छत्तीसगढ़ भूगर्भिक संरचना PDF

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geological formations geology Chhattisgarh geology of india

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इस दस्तावेज़ में छत्तीसगढ़ राज्य के भूगर्भिक संरचना, आर्कियन शैल समूह और गोंडवाना लैंड आदि की जानकारी दी गई। यह दस्तावेज़ भूगर्भिक संरचनाओं की विभिन्न विशेषताओं और प्रकारों तथा उनके भौगोलिक प्रभावों के बारे में चर्चा करता है।

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# अध्याय - 2 ## भू-गर्भिक संरचना छत्तीसगढ़ प्रायः द्वीपीय भारत का एक भाग है जो प्राचीन गोंडवाना लैण्ड का हिस्सा है। प्रदेश की उत्तरी एवं दक्षिणी भागों में आर्कियन्स शैल समूह का सर्वाधिक विस्तार है। भू-गर्भिक संरचना का प्रभाव वहां की भौगोलिक तत्वों जैसे धरातलीय बनावट, उच्चावच प्रतिरूप, प्रवाह-प्रणाल...

# अध्याय - 2 ## भू-गर्भिक संरचना छत्तीसगढ़ प्रायः द्वीपीय भारत का एक भाग है जो प्राचीन गोंडवाना लैण्ड का हिस्सा है। प्रदेश की उत्तरी एवं दक्षिणी भागों में आर्कियन्स शैल समूह का सर्वाधिक विस्तार है। भू-गर्भिक संरचना का प्रभाव वहां की भौगोलिक तत्वों जैसे धरातलीय बनावट, उच्चावच प्रतिरूप, प्रवाह-प्रणाली, खनिजों की उपलब्धता, कृषि प्रतिरूप, मानव अधिवास तथा यातायात इत्यादि पर स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। प्रदेश में निम्नांकित शैल समूह पाये जाते हैं – - 1. **आद्य महाकल्पीय शैल समूह (आर्कियन समूह)** - आर्कियन शब्द का अर्थ "सर्वाधिक प्राचीन" होता है। इसे पृथ्वी की प्राचीनतम शैल समूह मानते हैं। यह आर्कियन समूह कहलाता है। लम्बी अवधि के मौसमी क्षति के कारण ये कायान्तरित हो जाती हैं। इसके अन्तर्गत अंवर्गीकृत क्रिस्टलीय नाइस, ग्रेनाइट तथा धारवाड़ समूह की चिल्फीघाट सीरीज की अवसादी चट्टानों को सम्मिलित किया जाता है। महानदी घाटी की सीमान्त उच्च भूमि में इस शैल का विस्तार सर्वाधिक है। दण्डकारण्य का अधिकांश भाग इसी चट्टानों से निर्मित हैं। ये अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानें हैं। डोंगरगढ़ के आस-पास गुलाबी रंग की ग्रेनाइट चट्टानें पाई जाती हैं। रायगढ़ और जशपुर जिले के अधिकांश भागों में ग्रेनाइट चट्टानें हैं। इस शैल में लौह अयस्क की मात्रा विद्यमान हैं जो ग्रेनाइट के रूप में कहीं-कहीं मिलते हैं। ग्रेनाइट चट्टानें उर्देना, लामीदरहा के चारों ओर और सारंगढ़ के दक्षिण-पूर्वी भाग में फैली हुई है। श्वेत अभ्रक कापूं, गुठुरमिआ तथा खस्हाडोलीन के आसपास पेन्ड्रा-लोरमी पठार, उपरोरा और कोरबा बेसिन की चट्टानों का ढाल पश्चिम' से पूर्व दिशा की ओर है। कोरबा शहर के कुछ कि.मी. दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा में नीस और शिष्ट चट्टानें हैं। नीस की दो पट्टियां हैं। उत्तर में चिल्फी घाट में पुरानी नीस शैलें हैं तथा पहाड़ी भागों में भी नीस शैलें हैं.। दूसरा नीस शैल उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर है। रायगढ़ और कोरबा घाटी में भी नीस शैलें दिखाई देती हैं। दण्डकारण्य का 75% भू भाग आद्य ग्रेनाइट तथा आद्य शैलों से निर्मित हैं। ये अन्तर्वेधीय आग्नेय चट्टानें हैं जो ग्रेनाइट, क्वार्टज, फेल्सपार, अभ्रक तथा हार्नब्लैड से बनी हैं। 