जाने चाहिए: z आप उन रोगों की सूची बना सकें गे जिनकी रोकथाम यूनिवर्स ल टीकाकरण कार्य क्रम (यू.आई.पी.) से की जा सकती है। z आप यह बता पाएंगे की ये रोग कै से फै लते हैं और कै से इनकी पहचान और रोकथाम की जा सकती है? विषय वस्तु ¾ यनिवर्स ु ल टीकाकरण कार्य क्रम के जरिये रोकथाम किये जा सकने वाले रोग। ¾ ये रोग कै से फै लते हैं और कै से इनकी पहचान और रोकथाम की जा सकती है। यूनिवर्स ल टीकाकरण कार्य क्रम के तहत लक्षित टीकारोधक बीमारियाँ निम्नलिखित हैं: 1. तपेदिक (टीबी) निमोनिया और अन्य) 2. हेपेटाइटिस बी 8. रोटावायरस जनित डायरिया 3. पोलियो 9. न्यूमोकोकल रोग एवम् न्यूमोकोकल जनित निमोनिया 4. गलघोंटू (डिप्थीरिया) 10. खसरा/खसरा रुबैला (मीजल्स) 5. काली ख़ासी (पर्टुसिस) 11. रूबेला 6. टेटनस 12. जापानी एन्सीफै लाइटिस 7. हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संबधित ं रोग (मेनिंजाइटिस, 2.1 तपेदिक (टीबी) तपेदिक यानि टीबी एक जीवाणु (माइकोबैक्टेरियम ट् यूबरक्लोसिस) के कारण होता है। यह मखु ्यतः फे फड़ों को प्रभावित करता है लेकिन हड् डियों, जोड़ों और मस्तिष्क सहित शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी से गंभीर बीमारी और मौत तक हो सकती है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? z ऐसा बच्चा जिसे 2 सप्ताह से अधिक समय से बख ु ार और/या खांसी हो, तथा जिसके वजन में गिरावट हो/वजन में वद्ृ धि न हो; तथा z ऐसा बच्चा जिसका संपर्क ऐसे व्यक्ति से हुआ हो जिसमे विगत 2 वर्षों से सक्रिय टीबी होने की पष्टि ु या शक हो। ख) यह रोग कै से फैलता है? जब कोई व्यक्ति, टीबी से पीड़ित किसी दूसरे व्यक्ति की खांसी या छींक के कणों के संपर्क में आता है तो इससे उसे टीबी हो सकती है। टीबी खासतौर से उन क्षेत्रों में तेजी से फै लती है जहां लोग अधिक भीड़ वाली जगहों में रह रहे हैं, स्वास्थ्य संबधं ी सविध ु ाओं की पहुचँ नहीं है और/ या वे कुपोषित हैं। टी.बी. का एक अन्य प्रकार जिसे बोवाईन टी.बी. कहते हैं, मवेशियों का कच्चा दूध बिना उबाले पीने से होती हैI ग) इस रोग की रोकथाम कै से की जा सकती है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार बैसिलस कालमेट-ग्यूरिन (बी.सी.जी.) का एक टीका बचपन में होने वाली टीबी के गंभीर रूपों की रोकथाम कर सकता है। 12 2.2 हेपेटाइटिस-बी हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण एक विषाणु के कारण होता है जो लीवर (यकृत) को प्रभावित करता है। जो शिशु जन्म के दौरान या एक वर्ष की इकाई 2 उम्र से पहले संक्रमित हो जाते हैं, उनमें से 90% दीर्घकाल रूप से रोग से प्रभावित हो जाते हैंI यह एक अत्यंत संक्रामक (एच.आई.वी. से 50-100 गनु ा अधिक संक्रामक) रोग है और यह पीलिया, सिरोसिस या लीवर कैं सर होने का एक प्रमख ु कारण है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? यह एक घातक बीमारी है जिसके लक्षणों में मखु ्यतः प्रखर रूप से पीलिया, गहरा (पीला) मूत्र, भूख ना लगना (एनोरेक्सिया), बेचैनी, अत्यंत थकान और पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द होना आदि शामिल होते हैं। ख) यह रोग कै से फैलता है? यह रोग संक्रमित रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के संपर्क में आने से निम्नांकित स्थितियों में फै लता है: क) जन्म के दौरान मां से बच्चे में; ख) बच्चों की आपसी सामाजिक क्रिया-कलापों के दौरान कटने, छिलने, काटने और/या खरोंच लगने से; ग) असरु क्षित यौन संबधं से; और घ) सइु यों के असरु क्षित इस्तेमाल और/या रक्त आधान (ट्रांसफ्यूजन), या संक्रमित सईु के दर्घु टनावश चभु ने के कारण। