BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 PDF

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2025

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biology reproduction vegetative propagation science

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This document is a past paper for TARGET BOARD 12th grade Biology exam, from 2025. It includes questions on reproduction concepts like sexual and asexual reproduction, vegetative propagation, and related examples. This is a helpful resource for students.

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BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 1. अलैंकिि जनन (Asexual Reproduction)- यह जनन िा एि गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Question)...

BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 1. अलैंकिि जनन (Asexual Reproduction)- यह जनन िा एि गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Question) सामान्य प्रिार है जजसमें िे वल एि ही जीव या जनि (Parents) 1. जनन किसे िहते हैं? भाि लेता है। इस कवजि में वयस्क बनने िे बाद जीव अपनी हूबहू उत्तर- वह किया जजसमें जीव अपने समान जीव िो उत्पन्न िरता है, प्रकतजलकपयों (identical copies) िे रूप में सन्तकतयाँ उत्पन्न िरता जनन िहलाती है। है। अतः जनि तथा सन्तकतयों िे बीच आनुवंजिि पदाथि एवं लक्षणों 2. जनन कितने प्रिार िा होता है? में िोई अन्तर नहीं होता है। इसीजलए अलैंकिि जनन िे फलस्वरूप उत्तर- 1. लैंकिि जनन तथा उत्पन्न सन्तकतयों िो क्लोन (clone) िहते हैं। ऐसा जनन अपेक्षािृ त 2. अलैंकिि जनन। तीव्र दर से होता है। इसिे जलए िरीर में िोई कवजिष्ट ऊति या अंि 3. मुिुलन पर किप्पणी जलजिए। नहीं होते। उत्तर- मुिुलन (Budding) - इस प्रिार िा कवभाजन यीस्ट (Yeast) एवं िु छ जीवाणुओ ं में पाया जाता है। इस प्रकिया में िोजििा में बाह्य वृकि होिर एि या एि-से-अजिि छोिी रचनाएँ बन जाती हैं तथा िे न्द्रि सूत्री-कवभाजन (mitosis) द्वारा (Lindgreen, 1949 िे अनुसार) कवभाजजत होिर दो भािों में बँ ि जाता है। िु छ वैज्ञाकनिों िे अनुसार िे न्द्रि िा यह कवभाजन असूत्री कवभाजन या अमाइिोजसस (amitosis) प्रिार िा होता है। प्रत्येि मुिुल (bud) 2. लैंकिि जनन (Sexual Reproduction)- लैंकिि जनन िी मातृ िोजििा से अलि होिर यीस्ट िी नई िोजििा में पररवकतित हो प्रकिया जकिल होती है। इसिे जलए िरीर में कविेष प्रिार िे जननांि जाती है। इस किया िो मुिुलन (budding) िहते हैं। जब ये उिि (reproductive organs) होते हैं। िरीर िी सामान्य दैकहि रचनाएँ (outgrowths) अपनी मातृ-िोजििा से अलि नहीं होती तो िोजििाओं (somatic cells) से जभन्न प्रिार िी दो अिुजणत श्ृंिला बनाती हैं, (haploid = 𝑛 ) िोजििाओं िा सं युग्मन लैंकिि जनन िी आिारभूत प्रकिया होती है। इन अिुजणत िोजििाओं िो लैंकिि िोजििाएँ (sex cells) या युग्मि (gamets) िहते हैं। िरीर िी दैकहि िोजििाएँ कद्विुजणत (diploid) होती हैं। लैंकिि िोजििाएँ प्रमुि जननांिों अथाित् जनदों (gonads) िी जनन िोजििाओं (germ cells) में कविेष प्रिार िे अििसूत्री या मीयोकिि कवभाजन (reductional or meiotic division) से बनती हैं। इनिे बनने िी इस प्रकिया िो युग्मिजनन (gametogenesis) िहते हैं। सं युग्मन में भाि लेने वाली दो लैंकिि िोजििाएँ जभन्न प्रिार िी होती हैं 4. िृ कत्रम िाकयि प्रवििन िी दो कवजियों िे नाम जलजिए। - एि नर युग्मि िोजििा तथा दूसरी मादा युग्मि उत्तर- 1. िलम लिाना िोजििा इनिे सं युग्मन से बनी कद्विुजणत िोजििा िो युग्मनज अथाित् 2. दाब िलम जाइिोि (zygote) िहते हैं। इसी से नई सन्तान िा प्रारम्भ होता है। 5. पौिों में जनन िी कितनी कवजियाँ पायी जाती हैं? प्रत्येि िा सं क्षेप में जनन िोजििाओं िे अििसूत्री कवभाजन द्वारा बनी युग्मि िोजििाओं में वणिन िीजजए। जनन िोजििाओं िे जोडीदार अथाित् समजात उत्तर- पौिों में जनन िी कवजियाँ पौिों में मुख्य रूप से जनन िी िुणसूत्रों(homologous chromosomes) िा बँ िवारा अकनयकमत कनम्नजलजित दो कवजियाँ पायी जाती हैं - एवं सं योकिि(random) होता है। कफर युग्मनजों (zygotes) िे TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 बनने में नर व मादा युग्मि िा सं युग्मन भी सं योकिि होता है। इसिे पर स्थानान्तररत िर कदया जाता है जहाँ यह वृकि िरिे नन्हे पौिे िे िारण युग्मनजों िे जीन प्रारूप(genotypes) जनन िोजििाओं िे रूप में कविजसत होता है। इस पादप िो कनिालिर मृदा में लिा कदया जीन प्रारूपों से िु छ जभन्न होते हैं। इसी िारण लैंकिि जनन िे जाता है। इस कवजि में एि बार ऊति सं वििन िरिे लम्बे समय ति फलस्वरूप बनी सन्तकत माता-कपता से थोडी जभन्न कदिाई देती है। पौिे प्राप्त किए जाते हैं और ये अजिि सं ख्या में प्राप्त होते हैं। यह कवजि आकिि ड् स (Orchids), िानेिन्स(Carnations), िुलदाऊदी (Crysanthemum) एवं सतावर (Asparagus) में अजिि सफल है। इस कवजि से मिरूमों (Mushrooms) िा भी सं वििन किया जाता है। कवस्तृत उत्तरीय प्रश्न 8. िाकयि जनन किसे िहते हैं? यह कितने प्रिार िा होता है? प्रािृ कति िाकयि प्रवििन िा कवस्तृत वणिन िीजजए। 