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Questions and Answers
रसखान के पहले सवैये के अनुसार, यदि उन्हें पत्थर बनना पड़े तो वे क्या बनना चाहते हैं और क्यों?
रसखान के पहले सवैये के अनुसार, यदि उन्हें पत्थर बनना पड़े तो वे क्या बनना चाहते हैं और क्यों?
रसखान गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहते हैं क्योंकि कृष्ण ने इसे अपनी उंगली पर उठाया था। वे कृष्ण से जुड़े रहना चाहते हैं।
रसखान दूसरे सवैये में किन वस्तुओं के लिए तीनों लोकों का राज त्यागने को तैयार हैं और क्यों?
रसखान दूसरे सवैये में किन वस्तुओं के लिए तीनों लोकों का राज त्यागने को तैयार हैं और क्यों?
रसखान श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए तीनों लोकों का राज त्यागने को तैयार हैं क्योंकि उनका संबंध कृष्ण से है।
तीसरे सवैये में गोपियाँ कृष्ण का रूप क्यों धारण करती हैं? उनके ऐसा करने के पीछे क्या भावना है?
तीसरे सवैये में गोपियाँ कृष्ण का रूप क्यों धारण करती हैं? उनके ऐसा करने के पीछे क्या भावना है?
गोपियाँ श्रीकृष्ण को पाने की इच्छा में उनका रूप धारण करती हैं। उनके ऐसा करने के पीछे कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना है।
रसखान के अनुसार, गोपियाँ मुरली को अपनी सौतन क्यों मानती हैं? इसका क्या कारण है?
रसखान के अनुसार, गोपियाँ मुरली को अपनी सौतन क्यों मानती हैं? इसका क्या कारण है?
चौथे सवैये में गोपियाँ कृष्ण की मुरली की धुन से बचने के लिए क्या करती हैं और क्यों?
चौथे सवैये में गोपियाँ कृष्ण की मुरली की धुन से बचने के लिए क्या करती हैं और क्यों?
रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार व्यक्त किया है? दो उदाहरण दीजिए।
रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार व्यक्त किया है? दो उदाहरण दीजिए।
रसखान के सवैयों में भक्ति और प्रेम का कैसा मिश्रण है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
रसखान के सवैयों में भक्ति और प्रेम का कैसा मिश्रण है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
गोपियों के कृष्ण प्रेम में मुरली के प्रति ईर्ष्या का क्या कारण है? यह ईर्ष्या उनके प्रेम को कैसे दर्शाती है?
गोपियों के कृष्ण प्रेम में मुरली के प्रति ईर्ष्या का क्या कारण है? यह ईर्ष्या उनके प्रेम को कैसे दर्शाती है?
रसखान ने 'काल्हिंदी कूल कदंब की डारन' में क्या इच्छा व्यक्त की है और क्यों?
रसखान ने 'काल्हिंदी कूल कदंब की डारन' में क्या इच्छा व्यक्त की है और क्यों?
रसखान के सवैयों में प्रयुक्त भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
रसखान के सवैयों में प्रयुक्त भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
Flashcards
श्रीकृष्ण की वस्तुओं का महत्व
श्रीकृष्ण की वस्तुओं का महत्व
रसखान श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए तीनों लोकों का राज त्यागने को तैयार हैं, और ब्रज के वन, बाग और तालाबों को निहारना चाहते हैं।
पुनर्जन्म की इच्छाएँ
पुनर्जन्म की इच्छाएँ
रसखान अगले जन्म में श्रीकृष्ण से जुड़े रूपों में जन्म लेने की इच्छा रखते हैं, जैसे ग्वाला, गाय, पत्थर या पक्षी।
गोपियों का श्रीकृष्ण रूप धारण
गोपियों का श्रीकृष्ण रूप धारण
गोपियाँ श्रीकृष्ण को पाने की इच्छा में उनका रूप धारण करती हैं, लेकिन मुरली को होठों पर नहीं रखतीं क्योंकि वे इसे सौतन मानती हैं।
मुरली की धुन का प्रभाव
मुरली की धुन का प्रभाव
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रसखान के सवैये
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रसखान क्या चाहते हैं?
रसखान क्या चाहते हैं?
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पशु के रूप में जन्म
पशु के रूप में जन्म
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पत्थर बनने पर
पत्थर बनने पर
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पक्षी बनने पर
पक्षी बनने पर
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Study Notes
रसखान के सवैये - सारांश
- रसखान के सवैये श्रीकृष्ण भक्ति और प्रेम पर आधारित हैं।
- रसखान श्री कृष्ण के प्रति अपना प्रेम और समर्पण व्यक्त करते हैं।
- इन सवैयों में, रसखान अगले जन्म में श्रीकृष्ण से संबंधित विभिन्न रूपों में जन्म लेने की इच्छा व्यक्त करते हैं।
पहला सवैया: पुनर्जन्म की इच्छाएँ
- रसखान अगले जन्म में गोकुल गांव के ग्वालों के बीच मनुष्य के रूप में जन्म लेना चाहते हैं।
- यदि पशु के रूप में जन्म मिले, तो वे नंद बाबा की गायों के बीच चरना चाहते हैं।
- पत्थर बनने पर, वे गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहते हैं, जिसे कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था।
- पक्षी बनने पर, वे यमुना नदी के किनारे कदंब के पेड़ की डाल पर निवास करना चाहते हैं।
दूसरा सवैया: श्रीकृष्ण की वस्तुओं का महत्व
- रसखान श्रीकृष्ण की लाठी और कंबल के लिए तीनों लोकों का राज त्यागने को तैयार हैं।
- वे नंद बाबा की गायों को चराने में जो सुख मिलता है, उसे आठ सिद्धियों और नौ निधियों से भी बढ़कर मानते हैं।
- रसखान अपनी आँखों से ब्रज के वन, बाग और तालाबों को निहारना चाहते हैं।
- वे करील की झाड़ियों के लिए करोड़ों सोने के महलों को भी त्याग सकते हैं।
तीसरा सवैया: गोपियों का श्रीकृष्ण रूप धारण
- गोपियाँ श्रीकृष्ण को पाने की इच्छा में उनका रूप धारण करती हैं - मोर पंख सिर पर रखती हैं, गुंज की माला पहनती हैं, और पीले वस्त्र धारण करती हैं।
- वे लाठी लेकर ग्वालों के साथ घूमने लगती हैं।
- हालांकि, वे मुरली को अपने होंठों पर नहीं रखना चाहती हैं, क्योंकि वे इसे अपनी सौतन मानती हैं।
- गोपियाँ श्रीकृष्ण की मुरली को अपनी सौतन मानती हैं इसलिए वह उसे होठों पर नहीं रखती।
चौथा सवैया: मुरली की धुन का प्रभाव
- गोपियाँ कृष्ण की मुरली की धुन से बचने के लिए अपने कानों में उंगली रख लेती हैं।
- उन्हें डर है कि मुरली की धुन सुनकर वे अपनी मुस्कान नहीं संभाल पाएंगी।
- उन्हें डर है कि उनकी मुस्कान से ब्रज के लोग जान जाएंगे कि वे श्रीकृष्ण से प्रेम करती हैं।
- गोपियाँ मुरली की धुन से मंत्रमुग्ध हो जाती हैं और उन्हें अपनी सुध-बुध खोने का डर रहता है।
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