कक्षा 6 का इतिहास अध्याय 2 (हिंदी माध्यम) PDF
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यह दस्तावेज़ कक्षा 6 के इतिहास अध्याय 2 से संबंधित है, और इसमें इतिहास, पुरापाषाण काल और आदिमानव से संबंधित जानकारी दी गई है।
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अध्याय 2 आखेेट-खाद्य सग्रं ह से भोेजन उत्पादन तक तुषार की रेलयात्रा तषु ार अपने एक रिश्तेदार की शादी में दिल्ली से चेन्नई जा रहा था। रे ल में उसे खिड़की वा...
अध्याय 2 आखेेट-खाद्य सग्रं ह से भोेजन उत्पादन तक तुषार की रेलयात्रा तषु ार अपने एक रिश्तेदार की शादी में दिल्ली से चेन्नई जा रहा था। रे ल में उसे खिड़की वाली सीट मिल गई, जहाँ से वह बाहर का नज़ारा देखने में मग्न हो गया। तेज़ दौड़ती गाड़ी से उसने देखा कि पेड़-पौधे, घर, खेत-खलिहान बड़ी तेज़ी से पीछे की ओर छूटते चले जा रहे थे। तभी उसके चाचा ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा, “पता है लोगों ने मात्र डेढ़ सौ साल पहले रे ल से यात्रा करनी शरू ु की थी? बस तो इसके कुछ दशक बाद आई।” तषु ार सोचने लगा, कि जब लोगों के पास आने-जाने के लिए तेज़ रफ़्तार वाली सवारियाँ नहीं थीं, तो क्या वे यात्र ही नहीं करते थे। क्या वे अपनी सारी जिंदगी एक ही जगह पर बिता दिया करते थे? नहीं, ऐसी बात नहीं थी। आरंभिक मानव : आखिर वे इधर-उधर क्यों घूमते थे? हम उन लोगों के बारे में जानते हैं, जो इस उपमहाद्वीप में बीस लाख साल पहले रहा करते थे। आज हम उन्हें आखेटक-खाद्य संग्राहक के नाम से जानते हैं। भोजन का इतं ज़ाम करने की विधि के आधार पर उन्हें इस नाम से पक ु ारा जाता है। आमतौर पर खाने के लिए वे जगं ली जानवरों का शिकार करते थे, मछलियाँ और चिड़िया पकड़ते थे, फल-मल ू , दाने, पौधे-पत्तियाँ, अडं े इकट्ठा किया करते थे। आखेटक-खाद्य संग्राहक समदु ाय के लोग एक जगह से दसू री जगह पर घमू ते रहते थे। ऐसा करने के कई कारण थे। पहला कारण यह कि अगर वे एक ही जगह पर ज़्यादा दिनों तक रहते तो आस-पास के पौधों, फलों और जानवरों को खाकर समाप्त कर देते थे। इसलिए और भोजन की तलाश में इन्हें दसू री जगहों पर जाना पड़ता था। दसू रा कारण यह कि जानवर अपने शिकार के लिए या फिर हिरण और मवेशी अपना चारा ढूँढ़ने के लिए एक जगह से दसू री जगह जाया करते हैं। इसीलिए, इन जानवरों का शिकार करने वाले लोग भी इनके पीछे -पीछे जाया करते होंगे। 10 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 10 17 June 2022 10:57:19 तीसरा कारण यह कि पेड़ों और पौधों में फल-फूल अलग-अलग मौसम में आते हैं, इसीलिए लोग उनकी तलाश में उपयक्त ु मौसम के अनसु ार अन्य इलाकों में घमू ते होंगे। और चौथा कारण यह है कि पानी के बिना किसी भी प्राणी या पेड़-पौधे का जीवित रहना संभव नहीं होता और पानी झीलों, झरनों तथा नदियों में ही मिलता है। यद्यपि कई नदियों और झीलों का पानी कभी नहीं सख ू ता, कुछ झीलों और नदियों में पानी बारिश के बाद ही मिल पाता है। इसीलिए ऐसी झीलों और नदियों के किनारे बसे लोगों को सख ू े मौसम में पानी की तलाश में इधर-उधर जाना पड़ता होगा। आरंभिक मानव के बारे में जानकारी कै से मिलती है? परु ातत्त्वविदों को कुछ ऐसी वस्तुएँ मिली हैं जिनका निर्माण और उपयोग आखेटक-खाद्य संग्राहक किया करते थे। यह संभव है कि लोगों ने अपने काम के लिए पत्थरों, लकड़ियों और ह यों के