नेताजी का चश्मा संक्षिप्त वर्णन
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Questions and Answers

हालदार साहब ने पानवाले से नेटा की आँखों पर चश्मा न होने का क्या कारण पूछा?

पानवाले ने बताया कि कैप्टन मर गया।

हालदार साहब ने यह विचार क्यों किया कि 'उस कौम का क्या होगा'?

क्योंकि वे चिंतित थे कि लोग बलिदान देने वालों का मजाक उड़ाते हैं।

हालदार साहब ने मूर्ति की प्रतिष्ठा के बारे में क्या सोचा जब वे फिर से कस्बे में आए?

उन्होंने सोचा कि मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।

हालदार साहब ने जीप में क्या निर्देश दिया जब वे मूर्ति के पास पहुंचे?

<p>उन्होंने कहा कि चौराहे पर रुकना नहीं और सीधे निकल जाना है।</p> Signup and view all the answers

हालदार साहब ने मूर्ति के सामने जाकर किस प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त की?

<p>वे अटेंशन में खड़े हो गए और भावुक हो गए।</p> Signup and view all the answers

मूर्ति की आँखों पर क्या था जिससे हालदार साहब भावुक हो गए?

<p>मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा था।</p> Signup and view all the answers

हालदार साहब की उदासी का मुख्य कारण क्या था?

<p>कैप्टन की मृत्यु और लोगों की मानसिकता।</p> Signup and view all the answers

हालदार साहब के जीप रुकने का दृश्य किस भाव को दर्शाता है?

<p>यह उनका प्रगतिशील विचार और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।</p> Signup and view all the answers

इस कहानी में मूर्ति के माध्यम से क्या विचार प्रस्तुत किया गया है?

<p>यह बलिदान देने वालों की अनदेखी और समाज की संवेदनहीनता पर टिप्पणी करता है।</p> Signup and view all the answers

हालदार साहब की आँखों में आंसू आने का क्या कारण था?

<p>मूर्ति की आँखों पर बने चश्मे ने उन्हें भावुक कर दिया।</p> Signup and view all the answers

Study Notes

नेताजी का चश्मा

  • हालदार साहब हर पंद्रह दिन में एक छोटे कस्बे से गुजरते थे, जहां की बुनियादी सुविधाएं सीमित थीं।
  • कस्बे में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई थी, जिसका निर्माण एक स्थानीय ड्राइंग मास्टर ने किया था।
  • मूर्ति की ऊँचाई लगभग दो फुट थी और यह सैनिक वर्दी में नेताजी को दिखाती थी, जिससे देशभक्ति की भावनाएँ जागृत होती थीं।
  • मूर्ति की आंखों पर चश्मा नहीं था, जिससे हालदार साहब को असंतोष हुआ; मूर्ति पर एक वास्तविक चश्मा सजाया गया था, जो बार-बार बदलता रहा।
  • पानवाले ने हालदार साहब को बताया कि “कैप्टन चश्मेवाला” मूर्ति का चश्मा बदलता था; वह मूर्तिकार की दुकानों में उपलब्ध चश्मे को बदलता था।
  • कैप्टन नामक चश्मेवाले ने मूर्ति से चश्मा हटाकर ग्राहक को दे देता था जब उसे किसी ग्राहक की जरूरत होती थी।
  • मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल ने चश्मा बनाना भूल जाने के कारण मूर्ति की आंखों पर कोई पारदर्शी चश्मा नहीं बनाया।
  • हालदार साहब ने लगातार मूर्ति की आंखों पर बदलते चश्मों को देखा, लेकिन एक दिन मूर्ति के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था, और पानवाला ने बताया कि कैप्टन मर गया।
  • हालदार साहब ने अंततः मूर्ति के सामने सरकंडे से बना चश्मा देखा, जिसे देखकर उनकी आंखों में आंसू आए।
  • इस विवरण ने यह बताने की कोशिश की है कि कैसे सामूहिक संस्कृति और छोटी-छोटी बातों से देशभक्ति और मानवीय भावनाएँ जुड़ती हैं।

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Description

इस/story में नेताजी के चश्मे से जुड़ी एक घटना का वर्णन है। हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में कस्बे में जाते हैं। कस्बे की संक्षिप्त जानकारी दी गई है।

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