हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियाँ PDF
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इस दस्तावेज़ में भारतीय नदी प्रणालियों, विशेष रूप से हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों के बारे में जानकारी दी गई है। यह उनके उद्गम, विशेषताओं, और बंटवारे पर प्रकाश डालता है। नदियों के जल-विभाजक और सहायक नदियों पर भी चर्चा की गई है।
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## भारतीय नदी प्रणाली ### भारतीय नदियों का विभाजन (उद्गम एवं प्रकृति के आधार पर) * **हिमालयी या उत्तरी भारत का अपवाह तंत्र** * प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश बड़ी नदियों का उद्गम स्थल पश्चिमी घाट है तथा ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती हैं। * नर्मदा और तापी जैसी दो बड़ी नदि...
## भारतीय नदी प्रणाली ### भारतीय नदियों का विभाजन (उद्गम एवं प्रकृति के आधार पर) * **हिमालयी या उत्तरी भारत का अपवाह तंत्र** * प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश बड़ी नदियों का उद्गम स्थल पश्चिमी घाट है तथा ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती हैं। * नर्मदा और तापी जैसी दो बड़ी नदियाँ एवं अनेक छोटी नदियाँ इसके अपवाद के रूप में अपना जल, अरब सागर में विसर्जित करती हैं। * यद्यपि इस विभाजन योजना में चंबल, बेतवा, सोन आदि नदियों के वर्गीकरण में समस्या उत्पन्न होती है, क्योंकि उत्पत्ति व आयु में ये हिमालय से निकलने वाली नदियों से पुरानी हैं। फिर भी यह अपवाह तंत्र के वर्गीकरण का सर्व मान्य आधार है। * **प्रायद्वीपीय या दक्षिणी भारत का अपवाह तंत्र** ### हिमालयी अपवाह तंत्र * उत्तर भारत के अपवाह तंत्र में हिमालय का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि उत्तर भारत की नदियों का उद्गम हिमालय और उसके आस-पास के क्षेत्र से होता है। * ये नदियाँ दक्षिण भारत की नदियों से भिन्न हैं, क्योंकि ये तीव्र गति से अपनी घाटियों को गहरा कर रही हैं। * उत्तरी भारत की नदियाँ अपरदन से प्राप्त मिट्टी को बहाकर ले जाती हैं तथा मैदानी भागों में जल प्रवाह की गति मंद पड़ने पर मैदानों और समुद्रों में जमा कर देती हैं। इन्हीं नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से उत्तर भारत के विशाल मैदान का निर्माण हुआ है। * इस क्षेत्र की नदियाँ बारहमासी हैं, क्योंकि ये वर्षण एवं बर्फ पिघलने, दोनों क्रियाओं से जल प्राप्त करती हैं। ये नदियाँ गहरे महाखड्डों से गुजरती हैं, जो हिमालय के उत्थान के साथ-साथ होने वाली अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित हैं। ### भारतीय नदी प्रणाली * **हिमालयी नदी** * सिन्धु नदी तंत्र * गंगा नदी तंत्र * ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र * **प्रायद्वीपीय नदी** * पश्चिमी घाट में उद्गम * सह्याद्रि/विंध्य श्रेणी में उद्गम * कृष्णा नदी * गोदावरी नदी * कावेरी नदी * पेन्नार नदी * महानदी * नर्मदा नदी * तापी नदी **कोसी नदी, जिसे बिहार का शोक (Sorrow of Bihar) के नाम से जाना जाता है, अपना मार्ग बदलने के लिए कुख्यात रही है।** हिमालय से निकलने वाली कुछ नदियाँ हिमालय के उत्थान से भी पहले विद्यमान थीं। जैसे-जैसे हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ ऊपर उठती गई, ये नदियाँ अपनी घाटियों को गहरी करती गयीं। परिणामस्वरूप, इन नदियों ने हिमालय की श्रेणियों में बहुत गहरी घाटियाँ या महाखड्ड बना लिए हैं। **बुंजी (जम्मू-कश्मीर) के पास सिंधु नदी का महाखड्ड 5,200 मी. गहरा है। सतलज और ब्रह्मपुत्र नदियों ने भी ऐसे ही अत्यंत गहरे महाखड्ड बनाए हैं।