Chapter 3 Kinetics 12th Chemistry PDF
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Rajesh Mudgal
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This document contains notes on Chapter 3 of chemical kinetics for 12th-grade chemistry. The notes cover various topics, including reaction rates, rate laws, and activation energy. The formatting style is that of handwritten notes.
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# Chapter - 4th ## रासायनिक बलगतिकी (chemical Kinetics) ### Topic 1 - रासायनिक बलगतिकी का अर्थ - अभिक्रिया दर - अभिक्रिया दर के प्रकार - अभिक्रिया दर प्रदर्शन - दर को प्रभावित करने वाले कारक - दर समीकरण ### Topic 2 - आण्विकता - अभिक्रिया कोटि - विभिन्न कोटि के लिए दर स्थिरांक की इकाई - दर तथा द...
# Chapter - 4th ## रासायनिक बलगतिकी (chemical Kinetics) ### Topic 1 - रासायनिक बलगतिकी का अर्थ - अभिक्रिया दर - अभिक्रिया दर के प्रकार - अभिक्रिया दर प्रदर्शन - दर को प्रभावित करने वाले कारक - दर समीकरण ### Topic 2 - आण्विकता - अभिक्रिया कोटि - विभिन्न कोटि के लिए दर स्थिरांक की इकाई - दर तथा दर स्थिरांक में अंतर ### Topic 3 - प्रथम कोटि के लिए समाकलित समीकरण - शून्य कोटि के लिए समाकलित समीकरण - अभिक्रिया का अर्द्ध आयु काल (प्रथम कोटि, शून्यकोटी) - आभासी प्रथम कोटि की अभिक्रिया - विभिन्न कोटि की अभिक्रियाओं के उदाहरण ### Topic 4 - सक्रियण ऊर्जा, देहली ऊर्जा - आर्टीनियस टक्कर (संघट्टय) सिद्धांत - आर्टीनियस समीकरण - तीव्र अभिक्रियाएँ ## TOPIC = 1 ### रासायनिक बलगतिकी का अर्थ रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत अभिक्रिया की दर और उसकी क्रियाविधि का अध्ययन किया जाता है। ### अभिक्रिया दर (Rate of reaction) इकाई समय अंतराल में अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में जो परिवर्तन होता है उसे ही अभिक्रिया की दर कहा जाता है। जिसे mol/l s-1 (mol/lXS) से दर्शाते हैं। इसकी इकाई समय अंतराल के सापेक्ष होती है। - अभिक्रिया दर = अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में परिवर्तन - अभिकारक की सान्द्रता में कमी - उत्पाद की सान्द्रता में वृद्धि समय अंतराल समय अंतराल समय अंतराल **Note:** - यदि पदार्थ गैसीय अवस्था में है तो दर की इकाई atm s-1 - अभिक्रिया में अभिकारक के सापेक्ष दर ऋणात्मक होती है क्योंकि अभिकारक की सान्द्रता में कमी आती है। उत्पाद की मापेक्ष दर धनात्मक होती है क्योंकि उत्पाद की सान्द्रता में वृद्धि होती है। - Rate = -△[Reactant]/△t - Rate = △[Product]/△t ### अभिक्रिया दर के प्रकार (type of Rate of Reaction) यह दो प्रकार की होती है - - **तात्कालिक या लाक्षणिक दर [Instantaneous Rate]** वह दर जिसके लिए सममांतराल का मान बहुत कम (△t →0°) होता है। ### औसत दर (Average rate) वह दर जिसके लिए △t