थाना और एफआईआर प्रक्रिया
10 Questions
0 Views

Choose a study mode

Play Quiz
Study Flashcards
Spaced Repetition
Chat to lesson

Podcast

Play an AI-generated podcast conversation about this lesson

Questions and Answers

दारोगा ने किसके पास जाकर बताया कि वह अवधेश को गंभीर चोट पहुँचाने के जुर्म में गिरफ्तार कर रहा है?

  • पड़ोसी
  • विनोद (correct)
  • अवधेश
  • डॉक्टर
  • अवधेश की चोटें किस प्रकार की थीं?

    गंभीर

    गिरफ्तारी के समय व्यक्ति को उसका अपराध बताना ज़रूरी नहीं है।

    False

    गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर आरोपी को __________ के सामने प्रस्तुत करना आवश्यक है।

    <p>मजिस्ट्रेट</p> Signup and view all the answers

    संबंधित जानकारी को मिलाएं:

    <p>दारोगा = मामले की छानबीन करता है विनोद = अवधेश को मारपीट करने का आरोप अवधेश = चोटों के साथ डॉक्टर के पास गए पड़ोसी = मारपीट की जानकारी प्रदान करते हैं</p> Signup and view all the answers

    एफ.आई.आर. क्या होती है?

    <p>फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट</p> Signup and view all the answers

    अवधेश ने अपना मामला अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना में दर्ज करवाया।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लिए क्या करना होता है?

    <p>पीड़ित व्यक्ति स्वयं एफ.आई.आर. लिखकर या मौखिक रूप से बताकर दारोगा से रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है।</p> Signup and view all the answers

    यदि पीड़ित व्यक्ति पढ़ा-लिखा हो तो वह एफ.आई.आर. __________ करके दर्ज करा सकता है।

    <p>स्वयं लिखकर</p> Signup and view all the answers

    निम्नलिखित शब्दों को उनके सही अर्थों के साथ मिलाइए:

    <p>एफ.आई.आर. = प्रथम दृष्टया रिपोर्ट दारोगा = पुलिस अधिकारी थाना प्रभारी = थाने का उच्चाधिकारी अनुसूचित जाति = विशेष अधिकार प्राप्त वर्ग</p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    थाने में

    • अवधेश ने विनोद के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
    • दारोगा ने रिपोर्ट लिखी जो पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के रूप में दर्ज हुई।
    • अवधेश ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए और उसकी एक प्रति मांगी।
    • दारोगा ने कहा कि रिपोर्ट थाना प्रभारी के आने पर रजिस्टर में दर्ज होगी।
    • थाना प्रभारी के आने तक अवधेश, अरुण, सत्येन्द्र और चौकीदार थाने पर रुके रहे।
    • थाना प्रभारी के आने पर अवधेश ने अपनी शिकायत रजिस्टर में दर्ज करवाई।

    अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना

    • अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों के खिलाफ होने वाले अत्याचार या अपराध के मामले दर्ज करने के लिए प्रत्येक जिले में एक विशेष थाना होता है।
    • इन अपराधों को विशिष्ट रूप से माना जाता है।

    एफ.आई.आर.(प्रथम दृष्टया रिपोर्ट)

    • थाने में कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है।
    • पढ़ा-लिखा व्यक्ति खुद एफआईआर लिखकर और हस्ताक्षर करके दर्ज करा सकता है।
    • मौखिक जानकारी देने पर दारोगा लिखता है, पढ़कर सुनाता है और जानकारी देने वाले से हस्ताक्षर करवाता है।
    • एफआईआर के आधार पर थाना प्रभारी ने दारोगा से जांच करने को कहा।
    • दारोगा ने अवधेश के घर जाकर उसकी चोटों का निरीक्षण किया जो काफी गंभीर थीं।
    • दारोगा ने पड़ोसियों से पूछताछ की और उन्हें प्राप्त जानकारी के आधार पर मारपीट की पुष्टि हुई।
    • दारोगा ने विनोद को अवधेश को चोट पहुँचाने के आरोप में गिरफ्तार किया।
    • थाने पर पूछताछ के दौरान विनोद ने आरोपों से इनकार किया।

    गिरफ्तारी

    • किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर उसे गिरफ्तारी के कारण बताना आवश्यक है।
    • बिना कारण बताए गिरफ्तारी गैरकानूनी है।
    • गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है।
    • पुलिस किसी को जुर्म कबूल करवाने के लिए बल प्रयोग नहीं कर सकती।
    • थाने में जुर्म कबूल करने से सज़ा नहीं होती, सज़ा मजिस्ट्रेट के सामने जुर्म कबूल करने पर ही मिलती है।

    ज़मानत

    • विनोद को थाने में बंद कर दिया गया।
    • थानेदार ने बताया कि विनोद का अपराध ज़मानती है और ज़मानत पर छूट सकता है।
    • वह ज़मानत के लिए किसी ज़मीन-जायदाद वाले व्यक्ति से ज़िम्मेदारी लेने को कहता है।
    • आरोपी खुद बॉण्ड भरकर भी ज़मानत ले सकता है।
    • ज़मानत पर छूटने पर उसे थाने या अदालत में बुलाए जाने पर उपस्थित होना होगा, नहीं तो उसकी जायदाद ज़ब्त की जाएगी।
    • विनोद ने अपने लिए बॉण्ड भरा और अगले दिन अदालत में पेशी पर जाने को कहा गया।

    गैर-ज़मानती अपराध

    • चोरी, डकैती, कत्ल, रिश्वत जैसे अपराध गैर-ज़मानती होते हैं।
    • मजिस्ट्रेट (दण्डाधिकारी) इन अपराधों में ज़मानत दे सकते हैं या नहीं, यह उनके विवेकाधीन है।

    सत्र न्यायालय में अपील

    • विनोद सत्र न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।
    • सत्र न्यायाधीश मजिस्ट्रेट से ऊपर होते हैं और मजिस्ट्रेट का फैसला बदल सकते हैं।
    • अपील करने पर सत्र न्यायाधीश विनोद को दोषी नहीं पा सकता है या सज़ा कम कर सकता है।
    • सत्र न्यायालय में फैसला आने तक सज़ा स्थगित कर दी जाती है।
    • दो साल बाद सत्र न्यायाधीश ने विनोद की सज़ा चार साल से तीन साल कम कर दी।

    उच्च न्यायालय

    • विनोद उच्च न्यायालय में सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।
    • उच्च न्यायालय उस राज्य की सबसे बड़ी कचहरी है।
    • उच्च न्यायालय में किसी भी मुकदमे के फैसले को बदला जा सकता है।
    • उच्च न्यायालय में अभियुक्त या गवाह नहीं बुलाए जाते ।
    • केवल जानकारी की फाइल के आधार पर ही फैसला होता है।

    Studying That Suits You

    Use AI to generate personalized quizzes and flashcards to suit your learning preferences.

    Quiz Team

    Related Documents

    Description

    इस क्विज में आप थाने में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया और एफआईआर के महत्व के बारे में जानेंगे। आप समझेंगे कि कैसे अनुसूचित जाति और जनजाति के मामलों को विशेष ध्यान दिया जाता है। यह जानकारी आपको कानूनी प्रक्रियाओं के साथ-साथ थाने की कार्यप्रणाली को समझने में मदद करेगी।

    More Like This

    Use Quizgecko on...
    Browser
    Browser