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Questions and Answers
समुदाय की सदस्यता अनिवार्य क्यों होती है? क्या इसका कोई अपवाद है?
समुदाय की सदस्यता अनिवार्य क्यों होती है? क्या इसका कोई अपवाद है?
समुदाय में सदस्यता जन्मजात होती है, इसलिए अनिवार्य होती है। सामान्यतः, इसका कोई अपवाद नहीं है, क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से प्राप्त होती है।
धर्म किस प्रकार सामाजिक नियंत्रण का साधन बनता है? दो उदाहरणों के साथ समझाइए।
धर्म किस प्रकार सामाजिक नियंत्रण का साधन बनता है? दो उदाहरणों के साथ समझाइए।
धर्म नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देकर और गलत कामों से रोककर सामाजिक नियंत्रण का साधन बनता है। उदाहरण: धार्मिक ग्रंथ मार्गदर्शन करते हैं, धार्मिक भय गलत काम करने से रोकता है।
संस्कृति और सभ्यता में मुख्य अंतर क्या है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
संस्कृति और सभ्यता में मुख्य अंतर क्या है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
संस्कृति अमूर्त है (जैसे विचार), जबकि सभ्यता मूर्त है (जैसे भौतिक वस्तुएं)। उदाहरण: संस्कृति में भाषा शामिल है, जबकि सभ्यता में उस भाषा को लिखने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण शामिल हैं।
रूढ़ियाँ और जनरीतियाँ में क्या अंतर है? समाज पर इनके अलग-अलग प्रभावों का उल्लेख करें।
रूढ़ियाँ और जनरीतियाँ में क्या अंतर है? समाज पर इनके अलग-अलग प्रभावों का उल्लेख करें।
सामाजिक स्तरीकरण से आप क्या समझते हैं? वर्ग और जाति स्तरीकरण में मुख्य अंतर क्या है?
सामाजिक स्तरीकरण से आप क्या समझते हैं? वर्ग और जाति स्तरीकरण में मुख्य अंतर क्या है?
सामाजिक गतिशीलता का क्या अर्थ है? यह समाज में किस प्रकार परिवर्तन लाती है?
सामाजिक गतिशीलता का क्या अर्थ है? यह समाज में किस प्रकार परिवर्तन लाती है?
अगस्त काम्टे को समाजशास्त्र का जनक क्यों कहा जाता है? उन्होंने समाज के अध्ययन में क्या योगदान दिया?
अगस्त काम्टे को समाजशास्त्र का जनक क्यों कहा जाता है? उन्होंने समाज के अध्ययन में क्या योगदान दिया?
समाजशास्त्र के स्वरूपात्मक और समन्वयात्मक संप्रदायों में मुख्य अंतर क्या है?
समाजशास्त्र के स्वरूपात्मक और समन्वयात्मक संप्रदायों में मुख्य अंतर क्या है?
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संघर्ष में क्या अंतर है? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संघर्ष में क्या अंतर है? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
परसंस्कृतिग्रहण और आत्मसातीकरण में क्या अंतर है? दोनों प्रक्रियाओं में समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
परसंस्कृतिग्रहण और आत्मसातीकरण में क्या अंतर है? दोनों प्रक्रियाओं में समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
प्रदत्त और अर्जित परिस्थिति में अंतर स्पष्ट करें। एक व्यक्ति के जीवन में इन दोनों का क्या महत्व है?
प्रदत्त और अर्जित परिस्थिति में अंतर स्पष्ट करें। एक व्यक्ति के जीवन में इन दोनों का क्या महत्व है?
सामाजिक आदर्शों का क्या महत्व है? वे समाज में व्यवहार को किस प्रकार नियंत्रित करते हैं?
सामाजिक आदर्शों का क्या महत्व है? वे समाज में व्यवहार को किस प्रकार नियंत्रित करते हैं?
समिति और सामाजिक समूह में मुख्य अंतर क्या हैं? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
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पशु समाज और मानव समाज में मुख्य अंतर क्या है? क्या समाजशास्त्र पशु समाज का अध्ययन करता है?
पशु समाज और मानव समाज में मुख्य अंतर क्या है? क्या समाजशास्त्र पशु समाज का अध्ययन करता है?
संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? आधुनिक समाज में इसका महत्व घट रहा है, क्यों?
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Flashcards
समुदाय क्या है?
समुदाय क्या है?
