जैन संस्कृति: त्यौहार और परंपराएँ
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जैन संस्कृति: त्यौहार और परंपराएँ

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@ReadyHeliotrope8126

Questions and Answers

जैन त्योहारों की विशेषता क्या है?

त्याग, तपस्या, शास्त्रों का अध्ययन, पवित्र भजनों की पुनरावृत्ति, ध्यान और परमात्मा के प्रति समर्पण

पवित्र जैन ग्रंथ कौन सा है जिसे पय्यपषण महापिप के दौरान पढ़ा जाता है?

  • वेद
  • गीता
  • कल्पसूत्र (correct)
  • उपनिषद
  • महावीर जयंती चैत्र में अमावस्या को मनाई जाती है।

    False

    भाई बीज किस त्योहार से संबंधित है?

    <p>रक्षा बंधन</p> Signup and view all the answers

    ज्ञान पंचमी कब मनाई जाती है?

    <p>कावातपक में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन</p> Signup and view all the answers

    महावीर स्वामी ने _______ प्राप्त किया।

    <p>मोक्ष</p> Signup and view all the answers

    आषाढ़ चतुदपशी जैन साधुओं द्वारा तपस्या के चार महीनों की शुरुआत को चिह्नित करता है।

    <p>True</p> Signup and view all the answers

    कावटपक मास की पवणपमा कब समाप्त होती है?

    <p>आषाढ़ चतुदपशी के बाद</p> Signup and view all the answers

    नीचे दिए गए जैन त्योहारों के साथ उनके विशेष महत्व का मिलान करें:

    <p>पय्यपषण महापिप = आध्यात्मिक गुरु की उपासना महावीर जयंती = भगवान महावीर का जन्म ज्ञान पंचमी = ज्ञान की यज्ञ भाई बीज = भाई-बहन का त्यौहार</p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    जैन त्योहारों की विशेषताएँ

    • जैन त्योहारों की पहचान त्याग, तपस्या, भजन, ध्यान और आत्मसमर्पण से होती है।
    • संसार के बंधनों से मुक्त होने का प्रयास करते हुए जैन लोग उपासना और साधना में लीन हो जाते हैं।

    पय्यपषण महापिप

    • भाद्रपद में घटते चंद्रमा के बारहवें वदन से प्रारंभ होकर शुक्ल पक्ष के चौथे वदन तक मनाया जाता है।
    • जैन समुदाय इस दौरान उपवास और तप का पालन करता है, जिसमें बच्चे भी शामिल होते हैं।
    • आध्यात्मिक गुरु पवित्र ग्रंथ कल्पसत्र को पढ़ते और समझाते हैं।
    • आठवें वदन का नाम वसंतमद्ध और इसे संित्सरी महापिप के रूप में मनाते हैं।

    निपद ओली

    • तपस्या के अंतर्गत निपद की पूजा की जाती है।
    • श्रीपाल और मायना की कहानी का नाटकीय प्रदर्शन होता है।

    महावीर जयंती

    • अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मचंद्र के तेरहवें वदन को चैत्र के महीने में मनाया जाता है।
    • इस अवसर पर भव्य रथ यात्रा और सामुदायिक पूजा का आयोजन होता है।

    वदिाली

    • कावतपक मास की अमावस्या को महावीर स्वामी द्वारा मुक्ति प्राप्त करने की रात मनाई जाती है।
    • चतुर्दशी, पयवणपमा और नए साल के अनुष्ठान विशेष रूप से ध्यान और जप के साथ मनाए जाते हैं।

    भाई बीज

    • यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है, जो कावतपक में बढ़ते चंद्रमा के पखवाड़े के अंतिम दिन मनाया जाता है।
    • इसमें बहन भाई को अपने घर बुलाकर सत्कार करती है।

    ज्ञान पंचमी

    • कावतपक के शुक्ल पक्ष के पाँचवें वदन को मनाया जाता है।
    • यह दिन ज्ञान की पूजा के लिए समर्पित होता है, जिसमें ध्यान, पौषध और पवित्र पाठ शामिल हैं।

    आषाढ़ चतुदपशी

    • चातुमास का प्रारंभ आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के 14 व 15वें वदन से होता है।
    • जैन साधु इस दौरान जहाँ होते हैं, वहीं पर निवास करते हैं और तपस्या का पालन करते हैं।

    कावतपक पयवणपमा

    • आषाढ़ चतुदपशी के समाप्ति पर जैन साधु-साध्वियों की पदयात्रा प्रारंभ होती है।
    • यह समय शत्रुंजय-पावलताना की तीर्थ यात्रा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

    मौन एकादशी

    • इस दिन मौन धारण करने का विशेष महत्व है, जो आत्मा की शांति और मन की एकाग्रता का प्रतीक है।

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    यह क्विज जैन त्योहारों और उनकी परंपराओं पर केंद्रित है। जैन धर्म में त्याग, तपस्या और ध्यान का विशेष महत्व है। इस क्विज के माध्यम से आप जैन त्यौहारों की गहराई में जा सकते हैं।

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