औज़ार बनाए हों। इनमें से पत्थरों के औज़ार आज भी बचे हैं। इनमें से कुछ औज़ारों का उपयोग फल-फूल काटने, ह याँ और मांस काटने तथा पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल उतारने के लिए किया जाता था। कुछ के साथ ह यों या लकड़ियों के मट्ु ठे लगा कर भाले और बाण जैसे हथियार बनाए जाते थे। कुछ औज़ारों से लकड़ियाँ काटी जाती थीं। लकड़ियों का उपयोग र्इंधन के साथ-साथ झोपड़ियाँ और औज़ार बनाने के लिए भी किया जाता था। पत्थर के औज़ारों का उपयोग बाएँ : इसं ान के खाने योग्य जड़ों को खोदने के लिए किया जाता था, और दाएँ : जानवरों की खाल से बने वस्त्रों को सिलने के लिए किया जाता था। 11 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 11 17 June 2022 10:57:20 रहने की जगह निर्धारित करना मानचित्र 2 को देखो। लाल त्रिकोण वाले स्थान वे परु ास्थल हैं जहाँ पर आखेटक-खाद्य सग्ं राहकों के होने के प्रमाण मिले हैं। इनके अलावा भी और कई स्थानों पर आखेटक-खाद्य संग्राहक रहते थे। मानचित्र में सिर्फ़ कुछ गिने-चनु े स्थान ही चिह्नित किए गए हैं। कई परु ास्थल नदियों और झीलों के किनारे पाए गए हैं। मानचित्रः 2 कुछ महत्वपर्णू परु ास्थल रे खाचित्र पैमाना नहीं दिया गया है। 12 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 12 17 June 2022 10:57:32 चकिँू पत्थर के उपकरण बहुत महत्वपर्णू थे इसलिए लोग ऐसी जगह भीमबेटका (आधनि ु क ढूँढ़ते रहते थे, जहाँ अच्छे पत्थर मिल सकें । मध्य प्रदेश) इस परु ास्थल पर गफ ु ाएँ व कंदराएँ मिली हैं। लोग इन शैल चित्रकला ः इनसे हमें क्या पता चलता है? गफ ु ाओ ं में इसलिए रहते थे, क्योंकि यहाँ उन्हें बारिश, धपू और हवाओ ं से राहत मिलती थी। ये गफ ु ाएँ नर्मदा एक शैल चित्र। घाटी के पास हैं। इस चित्र के बारे में बताओ। क्या तमु बता सकते हो कि जिन गफ रहने के लिए लोगों ने यह ु ाओ ं में लोग रहते थे, उनमें से कुछ की दीवारों पर चित्र मिले हैं। जगह क्यों चनु ी होगी? इनमें कुछ सनु ्दर उदाहरण मध्य प्रदेश और दक्षिणी उत्तर प्रदेश की गफ ु ाओ ं से मिले चित्र हैं। इनमें जंगली जानवरों का बड़ी कुशलता से सजीव चित्रण किया गया है। 13 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 13 17 June 2022 10:57:35 पुरास्थल पुरास्थल उस स्थान को कहते हैं जहाँ औज़ार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओ ं के अवशेष मिलते हैं। ऐसी वस्तुओ ं का निर्माण लोगों ने अपने काम के लिए किया था और बाद में वे उन्हें वहीं छोड़ गए। ये ज़मीन के ऊपर, अन्दर, कभी-कभी समद्रु और नदी के तल में भी पाए जाते हैं। इन परु ास्थलों के बारे में आपको अगले अध्यायों में बताया जाएगा। आग की खोज मानचित्र 2 में कुरनल ू गफ ु ा ढूँढ़ो (पष्ृ ठ 12)। यहाँ राख के अवशेष मिले हैं। इसका मतलब यह है कि आरंभिक लोग आग जलाना सीख गए थे। आग का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए किया गया होगा जैसे कि प्रकाश के लिए, मांस भनू ने के लिए और खतरनाक जानवरों को दरू आदि भगाने के लिए। आज हम आग का उपयोग किसलिए करते हैं? नाम और तिथियाँ हम जिस काल के बारे में पढ़ रहे हैं, परु ातत्त्वविदों ने उनके बड़े-बड़े नाम रखे हैं। आरंभिक काल को वे परु ापाषाण काल कहते हैं। यह दो शब्दों परु ा यानी ‘प्राचीन’, और पाषाण यानी ‘पत्थर’ से बना है। यह नाम परु ास्थलों से प्राप्त पत्थर