व्यक्तियों का एक समूह जो एक निश्चित क्षेत्र में रहते हैं, 'हम' की भावना रखते हैं, और सामान्य जीवन जीते हैं।
समुदाय बनाम समाज
समुदाय बनाम समाज
एक समाज में कई समुदाय हो सकते हैं, लेकिन एक समुदाय में केवल एक समाज होता है।
समुदाय बनाम समिति
समुदाय बनाम समिति
समुदाय स्वतः बनता है, जबकि समिति उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाई जाती है।
संस्कृति क्या है?
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सभ्यता क्या है?
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सांस्कृतिक विलंबना क्या है?
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सामाजिक मूल्य क्या हैं?
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सामाजिक स्तरीकरण क्या है?
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वर्ग स्तरीकरण क्या है?
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जाति स्तरीकरण क्या है?
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सामाजिक गतिशीलता क्या है?
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समाजशास्त्र क्या है?
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प्रत्यक्ष संघर्ष क्या है?
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परसंस्कृतिग्रहण क्या है?
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सातवीकरण/आत्मसातीकरण क्या है?
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Study Notes
समुदाय (Community)
- समुदाय शब्द अंग्रेजी के "कम्युनिटी" से बना है, जो "कॉम" (एक साथ) और "म्यूनिस" (सेवा करना) से मिलकर बना है।
- इसका शाब्दिक अर्थ है "एक साथ सेवा करना", जो व्यक्तियों के समूह को दर्शाता है जो मिलकर रहते हैं और सेवा करते हैं।
- समुदाय में "हम की भावना" (we-feeling) पाई जाती है, यानी समुदाय के सभी सदस्य पूरे समुदाय को अपना घर समझते हैं।
- यह एक मूर्त अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि इसे देखा और छुआ जा सकता है (जैसे कि एक गाँव)।
- समुदाय में सदस्यता जन्मजात होती है और व्यक्ति जीवनभर समुदाय का सदस्य बना रहता है।
- समुदाय का एक विशेष नाम और निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है, और सदस्य सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जीवनभर साथ रहते हैं।
- समाज में संघर्ष और सहयोग दोनों पाए जाते हैं, जबकि समुदाय में मुख्य रूप से सहयोग देखने को मिलता है।
समुदाय की विशेषताएं
- व्यक्तियों का समूह: बिना व्यक्तियों के समुदाय की कल्पना नहीं की जा सकती; इससे समुदाय मूर्त बनता है।
- स्थानीयता: समुदाय एक निश्चित भूभाग पर स्थित होता है बिना निश्चित भूभाग के समुदाय की कल्पना संभव नहीं होती, समुदाय के निर्माण के लिए एक भूभाग होना आवश्यक है।
- सामान्य जीवन: समुदाय का कोई निश्चित उद्देश्य नहीं होता, बल्कि सामान्य जीवन जीने का तरीका होता है।
- समुदायिक भावना : हम की भावना समुदायिकता की भावना को प्रदर्शित करती है। समुदायिक भावना समुदाय के प्रत्येक सदस्यों में संबंध स्थापित करता है।
- स्वतः जन्म: समुदाय का निर्माण नहीं किया जाता, यह स्वतः ही बनता है।
- अनिवार्य सदस्यता: समुदाय में सदस्यता जन्मजात होती है, आप इसमें जाकर दाखिला नहीं ले सकते।
- आत्मनिर्भरता : समुदाय अपने आप में आत्मनिर्भर होता है।
- स्थायित्व: यह बना रहता है, यह कभी भंग नहीं होता।
- विशिष्ट नाम भी होता है: हर समुदाय का एक अलग नाम होता है जिससे उसकी पहचान होती है
समुदाय बनाम समाज
- समुदाय व्यक्तियों का समूह है (इसलिए मूर्त), जबकि समाज सामाजिक संबंधों का जाल है (इसलिए अमूर्त)।
