विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाव PDF
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This document contains information about the magnetic effects of electric current, part of a physical science subject. The document provides details on magnetic poles, magnetic fields, and magnetic field lines, alongside the relationship between electric current and magnetic fields in various configurations, such as a straight current-carrying conductor and a circular loop. It also touches on the concepts of electromagnetism and its practical applications.
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विज्ञान अध्याय-13: विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि चुम्बक के ध्रुि :- 1. उत्तर दिशा की ओर संकेत क...
विज्ञान अध्याय-13: विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि चुम्बक के ध्रुि :- 1. उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले ससरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। 2. िूसरा ससरा जो िक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे िक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा िक्षिण ध्रुव कहते हैं । चुम्बकीय क्षेत्र :- एक मैगनेट के चारों के िेत्र क्षजसमें चुम्बक का पता लगाया जा सकता है , चुम्बकीय िेत्र कहलाता है | चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ :- चुम्बक के चारों ओर बहुत सी रेखाएँ बनती हैं , जो चुम्बक के उतारी ध्रुव से ननकल कर िक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती प्रतीत होती हैं , इन रेखाओ ं को चुम्बकीय िेत्र रेखाएँ कहते हैं | चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओ ुं की विशेषताएँ :- i. चुम्बकीय िेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से ननकलकर िक्षिणी ध्रुव में समाहहत हो जाती है | ii. चुम्बक के अंिर, चुम्बकीय िेत्र की दिशा इसके िक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है | iii. चुम्बकीय िेत्र रेखाएँ बंि वक्र होती हैं | iv. जहा ँ चुम्बकीय िेत्र रेखाए घनी होती हैं वहा ँ चुम्बकीय िेत्र मजबूत होता है | v. िो चुम्बकीय िेत्र रेखाएँ कभी एक िुसरे को प्रनतच्छे ि नहीं करती हैं| धारािाही चालक के चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र :- (1) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि i. एक धातु चालक से होकर गुजरने वाली ववद्युत धारा इसके चारों ओर चुम्बकीय िेत्र बनाता है | ii. जब एक धारावाही चालक को दिक्सूचक सुई के पास और उसके सुई के समांतर ले जाते है तो ववद्युत धारा की बहाव की दिशा दिकसुचक के ववचलन की दिशा को उत्क्रममत कर िेता है जो दक ववपरीत दिशा में होता है | iii. यदि धारा में वृक्षि की जाती है तो दिक्सूचक के ववचलन में भी वृक्षि होती हैं iv. जैसे जैसे चालन में धारा की वृक्षि होती है वैसे वैसे दिए गए नबिंिु पर उत्पन्न चुम्बकीय िेत्र का पररमाण भी बढ़ता है | v. जब हम एक कंपास (दिक्सूचक) को धारावाही चालक से िूर ले जाते हैं तो सुई का ववचलन कम हो जाता है | vi. तार में प्रवाहहत ववद्युत धारा के पररमाण में वृक्षि होती है तो दकसी दिए गए नबिंिु पर उत्पन्न चुंबकीय िेत्र के पररमाण में भी वृक्षि हो जाती है । vii. दकसी चालक से प्रवाहहत की गई ववद्युत धरा के कारण उत्पन्न चुब ं कीय िेत्र चालक से िूर जाने पर घटता है। viii. जैसे-जैसे ववद्युत धरावाही सीधे चालक तार से िूर हटते जाते हैं , उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय िेत्र को ननरूपपत करने वाले संकेंद्री वृत्तों का साइज़ बडा हो