पानी की कहानी

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Questions and Answers

लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

लेखक को ओस की बूँद बेर की झाड़ी पर मिली।

ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

ओस की बूँद क्रोध और घृणा से इसलिए काँप उठी क्योंकि उसे पेड़ों द्वारा जल कणों का शोषण किए जाने का अनुभव हुआ था।

हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज क्यों कहा?

हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज इसलिए कहा क्योंकि पानी का रासायनिक निर्माण इन्हीं दो गैसों के संयोजन से हुआ है।

"पानी की कहानी" के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

<p>पानी का जन्म हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से होता है। इसकी यात्रा सूर्यमंडल से शुरू होकर पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और अंत में पेड़ के पत्ते तक चलती है।</p> Signup and view all the answers

कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

<p>ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए सूर्य के निकलने की प्रतीक्षा कर रही थी, ताकि वह वाष्प बनकर उड़ सके।</p> Signup and view all the answers

जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं?

<p>जलचक्र में जल वाष्प बनकर ऊपर उठता है, बादल बनता है, और फिर वर्षा के रूप में नीचे आता है। लेखक ने कहानी में पानी के विभिन्न रूपों और यात्रा का विस्तार से वर्णन किया है, जैसे कि ज्वालामुखी और समुद्र में उसका जीवन।</p> Signup and view all the answers

"पानी की कहानी" पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।

<p>मैं एक पुरानी किताब हूँ, जो धूल भरी अटारी में पड़ी है। मेरे पन्ने पीले पड़ गए हैं, और मेरी कहानियाँ पुरानी हो चुकी हैं, लेकिन हर बार जब कोई बच्चा मुझे पढ़ता है, तो मैं फिर से जीवंत हो उठती हूँ।</p> Signup and view all the answers

समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी क्यों नहीं पड़ती?

<p>समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी इसलिए नहीं पड़ती क्योंकि समुद्र का पानी तापमान को स्थिर रखता है, जिससे मौसम में ज्यादा बदलाव नहीं होता।</p> Signup and view all the answers

पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।

<p>पेड़ के भीतर पानी जड़ों से पत्तियों तक केशिका क्रिया (capillary action) और ट्रांसपिरेशन (transpiration) के माध्यम से पहुँचता है। इसे जानने के लिए आप एक सफेद फूल को रंगीन पानी में डालकर देख सकते हैं।</p> Signup and view all the answers

पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और जल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।

<p>मैं प्लास्टिक की बोतल हूँ, जिसका जन्म एक कारखाने में हुआ। मैं तेल से बनी हूँ, और मेरी यात्रा कचरे के ढेर से शुरू होकर रीसाइक्लिंग प्लांट और फिर एक नए उत्पाद के रूप में होती है।</p> Signup and view all the answers

अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) हलकी होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए।

<p>जल की ठोस अवस्था (बर्फ) तरल अवस्था से हलकी होती है क्योंकि बर्फ में अणु एक विशेष संरचना में व्यवस्थित होते हैं, जिससे उनके बीच अधिक खाली जगह होती है, जिसके कारण घनत्व कम होता है।</p> Signup and view all the answers

पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री 'हम पृथ्वी की संतान!' का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।

<p>पर्यावरण संकट एक गंभीर मुद्दा है जिसमें प्रदूषण, वन विनाश, और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। हमें पृथ्वी की संतान होने के नाते इसका संरक्षण करना चाहिए और सतत जीवन शैली अपनानी चाहिए।</p> Signup and view all the answers

पाठ में, बूँद ने ज्वालामुखियों का उल्लेख किया है। ज्वालामुखी गतिविधियों का जल चक्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?

<p>ज्वालामुखी गतिविधियों से जलवाष्प और अन्य गैसें निकलती हैं, जो वायुमंडल में पहुँचकर बादल बनाने में मदद करती हैं और वर्षा को बढ़ाती हैं। ज्वालामुखी राख से तापमान में थोड़े समय के लिए कमी आ सकती है।</p> Signup and view all the answers

अगर ओस की बूँद को आधुनिक शहर में अपनी यात्रा जारी रखनी होती, तो उसकी यात्रा कैसी होती?

<p>अगर ओस की बूँद को आधुनिक शहर में अपनी यात्रा जारी रखनी होती, तो वह शायद गंदे नालों, फैक्ट्रियों के पाइपों और प्रदूषित नदियों से गुजरती, जिससे उसका अनुभव बहुत ही दुखद होता।</p> Signup and view all the answers

कहानी में, बूँद ने समुद्र में विचित्र जीवों को देखा। समुद्र में गहराई के साथ जीवन कैसे बदलता है?

<p>समुद्र में गहराई के साथ, प्रकाश कम होता जाता है, और दबाव बढ़ता है। इसलिए, गहरे समुद्र में रहने वाले जीव अंधेरे में रहने और उच्च दबाव को सहने के लिए अनुकूलित होते हैं।</p> Signup and view all the answers

Flashcards

लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

ओस की बूँद बेर की झाड़ी पर मिली।

ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

क्योंकि पेड़ की जड़ें जल-कणों को बलपूर्वक खींच लेती हैं और उनका शोषण करती हैं।

हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पुरखा क्यों कहा?