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार, बच्चों को हेपेटाइटिस-बी (पेंटावैलेन्ट वैक्सीन में निहित) के टीके के द्वारा रोग के संक्रमण और इसकी जटिलताओं की रोकथाम संभव है। 2.3 पोलियोमाइलाइटिस पोलियोमाइलाइटिस पोलियो, पोलियो-वायरस 1, 2 या 3 के संक्रमण से होने वाला एक अति संक्रामक रोग है। यह मखु ्य रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। यह वायरस मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाले रीढ़ की तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है और प्रत्येक 200 पोलियो संक्रमणों में से एक संक्रमण में असाध्य लकवा का कारण बन जाता है। भारतवर्ष 2011 से पोलियो-मक्त ु है। जब तक पूरी दनिय ु ा पोलियो मक्त ु नहीं हो जाती तब तक यह महत्वपूर्ण है कि सभी पोलियो प्रतिरक्षण और टीकाकरण अभियान जारी रहेंगे। क) इस रोग की पहचान कै से करें? 15 वर्ष की आयु तक के बच्चे में शरीर के किसी भी भाग में अचानक कमजोरी और लकवे के लक्षण या किसी भी आयु वर्ग के एक वयक्ति में जिसमें पोलियो का शक है। ख) यह रोग कै से फैलता है? पोलियो एक व्यक्ति के मल से निकले विषाणु का दूसरे व्यक्ति के मख ु में विषाणु प्रवेश करने से फै लता है। अस्वच्छ जगहों में जब लोग मल-दूषित भोजन या पानी का सेवन करते हैं तो यह विषाणु मख ु के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय-टीकाकरण सारणी के अनस ु ार ओरल पोलियो वैक्सीन (ओ.पी.वी.) और इन्एकटीवेटेड पोलियो वैक्सीन (आई.पी.वी.) का टीका प्रभावी ढंग से संक्रमण को रोक देता है। 13 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) घ) ए.एफ.पी. (एक्यूट फ्लासीड परालििसस) को अभी भी क्यों सूचित किया जाना चाहिए? यद्यपि भारत पोलियो-मक्त ु हो गया है, लेकिन विश्व अभी तक मक्तु नहीं हुआ है और तब तक यह आवश्यक है कि सभी ए.एफ.पी. के मामलों की सूचना दी जाए। पोलियो की निगरानी जारी रखनी चाहिए ताकि यह सनिश् ु चित किया जा सके कि पोलियो वायरस के पनु ः प्रवेश होने पर हम मामलों का शीघ्र पता लगाने एवं रोकथाम करने में सक्षम हो सकें । 2.4 गलघोंटू (डिप्थीरिया) डिप्थीरिया या गलघोंटू एक जीवाणु (कोराईनबैक्टीरियम डिप्थीरिया) के संक्रमण से होने वाला रोग है। डिप्थीरिया एक ऐसा संक्रामक रोग है जो आम तौर पर गले और टॉन्सिल को प्रभावित करता है जिससे एक ऐसी झिल्ली बन जाती है जो सांस लेने में रुकावट पैदा करती है और जिससे मौत भी हो सकती है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? यह ऊपरी श्वसन मार्ग में निम्नलिखित लक्षण पैदा करता है: गले में खराश या आवाज बैठ जाना या खाना निगलने में दर्द होना तथा ग्रसनी और/या नाक में झिल्ली का बन जाना। ख) यह रोग कै से फैलता है? डिप्थीरिया के जीवाणु संक्रमित व्यक्ति के मंहु , नाक और गले में रहते हैं। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फै लता है। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार डी.पी.टी. (पेन्टावैलेन्ट टीके में निहित) डी.पी.टी. बूस्टर एवं टी.डी की बूस्टर खरु ाक रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है। 