जाता है । दक्षक्षण हस्त अुंगष्ठ ु ननयम :- कल्पना कीक्षजए दक आप अपने िाहहने हाथ में ववद्युत धरावाही चालक को इस प्रकार पकडे हुए हैं दक आपका अ ँगूठा ववद्युत धरा की दिशा की ओर संकेत करता है , तो आपकी अ ँगुक्षलया ँ चालक के चारों ओर चुंबकीय िेत्र की िेत्र रेखाओ ं की दिशा में क्षलपटी होंगी| इस ननयम को िक्षिण- हस्त अंगुष्ठ ननयम कहते हैं | इस ननयम को मैक्सवेल का कॉककस्क्रू ननयम भी कहते हैं | (2) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि विद्युत धरािाही िृत्ताकार पाश के कारण चुुंबकीय क्षेत्र :- दकसी ववद्युत धरावाही चालक के कारण उत्पन्न चुंबकीय िेत्र उससे िूरी के व्युत्क्रम पर ननभकर करता है । इसी प्रकार दकसी ववद्युत धरावाही पाश के प्रत्येक नबिंिु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय िेत्र को ननरूपपत करने वाले संकेंद्री वृत्तों का साइज़ तार से िूर जाने पर ननरंतर बडा होता जाता है । विद्युत धरािाही िृत्ताकार पाश के कारण चुुंबकीय क्षेत्र का गुण :- i. वृत्ताकार पाश के केंद्र पर इन बृहत् वृत्तों के चाप सरल रेखाओ ं जैसे प्रतीत होने लगते हैं। ii. ववद्युत धरावाही तार के प्रत्येक नबिंिु से उत्पन्न चुंबकीय िेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसी प्रतीत होने लगती हैं। iii. पाश के भीतर सभी चुंबकीय िेत्र रेखाएँ एक ही दिशा में होती हैं (3) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि दकसी ववद्युत धरावाही तार के कारण दकसी दिए गए नबिंिु पर उत्पन्न चुंबकीय िेत्र प्रवाहहत ववद्युत धरा पर अनुलोमत ननभकर करता है । यदि हमारे पास n फेरों की कोई कुंडली हो तो उत्पन्न चुंबकीय िेत्र पररमाण में एकल फेरों द्वारा उत्पन्न चुब ं कीय िेत्र की तुलना में n गुना अमधक प्रबल होगा। इसका कारण यह है दक प्रत्येक फेरों में ववद्युत धारा के प्रवाह की दिशा समान है , अतः व्यष्टिगत फेरों के चुंबकीय िेत्र संयोक्षजत हो जाते हैं । पररनाक्षलका :- पास-पास क्षलपटे ववद्युतरोधी ता ँबे के तार की बेलन की आकृनत की अनेक फेरों वाली कुंडली को पररनाक्षलका कहते हैं । (4) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि पररनाक्षलका में प्रिाहहत विद्युत धारा के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :- जब ववद्युत धारा दकसी पररनाक्षलका से होकर गुजरती है | तो इसका एक ससरा चुम्बक के उतरी ध्रुव की तरह व्यवहार करता है जबदक िूसरा ससरा िक्षिणी ध्रुव की तरह व्यवहार करता है | पररनाक्षलका के भीतर और उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओ ुं का गुण :- पररनाक्षलका के भीतर चुंबकीय िेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओ ं की भा ँनत होती हैं। यह ननर्दिि करता है दक दकसी पररनाक्षलका के भीतर सभी नबिंिओ ु ं पर चुंबकीय िेत्र समान होता है। अथाकत पररनाक्षलका के भीतर एकसमान चुंबकीय िेत्र होता है । पररनाक्षलका के भीतर चुंबकीय िेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओ ं की भा ँनत होती हैं । पररनाक्षलका के चुम्बकीय िेत्र रेखाओ ं के इस गुण का उपयोग ववद्युत चुम्बक बनाने में दकया जाता है | पररनाक्षलका के भीतर एक प्रबल चुम्बकीय िेत्र उत्पन्न होता है | विद्युत चुम्बक :- पररनाक्षलका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुब ं कीय िेत्र का उपयोग दकसी चुंबकीय पिाथक, जैसे नमक लोहे , को पररनाक्षलका के भीतर रखकर चुंबक बनाने में दकया जाता है । इस प्रकार बने चुंबक को ववद्युत चुंबक कहते हैं । (5) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि विद्युत चुुंबक का गुण :- 1. समान्यत: इसके द्वारा उत्पन्न चुंबकीय िेत्र अमधक प्रबल होता है | 2. चुम्बकीय िेत्र की ताकत को पररनाक्षलका