Botany Lab Manual - Experiment 4.1 - PDF
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This document details an experiment on sterilization of glassware using a hot air oven in a botany laboratory. It outlines the materials required, procedure to follow, and safety precautions to be taken during the experiment.
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# नवबोध यूनीफाइड प्रायोगिक वनस्पति विज्ञान (छ.ग.): बी. एस-सी. तृतीय वर्ष ## प्रयोग क्रमांक 4.1 **उद्देश्य (Object)** - हॉट एयर ओवन की सहायता से काँच से निर्मित उपकरणों का निजर्मीकरण करना। **आवश्यक सामग्री (Materials required)** - हॉट एयर ओवन, काँच के उपकरण जिनका निजर्मीकरण किया जाना है। **हॉट एय...
# नवबोध यूनीफाइड प्रायोगिक वनस्पति विज्ञान (छ.ग.): बी. एस-सी. तृतीय वर्ष ## प्रयोग क्रमांक 4.1 **उद्देश्य (Object)** - हॉट एयर ओवन की सहायता से काँच से निर्मित उपकरणों का निजर्मीकरण करना। **आवश्यक सामग्री (Materials required)** - हॉट एयर ओवन, काँच के उपकरण जिनका निजर्मीकरण किया जाना है। **हॉट एयर ओवन (Hot air over)** - हॉट एयर ओवन में 160°C-170°C तापमान वाली शुष्क ऊष्मीय निजर्मीकरण की प्रक्रिया अपनायी जाती है। इसका उपयोग काँच से निर्मित उपकरण जैसे-परखनली, कल्चर ट्यूब, कोनिकल फ्लास्क, पेट्रीडिश, बीकर, मापक सिलिण्डर तथा चिमटी, कैंची, स्केल्पेल, डस्टिंग पावडर आदि का निजर्मीकरण करने के लिए किया जाता है। ओवन विद्युत द्वारा संचालित होता है, इसी दीवारों में हीटिंग एलीमेन्ट लगे होते हैं तथा इसमें गर्म वायु के समान वितरण हेतु एक पंखा फिट होता है। **चित्र 4-2. कांच के बर्तनों को निष्कीटनाशक बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला हॉट एयर ओवन।** **विधि (Procedure)** - 1. सर्वप्रथम काँच से निर्मित सभी आवश्यक उपकरणों जिनका उपयोग संवर्धन माध्यम के निर्माण में किया जाता है, उन्हें भली-भाँति डिटर्जेन्ट से साफ कर सुखा लिया जाता है। 2. अब निजर्मीकरण किये जाने वाले उपकरणों को एल्युमिनियम फाइल से लपेटा जाता है। कल्चर ट्यूब, फ्लास्क, बीकर, मापक सिलिण्डर आदि को एल्युमिनियम फाइल से पृथक् पृथक् लपेटना चाहिए। 3. पेट्रीडिश, पीपेट आदि को क्राफ्ट पेपर से लपेटना चाहिए। पीपेट को भी एल्युमिनियम फाइल से लपेटना चाहिए। 4. उपरोक्त सभी काँच से निर्मित सामग्री को ओवन के अन्दर ट्रे में रखकर ओवन के दरवाजे को बन्द कर दें। 5. अब ओवन को सर्वप्रथम कम तापमान पर प्रीहीट कर लें। 6. प्रीहीट करने के पश्चात् ओवन के तापमान को 160°C-170°C पर सेट करके 2 से 4 घंटे तक यथा-स्थिति में छोड़ दिया जाता है। 7. समय पूर्ण हो जाने के पश्चात् ओवन के स्विच को बंद कर उसे ठंडा होने दिया जाता है। 