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Questions and Answers
बुंदेलखंड के लोक संगीत में 'सैला नृत्य' किस अक्षर से दर्शाया गया है?
बुंदेलखंड के लोक संगीत में 'सैला नृत्य' किस अक्षर से दर्शाया गया है?
- का
- सा (correct)
- रा
- वा
'दादर नृत्य' बघेलखंड के लोक नृत्य में किस शब्द से संबंधित है?
'दादर नृत्य' बघेलखंड के लोक नृत्य में किस शब्द से संबंधित है?
- कमाल
- दुबेलखंड
- कवीरा
- दादा (correct)
निमाड़ के लोक नृत्य में किस वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है, जिसका उल्लेख 'काठ का डंडा' के रूप में किया गया है?
निमाड़ के लोक नृत्य में किस वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है, जिसका उल्लेख 'काठ का डंडा' के रूप में किया गया है?
- आड़ खड़ा नृत्य
- फेफारिया नृत्य
- कठिण नृत्य (correct)
- 5051 नृत्य
मालवा अंचल के लोक नृत्य में 'मटकी नृत्य' को और किस नाम से जाना जाता है?
मालवा अंचल के लोक नृत्य में 'मटकी नृत्य' को और किस नाम से जाना जाता है?
बुंदेलखंड के लोक गायन में 'बाबू' शब्द किस गीत का प्रतिनिधित्व करता है?
बुंदेलखंड के लोक गायन में 'बाबू' शब्द किस गीत का प्रतिनिधित्व करता है?
निमाड़ के लोक गायन में 'संत' शब्द किस गायक से संबंधित है?
निमाड़ के लोक गायन में 'संत' शब्द किस गायक से संबंधित है?
मालवा के लोक गायन में 'रेलवे गीत' किस शब्द से दर्शाया गया है?
मालवा के लोक गायन में 'रेलवे गीत' किस शब्द से दर्शाया गया है?
बघेलखण्ड के लोकगायन में विदेश में बसने पर किस प्रकार के गायन का वर्णन है?
बघेलखण्ड के लोकगायन में विदेश में बसने पर किस प्रकार के गायन का वर्णन है?
पं. ओमगर नाथ के अनुसार, देशी संगीत की पृष्ठ भूमि क्या है?
पं. ओमगर नाथ के अनुसार, देशी संगीत की पृष्ठ भूमि क्या है?
महात्मा गांधी के अनुसार लोकसंगीत में क्या गाता और नृत्य करता है?
महात्मा गांधी के अनुसार लोकसंगीत में क्या गाता और नृत्य करता है?
मध्यप्रदेश के लोकगीतों की विशेषताओं में से कौन सी विशेषता 'उन्मुक्त स्वच्छंद' होने का वर्णन करती है?
मध्यप्रदेश के लोकगीतों की विशेषताओं में से कौन सी विशेषता 'उन्मुक्त स्वच्छंद' होने का वर्णन करती है?
बुंदेलखंड में विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले 'हथौना' गीत का संबंध किस रस्म से है?
बुंदेलखंड में विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले 'हथौना' गीत का संबंध किस रस्म से है?
'करड्या गीत' किस अवसर पर गाया जाता है?
'करड्या गीत' किस अवसर पर गाया जाता है?
बुंदेलखंड क्षेत्र में कौन-कौन से जिले शामिल हैं?
बुंदेलखंड क्षेत्र में कौन-कौन से जिले शामिल हैं?
'आल्हा गीत' किस रस से ओतप्रोत होता है?
'आल्हा गीत' किस रस से ओतप्रोत होता है?
लेद लोकगीत मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र में प्रचलित है?
लेद लोकगीत मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र में प्रचलित है?
वासुदेव गोस्वामी ने किस बुंदेली अध्याय का उल्लेख किया है?
वासुदेव गोस्वामी ने किस बुंदेली अध्याय का उल्लेख किया है?
चौकड़िया फाग का अविष्कार किसने किया?
चौकड़िया फाग का अविष्कार किसने किया?
मध्यप्रदेश में 'राई' को कितने भागों में बांटा गया है?