** ### हिमालयी पर्वतीय अपवाह तंत्र की उत्पत्ति * भू-वैज्ञानिक मानते हैं कि, मायोसीन कल्प में (लगभग 2.4 करोड़ से 50 लाख वर्ष पहले) एक विशाल नदी थी, जिसे शिवालिक या इंडो-ब्रह्म नदी कहा गया है। * यह नदी हिमालय के संपूर्ण अनुदैर्ध्य विस्तार के साथ असम से पंजाब तक बहती थी तथा अंत में निचले पंजाब के पास सिंधु की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती थी। * शिवालिक पहाड़ियों की असाधारण निरंतरता, इनका सरोवरी उद्गम एवं इनका जलोढ़ निक्षेप से बना होना, जिसमें रेत, मृत्तिका, चिकनी मिट्टी, गोलाश्म व कॉग्लोमेरेट शामिल हैं, इस धारणा की पुष्टि करती हैं। ### इंडो-ब्रह्म नदी के तीन मुख्य अपवाह तंत्र 1. पश्चिम में सिंधु और इसकी पाँच सहायक नदियाँ। 2. मध्य में गंगा और हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ। 3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र का भाग व हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ। ### सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System) * यह विश्व की सबसे बड़ी नदी द्रोणियों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 11 लाख, 65 हजार वर्ग किमी. है। भारत में इसका क्षेत्रफल 3,21,289 वर्ग किमी. है। * सिन्धु नदी की कुल लंबाई 2,880 किमी. है, परन्तु भारत में इसकी लंबाई केवल 1,114 किमी. ही है। भारत में यह हिमालय की नदियों में सबसे पश्चिमी नदी है। ### हिमालयी अपवाह तंत्र की नदियाँ * **सिन्धु नदी तंत्र** * गिलगित * सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर-चू के निकट एक हिमनद से होता है, जो 4,164 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। तिब्बत में इसे सिंगी खवान अथवा शेर मुख कहते हैं। * लद्दाख व जास्कर श्रेणियों के बीच से उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती हुई, यह लद्दाख और बाल्टिस्तान से गुजरती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के समीप एक दर्शनीय महाखड्ड का निर्माण करती है। यहाँ से यह पाकिस्तान के चिल्लड़ के निकट दरदिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है। * सिंधु, सतलज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम सिन्धु नदी तंत्र की प्रमुख नदियाँ हैं। सिंधु नदी की बहुत-सी सहायक नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं, जैसे- श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुब्रा, शिगार, गास्टिंग व द्रास। * अंततः यह नदी अटक (पंजाब प्रांत, पाकिस्तान) के निकट पहाड़ियों से बाहर निकलती है, जहाँ दाहिने तट पर काबुल नदी इसमें मिलती है। * **गंगा नदी तंत्र** * **ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र** ### सिंधु जल संधि (1960) * सिंधु जल संधि, 1960 के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों-व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को तथा तीन पश्चिमी नदियों-सिन्धु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया, यद्यपि इन सभी नदियों के जल का बँटवारा दोनों देशों के बीच होता है। भारत इस नदी प्रक्रम के संपूर्ण जल का केवल 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है। इस जल का उपयोग पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी भागों में सिंचाई के लिए किया जाता है। ### सिन्धु नदी तंत्र * **पंचनद दोआब** * दो नदियों के बीच भूमि क्षेत्र को दोआब के नाम से जाना जाता है। * इस विशाल नदी का उपर्युक्त विभाजन