में फेरों की संख्या और ववद्युत धारा जैसे ननयंत्रण करने वाली ववमभन्न कारकों के द्वारा ननयंष्टत्रत की जा सकती है | 3. पररनाक्षलका से उत्पन्न चुम्बकीय िेत्र का ध्रुवत्व प्रवाहहत ववद्युत की दिशा में पररवतकन कर उत्क्रममत दकया जा सकता है | विद्युत चुुंबक और स्थायी चुुंबक में अुंतर :- विद्युत चुुंबक स्थायी चुुंबक 1. ववद्युत चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय िेत्र 1. समान्यत: इसके द्वारा उत्पन्न समान्यत: अमधक प्रबल होता है | चुंबकीय िेत्र कम प्रबल होता है | 2. चुम्बकीय िेत्र की ताकत को 2. स्थायी चुंबक के चुंबकीय िेत्र की पररनाक्षलका में फेरों की संख्या और ववद्युत ताकत स्थायी होता है , परन्तु तापमान में धारा जैसे ननयंत्रण करने वाली ववमभन्न पररवतकन कर इसे कम दकया जा सकता कारकों के द्वारा ननयंष्टत्रत की जा सकती है है | (6) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि 3. इसकी ध्रुवता धारा में पररवतकन कर 3. इसकी ध्रुव में पररवतकन नहीं दकया जा उत्क्रममत दकया जा सकता है | सकता है | 4. ववद्युत चुंबक बनाने के क्षलए समान्यत: 4. इस उिेश्य क्षलए कोबाल्ट या स्टील का मृिु लोहे का उपयोग दकया जाता है | प्रयोग दकया जाता है | ककसी चुम्बकीय क्षेत्र में धारािाही चालक पर लगने िाला बल :- एक प्रबल नाल चुंबक इस प्रकार से व्यवस्थस्थत कीक्षजए दक छड नाल चुंबक के िो ध्रुवों के बीच में हो तथा चुंबकीय िेत्रा की दिशा उपररमुखी हो। ऐसा करने के क्षलए नाल चुंबक का उत्तर ध्रुव ऐलुममननयम की छड के ऊर्ध्ाकधरत नीचे हो एवं िक्षिण ध्रुव ऊर्ध्ाकधरत ऊपर हो जब ववद्युत धारा एल्युमीननयम छड के ससरा B से ससरा A तक होकर गुजरता है तो ऐसा िेखा जाता है दक छड ववस्थापपत होता है | ऐसा भी िेखा जाता है दक जब धारा की दिशा को पररवर्ततत दकया जाता है तो छड की ववस्थापन की दिशा भी बिल (उत्क्रममत हो) जाती है | ननष्कषष :- i. उत्पन्न चुंबकीय िेत्र इस चालक के ननकट रखे दकसी चुंबक पर कोई बल आरोपपत करता है । ii. चुंबकीय िेत्र में रखने पर ऐलुममननयम की ववद्युत धरावाही छड पर एक बल आरोपपत होता है । (7) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि iii. चालक में प्रवाहहत ववद्युत धरा की दिशा उत्क्रममत करने पर बल की दिशा भी उत्क्रममत हो जाती है । iv. ववद्युत धरावाही छड पर आरोपपत बल की दिशा उत्क्रममत हो जाती है । इससे यह प्रिर्शशत होता है | v. चालक पर आरोपपत बल की दिशा ववद्युत धारा की दिशा और चुंबकीय िेत्र की दिशा िोनों पर ननभकर करती है। चालक पर बल :- चालक पर लगने वाला बल ननम्नक्षलखखत िो बातों पर ननभकर करता है : i. धारा की दिशा और ii. चुम्बकीय िेत्र की दिशा पर| फ्लेममिंग का िामहस्त ननयम :- इस ननयम के अनुसार, अपने बाएँ हाथ की तजकनी, मध्यमा तथा अ ँगूठे को इस प्रकार फैलाइए दक ये तीनों एक-िूसरे के परस्पर लंबवत हों| यदि तजकनी चुंबकीय िेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहहत ववद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अ ँगूठा चालक की गनत की दिशा अथवा चालक पर आरोपपत बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इसी ननयम को फ्लेममिंग का वामहस्त ननयम कहते है | इसी ननयम के आधार पर विद्युत मोटर कायष करता है :- ववद्युत मोटर, ववद्युत जननत्र, र्ध्नन ववस्तारक यंत्र, माइक्रोप ़ फोन तथा ववद्युत मापक यंत्र कुछ ऐसी युक्तिया ँ हैं क्षजनमें ववद्युत धरावाही चालक तथा चुंबकीय िेत्रों का उपयोग होता है । (8) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि MRI - इसका पूरा नाम चुम्बकीय अनुनाि प्रनतनबम्बन है | यह एक ववशेष तकनीक है क्षजससे शरीर के भीतर चुंबकीय िेत्र, शरीर के ववमभन्न भागों के प्रनतनबिंब प्राप्त करने का आधार