6. किप्पणी जलजिए-ब्रायोफाइट्स में विी प्रजनन। उत्तर- पौिों में िाकयि जनन:- िाकयि जनन प्रजनन िी अथवा नए उत्तर- ब्रायोफाइट्स िे युग्मिोजभद् में अनेि प्रिार िा वषी प्रजनन होता पौिे िे पुनकनिमािण (regeneration) िी किया है। इस किया में नया है। उदाहरणाथि-कविण्डन, जेमा, िन्दे , पुं तन्तु, पत्रप्रिजलिा द्वारा। पौिा मातृ पौिे िे किसी भी िाकयि भाि से बनता है। इसिे सभी कविण्डन कवजि में बहुिोजििीय जनि पौिे िा िरीर दो या दो से लक्षण व िुण मातृ पौिे िे समान ही होते हैं। िाकयि जनन िो अजिि िुिडों में कविण्डण्डत हो जाता है तथा प्रत्येि िु िडा पुनरुद्भवन िाकयि प्रवििन (vegetative propagation) िे नाम से भी जाना द्वारा एि नई वयस्क सन्तकत में कविजसत हो जाता है। िभी-िभी पौिे जाता है। िी पत्ती व तने िे अग्र भाि पर बहुिोजििीय एवं हरे रंि िी रचनाएँ मातृ पौिे िे िाकयि अंिों द्वारा नये पादपों िा बनना िाकयि जनन या कनिलती हैं, जजन्हें जेम्यूल िहते हैं। ये अलि होिर अंिुरण द्वारा नये िाकयि प्रवििन िहलाता है। पौिे िो जन्म देती हैं। पौिों िे िन्द तथा पुं तन्तु भी नये पौिों िो जन्म यह किया कनम्न पादपों (lower plants) में सामान्य रूप से देिने िो देते हैं। ब्रायोफाइट्स में पत्रप्रिजलिाओं द्वारा भी वदी प्रजनन होता है। वे कमलती है जबकि उच्च श्ेणी िे पौिों (higher plants) में यह िे वल िजलिाएँ जजनमें िाद्य-पदाथि सं जचत रहता है, पत्र-प्रिजलिाएँ िहलाती कनम्न दो प्रिार से होती है - हैं। ये िजलिाएँ मातृ पौिे से िू ििर भूकम पर किर जाती हैं। तथा 1. प्रािृ कति िाकयि प्रवििन (Natural vegetative propagation) अनुिूल मौसम में इनमें अपस्थाकनि जडे कनिल आती हैं जो भूकम से जल एवं िकनज लवणों िा अविोषण िरती हैं तथा प्रिजलिाएँ वृकि 2. िृ कत्रम िाकयि प्रवििन (Artificial vegetative propagation) िरिे नवीन पौिे बनाती हैं। 3. प्रािृ कति िाकयि प्रवििन यह किया प्रिृ कत में कमलती है। इस किया 7. सूक्ष्म प्रवििन (माइिो प्रोपेिि े न) पर एि किप्पणी जलजिए। िे अन्तिित पादप िा िोई अंि अथवा रूपान्तररत भाि मातृ पौिे से या ऊति सं वििन पर सं जक्षप्त किप्पणी जलजिए। अलि होिर नया पौिा बनाता है। यह किया अनुिूल पररण्डस्थकतयों में उत्तर- यह िाकयि प्रवििन िी सबसे आिुकनि कवजि है। इस कवजि में होती है। पौिे िा िाकयि भाि; जैसे-जड, तना व पत्ती इस किया में मातृ पौिे िे थोडे से ऊति से हजारों िी सं ख्या में पादपों (plants) भाि लेते हैं। ये भाि इस प्रिार से रूपान्तररत होते हैं कि वे अंिुररत िो प्राप्त किया जा सिता है। यह कवजि ऊति तथा िोजििा सं वििन होिर नया पौिा बना सिें । कवजभन्न प्रािृ कति िाकयि प्रवििन िी तिनीिी (tissue and cell culture technique) पर आिाररत कवजियाँ अग्रवत् हैं है। (A) भूकमित तना इस कवजि में जजस पौिे से प्रवििन िरना होता है, उसिे किसी भाि से 4. तने िा मुख्य भाि अथवा िु छ भाि भूकमित वृकि िरता है तथा ऊति(tissue) िा छोिा भाि अलि िर जलया जाता है। अब इस एि प्रिार से भोजन सं ग्रह िरने वाले अंि िे रूप में रूपान्तररत हो ऊति िी अजमि पररण्डस्थकतयों (aseptic conditions) में किसी जाता है। परन्तु इस पर िक्षस्थ िजलिाएँ कमलती हैं जजनसे नया पौिा उजचत सं वििन माध्यम(culture medium) में वृकि िराते हैं। यह कविजसत होता है अथवा िािाएँ कनिलती हैं जो मृदा से बाहर आिर ऊति पोषि पदाथों िा अविोषण िरिे वृकि िरता है जजससे नया पौिा बना लेती हैं। उदाहरण िे जलए - िोजििाओं िे िुच्छे बन जाते हैं जजन्हें िै लस(callus) िहा जाता है। (i) िन्द (Tuber) - वृकि असमान (diffuse) होती है, जैसे - आलू इस िै लस िो लम्बे समय ति िुणन िे जलए सुरजक्षत रिा जा सिता (potato)। इस पर आँ ि (eye) कमलती है, जजसमें िक्षस्थ िजलिा है। आवश्यिता पडने पर िै लस िा एि छोिा िुिडा दूसरे ऐसे माध्यम (axillary bud) िल्क पत्रों से ढिी रहती है। यह िक्षस्थ िजलिा TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 अनुिूल समय में अंिुररत होिर नया पौिा बना लेती है। कनजित पवि (iii) भूस्ताररिा (Offset) - जलोजभद होने िे िारण इनिी सण्डियाँ नहीं कमलती हैं। पविसण्डियाँ जल कनमग्न होती हैं। प्रत्येि पविसण्डि से पकत्तयों िा एि समूह (tuft) कनिलता है, जजसमें नीचे जडों िा िुच्छा होता है जो मातृ पादप से अलि होिर नया पादप बनाता है; जैसे - समुद्र सोि (Water hyacinth), कपजस्टया (Pistia) आकद। (iv) अन्त:भूस्तारी (Sucker) - मुख्य तना (पवि) मृदा िे भीतर क्षैकतज रूप (horizontal) में बढ़ता है। िािाएँ प्रत्येि पविसण्डि से मृदा िे बाहर कनिल आती हैं; जैसे-पोदीना (mint) (C) मूल िु छ पौिों िे मूल (जड) िाकयि प्रवििन िरते हैं; जैसे - ििरिन्द (Ipomoea batatas), सतावर, डेहजलया (Dahelia), याम (Dioscored) आकद में अपस्थाकनि िजलिाएँ (ii) प्रिन्द (Rhizome) - यह भूकमित तना मृदा िे भीतर (adventitious buds) कनिलती हैं जो नया पौिा बना लेती हैं। समानान्तर अथवा क्षैकतज (horizontal) वृकि िरता है। इस पर पवि िु छ िाष्ठीय पौिों िी जडों; जैसे-मुराया (Muraya), एल्बीजजया (internode) व पविसण्डियाँ (nodes) कमलती हैं। पवि सं घकनत (Albuzzia), िीिम (Dalbergia) आकद से भी प्ररोह (shoot) (condensed) होते हैं। पविसण्डियाँ िल्कपत्रों से ढिी रहती हैं जजनमें कनिलते हैं। जजनिी वृकि नए पौिे िे रूप में होती है। िक्षस्थ िजलिा कमलती है। इन