8. ओवन से निजर्मीकृत सामग्री को निकालने के पूर्व ओवन का तापमान 40°C से नीचे आ जाना चाहिए। **सावधानियाँ (Precautions)** 1. ओवन में उसकी क्षमता से अधिक सामग्री नहीं रखना चाहिए। 2. ओवन में पेपर या कॉटन नहीं रखना चाहिए। 3. काँच के उपकरणों को होल्ड करने वाले प्लास्टिक से बने ट्रे या बास्केट को ओवन में नहीं रखना चाहिए। 4. ओवन में उपकरणों को इस प्रकार जमाकर रखना चाहिए कि उसके मध्य गर्म वायु का प्रसार भली-भाँति हो। ## संवर्धन माध्यम तैयार करना **D) संवर्धन माध्यम का निर्माण (Preparation of Culture Media)** पाठ्यक्रम में दो प्रकार के संवर्धन माध्यमों का समावेश है - 1. पोटैटो-डेक्सट्रोज एगर मीडिया (PDA) 2. जैपेक-डॉक्स मीडिया (CZA) ## प्रयोग क्रमांक 4.4 **उद्देश्य (Object)** - प्रयोगशाला में संवर्धन माध्यमों (PDA/CZA) को ऑटोक्लैव अथवा प्रेशर कुकर की सहायता से निजर्मीकृत करना। **आवश्यक सामग्री (Materials required)** - ऑटोक्लैव या प्रेशर कुकर, गैस बर्नर, निजर्मीकरण किया जाने वाला संवर्धन माध्यम । **सिद्धान्त (Principle)** - निजर्मीकरण भौतिक एवं रासायनिक विधियों का उपयोग करके किसी पदार्थ में उपस्थित सभी प्रकार के सूक्ष्मजीवों एवं जीवाणुओं के उच्च प्रतिरोधी बीजाणुओं (Spores) को नष्ट करने वाली प्रक्रिया है। निजर्मीकरण की प्रक्रिया शुष्क ऊष्मा अथवा आर्द्र ऊष्मा की सहायता से की जाती है। इस प्रकार निजर्मीकरण किसी सामग्री को जीवित सजीवों (Living organism) से मुक्त करने की प्रक्रिया है। प्रयोगशाला में संवर्धन माध्यम का निजर्मीकरण ऑटोक्लैव या प्रेशर कुकर में आर्द्र ऊष्मा के द्वारा किया जाता है जो कि एक भौतिक प्रक्रिया है। **ऑटोक्लैव (Autoclave)** - जल को एक वायुरोधी बर्तन में उच्च दाब पर गर्म करने पर जल के उबलने वाला ताप या क्वथनांक जिस पर वाष्प बनती है, 100°C से अधिक हो जाता है। इसी सिद्धान्त का उपयोग करके ऑटोक्लैव की सहायता से किसी सामग्री का निजर्मीकरण किया जाता है। **चित्र 4-5. ऑटोक्लैव का चित्र।** **निजर्मीकरण या ऑटोक्लैविंग की विधि (Procedure of autoclaving/sterilization)**- 1. ताजा-सुथरा ऑटोक्लैव या प्रेशर कुकर लेकर उसके ढक्कन (Lid) को खोलकर उसमें पर्याप्त मात्रा या स्तर (Level) तक जल भरा जाता है। 2. ऑटोक्लैव/प्रेशर कुकर के चेम्बर के अन्दर निजर्मीकरण की जाने वाली सामग्री/संवर्धन माध्यम को रखा जाता है। संवर्धन माध्यम युक्त कोनिकल/एलेंनमेयर फ्लास्क के मुँह को कॉटन प्लग से बंद करके उसे एल्युमिनियम फाइल से कवर करने के बाद रखना चाहिए। 3. सामग्री रखने के पश्चात् ऑटोक्लैव के ढक्कन को बन्द कर उसे अच्छी तरह टाइट करने के पश्चात् ऑटोक्लैव के हीटिंग एलीमेन्ट का स्विच ऑन कर दिया जाता है। 