मध्यप्रदेश में 'राई' को कितने भागों में बांटा गया है?
बघेलखंड में 'टप्पा' को किस जाति का प्रिय गीत माना जाता है?
बघेलखंड में 'टप्पा' को किस जाति का प्रिय गीत माना जाता है?
Flashcards
बघेलखंड के लोक नृत्य
बघेलखंड के लोक नृत्य
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दादा के कवीरा ने कमाल किया
बुन्देलखण्ड के लोकनृत्य
बुन्देलखण्ड के लोकनृत्य
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सर कब वजी ढिमरयाई
पं. ओमगर नाथ
पं. ओमगर नाथ
लोक संगीत देशी संगीत की पृष्ठ भूमि है
मालवा के लोकगायन
मालवा के लोकगायन
मालवा में रेल संघाभर वर ही लाई पंक्ति से सम्बंधित गायन
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बघेलखण्ड के लोकगायन
बघेलखण्ड के लोकगायन
बघेलखण्ड के विदेश में वसते ही विरह हो गया पंक्ति से सम्बंधित गायन
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आल्हा गीत
आल्हा गीत
यह लोकगीत आल्हा ऊदल की वीरता और शौर्य के गान का प्रतीक है
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राइछरे / राछो
राइछरे / राछो
यह पावस ऋतू के समय गाया जाता है
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हथौना
हथौना
यह विवाह पकड़े होने पर गाया जाता है
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मडवा छाना
मडवा छाना
यह मंडप गाड़ने की प्रथा है
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वम्बुलिया गायन
वम्बुलिया गायन
यह बुंदेलखंड क्षेत्र में गाया जाता है
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ज़रूर, यहाँ आपके अध्ययन के लिए विस्तृत नोट्स दिए जा रहे हैं:
मध्यप्रदेश के लोक संगीत
- मध्यप्रदेश में लोक संगीत की एक अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण परंपरा है, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके स्रोत वेदों में देखने को मिलते हैं, जहां संगीत को जीवन के विभिन्न पहलुओं के साथ जोड़ा गया है।
- यह लोक संगीत न केवल राज्य के लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करता है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और रीति-रिवाजों का भी परिचायक है। प्रत्येक उत्सव, समारोह और पारिवारिक अवसर पर लोक संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
बुंदेलखंड का लोक नृत्य
- बुंदेलखंड क्षेत्र में लोक नृत्य "सर कब वजी ढिमरयाई" पर केंद्रित हैं, जो इसे जोड़ने वाले तत्वों और सामाजिकता का प्रतीक है।
- इस क्षेत्र के प्रमुख नृत्य में शामिल हैं: सैला, जो उत्सवी गीतों पर आधारित है; राई, जो एक विशेष प्रकार का कृषि नृत्य है; कानड़ा, बधाई, बरेदी, वेस्ती, वधाई और ढिमराई जैसे नृत्य भी काफी लोकप्रिय हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है।
बघेलखंड का लोक नृत्य
- बघेलखंड का लोक नृत्य "दुबेलखंड में दादा के कवीरा ने कमाल किया" पर आधारित है, जो कहानी, नृत्य और संगीत का एक अद्भुत सम्मिलन प्रस्तुत करता है।
- बघेलखंड के प्रमुख नृत्य में दादर, कहरा, कलसा, विरहा और केमाली शामिल हैं, जो अपनी जीवंतता और विविधता के लिए जाने जाते हैं।
निमाड़ का लोक नृत्य
