औलिकर राजवंश: अध्ययन नोट्स

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Questions and Answers

औलिकर वंश ने पश्चिमी मध्यप्रदेश पर 3 वीं से 4 वीं शताब्दी के मध्य शासन किया।

False (B)

औलिकर वंश के शासक 'देवेन्द्रविक्रम' की उपाधि धारण करते थे।

True (A)

मंदसौर अभिलेख में रेशम बुनकर श्रेणियों द्वारा मातृका मंदिर निर्माण का उल्लेख है।

False (B)

प्रकाशधर्मन ने हूण नेता मिहिरकुल को पराजित कर स्वतंत्र औलिकर वंश की नींव रखी।

<p>False (B)</p> Signup and view all the answers

औलिकर शासक यशोधर्मन ने 'राजाधिराज परमेश्वर' और 'नराधिपति' जैसी उपाधियाँ धारण की थी।

<p>True (A)</p> Signup and view all the answers

परिव्राजक वंश के शासक गुप्तों के सामंत थे और उनका शासन क्षेत्र नागौद और पन्ना तक सीमित था।

<p>True (A)</p> Signup and view all the answers

परिव्राजक वंश के हस्तिन ने प्रयाग प्रशस्ति में उल्लेखित संक्षोभ को 18 आटविक वन क्षेत्रों का स्वामी कहा था।

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उच्चकल्प वंश का संस्थापक ओघदेव था, और उन्होंने बघेलखंड अंचल में स्थित उचेहरा क्षेत्र (सतना) पर शासन किया।

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गर्दभिल्ल वंश की राजधानी विदिशा थी, और इसके संस्थापक गंधर्वसेन थे।

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गर्दभिल्ल वंश के शासक विक्रमादित्य ने 57 ई.पू. में शकों को पराजित कर विक्रम संवत चलाया।

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Flashcards

औलिकर वंश क्या था?

औलिकर वंश पश्चिमी मध्यप्रदेश का एक शक्तिशाली राजवंश था, जिसने मालवा, उज्जैन और ग्वालियर क्षेत्रों पर शासन किया।

औलिकर वंश का संस्थापक कौन था?

औलिकर वंश का संस्थापक जयवर्मा था, जिसने देवेन्द्रविक्रम की उपाधि धारण की।

परिव्राजक वंश क्या था?

परिव्राजक वंश एक ब्राह्मण वंश था जिसने बुंदेलखंड क्षेत्र में शासन किया, और वे गुप्तों के सामंत थे।

उच्चकल्प वंश क्या था?

उच्चकल्प वंश ने 5वीं-6वीं शताब्दी में सतना जिले के क्षेत्र पर शासन किया, और वे गुप्तों के सामंत थे।

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गर्दभिल्ल वंश का संस्थापक कौन था?

गर्दभिल्ल वंश की स्थापना गंधर्वसेन द्वारा की गई थी, और वे गर्दभी विद्या के ज्ञाता थे।

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नागवंश कहाँ शासन करता था?

नागवंश ने विदिशा और ग्वालियर क्षेत्र में शासन किया, और वे कुषाणों के पतन के बाद उभरे।

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कच्छपघात वंश कहाँ शासन करता था?

कच्छपघात वंश ने ग्वालियर क्षेत्र में शासन किया, और वे कछुए को मारने वाले के रूप में जाने जाते थे।

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गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक कौन था?

गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना हरिश्चंद्र द्वारा की गई थी, और उन्होंने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।

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तोमर वंश कहाँ शासन करता था?

तोमर वंश ग्वालियर क्षेत्र का एक राजपूत वंश था, जिसने 14वीं सदी में शासन किया।

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चंदेल वंश कहाँ शासन करता था?

