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Questions and Answers
सत्य का क्या अर्थ है?
सत्य शब्द का अर्थ नाश होने वाला है।
False
‘चचरश्रवस्तमः’ शब्द का परिचय दें।
‘चचरश्रवस्तमः’ का अर्थ आश्चर्यजनक गुण, आश्चर्यजनक स्वरूप और अत्यंत उन्नत होना है।
सत्य शब्द का _____ भावार्थ है।
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निम्नलिखित शब्दों से उनके अर्थ मिलाएँ:
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‘हे जगदीश’ में किसके प्रति प्रार्थना की जा रही है?
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किसी के तुलना में बड़ा होना 'अत्यन्त उन्नत' का अर्थ है।
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प्रयत् की प्रक्रिया का क्या महत्व है?
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मन्र के _____ में उपसंहारात्मक बातें रखी गई हैं।
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प्रकाश के सातवें मन्र में क्या उल्लेखित है?
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मध्यकालीन भजतत साहित्य किस नवधा भजतत की बात करता था?
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भजतत के माध्यम से भगवान की पहचान की जाती थी।
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किसकी प्रेरणा से भजतत-मागि का व्यवहार तैयार हुआ?
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महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रतिष्ठित किया गया समाज____________ कहा जाता है।
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भजतत और उनके प्रभाव का मिलान करें:
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भजतत के समय भगवानों का स्वरूप कैसा था?
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भजतत के नाम पर धर्मस्थलों में राष्ट्रवाद की चर्चा की जाती थी।
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कौन से देश में युवा राष्ट्रवाद का आश्रय लेकर सक्रिय हुए?
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भजतत सामाज में भजततभाव से जुड़ा था जबकि ____________ धर्मों का प्रचारक बन गया।
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भजतत से संबंधित प्रमुख विचारों का मिलान करें:
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महर्षि दयानन्द सरस्वती के समय भजतत का क्या स्थान था?
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भजतत का उपयोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किया जाता था।
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स्वतंत्र भारत में भजततभाव के रूप में कौन सी स्थिति देखी जाती है?
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अंग्रेजों के आगमन के बाद,______ के विचारों ने याविका में प्रगति की।
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धर्मस्थलों में चर्चा नहीं होने वाले मुद्दों का मिलान करें:
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स्वामी दयानन्द का नाम किस तिथि से धारण किया गया?
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स्वामी दयानन्द ने काशी में संन्यास दीक्षा ली।
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स्वामी दयानन्द ने किस योगी गरु को खोजने का प्रयास किया?
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स्वामी दयानन्द का उद्देश्य संस्कृत-भाषा तथा _____ का गहरा अध्ययन करना था।
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स्वामी दयानन्द द्वारा किए गए कार्यों का मेल करें:
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स्वामी दयानन्द ने किस स्थान पर कुछ समय निवास किया?
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स्वामी दयानन्द का अपने पिता के साथ पुनर्मिलन हुआ।
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स्वामी दयानन्द ने किस नाम से दीक्षा ली?
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स्वामी दयानन्द ने सन् 1903 से 1917 तक _____ स्थानों में भ्रमण किया।
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स्वामी दयानन्द के अनुभवों का मेल करें:
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स्वामी दयानन्द का आयािर्भर्वनय ग्रन्थ किस विषय पर है?
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ग्रन्थ के अनुसार, मानव और प्राणी का पररचय केवल नाम से होता है।
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ईश्वर के स्वरूप के ज्ञान को जानने के लिए कौन सा ग्रन्थ महत्वपूर्ण है?
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पदाथि, प्राणी या मानव के स्वरूप का ज्ञान जानने के लिए पांच बबन्द होते हैं - नाम, गुण, ___, स्वभाव और पदाथि।
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पांच बबन्दों को उनके अर्थ के साथ मिलाएँ:
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स्वामी दयानन्द का कौन सा उद्धरण है?
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पदाथि का पररचय केवल उसके नाम से ही होता है।
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पदाथि का नाम जानने के बाद, अगला कदम क्या होगा?
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स्वामी दयानन्द ने इस ग्रन्थ की प्रस्तावना में लिखा है कि इससे मानव को ___ और ___ ज्ञान मिलेगा।
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धातु के एक छोटे से खण्ड का ज्ञान पाने के लिए पहले कौन सा कदम उठाना चाहिए?