के औज़ारों के महत्त्व को बताता है। परु ापाषाण काल बीस लाख साल पहले से 12,000 साल पहले के दौरान माना जाता है। इस काल को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है ः ‘आरंभिक’, ‘मध्य’ एवं ‘उत्तर’ परु ापाषाण यगु । मानव इतिहास की लगभग 99 प्रतिशत कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई। जिस काल में हमें पर्यावरणीय बदलाव मिलते हैं, उसे ‘मेसोलिथ’ यानी मध्यपाषाण यगु कहते हैं। इसका समय लगभग 12,000 साल पहले से लेकर 10,000 साल पहले तक माना गया है। इस काल के पाषाण औज़ार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे। इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ यानी लघपु ाषाण कहा जाता है। प्रायः इन औज़ारों में ह यों या लकड़ियों के मट्ु ठे लगे हँसिया और आरी जैसे औज़ार मिलते थे। साथ-साथ परु ापाषाण यगु वाले औज़ार भी इस दौरान बनाए जाते रहे। अगले यगु की शरुु आत लगभग 10,000 साल पहले से होती है। इसे नवपाषाण यगु कहा जाता है। नवपाषाण का क्या मतलब होता होगा? हमने कुछ स्थानों के नाम दिए हैं। अगले अध्यायों में तमु ्हें ऐसे अनेक नाम मिलेंगे। अक्सर हम परु ाने स्थानों के लिए उन नामों का प्रयोग करते हैं, जो आज प्रचलित हैं, क्योंकि हमें ज्ञात नहीं है कि उस काल में इनके क्या नाम रहे होंगे। 14 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 14 17 June 2022 10:57:35 बदलती जलवायु लगभग 12, 000 साल पहले दनि ु या की जलवायु में बड़े बदलाव आए और गर्मी बढ़ने लगी। इसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में घास वाले मैदान बनने लगे। इससे हिरण, बारहसिंघा, भेड़, बकरी और गाय जैसे उन जानवरों की सखं ्या बढ़ी, जो घास खाकर जि़न्दा रह सकते हैं। जो लोग इन जानवरों का शिकार करते थे, वे भी इनके पीछे आए और इनके खाने-पीने की आदतों और प्रजनन के समय की जानकारी हासिल करने लगे। हो सकता है कि तब लोग इन जानवरों को पकड़ कर अपनी ज़रूरत के अनसु ार पालने की बात सोचने लगे हों। साथ ही इस काल में मछली भी भोजन का महत्वपर्णू स्रोत बन गई। खेती और पशुपालन की शुरुआत इसी दौरान उपमहाद्वीप के भिन्न-भिन्न इलाकों में गेहू,ँ जौ और धान जैसे अनाज प्राकृतिक रूप से उगने लगे थे। शायद महिलाओ,ं परुु षाें और बच्चों ने इन अनाजों को भोजन के लिए बटोरना शरू ु कर दिया होगा। साथ ही वे यह भी सीखने लगे होंगे कि यह अनाज कहाँ उगते थे और कब पककर तैयार होते थे। ऐसा करते-करते लोगों ने इन अनाजों को खदु पैदा करना सीख लिया होगा। इस प्रकार धीरे -धीरे वे कृषक बन गए होंगे। इसी तरह लोगों ने अपने घरों के आस-पास चारा रखकर जानवरों को आकर्षित कर उन्हें पालतू बनाया होगा। सबसे पहले जिस जंगली जानवर को पालतू बनाया गया वह कुत्ते का जगं ली पर्वू ज था। धीरे -धीरे लोग भेड़, बकरी, गाय और सअ ू र जैसे जानवरों को अपने घरों के नज़दीक आने को उत्साहित करने लगे। ऐसे जानवर झणु ्ड में रहते थे और ज़्यादातर घास खाते थे। अक्सर लोग अन्य जगं ली जानवरों के आक्रमण से इनकी सरु क्षा किया करते थे और इस तरह धीरे -धीरे वे पशपु ालक बन गए होंगे। क्या तमु बता सकती हो कि सबसे पहले कुत्तों को ही पालतू क्यों बनाया गया? 