बनता है | इन प्रनतनबिंबों का ववश्लेषण कर नबमाररयों का ननिान दकया जाता है | मानव शरीर के िो भाग जहा ँ चुम्बकीय िेत्र उत्पन्न होते है :- i. मानव मस्थस्तष्क ii. मानव ह्रिय विद्युत मोटर :- ववद्युत मोटर एक घूणकन युक्ति है क्षजसमें ववद्युत ऊजाक का यांष्टत्रक ऊजाक में रूपांतरण होता है | इस युक्ति का उपयोग ववद्युत पंखे, रेफ्रीक्षजरेटरों, ववद्युत ममक्सी, वाक्षशिंग मशीन, कंप्यूटर, MP 3 प्लेयर आदि में दकया जाता है | विद्युत मोटर का मसद्ाुंत :- ववद्युत मोटर का कायक करने का ससिांत ववद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधाररत है | चुंबकीय िेत्र में लौह-क्रोड पर क्षलपटी कुंडली से जब ववद्युत धारा प्रवाहहत की जाती है तो वह एक बल का अनुभव करती है | क्षजससे मोटर का आमेचर चुंबकीय िेत्र में घूमने लगता है | कुंडली के घूमने की दिशा फ्लेममिंग के वामहस्त ननयम के अनुसार होता है | यही ववद्युत मोटर का ससिांत हैं | विद्युत मोटर में विभक्त िलय की भूममका :- ववद्युत मोटर में ववभि वलय दिक्-पररवतकक का कायक करता है | दिक्-पररवतकक एक युक्ति है जो पररपथ में ववद्युत-धारा के प्रवाह को उत्क्रममत कर िेता है | (9) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि कदक्पररितषक :- वह युक्ति जो पररपथ में ववद्युत धरा के प्रवाह को उत्क्रममत कर िेती है , उसे दिकपररवतकक कहते हैं। व्यािसानयक मोटरों के गुण :- व्यावसानयक मोटर एक शक्तिशाली मोटर होता है | इसके ननम्न गुणों के कारण यह शक्तिशाली होता है | i. स्थायी चुंबकों के स्थान पर ववद्युत चुंबक प्रयोग दकए जाते हैं , ii. ववद्युत धरावाही कुंडली में फेरों संख्या अत्यमधक होती है तथा iii. कुंडली नमक लौह-क्रोड पर लपेटी जाती है । वह नमक लौह-क्रोड क्षजस पर कुंडली को लपेटा जाता है तथा कुंडली िोनों ममलकर आमेचर कहलाते हैं । इससे मोटर की शक्ति में वृक्षि हो जाती है । िैद्युतचुुंबकीय प्रेरण :- वह प्रक्रम क्षजसके द्वारा दकसी चालक के पररवतीी चुंबकीय िेत्र के कारण अन्य चालक में ववद्युत धारा प्रेररत होती है , वैद्यत ु चुंबकीय प्रेरण कहलाता है | वैद्यत ु चुंबकीय प्रेरण की खोज माइकल फैराडे ने दकया था| फैराडे की इस खोज ने दक ‘दकसी गनतशील चुंबक का उपयोग दकस प्रकार ववद्युत धारा उत्पन्न करने के क्षलए दकया जा सकता है ’| चुंबक को कुंडली की ओर ले जाने पर कुंडली के पररपथ में ववद्युत धरा उत्पन्न होती है , क्षजसे गैल्वेनोमीटर की सुई के वविेप द्वारा इंमगत दकया जाता है। कुंडली के सापेि चुब ं क की गनत एक प्रेररत ववभवांतर उत्पन्न करती है , क्षजसके कारण पररपथ में प्रेररत ववद्युत धारा प्रवाहहत होती है। गैल्वानोमीटर :- गैल्वनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो दकसी पररपथ में ववद्युत धारा की उपस्थस्थनत संसमू चत करता है । (10) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि यदि इससे प्रवाहहत ववद्युत धारा शून्य है तो इसका संकेतक शून्य पर रहता है । यह अपने शून्य मचन्ह के या तो बाई ओर अथवा िाईं ओर वविेपपत हो सकता है , यह वविेप ववद्युत धरा की दिशा पर ननभकर करता है। ककसी कुुंडली में विद्युत धारा प्रेररत करने के विमभन्न तरीके :- दकसी कुंडली में ववद्युत धारा प्रेररत करने के िो तरीके हैं i. कुन्डली को दकसी चुम्बकीय िेत्र में गनत कराकर। ii. कुन्डली के चारों ओर के चुम्बकीय िेत्र में पररवतकन कराकर। iii. कुन्डली को दकसी चुम्बकीय िेत्र में गनत कराकर प्रेररत ववद्युत धारा उत्पन्न करना अमधक सुववधाजनक हैं । फ्लेममिंग का दक्षक्षण-हस्त ननयम :- (11) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि इस ननयम के अनुसार, अपने िाएँ हाथ की तजकनी, मध्यमा तथा अ ँगूठे को इस प्रकार फैलाइए दक ये तीनों एक-िूसरे के