विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है (Electric Charge in Hindi) PDF
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यह दस्तावेज़ विद्युत आवेश (electric charge) की परिभाषा, गुणों, और SI तथा CGS इकाइयों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें कुछ उदाहरण और विस्तृत जानकारी दी गई है।
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विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक - 11th , 12th notes In hindi विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक , विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric...
विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक - 11th , 12th notes In hindi विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक , विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , किसे कहते है ? विमा :- विद्युत आवेश : प्रसिद्ध वैज्ञानिक थेल्स (thales) ने बताया की जब काँच की छड़ को रे शम के कपडे से रगड़ा i जाता है तो कांच की छड़ रगड़न के बाद छोटे छोटे कणों , कागज़ के टुकड़े इत्यादि को चिपकाना प्रारम्भ कर देता है , घर्षण प्रक्रिया (रगड़ना) के बाद पदार्थ सामान्य की तुलना में कु छ अलग व्यवहार प्रदर्शित करता है और पदार्थ rth के इस विशेष गुण को ‘विधुत आवेश ‘ नाम दिया गया। पदार्थ द्वारा आवेश (विशेष गुण) ग्रहण करने के पश्चात पदार्थ को आवेशित पदार्थ कहा जाता है। आवेश क्या है ? किसी भी पदार्थ के निर्माण के लिए मूल कणो में से आवेश भी एक है , हालांकि आवेश की कोई निर्धारित परिभाषा (definition) नहीं है लेकिन आवेश को इसके (आवेश) के द्वारा उत्पन्न प्रभावों के माध्यम से समझाया जाता है। ya आवेश एक द्रव्य पर उपस्थित वह गुण है जिसके कारण वह द्रव्य चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है या इन क्षेत्रों का अनुभव करता है। उदाहरण : कांच की छड़ को जब रे शम के कपडे से रगड़ा जाता है तो कांच की छड़ पर धन आवेश तथा रे शम के कपडे पर id ऋण आवेश आ जाता है। विद्युत आवेश : द्रव्य के साथ जुड़ी हुई वह अदिश भौतिक राशि है जिसके कारण चुम्बकीय और वैद्युत प्रभाव उत्पन्न होते है , आवेश कहलाती है। किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों को अधिकता अथवा कमी से आवेश की अभिधारणा प्राप्त होती है। ऋणावेशित वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता व धनावेशित वस्तु में इलेक्ट्रॉनो की कमी होती है। आवेश के गुण eV 1. समान आवेश एक दू सरे को प्रतिकर्षित तथा असमान आवेश आकर्षित करते है। वस्तुओं के आवेशित होने का सही परिक्षण प्रतिकर्षण के द्वारा ही होता है क्योंकि अनावेशित वस्तु और आवेशित वस्तु के मध्य आकर्षण हो सकता है तथा दो विपरीत आवेशित वस्तुओं के मध्य भी आकर्षण होता है। 2. आवेश एक अदिश राशि है। 3. आवेश सदैव द्रव्यमान से सम्बद्ध रहता है। आवेशित किये जाने पर वस्तु का द्रव्यमान परिवर्तित होता है। यदि वस्तु से इलेक्ट्रॉन हटा लिए जाए तो वस्तु धनावेशित हो जाएगी और उसका द्रव्यमान कम हो जायेगा तथा वस्तु में इलेक्ट्रॉन डाल दिए जाए तो वस्तु का द्रव्यमान बढ़ जायेगा और वस्तु ऋणावेशित हो जाएगी। इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान अतिन्यून (9.1 x 10-31 किलोग्राम ) होने के कारण वस्तु के द्रव्यमान की तुलना में उसे आवेशित किये जाने पर द्रव्यमान में परिवर्तन नगण्य होता है। 4. आवेश क्वान्टीकृ त होता है। अर्थात जब किसी भौतिक राशि के के वल विविक्त मान ही संभव होते है तो वह राशि क्वान्टीकृ त कहलाती है। मि लि के के ते यो सि कि वे जो ति में है 1/3 https://www.evidyarthi.in विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक - 11th , 12th notes In hindi मिलिके न के तेल बूंद प्रयोग द्वारा यह सिद्ध हुआ कि आवेश का वह न्यूनतम मान जो प्रकृ ति में सम्भव है , मुक्त इलेक्ट्रॉन का आवेश है। यदि एक इलेक्ट्रॉन का आवेश (e = 1.6 x 10-19 कू लाम) एक प्राथमिक इकाई माना जाए अर्थात आवेश का क्वांटम तो किसी वस्तु पर आवेश e के पूर्णांको के गुणनफल के बराबर होगा अर्थात q = ± ne , यहाँ n = 1 , 2 , 3 , 4...... 5. आवेश अचर है। अर्थात आवेश निर्देश तंत्र पर निर्भर नहीं करता है अर्थात वस्तु के वेग में परिवर्तन से आवेश परिवर्तित नहीं होता है। वस्तु का आवेश घनत्व एवं द्रव्यमान चाल पर निर्भर करता है और चाल में वृद्धि के साथ बढ़ता है। 