15 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 15 17 June 2022 10:57:35 घरेलूकरण की प्रक्रिया लोगों द्वारा पौधे उगाने और जानवरों की देखभाल करने को ‘घरे लक ू रण की प्रक्रिया’ का नाम दिया गया है। अपनाए गए ये पौधे तथा जानवर अक्सर जंगली पौधों तथा जानवरों से भिन्न होते हैं। इसकी वजह यह है कि इस प्रक्रिया के तहत अपनाए गए पौधों या जानवरों का लोग चयन करते हैं। उदाहरण के तौर पर लोग उन्हीं पौधों तथा जानवरों का चयन करते हैं जिनके बीमार होने की संभावना कम हो। यही नहीं, लोग उन्हीं पौधों को चनु ते हैं जिनसे बड़े दाने वाले अनाज पैदा होते हैं; साथ ही जिनकी मज़बतू डंठले अनाज के पके दानों के भार को संभाल सकें । ऐसे पौधों के बीजों को संभालकर रखा जाता है ताकि फिर से उगाने के लिए उनके गणु सरु क्षित रह सकें । उन्हीं जानवरों को आगे प्रजनन के लिए चनु ा जाता है, जो आमतौर पर अहिसं क होते हैं। इसलिए हम देखते हैं कि पाले गए जानवर तथा कृ षि के लिए अपनाए गए पौधे, जंगली जानवरों तथा पौधों से धीरे -धीरे भिन्न होते गए। मिसाल के तौर पर जंगली जानवरों की तल ु ना में पालतू जानवरों के दाँत और सींग छोटे होते हैं। इन दाँतों को देखो। इनमें से कौन-सा जंगली सअ ू र का है और कौन-सा पालतू सअ ू र का? यह प्रक्रिया परू ी दनि ु या में धीरे-धीरे चलती रही। यह करीब 12,000 साल पहले शरूु हुई। वास्तव में आज हम जो भोजन करते हैं वो इसी प्रक्रिया की वजह से है। कृ षि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फ़सलों में गेहूँ तथा जौ आते हैं, उसी तरह सबसे पहले पालतू बनाए गए जानवरों में कुत्ते के बाद भेड़-बकरी आते हैं। अनाज के उपयोग एक नवीन जीवन-शैली तमु किसी पौधे के बीज को बो कर देखो, तमु पाओगी कि इसे विकसित होने में कुछ वक्त लगता है। इसमें कुछ दिन, महीने या फिर साल तक लग सकता है। इसलिए जब लोग पौधे उगाने लगे तो उनकी देखभाल के लिए उन्हें एक ही जगह पर लंबे समय तक रहना पड़ा था। बीज बोने से लेकर फ़सलों के बीज के रूप में पकने तक, पौधों की सिंचाई करने, खरपतवार हटाने, जानवरों और चिड़ियों खाद्य के रूप में से उनकी सरु क्षा करने जैसे बहुत-से काम शामिल थे। कटाई के बाद, अनाज उपहार के रूप में का उपयोग बहुत संभाल कर करना पड़ता था। भडं ारण के लिए अनाज को भोजन और बीज, दोनों ही रूपों में बचा कर रखना आवश्यक था, इसलिए लोगों को इसके भडं ारण की बात सोचनी पड़ी। बहुत-से इलाकों 16 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 16 17 June 2022 10:57:37 में लोगों ने मिट्टी के बड़े-बड़े बर्तन बनाए, टोकरियाँ बनु ीं या फिर ज़मीन में गड्ढा खोदा। क्या तमु ्हें लगता है कि शिकारी या भोजन-सग्रं ह करने वाले बर्तन बनाते और उनका प्रयोग करते होंगे? अपने जवाब का कारण बताओ। जानवर : चलते-फिरते ‘खाद्य-भंडार’ जानवर बच्चे देते हैं जिससे उनकी सखं ्या बढ़ती है। अगर जानवरों की देखभाल की जाए तो उनकी संख्या तो बढ़ती ही है साथ ही उनसे दधू भी प्राप्त हो सकता है जो भोजन का एक अच्छा स्रोत है। यही नहीं जानवरों से हमें मांस भी मिलता है। दसू रे शब्दों में, पश-ु पालन भोजन के ‘भडं ारण’ का एक तरीका है। भोजन के अतिरिक्त जानवरों से और क्या-क्या मिल सकता है? आज जानवरों का उपयोग किस लिए होता है? आओ, आरंभिक कृषकों और पशुपालकों के बारे में पता करें? मानचित्र 2 (पष्ृ ठ संख्या 12) देखो। क्या तमु ्हें कई नीले वर्ग दिख रहे हैं? पता है, इनमें से प्रत्येक बिंदु उस जगह को दर्शाता है, जहाँ परु ातत्त्वविदों को शरुु आती कृषकों और पशपु ालकों के होने के साक्ष्य