िक्षस्थ िजलिाओं से नए पौिे पकत्तयों द्वारा िाकयि प्रवििन सामान्यतः िम ही कमलता है। िु छ पौिों; कनिलते हैं; जैसे अदरि (ginger), हल्दी (Curcuma) आकद। जैसे - ब्रायोकफल्लम (Bryophyllum) तथा िे लेन्चो (iii) घनिन्द (Corm) - यह भूकमित तना मृदा में ऊर्ध्ि वृकि िरता (Kalanchoe) में पत्ती िे किनारों(leaf margins) पर पत्र है। इसमें पविसण्डियों (node) पर िल्कपत्रों से िजलिाएँ ढिी रहती िजलिाएँ बनती हैं जजनसे छोिे -छोिे पौिे कविजसत होते हैं। कबिोकनया हैं जजनसे नया पोिा बनता है, जैसे - अरबी (Colocasia), िे सर (Begonia) अथवा एजलफेन्ट इअर प्लान्ट में पत्र िजलिाएँ पणिवृत्त (Crocus), जजमीिन्द (Amorphophalus) आकद। तथा जिराओं आकद पर व पूणि सतह पर कनिलती हैं। (iv) िल्किन्द (Bulb) - यह प्ररोह िा वह रूपान्तरण है जहाँ तना छोिा होता है तथा इसे समानीत तने िे चारों ओर रसीले िूदेदार िल्क 9. युक्तपुं िे सरी दिा किसे िहते हैं? पत्र कमलते हैं। िल्क पत्रों िे िक्ष में िक्षस्थ िजलिाएँ होती हैं जो नये उत्तर- जब किसी पुष्प िे सभी पुं िे सर परस्पर सं लग्न होते हैं, तब इसे पौिे िो जन्म देती हैं; जैसे - प्याज (Allium cepa), ट्यूजलप युक्तपुं िे सरी दिा िहते हैं। जैसे - Cucurbitaceae family िे (Tulip), रजनीिं िा (Narcissus) आकद। पौिों में। (B) अििवायवीय तना:- 10. चतुदी पुं िे सर किसे िहते हैं? यह तना भूकम िे समानान्तर क्षैकतज वृकि िरता है। प्रत्येि पविसण्डि उत्तर- जब एि पुष्प िे चार पुं िे सर लम्बे और दो पुं िे सर छोिे हों, तो (node) से जडे तथा प्ररोह (िािा) कनिलते हैं। िभी-िभी पविसण्डि इसे चतुथी अवस्था िहते हैं। जैसे - सरसों िे पुष्प में। िा िु छ भाि मृदा में अथवा जल में कमलता है। उदाहरण िे जलए - 11. जौ या िेहूँ िे 100 दाने बनाने िे जलए कितने अििसत्र ू ी कवभाजन िी (i) ऊपरी भूस्तारी (Runner) - यह तना कवसिी होता है तथा मृदा आवश्यिता होिी? िे बाहर िी ओर क्षैकतज रूप से कमलता है। प्रत्येि पविसण्डि (node) उत्तर- जौ या िेहूँ िे 100 दाने बनाने िे जलए 125 अििसूत्री कवभाजन से जडे फूिती हैं तथा प्ररोह (िािा) कनिलता है जो कवपरीत कदिा में िी आवश्यिता होिी। वायु में वृकि िरता है। पविसण्डि से कनिलती प्रत्येि िािा एि नया 12. पररपक्व पराििोष िी अनुप्रस्थ िाि िा जचत्र बनाइए। पौिा बना लेती है; जैसे-दूब घास (Cyanodon), िट्टी बूिी उत्तर- जचत्र-पररपक्व पराििोष िी अनुप्रस्थ िाि (Oxalis), सेन्टेला (Centella) आकद। (ii) भूस्तारी (Stolon) - इनमें पविसण्डियों से जडे एवं वायवीय भाि कनिलते हैं। भूस्तारी िे िू िने पर प्रत्येि वायवीय िािा स्वतन्त्र पौिा बन जाती है; उदाहरण-अरवी, िे ला आकद। TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 12. अण्डाियों िी लम्ब िाि िा नामांकित जचत्र बनाइए। उत्तर- 19. कनम्न में अन्तर िीजजए - 1. उभयजलं िाश्यी तथा एिजलं िाश्यी। 2. समिालपक्वता तथा पूविमपक्वता। ुँ 3. भ्रूणपोषी तथा अभ्रूणपोषी बीज। 13. पॉलीिोनम प्रिार िे भ्रूणिोष में कितने िे न्द्र उपण्डस्थत होते हैं? उत्तर- उत्तर- पररपक्व भ्रूणिोष 8 िे न्द्रिीय एवं 7 िोजििीय होता है। 1. उभयजलं िाश्यी (Monoecious)- जब नर तथा मादा पुष्प एि ही पौिे पर लिे होते हैं, तो ऐसे पौिे िो एिक्षयि िहते हैं, जैस-े लौिी, िद्दू, िीरा, मक्का, अरण्डी आकद। एिक्षयि पौिों में बहुिा नर पुष्प िीषि िी ओर तथा मादा पुष्प नीचे िी ओर लिे रहते हैं। इन पौिों िे पुष्पों में स्व-परािण भी हो सिता है। एिजलं िाश्यी (Dioecious)- जब नर तथा मादा पुष्प दो जभन्न पौिों पर लिे होते हैं, तो ऐसे पौिों िो कद्वक्षयि िहते हैं, जैसे - पपीता, िहतूत, भाँ ि, िे वडा, डेिपाम (datepalm) आकद। कद्वक्षयि पौिों में िे वल परपरािण ही सम्भव है। 14. भ्रूणपोष िे न्द्रि िा कनमािण िै से होता है? इसमें उपण्डस्थत िुणसूत्रों 2. समिालपक्वता (Homogamy)- इस प्रिार िे स्वपरािण में पुष्प िी सं ख्या कितनी होती? िा पराििोष तथा वकतििाग्र एि ही समय में पररपक्व होते हैं, जैसे- उत्तर- कद्वतीयि िे न्द्रि (2𝑛) तथा एि नर िे न्द्रि (𝑛) िे सं लयन से िाडेकनया (Gardenia); िॉनवालवुलस (Convolvulus); भ्रूणपोष िे न्द्रि िा कनमािण होता है। इसमें उपण्डस्थत िुणसूत्रों िी सं ख्या सदाबहार (Vinca rosed = Catharanthus roseus), िुलाबांस 3𝑛 होती है। (Mirabilis) आकद। 15. कनम्नजलजित िो पररभाकषत िीजजए तथा एि उदाहरण भी दीजजए। पूविऍपक्वता (Protandry) - जब पुष्प में पुमंि (androecium), उत्तर- िु छ कद्वजलं िी पुष्प ऐसे होते हैं जो िभी नहीं जिलते। इन पुष्पों जायांि (gynoecium) से पहले पररपक्व हो जाते हैं तब इस अवस्था िो कनमीजलत पुष्प िहते हैं। ऐसे पुष्पों में बन्द अवस्था में ही पराििोि िो पूविऍपक्च(protandrous) िहते हैं। इन पुष्पों िे पराििोि से फि जाते हैं जजससे पराििण पुष्प िे वकतििाग्र पर कबिर जाते हैं और कनिलिर पराििण उसी पौिे िे पुष्पों िा परािण नहीं िर पाते परन्तु स्व-परािण हो जाता है। इस प्रकिया िो ही कनमीजलता िहते हैं। दूसरे पुष्पों िे वकतििाग्र पर पहुँचिर परािण िरते हैं, जैसे-िुडहल, उदाहरणाथि-िनिौआ (Commelina), िुलमेंहदी (Impatiens), िपास, क्लेरोडेन्द्रान, सालकवयो, सूयिमुिी, िेंदा, िकनया, सौंफ, बेला बनफसा (Viola), मूं िफली (Arachis) आकद। आकद। यह दिा पूविस्त्रीपक्वता िी अपेक्षा अजिि सामान्य है। 