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Questions and Answers
महाभारत की कथा किसने अपने पुत्र को पहली बार सिखाई?
महाभारत की कथा किसने अपने पुत्र को पहली बार सिखाई?
- महर्षि वैशंपायन
- राजा परीक्षित
- वेद व्यास (correct)
- महर्षि पराशर
कौन सा राजा महायज्ञ का आयोजक था जिसमें सूत जी ने सभा बुलाई?
कौन सा राजा महायज्ञ का आयोजक था जिसमें सूत जी ने सभा बुलाई?
- राजा जनमेजय (correct)
- राजा युधिष्ठिर
- राजा शान्तनु
- राजा धृतराष्ट्र
पांणों के जन्म के दौरान पांडु की किस रानी के साथ वनवास में गईं थी?
पांणों के जन्म के दौरान पांडु की किस रानी के साथ वनवास में गईं थी?
- कुमुदिनी
- नागमती
- माद्री (correct)
- कुण्ती (correct)
कौरवों और पांडवों के बीच वैरभाव किस कारण से बढ़ा?
कौरवों और पांडवों के बीच वैरभाव किस कारण से बढ़ा?
धृतराष्ट्र के पुत्रों का क्या नाम था?
धृतराष्ट्र के पुत्रों का क्या नाम था?
कौन पितामह भीष्म के आदेश पर दोनों परिवारों के बीच संधि कराई?
कौन पितामह भीष्म के आदेश पर दोनों परिवारों के बीच संधि कराई?
कौन-सी नीति थी जिसके अनुसार पांडु को गद्दी पर बैठाया गया?
कौन-सी नीति थी जिसके अनुसार पांडु को गद्दी पर बैठाया गया?
पांडवों के कुल कितने भाई थे?
पांडवों के कुल कितने भाई थे?
कौन महाभारत की कथा का प्राथमिक स्रोत है?
कौन महाभारत की कथा का प्राथमिक स्रोत है?
पांडवों का नाम किसके द्वारा पहली बार चर्चा में आया?
पांडवों का नाम किसके द्वारा पहली बार चर्चा में आया?
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Study Notes
महाभारत की कथा
- महाभारत की कथा महर्षि पराशर के पुत्र वेद व्यास द्वारा रचित है।
- व्यास ने ये कथा अपने पुत्र शुकदेव को पहले सुनाई, फिर अपने अन्य शिष्यों को।
- महर्षि वैशंपायन ने इस कथा का प्रचार मानव जाति में किया, जो व्यास जी के प्रमुख शिष्य थे।
महायज्ञ और ऋषियों की सभा
- महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया।
- यज्ञ में सुप्रसिद्ध पौराणिक सूत जी ने ऋषियों की सभा बुलाई, जिसका अध्यक्ष महर्षि शौनक बने।
पांडवों और कौरवों का वंश
- महाराजा शांतनु के बाद उनके पुत्र चित्रांगद ने गद्दी संभाली।
- चित्रांगद की अकाल मृत्यु के बाद उनके भाई विचित्रवीर्य राजा बने, जिनके दो पुत्र धृतराष्ट्र और पांडु थे।
- धृतराष्ट्र जन्म के समय अंधे थे, इसलिए पांडु को गद्दी पर बैठाया गया।
पांडु का राज और वनवास
- पांडु की दो रानियाँ थीं - कुंती और माद्री।
- पांडु ने अपराध के प्रायश्चित के लिए वन में तपस्या की, जिनके साथ रानियाँ भी गईं।
- वनवास के दौरान कुंती ने युधिष्ठिर, भीम, और अर्जुन जबकि माद्री ने नकुल और सहदेव को जन्म दिया।
- पांडु की मृत्यु के बाद, ऋषियों ने पाँचों पांडवों का पालन-पोषण किया।
पांडवों और कौरवों का संघर्ष
- जब युधिष्ठिर सोलह वर्ष के हुए, ऋषियों ने उन्हें हस्तिनापुर भेजा और पितामह भीष्म को सौंपा।
- पाँचों पांडव बुद्धिमान और शारीरिक रूप से शक्तिशाली थे, लेकिन इसका कौरवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव पांडवों से जलने लगे और उन्हें कष्ट पहुँचाने लगे।
संधि और इंद्रप्रस्थ का निर्माण
- कौरवों और पांडवों के बीच वैर बढ़ते गया, पितामह भीष्म ने समझाया और संधि कराई।
- कुरु-राज्य का दो हिस्सों में बटवारा हुआ, कौरवों ने हस्तिनापुर में राज किया जबकि पांडवों को नया राज्य मिला, जिसे इंद्रप्रस्थ कहा गया।
चौसर खेलने की परंपरा
- उन दिनों राजा लोग चौसर खेलना पसंद करते थे, जिससे राज्य तक की बाजियाँ लगा दी जाती थीं।
- पांडवों और कौरवों के बीच एक बार चौपड़ खेला गया।
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