एथेन संरूपण: सांतरित और ग्रस्त रूप

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Questions and Answers

एथेन के सांतरित रूप में C – H आबंध के e- अभ्र एक- दूसरे से अधिकतम दूरी पर होते हैं।

True (A)

ग्रस्त संरूपण में C - H आबंध के e- अभ्र एक- दूसरे के बहुत पास होते हैं जिससे प्रतिकर्षण होता है।

True (A)

मरोड़ी विकृति क्या है?

e- अभ्र के बीच प्रतिकर्षी अन्योन्य क्रिया ही मरोड़ी विकृति है।

द्वितल कोण या मरोड़ी कोण किसे कहते है?

<p>मरोड़ी विकृति का परिमाण C - C एकल आबंध के घूर्णन कोण पर निर्भर करता है। इस कोण को द्वितल कोण या मरोड़ी कोण भी कहते हैं।</p> Signup and view all the answers

दो चरम रूपों के मध्य ऊर्जा का अंतर बहुत कम होता है।

<p>True (A)</p> Signup and view all the answers

Flashcards

एथेन का सांतरित रूप

एथेन के सांतरित रूप में C-H आबंध के e- अभ्र एक-दूसरे से अधिकतम दूरी पर होते हैं।

ग्रस्त संरूपण

ग्रस्त संरूपण में, C-H आबंध के e- अभ्र एक-दूसरे के बहुत पास होते हैं, जिससे प्रतिकर्षण बढ़ता है, अणु में ऊर्जा बढ़ती है, और स्थायित्व घटता है।

मरोड़ी विकृति क्या है?

e- अभ्र के बीच प्रतिकर्षी अन्योन्य क्रिया को मरोड़ी विकृति कहते हैं।

मरोड़ी विकृति का परिमाण निर्भरता

मरोड़ी विकृति का परिमाण C-C एकल आबंध के घूर्णन कोण पर निर्भर करता है। इसे द्वितल कोण या मरोड़ी कोण भी कहते हैं।

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दो चरम रूपों के मध्य ऊर्जा का अंतर

दो चरम रूपों के मध्य ऊर्जा का अंतर 12.5 kJ mol⁻¹ है, जो बहुत कम है।

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Study Notes

  • एथेन के सांतरित रूप में C-H आबंध के e- अभ्र एक-दूसरे से अधिकतम दूरी पर होते हैं
  • एथेन के सांतरित रूप में न्यूनतम प्रतिकर्षण बल होता है
  • एथेन के सांतरित रूप में न्यूनतम ऊर्जा होती है।
  • एथेन के सांतरित रूप में अणु का स्थायित्व अधिक होता है।
  • ग्रस्त संरूपण में C-H आबंध के e- अभ्र एक-दूसरे के बहुत पास होते हैं
  • ग्रस्त संरूपण में प्रतिकर्षण अधिक होता है।
  • ग्रस्त संरूपण में अणु में ऊर्जा अधिक होती है।
  • ग्रस्त संरूपण में स्थायित्व कम होता है।
  • e- अभ्र के बीच प्रतिकर्षी अन्योन्य क्रिया ही मरोड़ी विकृति है।
  • मरोड़ी विकृति का परिमाण C-C एकल आबंध के घूर्णन कोण पर निर्भर करता है।
  •  इस कोण को द्वितल कोण या मरोड़ी कोण भी कहते हैं।
  • दो चरम रूपों के मध्य ऊर्जा का अंतर 12.5 kJ mol-1 है, जो बहुत कम है।

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