प्रमुख राजवंश, संस्थापक, एवं राजधानी, PDF

Summary

इस दस्तावेज़ में भारत के प्रमुख राजवंशों, उनके संस्थापकों, और राजधानियों की सूची दी गई है. इसमें सैंधव सभ्यता और बौद्ध संगीति के बारे में जानकारी भी दी गई है.

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# प्रमुख राजवंश, संस्थापक एवं राजधानी | राजवंश | संस्थापक | राजधानी | |---|---|---| | हर्यक वंश | बिम्बिसार | राजगृह | | मौर्य वंश | चन्द्रगुप्त मौर्य | पाटलिपुत्र | | शुंग वंश | पुष्यमित्र शुंग | पाटलिपुत्र | | सातवाहन | सिमुक | प्रतिष्ठान | | गुप्त वंश | श्री गुप्त | पाटलिपुत्र | | पुष्यभूति | पु...

# प्रमुख राजवंश, संस्थापक एवं राजधानी | राजवंश | संस्थापक | राजधानी | |---|---|---| | हर्यक वंश | बिम्बिसार | राजगृह | | मौर्य वंश | चन्द्रगुप्त मौर्य | पाटलिपुत्र | | शुंग वंश | पुष्यमित्र शुंग | पाटलिपुत्र | | सातवाहन | सिमुक | प्रतिष्ठान | | गुप्त वंश | श्री गुप्त | पाटलिपुत्र | | पुष्यभूति | पुष्यभूति | थानेश्वर क्त्रौज | | गहड़वाल | चन्द्रदेव | वाराणसी | | पल्लव वंश | सिंह विष्णु | काँची | | चोल वंश | विजयालय | तंजौर | | राष्ट्रकुट | दन्तिदुर्ग | मान्यखेट | | गुलामवंश | कुतुबुद्दीन ऐबक | लाहौर/दिल्ली | | खिलजी वंश | जलालुद्दीन खिलजी | किलोखरी | | तुगलक वंश | ग्यासुद्दीन तुगलक | दिल्ली | | लोदी वंश | बहलोल लोदी | दिल्ली/आगरा | | चोल वंश | विजयालय | तंजौर | | होयसल वंश | विष्णुवर्धन | द्वार समुद्र | | बहमनी वंश | हसन गंगु | गुलबर्गा | | पाल वंश | गोपाल | मुंगेर | | चौहान वंश | वासुदेव | अजमेर | | | | | # सैंधव सभ्यता के प्रमुख स्थल | स्थल | नदी | उत्खननकर्त्ता | ई० | |---|---|---|---| | हड़प्पा | | | | | (पाकिस्तान) | रावी | दयाराम साहनी | 1921 | | मोहनजोदड़ो | | | | | (पाकिस्तान) | सिन्धु | राखालदास बनर्जी | 1922 | | कालीबंगन | | | | | (राजस्थान) | घग्घर | बी. बी. लाल एवं | 1953 | | | | बी. के. थापर | | | | | | | | चन्हूदड़ो | | | | | (पाकिस्तान) | सिन्धु | गोपाल मजुमदार | 1931 | | लोथल | | | | | (गुजरात) | | भोग्वा रंगनाथ राव | 1955 | | रोपड़ | | | | | (पंजाब) | सतलज | यज्ञदत शर्मा | 1953 | # प्रमुख बौद्ध संगीतियाँ | | सभा | समय | स्थान | शासनकाल | |---|---|---|---|---| | | प्रथम | 483 ई०पू० | राजगृह | अजातशत्रु | | | द्वितीय | 383 ई०पू० | वैशाली | कालाशोक | | | तृतीय | 250 ई०पू० | पाटलिपुत्र | अशोक | | | चतुर्थ | ई० की प्रथम | कुण्डलवन | कनिष्क | | | | शताब्दी | (कश्मीर) | | # जैन संगीतियाँ | | सभा | स्थान | अध्यक्ष | शासक | |---|---|---|---|---| | | प्रथम | पाटलिपुत्र | स्थूलभद्र | चन्द्रगुप्त मौर्य | | | | 300 ई०पू० | | | | | द्वितीय | वल्ल्भी | देवर्धि | | | | | 512 ई० | (गुजरात) | क्षमाश्रवण | | # भारत में यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर विश्व विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से यूनेस्को की महासभा ने पेरिस में विश्व की सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासतों से संबंधित अभिसमय को 16 नवंबर, 1972 को स्वीकृत किया। इस अभिसमय का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करने में सहयोग देना है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। इन