क्योंकि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक क्रिया के कारण ही पानी का निर्माण हुआ।

हाइड्रोजन और ओषजन पहले कहाँ थे?

सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान।

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लपटों से पानी कैसे बना?

पृथ्वी का ठंडा होना।

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पानी कब बना?

अरबों वर्ष।

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होश आने पर बूँद किस रूप में थी?

ठोस बर्फ़।

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पहले बूँद किस रूप में थी?

भाप।

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बूँद को क्या अच्छा नहीं लगा?

समुद्र का खारापन भाया नहीं।

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मछली कैसी थी?

मनुष्य से कई गुना लंबी।

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मछली क्या दिखाती थी?

चमक।

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गुफाओं में कौन रहता है?

नाना प्रकार के जीव।

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बूँद कहाँ गिरी?

पहाड़ों में।

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किसकी बात हो रही है?

ज्वालामुखी।

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बूँद कहाँ फँसी?

पानी का नल।

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Study Notes

ज़रूर, यहाँ कक्षा के नोट्स हैं:

पानी की कहानी

  • लेखक बेर की झाडी के पास से जा रहा था कि उसके हाथ पर ओस की एक बूंद गिरी।
  • लेखक हैरान था कि बूँद उसकी कलाई से हथेली तक कैसे आ गई।
  • लेखक को सितार की झंकार सुनाई दी, और पता चला कि यह बूँद से निकल रही है।
  • बूँद दो कणों में विभाजित हो गई और हिल-हिलकर बोल रही थी।
  • बूँद ने कहा कि लोग उन्हें पानी और जल भी कहते हैं।
  • लेखक को पता चला कि वह बेर के पेड़ से आई है।

बूँद का सफर

  • बूँद ने कहा कि वह पेड़ के पास की भूमि में घूम रही थी
  • बूँद कणों की खोज करती रही, तभी एक जड़ ने उसे पकड़ लिया।
  • बूँद को पेड़ की जड़ो ने बलपुर्वक खींचा जो की निर्दयी होते हैं।
  • कुछ बूंदों को पेड़ खा जाते हैं और अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।
  • खनिजों को घुलाकर बूँद आनंद से घूम रही थी कि एक रोएँ से उसका शरीर छू गया।
  • बूँद रोएँ में खींची गयी और एक कोठरी में बंद कर दी गई
  • वहा उसे धक्का दिया जा रहा था और खींचा जा रहा था, एक और बूँद वहा पर लाई गई।
  • तीन दिन तक वह पत्तों के छोटे-छोटे छेदों से जान बचाकर भागी।
  • अब रात होने वाली थी और सूर्य छिप गया था।
  • सूर्य हमें उड़ने की शक्ति देते हैं और वायुमंडल में इतने जल कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है

लेखक और बूंद की बातचीत

  • दुःखभरी कहानी सुनकर लेखक ने कहा "जब तक तुम मेरे पास हो कोई पत्ता तुम्हें न छू सकेगा।"
  • बूँद ने धन्यवाद दिया और कहा कि वह सूर्य के दर्शन तक ही सुरक्षित है।
  • बूँद कहने लगी कि उसका जीवन विचित्र घटनाओं से परिपूर्ण है

बूंद का इतिहास

  • बूँद ने बताया कि बहुत दिन पहले, उसके पुरखे हद्रजन (हाइड्रोजन) और ओषजन (ऑक्सीजन) नामक दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में मौजूद थे।
  • सूर्यमंडल अपने निश्चित मार्ग पर चक्कर काट रहा था।
  • ब्रह्मांड में उथल-पुथल हो रही अनेक ग्रह और उपग्रह बन रहे थे।
  • बूँद के पुरखे अभी भी सूर्यमंडल में हैं और अपनी भयावह लपटों से उसका मुख उज्ज्वल किए हुए हैं।
  • दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड सूरज की ओर बढ़ रहा था।
  • वह पिंड सूर्य से लाखों गुना बड़ा था, उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमारा सूर्य काँप उठा।
  • एक भाग टूटकर उसके पीछे चला।
  • सूर्य से टूटा हुआ भाग कई टुकड़ों में टूट गया, और उनमें से एक टुकड़ा पृथ्वी बना
  • पृथ्वी प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

जल का निर्माण

  • अरबों वर्ष पहले हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण बूँद का निर्माण हुआ।
  • उन दिनों वह भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती रहती थी।
  • अचानक, उसने अपने को ठोस बर्फ़ के रूप में पाया, बहुत छोटा होकर।
  • बूँद के चारो और अनगिनत साथी बर्फ़ बने पड़े थे।
  • सूर्य की किरणें पड़ने पर सौंदर्य बिखर पड़ता था।
  • कुछ बूँद उत्सुकता से आँधी में ऊँचा उडने, उछलने-कूदने के लिए तैयार रहते थे।
  • वह समय आनंद का था, लेकिन वह कई लाख वर्षों तक चला।