16.भ्रूणपोष िा कविास आवृतबीजी पौिों में किस प्रकिया िे फलस्वरूप 3. भ्रूणपोषी बीज (Endospermic Seeds)- ऐसे सभी बीज जजनमें होता है? भ्रूणपोष बीजों िे अंिुरण ति पाया जाता है उन्हें भ्रूणपोषी बीज या उत्तर- कद्वकनषेचन िे पिात् होता है। एल्ब्यूकमनस बीज (albuminous seeds) िहते हैं। इन बीजों में 17. प्रजनन िी पाल्मेला स्टे ज किस पादप में पाई जाती है? बीजपत्र (cotyledons) बहुत पतले होते हैं क्ोंकि इनमें भोजन उत्तर- प्रजनन िी पाल्मेला स्टे ज क्लेमाइडोमोनास में पाई जाती है। भ्रूणपोष में सं जचत रहता है, जैसे-सुपारी (Areca), फाइिे लेप्स 18. पालीकनया िा नामांकित जचत्र बनाइये। (Phyteleps), डेि (Phoenix), अरण्डी (Caster), िेहूँ उत्तर- जचत्र-पालीकनया (Wheat), मक्का (Maize) आकद। अभ्रूणपोषी बीज (Non-endospermic Seeds) - िु छ पौिों, जैसे-चना, सेम, मिर में भ्रूणपोष, भ्रूण-पररवििन में पूणिरूप से प्रयोि हो TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 जाता है। ऐसे बीजों िे बीजपत्रों (cotyledons) में भोजन सं जचत 1. वायु पराकित पुष्प छोिे एवं आिषिण रकहत होते हैं। ये रंिहीन रहने िे िारण ये मोिे होते हैं। इन्हें अभ्रूणपोषी (non- (colourless); िं िहीन (odourless) एवं मिरन्द रकहत होते हैं। endospermic) या एक्सएल्ध्ध्यूकमनस (exalbuminous) बीज 2. वायु पराकित पुष्प प्रायः एिजलं िी (unisexual) होते हैं। ये िहते हैं। पकत्तयों वाले भाि िे ऊपर कनिलते हैं तथा इनमें नर पुष्पों िी अजििता होती है; जैसे - मक्का में अथवा कफर नई पकत्तयों िे कनिलने 20.आवृतबीजों में नर युग्मिोजभद िा सं जक्षप्त कववरण दीजजए। से पहले ही जिल जाते हैं, जैसे-पोपलर में। उत्तर- नर युग्मिोदजभदिा कविास पराििोि िे स्फु िन िे समय मध्य 3. पुष्प िे अनावश्यि भाि; जैसे - बाह्यदल एवं दल बहुत छोिे होते हैं स्तर व िे पीिम स्तर नष्ट हो जाते हैं। इस प्रिार पराििोि जभकत्त में जजससे ये पराििणों और वकतििाग्र िे बीच रुिावि न बन सिें । िे वल बाह्यत्वचा (epidermis) व अन्तः त्वचा(endothecium) रह 4. वायु परािण िरने वाले पुष्पों द्वारा प्रचुर मात्रा में पराििण जाती है। प्रायः पराििोि िा स्फु िन अनुदैर्घ्ि दरारें (longitudinal (pollen grains) उत्पन्न होते हैं। क्ोंकि वायु िे झोंिों िे साथ slits) बनने से होता है जो प्रायः दो पराििाकनयों िे कमलने िे स्थान पराििणों िा अजििांि भाि इिर-उिर किरिर नष्ट हो जाता है और पर (A) (B) होती हैं। िभीिभी अग्र दरारों (terminal slits) कफर थोडे से पराििण ही वास्तकवि परािण किया में भाि ले पाते हैं। अथवा जछद्रों (pores) से भी पराििोिों िो स्फु िन होता है। स्फु िन उदाहरणाथिमक्का (Zea) तथा रूमेक्स (Rumex) िा एि पौिा िे फलस्वरूप पराििण स्वतन्त्र हो जाते हैं। पराििोि से स्वतन्त्र होने िमिः लिभि 2 िरोड तथा 40 िरोड पराििण उत्पन्न िरता है। िे पूवि ही पराििणों िा अंिुरण हो जाता है। इस किया में सविप्रथम इसी प्रिार िे नाकबस (Cannabis) िे एि पुष्प से लिभि 5 लाि पराििण िा िे न्द्रि पराििण-जभकत्त िी ओर जािर समसूत्री कवभाजन पराििणों िा कनमािण होता है। द्वारा दो िे न्द्रिों में कवभाजजत हो जाता है। 5. पराििण छोिे , िुष्क व हल्के होते हैं जजससे ये वायु में आसानी से इिर-उिर उड सिें । िु छ पुष्पों िे पराििणों में कविेष सं रचनाएँ भी पायी जाती हैं जो वायु परािण में सहायि होती हैं, जैसे-चीड (Pinus) िे पराििण पं ियुक्त (winged) होते हैं जजससे ये आसानी से उड सिें । 6. पुं िे सर िे पुं तन्तु प्रायः लम्बे तथा पतले होते हैं और पुष्प िे बाहर कनिले रहते हैं जजससे वायु िे झोंिों िे साथ ये आसानी से पुं तन्तुओ ं पर झूल सिें , जैसे-पोपलर में। घास, ताड आकद में पुष्पों िे पराििोि मुक्तदोली (versatile) प्रिार िा होता है जजससे ये वायु में आसानी से जचत्र-पराििण (pollen grain) िे कविास िा रेिीय जचत्र झूल सिें । 7. इन पुष्पों िा वकतििाग्र लम्बा, रोमयुक्त एवं पुष्प िे बाहर कनिला होता है जजससे ये पराििणों िो आसानी से पिड सिें ; जैसे-रोमयुक्त (मक्का) या जचपजचपा (पोपलर)। 22. आवृतबीजी पौिों में कद्वकनषेचन िी किया िा सजचत्र वणिन िीजजए। उत्तर- कद्वकनषेचन या दोहरा कनषेचन पराि नजलिा (pollen tube) में उपण्डस्थत दोनों नर िे न्द्रि ही नर युग्मि (male gametes) िी तरह िायि िरते हैं और भ्रूणिोष में पहुँचने िे बाद इनमें से एि नर युग्मि वास्तकवि मादा युग्मि (female gamete) अथाित् अण्ड िोजििा(egg cell) िे अन्दर प्रवेि िरिे उसिे िे न्द्रि िे साथ 21. वायु परािण पर सं जक्षप्त किप्पणी जलजिए। सं लकयत (fuse) हो जाता है। यह किया वास्तकवि युग्मि सं लयन या वायु पराकित पुष्पों िी कविेषताएँ जलजिए। (syngamy) है। इस प्रिार िी किया िो कनषेचन (fertilization) उत्तर- पुष्पों में वायु द्वारा होने वाले पर-परािण िो वायु परािण िहते हैं। दूसरा नर युग्मि, दो ध्रुवीय िे न्द्रिों (polar nuclei) द्वारा (anemophily) िहते हैं और ऐसे पुष्पों िो वायु पराकित पुष्प बने कद्वतीयि िे न्द्रि (secondary nucleus) िी ओर पहुँचिर उसे (anemophilous flowers) िहते हैं। वायु पराकित पुष्पों में िु छ कनषेजचत िरता है। यह किया कत्रसं योजन (triple fusion) िहलाती कविेषताएँ पायी जाती हैं जो कनम्नजलजित हैं है। इस समय भ्रूणिोष िे