मिले हैं। ये परू े उपमहाद्वीप में पाए गए हैं। इनमें सबसे महत्वपर्णू पश्चिमोत्तर क्षेत्र में, आधनि ु क कश्मीर में, और पर्वी ू तथा दक्षिण भारत में पाए गए हैं। वास्तव में ये निर्दिष्ट स्थान कृषकों और पशपु ालकों की बस्तियाँ थीं या नहीं, इसे जाँचने के लिए वैज्ञानिक खदु ाई में मिले पौधों और पशओ ु ं की ह यों के नमनू ों का अध्ययन करते हैं। इनमें से सबसे रोचक जले हुए अनाज के दानों के अवशेष हैं। ऐसा लगता है कि ये गलती से या फिर जानबझू कर जलाए गए होंगे। वैज्ञानिक इन अनाज के दानों की पहचान कर सकते हैं। इस तरह हमें पता चलता है कि इस उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में बहुत सारी फ़सलें उगाई जाती रही होंगी। वैज्ञानिक विभिन्न जानवरों की ह यों की भी पहचान कर सकते हैं। 17 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 17 17 June 2022 10:57:37 स्थायी जीवन की ओर परु ातत्त्वविदों को कुछ परु ास्थलों पर झोपड़ियों और घरों के निशान मिले हैं। जैसे कि बर्ज़ु होम (वर्तमान कश्मीर में) के लोग गड्ढे के नीचे घर बनाते थे जिन्हे गर्तवास कहा जाता है। इनमें उतरने के लिए सीढ़ियाँ होती थीं। इससे उन्हें ठंढ के मौसम में सरु क्षा मिलती होगी। परु ातत्त्वविदों को झोपड़ियों के अदं र और बाहर दोनों ही स्थानों पर आग जलाने की जगहें मिली हैं। ऐसा लगता है कि लोग मौसम के अनसु ार घर के अदं र या बाहर खाना पकाते होंगे। बहुत सारी जगहों से पत्थर के औज़ार भी मिले हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जो परु ापाषाणयगु ीन उपकरणों से भिन्न हैं। इसीलिए इन्हें नवपाषाण यगु का माना गया है। इनमें वे औज़ार भी हैं, जिनकी धार को और अधिक पैना करने के लिए उन पर पॉलिश चढ़ाई जाती थी। ओखली और मसू ल का प्रयोग अनाज तथा वनस्पतियों से प्राप्त अन्य चीज़ों को पीसने के लिए किया जाता था। आज हज़ारों साल बाद भी ओखली और मसू ल का प्रयोग अनाज पीसने नवपाषाण यगु के कुछ के लिए किया जाता है। उसी तरह प्राचीन प्रस्तरयगु ीन औज़ारों का निर्माण उपकरण। और प्रयोग लगातार होता रहा। कुछ औज़ार ह यों से भी बनाए जाते थे। 18 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 18 17 June 2022 10:57:40 नवपाषाण यगु के परु ास्थलों से कई प्रकार के मिट्टी के बर्तन मिले हैं। कभी-कभी इन पर अलंकरण भी किया जाता था। बर्तनों का उपयोग चीज़ों को रखने के लिए किया जाता था। धीरे -धीरे लोग बर्तनों का प्रयोग खाना बनाने के लिए भी करने लगे। चावल, गेहूँ तथा दलहन जैसे अनाज अब आहार का महत्वपर्णू हिस्सा बन गए थे। इसके साथ-साथ अब लोग कपड़े भी बनु ने लगे थे। इसके लिए कपास जैसे आवश्यक पौधे उगाए जा सकते थे। क्या ये परिवर्तन हर जगह एक साथ ही आ गए होंगे? ऐसी बात नहीं D;k rqe dYiuk dj ldrh gks fd bl ik=k esa D;k j[kk है। एक तरफ़ जहाँ कई जगहों पर स्त्री-परुु ष शिकार और भोजन-सग्रं ह करने gksxk\ का काम करते रहे थे वहीं अन्य लोगों ने हज़ारों सालों के दरम्यान धीरे -धीरे खेती और पशपु ालन को अपना लिया। बहुत जगह लोग मौसम के मतु ाबिक बदल-बदल कर अपनी जीविका चलाया करते थे। सक्ू ष्म-निरीक्षण मेहरगढ़ में जीवन-मृत्यु मानचित्र 2 (पष्ृ ठ 12) में मेहरगढ़ ढूँढ़ो। यह ईरान जाने वाले सबसे महत्वपर्णू रास्ते, बोलन दर्रे के पास एक हराभरा समतल स्थान है। मेहरगढ़ संभवतः वह स्थान है, जहाँ के स्त्री-परुु षों