4. ऑटोक्लैव के अन्दर जल उबलना प्रारंभ होते ही वायु-जल के मिश्रण को स्टीम रिलीजिंग वाल्व से बाहर निकलने देते हैं ताकि ऑटोक्लैव के अन्दर उपस्थित वायु बाहर निकल जाये। जल के बुलबुले निकलना बंद होने तक ऑटोक्लैव के अन्दर से सम्पूर्ण वायु बाहर निकल जाती है। 5. ऑटोक्लैव के स्टीम रिलीजिंग आउटलेट से भाप निकलना प्रारंभ होते ही स्टीम वाल्व (Steam valve) को बन्द कर दिया जाता है। अब अन्दर का वाष्प दाब बढ़ने लगता है। वाष्प दाब वांछित स्तर (15 lbs) प्रति वर्ग इंच तक पहुँचने पर ऑटोक्लैव की सीटी बजने लगती है जिससे ऑटोक्लैव के अन्दर उपस्थित अतिरिक्त वाष्प बाहर निकलने लगती है। 6. सीटी बजने के पश्चात् ऑटोक्लैव या वाष्प दाब 15 lbs तक नियंत्रित कर 15 से 20 मिनट तक इसी स्थिति में रखा जाता है। 7. निर्धारित समय पश्चात् इलेक्ट्रिक हीटर का स्विच बंद कर दिया जाता है।। 8. अब ऑटोक्लैव को तब तक ठण्डा होने दिया जाता है जब तक कि प्रेशर गेज (दाबमापी) में वाष्प दाब, बाहरी पर्यावरण के बराबर नहीं हो जाता है। 9. ऑटोक्लैव का ताप कम होने के पश्चात् स्टीम डिस्चार्ज/आउटलेट को धीरे-धीरे खोलकर ऑटोक्लैव के अन्दर वायु प्रवाहित होने दिया जाता है। 10. अन्त में ऑटोक्लैव का ढक्कन खोलकर निजर्मीकृत सामग्री/संवर्धन माध्यम को बाहर निकालकर आगामी उपयोग हेतु संग्रहित कर लिया जाता है। **परिणाम (Result)** - निजर्मीकरण की भौतिक विधि के अन्तर्गत आर्द्र ऊष्मा की सहायता से ऑटोक्लैव का उपयोग करके संवर्धन माध्यम/सामग्री का निजर्मीकरण हो जाता है। **सावधानियाँ (Precautions)** 1. ऑटोक्लैव के अन्दर जल का स्तर सही होना चाहिए। 2. गर्म होने के पश्चात् ऑटोक्लैव के अन्दर उपस्थित वायु को बाहर निकाल लेना चाहिए। 3. ऑटोक्लैविंग के दौरान ऑटोक्लैव का ढक्कन नहीं खोलना चाहिए। 4. तरल सामग्री को सील करके ऑटोक्लैव में नहीं रखना चाहिए। 5. ऑटोक्लैव डिआयोनाइज्ड जल का उपयोग करना चाहिए। **E) पेट्रीडिश में संवर्धन माध्यम की पोरिंग तथा स्लान्ट तैयार करना (Pouring of Culture Media in Petridishes and Preparation of Slants)** विभिन्न स्रोतों से सूक्ष्मजीवों का पृथक्करण करने तथा उसका संवर्धन (Culturing) करने एवं इनका शुद्ध संवर्धन बनाये रखने के लिए संवर्धन माध्यम को पेट्रीडिश एवं संवर्धन ट्यूब में स्थानान्तरित किया जाता है। निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम के दो प्रमुख स्रोत होते हैं- 1. **ताजा तैयार निजर्मीकृत माध्यम (Freshly prepared sterilized media)** - संवर्धन माध्यम का नजर्मीकरण करने के पश्चात् जब संवर्धन माध्यम 60°C तक ठंडा हो जाता है तब यह तरल माध्यम `पोरिंग (Pouring) ` के लिए उपलब्ध होता है। 