संभवतः प्लीस्टोसीन काल में हिमालय के पश्चिमी भाग में व पोटवार पठार (दिल्ली रिज) के उत्थान के कारण हुआ। यह क्षेत्र सिंधु व गंगा अपवाह तंत्रों के मध्य जल विभाजक बन गया। * मध्य प्लीस्टोसीन काल में राजमहल की पहाड़ियों और मेघालय पठार के मध्य स्थित माल्दा गैप का अधोक्षेपण हुआ, जिसमें गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों का दिशा परिवर्तन हुआ और वे बंगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित हुईं। * हिमालयी अपवाह तंत्र का भूगर्भिक इतिहास एक लम्बे दौर में विकसित हुआ है। इसमें मुख्यतः गंगा, सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ शामिल हैं। ### सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System) * **श्योक** * **काबुल** * **स्वात** * **कहर** * **क़िशन गंगा** * **नुब्रा** * **तोची** * **गोमल** * **कंदर** * **झोब** * **चेनाब** * **कुर्रम** * **सोहन** * **झेलम** * **वेरीनाग झील** * **बारालाचा दर्रा** * **जास्कर** * **मानसरोवर झील** (कैलाश पर्वत) * **सिंधु नदी** * **रावी** * **सतलज** * **पचनद दोआब** * **विस्ट दोआब** * **बारी दोआब** * **रोहतांग दर्रा** * **सतलज** * **राकस ताल झील** * इसके दाहिने तट पर मिलने वाली अन्य मुख्य सहायक नदियाँ खुर्रम, तोची, गोमल, झाबे और कंदर हैं। ये सभी नदियाँ सुलेमान पर्वत श्रेणियों से निकली हैं। * यह नदी दक्षिण की ओर बहती हुई मिठनकोट के निकट पंचनद का जल प्राप्त करती है। पंचनद (Panchnad) नाम पंजाब की पाँच मुख्य नदियों सतलज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम को संयुक्त रूप से दिया गया है। * अंत में सिंधु नदी करांची के पूर्व में अरब सागर में मिल जाती है। भारत में सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर राज्य के केवल लेह जिले में बहती है। * सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम क्षेत्र तिब्बत का पठार है। तिब्बत के पठार से निकलने वाली अन्य नदियाँ इस प्रकार हैं- यांग्त्सी-क्यांग, जियांग, ह्वांग-हो, पीत या पीली नदी, इरावदी, मेकांग एवं सतलज। * श्योक नदी को मध्य एशिया में यारकण्डी एवं काराकोरम क्षेत्र में मृत्यु की नदी (River of Death) के नाम से जाना जाता है। प्राचीनकाल में यारकण्ड से लद्दाख के नीचे इसी नदी के माध्यम से व्यापार होता था। * जास्कर नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर सरचू के उच्च अक्षांशीय पठारी भाग से होता है। यह नदी जास्कर श्रेणी में गहरे गॉर्ज का निर्माण करती है तथा कठोर चट्टानी भागों से होकर बहती है। यह पहले उत्तर फिर पूर्व की ओर बहते हुए नेमू के निकट सिन्धु नदी से मिल जाती है। ### सतलज (शतुद्री) नदी (Satluj River) * यह एक पूर्ववर्ती नदी है, जो तिब्बत में 4,555 मीटर की ऊँचाई पर मानसरोवर के निकट राकस ताल झील (Rakas Tal Lake) से निकलती है, जहाँ इसे लाँगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है। * यह हिमालय की श्रेणियों (महान हिमालय और जास्कर श्रेणी ko काटकर महाखड्ड (गहरे गॉर्ज) का निर्माण करती है। * लुधियाना (पंजाब) इसी नदी के पुराने किनारे पर स्थित है परन्तु वर्तमान समय में सतलज नदी लुधियाना से 13 किमी. उत्त से होकर प्रवाहित हो रही है। ### व्यास (विपाशा) नदी (Beas River) * यह उत्तर-पश्चिम दिशा में बहते हुए इंडो-तिब्बत सीमा के समीप शिपकी ला दरें (हिमाचल प्रदेश) के पास भारत (पंजाब का मैदान) में प्रवेश करने से पहले लगभग 400 किमी. तक सिन्धु नदी के समानांतर बहती है तथा रोपड़ में एक महाखड्ड से निकलती है। भारत में प्रवेश करने के