चंदेल वंश बुंदेलखंड क्षेत्र का एक राजपूत वंश था, जो 9वीं से 13वीं शताब्दी तक शक्तिशाली बन गया।

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Study Notes

ज़रूर, यहाँ अध्ययन नोट्स दिए गए हैं:

औलिकर वंश

  • यह वंश 5 वीं से 6 वीं शताब्दी के मध्य पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा, उज्जैन और ग्वालियर क्षेत्रों में शासन करने वाला एक शक्तिशाली राजवंश था।
  • जयवर्मा इस वंश का संस्थापक था और दशपुर उसकी राजधानी थी।
  • जानकारी के स्रोत: दशपुर अभिलेख, प्रभाकर का मंदसौर अभिलेख, नरवर्मा का मंदसौर अभिलेख, रिस्थल अभिलेख, और सौंधणी अभिलेख।

औलिकर राजवंश की प्रथम शाखा

  • ये शासक गुप्तों के अधीन सामंत थे।
  • जानकारी के स्रोत: नरवर्मा के शिलालेख और विहार कोटरा अभिलेख।
  • जयवर्मा का उपसर्ग "देवेन्द्रविक्रम'' था।
  • जयवर्मा सिंहवर्मा का उत्तराधिकारी बना।
  • सिंहवर्मा का उपसर्ग "सिंहविक्रांतगामिन" था।
  • सिंहवर्मा समुद्रगुप्त का समकालीन था।
  • नरवर्मा इस वंश का वास्तविक संस्थापक था।
  • नरवर्मा चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य का समकालीन था।
  • विश्ववर्मा नरवर्मा का उत्तराधिकारी बना।
  • गंगाधर अभिलेख से पता चलता है कि वह एक स्वतंत्र शासक था।
  • विश्ववर्मा का मंत्री मयूररक्षक था, जिसने मातृका मंदिर बनवाया था जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • बंधुवर्मा विश्ववर्मा का उत्तराधिकारी बना।
  • दशपुर अभिलेख से पता चलता है कि बंधुवर्मा कुमारगुप्त-1 का सामंत था।
  • उल्लेखनीय: उन्होंने दशपुर में एक भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया और रेशम बुनकर श्रेणियों का उल्लेख किया।

औसतकर राजवंश की द्वितीय शाखा

  • 1983 में सीतामऊ के पास रिस्थल में खोजे गए एक पत्थर के शिलालेख से औलिकर वंश से संबंधित जानकारी मिली।
  • इस शाखा के शासक स्वतंत्र थे और कभी भी गुप्तों के अधीनस्थ नहीं थे।
  • द्रुमवर्धन इस शाखा का संस्थापक था।
  • जानकारी का स्त्रोत: रिस्थल अभिलेख
  • द्रुमवर्धन का उपसर्ग "सेनापति" था।

प्रमुख शासक

  • प्रकाशधर्मन औलिकर वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक था।
  • प्रकाशधर्मन का उपसर्ग "भागवत प्रकाश" एवं"अधिराज' था
  • रिस्थल में एक तालाब निर्माण अपने पितामह के नाम पर करवाने के कारण एक और नाम- विभीषण तड़ाग) था।
  • शिलालेख खुदवाया और प्रकाशेश्वर मंदिर निर्माण करवाया
  • प्रकाशधर्मन ने हूण शासक तोरमाण को हराया।
  • यशोधर्मन दशपुर के औलिकर वंश का महानतम शासक था और उसे "राजाधिराज परमेश्वर" और "नराधिपति" की उपाधि मिली थी।
  • यशोधर्मन ने हूण नेता मिहिरकुल को हराया।
  • यशोधर्मन की जीत के बाद कहा गया कि भारत हूणों से मुक्त हो गया।
  • तथ्य: 532-33 ईस्वी के मालवा संवत (589 ईस्वी) में, मंदसौर शिलालेख में यशोधर्मन का वर्णन है और मिहिरकुल पर यशोधर्मन की विजय वर्णित है।
  • विजय के बाद उन्होंने स्वयं को मालवा का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया।
  • सोंधनी शिलालेख से पता चलता है कि सोंधनी अभिलेख के अनुसार यशोधर्मन साम्राज्य हिमालय में उत्तर से, पश्चिम में समुद्र तक, दक्षिण में महेंद्र पर्वत (उड़ीसा) तक और पूर्व में लोहित नदी तक फैला हुआ था।
  • इसी अभिलेख के अनुसार वह उन क्षेत्रों पर भी शासन करता था जिन क्षेत्रों पर गुप्तों का शासन नहीं था।
  • यशोधर्मन के बाद के शासक दुर्बल थे और निर्बलता का लाभ उठाकर वाकाटक, कल्चुरी एवं मैत्रकों ने मिलकर "मालवा अभियान" कर औलिकर शासन समाप्त कर दिया।
  • मंदसौर अभिलेख (532 ई.): वत्सभट्टी द्वारा लिखा गया था और शासक बंधुवर्मा का उल्लेख करता है कि लाट प्रदेश से आमंत्रित रेशम बुनकरों के संघ द्वारा दशपुर में सूर्य को समर्पित मंदिर का निर्माण किया गया था, गुप्त सम्राटों की अधीनता स्वीकारने का उल्लेख और प्रथम बार विज्ञापन का उदाहरण इसी से प्राप्त होता है।
  • रिस्थल अभिलेख मंदसौर में स्थित है और औलिकर वंश की जानकारी व प्रकाशधर्मन से संबंधित है।

