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JktLFkku का मुख्य मुद्दा क्या है?
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JktLFkku के तहत किस विशिष्ट समस्या पर विचार किया गया है?
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JktLFkku द्वारा किस प्रकार की जागरूकता फैलाई जाती है?
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JktLFkku कार्यक्रम का उद्देश्य किसके लिए है?
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JktLFkku की परिभाषा में निम्नलिखित में से क्या शामिल नहीं है?
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yksdnsork
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yksdnsork, ryks, lgdkj, fgUnw eafnjk gS.
fo'ks"k
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fo'ks"k, ek dfdih gS jisme kष्टकारी मातृद्ध k साथी नहीं होते हैं।
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ukksV, vkdwo] vkfn gS tFDo thA, vf/kd;ks lhYax; kWijs.
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Study Notes
राजस्थान के लोक देवता
- लोक देवता वे महापुरुष होते हैं जिन्होंने सामाजिक मूल्यों की स्थापना, धर्म की रक्षा और जनहित के लिए सर्वस्व न्योछावर किया।
- वे जनता के दुःख दूर करने और कल्याण करने वाले माने जाते हैं।
- इनके मंदिर, देवल, देवरे या चबूतरे लोगों के लिए आस्था के केंद्र हैं।
- सभी लोक देवता छुआछूत, जाति-पाँति और गौ-रक्षा के विरोधी रहे हैं, साथ ही असाध्य रोगों के चिकित्सक भी।
- राजस्थान में लोक देवताओं का उदय सांस्कृतिक समन्वय का परिणाम था, जो साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देते थे।
- लोकदेवताओं की प्रसिद्धि का कारण ग्रामीण समाज के निचले तबके से जुड़ाव था, जो सरल धर्म और नैतिकता के उपदेश देते थे।
- लोक देवताओं के स्थानों पर गीत और नृत्य की परंपराएँ पाई जाती हैं।
प्रमुख शब्दावली
- नाभा: देव की छोटी प्रतिमा जिसे भक्त गले में पहनते हैं।
- परचा: अलौकिक शक्ति द्वारा कार्य करना।
- चिरजा: रात के जागरणों में महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले देवी पूजा के पद, गीत या मंत्र।
- देवरे: ग्रामीण क्षेत्रों में बने लोक देवताओं के पूजा स्थल।
- पंचपीर: मारवाड़ के पाँच प्रमुख लोक देवता (पाबूजी, हडबूजी, रामदेवजी, मांगलिया, मेहा)।
रामदेवजी
- प्रमुख अवतारी पुरुष।
- तंवर वंश के अजमल जी और मैणा दे की संतान हैं।
- समाज सुधारक, मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा और जाति व्यवस्था के विरोधी।
- कर्म की शुद्धता पर बल, भाग्य और कर्म को जोड़ते हैं।
- साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रवर्तक, मुस्लिम समाज द्वारा रामसा पीर के रूप में पूजे जाते हैं।
- प्रमुख स्थान रामदेवरा (रूणेचा), भाद्रपद माह में विशाल मेला।
- विभिन्न मंदिर (रूणेचा/रामदेवरा, मसूरिया पहाड़ी जोधपुर, विराटिया खुर्द, सूरतखेड़ा चित्तौड़, छोटा रामदेवरा गुजरात, उडू काश्मेर)।
- जन्म स्थान: (1405 ई.)