पश्चात् इसके उत्तरी भाग से इसमें स्पीति नदी मिलती है। * स्पीति नदी 16,000 फीट ऊँचे कुंजुम दर्रे से निकलती है तथा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में नामगिया गाँव के समीप सतलज नदी में मिल जाती है। * यह सिंधु की एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊँचाई पर रोहतांग दरें के निकट व्यास कुंड से निकलती है। * यह नदी कुल्लू घाटी से गुजरती है तथा धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है। * यह पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है, जहाँ हरिके के पास सतलज नदी में मिल जाती है। ### रावी (परुष्णी या इरावती) नदी (Ravi River) * सतलज, सिंधु नदी की महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह भाखड़ा नांगल परियोजना के नहर तंत्र का पोषण करती है तथा आगे जाकर व्यास नदी में मिल जाती है। * यह सिंधु की एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में स्थित रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है तथा चंबा घाटी से होकर बहती है। * पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले व सराय सिंधु के निकट चेनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधर के बीच से प्रवाहित होती है। ### चेनाब (अस्किनी) नदी (Chenab River) * यह सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो चंद्रा और भागा नामक दो सरिताओं के मिलने से बनती है। ये सरिताएँ हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकट तांडी में आपस में मिलती हैं। इसलिए इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले भारत में इस नदी का बहाव क्षेत्र 1,180 किमी. है। ### झेलम (वितस्ता) नदी (Jhelum River) * यह सिंधु की सहायक नदी है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरीनाग के निकट शेषनाग झरने से निकलती है। * पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले यह नदी श्रीनगर और वुलर झील से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुजरती है, पाकिस्तान में झांग के निकट यह चेनाब नदी से मिलती है। * किशनगंगा झेलम की प्रमुख सहायक नदी है, जो जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवाहित होती है। ### गंगा नदी तंत्र (Ganga River System) * अपनी विशाल द्रोणी और व्यापक सांस्कृतिक महत्व के दृष्टिकोण से गंगा भारत की सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे लम्बी (2525 किमी.) नदी है। यह नदी उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री हिमनद (3,900 मीटर की ऊँचाई) से भागीरथी नाम से निकलती है। **गंगा नदी तंत्र** * **काली** * **भागीरथी** * **अलक नंदा** * **रामगंगा** * **गंगा** * **यमुना** * **शारदा** * **बनास** * **चंबल नदी** * **काली** * **सिंध** * **राप्ती** * **बेतवा नदी** * **केन नदी** * **तिम्सा** * **सोन नदी** * **घाघरा** * **गोमती** * **गंडक** * **कोसी** * **गंगा नदी** * **दामोदर नदी** * **हुगली** * **फरक्का** #### गंगा की सहायक नदियों का संगम 1. देवप्रयाग (अलकनंदा) 2. कन्नौज (रामगंगा) 3. इलाहाबाद (यमुना) 4. गाजीपुर (गोमती) 5. छपरा (घाघरा) 6. पटना (सोन) 7. हाजीपुर (गंडक) 8. भागलपुर (कोसी) 9. माल्दा (महानंदा) * गंगा नदी उत्तराखंड में 310 किमी., उत्तर प्रदेश में 1140 किमी., बिहार में 455 किमी. और पश्चिम बंगाल में 520 किमी. मार्ग तय करती है। * यह मध्य व लघु हिमालय श्रेणियों को काट कर संकरे महाखड्डों से होकर गुजरती है। झाला के समीप सियागंगा नदी भागीरथी में मिलती है। * भागीरथी नदी