2. **संग्रहित निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम (Stored sterilized culture media)** - सामान्यतः आगामी उपयोग हेतु निजीकृत संवर्धन माध्यम को संग्रहित रखा जाता है। यह संवर्धन माध्यम ठोस होता है। अतः पोरिंग के पूर्व इसे गर्म करके पिघलाने के पश्चात् ही उपयोग में लाया जाता है। **ठोस संवर्धन माध्यम को निम्न विधियों द्वारा पिघलाया जाता है-** (i) **ऑटोक्लैव द्वारा (By autoclaving)** - ठोस संवर्धन माध्यम युक्त फ्लास्कों को ऑटोक्लैव के अन्दर रखकर 15 lbs दाब पर 5 मिनट तक गर्म करने पर संवर्धन माध्यम पिघल जाता है। इसके पश्चात् ऑटोक्लैव का प्रेशर रिलीज करके 75-50°C तक ठंडा होने के पश्चात् संवर्धन माध्यम की पोरिंग की जाती है। (ii) **वाटरबाथ द्वारा (By water bath)** - वाटर बाथ में संवर्धन माध्यम युक्त फ्लास्कों को रखकर स्विच ऑन कर दिया जाता है। जल का तापमान 100°C तक पहुँचने के पश्चात् तब तक इसे गर्म किया जाता है जब तक कि संपूर्ण संवर्धन पिघल नहीं जाता है। संवर्धन माध्यम के पिघलने के पश्चात् फ्लास्कों को बाहर निकालकर 75-50°C तक ठंडा करने के पश्चात् उपयोग में लाया जाता है। ## प्रयोग क्रमांक 4-5 **उद्देश्य (Object)** - पेट्रीडिशों में संवर्धन माध्यम की पोरिंग करना। **आवश्यक सामग्री (Material required)** - लेमीनार एयर हुड, 70% आइसोप्रोपिल एल्कोहॉल, निजर्मीकृत पेट्रीडिशें, निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम, ऑटोक्लैव/वाटर बाथ, गैस चूल्हा, रुई आदि। **प्रयोगविधि (Procedure)**- **(a) कार्यस्थान तैयार करना (Preparing the workspace)** - पेट्रीडिश में संवर्धन माध्यम की पोरिंग, लेमीनार एयर फ्लो में किया जाता है। अतः सर्वप्रथम लेमीनार एयर फ्लो के प्लेटफार्म को रुई में 70% एल्कोहॉल लेकर अच्छी तरह साफ करके उसे संक्रमणरहित करने के पश्चात् लेमीनार एयर फ्लो में लगी UV लाइट को 15 मिनट तक चालू करके अच्छी तरह संक्रमणरहित कर लिया जाता है। कार्यस्थान या प्लेटफार्म को संक्रमणरहित करने के पश्चात् निजर्मीकृत पेट्रीडिशों, संवर्धन ट्यूब, पिघला हुआ निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम, वर्नर/स्प्रिट लैम्प आदि को लेमीनार एयर फ्लो की टेबल पर रख लिया जाता है। निजर्मीकृत पेट्रीडिशों को बंद रखा जाता है। **(b) पेट्रीडिशों में पोरिंग (Pouring into petridishes)**- 1. सर्वप्रथम पिघले हुए संवर्धन माध्यम युक्त कोनिकल फ्लास्क को लेकर उसे ठंडा किया जाता है। 2. संवर्धन माध्यम के लगभग 60°C तक ठंडा होने के पश्चात् प्राप्त तरल संवर्धन माध्यम पेट्रीडिशों में पोरिंग हेतु उपलब्ध हो जाता है। अब चार पेट्रीडिशों को लेकर एक के ऊपर एक रखकर ऊँचाई बढ़ा लें। 3. अब बर्नर/स्प्रिट लैम्प को जलायें और अच्छी लौ आने तक इन्तजार करें। 