Hindi सच्ची वीरता PDF
Document Details
Uploaded by Deleted User
Tags
Summary
This document, likely a chapter from a school textbook, describes courageous acts and traits, using examples and historical figures. It discusses the importance of inner strength and ideals, and the significance of courage in various forms.
Full Transcript
## 12. सच्ची वीरता सच्चे वीर अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण सबको प्रभावित करते हैं। कठिन परिस्थिति में सबकी आँखें उनका मुँह देखती हैं। वे प्रेरक बन विशाल जनसमूह सागर को जिधर चाहें, मोड़ सकते हैं। हमें भी उनकी अचलता, दृढ़ता, सच्चाई आदि को अपनाना होगा। आइए, वीरता की नई परिभाषा बताने वाले इस पाठ को पढ़...
## 12. सच्ची वीरता सच्चे वीर अपने अनोखे व्यक्तित्व के कारण सबको प्रभावित करते हैं। कठिन परिस्थिति में सबकी आँखें उनका मुँह देखती हैं। वे प्रेरक बन विशाल जनसमूह सागर को जिधर चाहें, मोड़ सकते हैं। हमें भी उनकी अचलता, दृढ़ता, सच्चाई आदि को अपनाना होगा। आइए, वीरता की नई परिभाषा बताने वाले इस पाठ को पढ़ें... ### उच्चारण अभ्यास गहरी बादशाह शेखी अंतःप्रेरणा अरण्य इकट्ठा दृढ़ता सच्चे वीर पुरुष धीर, गंभीर और आज़ाद होते हैं। उनके मन की गंभीरता और शांति समुद्र की तरह विशाल और गहरी तथा आकाश की तरह स्थिर और अचल होती है परंतु जब ये शेर गरजते हैं, तब सदियों तक उनकी दहाड़ सुनाई देती रहती है और अन्य सब आवाजें बंद हो जाती हैं। उत्तम गुणों के समुद्र में जिनका मन डूब गया, वे ही महात्मा, साधु और वीर हैं। वे लोग अपने क्षुद्र जीवन को छोड़कर ऐसा ईश्वरीय जीवन पाते हैं कि उनके लिए संसार के सब अगम्य मार्ग साफ़ हो जाते हैं। आकाश उनके ऊपर बादलों का छाता लगाता है। प्रकृति उनके मनोहर माथे पर राजतिलक लगाती है। हमारे मन के राजा ये ही साधु पुरुष हैं। एक बार एक बागी गुलाम और एक बादशाह की बातचीत हुई। यह गुलाम दिल से आज़ाद था। बादशाह ने कहा, “मैं तुम्हें अभी जान से मार डालूँगा। तुम क्या कर सकते हो?" गुलाम बोला, "हाँ, मैं फाँसी पर तो चढ़ जाऊँगा पर तुम्हारा अपमान-अनादर तब भी कर सकता हूँ।" इस गुलाम ने दुनिया के बादशाहों के बल को आइना दिखा दिया। बस, इतने ही ज़ोर और इतनी ही शेखी पर ये झूठे बादशाह मार-पीटकर लोगों को डराते थे। चूँकि लोग शरीर को अपने जीवन का केंद्र समझते हैं इसलिए जहाँ किसी ने उनके शरीर पर ज़रा-ज़ोर से हाथ लगाया वहीं मारे डर के अधमरे हो जाते हैं। केवल शरीर-रक्षा के कारण ये लोग इन बादशाहों की ऊपरी मत से पूजा करते हैं। सच्चे वीर अपने प्रेम के ज़ोर से लोगों के दिलों को सदा के लिए बाँध देते हैं। मंसूर ने अपनी मौज में आकर कहा, "मैं खुदा हूँ।" दुनियावी बादशाह ने कहा, "यह कॉफ़िर है।" मगर मंसूर ने अपने कलाम को बंद न किया। पत्थर मार-मारकर दुनिया ने उसके शरीर की बुरी दशा की परंतु उस मर्द के मुँह से हर बार यही शब्द निकला, "अनलहक !” अर्थात- मैं ही ब्रह्म हूँ। सूली पर चढ़ना मंसूर के लिए सिर्फ़ एक खेल था। महाराजा रणजीत सिंह ने फ़ौज से कहा, "अटक के पार जाओ।" अटक चढ़ी हुई थी और भयंकर लहरें उठी हुई थीं। जब फ़ौज ने कुछ उत्साह प्रकट न किया, तब उस वीर को जोश आया। महाराजा ने अपना घोड़ा दरिया में डाल दिया। कहा जाता है कि अटक सूख गई और सब पार निकल गए। ## चित्र वर्णन चित्र में एक योद्धा अपने घोड़े पर सवार है। वह एक तलवार पकड़े हुए है, और उसकी आँखों में जोश और determination