2.5 काली खांसी (पर्टुसिस) पर्टुसिस या काली खांसी, मंहु , नाक और गले में रहने वाले बोर्डेटेला पेर्टुसिस जीवाणु के संक्रमण से होने वाली श्वासनली की एक बीमारी है। यह अति संक्रमणीय बीमारी है जिसका लक्षण बार-बार खांसी आना है और यह खासकर नवजात शिशओ ु ं और छोटे बच्चों में निमोनिया और अन्य जटिलताओं के साथ मतृ ्यु तक का कारण बन सकती है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? ऐसा वयक्ति जिसे कम-से-कम दो सप्ताह से खांसी हो एवं निम्नलिखित में से कोई एक लक्षण मौजूद हों: क) खांसी के दौरे का उठना; ख) हूपिगं (हूहू करते हुए) श्वास क्रिया का होना; ग) खांसी के बाद तरु तं उल्टी का आना; घ) अन्य स्पष्ट कारणों के बिना खांसी का होना। ख) यह रोग कै से फैलता है? खांसने या छींकने के दौरान उत्पन्न सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से काली खांसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फै लता है। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार डी.पी.टी. (पेन्टावैलेन्ट टीका में निहित) के टीके और डी.पी.टी. के बूस्टर काली खांसी से बचाव करते हैं । 2.6 टेटनस टेटनस क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी जीवाणु (जो हर जगह मिट्टी में मौजूद होता है) के संक्रमण से होता है। इस जीवाणु से संक्रमण तब होता है जब मिट्टी घाव या कटी-फटी त्वचा में प्रवेश करती है। बैक्टीरिया मांसपेशियों में, दर्दनाक ऐ ंठन पैदा करती है जो मतृ ्यु का कारण बन सकता है। नियोनेटल टेटनस (नवजात शिशओ ु ं में) और मैटरनल टेटनस (माताओं में) उन क्षेत्रों की एक गंभीर समस्या है जहां रोगाणहु ीन माहौल के बिना 14 ही घर पर प्रसव कराया जाना आम बात है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? इकाई 2 नियोनेटल टेटनस: नवजात शिशु जो अपने जीवन के पहले 2 दिनों के दौरान सामान्य ढंग से स्तनपान करते हैं और रोते हैं, और उसके बाद 3 से 28 दिनों के बीच स्तनपान सामान्य रूप से नहीं कर पाते हैं और उनका शरीर अकड़ जाता है या शरीर में झटी या मांसपेशियों में ऐ ंठन या दोनों होता है। ख) यह रोग कै से फैलता है? टेटनस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। सभी उम्र के लोगों में, इसके जीवाणु (बैक्टीरिया) गंदे नाखूनों, चाकू, उपकरण, लकड़ी के नक ु ीले टुकड़ों, प्रसव के दौरान उपयोग किए गए अस्वच्छ उपकरण, या जानवरों के काटने से होने वाले घावों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। नवजात शिशओ ु ं में संक्रमण तब होता है जब गंदी चटाइयों या फर्श पर डिलीवरी करायी जाती है, नाभिनाल को गंदे उपकरणों द्वारा काटा जाता है, नाभिनाल को साफ़ करने के लिए गंदे पदार्थ का उपयोग किया जाता है या प्रसव में मदद करने वाले व्यक्ति के हाथ साफ नहीं होते हैं। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को TT/Td का राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार प्राथमिक खरु ाक या बूस्टर खरु ाक देना मैटरनल और नियोनेटल टेटनस को रोकता है। अन्य आयु समूहों में टेटनस को रोकने के लिए टीकाकरण सारणी के अनस ु ार सभी बच्चों को टी.डी./ डी.पी.टी. (पेन्टावैलेन्ट वैक्सीन/ डी.पी.टी. बूस्टर में निहित) का टीका देना आवश्यक है। 2.7 हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी रोग हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा आमतौर पर बच्चों के नाक और गले में पाया जाने वाला जीवाणु (बैक्टीरिया) है। हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा छह प्रकार के होते हैं। इन छह प्रकारों में से हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, या हिब, 90% गंभीर हैमोफिलस इन्फ्लूएंजा संक्रमण का कारण होता है। