मध्यकालीन भजन साहित्य
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मध्यकालीन भजन साहित्य

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@WieldyPanther6437

Questions and Answers

सत्य का क्या अर्थ है?

  • सत्याहन
  • अर्वनाशी (correct)
  • नाश होने वाला
  • अव्यक्त
  • सत्य शब्द का अर्थ नाश होने वाला है।

    False

    ‘चचरश्रवस्तमः’ शब्द का परिचय दें।

    ‘चचरश्रवस्तमः’ का अर्थ आश्चर्यजनक गुण, आश्चर्यजनक स्वरूप और अत्यंत उन्नत होना है।

    सत्य शब्द का _____ भावार्थ है।

    <p>अर्वनाशी</p> Signup and view all the answers

    निम्नलिखित शब्दों से उनके अर्थ मिलाएँ:

    <p>सत्यः = नाश न होने वाला चचरश्रवस्तमः = महान गुण आश्चयि-स्वरूपवान् = आश्चर्यजनक स्वरूप अत्यन्त उन्नत = किसी से बड़ा नहीं</p> Signup and view all the answers

    ‘हे जगदीश’ में किसके प्रति प्रार्थना की जा रही है?

    <p>ईश्वर के</p> Signup and view all the answers

    किसी के तुलना में बड़ा होना 'अत्यन्त उन्नत' का अर्थ है।

    <p>True</p> Signup and view all the answers

    प्रयत् की प्रक्रिया का क्या महत्व है?

    <p>प्रयत् की प्रक्रिया में ज्ञान अर्जन और भक्ति का विकास होता है।</p> Signup and view all the answers

    मन्र के _____ में उपसंहारात्मक बातें रखी गई हैं।

    <p>व्याख्यान</p> Signup and view all the answers

    प्रकाश के सातवें मन्र में क्या उल्लेखित है?

    <p>वायो</p> Signup and view all the answers

    मध्यकालीन भजतत साहित्य किस नवधा भजतत की बात करता था?

    <p>वैष्णव भजतत</p> Signup and view all the answers

    भजतत के माध्यम से भगवान की पहचान की जाती थी।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    किसकी प्रेरणा से भजतत-मागि का व्यवहार तैयार हुआ?

    <p>महर्षि दयानन्द सरस्वती</p> Signup and view all the answers

    महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रतिष्ठित किया गया समाज____________ कहा जाता है।

    <p>आर्य समाज</p> Signup and view all the answers

    भजतत और उनके प्रभाव का मिलान करें:

    <p>भजतत का प्रचार = धन का संग्रह ईश्वर का स्वरूप = नवे भगवानों का प्रचलन राष्ट्रवाद = स्वतंत्रता की कामना महर्षि दयानन्द सरस्वती = आर्य समाज की स्थापना</p> Signup and view all the answers

    भजतत के समय भगवानों का स्वरूप कैसा था?

    <p>प्रवाही</p> Signup and view all the answers

    भजतत के नाम पर धर्मस्थलों में राष्ट्रवाद की चर्चा की जाती थी।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    कौन से देश में युवा राष्ट्रवाद का आश्रय लेकर सक्रिय हुए?

    <p>भारत</p> Signup and view all the answers

    भजतत सामाज में भजततभाव से जुड़ा था जबकि ____________ धर्मों का प्रचारक बन गया।

    <p>ईसाईयत</p> Signup and view all the answers

    भजतत से संबंधित प्रमुख विचारों का मिलान करें:

    <p>धर्म का आधिक्य = महाभयंकर परिग्रह राष्ट्र का स्थान = संविधान का अभाव समाज का शेष वर्ग = प्रवासी लोग भजतत का उपयोग = धन और शक्ति का संग्रह</p> Signup and view all the answers

    महर्षि दयानन्द सरस्वती के समय भजतत का क्या स्थान था?

    <p>धर्म</p> Signup and view all the answers

    भजतत का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किया जाता था।

    <p>True</p> Signup and view all the answers

    स्वतंत्र भारत में भजततभाव के रूप में कौन सी स्थिति देखी जाती है?