समय सम्पूर्ण अभिक्रिया की दर का मान बहुत अधिक होता है अर्थात् सम्पूर्ण अभिक्रिया की दर को औसत दर कहते हैं। इसे Δx/△t से दर्शाते हैं। जैसे - (1) A + B → C + D - औसत दर = -△(A)/△t = -△(B)/△t = △(C)/△t =△(D)/△t ### निम्न गैसीय अभिक्रिया की दर व्यक्त करो: 2NO2→ 2NO + 02 यदि No2 की सान्द्रता के घटने की दर 6x1014 mol/s-1 है तो NO तथा 02 की मान्द्रता में वृधिद क्या होगी। - दर अभिव्यक्ति- - अभिक्रिया दर = 1/2 d[NO2]/dt = -1/2 d[NO]/dt = -1/2 d[O2]/dt - -d[NO2]/dt = 1/2 * NO2 की सान्द्रता की घटनी की दर - d[NO]/dt = NO की सान्द्रता में वृद्धि की दह - d[O2]/dt = 02 की सान्द्रता में वृहिद की दर- - -d[NO2]/dt = 6x1014 = d[NO]/dt = -1/2 d[NO2]/dt d[O2]/dt =? - 6x10-14 = -1/2 d[NO]/dt - 3x10-14 = d[O2]/dt ### अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक #### (i) अभिक्रि अभिकारक की सान्द्रता । सक्रिय द्रव्यमान - द्रव्यानुपाती क्रिया के नियम के अनुसार अभिक्रिया की दर अभिकारक की सान्द्रता के समानुपाती होती है जैसे - A+B → उत्पाद - dx/dt = [A][B] - dx/dt = K[A][B] K= दर नियतांक यदि [A] = 1, [B] = 1 तब dx/dt = K #### K की परिभाषा:- "यदि 11 अभिकारक की सान्द्रता इकाई है तो अभिक्रिया दर को ही दर नियतांक कहते है।" #### (ii) ताप (tempreture): ताप बढ़ाने से अभिक्रिया दर बढ़ती है क्योंकि गतिज ऊर्जा बढ़ती है। यह प्रयोगों से देखा गया है कि ताप में प्रति 10°C वृद्दिद करने से अभिक्रिया दर 2 से 3 गुनी हो जाती है। ताप के इसी प्रभाव को ताप गुणांक कहा जाता है जिले 0 से दर्शाते है। इसका मान 2 से 3 होता है। - 0 = K(t+10)/Kt - 0 = K(t+10°C ताप पर दर Kt = K(t+10°C ताप पर #### (iii) उमेरक [catalyst]: धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया दरको बढ़ाते है क्योंकि सक्रियण ऊर्जा को कम कर देते हैं। इसी प्रकार ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया दरको घटाते है क्योंकि सक्रियण ऊर्जा को अधिक करते हैं। #### (iv) दाब (pressure) जिन गैसीय अभिक्रियाओं आयतन हघटता है उनकी दर दाब बढ़ाने से बढ़ती है। उच्च दाल N₂ + 3H₂ → 2NH₃ (3) (3) ३ आयक (3) 2 आयतन जिन गैसीय अभिक्रियाओं में आयतन बढ़ता है उनकी दर दाब कम करने से बढ़ती है। 2NH₃ (2) → N₂ + 3H₂ (1) (3) #### (v) पृष्ठीय क्षेत्रफल (surface area) ठोसो का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ा देने से अभिक्रिया दर बढ़ जाती है। क्योंकि अधिक से अधिक पृष्ठ अभिक्रिया में भाग लेता है। जैसे : ठोतों को चूर्ण के रूप में पीस देने से दर बढ़ जाती है। ### (i) सैद्धांतिक दर समीकरण :- (theoritical Rate equation) वह समीकरण जिसमें अभिकास्त की सान्द्रताओं पर घातों के रूप में वह संख्या दर्शायी जाती है जो अभिक्रिया में भाग लेते हैं सैद्धांतिक दरसमी. कहलाता है। aA + bB → उत्पाद - dx (Rate) - dt = K [A]a [B]b ### (ii) प्रायोगिक दर