में भिलांगना टिहरी उत्तराखंड में और अलकनंदा देव प्रयाग (उत्तराखंड) में आकर मिलती हैं। भागीरथी और अलकनंदा का संयुक्त रूप ही गंगा कहलाता है। * गंगा द्रोणी केवल भारत में लगभग 8.6 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली हुई है। और यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है। * गंगा नदी हरिद्वार के निकट मैदान में प्रवेश करती है। यहाँ से पहले दक्षिण की ओर, फिर दक्षिण-पूर्व की ओर और फिर पूर्व की ओर बहती है। अंत में, यह दक्षिणमुखी होकर दो जल वितरिकाओं (धाराओं) भागीरथी और हुगली में विभाजित हो जाती है। * देवप्रयाग में भागीरथी, अलकनंदा नदी का स्त्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपंथ हिमनद और सतोपंथ ताल है। ये अलकनंदा, धौली और विष्णु गंगा धाराओं से मिलकर बनती हैं, जो जोशीमठ या विष्णुप्रयाग में मिलती हैं। * अलकनंदा की एक अन्य सहायक नदी पिंडार (Pindar) है, जो इससे कर्ण प्रयाग में मिलती है जबकि, मंदाकिनी या काली गंगा इससे रूद्रप्रयाग में मिलती है। * झारखंड की सीमा पर स्थित राजमहल की पहाड़ी के उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई पश्चिम बंगाल के फरक्का नामक स्थान पर यह बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसे पद्मा के नाम से जाना जाता है। * गंगा की मुख्य धारा पद्मा में ब्रह्मपुत्र नदी आकर मिल जाती है। अंतिम चरण में गंगा और ब्रह्मपुत्र समुद्र में विलीन होने से पहले मेघना के नाम से जानी जाती है। * गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियों के द्वारा बनाए गए डेल्टा को सुंदरवन डेल्टा (Sunderban Delta) के नाम से जाना जाता है। यह डेल्टा हुगली और मेघना नदियों से निर्मित होता है। * सुंदरवन डेल्टा का नाम वहाँ पाए जाने वाले सुंदरी नामक पादप से लिया गया है, जो विश्व का सबसे बड़ा एवं तेजी से वृद्धि करने वाला डेल्टा है। यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर भी पाए जाते हैं। यह लगभग 9,630 किमी. क्षेत्र में फैला है, यहाँ के जल में लवण की मात्रा लगभग 70% है। सुन्दर वन को 1984 ई. में नेशलन पार्क घोषित किया गया था। * सुंदरवन डेल्टा भारत और बांग्लादेश में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है। इसका निर्माण गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों द्वारा हुआ है। इस डेल्टा का लगभग दो तिहाई भाग बांग्लादेश में एवं शेष भाग भारत में है। * भू-वैज्ञानिक ओल्डहम के अनुसार, गंगा के जलोढ़ निक्षेपों की मोटाई 4,000-6,000 मीटर एवं ग्लेनी के अनुसार, 2,000 मीटर है। ### गंगा नदी प्रणाली * **यमुनोत्री** * **हिंडन** * **गौतम बुद्ध नगर** * **चंबल** * **सिंध** * **गंगा नदी** * **ऋषिकेश** * **हरिद्वार** * **बिजनौर** * **बेतवा** * **यमुना नदी** * **केन** * **नरौरा** * **फर्रुखाबाद** * **गोमती नदी** * **राम गंगा** * **कन्नौज** * **कानपुर** * **फतेहपुर** * **प्रयागराज** * **मिर्जापुर** * **वाराणसी** * **गाजीपुर** * **छपरा** * **पटना** * **हाजीपुर** * **कोसी नदी** * **भारत** * **साहेबगंज** * **पाकुर** * **फरक्का बैराज** * **फरक्का** * **कोलकाता** * **हुगली नदी** * **पद्मा नदी** * **चारखंडी** * **गंगा सागर द्वीप** * **बंगाल की खाड़ी** * मंदाकिनी नदी चौराबाड़ी ताल नामक झील से निकलती है तथा सोनप्रयाग में वासुकीगंगा से मिलती हुई आगे बढ़ती है। यह नदी केदारनाथ से रूद्र प्रयाग के मध्य प्रवाहित होती है। यह बद्रीनाथ के दक्षिण में स्थित रुद्रप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा से मिलती