- निमाड़ का लोक नृत्य "काठ का डण्डा फेंककर आधा गाड़ दिया" से संबंधित है, जो गहरी सांस्कृतिक मान्यता और स्थानीय परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- इस क्षेत्र में प्रमुख नृत्य हैं: कठिण, 50-51, फेफारिया, आड़ खड़ा, और गणगौर, जो विशेष रूप से उत्सवों और समारोहों में नृत्य किया जाता है।
मालवा का लोक नृत्य
- मालवा का लोक नृत्य "राजा माल का मटका लेकर खड़ा है" पर केंद्रित है, जो इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और परंपरा को दर्शाता है।
- प्रमुख नृत्य में राजवाड़ी, मालवा, मटकी और आड़ा खड़ा शामिल हैं, जो नृत्य के हर चरण में थाप और गाने के मधुर स्वर लाते हैं।
बुंदेलखंड का लोक गायन
- बुंदेलखंड का लोक गायन "बाबूराय हरदेव चौक पर जगी आया" पर आधारित है, जो रंगीन लोककथाओं और जीवन की कहानियों को प्रस्तुत करता है।
- यहाँ के प्रमुख गायन शैली में बाबुलिया/भोला गीत, बेरायटा गायन, हरदौल की मनोती, देवरी गायन, जगदेव का पुखा, और आल्हा गायन/महोबा शामिल हैं। ये गायन न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि लोगों को अपनी संस्कृति और मान्यताओं से जोड़ते हैं।
निमाड़ का लोक गायन
- निमाड़ का लोक गायन "कल मेरा संतनाथ गिर गया" पर केंद्रित है, जो विभिन्न त्यौहारों और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ता है।
- इस क्षेत्र के प्रमुख गायन में शामिल हैं: कलगी तुर्रा, मसाण्या, संत सिंगाजी, नाथपंती, और गरखा-गखी, जो अपने आप में अनूठी कहानियाँ और भावनाएँ समेटे हुए हैं।
मालवा का लोक गायन
- मालवा का लोक गायन "मालवा में रेल संघाभर वर ही लाई" पर आधारित है, जो स्थानीय जीवन की सांस्कृतिक संपन्नता को दर्शाता है।
- यहाँ के प्रमुख गायन में मालवा, रेल, संजा, बरभरी, बरसाती, हीड और लाई शामिल हैं, जो विभिन्न प्रसंगों में गाए जाते हैं।
बघेलखंड का लोक गायन
- बघेलखंड का लोक गायन "वघेलखंड के विदेश में वसते ही बिरहा हो गया" पर केंद्रित है, जो व्यापक भौगोलिक और सांस्कृतिक संदर्भ को प्रस्तुत करता है।
- इस क्षेत्र के प्रमुख गायन में विदेशिया, बसदेवा और बिरहा शामिल हैं, जो क्षेत्रीय भाषाओं और संगीत की शैली में विविधता को दिखाते हैं।
लोक संगीत की परिभाषा
- लोक संगीत वास्तव में देशी संगीत की पृष्ठभूमि है, जो शहरी जीवन के विपरीत ग्रामीण और आदिवासी संस्कृतियों का उत्पाद है।
- महात्मा गांधी के अनुसार, यह कला संस्कृति का सुखद संदेश फैलाने का एक माध्यम है, जो लोगों को जोड़ती है और उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति करती है।
- रवींद्रनाथ ठाकुर के दृष्टिकोण से, यह लोक संगीत में चराचर जगत का गान और नृत्य शामिल होता है, जो जीवन के हर पहलू को दर्शाता है।
विशेषताओं
- यह लोक संगीत समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गहराई से व्याप्त है और प्रत्येक धरा के कण-कण में उपस्थित है।
- लोक संगीत में भावपक्ष और लोकपक्ष दोनों का समावेश होता है, जिससे यह आमजन की भावनाओं का सही प्रतिनिधित्व करता है।
- लोक गीत आदिमानव का उल्लासभरा संगीत है, जिसमें स्वच्छंदता और सरलता का अद्भुत मिलाप होता है।
मध्यप्रदेश के लोकगीत (विवाह गीत)
- बुंदेलखंड में विवाह गीत जैसे 'हथौना', 'दस्तूर', 'फलदान' और 'मंगनी' विशेष अवसरों पर गाए जाते हैं, जो विवाह की खुशी, आशीर्वाद और प्यार को व्यक्त करते हैं।