समीकरण:- [practical उया दर नियम अभिव्यक्ति (Rate Law Expression) अभिकारक की सान्द्रता पर ऐसा समीकरण जिसमें धातों के रूप मेउन अनुओं की संख्या दर्शायीयजाती है जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है। प्रायोगिक दर समी. कहलाता है - aA + bB → उत्पाद - dx - dt (Rate) = K[A]m [B]n m= A के मापेक्ष कोटि n=B ## TOPIC - 2nd ### आण्विकता । molecularity किसी भी अभिक्रिया के दर निर्धारक पद (मंदपदा में भाग लेने वाले अभिकारक के अणुओं की कुल संख्या को आग्विकता कहते है। जैसे- N₂ + 2 → 2 NO CH₃CHO → CHA+0₂ 2 Not 0₂ आण्विकता = 2 → (M) आण्विकता = 1 (VI) 2 N02 आठिवकता = उ ### विशेषताएँ - यह अभिकारक के अनुओं की कुल संख्या है। - यह एक सैद्धांतिक मान है। - इसका मान 1,2,3... होता है शून्य और मित्रात्मक नही होता है। - इसे अभिक्रिया को देखकर ज्ञात कर सकते है इससे अभिक्रिया की दर प्रभावित नहीं होती है। - यह अभिक्रिया कोटि की जानकारी नहीं देती है। - यह अभिक्रिया की किसी पद से संबंधित होती है। ### अभिक्रिया कोटि (order of Reaction):- प्रायोगिक दर समी. ( दर नियम अभिव्यक्ति) में अभिकारक की सान्द्रताओं पर लगी धातों के योग को अभिक्रिया कोटि कहते है। जैसे - aA + bB → उत्पाद - dx (Rate) = K[A]m [B]h m= A के सापेक्ष कोटि n=B अभिक्रिया की कोटि = m+n ### विशेषताऐं - यह अभिकारक के अनुओं की वह संख्या है. जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है। - यह प्रायोगिक मान है। - इसका मान 1,2,3. तथा शून्य, मित्रात्मक आदि होता है। - इसे अभिक्रिया को देखकर निर्धारित नहीं कर सकते हो - यह अभिक्रिया की दट को प्रभावित करती है। - यह अभिक्रिया की क्रियाविधि की जानकारी देती हो। - यह सम्पूर्ण अभिक्रिया से संबंधित है। ### आग्विकता और कोटि में अंतर:- ### [PS] निम्न अभिक्रियाओं की कोटि ज्ञात करो - - (i) 2 NO + 02 → 2 NO2 - dx/dt = K (No2)² [O, ] - कोटि - 2+1 = 3 - Ans. 3 - (ii) CH₃CHO→ CHA+Co - Rate - [CH3CHO] 3/2 - कोटि - 3/2 - Ans. 3/2 - (iii) A+B → उत्पाद - dx/dt = K[A] [BJ - अभिक्रिया कोटि 1+0 =1 - Ans. 1 ### [gue. 2] एक अभिक्रिया की दर नियम अभिव्यक्ति निम्न प्रकार से है. - Rate = K[A] [B]² - (i) यदि A और B की सान्द्रताऐं दोगुनी कर दें तो दर क्या होगी। - Rate= K [A] [B]2 - Rate' = K [2A] [2B]² - समी. (i) में (i) का भाग देने पर - Rate'/Rate = K(2A)(2B)² K[A][B]² - = 2x2² = 8 - Rate' = 8x Rate - (ii) केवल B की सान्द्रता दो-गुनी कर दे तो सान्द्रता क्या होगी। - Rate = K [A] [B]² - Rate': K[A] [2B]² - समी. (i) में (i) का भाग देने पर - - Rate'/Rate = K[A] 2²x [B]² K[A] [B]² - = 2² = 4 - Rate' = 4x Rate ### विभिन्न कोटि के लिए अभिक्रियाओं की दर स्थिरांकों की इकाईयाँ: कर माना कि किसी अभिक्रिया में अभिकारक की सान्द्रता (A) mol/l है तथा अभिक्रिया की कोटि n है। तो दर नियम अभिव्यक्ति से - - dx/dt = K [A]h यहाँ K = दर स्थिरांक, [A] = अभिकारक की सान्द्रता - dx/dt = अभि. दर - mol/ls-1 = K (mol/l)h - mol/ls-1 = K molh. l-h - K = mol1-h. l-h. s-1 - K = mol(-h). l (-1+n). s-1 - K = mol(-h). l (n-1). s-1 ### Example :- - (i) प्रथम कोटि के लिए:- - n=1 - K= mol (1-n) (n-1) s-1 - K= mol (1-1) (1-1) s-1 - K= mol0. l0. s-1 - K= mol0. l. s-1 - K= s-1 - (ii) द्वितीय कोटि के लिए:- - n=2 - K= mol (1-n) (n-1) s-1 - K= mol (1-2) (2-1) s-1 - K= mol-1. l1. s-1 - K= mol-1. l. s-1 - (iii) तृतीय कोटि के लिए - - n=3 - K= mol (1-n) (n-1) s-1 - K= mol (1-3) (3-1) s-1 - K= mol-2. l2. s-1 - K= mol-2. l. s-1 - (iv) शून्य कोटि के लिए - - n=0 - K = mol (1-h) (n-1) s-1 - K = mol (1-0) (0-1) s-1 - K = mol1. l-1. s-1 - K = mol. l-1. s-1 - (v) मित्रात्मक कोटि के लिए- - h = 3/2 - K= mol (1-3/2), (3/2-1) s-1 - K = mol(-1/2). 1/2. s-1 - K = mol-½ . l½ . s-1 ### [N-1] निम्न अभिक्रिया के वेग व्यंजकों से अभिक्रिया कोटि तया वेग स्थिरांक की इकाई ज्ञात करो - - (A) 3NO → N20 + 1/2 02 - वेग = K [NO]² - अभिक्रिया कोटि(n)= 2 - K= mol(1-7) 1(5-2) 8-1 - K= mol(1-2) (2-1) s-1 - K= mol-1. L. s-1 - (B) C₂H₅Cl → C₂H₄ + HCl - वेग = K [C₂H₃Cl] - अभिक्रिया कोटि (n)= 1 - K = mol (1-n) 2(n-1) st. - K= mol(1-1) 1(1-1) s-1 - K= mol0. l0. s-1 - K= mol0. l. s-1 - K=S-1 ### [gue.-2] किसी अभिक्रिया के लिए कोटि से है अभिक्रिया का वेग कैसे प्रभावित होगा। यदि अभिकारक की मान्द्रता- - (a) दुगुनी कर दी जाये - (b) आधी कर दी जाये। - वेग = K [A]² --- (i) - (a) वेग₂ = K [2A]² --- (ii) - समी (ii) में (i) का भाग देने पर - वेग₂/वेग = K[2A]² K[A]² - = 2² = 4 - वेग₂ = वेग x 4 - (b) वेग₂ = K[1/2A]² --- (iii) - समी. (iii) में (i) का भाग देने पर - वेग₂/वेग = k[1/2A]² K[A]² - = 1/2² = 1/4 - वेग₂ = 1/4 × वेग - वेग₂ = ½ × वेग ### अभिक्रिया दर और दर स्थिरांक में अंतर - - **अभिक्रिया दर:** यह इकाई समयांतराल में अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में परिवर्तन है। इसे - तब से दर्शाते हैं। - इसकी इकाई mol/ls-1 है। - यह अभिकारक की सान्द्रता पर निर्भर करती है। - **दर स्थिरांक:** यह एक समानुपातिक स्थिरांक हैं। - इसे k से दर्शाते है। - इसकी इकाई अभिक्रिया कोटि पर निर्भर करती है। K= mol(-h), (n-1) s-1 - यह अभिक्रिया की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है। - साम्मावस्या में अग्र तथा पश्च अभिक्रियाओं की दरे समान होती है।' अभिक्रियाओं के दर स्थिरांक एक अनुपात में होते हैं जिसे साम्य स्थिरांक कहते है। ## TOPIC -3 ### प्रथम कोटि की अभिक्रिया का समाकलित समीकरण: माना प्रथम कोटि की अभिक्रिया में अभिकारकर की प्रारंभिक सान्द्रता a mol/l है। + समय बाद इसकी सान्द्रता उत्पाद में बदल जाती है तो बची अभिकारક (a-x) mol/l होती