    <p>धन और बल का प्रभाव</p> Signup and view all the answers

    अंग्रेजों के आगमन के बाद,______ के विचारों ने याविका में प्रगति की।

    <p>समाजवाद</p> Signup and view all the answers

    धर्मस्थलों में चर्चा नहीं होने वाले मुद्दों का मिलान करें:

    <p>भजतत = राष्ट्रवाद धर्म = स्वतंत्रता राजनीति = राज्य सुधार = सामाजिक परिवर्तन</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द का नाम किस तिथि से धारण किया गया?

    <p>संवत 1903</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने काशी में संन्यास दीक्षा ली।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने किस योगी गरु को खोजने का प्रयास किया?

    <p>स्वामी वरजाजनन्द</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द का उद्देश्य संस्कृत-भाषा तथा _____ का गहरा अध्ययन करना था।

    <p>योगशास्त्र</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द द्वारा किए गए कार्यों का मेल करें:

    <p>दीक्षा लेना = स्वामी पणुाइनन्द सरस्वती मथुरा जाना = गहन अध्ययन संन्यासी बनना = चांणोद-करनाली प्रथम भेट = गरु जी का द्वार खटखटाना</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने किस स्थान पर कुछ समय निवास किया?

    <p>चांणोद-करनाली</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द का अपने पिता के साथ पुनर्मिलन हुआ।

    <p>True</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने किस नाम से दीक्षा ली?

    <p>शदु धचैतन्य</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने सन् 1903 से 1917 तक _____ स्थानों में भ्रमण किया।

    <p>विभिन्न</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द के अनुभवों का मेल करें:

    <p>स्वामी वरजाजनन्द = संस्कृत शास्त्रों का गहन अध्ययन पिता = गरु जी का द्वार खटखटाना चांणोद-करनाली = संन्यासी बनना अहमदाबाद = गृहस्थ जीवन से विरक्ति</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द का आयािर्भर्वनय ग्रन्थ किस विषय पर है?

    <p>ईश्वर का स्वरूप ज्ञान</p> Signup and view all the answers

    ग्रन्थ के अनुसार, मानव और प्राणी का पररचय केवल नाम से होता है।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    ईश्वर के स्वरूप के ज्ञान को जानने के लिए कौन सा ग्रन्थ महत्वपूर्ण है?

    <p>आयािर्भर्वनय</p> Signup and view all the answers

    पदाथि, प्राणी या मानव के स्वरूप का ज्ञान जानने के लिए पांच बबन्द होते हैं - नाम, गुण, ___, स्वभाव और पदाथि।

    <p>कमि</p> Signup and view all the answers

    पांच बबन्दों को उनके अर्थ के साथ मिलाएँ:

    <p>नाम = किसी वस्तु का शब्द गुण = विशेषताएँ जो किसी वस्तु में होती हैं कमि = किसी वस्तु का कार्य करने की क्षमता स्वभाव = किसी वस्तु का स्वाभाविक व्यवहार पदाथि = किसी वस्तु का भौतिक स्वरूप</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द का कौन सा उद्धरण है?

    <p>ईश्वर का स्वरूप ज्ञान आवश्यक है।</p> Signup and view all the answers

    पदाथि का पररचय केवल उसके नाम से ही होता है।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    पदाथि का नाम जानने के बाद, अगला कदम क्या होगा?

    <p>उसकी गुण और कमि को जानना।</p> Signup and view all the answers

    स्वामी दयानन्द ने इस ग्रन्थ की प्रस्तावना में लिखा है कि इससे मानव को ___ और ___ ज्ञान मिलेगा।

    <p>ईश्वर का स्वरूप, धर्म</p> Signup and view all the answers

    धातु के एक छोटे से खण्ड का ज्ञान पाने के लिए पहले कौन सा कदम उठाना चाहिए?

    <p>उसका नाम जानना</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय का उद्देश्य क्या है?

    <p>ईश्वर के स्वरूप का ज्ञान कराना</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय के माध्यम से मनुष्य नाजस्तकता और पाखण्डता से बच सकते हैं।

    <p>True</p> Signup and view all the answers

    महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती का उद्देश्य क्या था?