2. **धाड़वाड़ शैल समूह** - ये शैलें आर्कियन्स के ऊपर फैली हुई हैं। आर्कियन्स के नीस और शिष्ट के अपरदन से निर्मित पदार्थों से बनी हैं। सोनाखान की पहाड़ियों में विकसित चट्टानों का समूह है जिसे एफएच. स्मिथ ने 1899 में सोनाखान संस्तरण नाम दिया। यह चिल्फी घाट तथा साकोली श्रेणी के समान हैं। मध्यवर्ती घाटियों में मृदु चिकनी काली मिट्टी की स्लेट हैं जिनमें कहीं-कहीं क्वार्टजाइट की शिराएं हैं। यह झारामक्का और शाकरीटोला के आसपास मिलता है। इस क्षेत्र का बड़ा भाग वलन तथा भ्रंशन द्वारा प्रभावित है। हेमेटाइट-क्वार्टजाइट अत्यधिक कठोर तथा कड़ी चट्टानें हैं जो गहरी काली लौहमय हल्की सिलिका धातुओं की परतों से बनी हैं। दल्ली राजहरा क्षेत्र में ऐसी चट्टानें पाई जाती हैं। इसे नांदगांव श्रेणी और खैरागढ़ श्रेणी में विभक्त किया था। खैरागढ़ श्रेणी (60 करोड़ वर्ष पूर्व) कड़प्पा के पूर्व की शैलें हैं तथा नांदगांव श्रेणी कड़प्पा के बाद की शैलें है। धारवाड़ क्रम को लगभग 250 करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है। छत्तीसगढ़ बेसिन की यह पुरानी चट्टानें हैं जहां विभिन्न प्रकार के नीस, ग्रेनाइट और साइनाइट पाई जाती हैं। सोनाखान संस्तर की चट्टानें डाइक के रूप में हैं जिसकी रंग गुलाबी है। कड़प्पा युग की चट्टानें पूरे महानदी बेसिन पर पाई जाती हैं। शैल और चूना पत्थर महानदी के मैदान में चन्द्रपुर संस्तर से कांप मिट्टी अलग करती है। महानदी घाटी में रायपुर सीरीज की चट्टानों की मोटाई 609.6 मीटर है। ## Geological Map of Chhattisgarh The geological map of Chhattisgarh shows various geological formations, including: * **Latrrite** * **Deccan Trap** * **Lometa Group** * **Mahadeva Formation** * **Undiffrenciated Gondwana** * **Panchet Formation** * **Kamrhi Formation** * **Barakar Formation** * **Raniganj Formation** * **Talehir Formation** * **Intracratonic Basin** * **Khairagarh Group** * **Chilpi Group** * **Abujhamar Group** * **Nandgaon Group** * **Unclassified Metamorphies** * **Khondalite Group** * **Sonakhan Group** * **Batladila Group** * **Chota Nagpur Gneissic Complex** * **Bengal Group** * **Granites** * **Gneisses of Bastar** # छत्तीसगढ़ भौगोलिक अध्ययन बिलासपुर के चिल्फी घाट में धारवाड़ युगीन शैलें पाई जाती हैं। रतनपुर के पश्चिम में मैकल श्रेणी तक स्पर के रूप में पाई जाती है। रतनपुर के चारों ओर क्वार्टज शिष्ट चट्टानें पाई जाती हैं। दण्डकारण्य में परिवर्तित परतदार चट्टानें हैं जहां वलन पाया जाता है। दण्डकारण्य के मध्य में 10-12 अलग-अलग भागों में मिलता है। यहां बेंगपाल श्रेणी तथा बैलाडीला श्रेणी में विभक्त हैं। वेंगपाल में शिष्ट, स्लेट, बलुआ पत्थर तथा क्वार्टजाइट शैलें और बैलाडीला श्रेणी में हेमेटाइट-क्वार्ट्जाइट लौह अयस्क, हेमेटाइट, क्लोराइट, हेमेटाइट गुनराइट, लौह युक्त संगुटिकाएं तथा क्वार्टजाइट आदि शैलें पाई जाती हैं। उत्तर में नारायणपुर जिले में रावघाट पहाड़ी, कांकेर के ओर आरी डोंगरी आदि पहाड़ियों में है। 3. **कड़प्पा और विंध्यन शैल समूह** - इसके अंतर्गत संगुटिकाश्म, ग्रिट, क्वार्टजाइट और बलुआ पत्थर आते हैं। बलुआ पत्थर को कड़प्पा शैल समूह का आधारी संस्तर मानते है। आंध्रप्रदेश के कड़प्पा जिले की शैल के नाम पर दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर और महानदी की घाटी में कड़प्पा चट्टानें पाई जाती है। बालोद जिले के संजारी बालोद तहसील के उत्तर में शैलें पाई जाती है बलुआ पत्थर बैंगनी रंग की होती है। इसके ऊपर उत्तम नरम चट्टानें मिलती हैं। कारूटोल के निकट घोड़े के नाल की आकार की पर्वत श्रेणी पर फैली हुई हैं। रायपुर सीरीज का चूना पत्थर निम्न विन्ध्यन युगीन माना जाता है। संगुटिकाश्म रायगढ़ जिले के क्वार्टजाइट, स्लेट तथा शैल से मिलकर बनी है। उत्तम दानेदार पत्थर चन्द्रपुर बलुआ पत्थर कहलाता है। जो मांड नदी के दाहिने तट पर श्रृंखलाबद्ध रूप में फैली हुई हैं। क्वार्टजाइट चंवर ढाल पहाड़ी में, कबरा पहाड़ तथा खरसिया के दक्षिण-पूर्व कूटक पर दिखाई देती है। महानदी बेसिन और मध्यवर्ती मैदान में लगभग 50% चट्टानें कड़प्पा शैल समूह की हैं। प्रदेश के मध्य में पंखाकार दृश्यांश पर छत्तीसगढ़ का मैदान निर्मित हुआ है। 