है। * गंगा द्रोणी के अन्तर्गत, उत्तर भारत में हिमालय से निकलने वाली बारहमासी व अनित्यवाही नदियाँ एवं दक्षिण में प्रायद्वीप से निकलने वाली अनित्यवाही नदियाँ शामिल हैं। प्रायद्वीपीय उच्चभूमि से आने वाली मुख्य सहायक नदियाँ चंबल, बेतवा और सोन हैं। सोन गंगा के दाहिने किनारे पर मिलने वाली प्रमुख नदी है। * गंगा नदी मैदानी भाग में प्रवेश करती है। * ऊपरी गंगा नहर * मध्य गंगा नहर * निम्न गंगा नहर * गंगा नदी के बायें तट पर मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायक नदियां रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी व महानंदा हैं। गंगा नदी सागर द्वीप (गंगासागर) के निकट अंततः बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। * जवाहरलाल नेहरू ने गंगा की विशेषता की व्याख्या करते हुए कहा कि, अपने स्रोत से सागर तक, पुराने समय से नए समय तक गंगा भारत की सभ्यता की कहानी है, वास्तव में गंगा भारतीय सभ्यता का पर्याय है। * फतेहपुर, इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, पटना, भागलपुर आदि गंगा नदी के तट पर स्थित प्रमुख नगर हैं। ### गंगा नदी तंत्र का दोआब * **दोआब** | **नदी क्षेत्र** ---|--- | *गंगा-यमुना दोआब* | *यमुना व गंगा* | *रूहेलखण्ड का मैदान* | *रामगंगा व गोमती* | *अवध का मैदान* | *गोमती व घाघरा* | *पूर्वी उत्तर प्रदेश का मैदान* | *घाघरा व गंडक* | *सारण का मैदान* | *गंडक व बूढ़ी गंडक* | *मिथिला का मैदान* | *बूढ़ी गंडक व कोसी* | *पश्चिम बंगाल का मैदान* | *कोसी व महानंदा* ### नमामि गंगे परियोजना * प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 01 जुलाई, 2016 को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार की फ्लैगशिप योजना नमामि गंगे को स्वीकृति दी गई। * इस योजना के अंतर्गत गंगा नदी को समग्र रूप से संरक्षित और स्वच्छ करने के कदम उठाए जाएँगे। इस पर वर्ष 2020 तक 20 हजार करोड़ व्यय किए जाएँगे। * गंगा को स्वच्छ करने के लिए पिछले 30 वर्ष में सरकार द्वारा व्यय की गई राशि से यह राशि 4 गुना अधिक है। * गंगा नदी की साफ-सफाई को कार्यान्वित करने में गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनःजीवित करने के लिए नमामि गंगे नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया गया है। यह 100% केन्द्रीय हिस्सेदारी के साथ केन्द्रीय योजना है। * भारत सरकार वर्ष 1985 से चल रहे गंगा एक्शन प्लान के अर्न्तगत 4 हजार करोड़ रुपये व्यय कर चुकी है। ### गंगा वृक्षारोपण अभियान * 9-15 जुलाई, 2018 के मध्य गंगा बेसिन के पाँच प्रमुख राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा गंगा वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया गया। * इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण में वनों के महत्व के प्रति सामान्यजनों एवं हितधारकों को जागरूक करना है। * 20 मार्च, 2017 को उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गंगा और यमुना नदी को कानूनन जीवित व्यक्ति माना है, जिन्हें भारत के अन्य जीवित व्यक्तियों की तरह सभी अधिकार और दायित्व प्राप्त होंगे। ### गंगा स्मार्ट सिटी परियोजना * ऊपरी गंगा क्षेत्र: गोमुख-हरिद्वार (294 किमी.) * मध्य गंगा क्षेत्र: हरिद्वार-वाराणसी (1082 किमी.) * निम्न गंगा क्षेत्र: वाराणसी-कोलकाता (1134 किमी.) * गंगा की सफाई सुनिश्चित करने के लिए गंगा व उसकी सहायक प्रमुख नदियों के किनारे बसे शहरों को गंगा स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। पहले चरण में 10 शहर विकसित किए जाएँगे। इस काम को हाइब्रिड