    <p>ईश्वर के वास्तवक स्वरूप का ज्ञान करना और उसकी भजतत की प्रक्रिया को उजागर करना।</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय में भजतत का स्वरूप ज्ञान देने का उद्देश्य है ___।

    <p>धमिननष्िा</p> Signup and view all the answers

    नीचे दिए गए बिंदुओं को उनके सही उत्तरों से मिलाइए:

    <p>ईश्वर का स्वरूप = ज्ञान भजतत की प्रक्रिया = प्रकृती धमिननष्िा = स्थापना नाजस्तकता = बचाव</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय में कितने मन्रों का व्याख्यान किया गया है?

    <p>चार</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय केवल स्वामी दयानन्द सरस्वती के शिष्य मंडली के लिए ही है।

    <p>False</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय के अनुसार भजतत करने वाले व्यक्ति में क्या स्थापित होगा?

    <p>धमिननष्िा</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय का मूल उद्देश्य ईश्वर का ____ करना है।

    <p>स्वरूप ज्ञान</p> Signup and view all the answers

    आयािर्भर्वनय में उद्धृत विषयों को उनके टॉपिक से मिलाइए:

    <p>ईश्वर का स्वरूप = क. 1 भजतत का स्वरूप = क. 2 धमिननष्िा की स्थापना = क. 3 शद् चध प्रवनति = क. 4</p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    मध्यकालीन भजन साहित्य

    • भजन साहित्य का उद्देश 'नवधा भक्ति' का प्रचार और प्रसार करना था।
    • भक्तों के माध्यम से निहित स्वार्थ सिद्ध करने के प्रयास होते थे।
    • भक्ति के समय, शक्ति और धन का लाभ भक्ति के नाम पर उठाया जाता था।

    ईश्वर का स्वरूप और भक्ति

    • भक्ति का उपदेश देने वाला ईश्वर या भगवान का स्वरूप समय-समय पर बदलता था।
    • देवी-देवताओं की पहचान और प्रचलन में निरंतरता थी।
    • भक्ति को वास्तविकता से दूर रखा गया, इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।

    धर्म और राष्ट्रवाद

    • तत्कालीन भीड़-भाड़ वाले धार्मिक स्थलों में राष्ट्रवाद पर कोई चर्चा नहीं हुई।
    • ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षित युवाओं में देश के प्रति जागरूकता बढ़ी।
    • धर्म के नाम पर किए जा रहे कृत्यों से संतुष्टि नहीं थी, जिसे सुधारने की चाह थी।

    दयानंद सरस्वती का योगदान

    • महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1932 में ‘आयारंभवर्णय’ की रचना की।
    • आर्य समाज की विचारधारा से प्रेरित भक्तों ने अपने जीवन को भक्ति में डाला।
    • बगैर किसी उल्लंघन के, राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को जागृत किया।

    आज़ादी के बाद का संदर्भ

    • स्वतंत्रता के बाद अपेक्षित धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन नहीं हुए।
    • वर्तमान में हिंदू समाज में भक्ति का स्वरूप परिभाषित नहीं है।

    भक्ति में सत्य और त्याग

    • “सत्य” का अर्थ अर्वनाशी या अविनाशी है, इसका कोई नाश नहीं होता।
    • “चचरश्रवस्तमः” में आश्चर्य, गुण, स्थिति और स्वरूप की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
    • सभी भक्ति कर्मों का सच्चा अनुभव और उनके रूप में सुधार लाने का प्रयास किया गया है।

    ग्रंथ का उद्देश्य

    • स्वामी दयानंद ने भक्ति और धर्म को सही संदर्भ में स्पष्ट करने का प्रयास किया।
    • ग्रंथ का अध्ययन करने से ईश्वर का सही स्वरूप और भक्ति का अर्थ समझ में आएगा।
    • यह ग्रंथ धार्मिक अज्ञानता से बचने का विचार प्रस्तुत करता है।

    भक्ति पाठ का महत्व

    • भक्ति के विषय में गहन अध्ययन से आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
    • ईश्वर की भक्ति में मानव का स्वरूप और उसके उद्देश्यों को समझा जा सकता है।
    • भक्ति के संदर्भ में स्वामी दयानंद की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।

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    Description

    यह प्रश्नोत्तरी मध्यकालीन भजन साहित्य पर आधारित है, जिसमें नवधा भजन और उनके धार्मिक उपयोग पर चर्चा की गई है। इस भजन साहित्य का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। इसे समझने से भजन प्रक्रिया और उसके प्रभाव का ज्ञान होता है।

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