Podcast
Questions and Answers
संज्ञा के दो प्रकार कौन से हैं?
संज्ञा के दो प्रकार कौन से हैं?
संज्ञा में प्रत्यय क्या है?
संज्ञा में प्रत्यय क्या है?
संज्ञा में विषय क्या है?
संज्ञा में विषय क्या है?
संज्ञा का महत्व क्या है?
संज्ञा का महत्व क्या है?
Signup and view all the answers
भारतीय दर्शन में संज्ञा का क्या महत्व है?
भारतीय दर्शन में संज्ञा का क्या महत्व है?
Signup and view all the answers
संज्ञा में अध्यस्य क्या है?
संज्ञा में अध्यस्य क्या है?
Signup and view all the answers
Study Notes
संज्ञा (Sangya)
Definition
- संज्ञा (Sangya) is a Sanskrit term that refers to a concept or a notion in Indian philosophy, particularly in Hinduism and Buddhism.
Types of संज्ञा
- There are two types of संज्ञा:
- सविकल्पा संज्ञा (Savikalpa Sangya): Conceptual or determinate perception, where the mind is aware of an object and its attributes.
- निर्विकल्पा संज्ञा (Nirvikalpa Sangya): Non-conceptual or indeterminate perception, where the mind is aware of an object without its attributes.
Characteristics of संज्ञा
- विषय (Vishaya): The object of perception or the thing that is perceived.
- अध्यस्य (Adhyasya): The subject or the perceiver.
- प्रत्यय (Pratyaya): The notion or concept that arises in the mind due to the perception of the object.
Importance of संज्ञा in Indian Philosophy
- संज्ञा is a crucial concept in Indian philosophy, as it helps to understand the nature of reality and the process of perception.
- It is used to explain the relationship between the subject and the object, and how our perceptions shape our understanding of the world.
- संज्ञा is also used to distinguish between reality and illusion, and to understand the nature of consciousness.
संज्ञा (Sangya)
परिभाषा
- संज्ञा भारतीय दर्शन में एक अवधारणा या धारणा है, विशेष रूप से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में.
संज्ञा के प्रकार
- संज्ञा दो प्रकार की होती है:
- सविकल्पा संज्ञा (Savikalpa Sangya): जहां मन वस्तु और उसके गुणों के बारे में जानता है.
- निर्विकल्पा संज्ञा (Nirvikalpa Sangya): जहां मन वस्तु के बारे में जानता है, लेकिन उसके गुणों के बारे में नहीं जानता.
संज्ञा की विशेषताएं
- विषय (Vishaya): वह वस्तु जिसका हम अनुभव करते हैं.
- अध्यस्य (Adhyasya): वह जivid जिसका अनुभव होता है.
- प्रत्यय (Pratyaya): वह धारणा जो वस्तु के अनुभव से मन में आती है.
संज्ञा का महत्व भारतीय दर्शन में
- संज्ञा भारतीय दर्शन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, क्योंकि यह वास्तविकता और अनुभव की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है.
- यह विषय और वस्तु के बीच संबंध को समझने में मदद करती है.
- संज्ञा वास्तविकता और माया के बीच अंतर करने में भी मदद करती है.
- यह चेतना की प्रकृति को समझने में भी मदद करती है.
Studying That Suits You
Use AI to generate personalized quizzes and flashcards to suit your learning preferences.
Description
संज्ञा (Sangya) is a concept in Indian philosophy, particularly in Hinduism and Buddhism, referring to a notion or perception. Learn about its types, including सविकल्पा संज्ञा and निर्विकल्पा संज्ञा.