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Questions and Answers
किसके बारे में बोला गया है, 'पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी'?
किसके बारे में बोला गया है, 'पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी'?
- शिष्य
- उस्ताद
- जल की गागरी (correct)
- तेल की गागरी
क्या 'पद' कविता में ऊधौ का क्या मतलब है?
क्या 'पद' कविता में ऊधौ का क्या मतलब है?
- प्रियतम
- स्वर्गीय
- मित्र (correct)
- द्वेषी
कवि 'सूरदास' किस संत के रूप में प्रसिद्ध है?
कवि 'सूरदास' किस संत के रूप में प्रसिद्ध है?
- कबीर
- तुलसीदास (correct)
- मीराबाई
- नामदेव
'प्रीति-नदी' के संदर्भ में क्या कहा गया है?
'प्रीति-नदी' के संदर्भ में क्या कहा गया है?
'सूरदास' आत्म-समर्पण की संकेतना कहाँ से प्राप्त करते हैं?
'सूरदास' आत्म-समर्पण की संकेतना कहाँ से प्राप्त करते हैं?
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Study Notes
सूरदास की प्रेम कविता में आत्म-निरूपण
- सूरदास ने अपने आपको अति बड़भागी बताया है, क्योंकि वे प्रेम में पूर्ण रूप से डूबे हुए हैं।
- वे कहते हैं कि उनके मन में अनुरागी नहीं है, बल्कि सनेह तगा रहत सनेह है, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम में पूरी तरह से समर्पित हैं।
- वे पुरइनि पात bleibt जल भीतर की उपमा देते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रेम उनके हृदय में है और वे इससे पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
- उनके अनुसार प्रीति-नदी में पाउँ न बोरयौ, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम की नदी में पूरी तरह से डूबे हुए हैं और इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
- वे अपने आपको 'अबला' कहा है, जिसका अर्थ है कि वे प्रेम में कमजोर हो गए हैं और इससे प्रभावित हैं।
- सूरदास ने अपने गुरु की चाँटी के साथ अपनी तुलना करते हुए कहा है कि वे प्रेम में पूरी तरह से डूबे हुए हैं और इससे प्रभावित हैं।
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