अन्दर कनषेजचत अण्डिोजििा तथा TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 कत्रसं योजजत िे न्द्रि िे अकतररक्त सभी िे न्द्रि अथवा िोजििाएँ िीरे -िीरे (megaspore) से पररवकिित होता sion) से बने प्राय: कत्रिुजणत (3n) लुप्त हो जाती हैं। यहाँ , एि ही भ्रूणिोष में दो सं लयन होते हैं; अतः है। आवृतबीजी पौिों िा मादा िे न्द्रि से कविजसत होता है। यह किया कद्वकनषेचन (double fertilization) िहलाती है और इस युग्मिोजद्भद (fe-male अनावृतबीजी पौिों में यह युग्म- किया िे फलस्वरूप भ्रूणिोष में प्रायः कनम्नजलजित पररवतिन दृकष्टिोचर gametophyte) है। िोजद्भद (n) ही होता है। होते हैं - (2) यह प्राय: िे वल 8 िे न्द्रिों (2) यह अनकिनत िे न्द्रिों वाली (तीन-तीन दो स्थानों पर िोजििाओं सं रचना है, जो प्राय: कत्रिुजणत िे रूप में तथा दो सामान्य जीवद्रव्य (triploid =3n ) अथवा में कद्वतीयि िे न्द्रि िे रूप में) तथा बहुिुजणत(polyploid) होता है, िु छ जीवद्रव्य से बनी सदैव किन्तु अनावृतबीजजयों में अिुजणत (haploid =n ) सं रचना (3) यह एि पोषि ऊति है , जो (3) यह मादा जनन इिाई िो भ्रूण िो बनते समय अथवा अंिुरण आश्य देने वाली सं रचना है। िे समय पोषण प्राप्त िराती है। (4) सभी आवृतबीजजयों िे (4) यह बनता अवश्य है , किन्तु बीजाण्ड में अवश्य होता है। कद्वबीजपकत्रयों में प्राय: बढ़ते हुए भ्रुण िे द्वारा अविोकषत हो जाने से सभी 23. कद्वकनषेचन िे पिात किसी आवृतबीजी पौिे िे बीजाण्ड में होने बीजों में नहीं होता है, जबकि वाले बहुत से पररवतिनों िा उल्लेि िीजजए। एिबीजपत्री बीजों में प्राय: होता है। उत्तर- कद्वकनषेचन िे पिात बीजाण्ड में होने वाले पररवतिन 25. कनम्न पर किप्पणी जलजिए 1. बाह्य अध्यावरण (Outer Integurment)- बीज िा बीजचोल (ि) अकनषेिफलने (testa) बनाता है। (ि) बहुभ्रूणता 2. अन्तः अध्यावरण (Inner Integument)- बीज िा अन्तः िवच या या िे िमेन(tegmen) बनाता है। अकनषेिफलन एवं बहुभ्रूणता में अन्तर जलजिए। (2017) 3. बीजाण्ड वृन्त (Funiculus)- नष्ट हो जाता है। लीची में इससे एि उत्तर- (ि) अकनषेिफलन यह िब्द नौल (NOLL) ने कदया। मांसल ऊति कनिलता है, यह बीज िे चारों ओर होता है, इसे अण्डािय (ovary) से कबना कनषेचन िे फल कनमािण िी किया बीजचोल या एररल िहते हैं। यह िाने योग्य भाि है। इसे third िो अकनषेिफलन (parthenocarpy) िहते हैं तथा ऐसे फलों िो integument भी िहते हैं। 4. बीजाण्डद्वार (Micropyle) - अकनषेिफलनी फल (parthenocarpic fruits) िहते हैं। यह फल बीजाण्डद्वार िे रूप में ही रहता है। अरण्डी (castor bean) में इससे बीजरकहत (seedless) होते हैं। अंिूर, िे ले तथा अनन्नास में प्रािृ कति एि अकतवृकि कनिलती है, जजसे बीजचोलि(caruncle) िहते हैं। अकनषेिफलन होता है। अकनषेिफलन िो हॉमोन; जैसे-ऑण्डक्सन व 4. बीजाण्डिाय (Nucellus) - प्रायः समाप्त हो जाता है, िभी-िभी जजबरेजलन िे जछडिाव से भी प्रेररत किया जाता है। पतली परत िे रूप में बचा रहता है जजसे पररभ्रूणपोष (perisperm) अनार (pomegranate), नाररयल(coconut) या उन फलों में िहते हैं, जैसे-िु मुकदनी, िाली कमचि आकद। जजनमें िाने योग्य भाि बीच िा है, अकनषेिफलनी फल बनाना बेिार 24. भ्रूणिोष तथा भ्रूणपोष िी तुलना िीजजए। होता है। उत्तर- भ्रूणिोष तथा भ्रूणपोष िी तुलना (ि) बहुभ्रूणता एि बीजाण्ड या बीज में एि से अजिि भ्रूणों िा उत्पन्न होना भ्रूणिोष भ्रूणपोष बहुभ्रूणता(polyembryony) िहलाता है। अनावृतबीजी पौिों में यह सामान्य घिना है परन्तु आवृतबीजी पौिों में िाफी िम पायी जाती (1) बीजाण्ड अथाित् (1) आवृतबीजी पौिों में कद्वकनषेचन िुरुबीजाणुिानी िे अन्दर बनने वाले में घकित, कद्वतीयि है। चार िुरुबीजाणुओ ं में से एि बहुभ्रूणता(polyembryony) िी िोज एण्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉि िे न्द्रि िे कनषेचन अथाित् कत्रसं लयन (A.V. Leeuwenhoek) ने 1791 में सन्तरे (orange) िे बीजों कियािारी िुरुबीजाणु (triple fu- में िी थी। यद्यकप एि बीज में बहुत सारे भ्रूण (embryo) कविजसत TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 हो जाते हैं, परन्तु इनमें से एि ही भ्रूण सकिय होिर पौिों िी अिली 3. अपस्थाकनि भूणता (Adventive Embryony)- इस प्रिार िे पीढ़ी िो जन्म देता है। बीज िे कनमािण में बीजाण्डिाय (nucellus) अथवा अध्यावरणों बहुभ्रूणता कनम्न प्रिार िी होती है - (integuments) िी िु छ िोजििाएँ कवभाजन एवं वृकि िरिे भ्रूण िा कनमािण िरती हैं। इस प्रिार उत्पन्न भ्रूण में सभी िोजििाएँ 1. सरले बहुभ्रूणता (Simple Polyembryony)- इस प्रिार िी कद्विुजणत (diploid) होती हैं। उदाहरण-नींबू (Citrus), आम बहुभ्रूणता में बीजाण्ड में एि-सेअजिि भ्रूणिोष (embryo sac) होते (Mangifera indica), नािफनी (Opuntia dillenii) हैं। इनमें कनषेचन िे बाद अनेि कनकषक्ताण्ड (oospore) बनते हैं। 