है, अभिकारક उत्पाद | प्रारंभिक अवस्था | a | 0 | | ---------------------------- | - | - | | समय वाद (१-x) | (a-x) | x | - दर नियम से (प्रथम कोटि के लिए) - dx/dt = (a-x) - dx/dt = K (a-x) - K = दर स्थिरांक - dx/(a-x)= K dt --- (i) - समी (i) का समाकलन करने पर - - ∫dx/(a-x) = K∫dt - - loge (a-x) = kt + C --- (ii) (= समाकलन स्थिरांक - प्रारंभिक अवस्था में t=0, x=0 - समी (i) से - - - Joge (a-0) = K(0) + C - - Joge a = C --- (iii) - C का मान समी (i) में रखने पर - - loge (a-x) = Kt - loge a - loge a- loge (a-x) = Kt - loge (a/ (a-x) )= Kt - K = 1/t * loge (a/ (a-x)) - K = 2.303/t * log10 (a/ (a-x)) - K = 2.303/t * log10 (a/ (कहाँ ) ### शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित समीकरण: माना शून्य कोटि की अभिक्रिया में अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता a mol/l है, + समय बाद इसकी मात्रा उत्पाद में बदल जाती है तो शेष सान्द्रता (a-x) mol/l रह जाती है. अभिकारક उत्पाद | प्रारंभिक अवस्था | a | 0 | | ---------------------------- | - | - | | समय वाद (१-x) | (a-x) | x | - दर नियम से (शून्य कोटि के लिए) - dx/dt = (a-x)⁰ - dx/dt = K (a-x)⁰ - K = दर स्थिरांक - (a-x)⁰=1 - dx/dt = K - dx = K dt --- (i) - समी (i) का समाकलन करने पर - - ∫dx = K∫dt - x = kt + C --- (iii) (= समाकलन स्थिरांक - प्रारंभिक अवस्था में t=0, x=0 - समी (i) से - - 0 = K(0) + C - 0 = C - C का मान समी (i) में रखने पर - - x = kt + 0 - x = kt - K = x/t ### अभिक्रिया का अर्थ आयुकाल (Half life period of reaction) समय जिसके अंतर्गत अधिकारक की आधी सान्द्रता वह उत्पाद में बदल जाती है अर्थात् अभिक्रिया 50% होती है अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल कहलाता है। हाते t1/2 से दर्शाते है। ### प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्धआयु काल :- - प्रथम कोटि के लिए- - K= 2.303/t * log10 (a-x) (a-x) - K= दर स्थिरांक, t= समय, a = अभि. की प्रा. सान्द्रता, (a-x) = अभि की + समय वाद सान्द्रता, x = उत्पाद की सान्द्रता - यदि अभिक्रिया अर्दरूप से हो रही है, x = a/2, t = t1/2 - समी(i) में मान रखने पर - - K = 2.303/t1/2 * log10 (a-a/2) - K = 2.303/t1/2 * log10 a/ (a/2) - K = 2.303/t1/2 * log10 2 - t1/2 = 2.303 * log10 2/K - t1/2 = 2.303 x 0.3010/K - t1/2 = 0.693/K ### अ सिद्ध है कि प्रथम कोटि का अर्थ आयुकाल अधिकारक की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता। ### शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध आयु काल : - शून्य कोटि के लिए- - K= x/t - K = दरस्थिरांक, x= उत्पाद की सान्द्रता, t = समय - यदि अभिक्रिया अद्धि रूप से हो रही है तो - x = a/2, t = t1/2 - a = अभि. की प्रा. सान्द्रता] - और स्का मान समी (i) में रखने पर - K = a/2 * t1/2 - t1/2 = a/2K ### सिद्ध हैं कि शून्य कोटि का अर्दआयु काल अभि. की प्रारंभिक सान्द्रता के समानुपाती होता है। ### [gue. 1] Prove that प्रथम कोटि की अभिक्रिया के 75%. पूर्ण होने में लगा समय अर्दआयुकाल (50% के समय) के दो गुना होता हो - प्रथम कोटि के लिए - - K= 2.303/t * log10 (a-x) --- (i) - जब अभिक्रिया 75% होती है. - x = a x 75%. - x = ax 75/100 = 3/4 a - समी (i) में मान रखने पर - K= 2.303/t * log10 (a-3/4 a) - K= 2.303/t * log10 a/4 - K= 2.303/t * log10 2 --- (ii) - जब अभिक्रिया 50% हो रही हो. - x = a x 50%. , a/2 = 9/2, t = t1/2 - समी (i) में मान रखने पर - K= 2.303/t1/2 * log10 (a-a/2) - K= 2.303/t1/2 * log10 a/ (a/2) - K= 2.303/t1/2 * log10 2 --- (iii) - समी (ii) का मान (iii) - t1/4 * log10 2 = 2 * t1/2 * log10 2 - t1/4 = 2 × t1/2 ### आभाषी प्रथम कोटि की अभिक्रिया - (Pseudo first order of reaction) वे अभिक्रियाएं जिसकी आण्विकता 2 होती है किन्तु कोटि 1 होती हैं आभाषी प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाता है। - dx/dt = K[A]¹ [B]¹ - अभिक्रिया कोटि = 1+0 = 1 - आण्विकता = 2 - "इन अभिक्रियाओं में एक अभिकारक बहुत अधिक मात्रा में होता है, जिसकी कोटि शून्य होती है जो विलायक का कार्य करता है।" - जैसे- पानी शक्कर का जलयोजन - H₂O + C₁₂H₂₂O₁₁ → C₆H₁₂O₆ + C₆H₁₂O₆ - dx/dt = K [C₁₂H₂₂O₁₁] [H₂O]⁰ - (ii) एस्टर का जल अपघटन - - CH₃COOC₂H₅ + H₂O → CH₃COOH + C₂H₅OH - dx/dt = K [CH₃COOC₂H₅] [H₂O]⁰ ### प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लक्षण : - (i) इनकी अभिक्रिया दर अभिक्रिय कारक की प्रारंभिक सान्द्रता के समानुपाती होती है। - (ii) इसके दो स्थिरांक की इकाई ङम होती है। - (iii) इनका समाकलित दर समीकरण - K= 2.303/t * log10 (a-x) (a-x) होता है। - (iv) इसका अर्द्ध-आयुकाल अभिकारक की प्रारंभिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है - - t1/2= 0.693/K - (v) इसमें समय और log (a-x) के महम खींचा गया ग्राफ एक सरल रेखा प्राप्त होती है जिसकी ढ़ाल K/2.303 होती है। - प्रथम कोटि के अनुमार- - K= 2.303/t * log10 (a-x) - Kt= 2.303 * log10 (a/ (a-x) - Kt = log10 (a/ (a-x) 2.303 - log (a-x) = - k/2.303 xt --- (ii) - सरल रेखा का समी. - y = mx + c - y = c + mx --- (ii) - समी (i) व (i) की तुलना - y = log (a-x) - c = log a = (अंतः खण्ड) - m= -k/2.303 - x = t - m(दाल) = -k/2.303 ### प्रथम कोटि के उदाहरण :- - (i) एस्टर का जल अपघटन ( अम्लीय माध्यम ) - (ii) शक्कर का जलयोजन - (iii) NHa No₂ का अपघटन - (iv) N₂Os का अपधन - (v) रेडियोएक्टिवता - (vi) H₂O, का अपहघटन ### शून्य कोटि के अभिलक्षण: - (i) इनकी अभिक्रिया दर, दर स्थिरांक के बराबर होती है। - (ii) इसकी दर स्थिरांक की इकाई mol/l s-1 होती है। - (iii) इनका समाकलित दर समीकरण - - K = x/t होता होता है। - (iv) इसका अर्द्ध आयु