10 Questions
क्यों कुछ लोग आधुनिक समाज में जाति प्रथा का समर्थन करते हैं?
श्रम विभाजन के कारण
जाति प्रथा में श्रमिकों का विभाजन किस आधार पर होता है?
माता-पिता के सामाजिक स्तर के आधार पर
जाति प्रथा में मनुष्य का पेशा कब निर्धारित कर दिया जाता है?
गर्भधारण के समय से
श्रम विभाजन की कौन सी व्यवस्था अस्वाभाविक विभाजन नहीं करती?
आधुनिक समाज की श्रम विभाजन की व्यवस्था
आधुनिक युग में यदि मनुष्य को अपने पेशा बदलने की स्वतंत्रता नहीं होती तो क्या होता है?
वह भूखों मर सकता है
कुशल व्यक्ति समाज का निर्माण करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
व्यक्तियों की क्षमता को विकसित करना
जाति प्रथा किस प्रकार का विभाजन लाती है?
अस्वाभाविक विभाजन
भारत की जाति प्रथा की एक और विशेषता क्या है?
यह विभाजित वर्गों को ऊँच-नीच करार देती है
जाति प्रथा पेशे का क्या करती है?
पूर्वनिर्धारण
किसी भी व्यक्ति को हिंदू धर्म की जाति प्रथा में किस प्रकार के पेशे चुनने की अनुमति नहीं है?
जो माता-पिता का पेशा न हो
Study Notes
श्रम विभाजन और जाति प्रथा
- आधुनिक समाज में भी जाति प्रथा के समर्थन के कई आधार हैं, जिनमें श्रम विभाजन भी एक है।
- श्रम विभाजन, सभ्य समाज की आवश्यकता है, परंतु जाति प्रथा श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करती है।
- भारत की जाति पidthा में श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन ही नहीं करती, बल्कि विभाजित वर्गों को एक-दूसरे की अपेक्षा ऊँच-नीच भी करार देती है।
जाति प्रथा की विशेषताएं
- जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण करती है, मनुष्य के प्रशिक्षण या निजी क्षमता का विचार किए बिना।
- जाति प्रथा मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशे में बाँध देती है, चाहे पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए।
- हिंदू धर्म की जाति पidthा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो।
इस लेख में श्रम विभाजन और जाति प्रथा के संबंध के बारे में बताया गया है और जाति प्रथा के समर्थन के आधार को चुनौती दी गई है।
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