4. कद्विुजणत बीजाणुता (Diplospory)- इस प्रिार िे बीज िे कनमािण प्रत्येि से भ्रूण िा कनमािण होता है, जैसे-ब्रेजसिा (Brassica) में दीघिबीजाणु मातृिोजििा (megaspore mother cell) से 2. कमजश्त बहुभ्रूणता (Mixed Polyembryony)- इसमें एि से भ्रूणिोष (embryo sac) बन जाता है। क्ोंकि इस कनमािण में अजिि पराि नजलिाएँ बीजाण्ड में जाती हैं। अकतररक्त युग्मि, सहायि अििसूत्री कवभाजन नहीं होता, सभी िोजििाएँ कद्विुजणत (diploid) िोिाओं अथवा प्रकतमुि िोिाओं से सं युक्त हो जाते हैं और इस प्रिार होती हैं। यकद इस भ्रूणिोष िे अण्ड (egg) से, नर युग्मि िे सं योजन बनी कद्विुजणत िोिी (2𝑛) से भी भ्रूण बनता है, जैसे - सैजजिे ररया, िे कबना भ्रूण िा कविास हो जाता है तो उसे अकनषेिजनन पोआ अल्पीना, एजलयम ओडोरम आकद। (parthenogenesis) िहा जाता है। उदाहरण-इक्सेररस डेन्टािा 3. कवदलन बहुभ्रूणता (Cleavage Polyembryony)- यह युग्मनज (Ixertis dentata), िे रेक्सािम एल्बाइकडयम (Taraxacum (zygote) िे दो अथवा अजिि भािों में कवभाजन से होती है। प्रत्येि albidium) भाि से भ्रूण बनता है; जैसे - िोिे लेररआ 5. अपबीजाणुता (Apospory)- इसिी िोज रोजनबिि (Crotalaria), FAT37 15C (Nymphaea advena) (Rosenberg, 1907) ने िी। इसमें बीजाण्डिाय (nucellus) िी िोई िोजििा एि ऐसे भ्रूणिोष िा कनमािण िरती है जजसिी प्रत्येि 4. अपस्थाकनि बहुभ्रूणता (Adventive Polyembryony)- जब िोजििा में िुणसूत्र कद्विुजणत (2n) होते हैं। यकद ऐसे भ्रूणिोष िे भ्रूण िा कविास कबना कनषेचन िे ही बीजाण्डिाय (nucellus) अथवा अण्ड (egg) में नर युग्मि िे सं योजन िे कबना भ्रूण िा कविास होता अध्यावरण(integuments) िी िोिाओं से होता है, तब ऐसी है तो इसे अकनषेिजनन(parthenogenesis) िहते हैं। बहुभ्रूणता िो अपस्थाकनि बहुभ्रूणता िहते हैं, जैसे- नींब,ू सं तरा, आम उदाहरण - िे कपस (crepis), ण्डक्लफ्िोकनआ (Cliftonia), आकद। पाजथिकनयम (Parthenium)। 26. असं िजनन (apomixis) क्ा है? उपयुक्त उदाहरण देिर इस 27. अपयुग्मन पर किप्पणी जलिें। प्रकिया िो समझाइए। उत्तर- अपयुग्मन (Apogamy; Greek, apo = without; या gamos = marriage)-यकद अिुजणत भ्रूणिोष (haploid अपबीजाणुता पर सं जक्षप्त किप्पणी जलजिए। embryosac) िे अण्ड िोिा (egg cell) िे अलावा अन्य किसी उत्तर- असं िजनन िभी-िभी पौिे िे जीवन-चि में युग्मि सं लयन दूसरी िोिा; जैसे-सहायि िोिा (synergid) अथवा प्रकतमुि िोिा (syngamy) अथवा अििसूत्री कवभाजन (meiosis) नहीं होते तथा (antipodal) से भ्रूण िा कनमािण होता है, तो इसे अपयुग्मन िहते इनिी अनुपण्डस्थकत में नये पौिे िा कनमािण हो जाता है, इस किया िो हैं। असं िजनन (apomixis) िहते हैं। इसिी िोज कवं िलर(Winkler, अथाित् युग्मिोजभद् (gametophyte) से सीिे बीजाणुजद्भद् 1908) नामि वैज्ञाकनि ने िी। असं िजनन मुख्य रूप से दो प्रिार िा (sporophyte) िा कनमािण; जैस-े एरीजश्या (Erythroea); होता है - जलजलयम (Lilium) आकद। 1. िाकयि जनन (Vegetative Reproduction)- इस प्रिार िे 28. पुष्पी पादपों में लघुबीजाणुजनन िा सजचत्र वणिन िीजजए। प्रजनन में बीज नहीं बनता। किसी िजलिा से, जो तने अथवा पत्ती िे या ऊपर उत्पन्न होती है, एि नया पौिा जन्म लेता है; िे वल नामांकित जचत्रों िी सहायता से आवृतबीजी पौिों में जैसे - िन्ना, आलू आकद। लघुबीजाणुजनन िा वणिन िीजजए। 2. अकनषेिबीजता (Agamospermy)- लैंकिि जनन िी अनुपण्डस्थकत या में बीज िा कनमािण-इस प्रिार िा प्रजनन बीज द्वारा होता है, परन्तु बीज सं जक्षप्त किप्पणी जलजिए - 'लघुबीजाणुजनन'। िे बनने में सं युग्मन एवं अििसूत्री कवभाजन नहीं होते। यह कनम्न प्रिार या िा होता है पराििोि िे कविास िी कवजभन्न अवस्थाओं िा जचत्रों िी सहायता से TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 वणिन िीजजए। आवृतबीजी पौिे िे भ्रूणिोष िा पररवििन (Development of an उत्तर- लघुबीजाणुजनन Angiospermic Embryosac) - एि आवृतबीजी बीजाण्ड िे पुष्पी पादपों में एि पराििोि (anther) एि उभार िे रूप में िु छ बीजाण्डिाय(nucellus) िे बीजाण्डद्वारीय (micropylar), स्वतन्त्र कवभज्योकतिीिोजििाओं िा एि अण्डािार समूह होता है। िीघ्र ही जसरे िी ओर एि िुरुबीजाणु मातृिोजििा में अिि -सूत्री कवभाजन यह एि चार पाजलयों वाला आिार बना लेता है। अब, चारों पाजलयों में (meiosis) से चार िुरुबीजाणुओ ं (megaspores) िा कनमािण प्रायः बाह्य त्वचा िे अन्दर अलि-अलि अिः स्तरीय िोजििाएँ लम्बवत् चतुष्क (linear tetrad) िे रूप में होता है। इनमें से एि (hypodermal cells) बडे आिार िी तथा अजिि स्पष्ट कदिाई देने प्राय: कनभािीय (chalazal) जसरे िी ओर वाला िुरुबीजाणु लिती हैं। (megaspore) जो एि अिुजणत (haploid) तथा मादा युग्मिोजद्भद (female gametophyte) िी प्रथम िोजििा है, कियािील हो जाता है। 30. परािण किसे िहते हैं? सैण्डिया में होने वाले परािण िी किया िा 29. िुरुबीजाणुजनन क्ा है? आवृतबीजीय पौिों में मादा युग्मिोजभद िे वणिन िीजजए। पररवििन िा वणिन िीजजए। उत्तर- परािण पुं िे सर (stamen) पुष्प िा नर भाि होता है जबकि या स्त्रीिे सर (pistil) मादा भाि होता है। पुं िे सरों में पराििणों (pollen जचत्रों िी सहायता से एि सामान्य 8 -िे न्द्रिीय भ्रूणिोष िे कविास िा grains) िा कनमािण होता है जो नर युग्मि अथवा िुिाणु (sperms) वणिन िीजजए। उत्पन्न िरते हैं। स्त्रीिे सरों में अण्डािय(ovaries) िा कनमािण होता है या जजसमें मादा युग्मि अथवा अण्डाणु (egg) बनता है। प्रजनन किया िे आवृतबीजी पौिों में भ्रूणिोष िै से बनता है? जचत्रों िी सहायता से सम्पन्न होने हेतु नर तथा मादा युग्मिों िा सं युग्मन (fusion) समझाइए। कवजभन्न िे न्द्रिों िे िायि िी कववेचना िीजजए। आवश्यि है। चूं कि