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Questions and Answers
प्रस्तुत पद्य किस पुस्तक से लिया गया है?
प्रस्तुत पद्य किस पुस्तक से लिया गया है?
प्रस्तुत पद्य हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के 'काव्यखण्ड' में 'सूरदास' द्वारा रचित 'सूरसागर' ग्रंथ से 'पद' नामक शीर्षक से अवतरित है।
इस पद्य में सूरदास जी ने किसका वर्णन किया है?
इस पद्य में सूरदास जी ने किसका वर्णन किया है?
इस पद्य में भक्त कवि सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए उनके चरणों की वंदना की है।
सूरदास जी श्रीकृष्ण के चरणों की वंदना करते हुए क्या कहते हैं?
सूरदास जी श्रीकृष्ण के चरणों की वंदना करते हुए क्या कहते हैं?
सूरदास जी श्रीकृष्ण के कमलरूपी चरणों की वंदना करते हुए कहते हैं कि इन चरणों का प्रभाव व्यापक है।
सूरदास जी के अनुसार किन चरणों की कृपा से लंगड़ा व्यक्ति क्या कर सकता है?
सूरदास जी के अनुसार किन चरणों की कृपा से लंगड़ा व्यक्ति क्या कर सकता है?
सूरदास जी किन चरणों की बार-बार वंदना करते हैं?
सूरदास जी किन चरणों की बार-बार वंदना करते हैं?
काव्यागत सौंदर्य के अनुसार, इस कविता की भाषा क्या है?
काव्यागत सौंदर्य के अनुसार, इस कविता की भाषा क्या है?
Flashcards
पद का संदर्भ
पद का संदर्भ
यह पद 'सूरसागर' ग्रंथ से लिया गया है, जिसके रचयिता सूरदास हैं।
पद का प्रसंग
पद का प्रसंग
इस पद में सूरदास जी ने कृष्ण की महिमा और उनके चरणों की वंदना की है।
पद की व्याख्या
पद की व्याख्या
सूरदास जी कृष्ण के कमल रूपी चरणों की वंदना करते हैं, जिनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
कृपा का प्रभाव - लंगड़ा
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कृपा का प्रभाव - अंधा
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कृपा का प्रभाव - बहरा
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कृपा का प्रभाव - गूंगा
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कृपा का प्रभाव - गरीब
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वंदना करने वाला
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रस
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अलंकार
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काल
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शैली
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मुख्य विषय
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भाव
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आराध्य देव
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प्रसिद्ध रचना
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वर्णन
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भाषा
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'बंदों हरि राइ'
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गुरु
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जन्म स्थान
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प्रकार
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प्रसाद
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शक्ति
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जोर
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Study Notes
संदर्भ (Context)
- यह पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिंदी' के 'काव्यखण्ड' में संकलित हैं।
- यह 'सूरदास' द्वारा रचित 'सूरसागर' ग्रंथ के 'पद' नामक शीर्षक से ली गई हैं।
प्रसंग (Theme)
- इन पंक्तियों में भक्त कवि सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए उनके चरणों की वंदना की है।
व्याख्या (Explanation)
- सूरदास जी श्रीकृष्ण के कमल रूपी चरणों की वंदना करते हुए कहते हैं कि इन चरणों का प्रभाव व्यापक है।
- इन चरणों की कृपा हो जाने पर लंगड़ा व्यक्ति भी पर्वतों को लाँघ लेता है और अंधे को सब कुछ दिखाई देने लगता है।
- इन चरणों के अनोखे प्रभाव के कारण बहरा व्यक्ति सुनने लगता है और गूंगा फिर से बोलने लगता है।
- गरीब व्यक्ति राजा की तरह आचरण कर सकता है।
- सूरदास जी कहते हैं कि हे प्रभु! मैं बार-बार आपके चरणों की वंदना करता/करती हूँ।
काव्यगत सौंदर्य (Poetic Beauty)
- भाषा: साहित्यिक ब्रज
- शैली: मुक्तक
- रस: भक्ति रस
- गुण: प्रसाद
- अलंकार: रूपक तथा अनुप्रास
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Description
सूरदास जी श्रीकृष्ण के कमल रूपी चरणों की वंदना करते हुए कहते हैं कि इन चरणों का प्रभाव व्यापक है। इन चरणों की कृपा हो जाने पर लंगड़ा व्यक्ति भी पर्वतों को लाँघ लेता है और अंधे को सब कुछ दिखाई देने लगता है। इन चरणों के अनोखे प्रभाव के कारण बहरा व्यक्ति सुनने लगता है और गूंगा फिर से बोलने लगता है।