4. अब निजर्मीकृत पिघले संवर्धन माध्यम युक्त फ्लास्क को लेकर अपने दायें हाथ की छोटी ऊँगली एवं हथेली के मध्य पकड़कर फ्लास्क में लगे कॉटन प्लग में हटाकर अलग रख दें। 5. कॉटन प्लग हटाने के पश्चात् कोनिकल फ्लास्क के नेक (Neck) को स्प्रिट लैम्प की ज्वाला में घुमाकर हल्का गर्म करें। 6. अब पेट्रीडिश के जोड़े में से ऊपरी पेट्रीडिश (ढक्कन) को बायें हाथ से एक साइड से धीरे से उठाने के पश्चात् नीचे वाली पेट्रीडिश में फ्लास्क से 20-25 ml संवर्धन माध्यम डालने के पश्चात् ऊपरी पेट्रीडिश को तत्काल बंद कर देते हैं। यह सम्पूर्ण कार्य लैम्प की ज्वाला के सम्मुख किया जाता है। 7. जब कई पेट्रीडिशों में पोरिंग करनी होती है, तब हर बार कोनिकल फ्लास्क की नेक को फ्लैम पर घुमाने के पश्चात् ही 6 वें चरण के अनुसार पोरिंग की जाती है। 8. पोरिंग के पश्चात् पेट्रीडिशों को धीरे-धीरे घुमाकर पेट्रीडिश में संवर्धन माध्यम को समान रूप से फैला दिया जाता है। 9. पोरिंग के पश्चात् सभी पेट्रीडिशों को ठंडा होने दिया जाता है ताकि उसमें उपस्थित संवर्धन माध्यम ठोस (Solid) हो जाये। इन पेट्रीडिशों को 24 घंटे के लिए रखा जाता है ताकि उसमें उपस्थित वाष्प भी वाष्पीकृत हो जाये। **चित्र 4-6. पेट्रीडिश में संवर्धन माध्यम डालते समय लैम्प की ज्वाला को ध्यान में रखना चाहिए।** **चित्र 4-7. संवर्धन माध्यम युक्त पेट्रीडिशों का चट्टा।** 10. पेट्रीडिशों को एक के ऊपर एक रखकर उसका चट्टा (Stack) बना लें। इन पेट्रीडिशों को प्लास्टिक / झिल्ली से ढँका भी जा सकता है। 11. पेट्राडिशों को प्लास्टिक टैप (Tap) के द्वारा भी पैक किया जा सकता है। 12. संवर्धन माध्यम युक्त इन पेट्रीडिशों के ऊपर इनके बनाने की तिथि तथा इन्हें तैयार करने वाले छात्र अपना नाम अंकित कर लें। 13. अन्त में पेट्रीडिश के इस चट्टे को उल्टा करके अगामी उपयोग में लाने के लिए संग्रहित किया जाता है। **सावधानियाँ (Precautions)**- 1. पोरिंग के पश्चात् पेट्रीडिशों को यथाशीघ्र उपयोग में लाना चाहिए। 2. पेट्रीडिशों को अच्छी तरह वायुरोधी बनाकर रखना चाहिए अन्यथा सन्दूषण (Contamination) की संभावनाएँ बढ़ जाती है। ## प्रयोग क्रमांक 4.6 **उद्देश्य (Object)** - संवर्धन ट्यूब में संवर्धन माध्यम की पोरिंग तथा कल्चर स्लान्ट तैयार करना। **आवश्यक सामग्री (Materials required)**-लेमीनार एयरफ्लो, 70% आइसोप्रोपिल एल्कोहॉल, निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम, निजर्मीकृत कल्चर ट्यूब, वाटर बाथ/ऑटोक्लैव, बर्नर/स्प्रिट लैम्प, रुई आदि। **प्रयोगविधि (Procedure)**-- **(a) कार्यस्थान तैयार करना (Preparing the workspace)** - प्रयोग क्रमांक 4-5 के समान । **(b) कल्चर ट्यूबों में पोरिंग (Pouring into culture tubes)** 1. ऑटोक्लैव या वाटर बाथ से पिघले हुए निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम युक्त फ्लास्क लेकर उसे ठंडा होने दें। 