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आयािर्भर्वनय का उद्देश्य क्या है?
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आयािर्भर्वनय के माध्यम से मनुष्य नाजस्तकता और पाखण्डता से बच सकते हैं।
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महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती का उद्देश्य क्या था?
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आयािर्भर्वनय में भजतत का स्वरूप ज्ञान देने का उद्देश्य है ___।
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नीचे दिए गए बिंदुओं को उनके सही उत्तरों से मिलाइए:
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आयािर्भर्वनय में कितने मन्रों का व्याख्यान किया गया है?
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आयािर्भर्वनय केवल स्वामी दयानन्द सरस्वती के शिष्य मंडली के लिए ही है।
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आयािर्भर्वनय के अनुसार भजतत करने वाले व्यक्ति में क्या स्थापित होगा?
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आयािर्भर्वनय का मूल उद्देश्य ईश्वर का ____ करना है।
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आयािर्भर्वनय में उद्धृत विषयों को उनके टॉपिक से मिलाइए:
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Study Notes
मध्यकालीन भजन साहित्य
- भजन साहित्य का उद्देश 'नवधा भक्ति' का प्रचार और प्रसार करना था।
- भक्तों के माध्यम से निहित स्वार्थ सिद्ध करने के प्रयास होते थे।
- भक्ति के समय, शक्ति और धन का लाभ भक्ति के नाम पर उठाया जाता था।
ईश्वर का स्वरूप और भक्ति
- भक्ति का उपदेश देने वाला ईश्वर या भगवान का स्वरूप समय-समय पर बदलता था।
- देवी-देवताओं की पहचान और प्रचलन में निरंतरता थी।
- भक्ति को वास्तविकता से दूर रखा गया, इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
धर्म और राष्ट्रवाद
- तत्कालीन भीड़-भाड़ वाले धार्मिक स्थलों में राष्ट्रवाद पर कोई चर्चा नहीं हुई।
- ब्रिटिश शासन के दौरान शिक्षित युवाओं में देश के प्रति जागरूकता बढ़ी।
- धर्म के नाम पर किए जा रहे कृत्यों से संतुष्टि नहीं थी, जिसे सुधारने की चाह थी।
दयानंद सरस्वती का योगदान
- महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1932 में ‘आयारंभवर्णय’ की रचना की।
- आर्य समाज की विचारधारा से प्रेरित भक्तों ने अपने जीवन को भक्ति में डाला।
- बगैर किसी उल्लंघन के, राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को जागृत किया।
आज़ादी के बाद का संदर्भ
- स्वतंत्रता के बाद अपेक्षित धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन नहीं हुए।
- वर्तमान में हिंदू समाज में भक्ति का स्वरूप परिभाषित नहीं है।
भक्ति में सत्य और त्याग
- “सत्य” का अर्थ अर्वनाशी या अविनाशी है, इसका कोई नाश नहीं होता।
- “चचरश्रवस्तमः” में आश्चर्य, गुण, स्थिति और स्वरूप की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
- सभी भक्ति कर्मों का सच्चा अनुभव और उनके रूप में सुधार लाने का प्रयास किया गया है।
ग्रंथ का उद्देश्य
- स्वामी दयानंद ने भक्ति और धर्म को सही संदर्भ में स्पष्ट करने का प्रयास किया।
- ग्रंथ का अध्ययन करने से ईश्वर का सही स्वरूप और भक्ति का अर्थ समझ में आएगा।
- यह ग्रंथ धार्मिक अज्ञानता से बचने का विचार प्रस्तुत करता है।
भक्ति पाठ का महत्व
- भक्ति के विषय में गहन अध्ययन से आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
- ईश्वर की भक्ति में मानव का स्वरूप और उसके उद्देश्यों को समझा जा सकता है।
- भक्ति के संदर्भ में स्वामी दयानंद की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।
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Description
यह प्रश्नोत्तरी मध्यकालीन भजन साहित्य पर आधारित है, जिसमें नवधा भजन और उनके धार्मिक उपयोग पर चर्चा की गई है। इस भजन साहित्य का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। इसे समझने से भजन प्रक्रिया और उसके प्रभाव का ज्ञान होता है।