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Questions and Answers
सियार ने बगुले को भोजन के लिए आमंत्रित क्यों किया?
सियार ने बगुले को भोजन के लिए आमंत्रित क्यों किया?
- क्योंकि सियार के पास बहुत अधिक भोजन था और वह उसे साझा करना चाहता था।
- क्योंकि सियार अकेला था और उसे बात करने के लिए किसी की ज़रूरत थी।
- क्योंकि सियार और बगुला दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और साथ में भोजन करना चाहते थे।
- क्योंकि सियार बगुले को मूर्ख बनाना चाहता था और उसे धोखा देना चाहता था। (correct)
बगुले ने सियार से बदला लेने के लिए क्या योजना बनाई?
बगुले ने सियार से बदला लेने के लिए क्या योजना बनाई?
- बगुले ने सियार को भोजन के लिए आमंत्रित नहीं किया और उसे अकेला छोड़ दिया।
- बगुले ने सियार को संकीर्ण मुख वाले कलश में खीर परोसी ताकि वह न खा सके। (correct)
- बगुले ने सियार से झगड़ा किया और उसे वन से बाहर निकाल दिया।
- बगुले ने सियार को उसी थाली में भोजन परोसा जिससे उसने खुद खाया था।
कहानी से हमें क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?
कहानी से हमें क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?
- हमें सिर्फ अपने बारे में सोचना चाहिए और दूसरों की परवाह नहीं करनी चाहिए।
- जो हमारे साथ बुरा करे, हमें उसके साथ और भी बुरा करना चाहिए।
- हमें हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि दुर्व्यवहार का नतीजा दुखद होता है। (correct)
- हमें हमेशा दूसरों के साथ धोखा करना चाहिए ताकि कोई हमें धोखा न दे सके।
बगुले की चोंच थाली से भोजन ग्रहण करने में असमर्थ क्यों थी?
बगुले की चोंच थाली से भोजन ग्रहण करने में असमर्थ क्यों थी?
सियार ने बगुले के साथ कैसा व्यवहार किया?
सियार ने बगुले के साथ कैसा व्यवहार किया?
बगुले ने सियार को भोजन पर क्या परोसा?
बगुले ने सियार को भोजन पर क्या परोसा?
सियार क्यों खीर नहीं खा सका जो बगुले ने परोसी थी?
सियार क्यों खीर नहीं खा सका जो बगुले ने परोसी थी?
कहानी में 'संकीर्ण मुख वाला कलश' का क्या महत्व है?
कहानी में 'संकीर्ण मुख वाला कलश' का क्या महत्व है?
बगुले ने सियार को भोजन के लिए कब आमंत्रित किया?
बगुले ने सियार को भोजन के लिए कब आमंत्रित किया?
यदि सियार ने बगुले के साथ अच्छा व्यवहार किया होता, तो कहानी का अंत कैसा हो सकता था?
यदि सियार ने बगुले के साथ अच्छा व्यवहार किया होता, तो कहानी का अंत कैसा हो सकता था?
Flashcards
सियार का धोखा
सियार का धोखा
एक कहानी में, सियार ने बगुले को खाने पर बुलाया, लेकिन उसे थाली में खीर परोसी जिससे बगुला नहीं खा पाया।
बगुले का बदला
बगुले का बदला
बगुले ने सियार को खाने पर बुलाया और उसे संकीर्ण मुख वाले कलश में खीर परोसी ताकि सियार न खा पाए।
दुर्व्यवहार का नतीजा
दुर्व्यवहार का नतीजा
किसी के साथ बुरा व्यवहार करने पर उसका परिणाम दुखद होता है।
सुख का मार्ग
सुख का मार्ग
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जैसे को तैसा
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Study Notes
यहां अपडेट किए गए अध्ययन नोट्स दिए गए हैं:
कहानी का आरम्भ
- एक जंगल में सियार और बगुला रहते थे।
- दोनों दोस्त थे।
- एक सुबह सियार ने बगुले को खाने पर बुलाया।
- सियार ने कहा, "हे मित्र! कल तुम मेरे साथ भोजन करना।"
- निमंत्रण पाकर बगुला खुश हुआ।
सियार का धोखा
- अगले दिन बगुला सियार के घर भोजन करने गया।
- सियार ने थाली में बगुले के लिए खीर परोसी।
- सियार ने कहा, "मित्र! इस बर्तन में हम दोनों साथ भोजन करेंगे।"
- बगुले की चोंच थाली से भोजन उठा नहीं पाई।
- सियार ने सारी खीर खा ली और बगुला देखता रह गया।
- बगुला सियार से ठगा गया।
बगुले का बदला
- बगुले ने सोचा कि जैसा व्यवहार सियार ने मेरे साथ किया है, वैसा ही मैं उसके साथ करूंगा।
- बगुला सियार से बोला, "मित्र! तुम भी कल शाम को मेरे साथ भोजन करोगे।"
- बगुले के निमंत्रण से सियार खुश हुआ।
- शाम को सियार बगुले के घर भोजन करने गया।
- बगुले ने संकीर्ण मुंह वाले कलश में खीर परोसी।
- बगुले ने कहा, "मित्र! हम दोनों इस बर्तन में साथ ही भोजन करते हैं।"
- बगुले ने कलश में अपनी चोंच डालकर खीर खाई, लेकिन सियार का मुंह कलश में प्रवेश नहीं कर पाया।
- बगुले ने सारी खीर खा ली और सियार ईर्ष्या से देखता रहा।
नैतिक शिक्षा
- सियार ने बगुले के साथ जैसा व्यवहार किया, बगुले ने भी सियार के साथ वैसा ही व्यवहार करके बदला लिया।
- अपने द्वारा किए गए बुरे व्यवहार का परिणाम हमेशा दुखद होता है।
- खुशी चाहने वाले मनुष्य को दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
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