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हिन्दी में स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि
हिंदी शास्ट्र में संधि (सं) का मात्र कार्य है कि धातु के साथ जोड़े जाते हैं। संधि के स्वरूप और प्रकार की विशेषता होती हैं जिससे संधि का इस्तेमाल होता है। स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि एक साथ होते हैं अर्थात एक धातु के साथ संधि की जोड़ी होती हैं।
स्वर संधि
स्वर संधि संधि के साथ संधि का स्वर होता है। स्वर संधि के केवल दिक्षुना प्रकार है जो घोषात्मक रूप दिये जाते हैं। यह संधि जोड़ने वाले धातु के वर्ग के साथ संधि के स्वर को बदलने में सहायक तथा विकल्प है। स्वर संधि के साथ अक्षर के रूप में अनुपात संधि (घटक संधि) और समूह संधि (धीर्य संधि) अवश्य एक प्रकार से संधि के साथ उत्पन्न होते हैं।
स्वर संधि के एक उदाहरण के लिए, "वक्तव्य है" में "है" के स्वर के लिए स्वर संधि तैयार है।
व्यंजन संधि
व्यंजन संधि संधि के साथ व्यंजन संधि होता है। व्यंजन संधि के स्वरूप प्रत्येक संधि की व्यंजन का रूप होता है। व्यंजन संधि के साथ संधि के व्यंजन का स्वर नहीं बदलता है। व्यंजन संधि के साथ अक्षर के रूप में अनुपात संधि (घटक संधि) और समूह संधि (धीर्य संधि) अवश्य एक प्रकार से संधि के साथ उत्पन्न होते हैं।
व्यंजन संधि के एक उदाहरण के लिए, "मैं खादू" में "ं" के व्यंजन का रूप मात्र व्यंजन संधि है।
विसर्ग संधि
विसर्ग संधि संधि के साथ विसर्ग संधि होता है। विसर्ग संधि के स्वरूप अनुपात संधि (घटक संधि) और समूह संधि (धीर्य संधि) के साथ एक संधि का समूह होता है। विसर्ग संधि के साथ संधि के स्वर का स्वर नहीं बदलता है। विसर्ग संधि के साथ अक्षर के रूप में अनुपात संधि (घटक संधि) और समूह संधि (धीर्य संधि) अवश्य एक प्रकार से संधि के साथ उत्पन्न होत
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