लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है? सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है? संविधान सभा के... लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है? सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है? संविधान सभा के सदस्य कौन-कौन थे? जाति प्रथा पर लेखक के विचारों की तुलना महात्मा गाँधी, ज्योतिबा फुले और डॉ० राममनोहर लोहिया से करते हुए एक संक्षिप्त आलेख तैयार करें और उसका कक्षा में पाठ करें। 'जातिवाद और आज की राजनीति' विषय पर अंबेदकर जयंती के अवसर पर छात्रों की एक विचार गोष्ठी आयोजित करें। पाठ से संयुक्त, सरल एवं मिश्र वाक्य चुनें। निम्नलिखित के विलोम शब्द लिखें -

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Understand the Problem

ये प्रश्न एक पाठ से संबंधित हैं और कुछ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित हैं। पहला प्रश्न पूछता है कि लेखक ने जाति प्रथा को हानिकारक क्यों बताया है। दूसरा प्रश्न सच्चे लोकतंत्र के लिए लेखक द्वारा आवश्यक विशेषताएं जानना चाहता है। तीसरा प्रश्न संविधान सभा के सदस्यों के बारे में जानकारी मांगता है, जबकि चौथा प्रश्न जाति प्रथा पर लेखक के विचारों की तुलना महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले और डॉ. राममनोहर लोहिया से करने के लिए कहता है। अंतिम प्रश्न जातिवाद और आज की राजनीति विषय पर अंबेडकर जयंती के अवसर पर छात्रों की एक विचार गोष्ठी आयोजित करने के बारे में है।

Answer

लेखक ने जाति प्रथा को श्रमिकों का विभाजन और बिना रूचि के पेशा अपनाने की मजबूरी के कारण हानिकारक माना है। स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व सच्चे लोकतंत्र के लिए आवश्यक हैं।

लेखक ने जाति प्रथा को हानिकारक इसलिए माना है क्योंकि यह श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है और मनुष्य की रूचि के बिना पेशा अपनाने पर मजबूर करती है। लेखक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व को आवश्यक मानते थे।

Answer for screen readers

लेखक ने जाति प्रथा को हानिकारक इसलिए माना है क्योंकि यह श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है और मनुष्य की रूचि के बिना पेशा अपनाने पर मजबूर करती है। लेखक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व को आवश्यक मानते थे।

More Information

जाति प्रथा पर लेखक के विचार, महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले और डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से अलग थे, इसलिए इन सभी के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन करना महत्वपूर्ण है।

Tips

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि लेखक जाति प्रथा को हानिकारक क्यों मानते थे और सच्चे लोकतंत्र के लिए उनकी क्या अपेक्षाएं थीं।

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