- समाज के लिए भौगोलिक क्षेत्र निश्चित करने की आवश्यकता नहीं, पर समुदाय के लिए आवश्यक है।
- समुदाय में "हम की भावना" आवश्यक है, जबकि समाज में यह आवश्यक नहीं; समाज में संघर्ष भी हो सकता है।
- समुदाय का एक विशिष्ट नाम होता है, जबकि समाज का कोई अलग से नाम नहीं होता।
- एक समुदाय में एक ही समाज हो सकता है, लेकिन एक समाज में कई समुदाय हो सकते हैं।
समुदाय बनाम समिति
- समुदाय की सदस्यता अनिवार्य होती है, जबकि समिति की सदस्यता ऐच्छिक होती है।
- समुदाय स्वतः विकसित होता है, जबकि समितियाँ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थापित की जाती हैं।
- समुदाय का उद्देश्य सामान्य होता है, जबकि समितियों का विशिष्ट उद्देश्य होता है।
- समुदाय स्थाई होता है, जबकि समितियाँ अस्थाई होती हैं।
- समुदाय का कार्यक्षेत्र विस्तृत होता है, जबकि समिति का कार्यक्षेत्र संकुचित होता है।
- समुदाय की कार्य प्रणाली रीति-रिवाजों पर आधारित होती है, जबकि समिति की कार्य प्रणाली नियमों पर।
- समुदाय के लिए समुदायिक भावना का होना आवश्यक है, जबकि समिति में यह आवश्यक नहीं।
धर्म का महत्व (एक सामाजिक संस्था के रूप में)
- धर्म जीवन के अंतिम लक्ष्यों (जैसे मोक्ष) से संबंधित क्रियाओं की संपूर्णता का नाम है।
- धर्म मनुष्य के विचारों को प्रभावित करता है और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।
- यह सामाजिक नियंत्रण का एक प्रभावशाली साधन है, जो लोगों को गलत काम करने से रोकता है।
संस्कृति और सभ्यता
- संस्कृति से तात्पर्य किसी समाज के तौर-तरीके, रीति-रिवाज, प्रथाएं, ज्ञान और विश्वास से है और यह समाज के सदस्यों द्वारा सीखी और साझा की जाती है।
- सभ्यता संस्कृति का भौतिक पक्ष है, जिसमें भौतिक वस्तुएं और तकनीकें शामिल हैं जो मानव जीवन को सुविधाजनक बनाती हैं।
- संस्कृति अमूर्त होती है (विचारों और मूल्यों पर आधारित), जबकि सभ्यता मूर्त होती है (भौतिक वस्तुओं पर आधारित)।
- संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित किया जाता है, और यह मानव निर्मित होती है।
- भौतिक संस्कृति: भौतिक संस्कृति से तात्पर्य समाज में लोगों द्वारा बनाई गई और उपयोग की जाने वाली भौतिक वस्तुओं और तकनीकों से है, जैसे कि इमारतें, उपकरण, मशीनरी, कलाकृतियाँ और परिवहन के साधन। ये वस्तुएँ मनुष्यों द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने, अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने और अपने पर्यावरण को बदलने के लिए बनाई गई हैं।
- अभौतिक संस्कृति: अभौतिक संस्कृति में विचार, मूल्य, विश्वास, रीति-रिवाज, परंपराएँ, भाषा और संचार के तरीके शामिल हैं जो एक समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाते हैं। ये अमूर्त पहलू लोगों के व्यवहार को निर्देशित करते हैं, उनके दृष्टिकोण को आकार देते हैं, और सामाजिक संबंधों को परिभाषित करते हैं।
- संस्कृतिकरण जब कोई समुदाय या समूह किसी अन्य संस्कृति के मूल्यों, प्रथाओं, रीति-रिवाजों और जीवनशैली को अपनाता है, तो इसे संस्कृतीकरण की प्रक्रिया कहा जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर तब होती है जब कोई समुदाय किसी अधिक प्रभावशाली या प्रतिष्ठित संस्कृति के संपर्क में आता है।
- सांस्कृतिक विलंबना: यह अवधारणा सांस्कृतिक विकास की असमान गति को संदर्भित करती है, जहाँ भौतिक संस्कृति (जैसे तकनीक) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य और विश्वास) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है।
सभ्यता बनाम संस्कृति
- सभ्यता स्पष्ट और मूर्त होती है (इसे देखा और छुआ जा सकता है)), जबकि संस्कृति अमूर्त और अदृश्य होती है।