2. निजर्मीकृत कल्चर ट्यूबों को स्टैण्ड में रखकर उनके लिए कॉटन प्लग तैयार कर लें। 3. जब संवर्धन माध्यम के 60°C तक ठण्डा होने के पश्चात् वह कल्चर ट्यूब में पोरिंग के लिए उपयुक्त हो जाता है। **चित्र 4.8. कल्चर स्लान्ट तैयार करने के चरण।** 4. बर्नर/स्प्रिट लैम्प को जलाकर अच्छी गर्म ज्वाला बनने तक इन्तजार करें। 5. अब पिघले एवं निजर्मीकृत संवर्धन माध्यम युक्त कोनिकल फ्लास्क को अपने दायें हाथ की छोटी अंगुली एवं हथेली के मध्य पकड़ें। 6. कल्चर ट्यूब से कॉटन प्लग हटाकर बायें हाथ की छोटी ऊँगली से पकड़ें। 7. कोनिकल फ्लास्क को बर्नर के सामने लाकर उसका कॉटन प्लग हटाकर फ्लास्क के नेक को ज्वाला के ऊपर घुमायें। 8. अब सभी कल्चर ट्यूबों में पिघला हुआ 5ml संवर्धन माध्यम डालकर कॉटन प्लग से बंद कर दें। 9. कॉटन प्लग को एल्युमिनियम फाइल से लपेटकर एक बीकर में एकत्रित करें तथा ऑटोक्लैव अथवा प्रेशर कुकर में इनका निजर्मीकरण करें। 10. निजर्मीकरण के पश्चात् कल्चर ट्यूबों को ऑटोक्लैव/प्रेशर कुकर से बाहर निकालकर एक आधार के ऊपर तिरछा रखकर कल्चर स्लान्ट तैयार कर लें। 11. अन्त में इन कल्चर स्लान्ट को उसी अवस्था में रखकर ठण्डा कर लें जिससे संवर्धन माध्यम ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। 12. उपरोक्त प्रकार से तैयार किये गये कल्चर स्लान्ट को आगामी उपयोग हेतु रखा जाता है। **सावधानियाँ (Precautions)** 1. कल्चर ट्यूब का अच्छी तरह निजर्मीकरण करना चाहिए। 2. पोरिंग के पश्चात् ट्यूबों को यथाशीघ्र उपयोग में लेना चाहिए। 3. यदि इनका उपयोग कुछ दिनों बाद करना होता है तब इन्हें प्लास्टिक बैगों में भरकर रेफ्रिजरेटर में संग्रहित करना चाहिए। # मौखिक प्रश्नोत्तर (VIVA-VOCE) **प्रश्न 1. संवर्धन माध्यम क्या है ?** **उत्तर** - ऐसा कृत्रिम माध्यम जिसमें सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के लिए आवश्यक सभी पोषक पदार्थ उपस्थित होते हैं उसे संवर्धन माध्यम कहते हैं। **प्रश्न 2. प्रयोगशाला में काँच के उपकरणों से साफ करने के लिए किस अम्ल का उपयोग किया जाता है ?** **उत्तर** - क्रोमिक अम्ल । **प्रश्न 3. संवर्धन माध्यम का निजर्मीकरण किस उपकरण में किया जाता है ?** **उत्तर** - ऑटोक्लैव अथवा प्रेशर कुकर । **प्रश्न 4. संवर्धन माध्यम में निजर्मीकरण के लिए उपयुक्त ताप एवं दाब कितना होता है ?** **उत्तर** - 121°C ताप एवं 15 पाउण्ड वाष्प दाब 15 से 20 मिनट तक। **JAI BUDHA DEV COLLEGE** **ACC. No. 1072** **Date ...** **KATGHORA, DISTT. KORBA (C. G.)**