कत कहबो कत सुमिरबों रे, हमे मरिअ गरानि। आनक धन सएँ धनबंति रे, कुबजा भेलि रानि।। गोकुल चान चकोरल रे, चोरी गेल चंढा। बिछुड़ि चललि दुहु जोड़ी रे, जिब दए गेल छंदा।। दुचिते की दोइ थूनि... कत कहबो कत सुमिरबों रे, हमे मरिअ गरानि। आनक धन सएँ धनबंति रे, कुबजा भेलि रानि।। गोकुल चान चकोरल रे, चोरी गेल चंढा। बिछुड़ि चललि दुहु जोड़ी रे, जिब दए गेल छंदा।। दुचिते की दोइ थूनि गिरानी मोह बलेंडा टूटा। त्रिस्नां छानि परी धर ऊपरी दुरमति भांडा फूटा।।

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Understand the Problem

यह प्रश्न एक कविता या साहित्यिक अंश प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य है कि आप इस पाठ को समझें और शायद इसकी व्याख्या करें, जैसे कि छंदों के अर्थ, अलंकार, या अंतर्निहित संदेश की पहचान करना।

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