काल अभिकारक की प्रारंभिक सान्द्रता के समानु याती होता है. - t1/2 = a/2K - t = a - या t = a +112 = a/2k - (v) t तथा log (a-x) के महम खीचा गया ग्राफ एक सरल रेखा प्राप्त होती है जिसकी ढ़ाल K होती है। - K = x/t - x = kt - t - सरल रेखा समी - y = mx --- (i) - y = x, x = t --- (ii) - (दाल) m = K - x = उत्पाद की मान्द्रता ### शून्य कोटि के उदाहरण :- - (i) H2 + Co → 2HCl (uv) - (ii) 2NH3 →3 H₂ + N₂ (Pt) - (iii) 2H1 →H₂ + I2 (Au) ### सब तृतीयक कोटि के Example: - (i) 2NO + 02 → 2NO2 -(ii) 2NO + Br₂→ 2NOB₂ -(iii) 2N2+02 → 2N20 ### द्वितीय कोटि के उदाहरण: - (i) H₂+ I2 → 2 HI - (ii) H₂ + Br2 → 2HBY - CH3COOC2H5 + NaOH → CH3COONa + C2H5OH (क्षारीय परिवर्तन) ### विश्व मिन्नात्मक कोटि :- - CH3CHO → CHA+Co - [कोटि = 3/2] ### सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy):- देहली ऊर्जा और अभिकारक की मूल (आद्य) ऊर्जा के अंतर को सक्रियण ऊर्जा कहा जाता है। यह अभिकारक को ऊर्जारोधिका तक पहुँचाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा है। इसे Ea से प्रदर्शित करते है और इकाई जूल मोल या कैलोरी / mol है। - Ea = देहली ऊर्जा - अभिकारक की आद्य ऊर्जा - यह अभिक्रिया की दर उतनी अधिक होती है। - सक्रियण ऊर्जा जितनी कम होती - देहली ऊर्जा का मान सदैव धनात्मक होता है। ### देहली ऊर्जा [thresald energy]: अभिकारक की आद्य ऊर्जा और सक्रियण ऊर्जा के योग को देहली ऊर्जा कहते है। यह अभिकारक को ऊर्जा रोधिका तक पहुँचने के लिए आवश्यक कुल ऊर्जा है। इसे + से दर्शाते है। - + = अभि. की आद्य ऊर्जा + सक्रियण ऊर्जा ### सक्रियत संकर (Activation complex): सक्रियण ऊर्जा ग्रहण करके जित यौगिक अभिकारक का निर्माण करता है उसे सक्रियण संकर कहा जाता है। इसमे उपस्थित ऊर्जा को देहली ऊर्जा कहते है। ### ऊर्जा रोधिका (energy angor): अभिकारक और उत्पाद के मध्य उच्च ऊर्जा वाले स्थान को ऊर्जा रोधिका कहते हैं। ### आर्टीनियस का टक्कर सिद्धांत (संघटटय] [collision theory] इसके प्रमुख बिन्दु निम्न है - - (i) अभिकारक के अनु प्रभावी टक्कर करते है तभी अभिक्रिया संभव है। - (ii) प्रभावी टक्कर से जितनी ऊर्जा उत्पन्न ब हो जाये कि अभिकारक ऊर्जा रोधिका तक पहुँच जाये तभी तक अभिक्रिया होगी इस ऊर्जा को सक्रियण ऊर्जा कहते है और ऊर्जारोधिका की ऊर्जा को देहली ऊर्जा कहते हैं। - सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा- अभिकारक की आधऊर्जा - (iii) अभिकारक सक्रियण ऊर्जा प्राप्त करके सक्रियत संकर में बदलता है जो शीघ्र ही उत्पाद में बदल जाता है। - (iv) धनात्मक उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा के मान में कमी करता है। जिससे अभिक्रिया दर बढ़ जाती है। जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा के भान में वृध्दि करता है जिससे अभिक्रिया की दर घट जाती है। - ऊर्जा रोधिका - सक्रियत संकर - Ea-- दे