- सभ्यता की कुशलता की माप संभव है (जैसे बैलगाड़ी से मोटर कार), पर संस्कृति की नहीं।
- सभ्यता को शीघ्रता से अपनाया जा सकता, पर संस्कृति को सीखने में समय लगता है।
रूढ़ियाँ और जनरीतियाँ
- रूढ़ियाँ अधिक स्थाई होती हैं और इनका पालन करना आवश्यक होता है, जबकि जनरीतियाँ कम स्थाई होती हैं और इनका पालन करना उतना अनिवार्य नहीं होता।
- रूढ़ियों को समाज में नैतिक नियम माना जाता है, जबकि जनरीतियों में नैतिक भावना का समावेश नहीं होता।
- रूढ़ियों के साथ समाज के कल्याण की भावना जुड़ी होती है, जबकि जनरीतियों के लिए यह आवश्यक नहीं है।
- रूढ़ियों के उल्लंघन के लिए समाज में दंड की व्यवस्था है, जबकि जनरीतियों के उल्लंघन के लिए नहीं।
सामाजिक मूल्य
- सामाजिक मूल्य ऐसे मानक होते हैं जिनके आधार पर व्यवहार, वस्तु, साधन, या भावना को उचित/अनुचित, सही/गलत, अच्छा/बुरा ठहराया जाता है।
- प्रत्येक समाज में मूल्य अलग-अलग हो सकते हैं, और एक ही मुद्दे पर विभिन्न समाजों में अलग-अलग मूल्य हो सकते हैं।
सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ है समाज का विभिन्न स्तरों (ऊँच-नीच) में विभाजन।
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज को विविध स्तरों में बांटा जाता है।
- वर्ग स्तरीकरण में वर्ग स्थिति का निर्धारण कुशलता, क्षमता, रुचि, और उपलब्धि के आधार पर होता है, और जन्म/वंश/संप्रदाय का महत्व नहीं होता।
- जाति स्तरीकरण में पद जन्म के द्वारा डिसाइड होता है, और व्यक्तिगत गुणों का महत्व नहीं होता।
- सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति, आय, व्यवसाय और शक्ति के आधार पर विभिन्न स्तरों या श्रेणियों में विभाजित करता है।
- वर्ग स्तरीकरण: वर्ग स्तरीकरण में सामाजिक स्थिति मुख्य रूप से शिक्षा, व्यवसाय और आय जैसे कारकों पर आधारित होती है। व्यक्तियों को उनकी आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियों के अनुसार विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है, जैसे कि उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग।
- जाति स्तरीकरण: जाति स्तरीकरण एक कठोर सामाजिक व्यवस्था है जो जन्म के आधार पर व्यक्तियों को विभिन्न जातियों में विभाजित करती है। भारत में, जाति व्यवस्था ऐतिहासिक रूप से सामाजिक स्थिति और व्यवसाय को निर्धारित करती थी, और यह सामाजिक गतिशीलता को सीमित करती थी।
सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है मनुष्यों की स्थिति (स्टेटस) में होने वाला परिवर्तन।
- यह एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने की प्रक्रिया है, चाहे वह स्थिति ऊंची हो या नीची।
- अपनी वर्तमान सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में पहुंच जाना ही सामाजिक गतिशीलता है।
समाजशास्त्र (Sociology)
- समाजशास्त्र अंग्रेजी के "सोशियोलॉजी" का हिंदी रूपांतरण है, जो "सोशियस" (समाज) और "लोगस" (विज्ञान/शास्त्र) से मिलकर बना है।
- इसका अर्थ है "समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान या शास्त्र"।
- अगस्त काम्टे को समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है; उन्होंने 1838 में सबसे पहले "सोशियोलॉजी" शब्द का प्रयोग किया।
समाजशास्त्र की परिभाषा
- समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है।
- यह सामाजिक संबंधों का जाल है (मैक्स वेबर)।
समाजशास्त्र की उपयोगिता
- समाज की समस्याओं के निराकरण में सहायक।
- धार्मिक विवादों और अंधविश्वासों को दूर करने में मदद करता है।
- व्यक्तिगत और पारिवारिक संगठन में सहायता करने के लिए उपयोगी।
- व्यवसायों के चयन में सहायता प्रदान करता है।