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में हिब गंभीर निमोनिया और मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है। क) इस रोग की पहचान कै से करें? इस रोग के संकेतों और लक्षणों में बख ु ार, ठंड लगना, खांसी, तेजी से सांस लेना और छाती का संकुचन आदि शामिल हैं। मेनिनजाइटिस प्रभावित बच्चों में बख ु ार, सिरदर्द, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, गर्दन में अकड़न और कभी-कभी भ्रम या बदली हुई चेतना की स्थिति हो सकती है। ख) यह रोग कै से फैलता है? छींक और खांसी के दौरान निकले बूदं ों के माध्यम से यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फै लता है। वैसे बच्चे जो स्वस्थ हैं परन्तु उनके नाक और गले में जीवाणु मौजूद हैं, वे भी दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार बच्चों में हिब टीका (पेन्टावैलेन्ट टीका में निहित) लगाकर हम हिब संक्रमण और इसकी जटिलताओं को रोक सकते हैं। 2.8 रोटावायरस गैस्ट्रोएंटेरिटिस रोटावायरस गैस्ट्रोएटं ेरिटिस एक अत्यंत संक्रामक दस्त संबधं ी बीमारी है जो छोटी आँत में रोटावायरस से संक्रमण होने के कारण होता है। यह शिशओु ं और छोटे बच्चों में गंभीर दस्त का कारण बनता है। 3 से 12 महीने की आयु के शिशओ ु ं की इस बीमारी से मतृ ्यु तक हो सकती है। 15 स्वास्थ्य कार्य कर्ता ओ ं हेतु टीकाकरण पुस्तिका (2018) क) इस रोग की पहचान कै से करें? इस बीमारी के मखु ्य लक्षण हैं - पतले पाखाने से लेकर पानी जैसे दस्त और उल्टी हो सकती हैं जो कि गंभीर होने पर शिशु में निर्जलीकरण भी कर सकती हैं। ख) यह रोग कै से फैलता है? यह रोग मल-तथा-मौखिक मार्ग से फै लता है। यह विषाणु वातावरण में स्थायी रूप से रहता है और दूषित भोजन, पानी और वस्तुओं के माध्यम से फै ल सकता है। ग) इस रोग को कै से रोका जाता है? राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनस ु ार बच्चों को रोटावायरस टीका लगाकर हम इसके संक्रमण और इसकी जटिलताओं को रोक सकते हैं। किसी भी प्रकार के दस्त के दौरान ओ.आर.एस. देना याद रखें। 2.9 न्यूमोकोकल रोग क) न्यूमोकोकल रोग क्या है? न्यूमोकोकल बीमारी स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया (जिसे न्यूमोकोकस भी कहा जाता है) जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होने वाली बीमारियों का एक समूह है। इन बीमारियों में से सबसे गंभीर निमोनिया, मेनिनजाइटिस और रक्त प्रवाह का संक्रमण है। स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में जीवाणु से होने वाले निमोनिया का प्रमख ु कारण है। ख) न्यूमोकोकस के कारण कौन कौन से रोग हो सकते हैं? न्यूमोकोकस के कारण होने वाले रोगों में निम्न शामिल हैं: z निमोनिया, z बैक्टेरिएमिया, सेप्सिस: रक्त प्रवाह का संक्रमण,, z बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस: मेरुदंड और मस्तिष्क को ढंकने और सरु क्षित रखने वाली झिल्ली और तरल पदार्थ में संक्रमण z मध्य-कान का संक्रमण (ओटाइसिस मीडिया) z साइनस और साँस की नली का संक्रमण ग) न्यूमोकोकल रोग कै से फैलता है? न्यूमोकोकस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने, छींकने या निकट संपर्क में आने से फै लता हैI कई लोगों के नाक व गले में कई दिनों या हफ्तों तक न्यूमोकोकस के जीवाणु उपस्थित रहते हैं। ज्यादातर मामलों में न्यूमोकोकस बिना किसी लक्षण के समाप्त हो जाता है लेकिन कभी-कभी बीमारी का रूप ले लेता है। घ) न्यूमोकोकल रोग का खतरा किन लोगों को अधिक होता है? छोटे बच्चों और बज ु र्गु व्यक्तियों को सबसे ज्यादा जोखिम रहता है। z बच्चे जिन्हें न्यूमोकोकल रोग का सबसे ज्यादा खतरा होता है, वे निम्न ह