ने, इस इलाके में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना और भेड़-बकरी पालना सीखा। यहाँ विभिन्न प्रकार के जानवरों की ह याँ मिलीं। इनमें हिरण तथा सअू र जैसे जंगली जानवरों तथा भेड़ और बकरियों की ह याँ हैं। मेहरगढ़ में इसके अलावा चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष भी मिले हैं। प्रत्येक घर में चार या उससे ज़्यादा कमरे हैं, जिनमें से कुछ संभवतः भडं ारण के काम आते होंगे। मेहरगढ़ के घर का चित्र। मेहरगढ़ के घर शायद ऐसे दिखते मत्यु के बाद सामान्यतया मतृ क के सगे संबंधी उसके प्रति सम्मान हों। तुम जिस घर में रहते हो, जताते हैं। लोगों की आस्था है कि मतृ ्यु के बाद भी जीवन होता है। उसके साथ इस घर की क्या इसीलिए कब्रों में मतृ कों के साथ कुछ सामान भी रखे जाते थे। मेहरगढ़ समानता है? 19 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 19 17 June 2022 10:57:42 में ऐसी कई कब्रें मिली हैं। एक कब्र में एक मतृ क के साथ एक बकरी को भी दफ़नाया गया था। संभवतः इसे परलोक में मतृ क के खाने के लिए रखा गया होगा। मेहरगढ़ की कब्र का चित्र क्या तमु बकरी के कंकाल को पहचान सकते हो? कल्पना करो उपयोगी शब्द तमु आज से 12,000 साल पहले पत्थर की एक गफ ु ा में रहते हो। पृष्ठ 13 पर देखो। आखेटक-खाद्य संग्राहक तमु ्हारे मामा गफ ु ा की एक भीतरी दीवार पर चित्र बना रहे हैं और तमु उनकी सहायता परु ास्थल करना चाहते हो। तमु रंग बनाओगे, रे खाएँ खींचोगे या फिर उनमें रंग भरोगे? तमु ्हारे उद्योग-स्थल आवासीय-स्थल मामा तमु ्हें कौन-कौन सी कहानियाँ सनु ाएँगे? परु ापाषाण मध्यपाषाण आओ याद करें लघपु ाषाण कृ षक 1. इन वाक्यों को परू ा करो पशपु ालक नवपाषाण यगु (क) आखेटक-खाद्य संग्राहक गफ ु ाओ ं में इसलिए रहते थे क्योंकि _______। कब्र (ख) घास वाले मैदानों का विकास ____________ साल पहले हुआ। 2. खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे? 3. परु ातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले के वल शिकारी थे, और बाद में उनके लिए पशपु ालन ज़्यादा महत्वपर्णू हो गया? 20 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 20 17 June 2022 10:57:43 आओ चर्चा करें कुछ महत्वपर्णू तिथियाँ 4. आखेटक-खाद्य सग्ं राहक एक स्थान से दसू रे स्थान पर क्यों घमू ते रहते थे? मध्यपाषाण यगु उनकी यात्रा और आज की हमारी यात्रा के कारणों में क्या समानताएँ या क्या (12,000-10,000 भिन्नताएँ हैं? साल पहले) 5. आखेटक-खाद्य संग्राहक आग का उपयोग किन-किन चीज़ों के लिए करते थे? बसने की प्रक्रिया क्या तमु आज आग का उपयोग इनमें से किसी चीज़ के लिए करोगे! का आरंभ (लगभग 12,000 साल पहले) 6. कृ षकों-पशपु ालकों का जीवन आखेटक-खाद्य संग्राहकों के जीवन से कितना भिन्न था, तीन अतं र बताओ। नवपाषाण यगु का आरंभ आओ करके देखें (10,000 साल पहले) मेहरगढ़ में बस्ती का 7. तमु जिन अनाजों को खाते हो उनकी एक सचू ी बनाओ। इन अनाजों को क्या तमु आरंभ स्वयं उगाते हो? अगर हाँ, तो एक तालिका बनाकर उसकी खेती की विभिन्न (लगभग 8000 साल अवस्थाओ ं को दिखाओ। अगर नहीं, तो एक तालिका बनाकर दिखाओ कि ये पहले) अनाज किसान से लेकर तमु ्हारे पास तक कै से पहुचँ ।े 21 आखेट-खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक Rationalised 2023-24 Chapter 2.indd 21 17 June 2022 10:57:44