परस्पर लंबवत हों| यदि तजकनी चुंबकीय िेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहहत ववद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अ ँगूठा चालक की गनत की दिशा अथवा चालक पर आरोपपत बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इसी ननयम को फ्लेममिंग का िक्षिण-हस्त ननयम कहते है | विद्युत जननत्र :- विद्युत जननत्र का मसद्ाुंत :- ववद्युत जननत्र में यांष्टत्रक ऊजाक का उपयोग चुंबकीय िेत्र में रखे दकसी चालक को घूणीी गनत प्रिान करने में दकया जाता है क्षजसके फलस्वरूप ववद्युत धारा उत्पन्न होती है । ववद्युत जननत्र में एक घूणीी आयताकार कुंडली ABCD होती है क्षजसे दकसी स्थायी चुंबक के िो ध्रुवों के बीच रखा जाता है | इस कुंडली के िो ससरे िो वलयों R1 तथा R2 से संयोक्षजत होते हैं। िो स्थस्थर चालक ब्रुशों B1 तथा B2 को पृथक-पृथक रूप से क्रमशः वलयों R1 तथा R2 पर िबाकर रखा जाता है । िोनों वलय R1 तथा R2 भीतर से धुरी होते हैं । चुंबकीय िेत्र के भीतर स्थस्थत कुंडली को घूणकन गनत िेने के क्षलए इसकी धुरी को यांष्टत्रक रूप से बाहर से घुमाया जा सकता है । स्थायी चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय िेत्र में, गनत करती है तो कुंडली चुंबकीय िेत्र रेखाओ ं को काटती है | जब कुंडली ABCD को िक्षिणावतक घुमाया जाता है फ्लेममिंग के िक्षिण-हस्त ननयम लागु करने पर इन भुजाओ ं में AB तथा CD दिशाओ ं के अनुदिश प्रेररत ववद्युत धारा प्रवाहहत होने लगती है | (12) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि प्रत्याितीी धारा :- ऐसी ववद्युत धरा जो समान काल-अंतरालों के पश्चात अपनी दिशा में पररवतकन कर लेती है , उसे प्रत्यावतीी धरा (A.C) कहते हैं । ववद्युत उत्पन्न करने की इस युक्ति को प्रत्यावतीी ववद्युत धरा जननत्र (ac जननत्र) कहते हैं । कदष्ट धारा :- ऐसी ववद्युत धारा क्षजसका प्रवाह एक ही दिशा में होती है दिि धारा (D.C) कहते है | (13) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि प्रत्याितीी धारा और कदष्टधारा में अुंतर :- प्रत्याितीी धारा (a.c) :- i. यह एक ननक्षश्चत समय के अंतराल पर अपनी दिशा बिलती रहती है । ii. इसे ववद्युत जननत्र द्वारा उत्पन्न दकया जाता है । कदष्टधारा (d.c) :- i. यह सिैव एक ही दिशा में प्रवाहहत होती है । ii. इसे सेल या बैटरी द्वारा उत्पन्न दकया जाता है । कदष्टधारा (d.c) :- सेल या बैटरी से उत्पन्न होता है | प्रत्याितीी धारा (a.c) :- ववद्युत जननत्र प्रत्याितीी धारा का लाभ :- प्रत्यवतीी धारा का लाभ यह है दक ववद्युत शक्ति को सुिूर स्थानों तक नबना अमधक ऊजाक िय के प्रेपषत दकया जा सकता है। भारत में प्रत्याितीी धारा की आिृवत :- (i) भारत में प्रत्यावतीी धारा की आवृनत 50 हाटजक है | (ii) भारत में उत्पादित प्रत्यावतीी ववद्युत धारा 1 /100 s पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रममत करती है | भुसम्पकष तार :- घरेलु ववद्युत पररपथ में ववद्युन्मय तार और उिासीन तार के अलावा एक अन्य तार होता है , क्षजस पर हरा ववद्युतरोधन होता है । इसे भू-संपकक तार कहते हैं | घरेलु पररपथ में भू-सुंपकष तार लगाने के फायदे :- भूसंपकक तार एक सुरिा उपाय है जो यह सुननक्षश्चत करता है दक कोई उपकरण के धात्वत्वक आवरण में ववद्युत धारा आ जाता है तो उसका (14) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 ) 13 विद्युत धारा के चुुंबकीय प्रभाि उपयोग करने वाला व्यक्ति को गंमभर िटका न लगे। इस तार को घरेलु पररपथ के अलावा इसका एक और छोर भूमम में गहराई में िबी धातु की प्लेट से संयोक्षजत दकया जाता हैं । (15) Add. - Main Road Bansi Dist Lalitpur U.P. ( Director - Rajeev Lochan Goswami -8467882271, 9651802429 )