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Questions and Answers
किस कृति को सिनेमा परदे पर उतारा गया है?
किस कृति को सिनेमा परदे पर उतारा गया है?
किस फिल्म की सफलता के बाद राजकपूर में आत्मविश्वास आया?
किस फिल्म की सफलता के बाद राजकपूर में आत्मविश्वास आया?
किस वर्ष शैलेंद्र ने तीसरी कसम फिल्म बनाई?
किस वर्ष शैलेंद्र ने तीसरी कसम फिल्म बनाई?
राजकपूर को किस नाम से जाना जाता था?
राजकपूर को किस नाम से जाना जाता था?
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शैलेंद्र का मुख्य उद्देश्य क्या था?
शैलेंद्र का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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किस फिल्म की कहानी फणीश्वरनाथ रेणु ने लिखी है?
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शैलेंद्र के गीतों की विशेषता क्या थी?
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तीसरी कसम को किस तरह से दिखाया गया था?
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शैलेंद्र ने किस गीत की पंक्ति को बदलने से मना किया था?
शैलेंद्र ने किस गीत की पंक्ति को बदलने से मना किया था?
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तीसरी कसम फिल्म को कितने पुरूस्कारों से सम्मानित किया गया?
तीसरी कसम फिल्म को कितने पुरूस्कारों से सम्मानित किया गया?
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शैलेंद्र की भावुकता इस फिल्म में कैसे प्रदर्शित होती है?
शैलेंद्र की भावुकता इस फिल्म में कैसे प्रदर्शित होती है?
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किस व्यक्ति ने शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से परिचित करवाया?
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तीसरी कसम फिल्म को बनाने में किस प्रकार की चुनौतियाँ थीं?
तीसरी कसम फिल्म को बनाने में किस प्रकार की चुनौतियाँ थीं?
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जिस पंक्ति पर जयकिशन ने आपत्ति जताई थी, वह किस गीत से संबंधित है?
जिस पंक्ति पर जयकिशन ने आपत्ति जताई थी, वह किस गीत से संबंधित है?
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Study Notes
फिल्म 'तीसरी कसम'
- शैलेंद्र, एक गीतकार और कवि, ने फणीश्वर नाथ रेणु की कृति 'तीसरी कसम' को फिल्म रूप दिया।
- यह फिल्म एक मील का पत्थर साबित हुई, जिसकी जगह कोई दूसरी फिल्म नहीं ले पाई।
- 'तीसरी कसम' महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने हिंदी फिल्म जगत में सार्थक और उद्देश्य से भरपूर फिल्म बनाने की कठिनाई और जोखिम को दर्शाया।
- 'संगम' की सफलता के बाद, राजकपूर का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने चार फिल्मों में काम करने की घोषणा की, जिसमें 'तीसरी कसम' भी शामिल थी।
- फिल्म 'तीसरी कसम' कवि शैलेंद्र के करियर की पहली और आखिरी फिल्म थी।
- इसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और कला के लिए सराहा गया।
- शैलेंद्र की भावनात्मकता और दृष्टिकोण फिल्म में स्पष्ट रूप से झलकता है।
- अभिनय के मामले में, 'तीसरी कसम' को राजकपूर की सबसे सुन्दर फिल्मों में से एक माना जाता है।
- राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन माना जाता था, भावनाओं को अभिनय से दर्शाने में निपुण थे।
फिल्म की विशेषताएं
- शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को अपनी कविता और कहानी में शब्दों में ढाला।
- राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ अच्छे मित्र के रूप में फिल्म की असफलता के खतरे को भी समझाया।
- शैलेंद्र को धन-सम्पति या नाम कमाने की इच्छा नहीं थी, केवल आत्मसंतोष उनकी प्राथमिकता थी।
- फिल्म को सफल बनाने में लोगों को मुश्किलें आईं।
- फिल्म में दर्शाई गई भावनात्मक करुणा अद्वितीय थी।
शैलेंद्र और उनकी कला
- 'श्री 420' गीत 'प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल' की पंक्ति 'रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ' के संबंध में संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की थी।
- शैलेंद्र ने पंक्ति नहीं बदली। उन्होंने दर्शकों की पसंद और अच्छे और सुंदर के निर्माण पर ज़ोर दिया।
- शैलेंद्र के गीत शांत और शांत लगते थे, परंतु उनके अर्थ गहरे और व्यापक होते थे।
- उन्होंने शब्दों में ढालने की क्षमता और भावनाओं के साथ जीवन जीने की कला को चित्रित किया।
'तीसरी कसम' की सफलता
- 'तीसरी कसम' उन सफल फिल्मों में थी, जो साहित्यिक मूल्यों और कहानी को स्क्रीन पर प्रभावी ढंग से दिखाया।
- फिल्म में दुःख को जीवन की वास्तविक स्थिति के अनुरूप दिखाया गया था।
- फिल्म की कहानी फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखी गई थी।
- कहानी की बारीकियों को फिल्म में पूरी तरह समाहित किया गया था।
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Description
यह क्विज फिल्म 'तीसरी कसम' के बारे में है, जिसमें शैलेंद्र की कविताओं और राजकपूर के अभिनय का विशेष स्थान है। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और कई पुरस्कारों से सम्मानित की गई। शैलेंद्र की गहराई और राजकपूर की भावनाएँ इस फिल्म का मुख्य आकर्षण हैं।