- गुरु: बालिनाथ
- पत्नी: नेतल-दे
- बहन: डालीबाई मेघवाल
- समाधि पर बीकानेर महाराजा गंगासिंह ने मंदिर बनवाया।
- मंदिर का मुख्य आकर्षण: कामड़िया पंथ द्वारा किया जाने वाला तेरह ताली नृत्य।
गोगाजी
- राजस्थान के प्रमुख पांच पीरों में से एक।
- जेवर ददेरवा (चुरू की राजगढ़ तहसील) के चौहान शासक।
- गायों की रक्षा में वीर गति को प्राप्त।
- सर्प दंश के उपचारक।
- मुख्य मंदिर: गोगामेड़ी (हनुमानगढ़), अन्य मंदिर: ददरेवा (शीशमेड़ी-चुरू, ओल्डी सांचौर)।
- गुरु: गोरखनाथ जी
- पिता: जेवर सिंह
- माता: बाछल
- पत्नि: केमल-दे
- वाहन: नीला घोड़ा।
पाबूजी
- मारवाड़ के प्रमुख लोक देवता।
- राव आसथान के पुत्र धांधल जी राठौड़ की संतान।
- बहनोई जायल (नागौर) नरेश जींद राव खींची के विरुद्ध गायों को बचाने के लिए संघर्ष और वीरगति प्राप्त की।
- ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक।
- मुख्य मंदिर: कोलुमन्ड (जोधपुर)।
- मेला: चैत्र अमावस्या।
- पिता: धांधल जी राठौड़।
- पत्नी: सुपियार सोढ़ी।
अन्य लोक देवता (संक्षेप में)
- हरभूजी: राव जोधा के समकालीन, बड़े सिद्ध योगी, शस्त्र त्याग कर बाली जी के शिष्य।
- मुख्य मंदिर: बेंगटी।
- मेला: राव जोधा को तलवार भेंट, बेंगटी की जागीर प्रदान की।
- तेजाजी: जाट समुदाय द्वारा पूजे जाने वाले लोक देवता, गौ रक्षक, सर्प दंश उपचारकर्ता।
- प्रमुख मंदिर: सुरसरा, अजमेर, पर्वतसर, नागौर, आदि।
- भाद्रपद सुदी दशमी को परबतसर मे मेला लगता है।
- मेहाजी मांगलिया: मांगलिकों के इष्टदेव, गायों की रक्षा किए।
- मुख्य मंदिर: बापणी गांव जोधपुर।
- मेला: भाद्रपद कृष्ण अष्टमी।
- मल्लीनाथ जी: भविष्यवक्ता, भोपा, तिलवाड़ा, बाड़मेर के प्रसिद्ध लोक देवता।
- प्रमुख मंदिर: तिलबाड़ा, बाड़मेर।
- तल्लीनाथ जी: प्रकृति प्रेमी लोक देवता, जालौर।
- देवजी (देवनारायणजी): गुर्जर जाति के आराध्य देवता, गुर्जर जाति के तीर्थ स्थल।
- मुख्य मंदिर: गौठा दडावता, आसीन्द, भीलवाड़ा।
- भूरिया बाबा/गौतमेश्वर: मीणा लोगों के इष्टदेव, शौर्य और कल्याण के प्रतीक।
- वीर कल्लाजी राठौड़: चार हाथों वाले लोक देवता।
- बग्गा जी: जाखड़ समाज के कुलदेवता, राव महन।
- बाबा झुंझार जी: स्यालोदड़ा (सीकर)। मुस्लिम लुटेरों से गाँव की रक्षा करते हुए प्राण गवाए।
- झरड़ा जी/रूपनाथ: गायों की रक्षा करते हुए प्राणोत्सर्ग।
- फत्ता जी: लुटेरों से गाँव की रक्षा करते हुए प्राणोत्सर्ग।
- पनराजजी: काठोड़ी गाँव जैसलमेर के बाह्यण परिवार की गायों की रक्षा।
- हरिराम बाबा: झोरड़ा गाँव (नागौर), जड़ी-बूटियों का ज्ञानी।
- भौमिया जी: भूमि के रक्षक देवता।
- केसरिया कुँवर जी: सर्पदंश के इलाजकर्ता।
- डूंगर जी-जवाहरजी: शेखावाटी क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक देवता, डाकू के रूप में प्रसिद्ध।
- गालव ऋषि: 1857 क्रांति के समय क्रांतिकारी प्रतीक।
- मामादेव: बरसात का देवता, अश्वारूढ़ मृणमूर्तियाँ।
- इलोजी: छेडछाड़ के लोक देवता.
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Description
यह क्विज राजस्थान के लोक देवताओं की महत्ता, उनकी परंपराएँ और धार्मिक आस्थाओं के बारे में है। लोक देवता समाज में सांस्कृतिक समन्वय और कल्याण के प्रतीक माने जाते हैं। इस क्विज में आप जानेंगे कि ये कैसे लोगों के दुःख दूर करने और उनके कल्याण के लिए कार्य करते हैं।