- विवाह के दौरान गाए जाने वाले गीतों में "आए मोरे सजना," "रमन लागों अंगना," और "मोरा बेला कली" शामिल हैं, जो इस विशेष दिन की खुशी को बढ़ाते हैं।
अन्य मध्यप्रदेश के लोकगीत
- विवाह के अवसर पर 'नुभवातो' जैसे गीत सामान्यतः गाए जाते हैं, जो विशेष रूप से शादी के समारोह में लोकप्रिय होते हैं।
- इसके अलावा, 'बुलउआ रामावतारी' जैसे गीत भी गाए जाते हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर का एक हिस्सा हैं।
- मांगर माटी (मध्यावनों) के गीत/गारी श्रम का गुणगान करते हैं और परंपरागत जीवन शैली को दर्शाते हैं।
- मंडप गाड़ने की प्रथा में 'हरीरो मडवा खाम (मगरोहण)' गीत गाए जाते हैं, जो विवाह समारोह की तैयारी से जुड़े होते हैं।
- मातृ पूजन के अंतर्गत 'बाबू पूजन' यानी मूदनों गीत गाए जाते हैं, जो मातृ शक्ति की पूजा के लिए होते हैं।
लोकगीतों के प्रकार
- लोक गीतों में करड्या गीत / गारी शामिल है, जो मैहर बनाने की प्रक्रियाओं से जुड़े होते हैं और विशेष उपकरणों के उपयोग को दर्शाते हैं।
- हल्दी तेल जिसे 'मायना' कहा जाता है, का उपयोग विशेष गीतों में महत्व रखता है।
- चीकट गीत रहन-सहन की कला को जोड़ता है, जहां चीकर में कपड़े वगैरह लाए जाते हैं।
- निकासी गीत विवाह समारोह में गाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में 'मालिया' कहा जाता है।
- अवनी गीत, कुंवर कलेवा गीत, जेवनार गीत, विदाई गीत, केकड़ छुड़ाई भोचायनों गीत जैसे अन्य गीत भी इस श्रेणी में आते हैं।
- संचत गीत जैसे सोहर और पच्चा गीत खुशी के अवसर पर गाए जाते हैं, और बधाई गीत विभिन्न भव्य समारोहों का हिस्सा होते हैं।
वरेदी नृत्य
- वरेदी नृत्य विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है, जिसमें टीकमगढ़, पन्ना, दतिया, छतरपुर और सागर जैसे स्थान शामिल हैं।
- इस नृत्य में वीरता और भक्ति की ध्वनि उच्च होती है, और शब्द स्पष्ट होते हैं, जो दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देता है।
आल्हा गीत
- आल्हा गीत चंदेल राजा के सेनापति आल्हा ऊदल की वीरता और शौर्य के किस्सों से भरा होता है। इसे ढोलक और नगाड़े की थाप पर गाया जाता है, जिससे इसकी भावनात्मक गहराई बढ़ती है।
राछरे/राछो गीत
- राछरे/राछो गीत वर्षा ऋतु में गाए जाते हैं, खासकर सावन (भादों) के महीने में। इस अभ्यास में बगेंहू/करुण रस भुजरिया का भी समावेश होता है, जिन्हें देवी के रूप में मानकर जल चढ़ाने की परंपरा है।
मल्हार गीत
- मल्हार गीत वर्षा ऋतु में गाए जाते हैं, विशेषकर सावन और भादों के महीनों के दौरान। यह गीत उत्तर प्रदेश और बृज क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं, जिसमें श्रृंगार रस और करुण रस की प्रधानता होती है।
लेद लोकगीत
- लेद लोकगीत मध्य प्रदेश के दतिया जिले में प्रचलित हैं, और इसे समाज में एक महत्वपूर्ण कला के रूप में जाना जाता है।
फाग
- फाग में होली रसिया लेड तथा राई गाए जाते हैं, जो होली महापर्व के दौरान उत्सव का आधार तैयार करते हैं।
- इस उत्सव में ढोलक, मांदर, टिमकी, मंजीरा, झाँस, खड़ताल और झींगा तथा नगड़िया का ध्वनि मिश्रण होता है, जिससे महौल रंगीन और जीवंत हो जाता है।
- फाग विभिन्न रंगों से मनाया जाता है, जैसे अमेरिका में होवो और हंगरी में अफ्रीका नेपोला।