दिख रही है। उसके चारों ओर उसके साथी सैनिक दिखाई दे रहे हैं। ## वीरता की अभिव्यक्ति वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार से होती है। कभी उसकी अभिव्यक्ति लड़ने-मरने में, खून बहाने में, तलवार-तोप के सामने जान गंवाने में होती है, तो कभी उसकी अभिव्यक्ति जीवर के गूढ़ तत्व और सत्य की तलाश में बुद्ध जैसे राजा के बोर हो जाने में होती है। वीरता एक प्रकार की अंतः प्रेरणा है। जब कभी इसका विकास हुआ, तभी एक नया कमाल नज़र आया। एक नई रौनक, एक नया रंग, एक नई बहार, एक नई प्रभुता संसार में छा गई। वीरता हमेशा निराली और नई होती है। नयापन भी वीरता का एक खास रंग है। वीरता देश और काल के अनुसार संसार में जब कभी प्रकट हुई, तभी एक नया स्वरूप लेकर आई, जिसके दर्शन करते ही सब लोग चकित हो गए। बीर पुरुष का दिल सबका दिल हो जाता है। उसका मन सबका मन हो जाता है। उसके विचार सबके विचार हो जाते हैं। उसके संकल्प सबके संकल्प हो जाते हैं। उसका बल सबका बल हो जाता है। वह सबका और सब उसके हो जाते हैं। वीरों को बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते। वे तो देवदार के वृक्षों की तरह जीवन के अरण्य में खुद-ब-खुद पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के दूध पिलाए, बिना किसी के हाथ लगाए तैयार होते हैं और दुनिया के मैदान में अचानक ही सामने आकर खड़े हो जाते हैं।॥ हर बार दिखावा और नाम के लिए छाती ठोंककर आगे बढ़ना और फिर पीछे हटना पहले दर्जे की बुज़दिली है। वीर तो यह समझता है कि मनुष्य का जीवन जरा-सी चीज़ है, वह सिर्फ़ एक बार के लिए काफ़ी है। मानो बंदूक में केवल एक गोली है, उसे एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है। हाँ, कायर पुरुष इसको बहुत ही कीमती और कभी न टूटने वाला हथियार समझते हैं। हर घड़ी आगे बढ़कर और यह दिखाकर कि हम बड़े हैं, वे फिर पीछे इसलिए हट जाते हैं कि उनका अनमोल जीवन किसी और अधिक बड़े काम के लिए बच जाए। गरजने वाले बादल ऐसे ही चले जाते हैं परंतु बरसने वाले बादल जरा-सी देर में मूसलाधार वर्षा कर जाते हैं। वीर पुरुष का शरीर कुदरत की समस्त ताकतों का भंडार है। कुदरत का यह केंद्र हिल नहीं सकता। सूर्य का चक्कर हिल जाए परंतु वीर के दिल में जो दैवी केंद्र है, वह अचल है। कुरदत की नीति चाहे विकसित होकर अपने बल को नष्ट करने का मार्ग वीरों की नीति बल को हर तरह से इकट्ठा करने और बढ़ाने की होती है। वह वीर क्या, जो टीन के बरतन की तरह झट से गरम और ठंडा हो जाता है। सदियों नीचे आग जलती रहे, तो भी शायद ही गरम हो और हज़ारों वर्ष बरफ़ उस पर जमते रहे, तो भी क्या मजाल जो उसकी वाणी तक ठंडी हो। उसे खुद गरम और सर्द होने से क्या मतलब? सत्य की सदा जीत होती है! यह भी वीरता का एक चिह्न है। विजय वहीं होती है जहाँ पवित्रता और प्रेम है। दुनिया धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर खड़ी है। जो अपने आपको उन नियमों के साथ अभिन्न करके रहता है, उसी की विजय होती है जब हम कभी वीरों का हाल सुनते हैं, तब हमारे अंदर भी वीरता की लहरें उठती हैं और वीरता का रंग चढ़ जाता है परंतु प्रायः वह चिरस्थायी नहीं होता। इसका कारण यही है कि हम सब केवल दिखाने के लिए वीर बनना चाहते हैं। टीन के बरतन का स्वभाव छोड़कर अपने जीवन के केंद्र में निवास करो और सच्चाई की चट्टान दृढ़ता से खड़े हो जाओ। बाहर की सतह को छोड़कर जीवन के अंदर की तहों में घुसो, तब नए रंग खिलेंगे। - सरदार पूर्ण सिंह