पिघल कर पानी बनना

  • वे शांत बैठे हवा से खेलने की कहानियाँ सुन रहे थे कि अचानक सरकने लगे।
  • भार से नीचेवाले भाई दबकर पानी हो गए थे।
  • उनका शरीर ठोसपन को छोड़ चुका था और तरल शरीर पर फिसलन हो रही थी।
  • बूंद कई मास तक समुद्र में इधर-उधर भटकती रही।
  • फिर एक दिन गर्म-धारा से भेंट हो गई। धारा की गरमी सोखने पर बूँद पिघल कर पानी बन गई।
  • समुद्र में उसे अपने बंधु-बांधवों का राज्य समझती थी, लेकिन पता चला कि वहाँ दूसरे ही जीवों का चहल-पहल है।
  • समुद्र का खारापन उसे बिलकुल नहीं भाया, जी मचलाने लगा।

समुद्र कि गहराई में

  • समुद्र के ऊपरी सतह पर घूमने के बाद एक दिन उसे अंदर देखने कि इच्छा हुई।
  • मार्ग में उसने विचित्र-विचित्र जीव देखे।
  • धीरे-धीरे रेंगने वाले घोंघे, जालीदार मछलियाँ, कई-कई मन भारी कछुवे, और हाथोंवाली मछलियाँ मिलीं।
  • ऐसी मछली देखी जो मनुष्य से कई गुना लंबी थी वह अपने आठ हाथों से अपने शिकार को जकड़ लेती थी।

विचित्र जीव

  • और गहराई में जाने पर अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था।
  • उसने एक ऐसी मछली देखी मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो।
  • इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी, जिससे छोटी-छोटी मछलियाँ आकर्षित होती थीं, और यह मछली उन्हें खा जाती थी।

पानी का जंगल

  • समुद्र की गहरी तह में छोटे ठिंगने, मोटे पत्ते वाले पेड़ों का जंगल था।
  • वहाँ पहाड़ियाँ और घाटियाँ भी थीं।
  • पहाड़ियों की गुफाओं में नान प्रकार के जीव रहते थे जो महा आलसी हैं, और अँधेरे में रहते हैं।
  • ऊपर लौटने का प्रयास करने पर जान पड़ा कि यह असंभव है, क्युकी ऊपर पानी की तीन मील मोटी तह थी।

पृथ्वी के भीतर का सफर

  • बूँद भूमि में घुसकर जान बचाने की चेष्टा की, क्योंकि करोड़ों जल-कण इसी भाँति अपनी जान बचाते हैं और समुद्र का जल नीचे धँसता जाता है।
  • एक खोखले स्थान में निकले और सोचा कि क्या करना चाहिए कुछ वही पड़े रहने कि बात कर रहे थे लेकिन कुछ उत्साही युवा आगे खोज करने के लिए तैयार थे।
  • शोर मचाते हुए आगे बढ़े तो एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ ठोस वस्तु का नाम भी न था बड़ी बड़ी चट्टानें लाल पीली पड़ी थी और नाना प्रकार की धातुएँ इधर-उधर बहने को उतावली हो रही थीं।

ज्वालामुखी का अनुभव

  • एक दुर्घटना होते-होते बची, क्योंकि वे अंधा-धुँध बिना मार्ग देखे बढ़े जा रहे थे और अचानक बहुत ऊँचे तापक्रम पर पहुँच गए।
  • अगुवा काँपे और ओषजन और हद्रजन में विभाजित हो गए।
  • बूँद अपने और बुद्धिमान साथियों के साथ एक ओर निकल गई।
  • एक ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पृथ्वी का गर्भ रह-रहकर हिल रहा था। फिर एक ज़ोर का धड़ाका हुआ और बाहर फेंक दिए गए।
  • पृथ्वी फट गई और उसमें धुआँ, रेत, पिघली धातुएँ तथा लपटें निकलने लगीं।

आखिरी सफर

  • भाप का बड़ा दल मिलने पर वे गरजकर आपस में मिले और आगे बढ़े।
  • पुरानी सहेली आँधी के साथ आकाश में स्वच्छंद किलोलें करते फिरते थे।
  • जल-कणों के मिलने के कारण भारी होकर नीचे झुक आए और एक दिन बूँद बनकर पहाड़ पर गिर पड़े।
  • पहाड़ों में एक पत्थर से दूसरे पत्थर पर कूदने और किलकारी मारने में बहुत आनंद आया।
  • एक बार बड़ी ऊँची शिखर पर से कूदे और नीचे एक चट्टान को खंड-खंड कर दिया।
  • इस तरह वह पत्थरों को चबा-चबा कर रेत बनाते हैं।
  • एक छोटी धारा में मिल गई और सरिता के साथ बहते हुए भूमि को काटते, पेड़ों को खोखला करते हुए एक नगर के पास पहुँची।
  • वहाँ काली-काली हवा निकलने वाली ऊँची मीनार में खींच ली गई और एक नल में घूमती रही।
  • नल टूटा हुआ था और रात के समय वह उससे निकलकर पृथ्वी में समा गई।
  • अंत में घूमते-घूमते बेर के पेड़ के पास पहुँची, जहाँ सूर्य निकल आया और वह ओझल हो गई।

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