शल्य यंत्र के 6 प्रकार

Choose a study mode

Play Quiz
Study Flashcards
Spaced Repetition
Chat to Lesson

Podcast

Play an AI-generated podcast conversation about this lesson
Download our mobile app to listen on the go
Get App

Questions and Answers

स्वस्तिक यंत्र के प्रयोग में कौन सा कार्य प्रमुख है?

  • उपचार कार्य
  • स्नायुगत शल्यहरण
  • शल्योद्धरण
  • फोर्सप्स का कार्य (correct)

कौन सा यंत्र कर्ण और नासा शल्यहरण में प्रयुक्त होता है?

  • नाड़ी यंत्र
  • स्वस्तिक यंत्र
  • संदश यंत्र
  • ताल यंत्र (correct)

संदश यंत्र की लम्बाई क्या होती है?

  • 20 अंगुल
  • 12 अंगुल
  • 16 अंगुल (correct)
  • 24 अंगुल

नाड़ी यंत्र का मुख्य कार्य क्या है?

<p>रोगदर्शन (B)</p> Signup and view all the answers

शलाका यंत्र का प्रयोग किस क्षेत्र में होता है?

<p>वृद्धि एवं शोधन (B)</p> Signup and view all the answers

उपयंत्र की विशेषताएँ क्या हैं?

<p>आवश्यकतानुसार नानाकृति (A)</p> Signup and view all the answers

अष्टांगहृदयकार ने नाड़ी यंत्र के किस प्रकार के उदाहरण दिए हैं?

<p>शमी यंत्र (B)</p> Signup and view all the answers

कौन सा यंत्र शल्य निर्हरणार्थ प्रयोग होता है?

<p>संदश यंत्र (C)</p> Signup and view all the answers

अ.हृदयकार ने संदश यंत्र के कितने भेद किए हैं?

<p>4 (A)</p> Signup and view all the answers

कंकमुख यंत्र का प्रमुख कार्य क्या है?

<p>गूढ शल्य निर्हरण (A)</p> Signup and view all the answers

Flashcards are hidden until you start studying

Study Notes

यंत्र के प्रकार

  • शल्य यंत्रों की प्रकार के अंतर्गत 6 मुख्य यंत्र शामिल हैं, जिनका विस्तार से विवरण सुश्रुत और अष्टांगसंग्रह में दिया गया है।

सवस्तिक यंत्र

  • यह यंत्र 24 अंगुल लंबा और सिंह, व्याघ्र, कंकमुख आकृति में उपलब्ध है।
  • इसका प्रयोग अस्थिविदष्ट शल्याहरण हेतु किया जाता है और इसे फोर्सेप्स भी कहा जाता है।

संदश यंत्र

  • संदश यंत्र की लंबाई 42 अंगुल होती है और यह 16 अंगुल की आकृति में त्वक, मांस, और स्नायुगत शल्यहरण के लिए उपयोगी है।
  • इसे भी फोर्सेप्स के रूप में जाना जाता है।

तालयंत्र

  • तालयंत्र 20 अंगुल लंबा और 12 अंगुल का आकार लिए हुए है, जो मत्स्यतालुसदृश्य जैसा दिखता है।
  • इसका मुख्य प्रयोग कर्ण, नासा और ना डी शल्यहरण के लिए किया जाता है और इसे स्कूप कहते हैं।

नाडीयंत्र

  • नाडीयंत्र 23 अंगुल लम्बा है और आवश्यकतानुसार इसके आकार में भिन्नता होती है।
  • इसका उपयोग शल्योद्धरण, रोगदर्शन और आचूषण के लिए किया जाता है, और इसे स्पेकुलम कहा जाता है।

शलाका

  • शलाका की संख्या 346 है और यह विभिन्न आकारों में होती है, जैसे गण्डुपद और सर्पफण।
  • इसे क्षारौषधप्रणिधान और मूत्रमार्गशोधन के लिए उपयोग किया जाता है, और इसे कैथेटर के रूप में जाना जाता है।

उपयंत्र

  • उपयंत्र की संख्या 294 है और यह भी आवश्यकतानुसार नानाकृति में होती है।

सुश्रुतानुसार विशेषताएँ

  • सुश्रुतानुसार यंत्रकर्म की कुल संख्या 24 है, जिसमें दन्तानधातून यंत्र भी शामिल हैं।
  • सिंहमुख यंत्र दृश्य शल्य के लिए और कंकमुख यंत्र गूढ शल्य के लिए हैं।

संदेश यंत्र के भेद

  • संदश यंत्र के दो भेद होते हैं: सनिग्रह और अनिग्रह।
  • हृदयकार ने संदश यंत्र के 4 भेद का वर्णन किया है, जिसमें विभिन्न लंबाई और उपयोग का उल्लेख है।

नाड़ी यंत्र

  • नाड़ी यंत्र का प्रयोग स्त्रोतोगत शल्यउद्धरण, रोगदर्शन, और आचूषण हेतु किया जाता है।
  • अष्टांगहृदयकार ने इसमें कुछ और यंत्रों जैसे शगीयंत्र, भगन्दरयंत्र, अर्शायंत्र और व्रणयंत्र का भी वर्णन किया है।

अन्य यंत्र

  • अन्य यंत्रों में बस्तियन्त्र, उत्तरबस्तियन्त्र, मूत्रवृद्धि, दकोदरयन्त्र, घूमयन्त्र, और निरुद्धप्रकाशयन्त्र शामिल हैं।

Studying That Suits You

Use AI to generate personalized quizzes and flashcards to suit your learning preferences.

Quiz Team

More Like This

Surgical Instrument Categories
8 questions
Surgical Instruments (Part 1)
41 questions
Surgical Instruments Overview
25 questions

Surgical Instruments Overview

TriumphalGyrolite3003 avatar
TriumphalGyrolite3003
Use Quizgecko on...
Browser
Browser