ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत
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ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत

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Questions and Answers

ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत किस स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रसिद्ध हुए?

  • १९वीं शताब्दी के आरंभ
  • १९४२ का भारत छोड़ो आंदोलन
  • स्वतंत्रता की पूर्व समयावधि
  • १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम (correct)
  • किसने कुशाल सिंह के नेतृत्व में जोधपुर लीजियन के विद्रोह में भाग लिया?

  • अन्य राज्य के शासक
  • ब्रिटिश राज के प्रमुख अधिकारी
  • जोधपुर के जागीरदार (correct)
  • विदेशी सैनिक
  • कुशाल सिंह ने किस तिथि को जोधपुर की राजकीय फौज को परास्त किया?

  • ८ सितम्बर १८५७ (correct)
  • १० अगस्त १८५७
  • १८ सितम्बर १८५७
  • २१ अगस्त १८५७
  • जोधपुर के शासक तख्तसिंह के खिलाफ असंतोष का नेतृत्व कौन कर रहा था?

    <p>ठाकुर कुशाल सिंह</p> Signup and view all the answers

    ब्रिगेडियर होम्स ने आउवा पर आक्रमण कब किया?

    <p>२० जनवरी १८५८</p> Signup and view all the answers

    कुशाल सिंह का छोटे भाई कौन था?

    <p>पृथ्वीसिंह</p> Signup and view all the answers

    किसने १८ सितम्बर १८५७ को आउवा के किले पर आक्रमण किया?

    <p>जार्ज लारेन्स</p> Signup and view all the answers

    विद्रोहियों के हाथों मारे गए जोधपुर के पोलिटिकल एजेंट का नाम क्या था?

    <p>कप्तान मोंक मेसन</p> Signup and view all the answers

    कुशाल सिंह ने आउवा के किले का बार किसको सौंपा?

    <p>अपने छोटे भाई पृथ्वीसिंह को</p> Signup and view all the answers

    आउवा पर अधिकार करने के लिए अंग्रेजों ने कितने दिन संघर्ष किया?

    <p>१५ दिन</p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत

    • १९वी शताब्दी के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक, जोधपुर रियासत में आउवा ठिकाने के ठाकुर।
    • १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जोधपुर राज्य और अंग्रेजों की संयुक्त सेना को पराजित किया।
    • मारवाड़ क्षेत्र में संघर्ष के मुखिया, महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे से संपर्क था।

    जोधपुर की राजनीतिक स्थिति

    • जोधपुर के शासक तख्तसिंह के खिलाफ जागीरदारों में असंतोष व्याप्त।
    • कुशाल सिंह ने असंतोषित जागीरदारों का नेतृत्व किया।
    • २१ अगस्त १८५७ को जोधपुर लीजियन में विद्रोह शुरू हुआ, कुशाल सिंह ने विद्रोही सैनिकों को एकजुट किया।

    संघर्ष और पराजय

    • लिफ्टिनेट हीथकोट के नेतृत्व में जोधपुर की राजकीय फौज कुशाल सिंह के सामने आई।
    • ८ सितम्बर १८५७ को कुशाल सिंह ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।
    • १८ सितम्बर १८५७ को जॉर्ज लारेन्स ने आउवा के किले पर आक्रमण किया, पर विद्रोहियों ने विजय प्राप्त की।
    • जोधपुर का राजनीतिक एजेन्ट कप्तान मोंक मेसन विद्रोहियों के हाथों मारा गया।

    अंग्रेजों का प्रतिशोध

    • पराजय का बदला लेने के लिए ब्रिगेडियर होम्स ने २० जनवरी १८५८ को आउवा पर आक्रमण किया।
    • विद्रोही सैनिक दिल्ली में पहुँच चुके थे, अंग्रेजों ने आसोप गूलर और आलणियावास पर अधिकार कर लिया।
    • कुशाल सिंह ने आउवा के किले की रक्षा की उम्मीद खो दी, और किले का बार भाई पृथ्वी सिंह को सौंपकर सलुम्बर चले गए।
    • १५ दिन के संघर्ष के बाद अंग्रेजों ने आउवा पर अधिकार कर लिया।

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    Description

    ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत 19वीं शताब्दी के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जोधपुर रियासत में ब्रिटिश सेना को हराने में अहम योगदान दिया और तात्या टोपे जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संपर्क में थे।

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