समाजशास्त्रिक संप्रदाय
- स्वरूपात्मक संप्रदाय (Formalistic School): प्रवर्त्तक - जॉर्ज सिमेल; समर्थक - टोनीज, रिचार्ड, वान बीज, मैक्स वेबर, रास, पार्क, वीरकांत।
- समन्वयात्मक संप्रदाय (Synthetic School): प्रवर्त्तक - इमाइल दुर्खीम; समर्थक - बर्ग।
मनोविज्ञान और समाजशास्त्र
- दोनों के अध्ययन का मूल आधार मानव है, लेकिन अध्ययन के दृष्टिकोण में अंतर होता है।
- समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है, जबकि मनोविज्ञान मानव व्यवहार (Human behaviour) का।
संघर्ष और सहयोग
- प्रत्यक्ष संघर्ष (Direct Conflict): सीधे नुकसान पहुंचाकर लक्ष्य पाना (जैसे युद्ध)।
- अप्रत्यक्ष संघर्ष (Indirect Conflict): परोक्ष रूप से विपक्षी के मार्ग में बाधा पैदा करना।
- प्रतियोगिता (Competition): सीमित उद्देश्यों के लिए होने वाला संघर्ष, जो सकारात्मक होता है (नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं)।
परसंस्कृतिग्रहण (Acculturation)
- एक संस्कृति के प्रभाव से दूसरी संस्कृति के जीवन पद्धति में परिवर्तन की प्रक्रिया।
- एक संस्कृति के मूल्यों, प्रथाओं, रीति-रिवाजों को अपनाना।
सातवीकरण/आत्मसातीकरण (Assimilation)
- जब एक संस्कृति अपनी विशिष्टता खो देती है और अन्य संस्कृति में समाविष्ट हो जाती है।
- बहुत से व्यक्तियों की मनोवृति एकीकृत होती है।
सामाजिक संरचना (Social Structure)
- सामाजिक संबंधों के प्रतिमानों से मिलकर बनी होती है।
- इसमें सामाजिक मूल्य, रीति रिवाज, प्रथाएं, भूमिका, और परिस्थिति शामिल होते हैं।
परिस्थिति (Status)
- दूसरों के संबंध में एक व्यक्ति का जो स्थान होता है, वह उसकी सामाजिक परिस्थिति होती है।
- समाज में व्यक्ति का जो स्तर होता है, वही उसकी परिस्थिति है।
- प्रदत्त परिस्थिति (Ascribed Status): जो जन्म से मिलती है।
- अर्जित परिस्थिति (Achieved Status): जो अपने प्रयासों से प्राप्त की जाती है।
- भूमिका (Role): किसी परिस्थिति से संबंधित व्यवहार के प्रतिमान को भूमिका कहा जाता है; यह परिस्थिति संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति का ढंग है।
आदर्श नियम
- विभिन्न मामलों से संबंधित मूल्य निर्णय।
- व्यवहार की पद्धतियों का मूल्यांकन।
प्रतिमान/आदर्श का महत्व
- सामाजिक आदर्श = व्यवहार को नियंत्रित और नियमित करना।
- ये सामाजिक नियंत्रण का अनौपचारिक साधन हैं।
- यह मानव की व्यक्तिगत और चेतना के महत्वपूर्ण अंग हैं।
रूढ़ियाँ की विशेषताएं
- रूढ़ियों से समूह के कल्याण की भावना निहित होती है (उल्लंघन पर दंड)।
- इनमें नैतिकता की भावना होती है अतः इनका पालन करना अनिवार्य।
- रीति-रिवाज और जनरीतियाँ जब शक्तिशाली हो जाती हैं तो रूढ़ियाँ के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं।
- रूढ़ियों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरण होता है।
समिति (Association)
- सामान्य/निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्मित संगठन।
- इसका अपना प्रशासकीय ढांचा और कार्यकर्ता होते हैं।
- सदस्यता इसमें ऐच्छिक होती है।
सामाजिक समूह (Social Group)
- नियमित संपर्क में रहने वाले लोगों का एक संगठन।
- एक निश्चित और समझने योग्य ढांचा।
- प्राथमिक समूह (जैसे परिवार) और द्वितीयक समूह (जैसे ऑफिस)।
सामाजिक समूह की विशेषता
- व्यक्तियों का संकलन।
- सदस्यों का संबंध अस्थाई होता है।
- अंतःक्रियात्मक संबंध का होना।
- कार्यात्मक विभाजन पाया जाता है।
पशु समाज
- पशु निश्चित रूप से समाज में रहते है अतः उनमे सामाजिक जीवन पाया जाता है परन्तु पशु में संस्कृति नहीं पाई जाती है। उनका अधिकांश व्यवहार पैतृक गुणों पर आधारित होता है।