रसिया
- रसिया उत्तर प्रदेश के वृद्ध क्षेत्र में 17वीं शताब्दी से प्रचलित है, और यह लोक संगीत का एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
- रसिया को विशेषतरितियों में बसंत और वर्षा के समय गाया जाता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भोझली
- भोझली देवी या प्रकृति से संबंधित कार्तिक के गीत 'तुलसी विवाह' गीत के रूप में जाने जाते हैं। इस गीत को लोग विशेष अवसरों पर गाते हैं।
- बिलबारी-डिनरी सत्रियां इस गीत को गाने में माहिर हैं, जो स्थानीय संस्कृति की गहराई को प्रदर्शित करता है।
लोक संगीतज्ञ और ग्रंथ
- वासूदेव गोस्वामी ने अपनी कृति 'चंदन चौर' के बुंदेली अध्याय में इस क्षेत्र के लोक संगीत का उल्लेख किया है, जो 19वीं शताब्दी में विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ।
- दतिया के प्रसिद्ध कलावंत कमलाप्रसाद भी लोक संगीत के अद्भुत परंपरा के प्रति समर्पित रहे हैं, जिन्होंने इस कला को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ढोलक
- ढोलक, मांदर, टिमकी, मंजीरा, झांस, खड़ताल और झींगा तथा नगड़िया होली में प्रमुखता से उपयोग किए जाते हैं। इन वाद्यों का संगम उत्सवों की खुशियों को दोगुना कर देता है।
- लोकवाद्यो में मांडर को 'वाघों का राधा' कहा जाता है, और इसकी ध्वनि समुद्र और मेघ गर्जना की तरह होती है, जो इसे आकर्षक बनाती है।
बम्बुलिया गायन
- बम्बुलिया गायन भगवान भोले से जुड़े गीत होते हैं, जो भक्तिपूर्ण धुनों में गाए जाते हैं।
- पुतारा जगदेव का पुवारी है, जो इसके अनूठे सुरों के लिए जाना जाता है।
हरदौल का मनोती
- हरदौल की मनोती शादी और सामाजिक पर्व पर प्रचलित होती है, जो आयोजित समारोहों की महत्ता को बढ़ाती है।
लोक परंपराएँ
- त्योहारों पर विशेष रूप से दिवाली जैसे महापर्व की तैयारी के दौरान लोक परंपराओं का समृद्ध अनुभव होता है, और सैरा कृषि तथा फसल की कटाई के दौरान लोक गीतों का गान किया जाता है।
- इन लोक गीतों के साथ विलवारी श्रम गीतों का भी बड़ा महत्त्व है, जो विशेषकर चैत्र माह में गाए जाते हैं।
टप्पा गीत
- टप्पा गीत पंजाब क्षेत्र में प्रचलित हैं और इनके साथ वधाई गीत खुशी के अवसरों पर गाए जाते हैं, जिस पर नृत्य भी किया जाता है।
बघेलखंड का लोक संगीत
- बघेलखंड का लोक संगीत रीवा, सतना, सीधी, उमरिया और शहडोल जिलों में आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- यहाँ का संगीत अद्वितीय लोककथाओं, वीरता, धार्मिक रचनाओं, श्रमगीतों और आदिम जातियों के प्रिय गीतों से समृद्ध है।
बघेलखंड के लोक संगीत के प्रकार
- इस क्षेत्र में लोककथाएँ, वीरता, धार्मिक गीत, श्रमगीत, टप्पा और आदिम जातियों के प्रिय गीत शामिल हैं, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
- बघेलखंड क्षेत्र में लखौरा, भगवानपुर और बागीता जैसे स्थान महत्वपूर्ण हैं, जहां ये लोक संगीत विभिन्न स्वरूपों में प्रस्तुत किया जाता है।
- पनघट गीत विशेष रूप से पानी भरने के समय गाए जाते हैं, जब महिलाएं साथ मिलकर जल लाने की परंपरा का पालन करती हैं।
उम्मीद है कि ये विस्तार से लिखे गए नोट्स आपकी पढ़ाई में सहायक सिद्ध होंगे!
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