एन्यूटी आधारित मॉडल के द्वारा सार्वजनिक निजी भागीदारी के अन्तर्गत किया जाएगा। * इस मिशन की शुरूआत 13 अगस्त, 2016 को एक साथ सभी 10 शहरों में की गई। गंगा स्मार्ट सिटी का अर्थ इन शहरों का समग्र विकास करना है, जिससे इन शहरों द्वारा किसी भी तरह से गंगा प्रदूषित न की जाए। * देश की कई बड़ी कंपनियों के अलावा कई विदेशी कंपनियों ने भी हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर काम करने में रुचि दिखाई है। * ### हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल * गंगा कार्य योजना की सफलता के बाद अब नमामि गंगे की सफलता के लिए हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल को अपनाने का निर्णय किया गया है। * इस मॉडल में काम करने वाली एजेंसी को 20 वर्ष के लिए धन दिया जाएगा। पहले चरण में 40% राशि दी जाएगी, बाद में काम के साथ उसे बची हुई राशि दी जाएगी और जितनी भी राशि बचेगी उस पर बैंक दर से ब्याज भी दिया जाएगा। * पहले इस काम के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा 70:30 के अनुपात में व्यय किया जाना था लेकिन अब इस पूरे कार्यक्रम का व्यय केन्द्र सरकार वहन करेगी। ### यमुना नदी (Yamuna River) * यह गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है। * इसका स्त्रोत यमुनोत्री हिमनद (Yamunotri Glacier) है, जो हिमालय में बंदरपूँछ श्रेणी के पश्चिमी ढाल पर लगभग 6,316 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। * नीचे की ओर मंसूरी श्रेणी (उत्तराखण्ड) के पीछे इसमें टोंस नदी मिलती है। मंसूरी श्रेणी से यमुना नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है, जहाँ यह एक चौड़े वक्र के रूप में बहती है। * हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के बीच सीमा बनाते हुए यह नदी दिल्ली, मथुरा एवं आगरा से होकर गुजरती है। * प्रयाग (इलाहाबाद) में यमुना का गंगा से संगम होता है। * प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली चंबल, कालीसिंध, बेतवा व केन नदियाँ इसके दाहिने तट पर मिलती हैं। जबकि, हिंडन, रिहंद, सेंगर, वरुणा आदि नदियाँ इसके बायें तट पर मिलती हैं। * यमुना की लम्बाई 1,370 किमी. है और इसका अपवाह क्षेत्रफल लगभग 3,59,000 वर्ग किमी है। * इसका अधिकांश जल सिंचाई के उद्देश्य से पश्चिमी व पूर्वी यमुना नहरों तथा आगरा नहर में आता है। ### चंबल नदी (Chambal River) * यह मध्य प्रदेश के मालवा पठार में महू के निकट जनापाव पहाड़ी से निकलती है। इसकी लम्बाई 965 किमी. है तथा उत्तरोन्मुख होकर एक महाखड्ड से बहती हुई कोटा (राजस्थान) पहुँचती है, जहाँ इस पर गांधीसागर बाँध बनाया गया है। * कोटा से यह बूँदी, सवाई माधोपुर और धौलपुर होती हुई इटावा (उत्तर प्रदेश) के समीप यमुना नदी में मिल जाती है। * चंबल एक अध्यारोपित नदी है, यह अपनी उत्खात भूमि वाली भू-आकृति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे चंबल खड्ड (Ravine of Chambal) कहा जाता है। ### गंडक नदी (Gandak River) * गंडक नदी दो धाराओं कालीगंडक और त्रिशूलगंगा के मिलने से बनती है, जो नेपाल हिमालय में धौलागिरि व माउंट एवरेस्ट के बीच से निकलती है यह नदी मध्य नेपाल को अपवाहित करती है। * बिहार के चंपारण जिले में यह गंगा के मैदान में प्रवेश करती है तथा पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी में जा मिलती है। जो की पश्चिम चंपारण जिले में स्थित त्रिवेणी नहर से जल ग्रहण करती है। ### घाघरा नदी (Ghagra River) * घाघरा नदी मापचाचुंग हिमनद से निकलती है। त्रिशुली, सेती बेरी, शारदा, राप्ती तथा शर