कला तथा स्थापत्य

  • सूर्य मंदिर: दशपुर में स्थित है, जिसका उल्लेख दशपुर शिलालेख में है, जिसे लाट प्रदेश के रेशम बुनकरों की श्रेणी द्वारा बनाया गया था, क्षतिग्रस्त होने के बाद बंधुवर्मा के तंतुवायों द्वारा जीर्णोद्धार किया गया।
  • प्रकाशेश्वर शिव मंदिर: रिस्थल (दशपुर के निकट) में स्थित है, जिसका निर्माण प्रकाशधर्मन द्वारा किया गया था और उल्लेख रिस्थल अभिलेख में है।
  • विभीषण तड़ाग: रिस्थल में स्थित है, जिसका निर्माण प्रकाशधर्मन द्वारा किया गया था और यह पितामह के नाम पर है।

परीक्षा उपयोगी तथ्य

  • औलिकर वंश का संस्थापक जयवर्मा था और उसकी राजधानी दशपुर थी।
  • मालवा, उज्जयिनी और ग्वालियर क्षेत्र औलिकर वंश के शासन क्षेत्र थे।
  • जयवर्मा, नरवर्मा, बंधुवर्मा, ध्रुमवर्मा, प्रकाशधर्मन, और यशोधर्मन औलिकर वंश के मुख्य शासक थे।
  • दशपुर अभिलेख, मंदसौर अभिलेख, सौंधणी अभिलेख, और रिस्टल अभिलेख औलिकर वंश की जानकारी के स्त्रोत हैं।
  • जयवर्मा का उपसर्ग 'देवेन्द्रविक्रम' था और सिंहवर्मा समुद्रगुप्त के समकालीन थे।
  • विश्वकर्मा मयूरक्षक का मंत्री था और मयूररक्षक ने मातृका मंदिर का निर्माण कराया था।
  • बंधुवर्मा दशपुर के सूर्य मंदिर के निर्माता और प्रकाशधर्मन ने स्वतंत्र औलिकर साम्राज्य की स्थापना की थी।
  • प्रकाशधर्मन ने हूण तोरमाण को हराया था और विभीषण तड़ाग प्रकाशधर्मन कहलाता है।
  • यशोधर्मन के शासनकाल में हूणों की भारत से समाप्ति हुई और औलिकर वंशीय यशोधर्मन ने मिहिरकुल को हराया।
  • पशुपतिनाथ मंदिर शिवना नदी (मंदसौर) के तट पर स्थित है और मंदसौर शिलालेख में यशोधर्मन की मिहिरकुल की पराजय का वर्णन है।
  • मालव संवत 589 मालव संवत (532-33 ई. में)।
  • मंदसौर अभिलेख का लेखक वत्सभट्टी थे और प्रथम बार ज्ञापन का उल्लेख मंदसौर अभिलेख में मिलता है।