अजििांि पौिों में पराििणों (pollen grains) या िे सं चालन (locomotion) िा अभाव होता है, इस िारण आवृतबीजी पौिों में िुरुबीजाणुजनन प्रकिया िा वणिन िीजजए। पराििणों िे जायांि(gynoecium) ति पहुँचने िे जलए इन्हें कवजभन्न या ढं ि अपनाने पडते हैं। पराििोि में बने पराििणों िा मादा पुष्प िे 'आवृतबीजजयों में मादा युग्मिोजभद्' पर किप्पणी जलजिए। वकतििाग्र (stigma) ति पहुँचने िी घिना िो परािण या (pollination) िहते हैं। परािण िे पिात् पुं िे सर और दल किर भ्रूणिोष िा नामांकित जचत्र बनाइए। जाते हैं, बाह्यदल या तो किर जाते हैं या फल में जचरलग्न रहते हैं। उत्तर- िुरुबीजाणुजनन:- पुष्पीय पौिे कवषमबीजी (heterosporous) परािण िे प्रिार होते हैं अथाित् इन पौिों में दो प्रिार िे बीजाणु (spores) बनते हैं परािण (pollination) कनम्नजलजित दो प्रिार िा होता है - लघुबीजाणु (microspores) जो नर युग्मिोजभद (male gametophyte) बनाने वाली िोजििाएँ हैं तथा िुरुबीजाणु (megaspores) जो मादा युग्मिोजभद बनाने वाली िोजििाएँ होती हैं। िुरुबीजाणुओ ं िे बनने िी किया जजसमें कमओजसस (अिि सूत्री कवभाजन) होती है, िुरुबीजाणुजनन (megasporogenesis) TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 1. स्व-परािण (self-pollination) तथा 3. इन बीजों से उत्पन्न पौिे भी बडे, भारी, स्वस्थ एवं सक्षम होते हैं 2. पर-परािण (cross-pollination)। तथा इनमें प्रकतिू ल पररण्डस्थकतयों िा सामना िरने िी अजिि क्षमता 3. स्व - परािण होती है। 1. स्व-परािण (self pollination) में एि पुष्प िे पराििण उसी 4. पर-परािण द्वारा रोि अवरोिि (disease resistant) नयी पुष्प अथवा उसी पौिे िे किसी अन्य पुष्प िे वकतििाग्र (stigma) पर जाकतयाँ तैयार िी जा सिती हैं। पहुँचते हैं। 5. पर-परािण से आनुवंजिि पुनयोजन द्वारा कवजभन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। 2. पर-परािण इस किया में एि पुष्प िे पराििण उसी जाकत िे दूसरे पौिों िे पुष्प िे वकतििाग्र पर पहुँचते हैं। यहाँ पर दोनों पुष्प दो अलि- 6. पर-परािण द्वारा प्रिृ कत में स्वतः ही पौिों िी नई जाकतयाँ (new अलि पौिों पर ण्डस्थत होते हैं चाहे वे एिजलं िी हों या कद्वजलं िी। पर- varieties) उत्पन्न होती रहती हैं। जजनमें नये िुणों िा समावेि होता परािण किया िा मुख्य लक्षण यह है कि इसमें बीज उत्पन्न िरने िे है तथा हाइकब्रड कविर (hybrid vigour) िे िारण अच्छी सं तकत जलये एि ही जाकत िे दो पौिे भाि लेते हैं। कद्वक्षयि बनती है। पौिों(dioecious plants) िे पुष्पों में िे वल पर-परािण ही सम्भव पर-परािण से हाकनयाँ (Disadvantages of Cross- होता है। कद्वजलं िी पुष्पों में यह सामान्यतया पाया जाता है। pollination) - अनेि लाभ होते हुए भी पर-परािण से कनम्नजलजित सैण्डिया में िीि परािण सैण्डिया िा पुष्प कद्व-ओकष्ठ (bilabiate) होता हाकनयाँ भी हैं - है, ऊपरी ओष्ठ प्रजनन अंिों िी रक्षा िरता है तथा कनचला ओष्ठ मिुमण्डियों िे बैठने िे जलये एि मं च (stage) िा िायि िरता है। 1. पर-परािण िी किया अकनजित (uncertain) होती है, क्ोंकि पुष्प पूविऍपक्व (protandrous) होता है, अथाित् पुं िे सर, स्त्री पुं िे सर परािण िे जलए यह वायु, जल एवं जन्तु पर कनभिर होती है। से पहले पिता है। इसमें दो पुं िे सर होते हैं। 2. पराकित िरने वाले सािनों िी समय पर उपलब्धता न होने पर 3. पुष्प में मिुमिी िी पीठ पर वकतििाग्र िा रिड िाना अजििांि पुष्प पराकित होने से रह जाते हैं। जब मिरन्द िी िोज में िोई मिुमिी दलपुं ज िी नली में प्रवेि 3. पर-परािण िे जलए पुष्पों िो दूसरे पुष्पों पर कनभिर रहना पडता है। िरती है तो कनचली बन्ध्य पराििोि पाजलयों िो िक्का लिता है जजससे योजी िा ऊपरी िण्ड लीवर िी भाँ कत नीचे झुि जाता है। इसिे 4. िीिों िो आिकषित िरने िे जलये पुष्पों िो चििीले रंि, बडे दल, फलस्वरूप दोनों अबन्ध्य पराििोि पाजलयाँ मिुमिी िी पीठ से सुिि तथा मिरन्द उत्पन्न िरना पडता है जजन सबमें अजिि पदाथि िा ििरािर अपना पराििण इसिे ऊपर कबिेर देती हैं। जब यह अपव्यय होता है तथा अजिि ऊजाि िा ह्वास होता है। मिुमिी पररपक्व अण्डप वाले किसी दूसरे पुष्प में प्रवेि िरती है तो 5. पर-पराकित पुष्पों, कविेषिर वायु पराकित पुष्पों में पराििण अजिि नीचे िी ओर मुडे हुए वकतििाग्र (stima) इसिी पीठ से रिड िािर सं ख्या में नष्ट होते हैं। पराििणों िो जचपिा लेते हैं और इस प्रिार परािण किया सम्पन्न होती 6. पर-पराकित बीज सदैव सं िर (hybrid) होते हैं। है। 32. कद्वबीजपत्री भ्रूण िे कविास िा वणिन िीजजए। 31. पर-परािण से होने वाले लाभ तथा हाकन िा उल्लेि िीजजए। या या कद्वबीजपत्री पौिों में भ्रूण कविास िी कवजभन्न अवस्थाओं िा िे वल "स्व-परािण िी अपेक्षा पर-परािण अजिि उपयोिी है।" इस िथन िी नामांकित जचत्र बनाइए। व्याख्या िीजजए। उत्तर- कद्वबीजपत्री भ्रूण िा कविास:- उत्तर- पर-परािण से लाभ (Advantages of Cross- pollination)-पर-परािण से कनम्नजलजित लाभ हैं – 1. पर-पराकित पुष्पों से बनने वाले फल बडे, भारी एवं स्वाकदष्ट होते हैं तथा इनमें बीजों िी सं ख्या अजिि होती है। 