- इसमें भाषा का अभाव होता है, सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती, और यह केवल अनुकरण से ही सीखते हैं।
- समाजशास्त्र पशु समाज का अध्ययन नहीं करता।
पशु समाज की विशेषताएं
- सरल और सीमित।
- संस्कृति विहीन।
- कम श्रम विभाजन।
- समानता और एकरूपता।
मानव और पशु समाज
- शारीरिक रचना के आधार पर अंतर (अस्थि पंजर, बाल, दांत)।
- सीधे खड़े होने की क्षमता का अंतर (मानव में क्षमता है, पशुओं में नहीं)।
परिवार (Family)
- एक आधारभूत संस्था जहाँ मनुष्य के जीवन की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
- परिवार का सदस्य एक साथ रहते है
- मैकाइवर और पेज के अनुसार: परिवार यौन संबंधों पर आधारित होता है, पर्याप्त रूप से सीमित और इतना अस्थाई, बच्चों की उत्पत्ति और पालन पोषण करने के योग्य होता है।
परिवार के प्रमुख कार्य
- प्राणशास्त्रीय कार्य (यौन इच्छाओं की पूर्ति, संतान उत्पत्ति, पालन पोषण)।
- मनोवैज्ञानिक कार्य (सामाजिक नियंत्रण)।
- परंपरागत कार्य, सामाजिक कार्य, शिक्षात्मक कार्य, सांस्कृतिक कार्य।
संयुक्त परिवार (Joint Family)
- उन व्यक्तियों का समूह जो सामान्यतः एक ही निवास में रहते हैं, एक ही रसोई में भोजन करते हैं, सामान संपत्ति में भागीदार होते हैं, और सामान्य पूजा में भाग लेते हैं।
- एक परिवार की अपेक्षा अधिक पीढ़ियों (तीन/चार पीढ़ियाँ) के सदस्य, जो संपत्ति आयु तथा पारस्परिक अधिकारियों वा कर्तव्यो में समान अधिकार रखते हैं।
संयुक्त परिवार विशेषता
- सामान्य निवास।
- सामान रसोई घर।
- सामान संपत्ति।
- सामान पूजा।
- रक्त संबंध।
- बड़ा आकार।
- अधिकार और दायित्व।
- समान सामाजिक प्रकार्य।
- परिवार का मुखिया।
- सहयोगी व्यवस्था।
- निश्चित स्तरीकरण।
- तुलनात्मक स्थायित्व।
नातेदारी (Kinship)
- व्यक्ति के उन संबंधों से है जो रुधिर (bloodrelation) पर आधारित होते हैं।
- विवाह से बने सम्बन्ध होते हैं।
- मार्गन: वर्ग सूचक (Classificatory) और संबंध सूचक (Descriptive) प्रकार इसके होते हैं।
नातेदारी की परिभाषा
- समाज में विभिन्न व्यक्ति विभिन्न संबंधों में बंधे रहते हैं जिनमें सबसे अधिक सार्वभौमिक और आधारभूत संबंध वह है जो संतानोत्पत्ति पर आधारित है।
नातेदारी के प्रकार
- विवाह संबंधी नातेदारी (Affinal Kinship): ससुराल वाले संबंध
- रक्त संबंधी नातेदारी (Consanguineal Kinship): पिता, पुत्र, परिजन
नातेदारी का महत्व
- विवाह तथा परिवार के क्षेत्र में।
- अनियंत्रित यौन संबंधों पर नियंत्रण।
- वंश, उत्तराधिकार और पदाधिकारी का निर्णय।
- पारिवारिक शांति के लिए आवश्यक।
- उत्तरदायित्व और सहयोग को प्रोत्साहन।
- समानता और स्नेह।
- सुरक्षा का अहसास।
- सामाजिक प्राणी बनाना।
विवाह (Marriage)
- बॉगर्डस के अनुसार: स्त्री और पुरुष को पारिवारिक जीवन में प्रवेश कराने वाली एक संस्था।
- ग्लिन और ग्लिन के अनुसार: एक प्रजनन मूलक परिवार की संस्थापना की स्वीकृति विधि
- एक विवाह (Monogamy): एक समय में एक पुरुष/स्त्री एक ही स्त्री/पुरुष से विवाह करता है।
अनुलोम विवाह (Anuloma Marriage)
- जब उच्च वर्ण का लड़का निम्न वर्ण की लड़की से विवाह करता है।
प्रतिलोम विवाह (Pratiloma Marriage)
- जब उच्च वर्ण की लड़की निम्न वर्ग के लड़के से विवाह करती है (निंदनीय माना गया)।
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Description
समुदाय व्यक्तियों का एक समूह है जो एक साथ रहते हैं और एक दूसरे की सेवा करते हैं। इसमें 'हम की भावना' होती है, जहाँ सदस्य पूरे समुदाय को अपना घर मानते हैं। समुदाय मूर्त होता है, सदस्यता जन्मजात होती है, और इसका एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है।