महासांगिक और बौद्ध संगीति
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Questions and Answers

तीसरे बौद्ध परिषद की अध्यक्षता किसने की थी?

  • मग्गलिपुत्त तिस्सा (correct)
  • वसुमित्र
  • अश्वघोष
  • कनिष्क

चौथे बौद्ध परिषद का स्थान कहाँ था?

  • नालंदा
  • पाटलिपुत्र
  • कुंडलवाना (correct)
  • राजगृह

तीसरे बौद्ध परिषद का मुख्य उद्देश्य क्या था?

  • नौतिक शिक्षा को बढ़ावा देना
  • आंतरिक विभाजन को रोकना (correct)
  • संन्यासियों के लिए नए नियम बनाना
  • बौद्ध ग्रंथों का अनुवाद

चौथे बौद्ध परिषद में कौन मुख्य मंत्री था?

<p>वसुमित्र (D)</p> Signup and view all the answers

कौन सा काम चौथे बौद्ध परिषद में किया गया?

<p>बौद्ध ग्रंथों पर टिप्पणियाँ और विश्लेषण (C)</p> Signup and view all the answers

Flashcards

तीसरा बौद्ध संगीति

251 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में आयोजित बुद्ध धर्म का तीसरा संगीति। इसमें अभिधम्मा पिटक का संकलन, बौद्ध ग्रंथों का व्यवस्थितकरण और मठवासी नियमों का मानकीकरण शामिल था।

चौथा बौद्ध संगीति

पहली शताब्दी ईस्वी में कुंडलवन, कश्मीर में आयोजित एक संगीति। इसमें बौद्ध ग्रंथों के विषय में स्पष्टीकरण और विश्लेषण शामिल थे, जिन्हें 'विभाषा' में संकलित किया गया था।

अभिधम्मा पिटक

बौद्ध धर्म में, अभिधम्मा पिटक बौद्ध धर्म के तीन पिटकों में से एक है, जो मन और चेतना के बारे में बौद्ध दर्शन पर केंद्रित है।

विभाषा

चौथे बौद्ध संगीति में, बौद्ध ग्रंथों पर टिप्पणियों का एक संग्रह जिसे 'विभाषा' कहा जाता है, बौद्ध शिक्षा को स्पष्ट करने के लिए बनाया गया था।

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संघ

बौद्ध धर्म में, 'संघ' बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों का एक संगठन है। धीरे-धीरे समय के साथ, संघ विभिन्न स्कूलों में विभाजित हो गया।

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Study Notes

महासांगिक

  • महासांगिक विचारधारा ने परंपरागत विनय को स्वीकार किया
  • उनका केंद्र मगध था
  • उनके अनुसार जीव पंचधर्म से निर्मित होते हैं, जिसमें शरीर, भाव, ज्ञान, मनोस्थिति और चेतना शामिल हैं

तीसरी बौद्ध संगीति

  • समय: 251 ई.पू.

  • स्थान: पाटलिपुत्र (मगध)

  • अध्यक्ष: मोग्गलिपुत्त तिस्स

  • कार्य: तृतीय पिटक (अभिधम्म) का संकलन

    • इसमें धर्म (धम्म) सिद्धान्त की व्याख्या की गई
  • उद्देश्य: संघ में हुए विवादों को रोकने के लिए नियम बनाना और बौद्ध साहित्य को मान्यता देना

  • नोट: कथावत्थु (कथावस्तु) के लेखक मोग्गलिपुत्त तिस्स थे

  • नोट: तीसरी बौद्ध संगीति में थेरवादियों का प्रभुत्व था। तिस्स थेरवादी थे

  • संगीति का उल्लेख सामन्तपासादिका में मिलता है, जिसकी रचना पाँचवीं शताब्दी में बुद्धघोष ने की

  • इसके अलावा दीपवंश और महावंश जैसे सिंहली बौद्ध ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है

  • अशोक के अभिलेखों में तीसरी बौद्ध संगीति का उल्लेख नहीं है

  • 60,000 पथभ्रष्ट भिक्षुओं को संगीति से निष्कासित किया गया

चौथी बौद्ध संगीति

  • समय: प्रथम शताब्दी ईस्वी
  • स्थान: कुण्डलवन (कश्मीर)
  • अध्यक्ष: वसुमित्र
  • उपाध्यक्ष/विशेष अतिथि: अश्वघोष
  • शासक: कनिष्क (कुषाण वंश)
  • आयोजन: पार्श्व के परामर्श से
  • कार्य: बौद्ध ग्रंथों के कठिन अंशों का संस्कृत में विचार-विमर्श, और 'विभाषाशास्त्र' नामक व्याख्याओं में संकलित करना
  • 'विभाषाशास्त्र' के लेखक वसुमित्र हैं

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Description

यह क्विज महासांगिक विचारधारा और तीसरी तथा चौथी बौद्ध संगीति के प्रमुख पहलुओं पर आधारित है। इसमें संगीति के आयोजन, स्थान, और उद्देश्यों की जानकारी दी गई है। बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और उनके प्रवर्तकों के बारे में भी प्रश्न शामिल हैं।

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