परिव्राजक वंश

  • परिव्राजक शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'भ्रमणशील तपस्वी'।
  • भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मणों के इस वंश ने बुन्देलखंड के नागौद/जसो रियासत क्षेत्र में पाँचवी शताब्दी ईस्वी के दौरान शासन किया था, जो गुप्तों का सामंत था।
  • जानकारी के स्रोत: खोह, जबलपुर, बेतुल, भूमरा, मझगवां से प्राप्त 8 अभिलेख और स्तोत- हस्तिनी के सिक्के।
  • देवाढ्य इस वंश का संस्थापक था और पन्ना राजधानी थी।
  • महाराजा उसकी पदवी थी।
  • नागौद और पन्ना का शासन क्षेत्र था।
  • हस्तिन शासनकाल (475-517) ई. था और वह वंश का महानतम शासक था
  • खोह अभिलेख (संक्षोभ ) - उसे दहला तथा 18 अविराज्य का शासक कहा गया है।
  • शिलालेख में उसे शिव का महाभक्त (भूमरा अभिलेख) कहा गया है
  • वह उच्चकल्प शासक श्रवणनाथ का समकालीन था।
  • पिशापुरी (लक्ष्मीजी) के मंदिर हेतु अनुदान दे दिए और गावा, हॉर्स, हाथी, स्वर्ग और पृथ्वी आदि ब्राह्मणों को दे दी।
  • हस्तिनाका उत्तराधिकारी का नाम महाराजा संक्षोभा था और उसने भूमिदान के लिए अपने पिता के जैसे धार्मिक अनुष्ठानो के लिए दी
  • एक शैव भक्त थओ। और संक्षोभ को दहल तथा 18 आटविक वन क्षेत्रों का स्वामी बताया गा था और वह परिव्राजक वंश का अंतिम शासक था।
  • सुशर्मन इस वंश का प्रथम ज्ञात शासक थे, खोह अभिलेख में उल्लखित है की भारद्वाज गोत्र का तपस्वी था /।
  • तत्कालीन समय में समुद्रगुप्त का समकालीन था, सुशर्मन, देवाढ्य, प्रभंजन, दामोदर, संक्षोभ शासक रहे।
  • हस्तिन इस वंश का सबसे महान शासक था जिन्होंने संपूर्ण सत्य १४ विज्ञान सखाओ में दक्षता हासिल की
  • उस समय में समाज वर्ण व्यवस्था का पालन करता था और ४ वर्ण विद्यमान थे ब्राह्मण ,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र ,शाकाहारी भोजन का प्रचलन था।
  • मनोरंजन में खेल था।

आर्थिक जीवन

  • प्रजा से आय कर कर के रूप में प्राप्त होती थी ।
  • उस समय में भूमिदान का प्रचलन था और कृषि आजीविका का सर्वश्रेष्ठ साधन था ,। प्रश्न
  • इस वंश के प्रमुख शासक का सुशर्मन, देवाढ्य ,प्रभंजन, दामोदर आदि थे ।
  • इस वंश का मानतम शासक हस्तिन था।
  • आट्विक राज्यों का स्वामी हस्तिन शासक को कहा गया है
  • भर्मनशॉल तापसी परिव्राजक का अर्थ है । हस्तिन ने किस शाखा में ब्राह्मणों को एक गांव अनुदान में दिया: शाखा माद्यांदिनी

उच्चकालपी विंग

  • उच्चकलपा वंश ने पाँच छे शताब्दी ( गुप्तकाल) के मध्य सतना जिले में शासन कलपा जिले में शासन किया था।
  • उच्चकल वंश का प्रथम शासक ओधदेव था जिसने उच्चकाल राजधानी का निर्माण करवाया और ये गुप्तों के सामंत थे
  • जानकारी में काराताई शिलालेख ,खोह शिलालेख, उचहारा शिलालेख ,सोहावल शिलालेख, और नागराम शिलालेख मिले

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