स्थलों में वन क्षेत्र, झील, पर्वत, मरूस्थल स्मारक, भवन या शहर शामिल है। - स्थलों का चुनाव सदस्य राष्ट्रों के प्रतिवेदन पर विश्व धरोहर समिति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद व विश्व प्रकृति संरक्षण संघ की अनुशंसा पर की जाती है। - भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, विश्व धरोहर सूची में प्रतिवेदन भेजने के लिए भारत की केन्द्रीय एजेंसी है। # अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर - यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण अभिसमय को 2003 में अपनाया गया। - अमूर्त सांस्कृतिक परंपराओं में हमारी मौखिक प्रथाएँ, रीति-रिवाज, त्योहार, परंपरागत ज्ञान, प्रदर्शन कलाएँ, हस्तशिल्प निर्माण का परंपरागत हुनर, प्रकृति से जुड़ा परंपरागत ज्ञान व प्रथाएँ शामिल हैं। - भारत में संगीत नाटक अकादमी, वैश्विक अमूर्त धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए प्रतिवेदन तैयार करने और भेजने के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नियुक्त नोडल एजेंसी है। - भारत में कुल 14 अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल है- 1. रामलीला (2008) 2. वैदिक मंत्रों का पाठ करने की परंपरा (2008) 3. कुडियाट्टम (2008) 4. रम्माण (2009) 5. मुडियेट्टू (2010) 6. कालबेलिया (2010) 7. छऊ नृत्य (2010) 8. बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ करने की परंपरा (2012) 9. संकीर्तन (2013) 10. पंजाब का धातु हस्तशिल्प (2014) 11. योग (2016) 12. नवरोज (2016) 13. कुंभ मेला (2017) 14. कलकत्ता का दुर्गा पूजा (2021) 1. कुडियाट्टम केरल की प्रसिद्ध रंगमंच कला है, जो पूरी तरह नाटक पर आधारित है। इसमें राम व कृष्ण की जीवन संबंधी घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें चकिअर पुरुष पात्र तथा नानगिर महिला पात्रों की भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में यह केवल कुछ बड़े मंदिरों में ही प्रस्तुत किया जाता है। 2. रम्माण उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में प्रचलित एक धार्मिक त्योहार एवं सास्कृतिक रंगमंच परंपरा है। यह चमोली जिले में सलूड़-डुंगरा गाँव में हिन्दू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार का आयोजन मंदिर के प्रांगण में गाँव के भूमियाल देवता की अराधना हेतु किया जाता है। 3. मुडियेट्टू केरल का एक सांस्कृतिक रंगमंच एवं नृत्य उत्सव है। इसमें काली देवी तथा दारिका राक्षस के बीच मिथकीय कहानी का अभिनय किया जाता है। इसका आयोजन समुदाय के शुद्धिकरण एवं कायाकल्प के लिए किया जाता है। 4. कालवेलिया राजस्थान के सपेरा जाति की महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्य है। इसमें पुरुष कलाकार इकतारा एवं तंदूरा का वादन कर महिला नर्तकी का साथ देते हैं। 5. बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ करने की परंपरा ट्रांस हिमालय के लद्दाख क्षेत्र में प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म ग्रंथों के पाठ करने की इस परंपरा से आम जनता एवं श्रोताओं का ज्ञानोदय होता है। इसे एक कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में भी देखा जाता है।

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