2. पर-परािण से उत्पन्न बीज भी बडे, भारी, स्वस्थ एवं अच्छी नस्ल वाले होते हैं, जजससे उपज बढ़ जाती है। TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 युग्मनज (zygote) एि कद्विुजणत सं रचना है। यह सूत्री कवभाजनों 1. िे न्द्रिीय भ्रूणपोष (Nuclear Endosperm)-इस प्रिार िे (mitotic division or mitosis) द्वारा कवभाजजत होता है। आरम्भ भ्रूणपोष कविास में भ्रूणपोष िे न्द्रि िे न्द्रिीय भूणपोष िे कनमािण िी में यह आिार में बढ़िर अपने चारों ओर सेलुलोस िी एि जभकत्त िा कवजभन्न अवस्थाएँ ( कडप्लेिम िे ररजसनम) बनाता है (जभकत्त-कनमािण नहीं कनमािण िरता है। इसिे पिात् यह एि अनुप्रस्थ कवभाजन होता) जो बाद में पररजि पर कवन्यजसत हो जाते हैं। भ्रूणपोष िे मध्य में (transverse division) द्वारा दो िोिाओं में कवभाजजत हो जाता एि िे न्द्रीय ररकक्तिा (central vacuole) बन जाती है। बाद में यह है। इसमें ऊपरी (बीजाण्डद्वार िी ओर ण्डस्थत) िोिा िो आिार ररकक्तिा समाप्त हो जाती है और बहुत-से िे न्द्रि व िोिीद्रव्य इसमें भर िोि(basal cell) तथा कनचली (कनभाि िी ओर ण्डस्थत) िोिा िो जाते हैं। बाद में इनमें अनेि िोिाएँ बन जाती हैं। इस प्रिार िा अन्तस्थ िोिा (terminal cell) िहते हैं। अन्तस्थ िोिा िो भूणीय भ्रूणपोष प्रायः पोलीपेिेली (polypetalae) विि में पाया जाता है, िोिा (embryonal cell) तथा आिार िोिा िो कनलम्बि िोिा जैसे-िै प्सेला | (Capsella)। (suspensor cell) िहते हैं। आिार िोिा एि अनुप्रस्थ कवभाजन 2. िोजििीय भ्रूणपोष (Cellular Endosperm) - इस प्रिार िे (transverse division) तथा अन्तस्थ िोिा एि उदग्र कवभाजन भ्रूणपोष कनमािण में भ्रूणपोष िे न्द्रि िे प्रत्येि कवभाजन िे पिात् ′ (vertical division) द्वारा कवभाजजत होिर ( 𝑇 ) िे आिार िा िोिा-जभकत्त िा कनमािण होता है। इस प्रिार िा भ्रूणपोष प्रायः चारिोिीय बालभूण (pro embryo) बनाती है। िैमोपेिेली विि में पाया जाता है, haustorium जैसे - कवल्लारजसया (Villarsia)। िोजििीय भूरापोष (कवल्लारजसया) 33. भ्रूणपोष क्ा है? इसिे कवजभन्न प्रिारों िा सं जक्षप्त कववरण दीजजए। 3. कहलोकबयल भ्रूणपोष (Helobial Endosperm) - इस प्रिार या िा भ्रूणपोष लिभि 19% आवृतबीजी पौिों में पाया जाता है, कविेष आवृतबीजी पौिों में पाये जाने वाले कवजभन्न प्रिार िे भ्रूणपोषों िा वणिन रूप से यह एिबीजपत्री पौिों में पाया जाता है। यह ऊपर वणिन किये िीजजए। िये दोनों प्रिार िे भ्रूणपोषों िे बीच िी अवस्था है। इसमें भ्रूणपोष या िे न्द्रि िे प्रथम कवभाजन िे बाद िोिा-जभकत्त िा कनमािण होता है। 'भ्रूणपोष' पर सं जक्षप्त किप्पणी जलजिए। बाद में इन दोनों भािों में िे न्द्रि कवभाजन होता रहता है और जभकत्त- उत्तर- भ्रूणपोष तथा उसिे प्रिार कनमािण नहीं होता, जैसे-ऐरीमुरस (Eremurus)। 34. पीकढ़यों िा एिान्तरण क्ा है? एि आवृतबीजी पौिे िे जीवन इकतहास िा िे वल । रेिांकित जचत्रों िी सहायता से वणिन िीजजए। उत्तर- आवृतबीजी पौिों िे जीवन-इकतहास में एि अत्यन्त कविजसत एवं कद्विुजणत (diploid; 2𝑛 ) अवस्था बीजाणु-उजभद् (sporophyte) तथा अल्प कविजसत, अिुजणत (haploid; n) अवस्था युग्मिोजभद् (gametophyte) होती है। ये दोनों अवस्थाएँ जीवन-चि में एि- दूसरे िे बाद आती रहती हैं, जजसे पीढ़ी एिान्तरण (alternation of सभी पुष्पीय पौिों में भ्रूण (embryo) िे पोषण िे जलए एि कविेष generation) िहते हैं। किन्तु बीजाणुजभद् अवस्था स्वतन्त्र जबकि ऊति होता है, इसे भ्रूणपोष िहते हैं। जजम्नोस्पसि में यह ऊति युग्मिोजद्भद् अवस्था बीजाणुजभ पर कनभिर (dependent) होती है। युग्मिोजभदी या अिुजणत (haploid = 𝑛 ) होता है किन्तु आवृतबीजी बीजाणुजद्भद् अवस्था प्रायः जड, तना एवं पकत्तयों में कवभक्त होती है। पौिों (angiospermic plants) में यह कत्रसं योजन (triple युग्मिोजद्भद् अवस्था में पराििण नर युग्मिोजभद् िी प्रथम िोिा है fusion) िे फलस्वरूप बनता है और अजिितर पौिों मेंकत्रिुजणत जजसिे कविास से नर युग्मिों (male gametes) िा कनमािण होता (triploid = 3𝑛 ) होता है। इसिे बीज में बने रहने तथा बीजांिुरण है। इसी प्रिार से बीजाण्ड िे अन्दर दीघिबीजाणु (megaspore) मादा में सहायता िरने पर बीज भ्रूणपोषी (endospermic) िहलाता है। युग्मिोजभद् िी प्रथम िोिा है, जजससे भ्रूणिोष िो कनमािण होता है। अनेि कद्वबीजपत्री पौिों िे बीजों में इसिा भोजन बीज िे बनते समय भ्रूणिोष में अण्ड िोिा (egg) बनती है। नरे। युग्मि (male बीजपत्रों द्वारा सोि जलया जाता है और यह बीज अभ्रूणपोषी (non- gamete) एवं अण्ड (egg) िोिा िे सं युग्मन (fusion) से युग्मनज endospermic) िहलाता है। (zygote; 2𝑛 ) िा कनमािण होता है। चूं कि युग्मनज बीजाण्ड िे आवृतबीजी पौिों में पररवििन (development) िे आिार पर अन्दर बनता है, अतः बीजाण्ड जजसे कनषेचन िे पिात् बीज िहते हैं; िे भ्रूणपोष अग्रजलजित तीन प्रिार िे होते हैं - अंिुरण से बीजाणुजभद् पौिे िा पुनः कविास होता है। जचत्र-आवृतबीजी पौिे िा जीवन-चि TARGET BOARD BIOLOGY TARGET BOARD 12th ब्रह्मास्त्र 2025 बालिों िा िरीर एि वयस्क िरीर िे रूप में कविजसत होता है तथा उनमें प्रजनन एवं कनषेचन िी क्षमता भी कविजसत हो जाती है। बालि िे यौवनारम्भ पर उत्पन्न लक्षण बालि िे िरीर में यौवनावस्था (puberty) प्रारम्भ होने िे समय (लिभि 15-18 वषि) से ही कनम्नजलजित लक्ष्ण कविजसत होने लिते हैं - 1. िरीर िी सुडौलता - िरीर अजिि मजबूत, मांसपेिीयुक्त, सुडौल, अजि?

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