सूरदास की कविता 'पद (1)'

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Questions and Answers

किसके बारे में बोला गया है, 'पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी'?

  • शिष्य
  • उस्ताद
  • जल की गागरी (correct)
  • तेल की गागरी

क्या 'पद' कविता में ऊधौ का क्या मतलब है?

  • प्रियतम
  • स्वर्गीय
  • मित्र (correct)
  • द्वेषी

कवि 'सूरदास' किस संत के रूप में प्रसिद्ध है?

  • कबीर
  • तुलसीदास (correct)
  • मीराबाई
  • नामदेव

'प्रीति-नदी' के संदर्भ में क्या कहा गया है?

<p>नदी की महिमा (D)</p> Signup and view all the answers

'सूरदास' आत्म-समर्पण की संकेतना कहाँ से प्राप्त करते हैं?

<p><strong>जल</strong> (D)</p> Signup and view all the answers

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Study Notes

सूरदास की प्रेम कविता में आत्म-निरूपण

  • सूरदास ने अपने आपको अति बड़भागी बताया है, क्योंकि वे प्रेम में पूर्ण रूप से डूबे हुए हैं।
  • वे कहते हैं कि उनके मन में अनुरागी नहीं है, बल्कि सनेह तगा रहत सनेह है, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम में पूरी तरह से समर्पित हैं।
  • वे पुरइनि पात bleibt जल भीतर की उपमा देते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रेम उनके हृदय में है और वे इससे पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
  • उनके अनुसार प्रीति-नदी में पाउँ न बोरयौ, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम की नदी में पूरी तरह से डूबे हुए हैं और इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
  • वे अपने आपको 'अबला' कहा है, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम में कमजोर हो गए हैं और इससे प्रभावित हैं।
  • सूरदास ने अपने गुरु की चाँटी के साथ अपनी तुलना करते हुए कहा है कि वे प्रेम में पूरी तरह से डूबे हुए हैं और इससे प्रभावित हैं।

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