Questions and Answers
विनाश की घड़ियों का इन्तज़ार करने के बजाय हमें किस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
संकल्पों का क्या प्रभाव होता है?
आपका उद्देश्य क्या होना चाहिए?
कमज़ोर संकल्पों का क्या परिणाम हो सकता है?
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हमारे संकल्पों और वृत्तियों का वायब्रेशन किसमें प्रभाव डालता है?
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आपको अपने अधिकारों के बारे में कैसा दृष्टिकोण रखना चाहिए?
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क्या करना चाहिए जिससे उच्च स्तरीय कर्म मिलें?
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बापदादा का काम किसका है?
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हमें क्या सुनिश्चित करना चाहिए कि हम क्या कर रहे हैं?
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क्या कहा गया है कि संकल्प से क्या बनती है?
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संकल्पित कर्म की जिम्मेदारी किसकी होती है?
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सच्चा पुरुषार्थ क्या है?
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किस बात को याद रखना महत्वपूर्ण है?
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कमज़ोर संकल्प और कर्म के क्या परिणाम हो सकते हैं?
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साकारी स्वरूप और निराकारी स्वरूप में से कौन सा स्वरूप अविनाशी है?
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अलबेलापन किस प्रकार की स्थिति को दर्शाता है जो सम्पूर्ण बनने में विघ्न डालता है?
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विनाश की घड़ियों को गिनने का क्या परिणाम है?
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सम्पूर्ण बनने के लिए आत्माओं को अपनी किस गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए?
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सम्पूर्ण बनने की प्रक्रिया में किस प्रकार की सोच करना आवश्यक है?
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अलबेलापन का क्या अर्थ है?
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साकारी और निराकारी के बीच क्या महत्वपूर्ण भेद है?
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किस विचार को महत्वपूर्ण मानते हुए पुरूषार्थियों को विनाश का सामना करना चाहिए?
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सकारात्मक स्थिति में रहने के लिए किस प्रकार की धारणा महत्वपूर्ण है?
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पहचानने के लिए आत्मा को किस स्थिति में रहना चाहिए?
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Study Notes
संपूर्ण बनने में विघ्न
- विघ्न का मुख्य कारण अलबेलापन है, जो समग्रता की ओर बढ़ने में बाधा डालता है।
- तीन मुख्य अवस्थाएँ: निराकारी (अनादि स्वरूप), आकारी और साकारी। निराकारी स्वरूप अधिक स्थायी और अविनाशी है।
- साकारी रूप का अनुभव सहज होता है, लेकिन निराकारी स्वरूप की स्मृति की आवश्यकता होती है।
संकल्प और आत्मिक स्थिति
- वर्तमान में पुरुषार्थियों का संकल्प विजयी बनना और निर्विघ्नता प्राप्त करना होना चाहिए।
- विनाश की घड़ियाँ गिनने की बजाय, आत्मा को सतोप्रधान बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
- निराशावादी सोच और भविष्य के बारे में संदेह न रखें, बल्कि सकारात्मक संकल्प लें।
संकल्पों का प्रभाव
- रचयिता के संकल्प का वायब्रेशन रचना में होता है; कमजोर संकल्प रचना को कमजोर बनाते हैं।
- संकल्प से सृष्टि को रचना का सिद्धांत महत्वपूर्ण है; जैसा संकल्प वैसी रचना होती है।
कार्य और जिम्मेदारी
- व्यक्तिगत कर्म और संकल्प का दायित्व स्वयं पर होना चाहिए, बाप या दादा पर नहीं।
- सोचने, बोलने और करने के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है; केवल सोचने पर निर्भर रहना परिणाम नहीं देगा।
- उच्च संकल्प और उत्कृष्ट कार्य की आवश्यकता है ताकि श्रेष्ठ प्राप्तियाँ प्राप्त हो सकें।
निष्कर्ष
- आलसी विचारों में समय न गंवाएँ; सक्रिय रहें और अपने संकल्पों में दृढ़ता लाएँ।
- आत्मा को बाप से प्रेरित होकर ही कार्य करना चाहिए, उनकी तरह गुण और कर्म विकसित करके।
- हर एक क्रिया में जिम्मेदारी और बाप समानता का बोध होना आवश्यक है; इससे सफलता की ओर बढ़ा जा सकता है।
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Description
इस क्विज़ में हम सम्पूर्णता के विभिन्न रूपों का अन्वेषण करेंगे। निराकारी, आकारी और साकारी स्वरूप के बीच के अंतर को समझते हुए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन सा स्वरूप अधिक सहज अनुभव होता है। आप अपने अद्वितीय स्वरूप के बारे में सोचते हुए इस क्विज़ का अनुभव करें।