6. आवेश की इकाई : SI मात्रक या इकाई = कु लाम [1 कू लाम = 1 एम्पियर x 1 सेकं ड] i CGS मात्रक = स्टेट कु लाम या फ्रें कलाइन [1 कु लाम = 3 x 109 स्टेट कू लाम ] rth 1 कु लाम आवेश = 3 x 109 esu आवेश = 1/10 emu आवेश = 1/10 ऐब कु लाम esu = स्थिर वैद्युत इकाई emu = विद्युत चुम्बकी इकाई विद्युत लगभग 600 ईसा पूर्व में, यूनान के दार्शनिक थेल्स ने देखा कि जब अम्बर को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है, तो उसमें कागज के छोटे-छोटे टुकड़े आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है। यद्यपि इस छोटे से प्रयोग का स्वयं कोई विशेष महत्व नहीं था, परन्तु वास्तव में यही प्रयोग आधुनिक विद्युत युग का जन्मदाता माना जा सकता ya है। थेल्स के दो हजार वर्ष बाद तक इस खोज की तरफ किसी का ध्यान आकृ ष्ट नहीं हुआ। 16वीं श्ताब्दी में गैलीलियों के समकालीन डॉ. गिलबर्ट ने, जो उन दिनों इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के घरे लू चिकित्सक थे, प्रमाणित किया कि अम्बर एवं बिल्ली के खाल की भाँति बहुत-सी अन्य वस्तुएँ -उदाहरणार्थ, काँच और रे शम तथा लाख और फलानेल- जब आपस में रगडे जाते है, तो उनमें भी छोटे-छोटे पदार्थो को आकर्षित करने का गुण आ जाता है। घर्षण से प्राप्त इस प्रकार की विद्युत को घर्षण-विद्युत कहा जाता है। इसे स्थिर विद्युत भी कहा जाता है, बशर्ते id पदार्थों को रगड़ने से उन पर उत्पन्न आवेश वहीं पर स्थिर रहे जहाँ वे रगड़ से उत्पन्न होते है। अतः स्थिर- विद्युतिकी भौतिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसकी विषय-वस्तु वैसे आवेशित पदार्थो के गुणों का अध्ययन है, जिन पर विद्युत आवेश स्थिर रहते है। आवेशों के प्रकार– जब घर्षण से विद्युत उत्पन्न की जाती है, तो जिसमें वस्तु रगड़ी जाती है और जो वस्तु रगडी eV जाती है दोनों ही में समान परिमाण में विद्युत आवेश उत्पन्न होते है, लेकिन दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृ ति एक दू सरे के विपरीत होती है। एक वस्तु पर के आवेश को ऋण आवेश तथा दू सरी वस्तु पर के आवेश को धन आवेश कहते है। आवेशा के लिए ऋणात्मक एवं धनात्मक पदों का प्रयोग सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रें कलिन ने किया था। बेंजामिन फ्रें कलिन के अनुसार (प) काँच को रे शम से रगड़ने पर काँच पर उत्पन्न विद्युत को धनात्मक विद्युत कहा गया और (पप) एबोनाइट, या लाख की छड़ को फलानेल या रोएँ दार खाल-इन दोनों में से किसी से रगड़ने पर उन पर उत्पन्न विद्युत को ऋणात्मक विद्युत कहा गया। घर्षण के कारण दोनों प्रकार की विद्युत बराबर परिमाण में एक ही साथ उत्पन्न होती है। नीचे के सारणी में कु छ वस्तुएँ इस ढं ग से सजायी गयी है कि यदि किसी वस्तु को, किसी दू सरी वस्तु से रगड़कर विद्युत उत्पन्न की जाय, तो सारणी में जो पहले (पूर्ववर्ती) है, उसमें धन आवेश तथा जो बाद मे (उत्तरवर्ती) है, उसमें ऋण आवेश उत्पन्न होता है 1. रोआँ 2. फलानेल 3. चपड़ा4. मोम5. काँच रे री ड़ी 2/3 https://www.evidyarthi.in विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक - 11th , 12th notes In hindi 6. कागज 7. रे शम 8. मानव शरीर 9. लकड़ी 10. धातु 11. रबर 12. रे जिन 13. अम्बर 14. गंधक 15. एबोनाइट उदाहरण- यदि काँच (5) को रे शम (7) के साथ रगड़ा जाय तो काँच में धन आवेश उत्पन्न होता है, लेकिन यदि काँच (5) को रोआँ (1) से रगडा जाय तो काँच में ऋण आवेश उत्पन्न होगा (उपर्युक्त सारणी के नियमानुसार) सजातीय आवेशों में प्रतिकर्षण होता है अर्थात धन आवेशित वस्तुएँ एक-दू सरे को प्रतिकर्षित करती है और ऋण आवेशित वस्तुएँ भी एक-दू सरे को प्रतिकर्षित करती है। विजातीय आवेशों में आकर्षण होता है अर्थात एक धन आवेशित वस्तु और एक ऋण आवेशित वस्तु में आकर्षण होता है। i rth विद्युतीकरण का सिद्धान्त- घर्षण के कारण उत्पन्न आवेशों की घटना को समझाने के लिए भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों ने समय-समय पर अनेक सुझाव दिए है। वर्तमान में आधुनिक इलेक्ट्रॉन सिद्धांत सर्वमान्य है। इलेक्ट्रॉन सिद्धांत- इस सिद्धान्त का विकास थॉमसन, रदरफोर्ड, नील्स बोर आदि वैज्ञानिकों के कारण हुआ है। इस सिद्धान्त के अनुसार जब दो वस्तुएँ आपस में रगड़ी जाती है, तो उनमें से एक वस्तु के परमाणुओं की बाहरी कक्षा से भ्रमणशील इलेक्ट्रॉन निकलकर दू सरी वस्तु के परमाणुओं में चले जाते है। इससे पहले वस्तु के परमाणुओं में इलेक्ट्रॅनों की कमी तथा दू सरी वस्तु के परमाणुओं के इनेक्ट्रॉन की वृद्धि हो जाती है। अतः पहली वस्तु धन आवेशिक एवं दू सरी वस्तु ऋण आवेशित हो जाती है। ya id eV 3/3 https://www.evidyarthi.in