1. निचली चन्द्रपुर सीरीज, 2. ऊपरी रायपुर सीरीज इसमें बलुआ पत्थर, क्वार्टजाइट तथा कांग्लोमरेद्ध चट्टानें पाई जाती हैं। चन्द्रपुर सीरीज आद्य शैल समूह के ऊपर विषम विन्यास में हैं। रायपुर सीरीज अधिक मोटी है। इसके अन्तर्गत शैल एवं चूना पत्थर मिलती हैं। चूना पत्थर संस्तर कहीं-कहीं 650 मी. मोटी है। चूना पत्थर सीमेंट ग्रेड का है जिसके आधार पर सीमेंट उद्योग का विकास हुआ है। ऊपरी कड़प्पा - इसके अन्तर्गत रायगढ़ जिले के चूना पत्थर के क्षेत्र आते हैं। महानदी के दोनों ओर सारंगढ़ तथा रायगढ़ के मैदानों में ये चट्टानें फैली हुई हैं। निम्न विन्ध्यन - रायगढ़ नगर के आसपास ग्रेनाइट तथा नाइस परं निम्न विन्ध्यन चट्टाने स्थित हैं। इनका रंग बैंगनी तथा हरा है। महादेवपाली के समीप 30 मील लम्बी तथा 9 मील चौड़ी सीरीज है। सागोना के आसपास कांग्लोमरेट, रेत पत्थर, स्लेट, शेल तथा चूना पत्थर मिलता है। सक्ती तहसील में निचली कड़प्पा सीरीज की चट्टानें पाई जाती हैं। **गोडवाना शैल समूह** - गोंडवाना शैल क्रम नदी घाटियों में पाई जाती हैं। इसे दो भागों में विभक्त किया जाता है - : (अ) निचली गोंडवाना (ब) ऊपरी गोंडवाना हसदो, केलों और मांड नदी घाटियों में गोंडवाना समूह के बाराकर सीरीज के दृश्यांश पाये जाते हैं। इस सीरीज में बलुआ पत्थर तथा शैल संस्तरों के बीच-बीच में कोयले की पर्ते. पाई जाती हैं जिनका आर्थिक महत्व अधिक है। यह शैल तालचेर और बाराकर क्रम का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिलासपुर के उत्तरी-पूर्वी भाग से लेकर ये चट्टानें रायगढ़ जिले की दक्षिण-पूर्वी भाग तक फैली हुई हैं। पेन्ड्रा पठार के दक्षिण में 6.4 कि.मी. की दूरी पर दिखाई देती है। ये चट्टानें सिंगबहारा, अंजनी, पतारकोनी तथा गौरेला से 9 कि.मी. की दूरी पर गौरेला अमरकंटक मार्ग पर स्थित है। ये चट्टानें प्री केम्ब्रीयन शैलों के ऊपर स्थित है। **निचली गोंडवाना** - इसके अन्तर्गत तालचीर, बड़ाकार तथा कामठी समूह सम्मिलित हैं। रायगढ़ में रेगड़ा के दक्षिण में बादपाली के 1.6 कि.मी. पश्चिम में तथा देलारी और भगोरा के समीप हैं। **लमेटा एवं दकन ट्रेप** - यह राजनांदगांव जिले के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। कहीं-कहीं लमेटा समूह की अवसादी चट्टानें पायी जाती हैं। जशपुर जिले के उत्तरी-पश्चिमी भाग में मिलने वाली चट्टानें हैं। जशपुर जिले के उत्तरी-पश्चिमी भाग में मिलने वाली चट्टानें लेटेराइट युक्त हैं। जो लारापानी के आसपास मिलते हैं। अमरकंटक पर्वत में 792 मी. और 822 मी. की ऊंचाई पर बोहिल के पश्चिम में 1.6 कि.मी. की दूरी पर लमेटा दिखाई देती है। ट्रेप चट्टानें औरापानी के पश्चिम भाग में 800 मी. की ऊंचे पठार में उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर विस्तृत है। **लेटेराइट एल्युवियम** - ये चट्टानें बालोद जिले में दक्षिण ट्रेप के शिखर पर अनाच्छादन के रूप में पाया जाता है। कहीं-कहीं लौहयुक्त शैल इसी डायोराइट के ऊपर मिलता है। जशपुर क्षेत्र की चट्टाने बजरी, बलुआ पत्थर तथा लौह युक्त शैलें हैं जो कदरमा, टूटापानी पहाड़, गढ़ पहाड़, मड़वा पहाड़, जशपुर हाण्डीकोना, दीहपुर, हजारोट, हेना तथा खोधा में मिलते हैं। -0-

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